मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

गहलोत मंत्रिपरिषद से बाहर हुए 13 दिग्गजों को प्लान-B के जरिए करेंगे एडजस्ट

गहलोत मंत्रिपरिषद से बाहर हुए 13 दिग्गजों को प्लान-B के जरिए करेंगे एडजस्ट


जयपुर . कांग्रेस सरकार के मुखिया अशोक गहलोत के मंत्रिपरिषद में शामिल सभी 23 मंत्रियों ने शपथ ले ली है.  इसके साथ ही सीएम अशोक गहलोत सरकार को चलाने के लिए भी पूरी तरह से तैयार हो गए हैं. लेकिन, उससे पहले उनके सामने दिग्ग्जों को एडजस्ट करने की चुनौती खड़ी हो गई है. ये वो दिग्गज हैं, जिन्हें कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाई है. इनकी नाराजगी की खबर गहलोत तक पहुंचने के बाद सभी को एडजस्ट करने की जद्दोजहद सरकार के स्तर पर शुरू हो चुकी है.


गहलोत के मंत्रिपरिषद से इस बार  13 दिग्ग्जों को किनारे कर दिया गया. जिसके बाद से इनके नाराज होने की  खबरें सामने आने लगी हैं. गहलोत के मंत्रिपरिषद में केवल 6 पुराने नेताओं को ही जगह मिली है. जबकि, 17 नेता नए  शामिल किए गए हैं. जिसके बाद पार्टी के दिग्गज नेता नाराज हो गए. ऐसे में गहलोत सरकार के सामने अब इससे भी बड़ी 13 दिग्गज नेताओं को एडजस्ट करने की चुनौती खड़ी हो गई है. इन नेताओं में पूर्व केन्द्रीय मंत्री ओर प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, पूर्व मंत्री बिजेन्द्र ओला, पूर्व मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीय,पूर्व अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह शेखावत, वरिष्ठ विधायक परसराम मोरदिया, 7 बार के विधायक और राष्ट्रीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भंवर लाल शर्मा, पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र पारीक, पूर्व मंत्री राजकुमार शर्मा और महेश जोशी ओर पूर्व मंत्री जितेन्द्र सिंह , शकुंतला रावत और जाहिदा खान हैं. जानकारों का कहना है कि गहलोत पायलट को अच्छे से पता है कि ये सभी नेता अपने क्षेत्र के दिग्गज हैं. इनकी नाराजगी लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है. इसे देखते हुए गहलोत अभी  से सक्रिय हो गए हैं. जिससे लोकसभा के समीकरण पर किसी प्रकार की कोई आंच नहीं आए.



ऐसे कर सकते हैं दिग्गजों को संतुष्ट

बिजेन्द्र ओला
तीसरी बार विधायक बने पूववर्ती गहलोत सरकार में मंत्री रहे. इन्हे पार्टी झुंझुनू से लोकसभा का टिकट दे सकती है. पिछला चुनाव इनके परिवार से ही लड़ा था.

सीपी जोशी
जोशी पांच बार विधायक एक बार सांसद रहे हैं. वो प्रदेश में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं तो संगठन में प्रदेशाध्यक्ष पद पर भी रहें हैं. इसी तरह सांसद रहते हुए वो कई विभागों के कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं. ऐसे में पार्टी उन्हें भीलवाड़ा से चुनाव लड़वा सकती है. पहले भी ये भीलवाडा से सांसद रह चुके हैं.

महेन्द्रजीत सिंह मालवीय
लगातार तीन बार से विधायक हैं, एक बार सांसद रह चुके हैं. इन्हें बांसवाडा डूंगरपुर से सांसद का चुनाव लड़वाया जा सकता है. वैसे भी बीता चुनाव इनकी पत्नी ने ही लड़ा था.

दीपेन्द्र सिंह शेखावत
पांच बार के विधायक पहले स्पीकर रह चुके हैं . इन्हे फिर से ये जिम्मेदारी दी जा सकती है.

परसराम मोरदिया
वरिष्ठ विधायक गहलोत के पिछले कार्यकाल में हाउसिंग बोर्ड के चेयमैन थे. इस बार एससी आयोग का अध्यक्ष बनाया जा सकता है . वसुन्धरा राजे ने भी सीनियर विधायक सुन्दर लाल को ये पद दिया था. इसी तरह से गहलोत भी मोरदिया को ये पद दे सकतें है.

भंवर लाल शर्मा
सात बार के विधायक ब्राह्मण समाज के बडे नेता हैं. इन्हे विप्र बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर दिया जा सकता है कैबिनेट का दर्जा.

राजेन्द्र पारीक
इन्हें अगले कैबिनेट तक इंतजार करना होगा

राजकुमार शर्मा
इन्हें विधानसभा में मुख्य सचेतक पद दिया जा सकता है नहीं तो फिर अगली कैबिनेट विस्तार तक इंतजार करना होगा

महेश जोशी
अगर राजकूमार शर्मा को मुख्य सचेतक नही बनाया गया तो महेश जोशी को ये पद दिया जा सकता है. पहले भी ये उप मुख्य सचेतक रह चुके हैं. अगर इन्हे ये पद नही मिला तो इन्हे भी अगले कैबिनेट विस्तार तक इंतजार करना होगा.

हेमाराम चौधरी
नेता प्रतिपक्ष और कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं अब इन्हें विधानसभा में उपाध्यक्ष पद दिया जा सकता है.

डॉ जितेन्द्र सिंह
देवनारायण बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर इन्हें कैबिनेट का दर्जा  दिया जा सकता है.

शकुंतला रावत
मोदी लहर में जीतने वाली एक मात्र महिला विधायक हैं, इस बार भी विधायक बनी हैं. इन्हें महिला या बाल आयोग जिम्मेदारी दी जा सकती है. अगर शकुंतला रावत इसके लिए तैयार नहीं हुई तो इनका अगली कैबिनेट में आना तय है

जाहिदा खान
भरतपुर से तीन मंत्री बनाये जाने के चलते ये कैबिनेट का हिस्सा नहीं बन सकी हैं. इन्हें भी दोनो आयोग के लिए पुछा जाएगा, नही तो अगले कैबिनेट विस्तार में मौका दिया जाएगा.




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