पापियों को पाप से तारती हैं भागवत- बाईसा
महिलावास में भागवत कथा के समापन पर संत समागम और यज्ञ का आयोजन
जीत जाँगिड़ सिवाणा
सिवाना! निकटवर्ती महिलावास ग्राम में गत नौ दिनो से चल रही श्री मद् भागवत कथा शनिवार को विभिन्न धार्मिक आयोजनों के साथ संपन्न हो गई! अंतिम दिन भागवत में श्रीकृष्ण सुदामा मिलन, कंस का वध, शिशुपाल का वध सहित कई प्रसंग बाल साध्वी प्रेम बाईसा ने सुनाए! साथ ही सुमधुर वाणी में भजन सुनाकर उपस्थित श्रद्धालुओं को झुमने पर मजबूर कर दिया! उन्होंने भागवत कथा की महिमा बताते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा महापुराण मात्र नही वरन् एक गंगा हैं जिसमें नहाकर पापी से पापी व्यक्ति भी पावन हो जाता हैं और मोक्ष को प्राप्त हो जाता हैं! साथ ही कलयुग में भागवत का श्रवण करने मात्र से व्यक्ति का उद्धार हो जाता हैं!
वाणी की महता बताते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति जन्म से न तो किसी का मित्र होता हैं और न ही किसी का शत्रु होता हैं! वाणी के आधार पर ही वह अपने मित्र और शत्रु बनाता हैं! वाणी के कारण ही कई लोग तो दिल में उतर जाते हैं और कई लोग दिल से उतर जाते हैं!
कथा में व्यासपीठ से संबोधित करते हुए महंत वीरमनाथ महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन सबसे दुर्लभ और श्रेष्ठ जीवन हैं! हमें इस जीवन में सदा सद्कर्म और प्राणीमात्र की सेवा करके इसे उपयुक्त बनाने का प्रयत्न करना चाहिये!
कथा के समापन पर विश्व शांति यज्ञ किया गया जिसमें यजमानों ने बढ चढकर भाग लिया और आहुतियाँ दी! इसके बाद संत समागम और धर्मसभा का भी आयोजन हुआ जिसमें ब्रह्मसावित्री सिद्धपीठम् के पीठाधीश्वर तुलछाराम महाराज, लीलसर धाम महंत, रमणिया आश्रम महंत, पहाडेश्वर आश्रम महंत सहित पुरे जिले भर से कई संत महात्माओं ने शिरकत की और उपस्थित जनसमुदाय को प्रवचन दिए! संत सम्मेलन को आशीर्वचन प्रदान करते हुए लीलसर धाम महंत मोटनाथ महाराज ने कहा कि सनातम धर्म में आध्यात्मिक चेतना और नवसमाज में जागृति लाने के लिये समय समय पर धार्मिक आयोजन किये जाने चाहियें! इस अवसर पर सिवाना विधायक हमीरसिंह भायल ने भी संबोधित किया!
कथा की पुर्णाहुति पर भागवत महापुराण की आरती की गई और फिर शोभायात्रा के साथ देर शाम कथा का विसर्जन किया गया!
महिलावास में भागवत कथा के समापन पर संत समागम और यज्ञ का आयोजन
जीत जाँगिड़ सिवाणा
सिवाना! निकटवर्ती महिलावास ग्राम में गत नौ दिनो से चल रही श्री मद् भागवत कथा शनिवार को विभिन्न धार्मिक आयोजनों के साथ संपन्न हो गई! अंतिम दिन भागवत में श्रीकृष्ण सुदामा मिलन, कंस का वध, शिशुपाल का वध सहित कई प्रसंग बाल साध्वी प्रेम बाईसा ने सुनाए! साथ ही सुमधुर वाणी में भजन सुनाकर उपस्थित श्रद्धालुओं को झुमने पर मजबूर कर दिया! उन्होंने भागवत कथा की महिमा बताते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा महापुराण मात्र नही वरन् एक गंगा हैं जिसमें नहाकर पापी से पापी व्यक्ति भी पावन हो जाता हैं और मोक्ष को प्राप्त हो जाता हैं! साथ ही कलयुग में भागवत का श्रवण करने मात्र से व्यक्ति का उद्धार हो जाता हैं!
वाणी की महता बताते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति जन्म से न तो किसी का मित्र होता हैं और न ही किसी का शत्रु होता हैं! वाणी के आधार पर ही वह अपने मित्र और शत्रु बनाता हैं! वाणी के कारण ही कई लोग तो दिल में उतर जाते हैं और कई लोग दिल से उतर जाते हैं!
कथा में व्यासपीठ से संबोधित करते हुए महंत वीरमनाथ महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन सबसे दुर्लभ और श्रेष्ठ जीवन हैं! हमें इस जीवन में सदा सद्कर्म और प्राणीमात्र की सेवा करके इसे उपयुक्त बनाने का प्रयत्न करना चाहिये!
कथा के समापन पर विश्व शांति यज्ञ किया गया जिसमें यजमानों ने बढ चढकर भाग लिया और आहुतियाँ दी! इसके बाद संत समागम और धर्मसभा का भी आयोजन हुआ जिसमें ब्रह्मसावित्री सिद्धपीठम् के पीठाधीश्वर तुलछाराम महाराज, लीलसर धाम महंत, रमणिया आश्रम महंत, पहाडेश्वर आश्रम महंत सहित पुरे जिले भर से कई संत महात्माओं ने शिरकत की और उपस्थित जनसमुदाय को प्रवचन दिए! संत सम्मेलन को आशीर्वचन प्रदान करते हुए लीलसर धाम महंत मोटनाथ महाराज ने कहा कि सनातम धर्म में आध्यात्मिक चेतना और नवसमाज में जागृति लाने के लिये समय समय पर धार्मिक आयोजन किये जाने चाहियें! इस अवसर पर सिवाना विधायक हमीरसिंह भायल ने भी संबोधित किया!
कथा की पुर्णाहुति पर भागवत महापुराण की आरती की गई और फिर शोभायात्रा के साथ देर शाम कथा का विसर्जन किया गया!