रोहिड़ा(सिरोही)। गांव वालोरिया में अंधविश्वास के चलते डेढ़ साल के एक मासूम को बुखार और उल्टी दस्त होने पर गर्म सलाखों से दागने का मामला सामने आया है। इसके बाद बच्चे की स्थिति बिगड़ने पर परिजन उसे अस्पताल ले गए, जहां उसकी स्थिति को देखते हुए उसे रोहिड़ा के सरकारी अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया। यहां उसकी स्थिति में सुधार है।
मौसमी बीमारी से गत दिनों हुई चार मौतें : वालोरिया गांव में गत दिनों मौसमी बीमारी से चार मौतें भी हो चुकी हैं। क्षेत्र में मौसमी बीमारी फैलने के बाद मेडिकल विभाग अलर्ट हुआ। विभाग ने वालोरिया की फलियों में सर्वे कर बीमारों की स्लाइड ली और उनका इलाज किया। वालोरिया व वासा गांव में अस्थाई अस्पताल खोलकर सभी प्रकार की दवाइयां उपलब्ध करवाई गईं।
आदिवासियों को नहीं है सरकारी अस्पताल पर भरोसा
आदिवासी क्षेत्र में ग्रामीण आज भी सरकारी अस्पताल को सिर्फ प्रसव करवाने का अस्पताल समझते हैं। इसका कारण है कि अस्पताल में प्रसव कराने पर सहायता राशि मिलती है। रोहिड़ा कस्बे सहित आसपास के वासा, वाटेरा, भीमाना में झोलाछाप डॉक्टरों की भी भरमार है।
इनका कहना है
गांव में अंधविश्वास चरम पर है। वहां शरीर को दाग कर इलाज किया जाता है। डेढ़ वर्षीय मासूम के शरीर पर दागने के निशान थे। अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया गया नहीं तो इसकी मौत हो सकती थी। इलाज के बाद बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार है। -डॉ. अशोक वर्मा, चिकित्सा अधिकारी, राजकीय अस्पताल, रोहिड़ा
रोहिड़ा के आदिवासी क्षेत्रों में मौसमी बीमारी को लेकर टीम काम कर रही है। स्थिति पर पूर्ण नियंत्रण है। अंधविश्वास को मिटाने के लिए मेडिकल टीम जागरूक भी करती है। -डॉ. सी. राम, ब्लॉक सीएमएचओ, पिंडवाड़ा
मौसमी बीमारी से गत दिनों हुई चार मौतें : वालोरिया गांव में गत दिनों मौसमी बीमारी से चार मौतें भी हो चुकी हैं। क्षेत्र में मौसमी बीमारी फैलने के बाद मेडिकल विभाग अलर्ट हुआ। विभाग ने वालोरिया की फलियों में सर्वे कर बीमारों की स्लाइड ली और उनका इलाज किया। वालोरिया व वासा गांव में अस्थाई अस्पताल खोलकर सभी प्रकार की दवाइयां उपलब्ध करवाई गईं।
आदिवासियों को नहीं है सरकारी अस्पताल पर भरोसा
आदिवासी क्षेत्र में ग्रामीण आज भी सरकारी अस्पताल को सिर्फ प्रसव करवाने का अस्पताल समझते हैं। इसका कारण है कि अस्पताल में प्रसव कराने पर सहायता राशि मिलती है। रोहिड़ा कस्बे सहित आसपास के वासा, वाटेरा, भीमाना में झोलाछाप डॉक्टरों की भी भरमार है।
इनका कहना है
गांव में अंधविश्वास चरम पर है। वहां शरीर को दाग कर इलाज किया जाता है। डेढ़ वर्षीय मासूम के शरीर पर दागने के निशान थे। अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया गया नहीं तो इसकी मौत हो सकती थी। इलाज के बाद बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार है। -डॉ. अशोक वर्मा, चिकित्सा अधिकारी, राजकीय अस्पताल, रोहिड़ा
रोहिड़ा के आदिवासी क्षेत्रों में मौसमी बीमारी को लेकर टीम काम कर रही है। स्थिति पर पूर्ण नियंत्रण है। अंधविश्वास को मिटाने के लिए मेडिकल टीम जागरूक भी करती है। -डॉ. सी. राम, ब्लॉक सीएमएचओ, पिंडवाड़ा
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