गुरुवार, 9 जनवरी 2014

अब निजी स्कूलों में ना एडवांस फीस ना ही संचालक बेच सकेंगे टाई-बेल्ट


अब निजी स्कूलों में ना एडवांस फीस ना ही संचालक बेच सकेंगे टाई-बेल्ट

नई गाइड लाइन में शामिल बिंदु

कई निजी स्कूल संचालकों की उड़ी नींद


 शिक्षा विभाग ने गाइड लाइन जारी की, निजी स्कूल को एक माह में देना होगा शपथ पत्र, नहीं बेच सकेंगे टाई-बेल्ट, फीस निर्धारण कमेटी ने जारी किए सख्त निर्देश

 पाली शिक्षा विभाग ने निजी स्कूलों की तरफ से ली जाने वाली तीन महीने की एडवांस फीस को लेकर सख्त रवैया अपना लिया है। नए आदेश में साफ तौर पर एडवांस फीस लेने तथा समय पर फीस नहीं देने पर वसूल किए जाने वाले फाइन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। साथ ही विभाग की नई गाइडलाइन के अनुसार अब निजी स्कूल अब अपने कैंपस में बच्चों को टाई-बेल्ट तथा ड्रेस आदि नहीं बेच सकेंगे तथा अभिभावकों को किसी विशेष दुकान से यह सामग्री खरीदने के लिए भी बाध्य नहीं कर सकेंगे। राजस्थान निजी शिक्षण संस्थाएं, फीस निर्धारण समिति ने सभी स्कूल संचालकों को इस संबंध में माध्यमिक व प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को शपथ-पत्र देने के निर्देश जारी किए हैं।

आधिकारिक जानकारी के अनुसार अधिकांश स्कूलों में संचालक अपने यहां पर अध्ययनरत विद्यार्थियों से तीन महीने के लिए एडवांस फीस वसूलने की परंपरा कायम कर रखी है। अगर कोई अभिभावक अगर निर्धारित तिथि तक एडवांस फीस जमा नहीं करवाता है तो उससे फाइन भी वसूला जाता है। इस बारे में शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर स्पष्ट कर दिया है कि निजी शिक्षण संस्थाएं अब अभिभावकों से तीन माह की एडवांस फीस नहीं ले सकेंगे। इसके अतिरिक्त यदि अभिभावक तिमाही फीस 10 तारीख के बाद जमा करवाता है, तो भी निजी स्कूल उस पर किसी तरह का दंड शुल्क (फाइन) नहीं लगा सकेगा। यह गाइड लाइन प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग ने हाल ही जारी की है। साथ ही इसकी पालना सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को भी निर्देशित किया गया है।

> निजी स्कूल पुस्तक व कॉपियां एक पुस्तक विक्रेता को एंगेज कर नहीं बेच सकेगा। बेची गई पुस्तकों पर कमीशन नहीं लिया जा सकेगा। छात्र द्वारा मांगने पर कैश मेमो भी देना होगा।

> निजी स्कूल द्वारा स्कूल ड्रेसेस खरीदने के लिए निर्धारित दुकानों के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा।

> स्कूल में बैज व टाई खरीदना अनिवार्य नहीं होगा।

> माता पिता या अभिभावक को स्कूल में प्रवेश की पूरी अनुमति होगी, ताकि स्कूल की सुविधाओं की जांच हो सके।

> स्कूल की कैंटीन में पेटीज, आइस्क्रीम व अन्य खाद्य पदार्थ जो अनहाइजेनिक होते हैं, नहीं बेचे जा सकेंगे।

> अभिभावकों से स्कूल लाने-ले जाने के लिए 12 माह की फीस ली जाती है, जो गलत है। निर्धारित समय की ही फीस वसूली जानी होगी।

पालना करनी होगी

॥शिक्षा निदेशालय से इस संबंध में गाइड लाइन मिली है। जिसकी पालना सभी निजी स्कूलों को करनी होगी। जैसे दिशा-निर्देश मिले हैं, उसके अनुरूप कार्रवाई की जाएगी। -नूतनबाला कपिला, डीईओ माध्यमिक

अभिभावकों को मिलेगी राहत

निजी स्कूल संचालकों द्वारा शिक्षण सामग्री के साथ ड्रेसेज आदि स्कूल द्वारा निर्धारित स्थान से खरीदने की बाध्यता खत्म होने से अधिकतर अभिभावकों को राहत मिलेगी तथा वह अपनी मर्जी से बच्चों की शिक्षण सामग्री क्रय कर सकेंगे।

टाई-बेल्ट नहीं बेचने का देना पड़ेगा शपथ पत्र

निजी स्कूल संचालकों को एक माह की अवधि में माध्यमिक व प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को संस्था में पुस्तकें व कॉपियां सहित स्टेशनरी नहीं बेचने का शपथ पत्र देना होगा। साथ ही छात्रों को ड्रेसेज भी स्कूल द्वारा निर्धारित दुकान से नहीं खरीदने, स्कूलों में पैटीज, आईसक्रीम, टाई-बेल्ट आदि नहीं बेचने के संबंध में शपथ लेनी होगी। शपथ-पत्र में अग्रिम फीस नहीं लेने का भी दावा करना होगा।

डीईओ उपलब्ध कराएंगे शपथ पत्र, हर माह भेजनी होगी रिपोर्ट

नए दिशा-निर्देश की पालना हो रही है या नहीं इसके लिए निजी स्कूलों को शपथ पत्र निदेशक माध्यमिक/ प्रारंभिक बीकानेर एवं संस्कृत शिक्षा विभाग जयपुर को एक माह भेजने की व्यवस्था दी है। यह शपथ पत्र जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा उपलब्ध करवा दिया जाएगा, जिसे भरकर नोटरी पब्लिक से सत्यापित करवाना होगा। बताया गया कि राजस्थान विद्यालय अधिनियम2013 की धारा 7 के तहत गठित राज्य स्तरीय समिति ने यह गाइड लाइन जारी की है। इसमें स्पष्ट किया गया है कि निजी विद्यालयों द्वारा प्रस्तावित फीस न्याय संगत है और मुनाफाखोरी या अत्यधिक फीस की श्रेणी में तो नहीं आती है।

2008 में घर से भागी, 2014 में मिली

मुजफ्फरनगर। करीब छह साल पहले चंडीगढ़ से लापता हुई एक युवती उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर कोतवाली इलाके के सुजडू गांव में बुधवार को बरामद की गई। पुलिस के अनुसार युवती ने अपनी बहन को लिखे पत्र में उसे सुजडू गांव में बंधक बनाकर रखे जाने की जानकारी दी थी। इस पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने उसे बरामद कर लिया। युवती ने बताया कि उसने धर्म परिवर्तन कर निकाह कर लिया है।

चंडीगढ़ में दसवीं में पढ़ने वाली छात्रा 2008 में लापता हो गई थी। उसके परिजनों ने उसके लापता होने की सूचना चंडीगढ़ में सेक्टर 26 थाने में दर्ज कराई थी। पुलिस ने बाद में अपहरण का मामला दर्ज कर लिया था लेकिन युवती का कोई सुराग नहीं लग सका था।

पुलिस के अनुसार हाल ही में युवती की बहन को उसका एक पत्र मिला जिसमें उसने लिखा था कि उसे मुजफ्फरनगर के सुजडू गांव में बंधक बनाकर रखा गया है। युवती के परिजनों ने चंडीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को मामले की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि बुधवार को चंडीगढ़ थाने के उपनिरीक्षक मुकेश जोशी महिला पुलिस के साथ यहां पहुंचे तथा सुजडू में दबिश देकर युवती को बरामद कर लिया। इस सिलसिले में एक युवक को हिरासत में ले लिया।

पुलिस ने बताया कि युवती घर से भागने के बाद संजीव नामक युवक के साथ शिमला में असद के यहां किराये पर रह रही थी। दोनों से एक बच्चा भी हुआ था। बाद में संजीव और युवती के बीच अनबन रहने लगी थी। युवती असद के साथ भागकर मुजफ्फरनगर के सुजडू गांव में रहने लगी थी। पुलिस ने बताया कि युवती ने मोहाली में धर्म परिवर्तन कर लिया था और यहां फु लत में असद के साथ निकाह कर लिया था। पुलिस युवती को न्यायालय में पेश करने की तैयारी कर रही है।

रेवदर ब्लॉक सीएमओ ३ हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार

रेवदर ब्लॉक सीएमओ ३ हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार

भटाणा की जीएनएम से अटके वेतन के भुगतान के बदले मांगी थी १० हजार की रिश्वत, दूसरी किश्त तीन हजार रुपए लेते समय एसीबी ने की कार्रवाई




  रेवदर(सिरोही)

रेवदर ब्लॉक सीएमओ डॉ. सुरेंद्र जैन को भटाणा अस्पताल में कार्यरत जीएनएम मंजूला मेघवाल से नवंबर माह के अटके वेतन का भुगतान कराने की एवज में तीन हजार रुपए की रिश्वत लेते एसीबी ने रंगे हाथों गिरफ्तार कर दिया। सिरोही एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अर्जुन सिंह राजपुरोहित ने बताया कि रेवदर उपखंड क्षेत्र के भटाणा अस्पताल में कार्यरत जीएनएम मंजूला मेघवाल का नवंबर माह का वेतन किसी कारणवश अटक गया था। इसकी स्वीकृति के लिए रेवदर ब्लॉक सीएमओ डॉ. सुरेंद्र जैन के पास गई, लेकिन डॉ. जैन ने बिना रिश्वत के वेतन जारी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने जीएनएम ने वेतन जारी करने की एवज में १० हजार रुपए की रिश्वत मांगी। इस पर जीएनएम ने सिरोही एसीबी में शिकायत दर्ज करवाई। एसीबी ने इस मामले का सत्यापन करवाया। सत्यापन की कार्रवाई ३१ दिसंबर को हुई, जिसमें डॉ. जैन ने जीएनएम से ४ हजार रुपए लिए। दूसरी किश्त ३ हजार रुपए बुधवार को देना तय हुआ। जीएनएम ने एसीबी की ओर से दिए रंगे नोट ब्लॉक सीएमओ को दिए। जीएनएम जैसे ही रिश्वत की राशि देकर बाहर निकली। एसीबी टीम के सीआई नरेंद्र चौधरी ने दल सहित कार्रवाई कर उसे गिरफ्तार किया। ब्लॉक सीएमओ ने रिश्वत की राशि को टेबल के नीचे रख दिया था, जिसे एसीबी टीम ने जांच पड़ताल कर बरामद किया। जीएनएम छह माह के लिए फरवरी से जुलाई १३ तक अवकाश पर रही। वहां से वापस लौटने पर छह माह के वेतन बनाने की एवज में उससे १० हजार रुपए की रिश्वत की मांगी थी। आरोपी को ब्लॉक सीएमओ को गुरुवार को न्यायालय में पेश किया जाएगा।

गोस्वामी तुलसीदास एक महान कवि होने के साथ साथ पूजनीय भी



कलम में बडी ताकत होती है. यह सब जानते हैं लेकिन यह ताकत आज से ही नहीं है यह ताकत प्राचीन काल से कलम में है. कलम एक आम आदमी को भी संतों की श्रेणी में खड़ा कर देती है. भक्ति, भाव और कलम के मिलन ने भारत को कई संत, विद्वान और कवि दिए हैं जिन्होंने समय-समय पर देश की संस्कृति को अलंकृत किया है. ऐसे ही एक महान संत और कवि थे राम भक्ततुलसीदास (Tulsidas). ‘श्रीरामचरितमानस’ (Ramcharitmanas) के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास एक महान कवि होने के साथ साथ पूजनीय भी हैं.



कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास (Tulsidas)को साक्षात भगवान के दर्शन हुए थे और उन्हीं की इच्छानुसार उन्होंने ‘रामचरितमानस’ की रचना की थी. गोस्वामी तुलसीदास (Tulsidas) का जन्म राजापुर गांव (Rajapur Village, U.P.) (वर्तमान बांदा जिला) उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में हुआ था. संवत् 1554 की श्रावण मास की अमावस्या के सातवें दिन तुलसीदास का जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम आत्माराम (Atma Ram) और माता का नाम हुलसी देवी (Hulsi Devi) था. लोगों में ऐसी भी मान्यता है कि तुलसीदास (Tulsidas)का जन्म बारह महीने गर्भ में रहने के बाद हुआ था जिसकी वजह से वह काफी हृष्ट पुष्ट थे. जन्म लेने के बाद प्राय: सभी शिशु रोया ही करते हैं किन्तु इस बालक ने जो पहला शब्द बोला वह राम था. अतएव उनका घर का नाम ही रामबोला पड गया. माँ तो जन्म देने के बाद दूसरे ही दिन चल बसीं, पिता ने किसी और अनिष्ट से बचने के लिये बालक को चुनियाँ नाम की एक दासी को सौंप दिया और स्वयं विरक्त हो गए. जब रामबोला साढे पाँच वर्ष का हुआ तो चुनियाँ भी नहीं रही. वह गली-गली भटकता हुआ अनाथों की तरह जीवन जीने को विवश हो गया.


बचपन में इतनी परेशानियां और मुश्किलें झेलने के बाद भी तुलसीदास (Tulsidas)ने कभी भगवान का दामन नहीं छोडा और उनकी भक्ति में हमेशा लीन रहे. बचपन में उनके साथ एक और घटना घटी जिसने उनके जीवन को पूरी तरह बदल कर रख दिया. भगवान शंकर जी की प्रेरणा से रामशैल पर रहनेवाले श्री अनन्तानन्द जी के प्रिय शिष्य श्रीनरहर्यानन्द जी (नरहरि बाबा) ने रामबोला के नाम से बहुचर्चित हो चुके इस बालक को ढूंढ निकाला और विधिवत उसका नाम तुलसीराम रखा. इसके बाद उन्हें शिक्षा दी जाने लगी.

 

21 वर्ष की आयु में तुलसीदास (Tulsidas) का विवाह यमुना के पार स्थित एक गांव की अति सुन्दरी भारद्वाज गोत्र की कन्या रत्नावली से कर दी गई. क्यूंकि गौना नहीं हुआ था अत: कुछ समय के लिये वे काशी चले गए और वहां शेषसनातन जी के पास रहकर वेद-वेदांग के अध्ययन में जुट गए. लेकिन एक दिन अपनी पत्नी की बहुत याद आने पर वह गुरु की आज्ञा लेकर उससे मिलने पहुंच गए. लेकिन उस समय यमुना नदी में बहुत उफान आया हुआ था पर तुलसीराम ने अपनी पत्नी से मिलने के लिए उफनती नदी को भी पार कर लिया.


लेकिन यहां भी तुलसीदास (Tulsidas) (Tulsidas) के साथ एक घटना घटी. रात के अंधेरे में वह अपनी पत्नी के घर उससे मिलने तो पहुंच गए पर उसने लोक-लज्जा के भय से जब उन्हें चुपचाप वापस जाने को कहा तो वे उससे उसी समय घर चलने का आग्रह करने लगे. उनकी इस अप्रत्याशित जिद से खीझकर रत्नावली ने स्वरचित एक दोहे के माध्यम से जो शिक्षा उन्हें दी उसने ही तुलसीराम को महान तुलसीदास बना दिया. रत्नावली ने जो दोहा कहा था वह इस प्रकार है:

अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति !

नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत ?


अर्थात जितना प्रेम मेरे इस हाड-मांस के बने शरीर से कर रहे हो, उतना स्नेह यदि प्रभु राम से करते, तो तुम्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती.


यह सुनते ही तुलसीदास (Tulsidas)की चेतना जागी और उसी समय से वह प्रभु राम की वंदना में जुट गए. इसके बाद तुलसीराम को तुलसीदास के नाम से पुकारा जाने लगा. वह अपने गांव राजापुर पहुंचे जहां उन्हें यह पता चला कि उनकी अनुपस्थिति में उनके पिता भी नहीं रहे और पूरा घर नष्ट हो चुका है तो उन्हें और भी अधिक कष्ट हुआ. उन्होंने विधि-विधान पूर्वक अपने पिता जी का श्राद्ध किया और गाँव में ही रहकर लोगों को भगवान राम की कथा सुनाने लगे.

कुछ काल राजापुर रहने के बाद वे पुन: काशी चले गये और वहाँ की जनता को राम-कथा सुनाने लगे. कथा के दौरान उन्हें एक दिन मनुष्य के वेष में एक प्रेत मिला, जिसने उन्हें हनुमान ‌जी का पता बतलाया. हनुमान ‌जी से मिलकर तुलसीदास ने उनसे श्रीरघुनाथजी का दर्शन कराने की प्रार्थना की. हनुमानजी (Lord Hanuman) ने कहा- “तुम्हें चित्रकूट में रघुनाथजी के दर्शन होंगें.” इस पर तुलसीदास जी चित्रकूट की ओर चल पड़े.






चित्रकूट पहुँच कर उन्होंने रामघाट पर अपना आसन जमाया. एक दिन वे प्रदक्षिणा करने निकले ही थे कि यकायक मार्ग में उन्हें श्रीराम के दर्शन हुए. उन्होंने देखा कि दो बड़े ही सुन्दर राजकुमार घोड़ों पर सवार होकर धनुष-बाण लिये जा रहे हैं. तुलसीदास (Tulsidas) उन्हें देखकर आकर्षित तो हुए, परन्तु उन्हें पहचान न सके. तभी पीछे से हनुमान्‌जी (Hanuman) ने आकर जब उन्हें सारा भेद बताया तो वे पश्चाताप करने लगे. इस पर हनुमान्‌जी ने उन्हें सात्वना दी और कहा प्रातःकाल फिर दर्शन होंगे.


संवत्‌ 1607 की मौनी अमावस्या को बुद्धवार के दिन उनके सामने भगवान श्रीराम पुनः प्रकट हुए. उन्होंने बालक रूप में आकरतुलसीदास (Tulsidas)से कहा-”बाबा! हमें चन्दन चाहिये क्या आप हमें चन्दन दे सकते हैं?” हनुमान ‌जी ने सोचा,कहीं वे इस बार भी धोखा न खा जायें, इसलिये उन्होंने तोते का रूप धारण करके यह दोहा कहा:


चित्रकूट के घाट पर, भइ सन्तन की भीर.

तुलसिदास चन्दन घिसें, तिलक देत रघुबीर॥

तुलसीदास (Tulsidas) श्रीराम जी (Lord Rama) की उस अद्भुत छवि को निहार कर अपने शरीर की सुध-बुध ही भूल गए. अन्ततोगत्वा भगवान ने स्वयं अपने हाथ से चन्दन लेकर अपने तथा तुलसीदास जी के मस्तक पर लगाया और अन्तर्ध्यान हो गये.

संवत् 1628 में वह हनुमान जी की आज्ञा लेकर अयोध्या की ओर चल पड़े. उन दिनों प्रयाग में माघ मेला लगा हुआ था. वे वहाँ कुछ दिन के लिये ठहर गये. पर्व के छः दिन बाद एक वटवृक्ष के नीचे उन्हें भारद्वाज और याज्ञवल्क्य मुनि के दर्शन हुए. वहाँ उस समय वही कथा हो रही थी, जो उन्होने सूकरक्षेत्र में अपने गुरु से सुनी थी. माघ मेला समाप्त होते ही तुलसीदास जी प्रयाग से पुन: वापस काशी आ गये और वहाँ के प्रह्लादघाट पर एक ब्राह्मण के घर निवास किया. वहीं रहते हुए उनके अन्दर कवित्व-शक्ति का प्रस्फुरण हुआ और वे संस्कृत में पद्य-रचना करने लगे. परन्तु दिन में वे जितने पद्य रचते, रात्रि में वे सब लुप्त हो जाते. यह घटना रोज घटती. आठवें दिन तुलसीदास जी को स्वप्न हुआ. भगवान शंकर ने उन्हें आदेश दिया कि तुम अपनी भाषा में काव्य रचना करो. तुलसीदास जी की नींद उचट गयी. वे उठकर बैठ गये. उसी समय भगवान शिव और पार्वती उनके सामने प्रकट हुए. तुलसीदास जी ने उन्हें साष्टांग प्रणाम किया. इस पर प्रसन्न होकर शिव जी ने कहा- “तुम अयोध्या में जाकर रहो और हिन्दी में काव्य-रचना करो. मेरे आशीर्वाद से तुम्हारी कविता सामवेद के समान फलवती होगी.”

यह सुनकर संवत्‌ 1631 में तुलसीदास (Tulsidas)ने ‘रामचरितमानस’ की रचना शुरु की. दैवयोग से उस वर्ष रामनवमी के दिन वैसा ही योग आया जैसा त्रेतायुग में राम-जन्म के दिन था. उस दिन प्रातःकाल तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस की रचना प्रारम्भ की. दो वर्ष, सात महीने और छ्ब्बीस दिन में यह अद्भुत ग्रन्थ सम्पन्न हुआ. संवत्‌ 1633 के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में राम-विवाह के दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गए.


इसके बाद भगवान् की आज्ञा से तुलसीदास जी काशी चले आये. वहाँ उन्होंने भगवान्‌ विश्वनाथ और माता अन्नपूर्णा को श्रीरामचरितमानस सुनाया. रात को पुस्तक विश्वनाथ-मन्दिर में रख दी गयी. प्रात:काल जब मन्दिर के पट खोले गये तो पुस्तक पर लिखा हुआ पाया गया- ‘सत्यं शिवं सुन्दरम्‌’ जिसके नीचे भगवान्‌ शंकर की सही (पुष्टि) थी. उस समय वहाँ उपस्थित लोगों ने ‘सत्यं शिवं सुन्दरम्‌’ की आवाज भी कानों से सुनी.

तुलसीदास (Tulsidas)जी जब काशी के विख्यात् घाट असीघाट पर रहने लगे तो एक रात कलियुग मूर्त रूप धारण कर उनके पास आया और उन्हें पीड़ा पहुँचाने लगा. तुलसीदास जी ने उसी समय हनुमान जी का ध्यान किया. हनुमान जी ने साक्षात् प्रकट होकर उन्हें प्रार्थना के पद रचने को कहा, इसके पश्चात् उन्होंने अपनी अन्तिम कृति ‘विनय-पत्रिका’ लिखी और उसे भगवान के चरणों में समर्पित कर दिया. श्रीराम जी ने उस पर स्वयं अपने हस्ताक्षर कर दिये और तुलसीदास जी को निर्भय कर दिया.


संवत्‌ 1680 में श्रावण कृष्ण तृतीया शनिवार को तुलसीदास जी ने “राम-राम” कहते हुए अपना शरीर परित्याग किया.

तुलसीदास (Tulsidas)ने ही दुनिया को “हनुमान चालिसा” (Hanuman Chalisa) नामक डर को मिटाने वाल मंत्र दिया है. कहा जाता है कि हनुमान चालिसा के पाठ से सभी भय-विकार मिट जाते हैं. तुलसीदास जी ने देवनागरी लिपि में अपने लेख लिख हिन्दी को आगे बढ़ाने में भी काफी सहायता की है. भारतभूमि सदैव अपने इस महान रत्न पर नाज करेगी.

आगरा का लाल क़िला




आगरा में ताजमहल से थोड़ी दूर पर 16 वीं शताब्‍दी में बना महत्‍वपूर्ण मुग़ल स्‍मारक है, जो आगरा का लाल क़िला नाम से विख्यात है। यह शक्तिशाली क़िला लाल सैंड स्‍टोन से बना हुआ है। यह 2.5 किलोमीटर लम्‍बी दीवार से घिरा हुआ है। यह मुग़ल शासकों का शाही शहर कहा जाता है। इस क़िले की बाहरी मज़बूत दीवारें अपने अंदर एक स्‍वर्ग को छुपाए हैं। इस क़िले में अनेक विशिष्‍ट भवन हैं।
विशिष्‍ट भवन

'मोती मस्जिद' सफ़ेद संगमरमर से बनी है, जो एक त्रुटि रहित मोती जैसी है।
दीवान ए आम
दीवान ए ख़ास
मुसम्‍मन बुर्ज - जहाँ मुग़ल शासक शाहजहाँ की मौत 1666 ए. डी. में हुई।
जहाँगीर का महल
ख़ास महल
शीश महल
आगरा का क़िला मुग़ल वास्‍तुकला का उत्‍कृष्‍ट उदाहरण है, यह भारत में 'यूनेस्को के विश्‍व विरासत स्‍थलों' में से एक है।

अकबरनामा के अनुसार आगरा क़िले का निर्माण होता देखते सम्राट अकबर

क़िले का निर्माण

आगरा के क़िले का निर्माण 1656 के लगभग शुरू हुआ था। इसकी संरचना मुग़ल बादशाह अकबर ने निर्मित करवाई थी। इसके बाद का निर्माण उनके पोते शाहजहाँ ने कराया। शाहजहाँ ने क़िले में सबसे अधिक संगमरमर लगवाया। यह क़िला अर्ध चंद्राकार बना हुआ है जो पूर्व की दिशा में चपटा है और इसकी एक सीधी और लम्‍बी दीवार नदी की ओर जाती है। इस पर लाल सैंडस्‍टोन की दोहरी प्राचीर बनी हैं। बाहरी दीवार की चौड़ाई 9 मीटर मोटी है। एक और आगे बढ़ती 22 मीटर ऊंची अंदरुनी दीवार अपराजेय है। क़िले की रूपरेखा यमुना नदी की दिशा में है, जो उन दिनों इसके पास से बहती थी। इसका मुख्‍य अक्ष नदी के समानान्‍तर है और दीवारें शहर की ओर हैं।


क़िले की संरचना


इस क़िले के मूलत: चार प्रवेश द्वार थे, जिनमें से दो को बाद में बंद कर दिया गया था। आज पर्यटकों को राणा अमरसिंह दरवाज़े से प्रवेश करने की अनुमति है। 'जहाँगीरी महल' पहला उल्‍लेखनीय भवन है जो अमरसिंह नामक प्रवेश द्वार से आने पर अतिथि सबसे पहले देखते हैं। जहाँगीर अकबर का बेटा था और वह मु्ग़ल साम्राज्य का उत्तराधिकारी भी था। जहाँगीर महल का निर्माण अकबर ने महिलाओं के लिए कराया था। यह पत्‍थरों से बना हुआ है और इसकी बाहरी सजावट बहुत ही सादगी वाली है। पत्‍थरों के बड़े कटोरे पर सजावटी पर्शियन पच्‍चीकारी की गई है, जो संभवत: सुगंधित गुलाबजल को रखने के लिए बनाया गया था। अकबर ने जहाँगीर महल के पास अपनी प्रिय रानी जोधाबाई के लिए एक महल का निर्माण भी कराया था।


ख़ासमहल
आगरा क़िले की झरोखा ख़िड़की में जहाँगीर


शाहजहाँ द्वारा पूरी तरह से संगमरमर का बना हुआ ख़ासमहल विशिष्‍ट इस्‍लामिक-पर्शियन विशेषताओं का उत्कृष्ट उदाहरण है। इनके साथ हिन्‍दुओं की वास्तुकला की अद्भुत छतरियों को मिलाया गया है। यह बादशाह का सोने का कमरा या आरामगाह माना जाता है। ख़ासमहल में सफ़ेद संगमरमर की सतह पर चित्रकला का सबसे उत्कृष्ट चित्रांकन किया गया है। ख़ासमहल की बाईं ओर 'मुसम्‍मन बुर्ज' है कहा जाता है कि इसका निर्माण शाहजहाँ ने कराया था। यह सुंदर अष्‍टभुजी स्‍तंभ एक खुले मंडप के साथ बना है। इसका खुलापन, ऊंचाइयाँ और शाम की ठण्‍डी हवाएं इसकी कहानी खुद कहती हैं। कहा जाता है कि यही वह जगह है जहाँ शाहजहाँ ने ताजमहल को निहारते हुए अंतिम सांसें ली थी।


शीशमहल


शीशमहल या कांच का बना हुआ महल हमाम के अंदर सजावटी पानी वास्तुकला का उत्‍कृ‍ष्‍टतम उदाहरण है। यह माना जाता है कि हरम या कपड़े पहनने का कक्ष और इसकी दीवारों में छोटे छोटे शीशे लगाए गए थे जो भारत में कांच की सजावट का सबसे अच्‍छा नमूना है। शाही महल के दाईं ओर दीवान-ए-ख़ास है, जो निजी श्रोताओं के लिए है। यहाँ बने संगमरमर के खम्‍भों में सजावटी फूलों के पैटर्न पर अर्ध्द कीमती पत्‍थर लगाए गए हैं। इसके पास मम्‍मम-शाही या 'शाहबुर्ज' को गर्मी के मौसम में काम में लिया जाता था।


दीवान-ए-आम


'दीवान-ए-आम' में प्रसिद्ध 'मयूर सिंहासन' रक्खा जाता था, जिसे शाहजहाँ ने राजधानी दिल्‍ली से ला कर लालक़िले में रक्खा गया था। यह सिंहासन सफ़ेद संगमरमर से बना हुआ उत्‍कृष्‍ट कला का नमूना है।


नगीना मस्जिद


नगीना मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ ने कराया था, जो दरबार की महिलाओं के लिए एक निजी मस्जिद थी।

यमुना नदी से आगरा क़िले का एक दृश्य
मोती मस्जिद



मोती मस्जिद आगरा क़िले की सबसे सुंदर रचना है। यह भवन आजकल दर्शकों के लिए बंद किया गया है। मोती मस्जिद के पास 'मीना मस्जिद' है, जिसे शाहजहाँ ने केवल अपने निजी उपयोग के लिए बनवाया था।


ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम


क़िले की दर-ओ दीवार आकर्षक रोशनी से रोशन होती और पाश्र्व में इतिहास की गाथा दमदार आवाज़ के साथ सुनाई देती है। छह साल बाद आगरा क़िला फिर से इस अंदाज में पर्यटकों को इतिहास के पन्नों से रुबरु कराने के लिए तैयार है। पौने दो करोड़ रुपये खर्च कर बंद पड़े 'ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम' का अधिकारियों की मौजूदगी में अभ्यास होगा। आगरा क़िले में होने वाला 'ध्वनि और प्रकाश कार्यक्रम' वर्ष 2004 से बंद पड़ा था। केंद्र सरकार ने इस कार्यक्रम को दोबारा शुरू करने के लिए 1.76 करोड़ रुपये बजट को स्वीकृति दी थी। अब योजना पूरी कर ली गई और कार्यक्रम शुरू होने के लिए पूरी तैयार है। सूत्रों के मुताबिक इस बार कार्यक्रम को बिल्कुल नये अंदाज में प्रस्तुत किया जाएगा। इसके लिए आधुनिक उपकरण और मशीनें लगाई गई हैं। जिससे प्रस्तुति पहले से कहीं ज़्यादा बेहतर होगी।


गौरवलब है कि ताजनगरी आने वाले पर्यटकों को रात्रि प्रवास को आकर्षित करने के लिए पूर्व में पर्यटन विभाग ने यह कार्यक्रम शुरू किया था। क़िला बंद होने के बाद शाम को होने वाले इस कार्यक्रम में ध्वनि और प्रकाश संयोजन के साथ क़िले से जुड़े इतिहास को रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया जाता था। 2004 से बंद पड़े इस शो को शुरू कराने की जब पर्यटन संस्थाओं और जन प्रतिनिधियों ने माँग उठाई और मामला विधानसभा तक पहुँच गया तो प्रस्ताव केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय को भेज दिया गया। जहाँ से बजट मिलने के बाद इसे दोबारा तैयार किया गया है। यह कार्यक्रम हिन्दी और अंग्रेज़ी में अलग-अलग प्रस्तुत किया जाएगा।

हिस्ट्रीशीटर व कुख्यात आरोपी गंगाराम गिरफ्तार


हिस्ट्रीशीटर व कुख्यात आरोपी गंगाराम गिरफ्तार

सदर थाने का है हिस्ट्रीशीटर, तीन माह से था फरार




बाड़मेर. सदर पुलिस ने तीन माह से फरार लूट के कुख्यात आरोपी गंगाराम पुत्र मालाराम जाट को बुधवार गिरफ्तार किया है। आरोपी सदर थाने का हिस्ट्रीशीटर है और उसके खिलाफ लूट, मारपीट, अपहरण के कई मामले दर्ज है। पुलिस को पिछले तीन माह से आरोपी की तलाश कर रही है। सदर थानाधिकारी ओमप्रकाश उज्ज्वल ने बताया कि पोकर भादू की ढाणी नोख के पूर्व सरपंच पन्ना राम ने मामला दर्ज करवाया था कि दीपावली के मौके पर लक्ष्मी पूजन के दिन दुकान में चोरी कर 20 हजार रुपए चुरा लिए थे। पुलिस ने इस मामले में घटना के दो-तीन दिन बाद चीमा राम को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद पुलिस पूछताछ में कुख्यात आरोपी गंगाराम का नाम सामने आया था। पुलिस पिछले तीन माह से आरोपी की तलाश कर रही थी। बुधवार को पुलिस ने गंगाराम पुत्र मालाराम भादू निवासी पोकर भादू की ढाणी नोख को गिरफ्तार किया। आरोपी सदर थाने का हिस्ट्रीशीटर है और इसके खिलाफ चोरी, डकैती, मारपीट, अपहरण सहित कई मामले दर्ज है। कुख्यात आरोपी गंगाराम ने 5 जून 2013 को केयर्न इंजीनियर का अपहरण मामले का भी आरोपी है। ऐसे में पुलिस अब आरोपी से गहन पूछताछ में जुटी हुई है, जिससे जिले की कई अपरा धिक घटनाओं का खुलासा होने की उम्मीद है।

बुधवार, 8 जनवरी 2014

नग्न होकर बच्चियों से कराता था मालिश

अलवर। राजस्थान में अलवर जिले के नौगांवा थानाक्षेत्र के खरखडी गांव में एक कथित तांत्रिक की शर्मनाक करतूतों का खुलासा हुआ है। नाबालिग बालिकाओं की बीमारी ठीक करने के बहाने तांत्रिक रात को नग्न होकर उनसे अपने शरीर पर मालिश कराने के साथ ही छेड़छाड़ करता था। मामले का खुलासा तब हुआ जब एक पीडित बच्ची ने तांत्रिक के पिंड से छूटकर अपने घर गई।
नौगांव थाना प्रभारी हरिनारायण ने बुधवार को बताया कि तांत्रिक की हरकतों से पीडित बालिका की नानी ने इस मामले के दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया कि उसकी पुत्री और दामाद की मौत के बाद 15 वर्षीय दोहिती की बीमारी को ठीक करने के लिए वह किशनगढबास क्षेत्र के कोलगांव में बल्लूखां तांत्रिक के पास ले कर गई तो बल्लू ने कहा कि बालिका को मेरे पास छोड़ कर जाओ तो सात दिन में ठीक हो जाएगी।

तांत्रिक क्रिया का खर्च डेढ़ लाख रूपए

बल्लू ने तांत्रिक क्रिया के लिए काले रंग के बकरे की बलि और डेढ़ लाख रूपए का इंतजाम करने को कहा। नानी ने बताया कि बल्लू खां की तंत्र विद्या का असर समाप्त होने पर पीडित बालिका ने बताया कि तांत्रिक रात को नंगा होकर अपने शरीर की मालिश करता था तथा छेड़छाड़ करता था।

दूध में पिलाता था नशीला पदार्थ

पीडिता ने ही पुलिस को बताया कि तांत्रिक रात को दूध में मिला कर कोई नशीला पदार्थ पिलाता था जिससे बालिका होश हवाश खो देती थी। बालिका का कहना है कि बल्लू के पास सात आठ अन्य लड़कियां भी इलाज कराने के लिए आई हुई थीं और वह सभी के साथ इसी तरह की हरकत करता था।

फरार तांत्रिक की हो रही तलाश

थाना प्रभारी ने बताया कि मामला दर्ज कर फरार बल्लू खां की तलाश के लिए पुलिस ने टीमें गठित की हैं। उन्होंने कहा कि मामले की जांच के लिए पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंुंच गए हैं।

बच्चों हो जाओ तैयार, 12वीं का परीक्षा कार्यक्रम जारी

अजमेर। बच्चो तैयार हो जाओ। परीक्षाओं के लिए कमर कस लो। तुम्हारी परीक्षा का कार्यक्रम जारी हो गया है। राज्य में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने बुधवार को 12वीं कक्षा का परीक्षा कार्यक्रम जारी कर दिया। परीक्षाएं 6 मार्च से शुरू होंगी और 28 मार्च को समाप्त होगी। परीक्षाओं का समय सुबह 8.30 से 11.45 तक होगा।
परीक्षा कार्यक्रम इस प्रकार रहेगा:-
तारीख विषय
6 मार्च अंग्रेजी अनिवार्य
7 मार्च हिन्दी अनिवार्य
8 मार्च कम्प्यूटर विज्ञान/ इन्फोरमेटिकस प्रेक्टिस/ मल्टीमीडिया वेबटेक
10 मार्च लेखाशास्त्र/राजनीति विज्ञान/भूविज्ञान/कृषि
11 मार्च समाज शास्त्र
12 मार्च व्यवसाय अध्ययन/भौतिकविज्ञान/ इतिहास/
13 मार्च कंठसंगीत/वाद्य संगीत/
14 मार्च लोकप्रशासन
15 मार्च मनोविज्ञान
18 मार्च अर्थशास्त्र /रसायन विज्ञान/शीघ्रलिपि/हिन्दी/ अंग्रेजी साहित्य/उर्दू साहित्य/ सिंधी साहित्य/गुजराती साहित्य/पंजाबी साहित्य/राजस्थानी साहित्य/ फारसी/ प्राकृत भाषा/टंकण लिपि अंंग्रेजी (इस विषय का पेपर सुबह 9 बजे से होगा)
21 मार्च दर्शनशास्त्र
22 मार्च गणित/टंकण लिपि हिन्दी (इस विषय का पेपर सुबह 9 बजे से होगा)
25 मार्च भूगोल
26 मार्च चित्रकला
27 मार्च गृह विज्ञान
28 मार्च संस्कृत साहित्य

हाईवे पर पूर्व मिस वेनेजुएला मोनिका स्पीयर्स की गोली मारकर हत्या

वेनेजुएला: दक्षिण अमेरिका में लूटपाट की एक घटना में लुटेरों ने पूर्व मिस वेनेजुएला मोनिका स्पीयर्स और उनके पूर्व पति की गोली मारकर हत्या कर दी। मोनिका 29 साल की थीं। मोनिका सोप ओपेरा आदाकारा भी थीं। मोनिका अपनी पांच साल की बेटी और पूर्व पति के साथ अमेरिका से छुट्टियां मनाने वेनेजुएला आईं थीं।हाईवे पर पूर्व मिस वेनेजुएला मोनिका स्पीयर्स की गोली मारकर हत्या
मोनिका वर्ष 2005 में मिस वेनेजुएला प्रतियोगिता में शामिल हुईं थी। पुलिस के मुताबिक मोनिका अपने पति और बेटी के साथ प्यूर्टो काबेलो से वेलिंशिया जा रहीं थीं। इस दौरान हाईवे पर उनकी कार में खराबी आ गई थी। इसी वक्तलुटेरों ने उनपर हमला बोल दिया। हमले में मोनिका और उनके पूर्व पति हेनरी बेरी की मौके पर ही मौत हो गई। इस दौरान उनकी बेटी भी हमलावरों के गोली का शिकार हुई है और वह उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

कैलाश मानसरोवर की यात्रा इस साल 9 जून से शुरू होगी

पिथौरागढ: सालाना कैलाश मानसरोवर यात्रा इस साल नौ जून से शुरू होगी। विदेश मंत्रालय ने चीन सरकार और अन्य एजेन्सियों से बातचीत कर यात्रा नौ जून से शुरू करने का निर्णय किया है। गत वर्ष उत्तराखंड में जून के मध्य में अचानक आयी बाढ से यह यात्रा स्थगित कर दी गयी थी।कैलाश मानसरोवर की यात्रा इस साल 9 जून से शुरू होगी
निगम के प्रबंध निदेशक दीपक रावत ने बताया कि श्रद्धालुओं का पहला जत्था नयी दिल्ली से 12 जून को कुमाउं पहुंचेगा और 13 जून को धारचुला के आधार शिविर पहुंचेगा। यात्रा नौ सितम्बर को समाप्त होगी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिये 60-60 श्रद्धालुओं के 18 जत्थे भेजे जायेंगे और प्रत्येक जत्थे की यात्रा 22 दिन की होगी।

रावत ने कहा कि प्रत्येक श्रद्धालु को इस यात्रा के लिये भारतीय भूभाग पर 32 हजार रूपये देने होंगे जबकि चीनी भूभाग में चीनी अधिकारियों को 901 अमेरिकी डालर अदा करने होंगे। उन्होंने कहा कि इस साल यात्रा के मार्ग में किसी तरह का कोई परिवर्तन नहीं किया जायेगा और यह काठगोदाम, अल्मोडा, दानिया, पिथौरागढ, धारचूला, सिरखा, गाला, बूंदी गुमटी, कालापानी, नाभीडांगा और लिपुलेख दर्रा से गुजरेगी।

मुख्‍यमंत्री ने कैसे ली राज्‍यभर के कलेक्‍टर और एसपी की क्‍लास

जयपुर। दो दिवसीय कलेक्टर और एसपी कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान को हर क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाने और अधिकारियों को निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव कराने के लिए बधाई दी । मुख्‍यमंत्री ने जिला कलेक्टर्स-पुलिस अधीक्षकों को सुशासन देने की राज्य सरकार की प्राथमिकता पर कार्य करने, आम जन के अभाव अभियोग सुन कर उनका निराकरण करने तथा राज्य सरकार द्वारा क्रियान्वित योजनाओं की समीक्षा तथा मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए।
तस्‍वीरों में देखें, मुख्‍यमंत्री ने कैसे ली राज्‍यभर के कलेक्‍टर और एसपी की क्‍लास
मुख्यमंत्री कार्यालय के कन्वेन्शन हॉल में हो रही इस कांफ्रेंस में सभी मंत्री, संभागीय आयुक्त, कलेक्टर, संबंधित अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव शामिल हुए।

सबसे पहले बीकानेर और अजमेर संभाग के कलेक्टर सीएम के सामने प्रजेंटेशन देने पहुंचें। बीकानेर और अजमेर संभाग के बाद भरतपुर, जयपुर और कोटा, जोधपुर और उदयपुर संभाग के कलेक्टरों ने प्रजेंटेशन दिया। देर रात मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ओर से कांफ्रेंस में शामिल सभी अफसरों को डिनर दिया जाएगा।

पहले दिन यह एजेंडा

सीएमओ में सड़क, बिजली, पेयजल, शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, मनरेगा, कृषि, खाद्य सुरक्षा कानून, कौशल विकास की वर्तमान स्थिति और सुधार के कार्यक्रम आदि मुद्दों पर चर्चा हुई।

दूसरे दिन कानून और व्यवस्था पर मंथन

9 जनवरी को प्रथम सत्र में ढाई घंटे तक मुख्यमंत्री एसपी के साथ राज्य में कानून एवं शांति व्यवस्था पर चर्चा करेंगी। इनमें महिलाओं, एससी और एसटी के खिलाफ घटित होने वाले अपराधों और सामान्य अपराध की स्थिति पर चर्चा होगी और इन्हें रोकने के उपायों पर भी विचार होगा।

साथ ही सामुदायिक पुलिस और सड़क सुरक्षा के मुद्दों पर भी चर्चा होगी। दूसरे सत्र में भी कानून एवं व्यवस्था की स्थिति पर एसपी, कलेक्टर और संभागीय आयुक्तों के साथ संयुक्त रूप से विचार- विमर्श होगा।

बगदाद में बंदूकधारियों ने वेश्यालय पर किया हमला, 12 लोगों की हत्या

बगदाद। बगदाद में एक वेश्यालय में बंदूकधारियों द्वारा किए हमले में सात महिलाओं और पांच पुरुषों की मौत हो गई है। सुरक्षाकर्मियों और स्थानीय मेडिकल दल ने इसकी पुष्टि की।
बगदाद में बंदूकधारियों ने वेश्यालय पर किया हमला, 12 लोगों की हत्या
यह हमला पूर्वी बगदाद के जायुना इलाके में स्थित एक अपार्टमेंट में किया गया, जहां वेश्यालय चलाया जा रहा था। गौरतलब है कि पिछले साल भी 22 मई को इसी जगह किए हमले में कुछ लोगों की हत्या कर दी गई थी।

पिछले कुछ सालों से इराक में हिंसा के मामलों में काफी ज्यादा बढ़ावा हुआ है।

किसने कराया आप के कार्यालय पर हमला?

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है ।
आम आदमी पार्टी के कौशाम्बी स्थित कार्यालय पर हमला और तोड़फोड़ की घटना पर केजरीवाल ने कहा कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं है।

अगर ऎसी घटना को अंजाम देने वाले लोग इसे हल मानते हैं तो वह समय और स्थान बता दें। मैं वहां आ जाऊंगा और वे अपनी इच्छा पूरी कर लें । केजरीवाल ने कहा कि कश्मीर में सेना की तैनाती का फैसला केन्द्र सरकार का है ।

उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण यह है कि लोगों की निजी राय का सम्मान किया जाना चाहिए । इस संबंध में जनमत संग्रह कोई विकल्प नहीं है।

आप नेता प्रशांत भूषण के कश्मीर पर दिए गए बयान से उत्तेजित हिंदू रक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने कौशाम्बी स्थित कार्यालय पर हमला किया और तोड़फोड़ की ।

भूषण ने इस घटना पर कहा है कि यह इस बात को दर्शाता है कि भारतीय जनता पार्टी आप की बढ़ती लोकप्रियता से बहुत हताश हो गई है ।

उन्होंने कहा कि मैं अपने बयान के बारे में स्पष्ट कर चुका हूं किंतु यह घटना भाजपा, संघ परिवार और उनके सहयोगी संगठनों में गहरी हताशा को दर्शाती है।

उन्होंने दावा किया कि हमलावरों में एक वह व्यक्ति भी था जो 12 दिसम्बर 2011 को उच्चतम न्यायालय में उनके चैम्बर में उनके साथ की गई धक्का मुक्की में भी शामिल था।

उन्होंने कहा कि हमलावरों में तेजिंदर सिंह बग्गा भी था जिसने चैम्बर पर मेरे ऊपर हमला किया था । यह भाजपा का सक्रिय कार्यकर्ता है । उसकी वेबसाइट को भाजपा और संघ परिवार का सहयोग मिला है

नौकरियों की बहार, जल्द करें आवेदन



जयपुर। अगर सरकारी नौकरी की तलाश में हैं तो आपके लिए गुड न्यूज है।

इस समय आपके पास बैंक, अस्पताल और स्टाफ सेलेक्शन कमीशन में नौकरी पाने का सुनहरा मौका है।

सबसे ज्यादा 339 वेकेंसी डेक्कन ग्रामीण बैंक में निकली हैं। वहीं संजय गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल में डॉक्टरों के 66 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया है।

तो देर किस बात की अंतिम तिथि से पहले करें आवेदन। पूरी जानकारी के लिए आप संबंधित विभाग की वेबसाइट पर जाएं।

सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक
पद : ऑफिसर स्केल तृतीय, द्वितीय
पद संख्या : कुल 72 पद
अंतिम तिथि : 13 जनवरी, 2014

संजय गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल
पद : सीनियर रेजीडेंट डॉक्टर से लेकर विभिन्न पद
पद संख्या : कुल 66 पद
अंतिम तिथि : 14 जनवरी, 2013

ऑफिस ऑफ द डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर, रायपुर
पद : असिस्टेंट गे्रड-तृतीय, डाटा इंट्री ऑपरेटर
पद संख्या : कुल 167 पद
आयु सीमा : 18 से 35 वर्ष के मध्य
अंतिम तिथि : 15 जनवरी, 2014

स्टाफ सेलेक्शन कमीशन, कर्नाटक, केरल क्षेत्र
पद : जूनियर इंजीनियर से लेकर विभिन्न पद
पद संख्या : कुल 22 पद
अंतिम तिथि : 17 जनवरी, 2014

डेक्कन ग्रामीण बैंक
पद : ऑफिसर स्केल प्रथम, द्वितीय, तृतीय
पद संख्या : कुल 339 पद
अंतिम तिथि : 22 जनवरी, 2014

तीसरी शादी के लिए ऐक्ट्रेस अलका ने रचा मौत का ड्रामा



मुंबई  पिछले एक पखवाड़े से लापता मराठी ऐक्ट्रेस अलका पुनेवर का मंगलवार को चेन्नै में लोकेशन मिला है। मुंबई क्राइम ब्रांच का दावा है कि अलका अपने बॉयफ्रेंड अमित पालीवाल के साथ भाग गई थीं। इन दोनों ने एक कॉमन दोस्त संजीव कुमार के जरिए यह दिखाने के लिए कहानी रची कि ऐक्सिडेंट में अलका की मौत हो गई है।
alka_punewar
अलका पुनेवर ने टीवी धारावाहिकों के अलावा बॉलिवुड फिल्मों में भी काम किया है, इसलिए उसने अपने लापता होने की स्क्रिप्ट भी अपने प्रेमी के जरिए बॉलिवुड स्टाइल में लिखवाई। लेकिन आम अपराधियों की तरह उसने भी एक छोटी-सी गलती कर दी, एक बंद मोबाइल पर एसएमएस करके। इसी में मुंबई क्राइम ब्रांच को उनकी लोकेशन बुधवार को उसके बॉयफ्रेंड अमित पालीवाल के साथ चैन्ने की मिल गई और इस तरह अलका की झूठ की कहानी का पूरा पर्दाफाश हो गया।

अलका मूल रूप से ठाणे की रहने वाली हैं। उनकी दो शादियां हो चुकी हैं। वर्तमान पति संजय पुनेवर एयरफोर्स से जुड़े हैं। अलका को संजय से दो जुड़वां बच्चे हैं - प्रतीक और पीयूष, जिनकी उम्र 19-19 साल है जबकि पहले पति से अलका को एक लड़की है, जिसकी उम्र 24 साल है। इस लड़की की शादी भी हो चुकी है। पर 48 साल की अलका जिस अमित पालीवाल के साथ भागी, उस अमित की उम्र भी सिर्फ 24 साल है। यानी अलका की लड़की के बराबर।पुलिस सूत्रों का कहना है कि अलका ने मौत का यह ड्रामा इसलिए किया, ताकि तीसरी बार शादी करने से वह बदनाम न हो जाए। इसके लिए एक रणनीति के तहत उसने 27 दिसंबर को अपने पति से कहा कि उसे एक स्टेज शो में उरण और वहां से शूटिंग के लिए चेन्नै जाना है। उस दिन वह घर से तो निकली, लेकिन बाद में अपने प्रेमी के साथ भाग गई।

पार्टी में हुई दोस्ती
मुंबई क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने एनबीटी को बताया कि अमित ने इंजिनियरिंग की डिग्री के बाद एमबीए भी किया हुआ है। वह एसबीआई-लाइफ इंश्योरेंस में काम करता है। कुछ महीने पहले एक पार्टी में उसकी अलका से जान पहचान हुई थी। इसके बाद धीरे-धीरे दोनों के बीच अफेयर शुरू हो गया। बात जब आगे बढ़ी, तो दोनों ने भागने का फैसला किया, लेकिन भागने से पहले इस तरह की कहानी बनाई कि लगे कि वह भागी नहीं, बल्कि कार ऐक्सिडेंट में उसकी मौत हो गई।

इसके लिए 22 दिसंबर को 28 हजार रुपये की एक सेकेंड हैंड गाड़ी खरीदी गई। इसके बाद 27 दिसंबर को अलका ने अपने पति संजय से कहा कि उसे किसी स्टेज शो के लिए उरण जाना है और फिर वहां से किसी शूटिंग के लिए चैन्ने। उसने पति से यह भी कहा कि ठाणे में उरण से स्टेज शो वालों की तरफ से कोई ड्राइवर कार लेकर आएगा, इसलिए पति ने अलका को अपनी कार से ठाणे स्टेशन पर छोड़ दिया। ठाणे में बाद में एक कार आई, पर यह कार किसी स्टेज शो वालों की नहीं थी, बल्कि वह कार थी, जो पांच दिन पहले खरीदी गई थी। इस कार में अलका का बॉयफ्रेंड अमित पालीवाल भी था और अमित का दोस्त संजीव कुमार भी।

साजिश में दोस्त भी साथ
सीनियर इंस्पेक्टर नंदकुमार गोपाले के अनुसार, अमित और संजीव यूपी के मूल निवासी हैं और स्कूल में पढ़ाई के जमाने से दोस्त हैं। संजीव मुंबई में एयरटेल में जॉब करता है। अमित और संजीव ने एक रणनीति के तहत कार से अलका को सीएसटी छोड़ा और इसके बाद दोनों कार से निकल लिए। लेकिन अलका सीएसटी से ट्रेन से नहीं, बल्कि बस से उरण गई। दूसरी ओर अमित और संजीव कार से उरण पहुंचे। यहां तीनों ने साथ में पार्टी की। इसके बाद अलका उरण से पुणे चली गई, जबकि अमित और संजीव अपनी कार को मुंबई-पुणे हाइवे पर खोपोली के पास एक जगह ले गए जहां गहरी खाई है। यहां से कार को नीचे फेंकने का फैसला किया गया, लेकिन नीचे फेंकने से पहले दोनों ने एक रणनीति के तहत कार में अलका के पासपोर्ट के कागज डाल दिए। बाद में इन्होंने कार 900 फीट गहरी खाई में धकेल दिया।

ड्राइवरों के जरिए फैलाई हादसे की बात
कार खाड़ी में फेंक दी गई है, इसका सबको पता कैसे चलेगा? इसके लिए अमित और उसके दोस्त संजीव ने एक अनूठी तरकीब अपनाई। दोनों बीच सड़क पर आए और उन्होंने सड़क से गुजर रहे ट्रक चालकों को रोका और बोले कि उन्होंने एक कार को अभी नीचे गिरते देखा है, उसमें पूरी फैमिली दिख रही थी। चालक फौरन ट्रक से उतर कर खाड़ी की तरफ भागे। धीरे-धीरे जब और भी लोग वहां इकट्ठा हो गए , तो अमित और संजीव हलके से वहां से खिसक लिए और फिर बस के रास्ते पुणे के लिए रवाना हो गए। पुणे से फिर अमित और अलका बेंगलुरु और फिर वहां से चैन्ने के लिए निकल लिए, जबकि अमित का दोस्त संजीव मुंबई वापस आ गया।

SMS का खेल
कार को खाई में धकेलने के बाद पुणे रवाना होने के दौरान अमित ने अलका के मोबाइल से (जो अमित के पास ही था) संजय पुनेकर को 28 दिसंबर की सुबह 4 बजकर 40 मिनट पर एसएमएस कर दिया कि वह उसके बेटे प्रतीक का रेज्युमे एक खास कंपनी को ई-मेल कर दे। प्रतीक इंजिनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। दूसरी ओर खाई के पास जमा भीड़ में से किसी ने खोपोली पुलिस को इस कार के खाई में पड़े होने की सूचना दे दी। सूचना मिलने के बाद पुलिस फौरन घटनास्थल पर पहुंची और फिर स्थानीय लोगों की मदद से खाई में नीचे उतर कर देखा तो पुलिस को नीचे कार में चाबी तो लगी मिली, पर किसी की लाश नहीं दिखी। पहले शक हुआ कि शायद जानवर लाश खा गए हों, पर सवाल उठा कि यदि ऐसा होता, तो लाश के कुछ टुकड़े तो मिलते।

पासपोर्ट से हुई शिनाख्त
पुलिस इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश कर रही थी कि पुलिस को कार में एक पासपोर्ट के कुछ कागजात दिखे। जब इन कागजात को गौर से देखा गया, तो पता चला कि यह किसी अलका पुनेवर के कागजात हैं, पर ये आर्डिनरी पासपोर्ट के नहीं नहीं, बल्कि तत्काल पासपोर्ट के कागजात हैं। तत्काल पासपोर्ट के लिए किसी बड़े अधिकारी का रिफरेंस देना होता है, इसलिए इन कागजात में एक आईपीएस अधिकारी का नाम लिखा हुआ था। जब पुलिस ने इस आईपीएस अधिकारी से संपर्क किया , तो उनसे अलका के नागपुर स्थित भाई अनिल मिश्रा का नंबर मिला। खोपोली पुलिस ने फौरन अनिल को फोन लगाया और इसके बाद अनिल ने ठाणे में अलका के पति संजय पुनेवर को। पति फौरन घटनास्थल पर पहुंचा, उसने पासपोर्ट के कागजात के आधार पर अलका के फोटो को तो पहचान लिया , लेकिन वह कार को नहीं पहचान पाया।

एक मोबाइल, दो SMS
चूंकि कार में किसी की लाश नहीं मिली थी, इसलिए गहन छानबीन के वास्ते ठाणे और खोपोली पुलिस के साथ मुंबई क्राइम ब्रांच के प्रॉपर्टी सेल ने भी मामले की छानबीन शुरू कर दी। मुंबई क्राइम ब्रांच ने जब अलका के मोबाइल का प्रिंटआउट निकाला, तो जांच में पता चला कि 28 दिसंबर को सुबह 4 बजकर 40 मिनट पर जब अलका के पति को बेटे प्रतीक के रेज्युमे के वास्ते एसएमएस किया गया था, तो उसके कुछ सेकेंड बाद एक और नंबर पर भी एक एसएमएस किया गया था। मुंबई क्राइम ब्रांच ने जब इस दूसरे एसएमएस वाले नंबर की पड़ताल की, तो पता चला कि यह किसी अमित पालीवाल का नंबर है और वह नंबर जुलाई में ही बंद हो चुका है।

मुंबई क्राइम ब्रांच ने इस बंद नंबर का जब पुराना रिकॉर्ड निकाला, तो उसमें क्राइम ब्रांच को अमित पालीवाल का एक नया नंबर मिला। इस नए नंबर का जब प्रिंटआउट निकाला गया, तो उसमें अलका से अमित के नियमित बातचीत के सबूत मिले। अमित के इस नए नंबर में मुंबई क्राइम ब्रांच को एक और भी नंबर मिला। यह अमित के दोस्त संजीव कुमार का नंबर था। मुंबई क्राइम ब्रांच ने जब संजीव को पूछताछ के लिए उठाया, तो अलका और अमित की पूरी लव स्टोरी और दोनों के साथ भागने की विस्तार से कहानी पता चली। संजीव से पूछताछ में यह भी पता चला कि अलका अतीत में अपने पति संजय पुनेव को यह बताकर भी घर से निकली थी कि वह किसी फिल्म या टीवी सीरियल की शूटिंग के लिए बैंकॉक जा रही है, पर हकीकत में वह बैंकॉक नहीं, बेंगलुरु जाती थी