जैसलमेर। दुश्मन को खदेड़ने की हुंकार और शत्रु सैनिको की आंख मे आंख डालकर उनके नापाक इरादो को नेस्तनाबूत करने का जज्बा...। ऎसे ही इरादो के साथ अब पाक सीमा से सटे पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर व श्रीगंगानगर जिलों के सीमावर्ती गांवो के युवाओ के जज्बे को जब सीमा सुरक्षा बल के तजुर्बे का साथ मिलेगा तो वे उठाएंगे मातृभूमि की रक्षा करने का बीड़ा।
सरहद से घुसपैठ पर नकेल कसने व सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने के लिहाज से अब सरहदी जिलों के युवाओ को प्रशिक्षण देकर यह दायित्व सौंपा जाएगा। पश्चिमी राजस्थान की करीब 1040 किमी लंबी सरहदी सीमा की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्र के युवाओ को सैन्य व सीसुब मे नियुक्ति से पूर्व प्रशिक्षित किए जाने के संबंध मे सरकार की ओर से भी हरी झंडी मिल गई है। इस संबंध मे युवाओ के चयन के बाद सीसुब सीमावर्ती क्षेत्रो के युवाओ को प्रशिक्षित करेगा। सीसुब सरहद पर बसे इन गांवो के युवाओ को सैन्य व सीसुब सेवाओ मे जाने से पूर्व प्रशिक्षण देगा।
इस संबंध मे सीसुब को केन्द्र सरकार की ओर से हरी झंडी मिल चुकी है और इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए कार्ययोजना बनानी भी शुरू कर दी गई है। सीसुब की सभी बटालियनो को इस संबंध मे 1.40-1.40 लाख का बजट भी आवंटित किया गया है। आगामी दिनो मे इस संबंध मे वाहिनी वार शिविरो का आयोजन कर युवाओ को प्रशिक्षण दिया जाएगा। यदि सीसुब की यह मुहिम रंग लाई तो बाखासर से हिंदुमलकोट तक की 1040 किमी लंबी पाक से सटी पश्चिमी सीमा की सुरक्षा का चक्र और अधिक मजबूत हो सकेगा।
गौरतलब है कि सीसुब के महानिदेशक गत दिनो जैसलमेर जिले के दौरे पर आए थे। उस दौरान सीमा जन कल्याण समिति व कुछ जागरूक संगठनो ने सरहद पर इस तरह के जागरूकता शिविर लगाने की मांग की थी। सीमा चौकियो के निरीक्षण के दौरान खुद डीजी ने इस बात की जरूरत महसूस की थी और केन्द्र सरकार को अवगत कराया था। अब केन्द्र सरकार ने सुरक्षा से जुड़े इस नवाचार को मूर्त रूप देने की हरी झंडी दे दी है।
यह होगा फायदा
बॉर्डर पर रहने वाले लोगो की विषम परिस्थितियो मे रहने की अभ्यस्तता का सीसुब को मिलेगा लाभ।
सुरक्षा को लेकर चिंतित रहने वाले सरहदी क्षेत्र के बाशिंदे खुद इसका उत्तरदायित्व निभा सकेंगे।
सरक्षा कंपनियो मे नियुक्ति का अवसर मिलने से रोजगार के अवसर मिल सकेंगे।
यदि सीसुब या सेना मे भर्ती नहीं भी हो पाती हैतो भी सुरक्षा को लेकर सतर्कता बढ़ेगी।
सीमावर्ती क्षेत्रो के युवा सीसुब की कार्यप्रणाली को समझ सकेंगे।
सरहद से घुसपैठ पर नकेल कसने व सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने के लिहाज से अब सरहदी जिलों के युवाओ को प्रशिक्षण देकर यह दायित्व सौंपा जाएगा। पश्चिमी राजस्थान की करीब 1040 किमी लंबी सरहदी सीमा की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्र के युवाओ को सैन्य व सीसुब मे नियुक्ति से पूर्व प्रशिक्षित किए जाने के संबंध मे सरकार की ओर से भी हरी झंडी मिल गई है। इस संबंध मे युवाओ के चयन के बाद सीसुब सीमावर्ती क्षेत्रो के युवाओ को प्रशिक्षित करेगा। सीसुब सरहद पर बसे इन गांवो के युवाओ को सैन्य व सीसुब सेवाओ मे जाने से पूर्व प्रशिक्षण देगा।
इस संबंध मे सीसुब को केन्द्र सरकार की ओर से हरी झंडी मिल चुकी है और इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए कार्ययोजना बनानी भी शुरू कर दी गई है। सीसुब की सभी बटालियनो को इस संबंध मे 1.40-1.40 लाख का बजट भी आवंटित किया गया है। आगामी दिनो मे इस संबंध मे वाहिनी वार शिविरो का आयोजन कर युवाओ को प्रशिक्षण दिया जाएगा। यदि सीसुब की यह मुहिम रंग लाई तो बाखासर से हिंदुमलकोट तक की 1040 किमी लंबी पाक से सटी पश्चिमी सीमा की सुरक्षा का चक्र और अधिक मजबूत हो सकेगा।
गौरतलब है कि सीसुब के महानिदेशक गत दिनो जैसलमेर जिले के दौरे पर आए थे। उस दौरान सीमा जन कल्याण समिति व कुछ जागरूक संगठनो ने सरहद पर इस तरह के जागरूकता शिविर लगाने की मांग की थी। सीमा चौकियो के निरीक्षण के दौरान खुद डीजी ने इस बात की जरूरत महसूस की थी और केन्द्र सरकार को अवगत कराया था। अब केन्द्र सरकार ने सुरक्षा से जुड़े इस नवाचार को मूर्त रूप देने की हरी झंडी दे दी है।
यह होगा फायदा
बॉर्डर पर रहने वाले लोगो की विषम परिस्थितियो मे रहने की अभ्यस्तता का सीसुब को मिलेगा लाभ।
सुरक्षा को लेकर चिंतित रहने वाले सरहदी क्षेत्र के बाशिंदे खुद इसका उत्तरदायित्व निभा सकेंगे।
सरक्षा कंपनियो मे नियुक्ति का अवसर मिलने से रोजगार के अवसर मिल सकेंगे।
यदि सीसुब या सेना मे भर्ती नहीं भी हो पाती हैतो भी सुरक्षा को लेकर सतर्कता बढ़ेगी।
सीमावर्ती क्षेत्रो के युवा सीसुब की कार्यप्रणाली को समझ सकेंगे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें