नई दिल्ली।। सेंट्रल यूनिवर्सिटीज में रिजर्वेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। सेंट्रल यूनिवर्सिटीज ऐडमिशन में ओबीसी कटऑफ लिस्ट जनरल कटऑफ से 10 फीसदी से नीचे नहीं हो सकती।
जस्टिस आर वी रविन्द्रन की बेंच ने यह फैसला देते हुए कहा कि ओबीसी कैटिगरी के स्टूडेंट्स को एडमिशन देने का क्राइटीरिया यह नहीं होना चाहिए कि जनरल कैटिगरी के आखिरी कैंडिडेट के मार्क्स कितने थे।
इस बाबत उपरोक्त आदेश जारी करते हुए बेंच ने यह साफ कर दिया कि इस शैक्षणिक सत्र के लिए किए गए अब तक के एडमिशन्स पर इस फैसले का असर नहीं पड़ेगा। अदालत ने यह फैसला आईआईटी मद्रास के पूर्व प्रफेसर पी वी इंदरसेन द्वारा फाइल की गई पिटिशन पर दिया है। इंदरसेन ने यह पिटिशन दिल्ली हाई कोर्ट के जजमेंट को चैंलेंज करते हुए दायर की थी जिसमें कहा गया था कि ओबीसी कैटिगरी के लिए तय कट ऑफ जनरल कैटिगरी के लिए तय की गई आखिरी कट ऑफ से 10 परसेंट से कम होनी चाहिए।
याचिका में कहा गया कि दिल्ली यूनिवर्सिटीज और जेएनयू के पैमानों में काफी अंतर है। याचिका में कहा गया कि ओबीसी कोटा के तहत होने वाले एडमिशन्स में कुछ विसंगतियां हैं जिन्हे दुरुस्त किया जाना चाहिए।
जस्टिस आर वी रविन्द्रन की बेंच ने यह फैसला देते हुए कहा कि ओबीसी कैटिगरी के स्टूडेंट्स को एडमिशन देने का क्राइटीरिया यह नहीं होना चाहिए कि जनरल कैटिगरी के आखिरी कैंडिडेट के मार्क्स कितने थे।
इस बाबत उपरोक्त आदेश जारी करते हुए बेंच ने यह साफ कर दिया कि इस शैक्षणिक सत्र के लिए किए गए अब तक के एडमिशन्स पर इस फैसले का असर नहीं पड़ेगा। अदालत ने यह फैसला आईआईटी मद्रास के पूर्व प्रफेसर पी वी इंदरसेन द्वारा फाइल की गई पिटिशन पर दिया है। इंदरसेन ने यह पिटिशन दिल्ली हाई कोर्ट के जजमेंट को चैंलेंज करते हुए दायर की थी जिसमें कहा गया था कि ओबीसी कैटिगरी के लिए तय कट ऑफ जनरल कैटिगरी के लिए तय की गई आखिरी कट ऑफ से 10 परसेंट से कम होनी चाहिए।
याचिका में कहा गया कि दिल्ली यूनिवर्सिटीज और जेएनयू के पैमानों में काफी अंतर है। याचिका में कहा गया कि ओबीसी कोटा के तहत होने वाले एडमिशन्स में कुछ विसंगतियां हैं जिन्हे दुरुस्त किया जाना चाहिए।
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