शुक्रवार, 12 अगस्त 2011

अब इन गाँवो के भाइयो की कलाइयां सुनी नहीं रहती















अब इन गाँवो के भाइयो की कलाइयां सुनी नहीं रहती
बाडमेर बाडमेर जैसलमेर जिलों की सरहद पर बसे देवडा गांव में अब किसी भाई की कलाई सूनी नही हैं।कई सदियों तक इस गांव के ठाकुरों के परिवारों में किसी कन्या का जन्म नही होने दिया,मगर बदलाव और जागरूकता की बयार के चलतें इस गांव में अब हर आंगन बेटी की किलकारियॉ गूॅज रही हैं।इस गांव के भाईयों की कलाईयॉ सदियों तक सूनी रही।सामाजिक परम्पराओं और कुरीतियों के चलते इस गॉव सहित आसपास के दर्जनों गांवों सिंहडार,रणधा,मोडा,बहिया,कुण्डा,गजेसिंह का गांव,तेजमालता,झिनझिनियाली,मोघा,चेलक में कन्या के जन्म लेते ही उसें मार दिया जाता था।जिसके चलतें ये गांव बेटियों से वीरान थे।कोई एक दशक पहलें गांव में ठाकुर इन्द्रसिह के घर पहली बारात आई थी।जो पूरे देश में सूर्खियों में छाई थी। 

कन्या भ्रूणहत्या के लिए बदनाम राजस्थान के देवड़ा गांव के युवकों की कलाई इस बार सूनी नहीं रहेगी। यहां की 42 लड़कियों ने जात-पांत, ऊंच-नीच और भेदभाव से ऊपर उठकर गांव के 250 युवकों को राखी बांधने का संकल्प लिया है। इससे उन युवाओं के चेहरे में खुशी लौट आई है, जिनके बहनें नहीं हैं।

गांव की 42 लड़कियों गांव के सभी लड़कों को सामूहिक राखी बांधने का फैसला किया है। भाटी राजपूतों के देवड़ा गांव के उत्तम सिंह ग्का कहना है कि यहां मौजूदा समय में बयालीस लड़कियां ही हैं। जबकि लड़के कई गुना ज्यादा हैं।

टेलीविजन में कन्या भू्रणहत्या के खिलाफ चल रहे सीरियलों को देखकर इन लड़कियों ने यह संकल्प लिया है। गांव की पूजा कंवर कहती हैं कि सगा भाई हो या दूर का रिश्तेदार, किसी की भी कलाई इस बार सूनी नहीं रहेगी। पूजा ने बताया कि हाल ही में गांव में बारात आई थी। यह इस इलाके में बहुत दिनों बाद देखने को मिला था।

गांव के मूल सिंह भाटी कहते हैं कि मेरे कई दोस्तों की बहनें हैं, लेकि न मैं अकेला महसूस करता था। इसलिए मूल सिंह उन जैसे कई लोग गांव की लड़कियों के इस फैसले खुश हैं। इस बार सब लोग इस त्योहार को पूरे उत्साह के साथ मनाएंगे। साम पंचायत समिति के सदस्य उमेद सिंह तंवर ने बताया कि गांव में शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के कारण कन्या भ्रूण हत्या में भारी गिरावट आई है। लेकिन अभी भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। उम्मीद है कि देवड़ा गांव की लड़कियों का यह फैसला कन्याओं की हत्या करने की मानसिकता में बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।देवड़ा गाँव में पुराणी कुरीतियों तो त्यागने का सिलसिला ठाकुर इन्दर सिंह ने किया जब सदियों बाद भाटी परिवार में पहली बार बारात आई ,छः साल में गाँव में बदलाव की बयार हें आज गाँव में तीन दर्जन से अधिक बालिकाए हें जो भाटी परिवारों की हें ,कन्या हत्या के लिए बदनाम रहा देवड़ा गाँव के लोगो ने कन्या वध के कलंक को धोने की ठान ली हें ..सामूहिक रक्षा बंधन मानाने का फैसला भी ग्रामीणों ने मिल कर लिया हें ..बाड़मेर जैसलमेर की सरहद पर बसे बसिया क्षेत्र जो भाटी राजपूत बाहुल्य हें में बालिका शिक्षा के प्रति ज़बरदस्त जागरूकता आई हें .सरकारी स्कूलों में बड़ी तादाम में पढ़ रही बालिकाए सुखद बदलाव को ब्यान करती हें.सिह्डार गाँव के दुर्जन सिंह भाटी ने बताया की ग्रामीण क्षेत्रो में अब पुरानी परम्पराए लगभग ख़तम सी हो गई हें आज बालिका हर राजपूत के घर में हें मेरे खुद की दो बालिकाए दिव्या कंवर तथा नेमु कंवर हें जो आठवी तथा दशवी में पढ़ती हें .अब इन गाँवो के भाइयो की कलाइयां सुनी नहीं रहती

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