भगवान विष्णु लक्ष्मीपति और श्रीपति भी पुकारे जाते हैं। सभी मंगलों के स्वामी, ऐश्वर्यसंपन्न और शांन्तिस्वरूप देवता होने के कारण भगवान विष्णु की भक्ति जगत के लिए कल्याणकारी है। खासतौर पर धार्मिक मान्यता है कि विष्णु की प्रसन्नता से देवी लक्ष्मी कृपा भी बरसने लगती है।
यही कारण है कि देवी उपासना के विशेष दिन शुक्रवार को भगवान विष्णु की उपासना का महत्व है। इसी क्रम में एक विशेष विष्णु मंत्र सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य पाने की कामना को शीघ्र पूरा करने वाला माना गया है। यहीं नहीं इस प्रभावी विष्णु मंत्र के स्मरण से रोगमुक्ति व सभी ग्रहदोषों की शांति भी हो जाती है।
- सुबह स्नान के बाद देवालय में भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगा जल से स्नान कराकर सुंदर पोषाक व आभूषण पहनाएं।
- भगवान विष्णु की केसर चन्दन, पीले सुगंधित फूल, पीताम्बरी रेशमी वस्त्र, इत्र, यज्ञोपवीत अर्पित करें। नैवेद्य, धूप व दीप लगाकर नीचे लिखें विष्णु मंत्र का कम से कम 108 बार पीले आसन पर बैठकर सुख-शांति, समृद्धि की कामना से स्मरण करें -
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीधराय विष्णवे नम:।
- भगवान विष्णु के इस मंत्र जप के बाद विष्णु की आरती कर उनको स्नान कराए जल का चरणामृत के रूप में ग्रहण करें।
यही कारण है कि देवी उपासना के विशेष दिन शुक्रवार को भगवान विष्णु की उपासना का महत्व है। इसी क्रम में एक विशेष विष्णु मंत्र सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य पाने की कामना को शीघ्र पूरा करने वाला माना गया है। यहीं नहीं इस प्रभावी विष्णु मंत्र के स्मरण से रोगमुक्ति व सभी ग्रहदोषों की शांति भी हो जाती है।
- सुबह स्नान के बाद देवालय में भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगा जल से स्नान कराकर सुंदर पोषाक व आभूषण पहनाएं।
- भगवान विष्णु की केसर चन्दन, पीले सुगंधित फूल, पीताम्बरी रेशमी वस्त्र, इत्र, यज्ञोपवीत अर्पित करें। नैवेद्य, धूप व दीप लगाकर नीचे लिखें विष्णु मंत्र का कम से कम 108 बार पीले आसन पर बैठकर सुख-शांति, समृद्धि की कामना से स्मरण करें -
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीधराय विष्णवे नम:।
- भगवान विष्णु के इस मंत्र जप के बाद विष्णु की आरती कर उनको स्नान कराए जल का चरणामृत के रूप में ग्रहण करें।