शनिवार, 13 अगस्त 2011

सरहद पर झमाझम

सरहद पर झमाझम
बाड़मेर। पश्चिमी सरहद के गांवों में झमाझम बारिश की ऎसी सरगम छिड़ी की धोरा धरती तरबतर हो गई। गडरारोड और रामसर क्षेत्र के गांवों मे अच्छी बारिश ने किसानों व पशुपालकों के चेहरे खुश कर दिए है। सीमावर्ती क्षेत्र कई दिनों से बारिश का इंतजार कर रहा था। सावन मेे भी धोरों में धूल उड़ रही थी। शुक्रवार को मौसम पलटा। पश्चिमी सरहद के गांवों में आज दिन में डेढ़ घंटा तक हुई बारिश ने धोरा धरती में पानी के नाले शुरू कर दिए। गडरारोड में 76 व रामसर में 74 मिमी बारिश दर्ज की गई है। शिव में 13 मिमी बारिश हुई।

धोरे ओढ़ेंगे धानी चुनर
बारिश ने धोरों की सुनहरी मिट्टी पर लालिमा ला दी है। आने वाले कुछ ही दिनों में धोरों पर धानी चुनर ओढ़ लेंगे। ऎसे मेे संपूर्ण थार की तस्वीर ही बदलने वाली है।

शिव. दशकों से मूलभूत सुविधाओं से वंचित एवं सावन मास के अन्तिम दिनों तक बारिश की एक-एक बूंद के मोहताज डीएनपी के वाशिन्दों को शुक्रवार को मूसलाधार बारिश का तोहफा मिला।

सुबह करीब साढ़े सात शुरू हुई मूसलाधार बारिश करीब तीन घण्टे चली उसके बाद दोपहर तक बूंदाबांदी चलती रही।
मूंगेरिया, लाखा, बालासर, जुडिया, झणकली, हरसाणी, गडरारोड, गिराब, असाडी, उनरोड, खबडाला, राणासर, खानियानी, बन्धड़ा एवं बिजावल सहित आसपास के कई गांवों में जोरदार बारिश हुई है।

अवैध शराब से भरा ट्रक पकड़ा

अवैध शराब से भरा ट्रक पकड़ा

बालोतरा। मंडली पुलिस ने मेगा स्टेट हाइवे पर नाकाबंदी के दौरान शुक्रवार देर शाम एक ट्रक से भारी मात्रा में हरियाणा निर्मित अवैध अंग्रेजी शराब बरामद कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ट्रक में अवैध शराब के सैकड़ों कार्टन लदे हुए थे।

पुलिस उप अधीक्षक रामेश्वरलाल मेघवाल के अनुसार हाइवे पर लूट की घटनाओं के बाद पुलिस द्वारा नियमित रूप से शाम के समय की जा रही नाकाबंदी के दौरान शुक्रवार देर शाम यहां से गुजरने वाले सभी वाहनों की जांच की जा रही थी। मंडली थाना प्रभारी रेवंतसिंह भाटी मय जाप्ता ने पंजाब से गुजरात की तरफ जा रहे एक ट्रक की तलाशी ली।

ट्रक में अवैध अंग्रेजी शराब के सैकड़ों कार्टन भरे पाए गए। हरियाणा से रवाना हुआ शराब से भरा यह ट्रक गुजरात की तरफ ले जाया जा रहा था। पुलिस ने अवैध शराब परिवहन के आरोप में प्रतापसिंह पुत्र रामगोपाल व मुकेश पुत्र धर्मपाल निवासी झझर हरियाणा तथा मालाराम पुत्र जीयाराम निवासी भाडखा बाड़मेर को गिरफ्तार कर शराब से भरे ट्र्रक को बरामद कर आबकारी अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया।

कन्या वध का कलंक धोने में जुटे युवा


कन्या वध का कलंक धोने में जुटे युवा
बाडमेर बाडमेर जैसलमेर जिलों की सरहद पर बसे देवडा गांव में अब किसी भाई की कलाई सूनी नही हैं।कई सदियों तक इस गांव के ठाकुरों के परिवारों में किसी कन्या का जन्म नही होने दिया,मगर बदलाव और जागरूकता की बयार के चलतें इस गांव में अब हर आंगन बेटी की किलकारियॉ गूॅज रही हैं।इस गांव के भाईयों की कलाईयॉ सदियों तक सूनी रही।सामाजिक परम्पराओं और कुरीतियों के चलते इस गॉव सहित आसपास के दर्जनों गांवों सिंहडार,रणधा,मोडा,बहिया,कुण्डा,गजेसिंह का गांव,तेजमालता,झिनझिनियाली,मोघा,चेलक में कन्या के जन्म लेते ही उसें मार दिया जाता था।जिसके चलतें ये गांव बेटियों से वीरान थे।कोई एक दशक पहलें गांव में ठाकुर इन्द्रसिह के घर पहली बारात आई थी।जो पूरे देश में सूर्खियों में छाई थी।



अब इस गांव में शिक्षा तथा सामाजिक जागरूकता के चलतें बेटियों को बडे नाज से पाला जा रहा हैं।इस गांव के हर परिवार में बेटी हैं।गांव की जागरूकता की सबसे बडी मिशाल हैं।इस गांव में उच्च प्राथमिक स्तर का विद्यालय है।पांच साल पहले इस विद्यालय में एक भी बेटी का नामांकन नही था।आज इस विद्यालय में लगभग 35 बालिकाऐं शिक्षित हो रही हैं।विद्यालय के प्रधानाध्यापक देवाराम मेघवाल ने बताया कि इतना बदलाव नई पी के युवाओं के शिक्षित होने तथा शहरी माहौल में रहने के कारण आया हैं।गांव के युवा शिक्षित हो गयें सरकारी सेवाओं के साथ,वकालात,व्यापार में आ गयें।



इस गांव के बुजुर्ग मलसिंह भाटी ने बताया कि विभाजन से पहले जैसलमेर के इन गांवों में अफगानी आताताइयों का आंतक था।अफगानी हुर लडकियों को उठा कर ले जाते थे।इसी से बचने के लिऐं भाटीयों के 12 गांवों ने सामुहिक निर्णय किया था कि घर में कन्या का जन्म नहीं होने देंगें।इसके बाद इसने कुप्रथा का जन्म ले लिया।सदियों तक इन गांवों में कन्या का जन्म होने नही दिया।रक्षा बन्धन का पता गांव में तब लगता जब शहर से ब्राहमण राखी बांधने गांव आता।अब बदलाव की बयार चल पडी हैं कि सिंहडार में 20,देवडा में 43,बहिया में 30 कन्याऐं घरों की रोशनी बा रही हैं।बहुत खुशी होती कि लक्ष्मी रूप कन्याऐं हमारे आंगन की शोभा बा रही हैं।



शहरी क्षैत्र का सकारात्मक प्रभाव के कारण आज घरों में कन्याऐं बडें नाज से पल रही हैं।पंचायत समिति के पूर्व सदस्य दुर्जनसिंह भाटी नें बताया कि सामाजिक जागरूकता और शिक्षा के कारण गांव में कुरीतियों का अन्त हो गया।जिन घरों में सदियों से बालिकाऐं नही थी,उन घरों के ऑगन बेटियों की खुश्बु से महक रहें हैं। हमारी कलाईयों पर कभी राखी नही बंधी।हमारी कलाईयॉ आज भी सूनी हैं।मगर आज की पी के हर भाई की कलाई पर राखी सजती हैे।



इस गांव की बुजुर्ग महिला श्रीमति हरखा कंवर ने बताया कि दस साल पहले तक इस गांव में राखी का त्यौहार मनाया ही नही जाता था क्योकि बहनें थी ही नहीं।अब हर घर में कन्या होने के कारण विशोष रूप से राखी सामुहिक रूप से मनाया जाता हैं।अब पुरानी बातें काला इतिहास हो गयी।अब नई उम्र की नइ र्फुसलें हैं।जी सोरो होवे जदै छोरियों नें स्कूल जावते देखा।गांव में आया बदलाव कन्या वघ के कलंक को धोने के लियें काफी हैं।यह बदलाव केवल देवडा गांव में ही नही अपितु आसपास के सभी उन गांवों में आया हैं,जहॉ कन्या को जन्म लेते ही मारने की कुर्प्रथा थीा।इन गांवों में रक्षा बन्धन का पर्व बडी धूमधाम से मनायार जाता हैं।परम्परागत रूप से मांगणियार गाने बजाने आते हैं ,हशी खुशी से बहनें भाइयों के राखी बांधती हें।कल तक कन्याओं के वध करने वाले हाथ आज बडे नाज से कन्याओं को पाठशाला शिक्षा के लिऐं भेजते हैं।सिहडार गांव की दिव्या सातवी कक्षामें तथा नेमु कंवर 9 वीं कक्षा में प रही हैं।

रक्षा बंधन



हिन्‍दू श्रावण मास (जुलाई-अगस्‍त) के पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला यह त्‍यौहार भाई का बहन के प्रति प्‍यार का प्रतीक है। इस दिन बहन अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती है और उनकी दीर्घायु व प्रसन्‍नता के लिए प्रार्थना करती हैं ताकि विपत्ति के दौरान वे अपनी बहन की रक्षा कर सकें। बदले में भाई, अपनी बहनों की हर प्रकार के अहित से रक्षा करने का वचन उपहार के रूप में देते हैं। इन राखियों के बीच शुभ भावनाओं की पवित्र भावना होती है। यह त्‍यौहार मुख्‍यत: उत्‍तर भारत में मनाया जाता है।

रक्षा बंधन का इतिहास हिंदू पुराण कथाओं में है। हिंदू पुराण कथाओं के अनुसार, महाभारत में, (जो कि एक महान भारतीय महाकाव्‍य है) पांडवों की पत्‍नी द्रौपदी ने भगवान कृष्‍ण की कलाई से बहते खून (श्री कृष्‍ण ने भूल से खुद को जख्‍मी कर दिया था) को रोकने के लिए अपनी साड़ी का किनारा फाड़ कर बांधा था। इस प्रकार उन दोनो के बीच भाई और बहन का बंधन विकसित हुआ था, तथा श्री कृष्‍ण ने उसकी रक्षा करने का वचन दिया था।

यह जीवन की प्रगति और मैत्री की ओर ले जाने वाला एकता का एक बड़ा पवित्र कवित्त है। रक्षा का अर्थ है बचाव, और मध्‍यकालीन भारत में जहां कुछ स्‍थानों पर, महिलाएं असुरक्षित महसूस करती थी, वे पुरूषों को अपना भाई मानते हुए उनकी कलाई पर राखी बांधती थी। इस प्रकार राखी भाई और बहन के बीच प्‍यार के बंधन को मज़बूत बनाती है, तथा इस भावनात्‍मक बंधन को पुनर्जीवित करती है। इस दिन ब्रा‍ह्मण अपने पवित्र जनेऊ बदलते हैं और एक बार पुन: धर्मग्रन्‍थों के अध्‍ययन के प्रति स्‍वयं को समर्पित करते हैं।

शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

Dhunki Full Video Song (HD) - "Mere Brother ki Dulhan" - Katrina Kaif - ...

निहत्थे को शूट करने वाले सैनिक को मृत्युदंड

निहत्थे को शूट करने वाले सैनिक को मृत्युदंड

कराची। पाकिस्तान की एक अदालत ने एक निहत्थे युवक सरफराज शाह को कुछ महीने पूर्व गोली मारने वाले पाकिस्तानी सैनिकों में से एक शाहिद जफर को शुक्रवार को सजा ए मौत सुनाते हुए छह अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

सरफराज के भाई ने इस फैसले पर संतोष जाहिर करते हुए कहा कि वह अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं। उसने इस दौरान इस मामले पर गौर फरमाने के लिए पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश का भी शुक्रिया अदा किया। हालांकि सरफराज के परिवार ने कहा है कि जब तक सभी दोषियों को उनके अंजाम तक नहीं पंहुचा दिया जाता तब तक उन्हें चैन नहीं नसीब होगा।

अदालत ने अपने निर्णय में मौत की सजा पाने वाले सैनिक पर दो लाख रूपए का जुर्माना भी लगाया। आजीवन कारावास का दंड भोगने वाले शेष छह दोषियों पर एक-एक लाख रूपए का जुर्माना लगाया गया। इन छह दोषियों में एक आम नागरिक और पांच सैनिक शामिल हैं।

उल्लेखनीय है कि एक पाकिस्तानी ठेकेदार ने सरफराज (22) पर चोरी करने का आरोप लगाते हुए इस वर्ष आठ जून को उसे पाकिस्तानी अर्द्धसैनिक बल के इन सैनिकों के हवाले कर दिया था। सैनिकों ने सरफराज को दो बार गोली मारी थी और इसके बाद भी उसे अस्पताल में दाखिल नहीं कराया और जख्मी हालत में मरने के लिए छोड़ दिया। कुछ देर बाद सरफराज की मौत हो गई थी।

घटनास्थल पर मौजूद एक टेलीवीजन कैमरामैन ने इस पूरी घटना को फिल्मा लिया था जिसे बाद में दुनिया भर के टेलीवीजन चैनलो ने प्रसारित किया। इस मामले को पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने खुद से ही संज्ञान में लेते हुए तीस दिन में इस पर अंतिम फैसला लेने का आदेश जारी किया था।

इसमें अभियोजन पक्ष ने 46 गवाहों के नामों को अदालत में पेश किया था। इस घटना के बाद पाकिस्तान में मानवाधिकारों की खराब स्थिति एक बार पुन: उजागर हुई थी और विश्वमंच पर उसकी काफी किरकिरी हुई थी।

माउंटआबू में बस खाई में गिरी, 15 मरे

माउंटआबू में बस खाई में गिरी, 15 मरे 
 


माउंट आबू। राजस्थान के सिरोही जिले स्थित पर्वतीय पर्यटन स्थल माउंट आबू में शुक्रवार देर शाम यात्रियों से भरी बस खाई में गिरने से 15 की मौत हो गई। 41 जने घायल हो गए।


सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार यात्रियों से भरी गुजरात रोडवेज की यह बस माउंट आबू से नीचे लौटते समय में छीपाबेरी के पास उतार पर 200 फीट गहरी खाई में जा गिरी।

आबूरोड सदर थानाधिकारी किशनसिंह राजावत के अनुसार गुजरात रोडवेड की बस माउण्ट आबू से करीब पंद्रह किलोमीटर दूर छीपाबेरी के निकट असंतुलित होकर खाई में गिर गई। हादसे में 15 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।

मृतकों में आबूपर्वत के माचगांव निवासी मधुबेन, श्रीमती चंद्रा व मांगीलाल, बगड़ी (पाली) निवासी दिग्विजयसिंह, लाडपुरा (सरूपगंज) निवासी मालाराम तथा माउण्ट आबू के सीओ कार्यालय में कार्यरत कांस्टेबल उम्मेदसिंह निवासी जोगापुरा (शिवगंज) की शिनाख्त हो चुकी है। शेष मृतकों की शिनाख्त जारी है।

मौके पर राहत एवं बचाव कार्य में लगेे सीआरपीएफ के जवान और पुलिस प्रशासन को अब भी बस के नीचे कुछ शवों के दबे होने की आशंका है। सूत्रों के अनुसार माउंट आबू से अहमदाबाद जा रही यह बस बारिश के कारण असंतुलित होकर खाई में गिर गई।

जैसलमेर बेटी बचाओ अभियान के लिए आदर्श बने कन्या वध वाले बसिया क्षेत्र के गांव ,सरकार आदर्श गांव घोषित करे


जैसलमेर बेटी बचाओ अभियान के लिए आदर्श बने कन्या वध वाले बसिया क्षेत्र के गांव ,सरकार आदर्श गांव घोषित करे 

चन्दन सिंह भाटी

बाडमेर बाडमेर जैसलमेर जिलों की सरहद पर बसे देवडा सहित बसिया क्षेत्र के सत्रह गाँवो में अब किसी भाई की कलाई सूनी नही हैं।कई सदियों तक इस गांव के ठाकुरों के परिवारों में किसी कन्या का जन्म नही होने दिया,मगर बदलाव और जागरूकता की बयार के चलतें इस गांव में अब हर आंगन बेटी की किलकारियॉ गूॅज रही हैं।इस गांव के भाईयों की कलाईयॉ सदियों तक सूनी रही।सामाजिक परम्पराओं और कुरीतियों के चलते इस गॉव सहित आसपास के दर्जनों गांवों सिंहडार,रणधा,मोडा,बहिया,कुण्डा,गजेसिंह का गांव,तेजमालता,झिनझिनियाली,मोघा,चेलक में कन्या के जन्म लेते ही उसें मार दिया जाता था।जिसके चलतें ये गांव बेटियों से वीरान थे।कोई एक दशक पहलें गांव में ठाकुर इन्द्रसिह के घर पहली बारात आई थी।जो पूरे देश में सूर्खियों में छाई थी। बेटी बचाओ जागरूकता के लिए एक आदर्श उदहारण बने हे कन्या वध वाले गांव,


गांव के दुर्जन सिंह भाटी बेटी बचाओ अभियान के लिए पुरोधा साबित हुए ,उन्होंने अपनी बिटिया को उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए गांव से बाहर अन्य जिले में भेज आदर्श स्थापित किया तो अन्य परिवारों में जन जागरण का शंखनांद किया ,आज हर घर और स्कूल बेटी से रोशन हैं ,

उन्होंने बताया की कन्या वध का कलंक बीते समय की बात हुई ,बेटी बचाओ अभियान के लिए देश भर में इन गाँवो से अधिक कोई आदर्श गांव नही हो सकते ,राज्य सरकार को इन गाँवो को आदर्श गांव घोषित कर बालिकाओ के उच्च शिक्षा की व्यवस्था गाँवो में करने की पहल करनी चाहिए ,


कन्या भ्रूणहत्या के लिए बदनाम राजस्थान के देवड़ा गांव के युवकों की कलाई इस बार सूनी नहीं रहेगी। यहां की साठ से अधिक कन्याओं ने जात-पांत, ऊंच-नीच और भेदभाव से ऊपर उठकर गांव के 250 युवकों को राखी बांधने का संकल्प लिया है। इससे उन युवाओं के चेहरे में खुशी लौट आई है, जिनके बहनें नहीं हैं।

टेलीविजन में कन्या भू्रणहत्या के खिलाफ चल रहे सीरियलों को देखकर इन लड़कियों ने यह संकल्प लिया है। गांव की पूजा कंवर कहती हैं कि सगा भाई हो या दूर का रिश्तेदार, किसी की भी कलाई इस बार सूनी नहीं रहेगी। पूजा ने बताया कि हाल ही में गांव में बारात आई थी। यह इस इलाके में बहुत दिनों बाद देखने को मिला था।

गांव के मूल सिंह भाटी कहते हैं कि मेरे कई दोस्तों की बहनें हैं, लेकिन मैं अकेला महसूस करता था। इसलिए मूल सिंह उन जैसे कई लोग गांव की लड़कियों के इस फैसले खुश हैं। इस बार सब लोग इस त्योहार को पूरे उत्साह के साथ मनाएंगे।


जिला प्रमुख अंजना मेघवाल ने बताया कि गांव में शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के कारण कन्या भ्रूण हत्याकी कुप्रथा ख़त्म हो गयी हैं है। देवड़ा गांव की लड़कियों का यह फैसला कन्याओं की हत्या करने की मानसिकता में बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।मगर दुखद स्थति यह हे की अनपढ़ अभिभावक जागरूक होक बालिकाओ को पढना चाहते हैं मगर स्कूल में शिक्षक नही ,तीन से सात किलोमीटर दुरी पर स्कूल भेजने से पहले अभिभावकों को सुरक्षा का सोचना पड़ता हनन ,जिले की प्राथमिक स्कूल में करीब दो हजार पड़ रिक्त पड़े हैं ,कोई शक नही इन गाँवो में बेटियो के प्रति जबरदस्त जागरूकता आई हैं मगर सरकार सुविधाएं भी नही दे रही। नईमबली गांव के ग्रामीण स्कूल में अध्यापक लगाने के लिए रोज जिला मुख्यालय पर चक्कर काट रहे हैं ,कोई समाधान नही ,इन गाँवो को बालिका बचाओ अभियान के लिए आदर्श गांव सरकार को घोषित कर बालिकाओ को यही उच्च शिक्षा के लिए पैकेज देना चाहिए


देवड़ा गाँव में पुराणी कुरीतियों तो त्यागने का सिलसिला ठाकुर इन्दर सिंह ने किया जब सदियों बाद भाटी परिवार में पहली बार बारात आई ,इन सालो साल में गाँव में बदलाव की बयार हें आज गाँव में चार दर्जन से अधिक बालिकाए हें जो भाटी परिवारों की हें ,

कन्या हत्या के लिए बदनाम रहा देवड़ासहित सत्रह गांवों के लोगो ने कन्या वध के कलंक को धोने की ठान ली हें . वे अब बालिकाओ को न केवल जन्म लेने दे रहे बल्कि उनको शिक्षा भी दिल रहे हैं ..बाड़मेर जैसलमेर की सरहद पर बसे बसिया क्षेत्र जो भाटी राजपूत बाहुल्य हें में बालिका शिक्षा के प्रति ज़बरदस्त जागरूकता आई हें .सरकारी स्कूलों में बड़ी तादाद में पढ़ रही बालिकाए सुखद बदलाव को ब्यान करती हें.

सिह्डार गाँव के दुर्जन सिंह भाटी ने बताया की ग्रामीण क्षेत्रो में अब पुरानी परम्पराए लगभग ख़तम सी हो गई हें आज बालिका हर राजपूत के घर में हें मेरे खुद की दो बालिकाए दिव्या कंवर प्रथम वर्ष तथा नेमु कंवर दशवीकक्षा में हें जो उच्चतर कक्षाओ में बाहर जिलो में पढ़ती हें .


रक्षा बन्धन पे गांव आई दिव्या सिंह भाटी ने बताया की विद्यावाडी  खीमेल पाली में अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं ,पिछली कक्षा में पिचानवे प्रतिशत अंको के साथ उतीर्ण हुई ,अब में अपना ध्यान आर्मी में आने के लिए शिक्षा पर केंद्रित कर रही हूँ ,मुझे आर्मी अफसर बनाना हैं


अब इन गाँवो के भाइयो की कलाइयां सुनी नहीं रहती















अब इन गाँवो के भाइयो की कलाइयां सुनी नहीं रहती
बाडमेर बाडमेर जैसलमेर जिलों की सरहद पर बसे देवडा गांव में अब किसी भाई की कलाई सूनी नही हैं।कई सदियों तक इस गांव के ठाकुरों के परिवारों में किसी कन्या का जन्म नही होने दिया,मगर बदलाव और जागरूकता की बयार के चलतें इस गांव में अब हर आंगन बेटी की किलकारियॉ गूॅज रही हैं।इस गांव के भाईयों की कलाईयॉ सदियों तक सूनी रही।सामाजिक परम्पराओं और कुरीतियों के चलते इस गॉव सहित आसपास के दर्जनों गांवों सिंहडार,रणधा,मोडा,बहिया,कुण्डा,गजेसिंह का गांव,तेजमालता,झिनझिनियाली,मोघा,चेलक में कन्या के जन्म लेते ही उसें मार दिया जाता था।जिसके चलतें ये गांव बेटियों से वीरान थे।कोई एक दशक पहलें गांव में ठाकुर इन्द्रसिह के घर पहली बारात आई थी।जो पूरे देश में सूर्खियों में छाई थी। 

कन्या भ्रूणहत्या के लिए बदनाम राजस्थान के देवड़ा गांव के युवकों की कलाई इस बार सूनी नहीं रहेगी। यहां की 42 लड़कियों ने जात-पांत, ऊंच-नीच और भेदभाव से ऊपर उठकर गांव के 250 युवकों को राखी बांधने का संकल्प लिया है। इससे उन युवाओं के चेहरे में खुशी लौट आई है, जिनके बहनें नहीं हैं।

गांव की 42 लड़कियों गांव के सभी लड़कों को सामूहिक राखी बांधने का फैसला किया है। भाटी राजपूतों के देवड़ा गांव के उत्तम सिंह ग्का कहना है कि यहां मौजूदा समय में बयालीस लड़कियां ही हैं। जबकि लड़के कई गुना ज्यादा हैं।

टेलीविजन में कन्या भू्रणहत्या के खिलाफ चल रहे सीरियलों को देखकर इन लड़कियों ने यह संकल्प लिया है। गांव की पूजा कंवर कहती हैं कि सगा भाई हो या दूर का रिश्तेदार, किसी की भी कलाई इस बार सूनी नहीं रहेगी। पूजा ने बताया कि हाल ही में गांव में बारात आई थी। यह इस इलाके में बहुत दिनों बाद देखने को मिला था।

गांव के मूल सिंह भाटी कहते हैं कि मेरे कई दोस्तों की बहनें हैं, लेकि न मैं अकेला महसूस करता था। इसलिए मूल सिंह उन जैसे कई लोग गांव की लड़कियों के इस फैसले खुश हैं। इस बार सब लोग इस त्योहार को पूरे उत्साह के साथ मनाएंगे। साम पंचायत समिति के सदस्य उमेद सिंह तंवर ने बताया कि गांव में शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के कारण कन्या भ्रूण हत्या में भारी गिरावट आई है। लेकिन अभी भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। उम्मीद है कि देवड़ा गांव की लड़कियों का यह फैसला कन्याओं की हत्या करने की मानसिकता में बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।देवड़ा गाँव में पुराणी कुरीतियों तो त्यागने का सिलसिला ठाकुर इन्दर सिंह ने किया जब सदियों बाद भाटी परिवार में पहली बार बारात आई ,छः साल में गाँव में बदलाव की बयार हें आज गाँव में तीन दर्जन से अधिक बालिकाए हें जो भाटी परिवारों की हें ,कन्या हत्या के लिए बदनाम रहा देवड़ा गाँव के लोगो ने कन्या वध के कलंक को धोने की ठान ली हें ..सामूहिक रक्षा बंधन मानाने का फैसला भी ग्रामीणों ने मिल कर लिया हें ..बाड़मेर जैसलमेर की सरहद पर बसे बसिया क्षेत्र जो भाटी राजपूत बाहुल्य हें में बालिका शिक्षा के प्रति ज़बरदस्त जागरूकता आई हें .सरकारी स्कूलों में बड़ी तादाम में पढ़ रही बालिकाए सुखद बदलाव को ब्यान करती हें.सिह्डार गाँव के दुर्जन सिंह भाटी ने बताया की ग्रामीण क्षेत्रो में अब पुरानी परम्पराए लगभग ख़तम सी हो गई हें आज बालिका हर राजपूत के घर में हें मेरे खुद की दो बालिकाए दिव्या कंवर तथा नेमु कंवर हें जो आठवी तथा दशवी में पढ़ती हें .अब इन गाँवो के भाइयो की कलाइयां सुनी नहीं रहती