मंगलवार, 7 जनवरी 2014

बाडमेर सर्दी के मद्देनजर प्राथमिक विद्यालयों में 11 तक अवकाश

बाडमेर सर्दी के मद्देनजर प्राथमिक विद्यालयों में 11 तक अवकाश
बाडमेर, 7 जनवरी।

जिले में पड रही कडाके की ठण्ड के मद्दे नजर जिले की प्राथमिक विद्यालयों में 11 जनवरी तक अवकाश घोषित किया गया है।
जिला कलक्टर एवं जिला मजिस्टेªट भानुप्रकाष एटुरू द्वारा जारी आदेश के अनुसार बाड़मेर जिले में पड रही कडाके की ठण्ड एवं शीत लहर के मद्देनजर जिले में संचालित सभी सरकारी तथा गैर सरकारी विद्यालयों में कक्षा 1 से 5 तक के अध्ययनरत बालको के लिए 11 जनवरी तक अवकाश घोषित किया गया है।

कॉलगर्ल्स के साथ पकड़े गए डिप्टी मेयर, पहले भी लग चुका है 'दाग'!

पटना। राजधानी पटना के एक होटल में दो कॉलगर्ल के साथ रंगरलियां मना रहे बिहार गया के डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव को पुलिस ने देर रात छापेमारी कर गिरफ्तार कर लिया। पुलिस अधिकारियों ने इसकी पुष्टि भी की है।
कॉलगर्ल्स के साथ पकड़े गए डिप्टी मेयर, पहले भी लग चुका है 'दाग'!
पटना के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर पटना के फ्रेजर रोड स्थित एक होटल सम्राट में छापेमारी की गई, जहां से गया के डिप्टी मेयर को दो लड़कियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। डिप्टी मेयर के साथ एक वार्ड पार्षद, वार्ड पार्षद के पति और डिप्टी मेयर के अंगरक्षक को भी गिरफ्तार कर लिया है। इस तरह से कुल 6 लोगों को गिरफ्तारी हुई है।
कॉलगर्ल्स के साथ पकड़े गए डिप्टी मेयर, पहले भी लग चुका है 'दाग'!
बताया जाता है कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि होटल में सेक्स रैकेट का कारोबार चल रहा है, वहां कॉल गर्ल्स उपलब्ध कराई जा रही हैं। इस सूचना के आधार पर पुलिस ने होटल में छापेमारी की, जहां से सबकी गिरफ्तारी हुई।
कॉलगर्ल्स के साथ पकड़े गए डिप्टी मेयर, पहले भी लग चुका है 'दाग'!
बता दें कि पटना में लगातार सेक्स रैकेट से जुड़े मामलों का खुलासा हो रहा है। वहीं पिछले माह गया में भी एक जेंट्स पार्लर की आड़ में चलाए जा रहे सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ हुआ था, जिसके मालिक डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव थे। हालांकि, तब मोहन श्रीवास्तव ने इस मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया था और जेंट्स पार्लर में अपने स्वामित्व की बात को अस्वीकार कर दिया था।उल्लेखनीय है कि सेक्स रैकेट से जुड़े मामलों में अक्सर कई सफेदपोश नेताओं और अधिकारियों के नाम सामने आते रहे हैं, लेकिन इसका कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिल सका है। ऐसे में डिप्टी मेयर का कॉल गर्ल के साथ पकड़ा जाना बिहार के लिए पहला मामला है।

देखिए किन्नर सम्मेलन की तस्वीरें, जानिए इनसे जुड़ी खास बातें

आगरा. ताजनगरी में इन दिनों देशभर से आईं किन्‍नरों का सम्‍मेलन चल रहा है। इसमें मंगलमुखी अपने गुरु मंगलमुखियों के लिए पारम्परिक पूजन और सामूहिक भोज का आयोजन कर रहे हैं। सम्‍मेलन 15 जनवरी तक चलेगा। यहां पहुंची किन्‍नरों की सुंदरता और मेकअप को देखकर हर कोई दंग है। वे सुंदरता और श्रृंगार में महिलाओं से भी दो कदम आगे नजर आ रही हैं।

चमकदार चेहरा, नीली आंखों में काजल और बदन पर गुदा टैटू डिबाई से आई मंगलामुखी की सुंदरता में चार चांद लगा रहा था। मंगलामुखी भी श्रृंगार की आधुनिक विधियों का खूब प्रयोग कर रहे हैं।

सम्मेलन में कपड़ों तथा मेकअप की भी दुकानें सजाई गई हैं। आभूषणों की भी बिक्री की जा रही है। यहां किन्नरों की भारी भीड़ देखी जा रही है। समारोह में किसी गैर-किन्‍नर को जाने की अनुमति नहीं है। केवल दो कार्यक्रम कलश यात्रा और चाक पूजन ही वाटिका के बाहर होगा।

मंगलमुखियों का कहना है युवा मंगलमुखियों को अपने बुजर्ग मंगलमुखियों के सम्मान के लिए भोज सम्मेलन आयोजित करते हैं। इसमें मंगलामुखी अपने गुरुओं का सम्मान करेंगे। इस सम्मेलन में करीब 300 किन्नरों के भाग लेने पहुंचे हैं।

मंगलामुखी हरियाबाई कहती हैं कि हमारे सभी यजमान स्वस्थ रहें। वह फले-फूलें उनके बच्चे खुशहाल रहे इसी मंगलकामना के साथ इस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। मंगलमुखी जीवन में सिर्फ दो बार बधाई मांगने जाता है पहली बार जब तब बच्चा जन्म लेता है, दूसरी बार जब तब उसका विवाह होता है।


मंगलामुखियों ने कहा कि उन्हें सिर्फ वोटों की राजनीति के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है। वोटर लिस्‍ट में भी किसी में स्त्री तो किसी में पुरुष दर्ज किया जाता है, जबकि किन्नर अंकित होना चाहिए। वोट लेने के बाद उनके लिए कोई काम नहीं करता है। किन्नर पढ़-लिखे नहीं हैं, इसलिए आगरा से कोई किन्नर राजनीति में भागीदारी नहीं कर पाया।


किन्नरों के ऊपर किए गए एक शोध से पता चला था कि किन्नर सामान्य लोगों की तुलना में ज़्यादा दिनों तक जीवित रहते हैं। शोधकर्ताओं ने कोरियाई प्रायद्वीप में सैंकड़ों सालों से रहने वाले किन्नरों के जीवन से जुड़े घरेलू दस्तावेज़ों का अध्ययन किया था। अध्ययन से ये नतीजा निकला कि बधियाकरण के कारण किन्नर ज्यादा दिनों तक ज़िंदा रहते हैं।

वैज्ञानिकों का मानना है कि पुरूषों का हार्मोन उनकी उम्र को कम कर देता है। हर संस्कृति और सभ्यता में किन्नरों का एक अहम रोल होता है। वे कुछ विशेष काम करते हैं। जैसे हरम या जनानख़ाने की रखवाली करना किन्नरों की ख़ास ज़िम्मेदारी होती थी। हरम यानी वो जगह जहां शाही घराने की महिलाएं रहतीं थीं।

शोधकर्ताओं के अनुसार अगर बचपन की शुरुआत में ही बालकों के अंडकोष को काट दिया जाए तो उससे उनका विकास बाधित होता है और वे बालक कभी भी पूरी तरह से पुरुष नहीं बन पाते।

अक्सर किन्नरों को देखकर बहुत से लोगों के मन में सवाल पैदा होता है कि क्या उनके मन में कभी सेक्स करने की इच्छा नहीं होती है। उनकी सेक्स क्रियाएं सामान्य पुरुष की ही तरह होती हैं लेकिन उनको स्त्री के रूप में अपनी पहचान बनाना ज्यादा स्वाभाविक लगता है। ज्यादातर किन्नरों का यौनांग बधिया किया हुआ होता है और वह समलिंगी होते हैं। जिन किन्नरों का बधिया नहीं किया होता वह द्विलिंगी भी होते हैं।

किन्नर शबनम का कहना है कि गांव वाले हंसते और मज़ाक उड़ाते थे, इसलिए उसको 12 साल की उम्र में अपने परिवार को छोड़ना पड़ा। वेश-भूषा उसने औरतों जैसी रखी ज़रूर है मगर आंखें बंद कर अगर कोई उसकी आवाज़ सुने तो आगरा में रिक्शेवालों की आवाज़ और राधा की आवाज में फ़र्क करना उसके लिए संभव नहीं होगा। उसने घर छोड़ने के बाद अपनी ज़िंदगी के पच्चीस साल एक शहर की एक पिछड़ी बस्ती में बिताए। उसके पास पेट भरने के लिए देह व्यापार को छोड़ दूसरे धंधे नज़र नही आ रहे थे। कई बार तो उन्होंने बस दुकानों में जाकर सीधे पैसे मांगे। मगर ज़िंदगी उनकी मुश्किलों भरी थी - आम दुनिया के लिए वो अजनबी थे- हैरत की चीज़ थे।

17 जनवरी से पहले बदलाव: कांग्रेस के आला नेताओं से मिलीं प्रियंका

नई दिल्ली. कांग्रेस में 17 जनवरी से पहले ही बदलाव के संकेत साफ दिखने लगे हैं। मंगलवार को प्रियंका वाड्रा ने कांग्रेस के कई आला नेताओं के साथ राहुल गांधी के घर एक बैठक की। यह बैठक डेढ़ घंटे तक चली। प्रियंका से मुलाकात करने वालों में जनार्दन द्विवेदी, अहमद पटेल, अजय माकन, मधुसूदन मिस्त्री समेत कई अन्य नेता शामिल रहे। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में कांग्रेस पार्टी में संगठन में बदलाव को लेकर चर्चा हुई। इसके अलावा नरेंद्र मोदी से निपटने की रणनीति पर भी विचार किया गया।
17 जनवरी से पहले बदलाव: कांग्रेस के आला नेताओं से मिलीं प्रियंका
कांग्रेस पार्टी में बदलाव का एक बड़ा संकेत और दिखने को मिल रहा है। पार्टी की नई वेबसाइट के होमपेज परउपाध्यक्ष राहुल गांधी छाए हुए हैं। वेबसाइट के होमपेज पर पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी का जिक्र सीधे तौर पर कहीं नहीं है  । यही नहीं, राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं। वे जल्द ही संगठन में काम कर रहे पार्टी के सीनियर नेताओं से पूछेंगे कि वे चुनाव लड़ेंगे या नहीं। अगर वे चुनाव लड़ते हैं तो राहुल गांधी उनसे संगठन का पद छोड़ने को कहेंगे

कांग्रेस पार्टी टिकट बंटवारे को लेकर अपनी रणनीति तय करने में जुटी है। कांग्रेस लोकसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण में ‘आप’ से सबक लेकर अब स्थानीय फीडबैक को सबसे ज्यादा तवज्जो देगी। पार्टी चुनाव मैदान में ज्यादा से ज्यादा दांव नए चेहरों पर लगाएगी । ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) की बैठक 17 जनवरी को होनी है। अटकल है कि इस बैठक में राहुल गांधी को लेकर एक बड़ा एलान किया जा सकता है।

कांग्रेस की वेबसाइट पर छाए राहुल
कांग्रेस पार्टी की वेबसाइट के होमपेज पर राहुल गांधी की 9 तस्वीरें देखी जा सकती हैं। इनके अलावा कांग्रेस उपाध्यक्ष के भाषणों के अंश और उनके कोट पढ़े जा सकते हैं। 'इन फोकस' टैब में राहुल गांधी धर्मनिरपेक्ष भारत के अपने सपने को एक कहानी के जरिए बयान करते हैं। इस कहानी में वे कहते हैं, 'शामली के राहत शिविर में मैं एक लड़के से मिला। वह रो रहा था। जब मैंने उससे पूछा कि वह क्यों रो रहा है तो उसने कहा कि उसे डर लगता है। भारत में किसी जाति, धर्म या संप्रदाय के व्यक्ति को डरने की जरुरत नहीं है। यह धर्मनिरपेक्ष देश है।' सोनिया गांधी का जिक्र 'ऑरगेनाइजेशन' टैब में है। जबकि नेहरू, इंदिरा और राजीव का जिक्र 'आवर इन्सपीरेशन' टैब में है।

बाड़मेर ट्रेन से कार टकराई एक कि मौत एक घायल

बाड़मेर ट्रेन से कार टकराई एक कि मौत एक घायल


बाड़मेर बाड़मेर से मुनाबाव जा रही रेल के आगे हाथमा स्टेसन के पार मानव रहित क्रॉसिंग पर एक कार टकरा गयी ,जिससे कार के परखच्चे उड़ गए ,कार में सवार दो व्यक्ति बुरी तरह घायल हो गए। घायलो को उपचार के लिए बाड़मेर जिला मुख्यालय स्थित असपताल लाया गया जहा उपचार के दौरान एक व्यक्ति ने दम तोड़ दिया। दूसरे घायल व्यक्ति का उपचार चल रहा हें


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सड़क हादसों में चार की मौत

श्रीगंगानगर। जिले में सोमवार को तीन अलग-अलग दुर्घटनाओं में चार लोगों की मौत हो गई। जैतसर से सूरतगढ़ की ओर जा रही कार गांव जानकीदासवाला के पास पेड़ से टकराने से युवक की मौत हो गई। इसी प्रकार केसरीसिंहपुर धनूर मार्ग पर गांव तीन बी के निकट मोटरसाइकिल ट्रैक्टर ट्रॉली से टकराने से मोटरसाइकिल सवार की मौके पर ही मौत हो गई। एक अन्य घटनाक्रम में रावला-घड़साना मार्ग पर रोडवेज बस से टकराने से साइकिल सवार किशोर व बालक की मौत हो गई। गजसिंहपुर में रायसिंहनगर मार्ग पर जीपों की टक्कर में दो जने घायल हो गए।

जैतसर/ जानकीदासवाला. कस्बे से सूरतगढ़ की ओर जा रही कार सोमवार को जानकीदासवाला के पास अनियंत्रित होकर पेड़ से टकरा गई। हादसे में युवक की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया।

थानाधिकारी जयप्रकाश बेनीवाल ने बताया कि सोमवार दोपहर दो बजे जैतसर निवासी रूपेन्द्र गर्ग (20) पुत्र नागरमल गर्ग और मोनू बंसल (24) पुत्र सूरजभान बंसल कार से सूरतगढ़ की ओर जा रहे थे। गांव जानकीदासवाला के पास कार अनियçन्त्रत होकर सड़क किनारे पेड़ से टकरा गई। हादसे में रूपेन्द्र गर्ग की मौत हो गई और मोनू बंसल घायल हो गया। राहगीरों की मदद से घायल को सूरतगढ़ के राजकीय चिकित्सालय पहंुचाया गया। दुर्घटना की जानकारी मिलते ही कस्बे का बाजार शोक स्वरूप बंद हो गया। रूपेन्द्र के पिता नागरमल गर्ग कस्बे के वरिष्ठ व्यापारी हैं।
बाइक सवार की मौत

केसरीसिंहपुर. केसरीसिंहपुर-धनूर मार्ग स्थित गांव तीन वी के निकट सोमवार को सड़क दुर्घटना में ईटों से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली से टकराकर बाइक सवार की मौत हो गई । दुर्घटना में घायल उसके साथी को श्रीगंगानगर रैफर किया गया है। हादसा दोपहर सवा तीन बजे उस समय हुआ जब गांव धनूर के महेन्द्र सिंह व कर्मसिंह मंडी से बाइक पर धनूर जा रहे थे। गांव तीन वी के पास पुली पार करने के बाद तेज गति से चल रही बाइक सामने से आ रही ईटों से भरी ट्रैक्टर-ट्राली से जा टकराई। हादसे में बाइक चला रहे महेन्द्र सिंह ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। उसके साथ बैठे कर्मसिंह के सिर व जबड़े में गहरी चोटें आई हैं। मौके पर पहुंची पुलिस ने घायल कर्मसिंह को पुलिस जीप में चिकित्सालय पहुंचाया।

रोडवेज की टक्कर से दो मरे
रावलामंडी. रावला घड़साना मार्ग पर सोमवार दोपहर करीब डेढ बजे रोड़वेज बस की टक्कर दो विद्यार्थियों की मौत हो गई। चक पांच पीएसडी निवासी अमृतपाल सिंह ने बताया कि सोमवार दोपहर करीब डेढ बजे उसक ा भाई पांच पीएसडी निवासी युपा सिंह उर्फ अजयसिंह (15) पुत्र मलकीत सिंह व भांजा 29 एएस निवासी मनजीत सिंह (11) पुत्र बग्गा सिंह उर्फ नटवर सिंह रावला से साईकिल पर सवार होकर अपने घर गांव पांच पीएसडी ढाणी जा रहे थे। पांच पीएसडी सी के बस स्टेण्ड के पास हनुमानगढ़ से रावला आ रही हनुमानगढ़ आगार की रोडवेज बस से टक्कर लगने से दोनों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। अमृतपाल ने रोड़वेज बस चालक हेतराम के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। दोनों पांच पीएसडी सी के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते थे।

मनजीत सिंह गांव पांच पीएसडी स्थित अपने नाना के घर रहता था। दुर्घटना की जानकारी मिलते ही माहौल गमगीन हो गया। दोनों मृतकों के शवो का पोस्टमार्टम करवाने के बाद पुलिस ने परिजनों को सौँप दिए।

महिला से सामूहिक दुष्कर्म

पदमपुर (श्रीगंगानगर)। गांव डेलवां में ईट भटे पर कार्यरत महिला से दुष्कर्म का मामला सामने आया है। पुलिस ने रविवार रात सूचना मिलने पर मुकदमा दर्ज किया है।
घटनाक्रम जानकारी के अनुसार पीडिता गांव जगतेवाला की रहने वाली है तथा गांव डेलवां स्थित ईट भटे पर मजदूरी करती है। वहां उसका पति भी काम करता है। शुक्रवार रात उसके ननदोई के बीमार होने के कारण उसका पति पदमपुर में हॉस्पिटल में था। रात दस बजे गांव डेलवां निवासी औंकार सिंह कार लेकर आया। उसने महिला को कहा कि उसका पति उसे हॉस्पिटल बुला रहा है। आरोपी उसेकार में बिठाकर हॉस्पटल के बजाय अन्यत्र ले गया। रास्ते में उसने सतपाल व निन्द्रसिंह को भी कार में बिठा लिया। तीनों ने नशे की दवा सुंघाकर उससे सामूहिक दुष्कर्म किया। पुलिस को रविवार रात आरोपियों की धरपकड़ के लिए दबिश दी गई लेकिन सभी आरोपियों के घर पर ताले लगे मिले।

ख़ास खबर बाड़मेर हाई सिक्योरटी नम्बर प्लेट के नाम पर खुली लूट ,डी टी ओ खामोश

ख़ास खबर बाड़मेर हाई सिक्योरटी नम्बर प्लेट के नाम पर खुली लूट ,डी टी ओ खामोश

बाड़मेर एक तरफ तो पुरे देश में भष्टाचार के खिलाफ जंग छिड़ी हुई है लेकिन दूसरी तरफ आज भी जनता से खुले आम अवैध वसूली की जा रही है लेकिन आज भी रेगिस्तान में सरकार और अधिकारी देख कर भी अनदेखा कर रहे है कम्पनी रियल मेजोन राजस्थान प्रावेट लिमिटेड हिमाचल बाड़मेर में पिछले कई दिनों से नए वाहन चालको से अवैध वसूली कर रहे है और सब कुछ हो रहा है जिला परिवहन अधिकारी कार्यलय परिसर के अंदर लेकिन सरकार और अधिकारी सब खामोश है
पेश खास रिपोट पेश है खास रिपोट
पुरे राजस्थान में में पिछले साल ही हाई सिक्योरटी नम्बर प्लेट की योजना शरू की गई जिसके तहत जो भी नए वाहन पंजिकृत होगे उनकी नंबर प्लेट और कागजात बनने के दोहरान ही डीटीओ कार्यलय में ही लगाई जाएगी इसके पीछे सरकार की यह मंशा थी कि अवैध और वाहन चोरियो पर पर अंकुश लग सके लेकिन इसकी आड़ में जिस कम्पनी को ठेका दिया गया था उसने बाड़मेर में अपना गोरख धंधा शरू कर दिया है सरकार ने यह तय किया था कि कोई भी दुपिया वाहन की नंबर प्लेट लगाने पर कम्पनी को 75 रूपए की रसीद व 65 पर लगाने और कुल मिलाकर 140 रुपए का भुगतान करना पड़ेगा लेकिन बाड़मेर के लोगो का आरोप है कि हम से 250 या इससे ज्यादा वसूले जा रहा है न तो इसकी कोई रसीद दी जा रही है जब हम 140 रुपय की बात करते है तो हमारी फायल को लटका दिया जाता है और हम दूसरे तरीके से परेशान किया जा रहा है

इसी तरीके से जो कार और अन्य फॉर वीलर वाहन है उसके लिए सरकार ने 220रूपए की राशि फिक्स कर रखी है हमारे सामने एक बोलर कैम्पर वाले से 220 की जगह 350 रूपए वसूले गए है लेकिन कोई भी उसकी सुनने वाला नहीं अगर पैसे देने में कोई आना कानी करता है तो उसकी फाइल को रोक दिया जाता है

इस मामले में बाड़मेर के डीटीओ मनीष शर्मा के अनुसार दुपिया वाहन की नंबर प्लेट लगाने पर कम्पनी को 75 रूपए की रसीद व 65 पर लगाने और कुल मिलाकर 140 रुपए का भुगतान करना पड़ता है प्लेट के नाम पर अवैध वसूली की है इस तरह की शिकायत कई बार मिली है हमने इस कम्पनी को नोटिस भी दिया है और अपने उच्च अधिकारियो को भी बताया है लेकिन अभी तक कोई कारवाही नहीं हुई है यह सरकार के स्तर का मामला है

जज्बे व तजुर्बे से दिखेगा जलवा

जैसलमेर। दुश्मन को खदेड़ने की हुंकार और शत्रु सैनिको की आंख मे आंख डालकर उनके नापाक इरादो को नेस्तनाबूत करने का जज्बा...। ऎसे ही इरादो के साथ अब पाक सीमा से सटे पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर व श्रीगंगानगर जिलों के सीमावर्ती गांवो के युवाओ के जज्बे को जब सीमा सुरक्षा बल के तजुर्बे का साथ मिलेगा तो वे उठाएंगे मातृभूमि की रक्षा करने का बीड़ा।
सरहद से घुसपैठ पर नकेल कसने व सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने के लिहाज से अब सरहदी जिलों के युवाओ को प्रशिक्षण देकर यह दायित्व सौंपा जाएगा। पश्चिमी राजस्थान की करीब 1040 किमी लंबी सरहदी सीमा की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्र के युवाओ को सैन्य व सीसुब मे नियुक्ति से पूर्व प्रशिक्षित किए जाने के संबंध मे सरकार की ओर से भी हरी झंडी मिल गई है। इस संबंध मे युवाओ के चयन के बाद सीसुब सीमावर्ती क्षेत्रो के युवाओ को प्रशिक्षित करेगा। सीसुब सरहद पर बसे इन गांवो के युवाओ को सैन्य व सीसुब सेवाओ मे जाने से पूर्व प्रशिक्षण देगा।

इस संबंध मे सीसुब को केन्द्र सरकार की ओर से हरी झंडी मिल चुकी है और इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए कार्ययोजना बनानी भी शुरू कर दी गई है। सीसुब की सभी बटालियनो को इस संबंध मे 1.40-1.40 लाख का बजट भी आवंटित किया गया है। आगामी दिनो मे इस संबंध मे वाहिनी वार शिविरो का आयोजन कर युवाओ को प्रशिक्षण दिया जाएगा। यदि सीसुब की यह मुहिम रंग लाई तो बाखासर से हिंदुमलकोट तक की 1040 किमी लंबी पाक से सटी पश्चिमी सीमा की सुरक्षा का चक्र और अधिक मजबूत हो सकेगा।

गौरतलब है कि सीसुब के महानिदेशक गत दिनो जैसलमेर जिले के दौरे पर आए थे। उस दौरान सीमा जन कल्याण समिति व कुछ जागरूक संगठनो ने सरहद पर इस तरह के जागरूकता शिविर लगाने की मांग की थी। सीमा चौकियो के निरीक्षण के दौरान खुद डीजी ने इस बात की जरूरत महसूस की थी और केन्द्र सरकार को अवगत कराया था। अब केन्द्र सरकार ने सुरक्षा से जुड़े इस नवाचार को मूर्त रूप देने की हरी झंडी दे दी है।

यह होगा फायदा

बॉर्डर पर रहने वाले लोगो की विषम परिस्थितियो मे रहने की अभ्यस्तता का सीसुब को मिलेगा लाभ।
सुरक्षा को लेकर चिंतित रहने वाले सरहदी क्षेत्र के बाशिंदे खुद इसका उत्तरदायित्व निभा सकेंगे।
सरक्षा कंपनियो मे नियुक्ति का अवसर मिलने से रोजगार के अवसर मिल सकेंगे।
यदि सीसुब या सेना मे भर्ती नहीं भी हो पाती हैतो भी सुरक्षा को लेकर सतर्कता बढ़ेगी।
सीमावर्ती क्षेत्रो के युवा सीसुब की कार्यप्रणाली को समझ सकेंगे।

गुरु गोविंद सिंह सिक्खों के दसवें व अंतिम गुरु




गुरु गोविंद सिंह (जन्म- 22 दिसंबर सन् 1666 ई. पटना, बिहार; मृत्यु- 7 अक्तूबर सन् 1708 ई. नांदेड़, महाराष्ट्र) सिक्खों के दसवें व अंतिम गुरु माने जाते थे, और सिक्खों के सैनिक संगति, ख़ालसा के सृजन के लिए प्रसिद्ध थे। कुछ ज्ञानी कहते हैं कि जब-जब धर्म का ह्रास होता है, तब-तब सत्य एवं न्याय का विघटन भी होता है तथा आतंक के कारण अत्याचार, अन्याय, हिंसा और मानवता खतरे में होती है। उस समय दुष्टों का नाश एवं सत्य, न्याय और धर्म की रक्षा करने के लिए ईश्वर स्वयं इस भूतल पर अवतरित होते हैं। गुरु गोविंद सिंह जी ने भी इस तथ्य का प्रतिपादन करते हुए कहा है,
"जब-जब होत अरिस्ट अपारा। तब-तब देह धरत अवतारा।"
परिचय

गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर सन् 1666 ई. को पटना, बिहार में हुआ था। इनका मूल नाम 'गोविंद राय' था। गोविंद सिंह को सैन्य जीवन के प्रति लगाव अपने दादा गुरु हरगोविंद सिंह से मिला था और उन्हें महान बौद्धिक संपदा भी उत्तराधिकार में मिली थी। वह बहुभाषाविद थे, जिन्हें फ़ारसी अरबी, संस्कृत और अपनी मातृभाषा पंजाबी का ज्ञान था। उन्होंने सिक्ख क़ानून को सूत्रबद्ध किया, काव्य रचना की और सिक्ख ग्रंथ 'दसम ग्रंथ' (दसवां खंड) लिखकर प्रसिद्धि पाई। उन्होंने देश, धर्म और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सिक्खों को संगठित कर सैनिक परिवेश में ढाला।

दशम गुरु गोविंद सिंह जी स्वयं एक ऐसे ही महापुरुष थे, जो उस युग की आतंकवादी शक्तियों का नाश करने तथा धर्म एवं न्याय की प्रतिष्ठा के लिए गुरु तेगबहादुर सिंह जी के यहाँ अवतरित हुए। इसी उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा था।

मुझे परमेश्वर ने दुष्टों का नाश करने और धर्म की स्थापना करने के लिए भेजा है।
जन्म

गुरु गोविंद सिंह के जन्म के समय देश पर मुग़लों का शासन था। हिन्दुओं को मुसलमान बनाने की औरंगज़ेब ज़बरदस्ती कोशिश करता था। इसी समय 22 दिसंबर, सन् 1666 को गुरु तेगबहादुर की धर्मपत्नी गूजरी देवी ने एक सुंदर बालक को जन्म दिया, जो गुरु गोविंद सिंह के नाम से विख्यात हुआ। पूरे नगर में बालक के जन्म पर उत्सव मनाया गया। बचपन में सभी लोग गोविंद जी को 'बाला प्रीतम' कहकर बुलाते थे। उनके मामा उन्हें भगवान की कृपा मानकर 'गोविंद' कहते थे। बार-बार 'गोविंद' कहने से बाला प्रीतम का नाम 'गोविंद राय' पड़ गया।
गोविंद का बचपन

खिलौनों से खेलने की उम्र में गोविंद जी कृपाण, कटार और धनुष-बाण से खेलना पसंद करते थे। गोविंद बचपन में शरारती थे लेकिन वे अपनी शरारतों से किसी को परेशान नहीं करते थे। गोविंद एक निसंतान बुढ़िया, जो सूत काटकर अपना गुज़ारा करती थी, से बहुत शरारत करते थे। वे उसकी पूनियाँ बिखेर देते थे। इससे दुखी होकर वह उनकी मां के पास शिकायत लेकर पहुँच जाती थी। माता गूजरी पैसे देकर उसे खुश कर देती थी। माता गूजरी ने गोविंद से बुढ़िया को तंग करने का कारण पूछा तो उन्होंने सहज भाव से कहा,

उसकी ग़रीबी दूर करने के लिए। अगर मैं उसे परेशान नहीं करूँगा तो उसे पैसे कैसे मिलेंगे।
औरंगज़ेब से तेगबहादुर की बातचीत

जब गोविंद आठ- नौ साल के थे तब उनके पिता तेगबहादुर आनंदपुर साहिब चले गये। गुरु तेगबहादुर का प्रभाव उन दिनों काफ़ी बढ़ रहा था, वहीं दूसरी ओर औरंगज़ेब हिंदुओं पर कहर बरपा रहा था। कुछ कश्मीरी पंडित तेगबहादुर की शरण में औरंगज़ेब से बचने के लिए आनंदपुर साहिब आये। तेगबहादुर औरंगज़ेब से इस विषय में बातचीत करने के लिएदिल्ली पहुँचे लेकिन औरंगज़ेब ने उन्हें गिरफ़्तार करवा लिया। औरंगज़ेब ने उनसे कहा,

तेग बहादुर, अब तुम मेरे रहमो-करम पर हो। अगर तुम सच्चे संत हो तो हमें कोई चमत्कार करके दिखाओ, वरना अपना ईमान छोड़ दो।

गुरु तेग बहादुर ने कहा,

मेरी गर्दन में एक ताबीज़ बंधा है, जिसके कारण तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

यह सुनते ही गुरु तेगबहादुर का सिर औरंगज़ेब के इशारे पर काट दिया गया। यह घटना 11 नवम्बर 1675 ई. में दिल्ली के चाँदनी चौक में हुई थी। जब तेगबहादुर जी की गर्दन में बंधा ताबीज़ खोलकर देखा गया तो उसमे लिखा था -

मैंने अपना सिर दे दिया, धर्म नहीं।

तेगबहादुर की शहादत के बाद गद्दी पर 9 वर्ष की आयु में 'गुरु गोविंद राय' को बैठाया गया था। 'गुरु' की गरिमा बनाये रखने के लिए उन्होंने अपना ज्ञान बढ़ाया और संस्कृत, फ़ारसी, पंजाबी और अरबी भाषाएँ सीखीं। गोविंद राय ने धनुष- बाण, तलवार, भाला आदि चलाने की कला भी सीखी। उन्होंने अन्य सिक्खों को भी अस्त्र शस्त्र चलाना सिखाया। सिक्खों को अपने धर्म, जन्मभूमि और स्वयं अपनी रक्षा करने के लिए संकल्पबद्ध किया और उन्हें मानवता का पाठ पढ़ाया। उनका नारा था- सत श्री अकाल
बैसाखी

गुरु गोविंद सिंह जी
सन 1699 में बैसाखी वाले दिन केशगढ़ साहब में श्री गुरु गोविन्द सिंह ने एक विचित्र नाटक किया। खुले मैदान में खडे़ होकर उन्होंने एक सिर माँगा, लोग हैरान थे कि हाथ में तलवार लेकर वह एक व्यक्ति का सिर माँग रहे हैं। यह कैसी अनोखी माँग है। बैसाख के मेले में एक सोई हुई क़ौम को जगाने का इतिहास रचा जा रहा था। लोग तब यह नहीं समझ सके।

बैसाखी को कई इतिहासकार जंग-ए-आज़ादी का शंखनाद मानते हैं। ग़ुलामी की जंजीरों को काटकर गुरु गोविन्द सिंह ने हक़ हलाल की लड़ाई की शुरुआत की, वहीं जो इंसान अपने हाथों में एक लाठी भी पकड़ने में झिझकता था, उन्होंने कृपाण पकड़ने का साहस भरा। एक- एक करके पाँच जांबाज़ अपना शीश हथेली पर रख कर आगे आए और गुरु गोविन्द सिंह के उस आह्वान को चरितार्थ किया।
पंच प्यारे
मुख्य लेख : पंच प्यारे

वो पाँच प्यारे जो देश के विभिन्न भागों से आए थे और समाज के अलग- अलग जाति और सम्प्रदाय के लोग थे, उन्हें एक ही कटोरे में अमृत पिला कर गुरु गोविन्द सिंह ने एक बना दिया। इस प्रकार समाज में उन्होंने एक ऐसी क्रान्ति का बीज रोपा, जिसमें जाति का भेद और सम्प्रदायवाद, सब कुछ मिटा दिया।

बैसाखी का एक महत्त्व यह है कि परम्परा के अनुसार पंजाब में फ़सल की कटाई पहली बैसाख को ही शुरू होती है और देश के दूसरे हिस्सों में भी आज ही के दिन फ़सल कटाई का त्योहार मनाया जाता है, जिनके नाम भले ही अलग-अलग हों।

आज के दिन यदि हम श्री गुरु गोविन्द सिंह के जीवन के आदर्शों को, देश, समाज और मानवता की भलाई के लिए उनके समर्पण को अपनी प्रेरणा का स्रोत बनाऐं और उनके बताये गए रास्ते पर निष्ठापूर्वक चलें तो कोई कारण नहीं कि देश के अन्दर अथवा बाहर से आए आतंकवादी और हमलावर हमारा कुछ भी बिगाड़ सकें।
सिक्खों में युद्ध का उत्साह

गोविद सिंह ने सिक्खों में युद्ध का उत्साह बढ़ाने के लिए हर क़दम उठाया। वीर काव्य और संगीत का सृजन उन्होंने किया था। उन्होंने अपने लोगों में कृपाण जो उनकी लौह कृपा था, के प्रति प्रेम विकसित किया। ख़ालसा को पुर्नसंगठित सिक्ख सेना का मार्गदर्शक बनाकर, उन्होंने दो मोर्चों पर सिक्खों के शत्रुओं के ख़िलाफ़ क़दम उठाये।
पहला मुग़लों के ख़िलाफ़ एक फ़ौज और
दूसरा विरोधी पहाड़ी जनजातियों के ख़िलाफ़।


सवा लाख से एक लड़ाऊँ चिड़ियों सों मैं बाज तड़ऊँ तबे गोबिंदसिंह नाम कहाऊँ - गुरु गोविंद सिंह




उनकी सैन्य टुकड़ियाँ सिक्ख आदर्शो के प्रति पूरी तरह समर्पित थीं, और सिक्खों की धार्मिक तथा राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए सब कुछ दांव पर लगाने को तैयार थीं। लेकिन गुरु गोविंद सिंह को इस स्वतंत्रता की भारी कीमत चुकानी पड़ी थी। अंबाला के पास एक युद्ध में उनके चारों बेटे मारे गए। बाद में उनकी पत्नी, मां और पिता भी संघर्ष की भेंट चढ़ गए। वह स्वयं भी एक पश्तो क़बीलाई के हाथों उसके पिता की मौत के प्रतिशोधस्वरूप मारे गए। गोविंद सिंह ने स्वयं को अंतिम गुरु घोषित किया। उसके बाद से पवित्र पुस्तक आदिग्रंथ को ही सिक्ख गुरु होना था। गुरु गोविंद सिंह आज भी सिक्खों के मन में वीरता के आदर्श और सिक्ख सैनिक संत के रूप में अंकित हैं।
इतिहास

गुरु गोविंद सिंह ने धर्म, संस्कृति व राष्ट्र की आन-बान और शान के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था। गुरु गोविंद सिंह जैसी वीरता और बलिदान इतिहास में कम ही देखने को मिलता है। इसके बावज़ूद इस महान शख़्सियत को इतिहासकारों ने वह स्थान नहीं दिया जिसके वे हक़दार हैं। कुछ इतिहासकारों का मत है कि गुरु गोविंद सिंह ने अपने पिता का बदला लेने के लिए तलवार उठाई थी। क्या संभव है कि वह बालक स्वयं लड़ने के लिए प्रेरित होगा जिसने अपने पिता को आत्मबलिदान के लिए प्रेरित किया हो।

गुरु गोविन्द सिंह जी को किसी से बैर नहीं था, उनके सामने तो पहाड़ी राजाओं की ईर्ष्या पहाड़ जैसी ऊँची थी, तो दूसरी ओर औरंगज़ेब की धार्मिक कट्टरता की आँधी लोगों के अस्तित्व को लील रही थी। ऐसे समय में गुरु गोविंद सिंह ने समाज को एक नया दर्शन दिया। उन्होंने आध्यात्मिक स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए तलवार धारण की।


वो पाँच प्यारे जो देश के विभिन्न भागों से आए थे और समाज के अलग- अलग जाति और सम्प्रदाय के लोग थे, उन्हें एक ही कटोरे में अमृत पिला कर गुरु गोविन्द सिंह ने एक बना दिया। इस प्रकार समाज में उन्होंने एक ऐसी क्रान्ति का बीज रोपा, जिसमें जाति का भेद और सम्प्रदायवाद, सब कुछ मिटा दिया।



बहादुर शाह प्रथम से भेंट

8 जून 1707 ई. आगरा के पास जांजू के पास लड़ाई लड़ी गई, जिसमें बहादुरशाह की जीत हुई। इस लड़ाई में गुरु गोविन्द सिंह की हमदर्दी अपने पुराने मित्र बहादुरशाह के साथ थी। कहा जाता है कि गुरु जी ने अपने सैनिकों द्वारा जांजू की लड़ाई में बहादुरशाह का साथ दिया, उनकी मदद की। इससे बादशाह बहादुरशाह की जीत हुई। बादशाह ने गुरु गोविन्द सिंह जी को आगरा बुलाया। उसने एक बड़ी क़ीमती सिरोपायो (सम्मान के वस्त्र) एक धुकधुकी (गर्दन का गहना) जिसकी क़ीमत 60 हज़ार रुपये थी, गुरुजी को भेंट की। मुग़लों के साथ एक युग पुराने मतभेद समाप्त होने की सम्भावना थी। गुरु साहब की तरफ से 2 अक्टूबर 1707 ई. और धौलपुरकी संगत तरफ लिखे हुक्मनामा के कुछ शब्दों से लगता है कि गुरुजी की बादशाह बहादुरशाह के साथ मित्रतापूर्वक बातचीत हो सकती थी। जिसके खत्म होने से गुरु जी आनंदपुर साहिब वापस आ जांएगे, जहाँ उनको आस थी कि खालसा लौट के इकट्ठा हो सकेगा। पर हालात के चक्कर में उनको दक्षिण दिशा में पहुँचा दिया। जहाँ अभी बातचीत ही चल रही थी। बादशाह बहादुरशाह कछवाहा राजपूतों के विरुद्ध कार्यवाही करने कूच किया था कि उसके भाई कामबख़्श ने बग़ावत कर दी। बग़ावत दबाने के लिए बादशाह दक्षिण की तरफ़ चला और विनती करके गुरु जी को भी साथ ले गया। 
ख़ालसा पंथ

ख़ालसा का अर्थ है ख़ालिस अर्थात विशुद्ध, निर्मल और बिना किसी मिलावट वाला व्यक्ति। इसके अलावा हम यह कह सकते हैं कि ख़ालसा हमारी मर्यादा और भारतीय संस्कृति की एक पहचान है, जो हर हाल में प्रभु का स्मरण रखता है और अपने कर्म को अपना धर्म मान कर ज़ुल्म और ज़ालिम से लोहा भी लेता है।

गोविन्द सिंह जी ने एक नया नारा दिया है- वाहे गुरु जी का ख़ालसा, वाहे गुरु जी की फतेह। 

गुरु जी द्वारा ख़ालसा का पहला धर्म है कि वह देश, धर्म और मानवता की रक्षा के लिए तन-मन-धन सब न्यौछावर कर दे। निर्धनों, असहायों और अनाथों की रक्षा के लिए सदा आगे रहे। जो ऐसा करता है, वह ख़लिस है, वही सच्चा ख़ालसा है। ये संस्कार अमृत पिलाकर गोविंद सिंह जी ने उन लोगों में भर दिए, जिन्होंने ख़ालसा पंथ को स्वीकार किया था।

'ज़फ़रनामा' में स्वयं गुरु गोविन्द सिंह जी ने लिखा है कि जब सारे साधन निष्फल हो जायें, तब तलवार ग्रहण करना न्यायोचित है। गुरु गोविंद सिंह ने 1699 ई. में धर्म एवं समाज की रक्षा हेतु ही ख़ालसा पंथ की स्थापना की थी। ख़ालसा यानि ख़ालिस (शुद्ध), जो मन, वचन एवं कर्म से शुद्ध हो और समाज के प्रति समर्पण का भाव रखता हो। सभी जातियों के वर्ग-विभेद को समाप्त करके उन्होंने न सिर्फ़ समानता स्थापित की बल्कि उनमें आत्म-सम्मान और प्रतिष्ठा की भावना भी पैदा की। उनका स्पष्ट मत व्यक्त है-

मानस की जात सभैएक है।

ख़ालसा पंथ की स्थापना (1699) देश के चौमुखी उत्थान की व्यापक कल्पना थी। एक बाबा द्वारा गुरु हरगोविंद को 'मीरी' और 'पीरी' दो तलवारें पहनाई गई थीं।
एक आध्यात्मिकता की प्रतीक थी।
दूसरी सांसारिकता की।

गुरु गोविन्द सिंह ने आत्मविश्वास एवं आत्मनिर्भरता का संदेश दिया था। ख़ालसा पंथ में वे सिख थे, जिन्होंने किसी युद्ध कला का कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं लिया था। सिखों में समाज एवं धर्म के लिए स्वयं को बलिदान करने का जज़्बा था।


एक से कटाने सवा लाख शत्रुओं के सिर
गुरु गोविन्द ने बनाया पंथ खालसा
पिता और पुत्र सब देश पे शहीद हुए
नहीं रही सुख साधनों की कभी लालसा
ज़ोरावर फतेसिंह दीवारों में चुने गए
जग देखता रहा था क्रूरता का हादसा
चिड़ियों को बाज से लड़ा दिया था गुरुजी ने
मुग़लों के सर पे जो छा गया था काल सा

गुरु गोविन्द सिंह का एक और उदाहरण उनके व्यक्तित्व को अनूठा साबित करता है-

पंच पियारा बनाकर उन्हें गुरु का दर्जा देकर स्वयं उनके शिष्य बन जाते हैं और कहते हैं- ख़ालसा मेरो रूप है ख़ास, ख़ालसा में हो करो निवास। 
पाँच ककार

युद्ध की प्रत्येक स्थिति में सदा तैयार रहने के लिए उन्होंने सिखों के लिए पाँच ककार अनिवार्य घोषित किए, जिन्हें आज भी प्रत्येक सिख धारण करना अपना गौरव समझता है:-
केश : जिसे सभी गुरु और ऋषि-मुनि धारण करते आए थे।
कंघा : केशों को साफ़ करने के लिए।
कच्छा : स्फूर्ति के लिए।
कड़ा : नियम और संयम में रहने की चेतावनी देने के लिए।
कृपाण : आत्मरक्षा के लिए। 

जहाँ शिवाजी राजशक्ति के शानदार प्रतीक हैं, वहीं गुरु गोविन्द सिंह एक संत और सिपाही के रूप में दिखाई देते हैं। क्योंकि गुरु गोविन्द सिंह को न तो सत्ता चाहिए और न ही सत्ता सुख। शान्ति एवं समाज कल्याण उनका था। अपने माता-पिता, पुत्रों और हज़ारों सिखों के प्राणों की आहुति देने के बाद भी वह औरंगज़ेब को फ़ारसी में लिखे अपने पत्र ज़फ़रनामामें लिखते हैं- औरंगजेब तुझे प्रभु को पहचानना चाहिए तथा प्रजा को दु:खी नहीं करना चाहिए। तूने क़ुरान की कसम खाकर कहा था कि मैं सुलह रखूँगा, लड़ाई नहीं करूँगा, यह क़सम तुम्हारे सिर पर भार है। तू अब उसे पूरा कर।

एक आध्यात्मिक गुरु के अतिरिक्त गुरु गोविंद सिंह एक महान विद्वान भी थे। उन्होंने 52 कवियों को अपने दरबार में नियुक्त किया था। गुरु गोविन्द सिंह की महत्त्वपूर्ण कृतियाँ हैं- ज़फ़रनामा एवं विचित्र नाटक। वह स्वयं सैनिक एवं संत थे। उन्होंने अपने सिखों में भी इसी भावनाओं का पोषण किया था। गुरु गद्दी को लेकर सिखों के बीच कोई विवाद न हो इसके लिए उन्होंने 'गुरुग्रन्थ साहिब' को गुरु का दर्जा दिया। इसका श्रेय भी प्रभु को देते हुए कहते हैं-

आज्ञा भई अकाल की तभी चलाइयो पंथ, सब सिक्खन को हुकम है गुरु मानियहु ग्रंथ।

गुरु नानक की दसवीं जोत गुरु गोविंद सिंह अपने जीवन का सारा श्रेय प्रभु को देते हुए कहते है-

मैं हूँ परम पुरखको दासा, देखन आयोजगत तमाशा। ऐसी शख़्सियत को शत-शत नमन।
वीरता व बलिदान की मिसालें
परदादा गुरु अर्जुन देव की शहादत।
दादा गुरु हरगोविंद द्वारा किए गए युद्ध।
पिता गुरु तेगबहादुर सिंह की शहादत।
दो पुत्रों का चमकौर के युद्ध में शहीद होना।
दो पुत्रों को ज़िंदा दीवार में चुनवा दिया जाना।

इस सारे घटनाक्रम में भी अड़िग रहकर गुरु गोविंद सिंह संघर्षरत रहे, यह कोई सामान्य बात नहीं है। यह उनके महान कर्मयोगी होने का प्रमाण है। उन्होंने ख़ालसा के सृजन का मार्ग देश की अस्मिता, भारतीय विरासत और जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए, समाज को नए सिरे से तैयार करने के लिए अपनाया था। वे सभी प्राणियों को आध्यात्मिक स्तर पर परमात्मा का ही रूप मानते थे। 'अकाल उस्तति' में उन्होंने स्पष्ट कहा है कि जैसे एक अग्नि से करोड़ों अग्नि स्फुर्ल्लिंग उत्पन्न होकर अलग-अलग खिलते हैं, लेकिन सब अग्नि रूप हैं, उसी प्रकार सब जीवों की भी स्थिति है। उन्होंने सभी को मानव रूप में मानकर उनकी एकता में विश्वास प्रकट करते हुए कहा है कि हिन्दू तुरक कोऊ सफजी इमाम शाफी। मानस की जात सबै ऐकै पहचानबो।
ज़फ़रनामा
मुख्य लेख : ज़फ़रनामा

गुरु गोविंद सिंह मूलतः धर्मगुरु थे, लेकिन सत्य और न्याय की रक्षा के लिए तथा धर्म की स्थापना के लिए उन्हें शस्त्र धारण करने पड़े। औरंगज़ेब को लिखे गए अपने 'ज़फ़रनामा' में उन्होंने इसे स्पष्ट किया है। उन्होंने लिखा था,

चूंकार अज हमा हीलते दर गुजशत, हलाले अस्त बुरदन ब समशीर ऐ दस्त।

अर्थात जब सत्य और न्याय की रक्षा के लिए अन्य सभी साधन विफल हो जाएँ तो तलवार को धारण करना सर्वथा उचित है। उनकी यह वाणी सिख इतिहास की अमर निधि है, जो आज भी हमें प्रेरणा देती है।


गुरु गोविंद सिंह ने धर्म, संस्कृति व राष्ट्र की आन-बान और शान के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था। गुरु गोविंद सिंह जैसी वीरता और बलिदान इतिहास में कम ही देखने को मिलता है। इसके बावज़ूद इस महान शख़्सियत को इतिहासकारों ने वह स्थान नहीं दिया जिसके वे हक़दार हैं। कुछ इतिहासकारों का मत हैं कि गुरु गोविंद सिंह ने अपने पिता का बदला लेने के लिए तलवार उठाई थी। क्या संभव है कि वह बालक स्वयं लड़ने के लिए प्रेरित होगा जिसने अपने पिता को आत्मबलिदान के लिए प्रेरित किया हो



ज्ञाता और ग्रंथकार

यद्यपि सब गुरुओं ने थोड़े बहुत पद, भजन आदि बनाए हैं, पर ये महाराज काव्य के अच्छे ज्ञाता और ग्रंथकार थे। सिखों में शास्त्रज्ञान का अभाव इन्हें बहुत खटका था और इन्होंने बहुत से सिखों को व्याकरण, साहित्य, दर्शन आदि के अध्ययन के लिएकाशी भेजा था। ये हिंदू भावों और आर्य संस्कृति की रक्षा के लिए बराबर युद्ध करते रहे। 'तिलक' और 'जनेऊ' की रक्षा में इनकी तलवार सदा खुली रहती थी। यद्यपि सिख संप्रदाय की निर्गुण उपासना है, पर सगुण स्वरूप के प्रति इन्होंने पूरी आस्था प्रकट की है और देव कथाओं की चर्चा बड़े भक्तिभाव से की है। यह बात प्रसिद्ध है कि ये शक्ति के आराधक थे। इन्होंने हिन्दी में कई अच्छे और साहित्यिक ग्रंथों की रचना की है जिनमें से कुछ के नाम ये हैं - सुनीतिप्रकाश, सर्वलोहप्रकाश, प्रेमसुमार्ग, बुद्धि सागर और चंडीचरित्र। चंडीचरित्र की रचना पद्धति बड़ी ही ओजस्विनी है। ये प्रौढ़ साहित्यिक ब्रजभाषा लिखते थे। चंडीचरित्र की दुर्गासप्तशती की कथा बड़ी सुंदर कविता में कही गई है -


निर्जर निरूप हौ, कि सुंदर सरूप हौ,
कि भूपन के भूप हौ, कि दानी महादान हौ?
प्रान के बचैया, दूध-पूत के देवैया,
रोग-सोग के मिटैया, किधौं मानी महामानहौ?
विद्या के विचार हौ, कि अद्वैत अवतार हौ,
कि सुद्ध ता की मूर्ति हौ कि सिद्ध ता की सान हौ?
जोबन के जाल हौ, कि कालहू के काल हौ,
कि सत्रुन के साल हौ कि मित्रन के प्रान हौ? 
रचनाएँ

गुरु गोविन्द सिंह कवि भी थे। चंडी दीवार गुरु गोविन्द सिंह की पंजाबी भाषा की एकमात्र रचना है। शेष सब हिन्दी भाषा में हैं। इनकी मुख्य रचनाएँ हैं-
चण्डी चरित्र- माँ चण्डी (शिवा) की स्तुति
दशमग्रन्थ- गुरु जी की कृतियों का संकलन
कृष्णावतार- भागवत पुराण के दशमस्कन्ध पर आधारित
गोविन्द गीत
प्रेम प्रबोध
जाप साहब
अकाल उस्तुता
चौबीस अवतार
नाममाला
विभिन्न गुरुओं, भक्तों एवं सन्तों की वाणियों का गुरु ग्रन्थ साहिब में संकलन किया।
भाई मणिसिंह
मुख्य लेख : मणिसिंह
भाई मणि सिंह जी गुरु साहिब के एक दीवान (मंत्री) थे।
भाई मणिसिंह ने गुरु गोविन्द सिंह की रचनाओं को एक जिल्द (दशमग्रंथ) में प्रस्तुत किया था।
मृत्यु

गुरु गोविन्द सिंह ने अपना अंतिम समय निकट जानकर अपने सभी सिखों को एकत्रित किया और उन्हें मर्यादित तथा शुभ आचरण करने, देश से प्रेम करने और सदा दीन-दुखियों की सहायता करने की सीख दी। इसके बाद यह भी कहा कि अब उनके बाद कोई देहधारी गुरु नहीं होगा और 'गुरुग्रन्थ साहिब' ही आगे गुरु के रूप में उनका मार्ग दर्शन करेंगे। गुरु गोविंदसिंह की मृत्यु 7 अक्तूबर सन् 1708 ई. में नांदेड़, महाराष्ट्र में हुई थी।

आज मानवता स्वार्थ, संदेह, संघर्ष, हिंसा, आतंक, अन्याय और अत्याचार की जिन चुनौतियों से जूझ रही है, उनमें गुरु गोविंद सिंह का जीवन-दर्शन हमारा मार्गदर्शन कर सकता है।

गुरु स्तुति

गुरु मेरी पूजा, गुरु गोविन्द



गुरु मेरी पूजा, गुरु गोविन्द
गुरु मेरा पार ब्रह्म, गुरु भगवंत

गुरु मेरा देऊ, अलख अभेऊ, सर्व पूज चरण गुरु सेवऊ
गुरु मेरी पूजा, गुरु गोविन्द, गुरु मेरा पार ब्रह्म, गुरु भगवंत

गुरु का दर्शन .... देख - देख जीवां, गुरु के चरण धोये -धोये पीवां

गुरु बिन अवर नहीं मैं ठाऊँ, अनबिन जपऊ गुरु गुरु नाऊँ
गुरु मेरी पूजा, गुरु गोविन्द, गुरु मेरा पार ब्रह्म, गुरु भगवंत

गुरु मेरा ज्ञान, गुरु हिरदय ध्यान, गुरु गोपाल पुरख भगवान
गुरु मेरी पूजा, गुरु गोविन्द, गुरु मेरा पार ब्रह्म, गुरु भगवंत

ऐसे गुरु को बल-बल जाइये ..-2 आप मुक्त मोहे तारें ..

गुरु की शरण रहो कर जोड़े, गुरु बिना मैं नहीं होर
गुरु मेरी पूजा, गुरु गोविन्द, गुरु मेरा पार ब्रह्म, गुरु भगवंत

गुरु बहुत तारे भव पार, गुरु सेवा जम से छुटकार
गुरु मेरी पूजा, गुरु गोविन्द, गुरु मेरा पार ब्रह्म, गुरु भगवंत

अंधकार में गुरु मंत्र उजारा, गुरु के संग सजल निस्तारा
गुरु मेरी पूजा, गुरु गोविन्द, गुरु मेरा पार ब्रह्म, गुरु भगवंत

गुरु पूरा पाईया बडभागी, गुरु की सेवा जिथ ना लागी
गुरु मेरी पूजा, गुरु गोविन्द, गुरु मेरा पार ब्रह्म, गुरु भगवंत



सोमवार, 6 जनवरी 2014

इस के साथ हर मर्द सोना चाहता है

इस ने लाख कोशिश कर ली लेकिन इस के बावजूद भी वह लड़कों को अपने प्यार में पड़ने से नहीं रोक सकी।

जो भी मर्द इसका प्रोफाइल देखता है वही इसका मुरीद हो जाता है और फिर वह उस से सब कुछ कह डालता है जिसके लिए वह बेताब है....

यानि कि सहवास का प्रस्ताव...

इस लड़की ने एक प्रयोग किया जिसमें कि उसे कुछ अजीबोगरीब नतीजे निकालने थे लेकिन यह उस में कामयाब नहीं हो पाई।

असल में इस प्रयोग के द्वारा उसे यह पता करना था कि एक डेटिंग साइट पर दुनिया का सबसे गंदा और बेहूदा इंटरनेट प्रोफाइल बनाने और उसमें एक बेहद खूबसूरत मॉडल का चेहरा लगाने के बाद क्या वह लड़कों को अपने से दूर रख पाने में कामयाब हो सकती है ?

जवाब मिला लेकिन उलटा.... जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी।

उसे मिले 150 मैसेज ... और वह भी सिर्फ 24 घंटों के अंतराल में

जबकि इस प्रोफाइल में उसने खुद को गर्भवती बताया था और साथ में अपने विषय में वो वो झूठी और मनगढ़ंत बातें बताई थी जिन्हें सुनने के बाद तो लोग उसका पोर्न वीडियो भी शायद ही देखते ।

अपने फेक प्रोफाइल में उसने खुद को आलसी, मतलबी, बिगड़ी हुई, सोना खोजने की शौकीन और भी न जाने क्या क्या अंट शंट बता दिया था ताकि कोई मर्द तो क्या बूढ़ा भी उसके पास आने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाए।

लेकिन उसके द्वारा लगाई गई अपनी एक सेक्सी और खूबसूरत मॉडल की उत्तेजक तस्वीर ने सारा काम खराब कर दिया या यूं कहिए कि यह तस्वीर उस की सारी प्रोफाइल पर भारी पड़ी।

तहसील क्षेत्र धोरीमना में सरकारी कार्योलयों का किया औचक निरीक्षण



तहसील क्षेत्र धोरीमना में सरकारी कार्योलयों का किया औचक निरीक्षण

अनुपस्थित कर्मचारीयों के विरूद्ध होगी कठोर अनुषासनात्मक कार्यवाही


धोरीमन्ना।

सरकारी दफतरों में कर्मचारीयों की अनुपस्थिति पर नियं़़त्रण के निमित  उपखण्ड क्षे़़त्र धोरीमना के सरकारी कार्यालयों का औचक निरीक्षण किया गया।

इस औचक निरीक्षण की कार्यवाही के दौरान जोधपुर विद्युत वितरण निगम

लिमिटेड धोरीमन्ना के सहायक अभियंता कार्यालय में 4, राजकीय उच्च

माध्यमिक विद्यालय धोरीमना में 4, राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय

धोरीमना में 3, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय धोरीमना में 5, पंचायत

समिति धोरीमना के महानरेगा कार्यक्रम में 1 कार्मिक अनुपस्थित पाया गया।

तथा औचक निरीक्षण के दौरान सहायक अभियंता जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी

विभाग धोरीमना के सभी कार्मिक उपस्थित पाए गए।

अनुपस्थित पाए गए सभी कार्मिकों के विरूध कठोर अनुषासनात्मक कार्यवाही के

लिए जिला कलक्टर को लिखा गया हैं। इस औचक निरीक्षण के दौरान तहसीलदार

धोरीमना चूनसिहं राजपुरोहित , तहसील रीडर जोगाराम ने निरीक्षण की

कार्यवाही की।

पटवारी ने एक महिला को बाथरूम में बंद किया, दूसरी से दुष्कर्म

पटवारी ने एक महिला को बाथरूम में बंद किया, दूसरी से दुष्कर्म


डबवाली। हरियाणा के मंडी डबवाली कस्बे में एक पटवारी ने एक महिला से उसी के घर में दुष्कर्म किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस पटवारी की तलाश कर रही है। यह घटना डबवाली के वार्ड 15 में हुई।
पुलिस के अनुसार इस महिला का विवाह डबवाली के समीप किसी गांव में हुआ था लेकिन करीब 3 वर्ष पूर्व महिला का अपने पति से तलाक हो गया। तलाक के बाद से उक्त महिला अपने भाई के साथ किराए के एक मकान में रह रही है। महिला का भाई एक प्राइवेट बस में परिचालक है। थाना प्रभारी ने बताया कि बीते दिन महिला अपनी किसी जानकार महिला के घर पर किराए पर रहने हेतु कमरे देखने जा रही थी तभी एक व्यक्ति ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया। महिला भागते हुए उस मकान में घुस गई जिस मकान में उसे कमरे किराए पर लेने थे। उक्त व्यक्ति भी उसी मकान में घुस गया। घर पर पहले से मौजूद महिला बाथरूम में नहा रही थी। उक्त व्यक्ति ने बाथरूम की बाहर से कुंडी लगाकर महिला को बाथरूम में बंद कर दिया जबकि महिला से दुष्कर्म करने लगा। तभी पीडि़त महिला के भाई का दोस्त गली से गुजर रहा था। महिला के चीखने की आवाज सुनकर उसने मकान में प्रवेश किया। महिला के भाई के दोस्त ने महिला को पटवारीके चंगुल से छुड़ाया। उसने आरोपी व्यक्ति को दबोचने की भी कोशिश की लेकिन वह भागने में कामयाब हो गया।

राजस्थान बोर्ड उच्च माध्यमिक परीक्षा 6 मार्च से


राजस्थान बोर्ड उच्च माध्यमिक परीक्षा 6 मार्च से

जयपुर। इस वर्ष उच्च माध्यमिक परीक्षा 6 मार्च 2014 से लेकर 28 मार्च 2014 तक आयोजित की जायेगी। माध्यमिक व प्रवेशिका परीक्षा 13 मार्च 2014 से लेकर 24 मार्च 2014 तक ली जायेगी। शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ ने बताया कि इसी प्रकार वरिष्ठ उपाध्याय परीक्षा 6 मार्च से 29 मार्च तक होगी। इस वर्ष उच्च माध्यमिक परीक्षा में 7 लाख 3 हजार 206 परीक्षार्थी, माध्यमिक परीक्षा में 11 लाख 50 हजार परीक्षार्थी, वरिष्ठ उपाध्याय में 3 हजार 650 और प्रवेशिका में 8 हजार 250 परीक्षार्थी पंजीकृत किये गये हैं। इस प्रकार वर्ष 2014 की बोर्ड परीक्षाओं के लिये कुल 18 लाख 65 हजार 106 परीक्षार्थी पंजीकृत किये गये हंै, जबकि वर्ष 2013 की परीक्षाओं के लिये 20 लाख 12 हजार एक सौ 79 परीक्षार्थी पंजीकृत किये गये थे। इस प्रकार इस वर्ष गत वर्ष की तुलना में 1 लाख 47 हजार 73 परीक्षार्थी कम पंजीकृत हुए हंै।
बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. पी.एस. वर्मा ने बताया कि परीक्षार्थियों को परीक्षा केन्द्र के लिये कम से कम दूरी तय करनी पड़े इस दृष्टि से इस वर्ष 110 नये परीक्षा केन्द्र बनाये गये हंै। इस वर्ष कुल 5 हजार 204 परीक्षा केन्द्र बनाये गये हंै। इनमें से 4 हजार 287 परीक्षा केन्द्रों के प्रश्न-पत्र पुलिस थानों एवं 317 परीक्षा केन्द्रों के प्रश्न-पत्र पुलिस चौकी पर रखे जायेंगे। 42 परीक्षा केन्द्रों के प्रश्न-पत्र पुलिस लाइन में रखे जायेंगे तथा 126 परीक्षा केन्द्रों के प्रश्न-पत्र नोडल केन्द्रों पर रखे जायेंगे कुल 432 परीक्षा केंद्रों के प्रश्न-पत्र उसी परीक्षा केन्द्र पर रखे जायेंगे, जहां 24 घण्टे सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की जा रही है। राज्य में 67 परीक्षा केन्द्रों को संवेदनशील तथा 40 परीक्षा केन्द्रों को अतिसंवेदनशील परीक्षा केन्द्रों के रूप में चिन्हित किया गया है।

बोर्ड अध्यक्ष ने बताया कि जिलों के विशेष चिन्हित परीक्षा केन्द्रों, संवेदनशील, अति संवेदनशील एवं सभी निजी विद्यालय परीक्षा केन्द्रों, गत वर्ष हुए सामूहिक नकल वाले परीक्षा केन्द्रों एवं भौगोलिक दृष्टि से दूरदराज स्थित केन्द्र जहां पर उडऩदस्ता नहीं जा सकता है, वहां पर कलक्टर एवं अध्यक्ष जिला परीक्षा संचालन समिति द्वारा माईक्रोऑब्जर्वर की नियुक्ति की जायेगी। ये शिक्षा विभाग के अतिरिक्त अन्य सेवाओं के अधिकारी होंगे। ये परीक्षा प्रारम्भ होने से परीक्षा समाप्ति तक परीक्षा की गतिविधियों का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट जिला कलक्टर एवं माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को सौंपेंगे।

उन्होंने बताया कि बोर्ड एकल एवं नोडल केन्द्रों पर प्रश्नपत्रों की सुरक्षा को सर्वोच्च महत्व दे रहा है। इन केन्द्रों पर दो बोर्डर होमगार्डो के अतिरिक्त पारी वार दो-दो शिक्षकों की ड्यूटी भी प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के लिए लगाई जायेगी। सभी परीक्षाओं में एकल प्रश्नपत्र होंगे और परीक्षा आयोजन के दिन ही राज्य के सभी जिलों के संग्रहण केन्द्र से एकत्रित कर सारी उत्तरपुस्तिकाएं बोर्ड कार्यालय में मंगवा ली जायेगी।

बैठक में प्रमुख शासन सचिव स्कूल शिक्षा खेमराज, प्रमुख शासन सचिव उच्च शिक्षा राजीव स्वरूप, माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. वीना प्रधान, उप महानिरीक्षक पुलिस ( कानून व्यवस्था) गुरूचरण राय, अति. निदेशक कॉलेज शिक्षा आर.एस. मक्कड़, निदेशक संस्कृत शिक्षा डॉ. मण्डन शर्मा, संयुक्त सचिव शिक्षा ए.एस. नेहरा, सचिव माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अमृत दवे, विशेषाधिकारी परीक्षा भरत शर्मा, मुख्य परीक्षा नियन्त्रक माध्यमिक शिक्षा बोर्ड आर.बी. गुप्ता सहित अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

पर्यटन क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जाए: वसुंधरा


पर्यटन क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं का विकास किया जाए: वसुंधरा

जयपुर, 6 जनवरी। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने राज्य के विकास में पर्यटन के महत्व को रेखांकित करते हुए पर्यटन क्षेत्र में आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने पर्यटन मेलों और उत्सवों को और अधिक आकर्षक बनाने पर बल दिया, ताकि अधिकाधिक देशी-विदेशी पर्यटक राजस्थान की ओर आकर्षित हो सकें।
मुख्यमंत्री ने सांभर लेक को एक भव्य पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने तथा राज्य में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुरक्षा देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जोधपुर से रामदेवरा के बीच धार्मिक पर्यटकों व श्रद्घालुओं को दुर्घटना-रहित सुरक्षित मार्ग देने के उद्देश्य से हमारे पिछले कार्यकाल (वर्ष 2003-08) में कार्य शुरू किया गया था, जिसे पूर्ववर्ती सरकार ने बंद कर दिया गया था, उस वैकल्पिक सड़क मार्ग के विकास कार्य को पुन: शुरू किया जाए।
श्रीमती राजे सोमवार को यहां मुख्यमंत्री कार्यालय में पर्यटन विभाग की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए विचार प्रकट कर रही थी। उन्होंने विभाग की 60 दिन की कार्य योजना तथा आगामी पांच सालों में राज्य में पर्यटन विकास के लिए तय किये गये लक्ष्यों पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण देखा तथा अधिकारियों को समयबद्घ कार्यक्रम के अनुसार योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए दिशा-निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि पर्यटन क्षेत्र में क्रियान्वित की जा रही योजनाओं का अधिकारी मौके पर जाकर अवलोकन करें तथा वहां पर्यटन सम्बन्धी आधारभूत सुविधाओं को विकसित करवायें। उन्होंने पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण राजस्थान रॉयल तथा पैलेस ऑन व्हील पर्यटक रेलों में बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने के साथ-साथ टूर पैकेज को आकर्षक बनाने पर जोर दिया, ताकि प्रतिस्पर्धा के दौर में अधिकाधिक पर्यटक इन रेलों से राजस्थान के ऐतिहासिक स्थलों तथा यहां की सांस्कृतिक विविधता को देख सकें। उन्होंने पर्यटन सूचना केन्द्रों के सुदृढ़ीकरण करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कुछ परियोजनाओं के फोटो एलबम भी देखे, जिनमें कार्य शुरू करने से पहले तथा पूर्ण करने के बाद की स्थितियों के फोटोग्राफ देखकर उनकी प्रशंसा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विभिन्न स्थलों में पर्यटन विभाग के तत्वावधान में आयोजित किये जाने वाले पर्यटक मेलों तथा जिला स्तर पर आयोजित पर्यटन उत्सवों को आकर्षक बनाया जाए। पर्यटन विकास के लिए एगे्रसिव मार्केटिंग करने, विभिन्न धार्मिक स्थलों पर पर्यटन को बढ़ावा देने, पर्यटन से रोजगार को जोडऩे, आमेर के हाथी गांव का समुचित विकास तथा वहां कालबेलिया लोकनृत्य के प्रशिक्षण की व्यवस्था करवाने, सवाई माधोपुर में शिल्पग्राम के सुदृढ़ीकरण के साथ ही राज्य के विभिन्न स्थलों पर बनी हवाई पट्टियों का पर्यटन की दृष्टि से उपयोग की संभावनाएं तलाशने के निर्देश अधिकारियों को दिए।
श्रीमती राजे ने बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यटन राकेश श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत राजस्थान में ट्यूरिस्ट सर्किट्स के विकास, ग्रामीण पर्यटन को प्रोत्साहन देने, राजस्थान दिवस के आकर्षक आयोजन जैसी प्रमुख विभागीय गतिविधियों एवं योजनाओं पर प्रस्तुतिकरण देखा।