रविवार, 20 जुलाई 2014

माता का चमत्कार, यहां हर रात माता मंदिर से निकलकर भक्तों की मुरादें पूरी करती हैं

हमारे देश में कई प्रमुख धार्मिक स्थल हैं, जहां माता रानी चमत्कारी मूर्ति के रूप में विराजमान हैं। माता की एक ऐसी ही चमत्कारी मूर्ति है मध्य प्रदेश के 'भादवा माता धाम' में। यह स्थान मध्य प्रदेश के नीमच से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित है। इस मंदिर को 'भादवा माता धाम' कहा जाता है।माता का चमत्कार, यहां हर रात माता मंदिर से निकलकर भक्तों की मुरादें पूरी करती हैं
इस मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार यह माना जाता है कि यहां हर रात माता अपने मंदिर के गर्भ गृह से निकलकर मंदिर के प्रांगण में टहलती हैं। टहलते समय माता की जिस पर भी दया दृष्टी पड़ जाती है वह सदा के लिए रोग मुक्त और सुखी हो जाता है। बहुत से भक्त इस स्थान से रोग मुक्त होकर अपने घर खुशी-खुशी वापस जाते हैं।

माता के इस चमत्कार के कारण यहां पूरे साल लकवा, कोढ़ और नेत्रहीनता से पीड़ित भक्तों का आना-जाना लगा रहता है। भादवा माता मंदिर के प्रांगण में एक प्राचीन बावड़ी है। कहा जाता है इस बावड़ी के विषय में मान्यता है कि भक्तों को रोग मुक्त करने के लिए माता ने यहां जमीन से जल निकाला था। इस बावड़ी पर माता की असीम कृपा है। लोग बताते हैं मंदिर का जल अमृत तुल्य है। माता ने कहा है कि जो भी इस बावड़ी के जल से स्नान करेगा, वह सदा के लिए रोग मुक्त हो जाएगा।

आस्था का अद्भुत केंद्र लवकुश मंदिर

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले का लवकुश नगर माता सीता की तपोस्थली के रूप में जाना जाता है और यहां के पहाड़ पर स्थित एक विशाल चट्टान पर प्रगट हुए एक नन्हें कुंड का रहस्य आज भी बरकरार है।आस्था का अद्भुत केंद्र लवकुश मंदिर
विशाल चट्टान पर प्रगट हुआ यह कुण्ड पहले बिबरबैनी फिर कालांतर में बंबरबैनी के रूप में विख्यात यह घार्मिक स्थल अपने आप आगोस में अनेक रहस्य समेटें हुए है। विशाल पहाडी पर स्थित शिलाओं के अवशेष आज भी सीता पुत्र लवकुश की शौर्य गाथा का बखान करते हैं और त्रेता युग के उन दिनों की याद आज भी ताजा करा देते हैं।

किवदंतियों के अनुसार भगवान श्रीराम द्वारा माता सीता का पत्यिाग करने के बाद माता सीता महर्षि बाल्मीकि के आश्रम पर आकर रहीं। यहां लवकुश का जन्म लालन पालन बाल्मीकि जी की देखरेख में हुआ। श्रीराम के अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े को लवकुश द्वारा रोके जाने से महाराज शत्रुघ्न से उनका भीषण युद्ध हुआ तथा महाराज शत्रुघ्न को लवकुश के हाथों पराजय झेलनी पड़ी। सीता पुत्र लवकुश के नाम पर ही इस नगर का नाम लवकुश नगर रखा गया। बुंदेलखण्ड का यह लवकुश मंदिर आज भी आस्था का केंद्र है।

शनिवार, 19 जुलाई 2014

धरोहरों के प्रबंधन एवं संरक्षण की बने समयबद्घ योजना : वसुंधरा -



जयपुर। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा है कि राज्य की ऎतिहासिक एवं पुरामहत्व की इमारतों एवं धरोहर के संरक्षण, रखरखाव और प्रबंधन के लिए समयबद्घ योजना के अनुरूप काम होना चाहिए ताकि ये पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बन सके। राजे शनिवार को ऎतिहासिक एवं पुरामहत्व की इमारत एवं धरोहर के संरक्षण के संबंध में आयोजित बैठक को संबोधित कर रही थीं।
Protection plans for heritage buildings should be time bound : Raje
उन्होंने कहा कि ऎतिहासिक धरोहर का प्रबंधन व संरक्षण इस तरह से किया जाए कि वहां पर्यटकों की संख्या में वृद्घि हो तथा उनसे होने वाली आय से ये सभी स्थान आत्मनिर्भर बन सकें । उन्होंने पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए जिलों को आपस में प्रतिस्पर्घात्मक रूप से कार्य करने पर जोर दिया जिससे संबंधित क्षेत्र के पर्यटन स्थलों पर देसी एवं विदेशी पर्यटकों की आवाजाही बढ़े।

मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के पुराने डाक बंगलों के साथ सिंचाई एवं वन विभाग के निरीक्षण गृह व विश्रामगृह की सूची बनाने के निर्देश दिए ताकि उनका जीर्णोद्घार करवा कर यहां निजी पर्यटकों के ठहरने की व्यवस्था हो सके।

शेखावाटी क्षेत्र की हवेलियों की चर्चा करते हुए राजे ने कहा, वे हमारे इतिहास की साक्षी हैं। कु छ हवेलियों पर व्यक्तिगत मालिकाना हक है तथा पर्यटन विभाग इन व्यक्तियों से चर्चा कर इनके संरक्षण की भी पुख्ता व्यवस्था करें ताकि ये हवेलियां भी पर्यटकों के अवलोकन योग्य बन सके।

उन्होंने जयपुर के स्मारकों के रख-रखाव की ओर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिया कि आमेर किला प्रबंधन की योजना शीघ्र पूर्ण किया जाना चाहिए। भरतपुर की सुजानगंगा, संग्रहालय, धौलपुर के मचकु ण्ड वनविहार एवं तलाबेशाही पर्यटन स्थलों के रख-रखाव व जीर्णोद्घार के संबंध में भी बैठक में विचार विमर्श किया गया।

बैठक में बताया गया कि धौलपुर मचकु ण्ड वनविहार का प्रबंधन, तालछापर वन्य अभयारण्य की तर्ज पर पीपीपी मोड़ पर करने की योजना है। इसके लिए वन विभाग को शीघ्र कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए।

बैठक में जयपुर के रवीन्द्र रंगमंच तथा अलबर्ट हॉल के रख-रखाव एवं इन्हें और खूबसूरत बनाने व आमेर किले के आस-पास हुए अव्यवस्थित निर्माण को नियंत्रित करने पर भी चर्चा हुई। बैठक में विरासत संरक्षक माला सिंह, मुख्यमंत्री सलाहकार परिषद् की सदस्य मीरा महर्षि, प्रमुख शासन सचिव वित्त सुभाष गर्ग, प्रमुख शासन सचिव पर्यटन एस.के. अग्रवाल एवं पुरातत्व एवं पर्यटन विभाग के निदेशक सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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सरकार ने 21 हजार करोड़ की रक्षा खरीद को मंजूरी दी



नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने शनिवार को रक्षा क्षेत्र में बडे फैसलों की धमाकेदार शुरूआत करते हुए 21 हजार करोड़ के रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दे दी जिसमें जंगी पोतों, गश्ती जहाजों, स्वदेशी हेलीकाप्टरों और निजी क्षेत्र में सैन्य विमान के निर्माण की पहलकदमी भी शामिल है।
Govt gives go ahead to defence deals worth 21 thousand crores
रक्षा मंत्री अरूण जेटली की अध्यक्षता में रक्षा खरीदारी परिषद (डीएसी) की तीन घंटे चली पहली मैराथन बैठक में इन खरीद प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई। ये प्रस्ताव करीब छह महीने से लटके हुए थे क्योंकि डीएसी की बैठक फरवरी के बाद से बुलाई ही नहीं गई थी।

तीनों सैन्य प्रमुखों के अलावा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के प्रमुख और शीर्ष रक्षा अधिकारियों की मौजूदगी में जेटली ने जिन खरीदारियों को मंजूरी दी उन पर स्वदेशी का ठप्पा है और अधिकांश उपकरण देश में ही बनाए जाएंगे। इन सौदों में पंद्रह पोतों, 32 हेलीकॉप्टरों और 56 परिवहन विमानों के प्रस्ताव शामिल हैं।

पोकरण में दो बच्चो की डूबने से मौत

पोकरण में दो बच्चो की डूबने से मौत

जैसलमेर जिले के पोकरण उपखंड में नाडी में डूबने से दो मासूम बच्चों की मौत हो गई। सूत्रानुसार दोनॊ बच्चे भाई बहिन थे।

बाड़मेर दबंग आयुक्त ने बदली शहर की फ़िज़ा ,करोडो की जमीन अतिक्रमण मुक्त कराई

बाड़मेर दबंग आयुक्त ने बदली शहर की फ़िज़ा ,करोडो की जमीन अतिक्रमण मुक्त कराई


बाड़मेर शहर में लम्बे अरसे बाद युवा आयुक्त जोधाराम विश्नोई ने अतिकर्मियो को आँखे दिखाई ,वर्ना बाड़मेर में आयुक्तों से मेल मिलाप कर भूमाफिया अपना कारोबार बड़झा ही रहे थे जिसमे आयुक्तों की चंडी खूब हुई ,मगर नए नियुक्त आयुक्त ने शुक्रवार को शहर से करोडो रुपयो की सरकारी जमीन अतिक्रमण मुक्त करा बाड़मेर की जनता को भूमाफियो से राहत दी ,बाड़मेर की जनता को लम्बे अरसे बाद ऊर्जावान और निष्ठावान आयुक्त मिला। जोधाराम विश्नोई के पदभार ग्रहण से पहले नगर परिषद नरक परिषद बन गया था उनके पदभार ग्रहण के दस दिन बाद ही बाड़मेर शहर की गलियो में सफाई कर्मी दिखने लगे बाकायदा काम करते हुए ,नलियो और सडको की सफाई हुए अरसा बीत गया था ,बच्छो के लिए एक मात्र बगीचा महावीर पार्क में विकास कार्य शुरू होना बड़ी उपलब्धि हह। नए आयुक्त से बाड़मेर की जनता को अपेक्षाएं हैं जिन पर वो खरा उतरेंगे ,बाड़मेर शहर विकास के मामले में काफी पिछड़ा हैं ऐसा नहीं की विकास कार्य , विकास के करोडो रुपये के काम कागजो में पूर्ण हो गए ,कच्ची बस्तिया आज भी विकास को तरस रही हैं। शहर में अँधेरे का राज हैं ,आयुक्त शहर का भरमन करते हुए दिखे हैं अच्छा लगा ,जब अधिकारी अच्छा प्रशासक हो कार्मिक अपने आप सुधरते हैं ,मगर आयुक्त उन कार्मिको सेबचे जो आयुक्त को अपने आप में ढाल देने की कला में माहिर हैं।


बाड़मेर शहर में अभी काफी सरकारी जमीनो पर भूमाफियो का कब्ज़ा हैं ,इन कब्जो को हटाने का सहस भी दिखाना होगा ,महावीर नगर जैसे इलाके में दो करोड़ का सरकारी भूखंड अतिकर्मियो के कब्ज़े में हैं। ऐसे कई उदहारण हैं। खैर आशा हे सब अच्छा होगा ,


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बाड़मेर सिवाना से छीना बायतु को दिया महाविद्यालय

बाड़मेर सिवाना से छीना बायतु को दिया महाविद्यालय 
Raje govt shuts 13 colleges opened by Gehlot govt
जयपुर। आखिरकार राज्य सरकार ने पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार के चुनावी कॉलेजों पर ताला लगा ही दिया। गहलोत सरकार के आखिरी बजट में खोले गए 13 कॉलेजों के भविष्य को लेकर लंबे समय से ऊहापोह की स्थिति चल रही थी। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शुक्रवार को बजट बहस का जवाब देते हुए आनन-फानन में खोले गए 13 कॉलेजों को बंद करने की घोष्ाणा की दी।

सीएम ने कहा कि गहलोत सरकार ने इन कॉलेजों की घोष्ाणा अगस्त 2013 में की थी। इसलिए इन्हें श्ौक्षणिक सत्र 2014-15 से शुरू करना संभव नहीं है। क्योंकि कॉलेजों के लिए न तो भवन है और न ही स्टाफ। मुख्यमंत्री ने जिन चार नए कॉलेजों की घोष्ाणा की वे चूरू के राजगढ़, राजसमंद के देवगढ़, उदयपुर के झाड़ौल और बाड़मेर के बायतू में खोले जाएंगे। गौरतलब है कि बंद किए गए 13 कॉलेजों में राजगढ़ और देवगढ़ शामिल हैं। अब इन जगहों पर पुरानों की जगह नए कॉलेज खोले जाएंगे।

इन कॉलेजों पर लगा ताला
बंद किए गए कॉलेजों में राजकीय महाविद्यालय मांगरोल, कोलायत, डूंगरगढ़, खाजूवाला, राजगढ़, सिवाना, पहाड़ी, कामां, जहाजपुर, कुम्भलगढ़, सांचौर, देवगढ़ व राजकीय कन्या महाविद्यालय चूरू, शामिल हैं। जबकि धौलपुर के राजकीय कन्या महाविद्यालय व राजकीय महाविद्यालय बाड़ी को इसी श्ौक्षणिक सत्र से शुरू किया गया है।

मंत्री नहीं बचा पाए अपने कॉलेज
चिकित्सा मंत्री राजेन्द्र राठौड़ के विधानसभा क्षेत्र चूरू के राजकीय कन्या महाविद्यालय को बंद कर दिया गया है। इसी तरह कृçष्ा मंत्री प्रभुलाल सैनी के विधानसभा क्षेत्र अंता के राजकीय महाविद्यालय मांगरोल पर भी ताला लगा दिया गया। प्रभुलाल सैनी क्षेत्र की जरूरत को देखते हुए मांगरोल कॉलेज को शुरू करने की मांग कर रहे थे।

दो कॉलेजों को रखा बरकरार
अशोक गहलोत सरकार के समय खोले गए चूरू के राजगढ़ व राजसमंद के देवगढ़ तहसील मुख्यालय पर खोले गए कॉलेजों को बरकरार रखा गया है।

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रोडवेज नहीं होगा बंद-मुख्यमंत्री

जयपुर। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने रोडवेज को बंद करने और बस अड्डों का निजीकरण करने की आशंकाओं के बीच भरोसा दिलाया कि रोडवेज को बंद नहीं किया जाएगा और न हीं इसके कर्मचारियों की नौकरी पर कोई विपरीत प्रभाव पड़ेगा। राजे ने शुक्रवार को विधानसभा में बजट पर बहस का जवाब देते हुए कहा कि सरकार का उद्देश्य रोडवेज के हालात सुधार कर इसे लाभ की स्थिति में लाना है। उन्होंने कहा कि रोडवेज को बंद करने और बस अड्डों के निजीकरण की आशंकाएं आधारहीन एवं तथ्यों से परे हैं।
Roadways not will be closed-CM

आरएसआरटीसी को बंद करने का कोई कार्यक्रम नहीं हैं। सरकार आरएसआरटीसी को और सशक्त बनाना चाहते हैं। आम जनता को सुगम एवं सुरक्षित परिवहन सेवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक योजनाबद्ध रिफॉर्म लिंक्ड असिस्टेंस प्रोग्राम के तहत डि नेशनलाइजेशन किया जा रहा है। साथ ही राजस्थान स्टेट बस पोर्ट सर्विसेज कॉर्पोरशेन गठित कर रहे हैं। यह कॉर्पोरेशन एक पब्लिक सेक्टर अण्डरटेकिंग होगा, जिसको निजी हाथों में नहीं दिया जाएगा। राज्य परिवहन निगम भी अपनी ऑपरेशनल परफॉरमेंस सुधारने के उद्देश्य से अपनी बस फ्लीट में वृद्धि भी कर सकेगा एवं अपनी सेवाओं को प्रतिस्पर्घा माहौल में बेहतर बनाएगा, जिससे लोगों को सड़क परिवहन में सुरक्षा और सुगमता रहेगी।

आरएसआरटीसी को घाटे की स्थिति से उबारने के लिए बस स्टैण्ड की भूमियों की एवज में अतिरिक्त अंश पूंजी दी जाएगी। इस साल 360 करोड़ रूपए की अंश पूंजी देने का प्रावधान किया गया है। रिफॉर्म लिंक्ड असिस्टेंस कार्यक्रम के तहत आरएसआरटीसी की ऑपरेशनल परफॉरमेंस और प्रोफेटिब्लिटी सुधारी जाएगी। सरकार आरएसआरटीसी को घाटे की स्थिति से उबारने के लिए 10 करोड़ प्रतिमाह की सहायता भी देगी। नई बसों की खरीद पर कोई रोक नहीं हैं। आरएसआरटीसी सरकार की स्वीकृति लेकर नई बसें खरीद सकती है।  

देह व्यापार के लिए बदनाम गांव में नई परंपरा



अहमदाबाद।। गुजरात के वाडिया गांव में सरानिया समुदाय की लड़कियों की सामूहिक शादी कराई जाएगी ताकि यहां की महिलाओं के जीवन में सामाजिक क्रांति लाई जा सके। इस गांव में परिवार की आजीविका की खातिर देह व्यापार करने की 'परंपरा' है।

एनजीओ विचारत समुदाय समर्थन मंच (वीएसएसएम) की पांच साल की कोशिशों के बाद लड़कियों का सामूहिक विवाह का आयोजन किया गया । एनजीओ समन्वयक मित्तल पटेल ने बताया, 'शादी का मतलब है कि युवतियों को देह व्यापार के परंपरागत धंधे से बचाया जाएगा। यहां चलन है कि एक बार अगर लड़की की सगाई हो जाए या विवाह हो जाए, तो उसे देह व्यापार के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।'

 वाडिया बनासकांठा जिले के थारड ब्लॉक का एक छोटा सा गांव है, जहां गैर अधिसूचित जनजाति में आने वाले सरानिया समुदाय के लोग रहते हैं। इस गांव की महिलाएं पीढ़ियों से परिवार की आजीविका के लिए देह व्यापार करती रही हैं। अक्सर इस गांव को 'देह व्यापार करने वाली महिलाओं का गांव' भी कहा जाता है।



इस समुदाय की महिलाएं सामाजिक दबाव और गरीबी के चलते जहां इस धंधे में आने को मजबूर होती हैं, वहीं कई बार उन्हें जबरन देह व्यापार के धंधे में उतार दिया जाता। परिवार के पुरुष अक्सर महिलाओं की आमदनी पर गुजारा करते हैं और उनके लिए ग्राहक भी लाते हैं। पटेल ने कहा, 'सामूहिक विवाह से इस समुदाय की महिलाओं के लिए सामाजिक क्रांति आ सकती है, साथ ही पीढ़ियों से चली आ रही एक गलत परंपरा का अंत भी हो जाएगा।'

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वीएसएसएम के सदस्यों ने सरानिया समुदाय के युवकों को भी समझाया है कि वे विश्वास जगा कर युवतियों से विवाह करें। समझा जाता है कि गांव में करीब 100 महिलाएं देह व्यापार से जुड़ी हैं। पटेल ने कहा, 'हमने उनसे यह नहीं कहा है कि वह गलत कर रही हैं। वह बहुत मुश्किल से दो वक्त की रोटी जुटा पाती हैं। हमने तो उन्हें आजीविका के अन्य विकल्प बताए हैं। 

सरकार ने भी सरानिया समुदाय की महिलाओं के लिए पुनर्वास कार्यक्रमों का वादा किया है।

गौरतलब है कि सरानिया समुदाय वास्तव में राजस्थान का रहने वाला है। माना जाता है कि उनके वंशज शाही सेनाओं के लिए हथियार बनाते थे और शस्त्रों की देखरेख भी करते थे। चूंकि सेना को अक्सर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना पड़ता था, इसलिए सरानिया समुदाय भी उनके साथ-साथ जाता था। गुजरात पहुंचने के बाद इस समुदाय ने चाकू-छुरे की धार तेज करने का काम अपना लिया और उन्हें 'सरन' नाम दिया गया। 'सरन' चाकू-छुरे की धार तेज करने के लिए प्रयुक्त होने वाला औजार है।