मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

गहलोत मंत्रिपरिषद से बाहर हुए 13 दिग्गजों को प्लान-B के जरिए करेंगे एडजस्ट

गहलोत मंत्रिपरिषद से बाहर हुए 13 दिग्गजों को प्लान-B के जरिए करेंगे एडजस्ट


जयपुर . कांग्रेस सरकार के मुखिया अशोक गहलोत के मंत्रिपरिषद में शामिल सभी 23 मंत्रियों ने शपथ ले ली है.  इसके साथ ही सीएम अशोक गहलोत सरकार को चलाने के लिए भी पूरी तरह से तैयार हो गए हैं. लेकिन, उससे पहले उनके सामने दिग्ग्जों को एडजस्ट करने की चुनौती खड़ी हो गई है. ये वो दिग्गज हैं, जिन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाई है. इनकी नाराजगी की खबर गहलोत तक पहुंचने के बाद सभी को एडजस्ट करने की जद्दोजहद सरकार के स्तर पर शुरू हो चुकी है.


गहलोत के मंत्रिपरिषद से इस बार  13 दिग्ग्जों को किनारे कर दिया गया. जिसके बाद से इनके नाराज होने की  खबरें सामने आने लगी हैं. गहलोत के मंत्रिपरिषद में केवल 6 पुराने नेताओं को ही जगह मिली है. जबकि, 17 नेता नए  शामिल किए गए हैं. जिसके बाद पार्टी के दिग्गज नेता नाराज हो गए. ऐसे में गहलोत सरकार के सामने अब इससे भी बड़ी 13 दिग्गज नेताओं को एडजस्ट करने की चुनौती खड़ी हो गई है. इन नेताओं में पूर्व केन्द्रीय मंत्री ओर प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, पूर्व मंत्री बिजेन्द्र ओला, पूर्व मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय,पूर्व अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह शेखावत, वरिष्ठ विधायक परसराम मोरदिया, 7 बार के विधायक और राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भंवर लाल शर्मा, पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र पारीक, पूर्व मंत्री राजकुमार शर्मा और महेश जोशी ओर पूर्व मंत्री जितेन्द्र सिंह , शकुंतला रावत और जाहिदा खान हैं. जानकारों का कहना है कि गहलोत पायलट को अच्छे से पता है कि ये सभी नेता अपने क्षेत्र के दिग्गज हैं. इनकी नाराजगी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है. इसे देखते हुए गहलोत अभी  से सक्रिय हो गए हैं. जिससे लोकसभा के समीकरण पर किसी प्रकार की कोई आंच नहीं आए.



ऐसे कर सकते हैं दिग्गजों को संतुष्ट

बिजेन्द्र ओला
तीसरी बार विधायक बने पूववर्ती गहलोत सरकार में मंत्री रहे. इन्हे पार्टी झुंझुनू से लोकसभा का टिकट दे सकती है. पिछला चुनाव इनके परिवार से ही लड़ा था.

सीपी जोशी
जोशी पांच बार विधायक एक बार सांसद रहे हैं. वो प्रदेश में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं तो संगठन में प्रदेशाध्यक्ष पद पर भी रहें हैं. इसी तरह सांसद रहते हुए वो कई विभागों के कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं. ऐसे में पार्टी उन्हें भीलवाड़ा से चुनाव लड़वा सकती है. पहले भी ये भीलवाडा से सांसद रह चुके हैं.

महेन्द्रजीत सिंह मालवीय
लगातार तीन बार से विधायक हैं, एक बार सांसद रह चुके हैं. इन्हें बांसवाडा डूंगरपुर से सांसद का चुनाव लड़वाया जा सकता है. वैसे भी बीता चुनाव इनकी पत्नी ने ही लड़ा था.

दीपेन्द्र सिंह शेखावत
पांच बार के विधायक पहले स्पीकर रह चुके हैं . इन्हे फिर से ये जिम्मेदारी दी जा सकती है.

परसराम मोरदिया
वरिष्ठ विधायक गहलोत के पिछले कार्यकाल में हाउसिंग बोर्ड के चेयमैन थे. इस बार एससी आयोग का अध्यक्ष बनाया जा सकता है . वसुन्धरा राजे ने भी सीनियर विधायक सुन्दर लाल को ये पद दिया था. इसी तरह से गहलोत भी मोरदिया को ये पद दे सकतें है.

भंवर लाल शर्मा
सात बार के विधायक ब्राह्मण समाज के बडे नेता हैं. इन्हे विप्र बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर दिया जा सकता है कैबिनेट का दर्जा.

राजेन्द्र पारीक
इन्हें अगले कैबिनेट तक इंतजार करना होगा

राजकुमार शर्मा
इन्हें विधानसभा में मुख्य सचेतक पद दिया जा सकता है नहीं तो फिर अगली कैबिनेट विस्तार तक इंतजार करना होगा

महेश जोशी
अगर राजकूमार शर्मा को मुख्य सचेतक नही बनाया गया तो महेश जोशी को ये पद दिया जा सकता है. पहले भी ये उप मुख्य सचेतक रह चुके हैं. अगर इन्हे ये पद नही मिला तो इन्हे भी अगले कैबिनेट विस्तार तक इंतजार करना होगा.

हेमाराम चौधरी
नेता प्रतिपक्ष और कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं अब इन्हें विधानसभा में उपाध्यक्ष पद दिया जा सकता है.

डॉ जितेन्द्र सिंह
देवनारायण बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर इन्हें कैबिनेट का दर्जा  दिया जा सकता है.

शकुंतला रावत
मोदी लहर में जीतने वाली एक मात्र महिला विधायक हैं, इस बार भी विधायक बनी हैं. इन्हें महिला या बाल आयोग जिम्मेदारी दी जा सकती है. अगर शकुंतला रावत इसके लिए तैयार नहीं हुई तो इनका अगली कैबिनेट में आना तय है

जाहिदा खान
भरतपुर से तीन मंत्री बनाये जाने के चलते ये कैबिनेट का हिस्सा नहीं बन सकी हैं. इन्हें भी दोनो आयोग के लिए पुछा जाएगा, नही तो अगले कैबिनेट विस्तार में मौका दिया जाएगा.




डिप्टी सीएम पायलट ने लोकसभा चुनाव से पहले संगठन में बदलाव के दिए संकेत

डिप्टी सीएम पायलट ने लोकसभा चुनाव से पहले संगठन में बदलाव के दिए संकेत


जयपुर . कांग्रेस की सरकार बनने के बाद डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने लोकसभा चुनाव की तैयारियां करने की बात कहते हुए संगठन में बदलाव के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी स्तर पर तैयारियां शुरु हो गई है. मजबूत संगठन के  साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे.


मीडिया से बातचीत के दौरान पायलट ने कहा कि संगठन में निरंतर बदलाव होते रहते हैं. संगठन और सरकार दोनों मिलकर जनता की उम्मीदों पर खरा उतरें. यही दायित्व है. पार्टी स्तर पर लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी है. मजबूत संगठन के साथ चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा कहा कि इस बार के लोकसभा चुनाव में 25 में से 22 से 23 सीटें कांग्रेस जीतेगी. साथ ही यह भी कहा कि आम तौर पर देखा गया है कि जिस पार्टी की सरकार होती है, उसे ही बहुमत मिलता है.  ऐसे में मुझे लगता है कि इस बार भी वैसा ही होगा. आपको बता दें कि संगठन के कई पदाधिकारियों के चुनाव लड़ने के बाद पार्टी स्तर पर लोकसभा चुनाव से पहले बदलाव किया जाना लगभग तय माना जा रहा है . उन्होंने मंत्रिपरिषद के सवाल पर कहा कि अभी मंत्रिपरिषद बना है. पहली बार में भौगोलिक रूप से मैं  समझता हूं कि सभी संभागों को प्रतिनिधित्व का मौका मिला है. उन्होंने कहा कि पहला मंत्रिपरिषद का विस्तार हुआ है. कुछ समय के बाद दूसरा विस्तार हो सकता है.


एक साथ सभी को मंत्री बनाया जाना संभव नहीं है. लेकिन, जिन लोगों ने पार्टी के लिए पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ काम किया है, पार्टी को जीत दिलाने में भूमिका निभाई है. उन्हें बेहतर मौका जरूर मिलेगा. पायलट ने कहा कि अभी सरकार बनी है विधानसभा सत्र चलेगा, साथ ही अभी ढेर सारी नियुक्तियां होनी है. ऐसे में सभी को सही प्लेटफॉर्म देकर उनकी प्रतिभा को सामने लाया जाएगा. पायलट के इस बयान के बाद से सियासी चर्चाओं के साथ ही कयासों का दौर  तेज हो गया है. माना जा रहा है कि मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किए गए दिग्गजों के साथ ही अन्य कई नेताओं को भी पार्टी एडजस्ट करेगी. जिससे लोकसभा चुनाव के लिए जमीनी समीकरण बेहतर रूप से साधा जा सके.

नरपत सिंह राजवी मिले गहलोत से ,भाजपा से हे खफा

नरपत सिंह राजवी मिले  गहलोत से ,भाजपा से हे खफा 
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जयपुर. पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैरो सिंह शेखावत के जवाई साहब और भाजपा विधायक नरपत सिंह राजवी इन दिनों प्रदेश भाजपा संगठन से खफा खफा है. आलम यह है कि विधानसभा चुनाव जीतने के बाद नरपत सिंह राजवी ने संगठनात्मक बैठकों और कार्यक्रमों से दूरी ही बना ली है.आज उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से उनके निवास पर उनसे मुलाकात भी की ,

भाजपा के विपक्ष में जाने के बाद जयपुर में कांग्रेस सरकार के खिलाफ हुए पहले विरोध प्रदर्शन में भी नरपत सिंह राजवी गायब थे. तो उसके बाद विधानसभा चुनाव हार की समीक्षा के लिए हुई संगठनात्मक बैठक से भी राजवी ने दूरी बनाई. मंगलवार को पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर हुए कार्यक्रम में भी नरपत सिंह राजवी शामिल नहीं हुए. नरपत सिंह राजवी की संगठन से नाराजगी की चर्चा भाजपा के गलियारों में है लेकिन प्रदेश नेतृत्व से जुड़े.


पदाधिकारी राजवी के मामले में फिलहाल मौन ही है. दरअसल नरपत सिंह राजवी की नाराजगी की एक बड़ी वजह उनके विधानसभा क्षेत्र विद्याधर नगर में उनसे पूछे बिना मंडल पदाधिकारियों की नियुक्ति की जाना है. विधानसभा चुनाव के दौरान इन्हीं मंडल पदाधिकारियों ने नरपत सिंह राजवी का टिकट काटे जाने की वकालत तक की थी. बावजूद इसके राजवी को टिकट मिला और राजवी भारी बहुमत से चुनाव जीतकर भी आए.

चुनाव में जब जयपुर से आने वाले 2 काबीना मंत्री सहित कई दिग्गज धाराशायी हो गए. तब राजवी ने चुनाव जीता और इस जीत में उन्हें अपने ही विधानसभा क्षेत्र में मौजूद भाजपा संगठन इकाई की कोई मदद नहीं मिल पायी. लिहाजा चुनाव जीतने के बाद राजवी ने अपने विधानसभा क्षेत्र के मंडल पदाधिकारियों और जयपुर शहर भाजपा इकाई पर कार्रवाई की मांग कर डाली. बकायदा इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री से लेकर पार्टी प्रदेश अध्यक्ष तक से कहा हैं.


शहर अध्यक्ष से चल रही राजवी की अनबन
जयपुर शहर भाजपा अध्यक्ष संजय जैन और विधायक नरपत सिंह राजवी के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है. दोनों एक दूसरे के धुर विरोधी माने जाते हैं. यही कारण है की संजय जैन ने विद्याधर नगर मंडल में पदाधिकारियों की नियुक्ति में राजवी से राय तक नहीं ली. साथ ही राजवी के मौजूदा विधायक रहते विद्याधर नगर क्षेत्र से खुद के लिए टिकट की मांग तक कर डाली.

अब जब राजवी जीत गए हैं तो निष्क्रिय भाजपा शहर इकाई पर कार्यवाई की मांग कर संगठन से दूर हो गए हैं. हालांकि राजवी और जयपुर शहर भाजपा अध्यक्ष के बीच चल रहे गतिरोध की जानकारी पार्टी के आला नेताओं और पदाधिकारियों को भी है. लेकिन संगठनात्मक कार्यक्रमों से राजवी की दूरी से वे खुद को अनभिज्ञ बताते हैं. या फिर राजवी के कार्यक्रम में नहीं आने के पीछे अपने स्तर पर कई बहाने भी गिनाते हैं.

बाड़मेर। हिमांशु गुप्ता बाड़मेर के नए कलक्टर

बाड़मेर। हिमांशु गुप्ता बाड़मेर के नए कलक्टर

बाड़मेर। राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग ने मंगलवार शाम भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारियों के तबादले किए। बाड़मेर जिला कलक्टर शिवप्रसाद मदन नकाते को गंगानगर कलक्टर लगाया गया है। वहीं बाड़मेर के नए जिला कलक्टर हिमांशु गुप्ता होंगे। गुप्ता वर्तमान में आयुक्त नगर निगम अजमेर एवं अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्मार्ट सिटी लिमिटेड अजमेर में डेढ़ साल से कार्यरत हैं। उन्हें जिला कलक्टर के पद पर पहली बार पोस्टिंग मिली है।


61 आईएएस बदले,गुप्ता बाडमेर ,मेहता जैसलमेर कलेक्टर

61 आईएएस बदले,गुप्ता बाडमेर ,मेहता जैसलमेर कलेक्टर


जेयपुर राजस्थान में सरकार बदलने के साथ सरकारी अफसरों का  बदलना भी तेजी से हो रहा।आज कार्मिक विभाग ने 61 आईएएस की ट्रांसफर लिस्ट जारी की।।हिमांशु गुप्ता बाडमेर ,नमित मेहता जेसलमेर कलेक्टर होंगे।।यहां देखें पूरी लिस्ट, किन-किन जिलों के कलेक्टर बदले गए
रवि जैन- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, बीकानेर
जगरूप सिंह यादव- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, जयपुर 
आरुषि अजय मलिक- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, भरतपुर
दिनेश कुमार यादव- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, नागौर
नन्नू मल पहाड़िया- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, करौली
सत्यपाल सिंह भड़िया- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, सवाईमाधोपुर
आनंदी- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, उदयपुर
इंद्र सिंह- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, बारां
दिनेश चंद जैन- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, पाली
राजेश भट्ट- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, भीलवाड़ा
महेंद्र सोनी- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, जालौर
चेतन राम देवड़ा- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, डूंगरपुर
कुमारपाल गौतम जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, झुंझुनू
प्रकाश राजपुरोहित जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, जोधपुर
इंद्रजीत सिंह जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, अलवर
नेहा गिरी जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, धौलपुर
विश्व मोहन शर्मा जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, अजमेर
एन शिवप्रसाद मदान- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, श्रीगंगानगर
संदेश नायक- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, चूरू
शिवांगी स्वर्णकार- जिला कलेक्टर, चित्तौड़गढ़ 
रुक्मणि रियार- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, बूंदी
ओम प्रकाश कसेरा- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, प्रतापगढ़
सिद्धार्थ सिहाग- जिला कलेक्टर जिला मजिस्ट्रेट, झालावाड़
हिमांशु गुप्ता- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट बाड़मेर
अमित मेहता- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, जैसलमेर
अविचल चतुर्वेदी- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, दौसा
आशीष गुप्ता- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, बांसवाड़ा
अरविंद कुमार पोसवाल- जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, राजसमंद


सोमवार, 24 दिसंबर 2018

बाड़मेर के दिग्गज नेताओं ने शपथ ग्रहण समारोह का किया बहिष्कार

बाड़मेर के दिग्गज नेताओं ने शपथ ग्रहण समारोह का किया बहिष्कार

गहलोत सरकार के नवगठित कैबिनेट मे पूर्व राजस्व मंत्री हेमाराम चोधरी पूर्व पंचायती राज मंत्री अमीन खान पचपदरा विधायक मदन प्रजापत व बाङमेर विधायक मेवाराम जैन ने सपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया! चारों विधायको ने शपथ ग्रहण समारोह में ना जाकर अपनी नाराजगी व्यक्त की गौरतलब है कि राजस्थान सरकार के मंत्रीमण्डल का गठन आज जयपुर में हुआ था जिसको लेकर रविवार को चयनित विधायकों की लिस्ट सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर दिखाई जा रही थी जिसमें बाड़मेर के दिग्गज नेता हेमाराम चौधरी और अमीन खान सहित लगातार तीसरी बार जीतने वाले बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन का नाम नही होने से उनके प्रसंशको व कांग्रेस कार्यकर्ताओं को निराशा हाथ लगी जिससे कार्यर्कर्ताओं में रोष की स्थिति पैदा हो गयी उसके बाद रविवार शाम से ही कार्यकर्ता लगातार सोशल मीडिया पर पार्टी का विरोध कर रहे हैं साथ ही कई प्रसंशको ने इस्तीफे और प्रदर्शन की भी पेशकश की मगर समझाइश के बाद वर्तमान समय तक ऐसा कोई मामला सुनने में नही आया मगर कार्यर्कर्ताओं की भावना को देखते हुए बाड़मेर के चारों विधायकों ने शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार कर अपना गुस्सा जाहिर किया!


उल्लेखनीय है की बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी विधानसभा विधायक और 5 बार विधायक रहे हेमाराम चौधरी,शिव विधानसभा से 5 बार विधायक रहे अमीन खान और बाड़मेर विधानसभा से लगातार तीसरी बार विधायक बनने वाले मेवाराम जैन का नाम मंत्रीमण्डल में होना लगभग तय माना जा रहा था मगर ऐनवक्त उनको शामिल ना करने से कार्यर्कर्ताओं की नाराज हो गए जिनकी नाराजगी को देखते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में निंसंदेह पार्टी को नुकसान हो सकता है जो कांग्रेस के लिए खतरे का संकेत है

फिर चला गहलोत का जादू , मंत्रिमंडल में भी पायलट पर भारी पड़े अशोक गहलोत, समझें कैबिनेट का समीकरण

फिर चला गहलोत का जादू , मंत्रिमंडल में भी पायलट पर भारी पड़े अशोक गहलोत, समझें कैबिनेट का समीकरण


राजस्थान में आज कांग्रेस सरकार का मंत्रिमंडल बन जाएगा. राजभवन में सुबह 11.30 बजे 23 विधायक मंत्री पद की शपथ लेंगे. इनमें से 17 यानी दो तिहाई से ज्यादा नए चेहरे हैं. जातिगत समीकरणों को देखते हुए 13 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्री बनाए गए हैं. वहीं, गठबंधन की राजनीति को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय लोक दल से जीते भरतपुर के विधायक सुभाष गर्ग को भी मंत्री बनाया जा रहा है. बड़ी बात ये है कि कैबिनेट में 60 फीसदी अशोक गहलोत समर्थक हैं तो 40 फीसदी पायलट समर्थकों को जगह मिली है. यानी एक बार फिर गहलोत सचिन पायलट पर भारी पड़ गए हैं.


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13 कैबिनेट मंत्री

बीडी कल्ला, शांति धारीवाल, परसादी लाल मीणा, मास्टर भंवरलाल मेघवाल, लालचंद कटारिया, डॉ रघु शर्मा, प्रमोद जैन भाया, विश्वेंद्र सिंह, हरीश चौधरी, रमेश चंद्र मीणा, उदयलाल आंजना, प्रताप सिंह खाचरियावास, सालेह मोहम्मद.

10 राज्य मंत्री

गोविंद सिंह डोटासरा, श्रीमति ममता भूपेश, अर्जुन बामनिया, भंवरसिंह भाटी, सुखराम विश्नोई, अशोक चांदणा, टीकाराम जूली, भजनलाल जाटव, राजेंद्र यादव, सुभाष गर्ग.

गहलोत कैबिनेट का विश्लेषण

विश्वेंद्र सिंह-मंत्रिमंडल में शामिल विधायकों में विश्वेंद्र सिंह है जो डीग से विधायक हैं और तीन बार सांसद रह चुके हैं, पूर्वी राजस्थान के बड़े जाट नेता हैं और पहली बार मंत्री बन रहे हैं. उनकी पायलट से नहीं पटती है.

हरीश चौधरी- हरीश चौधरी बायतु से चुनाव जीते हैं और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव हैं. पश्चिमी राजस्थान के बड़े जाट नेता हैं और एक बार बाड़मेर से सांसद भी रह चुके हैं. ये पायलट के करीबी माने जाते हैं.

रमेश चंद्र मीणा- पहली बार विधायक चुने गए हैं और पहली बार ही मंत्री बन रहे हैं. 2008 से में पहली बार बहुजन समाज पार्टी से जीते थे. कांग्रेस सरकार को समर्थन देकर संसदीय सचिव बने और लगातार तीसरी बार विधानसभा पहुंचे हैं. सपोटरा से बड़े मीणा नेता किरोड़ी लाल मीणा की पत्नी गोलमा देवी को हराकर विधान सभा में पहुंचे हैं और पायलट के करीबी हैं.

रघु शर्मा- रघु शर्मा ने अजमेर लोकसभा उपचुनाव जीतकर कांग्रेस का कद बढ़ाया था. उसके बाद कैंपेन समिति के अध्यक्ष भी बने हैं. केकड़ी विधानसभा से दूसरी बार चुनाव जीते हैं. गहलोत के खास हैं. कभी पायलट के करीबी भी थे.

उदय लाल आंजना- उदय लाल निंबाहेड़ा से दूसरी बार विधायक हैं और ओबीसी के बड़े नेता हैं. एक बार सांसद रह चुके हैं और गहलोत समर्थक हैं.

प्रताप सिंह खाचरियावास- प्रताप सिंह जयपुर के जिला अध्यक्ष हैं और 5 साल तक उन्होंने बीजेपी सरकार के खिलाफ संघर्ष किया है. दूसरी बार विधायक बने हैं. जयपुर की सिविल लाइन सीट से जीते हैं. पायलट के बेहद करीबी हैं.

सालेह मोहम्मद- सालहे पोकरण से दूसरी बार चुनाव जीते हैं और सरकार में एकमात्र मुस्लिम मंत्री हैं. विवादों में रहने वाले सालेह मोहम्मद पश्चिमी राजस्थान के बड़े मुस्लिम नेता गाजी फकीर के बेटे हैं. सालहे गहलोत कैंप के हैं.

गोविंद सिंह- डोटासरा विधानसभा में कांग्रेस की तरफ से मुख्य सचेतक रहे गोविंद सिंह लक्ष्मणगढ़ से तीसरी बार विधायक बने हैं. पायलट के करीबी हैं और उन्हें गहलोत से भी परहेज नहीं है.

ममता भूपेश- ममता मंत्रिमंडल में एकमात्र महिला चेहरा हैं और दूसरी बार विधायक बनी हैं. इससे पहले कांग्रेस सरकार में संसदीय सचिव रह चुकी हैं. किसी कैंप में नही हैं.

अर्जुन बामणिया- ये बांसवाड़ा से तीसरी बार चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं और कांग्रेस में प्रदेश सचिव रह चुके हैं. अर्जुन बामणिया को गहलोत समर्थक माना जाता है.

भंवरसिंह भाटी- कोलायत से दूसरी बार लगातार जीते भंवरसिंह भाटी ने बीजेपी के बड़े दिग्गज नेता देवी सिंह भाटी को पहली बार हराया था और दूसरी बार उनकी बहू को हराया है. भाटी गहलोत समर्थक हैं.


सुखराम बिश्नोई- सुखराम सांचौर सीट से लगातार दूसरा चुनाव जीते हैं. मोदी लहर के बावजूद भी वह पिछली बार जीत कर आए थे और बिश्नोई समाज के प्रतिनिधि के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं. सुखराम गहलोत समर्थक हैं.

अशोक चांदणा- युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चांदणा भी मंत्री बन रहे हैं जो लगातार दूसरी बार चुनाव जीते हैं. विपक्ष में उनका तेवर काफी रहा है और वे गहलोत समर्थक हैं.

टीकाराम जूली- अलवर ग्रामीण से दूसरी बार विधायक हैं और कांग्रेस में जितेंद्र सिंह के करीबी हैं.

भजन लाल जाटव- भजन लाल पहली बार 2014 में विधानसभा उपचुनाव में वैर सीट से ही जीते थे और इस बार भी जीते हैं. भजन लाल पायलट के करीबी हैं.

राजेंद्र यादव- कोटपूतली विधानसभा से लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए राजेंद्र यादव ने लोकसभा चुनाव में भी यादव वोट दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यादव गहलोत समर्थक हैं.

सुभाष गर्ग- कांग्रेस के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर पहली बार चुनाव जीते हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबी हैं.

बीडी कल्ला- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और बीकानेर पश्चिम से चुनाव जीते हैं. राजस्थान में करीब 12 मंत्रालय संभाल चुके हैं. गहलोत कैंप में हैं.

शांति धारीवाल- कोटा दक्षिण से चुनाव जीते हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबी हैं. इन्हें भारी-भरकम मंत्रालय मिलता रहा है .

परसादी लाल मीणा- लालसोट से चुनाव जीते हैं और पिछला चुनाव हार गए थे. मीणा समाज से कांग्रेस का चेहरा हैं. गहलोत के करीबी हैं.

मास्टर भंवरलाल मेघवाल- मास्टर भंवरलाल सुजानगढ़ से चुनाव जीते हैं और सचिन पायलट के बेहद करीबी हैं. एससी समाज के नेता हैं. शिक्षा मंत्री थे, लेकिन इस्तीफा देना पड़ा था.

लालचंद कटारिया- जयपुर की झोटवाड़ा सीट से विधायक बने हैं और मनमोहन सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रह चुके हैं. पहली बार राज्य मंत्री बनने जा रहे हैं और अशोक गहलोत के करीबी हैं.

प्रमोद जैन भाया- प्रमोज जैन अंता सीट से विधायक बने हैं और सचिन पायलट के बहुत करीबी हैं. पिछली सरकार में बीच में हटा दिया गया था.

इन दिग्गजों को नहीं मिली जगह

राजस्थान में इस बार जिन बड़े दिग्गज नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है उनमें सीपी जोशी, हेमाराम चौधरी, भरत सिंह, दीपेंद्र सिंह शेखावत, परसराम मोरदिया, राजेंद्र पारीक, अशोक बैरवा, महेश जोशी, जितेंद्र सिंह , महेंद्रजीत सिंह मालवीय, बृजेंद्र ओला और राजकुमार शर्मा हैं.

जातिगत आधार पर देखें तो सबसे ज्यादा 4 जाट विधायक मंत्री बन रहे हैं. दो ब्राह्मण, दो राजपूत, 3 वैश्य, 4 एससी, 3 एसटी, एक गुर्जर, एक विश्नोई, एक मुस्लिम, दो ओबीसी हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट दोनों ओबीसी से आते हैं.

रविवार, 23 दिसंबर 2018

*मेवाराम जैन को मंत्रिमंडल में शामिल न करना क्षेत्र के लोगो के साथ इमोशनल अत्याचार*

*मेवाराम जैन को मंत्रिमंडल में शामिल न करना क्षेत्र के लोगो के साथ इमोशनल अत्याचार*

*चन्दन सिंह भाटी*

*बाडमेर विपरीत परिस्थितियों में बाडमेर विधानसभा क्षेत्र से हैट्रिक लगा कर विधानसभा में पहुंचे मेवाराम जैन को अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में शामिल न करना क्षेत्र के लोगो के साथ इमोशनल अत्याचार है।आखिर जैन की कैबिनेट में अनदेखी क्यों कि गई।।यह बड़ा सवाल है।।मेवाराम जैन ने हमेशा बाडमेर सीट विपरीत परिस्थितियों में जीत कर कांग्रेस को दी।गत चुनाव में मोदी लहर में पश्चिमी राजस्थान से मात्र तीन विधायक जीते जिनमे एक मुख्यमंत्री बनेऔर एक को काबीना मंत्री बनाया जा रहा है।।तीसरा विधायक मेवाराम जैन को अलग थलग रखा।।शायद इसका कारण है कि वो बड़े जातीय समुहबक प्रतिनिधित्व नही करते।मगर कांग्रेस भूल रही है कि मेवाराम जैन छतीस कौम का प्रतिनिधित्व करते है।एक बड़ा व्वत बैंक उनके साथ जुड़ा है।।मेवाराम जैन ने विधानसभा में जिले की समस्याओं को प्रखरता से उठाया।।बहुत सारे मुद्दे पटल पर रखे।।संजीदगी और राजनीति का सामंजस्य है।।मेवाराम जैन को मंत्री मंडल में प्रमोद जैन और शांति धारीवाल पे प्राथमिकता देनी चाहिए थी।।ये दोनो हाडौतो से आते है।।जब कद्दावर जाट नेता हेमाराम चौधरी पर हरीश चौधरी और अमीन खान पर साले मोहम्मद को प्राथमिकता दी जा सकती है तो मेवाराम को क्यों नही।।शायद कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख मंत्रियों का चयन किया।।हम किसी की काबिलियत पर शक नही कर रहे मगर जनता की आवाज़ बन चुके मेवाराम जैन मंत्रिमंडल में शामिल होने की सारी योग्यता रखते है।।दिग्गज जाट नेता कर्नल सोनाराम चौधरी को बड़े अंतर से हराना कोई कम उपलब्धि नही है।।राहुल गांधी ने भी बयान दिया था कि बड़ी जीत वालो को मौका दिया जाएगा।।फिर मेवाराम जैन मामले में चूक कैसे हो गई।।मेवाराम जैन से लोगो को अपेक्षाएं रहती है ।इन अपेक्षाओं पे वो खरा भी उतरते है।।मंत्रिमंडल में मेवाराम जैन होने चाहिए थे।।हालांकि उन्हें अगले विस्तार में कोई न कोई पद दे दिया जाएगा मगर वो जिस पद के हकदार है उन्हें फिलवक्त वंचित रखा।।यह बाडमेर जिले के लोगो के गले नही उतरती।।मंत्री मंडल में शामिल करना न करना मुख्यमंत्री का विषधाधिकार है।मगर मेवाराम जैन जनता की आवाज़  है।।

बाड़मेर । मेवाराम जैन को मंत्रिमंडल में शामिल ना करना क्षेत्र के लोगों के साथ इमोशनल अत्याचार

बाड़मेर। मेवाराम जैन को मंत्रिमंडल में शामिल न करना क्षेत्र के लोगो के साथ इमोशनल अत्याचार

चन्दन सिंह भाटी

बाडमेर विपरीत परिस्थितियों में बाडमेर विधानसभा क्षेत्र से हैट्रिक लगा कर विधानसभा में पहुंचे मेवाराम जैन को अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में शामिल न करना क्षेत्र के लोगो के साथ इमोशनल अत्याचार है।आखिर जैन की कैबिनेट में अनदेखी क्यों कि गई।।यह बड़ा सवाल है।।मेवाराम जैन ने हमेशा बाडमेर सीट विपरीत परिस्थितियों में जीत कर कांग्रेस को दी।गत चुनाव में मोदी लहर में पश्चिमी राजस्थान से मात्र तीन विधायक जीते जिनमे एक मुख्यमंत्री बनेऔर एक को काबीना मंत्री बनाया जा रहा है।।तीसरा विधायक मेवाराम जैन को अलग थलग रखा।।शायद इसका कारण है कि वो बड़े जातीय समुहबक प्रतिनिधित्व नही करते।मगर कांग्रेस भूल रही है कि मेवाराम जैन छतीस कौम का प्रतिनिधित्व करते है।



एक बड़ा वोट बैंक उनके साथ जुड़ा है।।मेवाराम जैन ने विधानसभा में जिले की समस्याओं को प्रखरता से उठाया।।बहुत सारे मुद्दे पटल पर रखे।।संजीदगी और राजनीति का सामंजस्य है।।मेवाराम जैन को मंत्री मंडल में प्रमोद जैन और शांति धारीवाल पे प्राथमिकता देनी चाहिए थी।।ये दोनो हाडौतो से आते है।।जब कद्दावर जाट नेता हेमाराम चौधरी पर हरीश चौधरी और अमीन खान पर साले मोहम्मद को प्राथमिकता दी जा सकती है तो मेवाराम को क्यों नही।।शायद कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख मंत्रियों का चयन किया।।हम किसी की काबिलियत पर शक नही कर रहे मगर जनता की आवाज़ बन चुके मेवाराम जैन मंत्रिमंडल में शामिल होने की सारी योग्यता रखते है।।दिग्गज जाट नेता कर्नल सोनाराम चौधरी को बड़े अंतर से हराना कोई कम उपलब्धि नही है।।राहुल गांधी ने भी बयान दिया था कि बड़ी जीत वालो को मौका दिया जाएगा।।फिर मेवाराम जैन मामले में चूक कैसे हो गई।।मेवाराम जैन से लोगो को अपेक्षाएं रहती है ।इन अपेक्षाओं पे वो खरा भी उतरते है।।मंत्रिमंडल में मेवाराम जैन होने चाहिए थे।।हालांकि उन्हें अगले विस्तार में कोई न कोई पद दे दिया जाएगा मगर वो जिस पद के हकदार है उन्हें फिलवक्त वंचित रखा।।यह बाडमेर जिले के लोगो के गले नही उतरती।।मंत्री मंडल में शामिल करना न करना मुख्यमंत्री का विषधाधिकार है।मगर मेवाराम जैन जनता की आवाज़  है।।

*हरीश चौधरी और सालेमोहम्मद होंगे केबिनेट में शामिल* *आज़ादी के बाद जेसलमेर को मिलेगा पहला मंत्री*

*हरीश चौधरी और सालेमोहम्मद होंगे केबिनेट में शामिल*
*आज़ादी के बाद जेसलमेर को मिलेगा पहला मंत्री*


*राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार में कैबिनेट के गठन होने जा रहा है।।जिसमे बाडमेर से बायतु विधायक हरीश चौधरी और जेसलमेर पोकरण क्षेत्र से बिधायक साले मोहम्मद शामिल होंगे। हालांकि पीकरण लोकसभा क्षेत्र जोधपुर का हिस्सा है।।

*साले मोहम्मद*

जेसलमेर जिले को आज़ादी के बाद पहली बार केबिनेट में भागीदारी मिल रही है। अल्पसंख्य नेता धर्मगुरु गाज़ी फ़क़ीर के विधायक पुत्र साले मोहम्मद पहली बार मंत्री बनेंगे।।साले मोहम्मद को भाजपा के दिग्गज महंत प्रतापपुरी को हराने का तोहफा मिल रहा है।।साले मोहम्मद 2008 में पीकरण से पहले विधायक बने थे।।पिछले चुनाव हार गए थे।इस बार कड़े मुकाबले में जीत हासिल कर विधायक बने।।अशोक गहलोत के करीबी माने जाते है।।

*हरीश चौधरी*

हरीश चौधरी एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान राजस्थान विधानसभा में बायतू से विधायक है। वे भारत के बाड़मेर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद थे।ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव है। वो पहली बार २००९ में सांसद बने।राष्ट्रीय राजनीति से इसी साल राज्य की राजनीति में हरीश चौधरी ने भाग्य आजमाया।जीते।।गत लोकसभा चुनाव हार गए थे।।कांग्रेस का जाट नेता चेहरा है।।इसीलिए उन्हें प्राथमिकता दी केबिनेट में।।चौधरी पहली बार मंत्री बनेंगे।।

*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक की और से साले मोहम्मद और हरीश चौधरी को हार्दिक बधाई।*

5 साल रहेगी हमारी सरकार...कहते हुए शख्स ने पुलिस वालों को खूब सुनाया भला-बुरा, देखे वायरल वीडियो


5 साल रहेगी हमारी सरकार...कहते हुए शख्स ने पुलिस वालों को खूब सुनाया भला-बुरा,  देखे 
वायरल वीडियो



जालोर. नर्मदा विभाग के अधिकारियों से एक किसान द्वारा बदसलूकी करने का वीडियो वायरल हो रहा है. जहां किसान, विधायक और सरकार के दम पर अधिकारियों को धमकाता दिख रहा है. विधायक सुखराम बिश्नोई ने असामाजिक तत्व बताकर अपना किनारा कर लिया.

जिले के सांचोर व चितलवाना की जीवनदायिनी कहीं जाने वाली नर्मदा नहर में अंतिम टेल तक पानी नहीं पहुंचने की शिकायत किसानों को रहती है. जिसके कारण नर्मदा विभाग के अधिकारी पुलिस कार्मिकों के साथ पानी चोरी को रोकने के लिए गस्त कर रहे है. इस दौरान नहर से अवैध तरीके से पानी चोरी कर फसलो की सिंचाई करने वाले किसानो को चेतावनी दी गई. लेकिन अवैध तरीके से लगाये गए पाइप नहीं हटाये तो अधिकारी पुलिस जाब्ते के साथ मौके पर गए और अवैध तौर पर लगे पाइप हटाने लगे.


इस दौरान भीखाराम गुरु नाम का किसान आया और अधिकारियों से बदसलूकी करने लगा. इस दौरान दौरान वहां पर मौजूद नर्मदा विभाग के एक कार्मिक ने वीडियों बना लिया. जिसको बाद में वायरल कर दिया गया. भीखाराम पुलिस कार्मिकों को अपनी सरकार होने की धमकी देते हुए अभद्रता करने लगा. वीडियों में किसान कहता विधायक हमारा है और सरकार भी हमारी है. अब आप पांच साल तक हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते है. इसके बाद किसान भीखाराम अधिकारियों के सामने किसी को कॉल करता है, और पुलिस वालों पर रौब दिखाने की कोशिश करता है. इस वायरल वीडियों में किसान ने इतनी भद्दी गालियां दे रहा है कि इसे वीडियों में दिखाया भी नहीं जा सकता.

किसानों के लिए खुशखबरी...प्रदेश में यूरिया की खेप पहुंचना शुरू

किसानों के लिए खुशखबरी...प्रदेश में यूरिया की खेप पहुंचना शुरू

जयपुर. राजस्थान के उन इलाकों में यूरिया की खेप पहुंचना शुरू हो गई है. जहां यूरिया की सबसे ज्यादा किल्लत हो रही थी. प्रदेश में कुछ दिनों से जारी यूरिया की समस्या ने विकराल रूप ले लिया था. यूरिया की बढ़ती मांग और किसानों के बढ़ते प्रदर्शन पर प्रशासन ने सावधानी बरतते हुए यूरिया की खेप भेजना शुरू कर दिया है.

जानकारी के अनुसार चंदरिया, भगत की कोठी, लालगढ़, सूरतगढ़, कनकपुरा और अलवर में यूरिया पहुंच गई है.
यहां यूरिया की सबसे ज्यादा किल्लत चल रही थी. पांच और स्थानों के लिए यूरिया की रैक पहुंचने वाली है. इसके अलावा बंदरगाह से 5 रैक लोड हो चुकी है. यह रैक बूंदी, हमीरगढ़, कोटा, बारां और हिंडौन के लिए रवाना होगी. यह जल्द से जल्द वहां पहुंच जाएगी. इसके अलावा दो हजार मेट्रिक टन यूरिया चंबल फर्टिलाइजर्स से सड़क मार्ग से रवाना होगी. और यह यूरिया बूंदी, कोटा, झालावाड़, बारां, टोंक और सवाई माधोपुर जाएंगी.


यह जानकारी जॉइंट डायरेक्टर इनपुट रामगोपाल शर्मा ने दी है. उनका कहना है कि आने वाले दो-तीन दिनों में यूरिया की जो किल्लत प्रदेश में चल रही है. उसे जल्द दूर कर लिया जाएगा. यूरिया की किल्लत के कारण किसानों को खाद के लिए प्रदर्शन भी करना पड़ा. इस दौरान पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज भी किया. जिसके बाद सीएम को भी इस मामले में दखल देना पड़ा था. मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा था कि प्रदेश के किसानों को यूरिया की कमी नहीं होने दी जाएगी. उन्होंने केंद्र से बातचीत के लिए सचिव अभय कुमार को दिल्ली भी भेजा था. इसके बाद प्रशासन ने प्रदेश में एक लाख दो हजार मीट्रिक टन यूरिया पहुंचने का दावा किया था.

*गहलोत मंत्री मंडल मे यह हो सकते है मंत्री*

*गहलोत मंत्री मंडल मे  यह हो सकते है मंत्री*

जयपुर/ राजस्थान में नई सरकार को मंत्रिमंडल का इंतजार खत्म होता जा रहा है इसके लिए काउंटडाउन भी शुरू हो गया है। सूत्रों के अनुसार सीएम गहलोत-डिप्टी सीएम पायलट के बीच मंत्रिमंडल के घटन को लेकर सहमति बन गई है। जानकारी के अनुसार मंत्रिमंडल में इस बार कुछ नये चेहरों के भी शपथ लेने की संभावना है।

ऐसे में मंत्रिमंडल की दौड़ में कुछ नामों पर सहमति बनी है जो कि संभावित मंत्री हो सकते है। उनमे प्रमुख नाम डॉ.रघु शर्मा, शांति धारीवाल, मास्टर भंवरलाल मेघवाल लालचंद कटारिया, डॉ.सीपी जोशी, दीपेंद्र सिंह शेखावत विश्वेंद्र सिंह,डॉ.जितेंद्र सिंह,रामनारायण मीणा,रमेश मीणा नरेंद्र बुडानिया, बीडी कल्ला, सालेह मोहम्मद,हेमाराम चौधरी प्रमोद जैन भाया, शकुंतला रावत, जाहिदा खान, सुभाष गर्ग महेंद्रजीत सिंह मालवीय, प्रशांत बैरवा, राजेन्द्र पारीक , कृष्णा पूनिया,राजकुमार शर्मा,हरीश मीना ममता भूपेश और अमीन खान का नाम शामिल है।

राजस्थान मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह कल 11:30 बजे*

*राजस्थान मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह कल 11:30 बजे*


जयपुर। नई सरकार के मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह कल सुबह 11:30 बजे राजभवन में होगा।  शपथ ग्रहण के साथ ही मंत्रियों के पदभार ग्रहण करने के लिए कक्ष और ऑफिस से लेकर गाड़ियों तक की शुरुआती इंतजाम कर लिए गए हैं । वहीं कैबिनेट सचिवालय ने भी आयोजन की पूरी व्यवस्था कर ली है।गहलोत सरकार में कल सुबह 11:30 बजे दो दर्जन मंत्रियों के शपथ ग्रहण की संभावना है। शपथ ग्रहण होते ही मंत्री अपना पदभार तुरंत संभालने इसके लिए सचिवालय स्तर पर पहले ही तैयारी कर ली गई है। कार्मिक विभाग ने 30 से ज्यादा कक्ष तैयार करवा लिए हैं । वहीं मोटर गैराज विभाग में करीब 40 गाड़ियां तैयार की है जो कि राजभवन में शपथ ग्रहण के समय ही भेज दी जाएंगी। मंत्रिपरिषद में करीब दो दर्जन मंत्रियों के शामिल होने की संभावना है और इसी के मद्देनजर यह तैयारियां की गई हैं वहीं सबसे ज्यादा पसोपेश उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के ऑफिस को लेकर है। सचिवालय के स्तर पर तो अभी उनके लिए ओल्ड सीएमओ का पूरा सेक्शन रखा गया है लेकिन पायलट की ओर से अभी इस पर सहमति नहीं जताई गई है। उन्होंने सीएमओ और मंत्रालय भवन में भी कक्ष और ऑफिसेस देखे हैं। ऐसे में संभावना यह भी मानी जा रही है कि वे सीएमओ में अपने लिए कोई ऑफिस रखें हालांकि अभी उनकी ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है... लेकिन यदि वे कोई ऐसी प्रस्ताव रखते हैं तो इस संबंध में निर्णय सीएमओ स्तर पर किया जाएगा। वहीं कैबिनेट सचिवालय ने शुरुआती तैयारी के रूप में करीब 200 से 300 निमंत्रण पत्र छपवाए हैं

शनिवार, 22 दिसंबर 2018

*मुद्दे की बात* जैसलमेर *जवाहिर अस्पताल की खैर खबर अब तो ले लो,सरकार भी बदल गई*

*मुद्दे की बात*

जैसलमेर *जवाहिर अस्पताल की खैर खबर अब तो ले लो,सरकार भी बदल गई*

जेसलमेर जिला मुख्यालय का एक मात्र नाममात्र का अस्पताल जवाहिर अस्पताल की सांस लम्बे समय से टूटी हुई है।मगर इसे ऑक्सीजन देने का कभी कोई सार्थक प्रयास नही हुआ।उसका मुख्य कारण चिकित्सको की आपसी गुटबाज़ी,प्रमुख चिकित्सा अधिकारी की मनमानी।।जेसलमेर के हज़ारो लोगो की आस्था का केंद्र जवाहिर चिकित्सालय है। मगर अंदर खाने की बात करे तो अस्पताल कम धर्मशाला ज्यादा लगती है।।अच्छा खासा व्यक्ति इस अस्पताल परिसर में एक मिनट खडा राह जाए तो यकीनन बीमार होकर बाहर निकलेगा। कहने को अस्पताल प्रशासन द्वारा सफाई के 2 ठेके अलग अलग हो रखे है इस ठेकेदार को दोनो परिसरों में तीन परियों में कुल 16_16 सफाईकर्मी लगाने होते है मगर ठेकेदार और पी एम ओ की मिलीभगत से दोनो परिसरों में मात्र छह छह सफाई कर्मी लगे है। अस्पताल परिसर की सफाई व्यवस्था किसी से छिपी  नही है।।फिर भी प्रति माह दो से तीन लाख का भुगतान ठेकेदार को होता है ।।बिल प्रमाणीकरण खुद अधिकारी करते है। पूरा मामला गड़बड़ झाला है जिला कलेक्टर को इस मामले की विशेष जांच करवानी चाहिए। अस्पताल के चिकित्सकों में जबरदस्त गुटबाज़ी है खासकर गायनिक में।।बिना सुविधा शुल्क लिए कोई भी चिकित्सक काम नह करता। एक एक केस पे चिकित्सको में झगड़े होते है।।अस्पताल की व्यवस्था संभालने का जिम्मा जिस महिला चिकित्सक को दे रखा है वो अपनी प्रशासनिक और राजनीतिक पहुंच बता विरोध करने वालो को न केवल चुप करती है बल्कि हाथों हाथ कलेक्टर,निदेशक को फोन लगा सच झूठ बोल रिपोर्ट कर देती है। प्रमुख चिकित्सा  अधिकारी पूर्व विधायक की सरपरस्ती में मनमानी करती आई है तो अब मुख्यमंत्री कार्यालय की धमकी दी जा रही है। अलबत्ता अस्पताल में खुद अधिकारी चिकित्सक निशुल्क दवा उपलब्ध होने के बावजूद बाहरी दवाईयां धड़ले से लिखते है।जब अधिकारी बाहर की दवा लिखे तो बाकी चिकित्सको के लिए बाहर की दवा लिखने की राह आसान हो गई।।अस्पताल में लेबर रूम की बुरी स्थति बनी हुई है।मगर उसे सुधारे कौन।।जिला कलेक्टर और नव निर्वाचित विधायक को अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधारने में खास पहल करनी चाहिए ताकि जनता को राहत मिले।।आखिर जनता को अस्पताल की सुविधाओं का लाभ कब मिलेगा। दीमक की तरह सरकारी बजट के बंदरबांट के अलावा कोई काम नही होता।।कार्य करने वाले कार्मिकों को पी एम ओ सहयोग नही करती। चिकित्सक भगवान का रूप होता है जो लोगो को नई जिन्दगि देता है मगर जवाहिर अस्पताल में सारा मामला उल्टा है। पूरे कुएं में जब भांग पड़ी हो तो जिम्मेदारों को आगे आना चाहिए।। जनहित में।।