रविवार, 5 जनवरी 2014

मुहब्बत, मां और मर्डर... कत्ल गैर मजहब के लड़के के साथ डेटिंग कर रही थी बेटी, करवाया कत्ल



मुहब्बत, मां और मर्डर... कत्ल तो इससे पहले भी हुए और आगे भी होंगे. लेकिन एक लड़की के कत्ल की ये कहानी आपके रौंगटे खड़े कर देगी. क्योंकि रिश्तों के भंवर में उलझी एक आजाद ख्याल लड़की के ये अंत की ये वो वारदात है, जिसके बारे में सोचना भी मुश्किल लगता है.
पुष्पा और किरण
ये वारदात है फरीदाबाद की. तारीख 28 दिसंबर, 2013. वक्त सुबह 6 बजे. सुबह सुबह यहां के एक मकान के बाहर मौजूद पुलिसवालों की भीड़ ये बता रही थी कि यहां कोई अनहोनी जरूर हुई है. पुलिस को देख कर आस-पड़ोस के लोग भी मौके पर इकट्ठा होने लगे थे.

और फिर मकान के अंदर से अनहोनी की खबर कानों-कान बाहर निकली और देखते ही देखते पूरे शहर में आम हो गई. ये खबर जितनी अजीब थी, उतनी ही डरावनी. इस घर में एक कत्ल हुआ था. घर की इकलौती जवान बेटी का कत्ल. 22 साल की किरण को कोई रात के अंधेरे में घर में घुस कर तेजधार हथियार से गला रेत कर मौत के घाट उतार गया था. जबकि घर के बाकी लोगों को कातिलों ने छुआ तक नहीं.

फरीदाबाद के सेक्टर 45 में ये मकान था बिल्डिंग मेटेरियल के सप्लायर सुरेंद्र कोहली का. सुरेंद्र मोहल्ले के अमनपसंद लोगों में गिने जाते थे और अपने काम से काम रखते थे. जबकि उनके अलावा इस घर में उनकी पत्नी पुष्पा, बेटी किरण, और 15 साल का बेटा कुणाल रहता था. किरण का भी अपने मोहल्ले में लोगों से मिलना-जुलना कम ही होता था. क्योंकि वो नोएडा के किसी रियल स्टेट कंपनी में काम करती थी और अक्सर देर रात को घर लौटती थी. वारदात की रात सुरेंद्र अपने बेटे कुणाल के साथ किसी काम से बाहर थे, जबकि घर में पुष्पा बेटी किरण के साथ मौजूद थी. यानी इस मकान के अंदर हई कत्ल की इस रहस्यमयी वारदात का अगर कोई चश्मदीद था, तो वो थी मरनेवाली लड़की किरण की मां पुष्पा.

चूंकि मामला बेटी की मौत का था. पुलिस भी फौरन पुष्पा से ज्यादा पूछताछ करने से झिझक रही थी. लेकिन मौका ए वारदात की हालत इशारा कर रही थी कि कातिलों ने पहले पुष्पा के हाथ-पांव बांधे और फिर उसकी बेटी की जान लेने के बाद फरार हो गए. चूंकि पुष्पा पहले ही लूटपाट जैसी किसी वारदात से इनकार कर चुकी थी, पुलिस को शक होने लगा कि हो ना हो किसी ने किरण से दुश्मनी निकालने के लिए ही घर में घुस कर उसकी जान ले ली. लेकिन आखिर कौन हो सकता था किरण का कातिल? और किरण से उसकी क्या थी दुश्मनी?

पुष्पा का चौंकाने वाला खुलासा
जाहिर है, सारे सवालों का जवाब किरण की मां पुष्पा के पास ही था. लिहाजा, थोड़े इंतजार के बाद पुलिस ने पुष्पा से ही कातिलों के बारे में पूछताछ शुरू कर दी. लेकिन पुष्पा ने पुलिस को जो कुछ बताया, उसे सुन कर वर्दीवाले बुरी तरह चौंक उठे. पुष्पा ने कहा कि बीती रात उनकी बेटी की दो सहेलियां उससे मिलने आई थी और उन्हीं दोनों ने उनकी बेटी का कत्ल कर दिया. तो, क्या ये एक ओपन एंड शट केस था...? और क्या फकत उन सहेलियों की गिरफ्तारी पर ही मामले की तफ्तीश टिकी थी? लेकिन इसके आगे जो कुछ हुआ, वैसा किसी ने नहीं सोचा था.

घर में दाखिल हुई दो लड़कियों ने आख़िर रातोरात किरण का कत्ल कैसे कर दिया? वो भी तब जब किरण की मां भी घर में में ही मौजूद थी? अगर, वो लड़कियां किरण की दुश्मन थी, तो किरण ने उन्हें पहचाना क्यों नहीं? सवाल कई थे.

तो क्या पुष्पा ने अपनी बेटी की क़ातिल सहेलियों को देखा था? और क्या अब पुलिस के लिए उसकी बताई गई बातों और हुलिए की बिनाह पर कातिल लड़कियों को गिरफ्तार करना ही बाकी रह गया था...? ये सवाल बेहद अहम था.

जाहिर है, अब पुलिस लड़की की कातिल सहेलियों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाना चाहती थी, ताकि जल्द से जल्द उन तक पहुंचा जा सके. लेकिन पुष्पा से पूछताछ में पुलिस एक कदम आगे बढ़ाती, तो उसे दो कदम पीछे हटाने पड़ते. मामला इतना आसान भी नहीं था जितना लग रहा था.

पूछताछ के दौरान पुष्पा पर हुआ पुलिस को शक
दरअसल, जब पूछताछ आगे बढ़ी तो पुष्पा ने बताया कि ये सहेलियां उसकी बेटी के दफ्तर में ही काम करती हैं. और रात दोनों दफ्तर के काम-काज के सिलसिले में ही यहां पहुंची थीं. रात को उन्होंने यहीं रुक कर काम निपटाने की बात कही और उन्हें सोने के लिए कह दिया. लेकिन सोने से पहले खुद उनकी बेटी किरण ने उन्हें पीने के पानी में कोई ऐसी चीज मिला दी, जिससे वो बेहोश हो गईं और उन्हें बगल में कमरे में हुई अपनी बेटी के कत्ल का पता ही नहीं चला. ये सारी बातें सुनने में ही अजीब लग रही थीं. लेकिन पुलिस जल्दबाजी में किसी नतीजे तक नहीं पहुंचना चाहती थी. लिहाजा, उसने पुष्पा से और पूछताछ करने का फैसला किया.

आखिर कौन थी ये लड़कियां?
अगर वो दोनों वाकई किरण की दुश्मन थी, तो फिर किरण ने उन्हें अपने घर में आने की इजाजत कैसे दी? उसके दफ्तर का ऐसा कौन सा काम था, जिसे दफ्तर में नहीं निपटाया जा सकता था? और किरण उसे अपनी कलीग्स के साथ रात भर में घर में बैठ कर पूरा करना चाहती थी? पुलिस को ये तमाम सवाल लगातार उलझा रहे थे.

अब पुलिस के सवाल लड़कियों के हुलिए को लेकर थे. पुलिस ये जानना चाहती थी कि आखिर उनकी बेटी की कातिल सहेलियां दिखतीं कैसी थीं और उन्होंने क्या पहन रखा था, ताकि हुलिए, डील-डौल और उनकी बोली की बदौलत इन लड़कियों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटा कर उन तक पहुंचा जा सके. लेकिन लड़कियों की शक्ल-सूरत के बारे में पूछे गए सवालों ने पुलिस को जैसे किसी दीवार के सामने लाकर खड़ा कर दिया. क्योंकि पुष्पा ने कहा कि लड़कियों की सूरत तो वो तब बताती, जब वो उन्हें देख पातीं. क्योंकि दोनों ही लड़कियां बुर्कानशीं थी. यानी दोनों ने ही बुर्के से अपना चेहरा ढंक रखा था. और जब दोनों ने बुर्का हटाया ही नहीं, तो चेहरा देखने के सवाल ही नहीं उठता था. कुल मिलाकर, पुलिस लड़कियों के हुलिए के बारे में भी ज़्यादा कुछ पता नहीं लगा सकी.

लेकिन इस बातचीत ने पुलिस को एक सुराग जरूर दे दिया कि हो ना हो किरण की जान लेनेवाली दोनों ही लड़कियां मुस्लिम रही होंगी. अब पुलिस ने इस एंगल में किरण के दफ्तर में काम करनेवाली ऐसी दो लड़कियों की तलाश शुरू की, लेकिन इसमें उसे कोई कामयाबी नहीं मिली. लेकिन इसी बीच पुलिस ने इस घर में एक ऐसी अजीब बात नोटिस की, जिसने पूरे मामले की तफ्तीश का ओर-छोर ही बदल कर रख दिया. अब ये केस पूरी तरह यू टर्न ले चुका था.

पुलिस के कान हुए खड़े पुलिस के पास मकतूल भी था. और इस कत्ल का चश्मदीद भी. लेकिन इसके बावजूद पुलिस कातिल का पता नहीं लगा पा रही थी. लेकिन तभी वर्दीवालों के ध्यान में एक ऐसी बात आई, जिसने उनके कान खड़े कर दिए. तो क्या, क़ातिल कोई और था?

पुलिस को इस कत्ल की खबर रात तकरीबन दो बजे ही मिल चुकी थी. बेहोशी से जगी पुष्पा ने पहले तो इसके बारे में अपने पड़ोसियों को बताया और फिर पड़ोसियों ने पुलिस को इत्तिला दी.

पुष्पा का अटपटा रवैया
लेकिन जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो ना तो पुष्पा ज्यादा रो रही थी और ना ही उसका व्यवहार ही सामान्य था. और तो और जिस कमरे में उसकी बेटी की लाश पड़ी थी, वो पुलिस के आने के बाद यानी रात करीब दो बजे से लेकर अगले दिन सुबह तक एक बार भी उधर झांकने तक नहीं गई. जबकि आम तौर पर कोई भी मां अपनी इकलौती लाडली के कत्ल पर ना सिर्फ रो-रो कर बेहाल हो जाती, शायद बेटी की लाश को भी अपने सीने से लगाकर रोना पसंद करती. लेकिन यहां पुष्पा का रवैया थोड़ा अटपटा जरूर था.

ऊपर से पुष्पा की बताई गई बातें मसलन किरण के हाथों से पानी पीने के बाद ही उसका बेहोश हो जाना, रात को डेढ़ बजे अपने-आप जग जाना और घर में आई किसी भी लड़की का चेहरा ठीक से ना देख पाना, पहले ही शक पैदा कर रहा था. जिस तरह पुष्पा का पति सुरेंद्र कोहली और उसका बेटा कुणाल भी वारदात की रात इस घर से ग़ायब थे, वो भी अपने-आप में एक सवाल था. पुलिस के पूछने पर पता चला कि दोनों को पुष्पा ने ही अपने मायके में अपनी बुज़ुर्ग मां से मिलने के लिए भेजा था.

पुष्पा ने ही ली बेटी की जान
पुष्पा के व्यवहार, बयानों और हालात की बदौलत अब पूरी तफ़्तीश पुष्पा के ऊपर ही जाकर टिक गई. पुलिस को लगने लगा का कि हो ना हो पुष्पा ने ही अपनी बेटी की जान ली है, लेकिन एक मां को अपनी बेटी का कातिल करार देने से पहले पुलिस थोड़ी और तसल्ली करना चाहती थी. लिहाजा, उसने धीरे-धीरे पुष्पा को घेरना शुरू कर किया. और तब पुलिस के सख्ती के सामने उसने घुटने टेक दिए. जी हां, ये पुष्पा ही थी, जिसने अपनी बेटी किरण की जान ली थी. मगर, क्यों और कैसे?

अब पुष्पा ने ये मान लिया था कि उसी ने अपनी बेटी का क़त्ल किया है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही था कि एक मां के लिए आखिर ऐसा करना कैसे मुमकिन है? आखिर वो कौन सी बात है, जिसने पुष्पा को इतना बेकाबू कर दिया कि उसने खुद अपने ही हाथों से अपने खून का खून कर दिया?

पुष्पा ने सिर्फ इसलिए अपनी बेटी के मौत के परवाने पर अपने दस्तखत कर दिए, क्योंकि उसकी हरकतें उसे नागवार गुजरती थी. उसे लगता था कि उनकी बेटी उनके परिवार की इज्जत मटियामेट कर देगी. और बस, इसी झूठी शान में वो बन गई कातिल मां.

बेटी किरण के आजाद ख्याल से नाखुश थी पुष्पा
दरअसल, वो किरण के आजाद ख्याल होने से काफ़ी दिनों से नाखुश रह रही थी. पहले तो किरण ने अपने ही साथ काम करनेवाले एक शख्स से अपनी मर्जी से शादी की और फिर उसे तलाक भी ले लिया. और इन दिनों वो एक और गैर मजहब के लड़के के साथ डेटिंग कर रही थी. बल्कि उससे शादी भी करना चाहती थी. इतना ही नहीं, पिछले कुछ दिनों से किरण अक्सर देर रात तक दोस्तों के साथ पार्टी करती, डिस्कोथेक जाती और शराब के नशे में चूर होकर घर लौटती थी. और तो और उसे समझाने-बुझाने का भी कोई असर नहीं होता था.

पुष्पा को था बदनामी का डर
पुष्पा को लग रहा था कि दूसरे धर्म के लड़के के साथ किरण के दूसरी शादी करने से उनके परिवार की बदनामी हो सकती थी, इसलिए उसने अपने एक मुंहबोले चाचा के साथ मिलकर ये पूरी साजिश रची. उसका ये मुंहबोला चाचा कुलविंदर सिंह पंजाब पुलिस में काम करता है. उसने अपनी बेटी के कत्ल की सुपारी के तौर पर कुलविंदर को एक लाख रुपए और जेवर दिए और कत्ल के लिए 28-29 की रात मुकर्रर कर दी. अपने पति और बेटे को इससे अलग रखने के लिए बहाने से उन्हें शहर से बाहर भेज दिया और फिर वारदात की रात कुलविंदर को घर बुला लिया.

कुलविंदर ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर एक मां के इशारे पर उसकी बेटी की गला रेत कर हत्या कर दी. लेकिन नफरत में पुष्पा इस कदर अंधी हो चुकी थी कि कत्ल के दौरान अपनी बेटी की चीखों से बचने के लिए वो कान में रूई डाल कर दूसरे कमरे में सो गई. और तो और पूछताछ में ये भी साफ हो गया कि एक बार उसने पहले भी तकिए से मुंह दबा कर किरण की जान लेने की कोशिश की थी, लेकिन तब किरण बच निकली थी.


 

एक गांव ऐसा भी जहां घर में नहीं लगता दरवाजा!



लखनऊ आज जहां चोरी और लूट की वारदात से सबक लेकर गांव-शहर सभी जगह लोग अपने घरों को सुरक्षित रखने के लिए तमाम इंतजाम करते हैं, वहीं इलाहाबाद में एक ऐसा गांव है जहां के लोग अपने घरों में दरवाजे तक नहीं लगाते।
VILLAGE
उनका मानना है कि गांव के बाहर बने मंदिर में विराजमान काली मां उनके घरों की रक्षा करती हैं। इलाहाबाद जिले के सिंगीपुर गांव के किसी भी घर में दरवाजा नहीं है। इस गांव में कच्चे, पक्के और झोपड़े को मिलाकर कुल 150 घर हैं।

सिंगीपुर के रहने वाले सहजू लाल ने कहा, 'यह बात बाकी लोगों को चौंका सकती है, लेकिन हमारे लिए यह एक परंपरा बन चुकी है। हम दशकों से बिना दरवाजों के घरों में रह रहे हैं।' इलाहाबाद शहर के करीब 40 किलोमीटर दूर सिंगीपुर गांव की आबादी करीब 500 है। गांव में निचले मध्यम वर्गीय परिवार और गरीब तबके के लोग रहते हैं, जो फेरी, छोटी-मोटी दुकानें चला कर और मजदूरी से परिवार चलाते हैं। गांव में दलितों, जनजातियों और पिछड़ा वर्ग के लोगों की संख्या ज्यादा है।

कोरांव थाना प्रभारी सुरेश कुमार सैनी ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि कोई दूसरा इस तरह का गांव होगा, जहां लोग घरों में दरवाजे न लगाते हों।' वह कहते हैं, 'जब मुझे पहली बार इस गांव के बारे में पता चला तो मैं आश्चर्यचकित रह गया।' सैनी ने कहा कि उन्होंने गांव के किसी भी घर में पूरी तरह से लगे दरवाजे नहीं देखे। हां, कुछ घरों में यह देखा कि वहां खस (घास) की पर्देनुमा चटाई लटक रही थी ताकि घर के अंदर का दृश्य बाहर से न दिखे।

उन्होंने कहा कि गांव में पिछले कई सालों से चोरी की कोई घटना नहीं हुई है। ग्रामीणों का विश्वास है कि मां काली उनके घरों की रक्षा करती हैं और जो भी उनके घरों में चोरी की कोशिश करेगा, मां उसे दंड देंगी। ग्रामीण बड़े लाल निषाद कहते हैं, 'गांव के बाहर बने मंदिर में विराजमान मां काली पर हमें पूरा भरोसा है, इसीलिए हम अपने घरों की चिंता नहीं करते।' निषाद के मुताबिक, उनके बुजुर्ग कहा करते थे कि जिन लोगों ने इस गांव में चोरी की, उनकी या तो मौत हो गई या वे गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो गए।

AAP की मंत्री राखी बिड़ला की कार पर हमला

नई दिल्ली
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार में महिला और बाल कल्याण मंत्री राखी बिड़ला की कार पर रविवार को मंगोलपुरी इलाके में कुछ लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया। राखी बिड़ला इस हमले में सुरक्षित बताई जा रही हैं। यह हमला क्यों और किसने किया, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। राखी बिड़ला ने इस हमले के बाद हमारे सहयोगी चैनल 'टाइम्स नाउ' से कहा कि वह इस हमले से बिल्कुल में भयभीत नहीं हैं और सुरक्षा की मांग नहीं करेंगी।
Delhi Minister Rakhi Birla's car attacked in Mangolpuri
जानकारी के मुताबिक रविवार शाम को मंगोलपुरी के आर ब्लॉक में राखी बिड़ला की कार को भीड़ ने निशाना बनाया। बताया जा रहा है कि राखी स्थानीय लोगों को संबोधित कर रही थीं, तभी किसी ने उनकी कार की ओर पत्थर फेंक दिया। इससे कार का अगला शीशा टूट गया। यह राखी बिड़ला की निजी कार थी। इस हमले में कोई घायल नहीं हुआ है। राखी बिड़ला ने मंगोलपुरी पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत दर्ज कराई है।

गौरतलब है कि 26 साल की राखी बिड़ला आप सरकार में सबसे कम उम्र की मंत्री हैं। पद संभालने के बाद से वह काफी ऐक्टिव हैं। रैन-बसेरों में रह रहे लोगों की स्थिति का जायजा लेने के लिए उन्होंने पूरी रात बाहर गुजारी थी। सूत्रों के मुताबिक शनिवार रात दस बजे निरीक्षण किया और सुबह चार बजकर तक काम करती रहीं।

आशिक के प्‍यार में अंधी मां ने तीन मासूम बेटियों को ट्रेन में छोड़ा



अपने आशिक के प्यार में अंधी हो चुकी एक महिला ने अपनी तीन मासूम बच्चियों को एक ट्रेन में लावारिस हालत में छोड़ दिया. महिला अपने प्रेमी के साथ चैन से जीना चाहती थी, पर नियति को कुछ और ही मंजूर था.
Symbolic Image
ट्रेन में लावारिस मिली बच्चियां एक संस्था में पहुंचाई गईं. बाद में उसके असली पिता को भी खोज निकाला गया. पर मां और उसका प्रेमी नहीं पहुंचे, जिन्होंने इन्हें लावारिस बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा था.

तीन साल से 8 साल तक की इन बहनों को यह तक नहीं मालूम है कि जिस मां ने उन्हें पाल-पोसकर बड़ा किया, अचानक ऐसा क्या हुआ कि उन्हें ननिहाल ले जाने के बहाने ट्रेन में छोड़कर फरार हो गई.

दस दिन बाद जब पुलिस ने पिता को खोज निकाला, तब पिता ने इसके लिए इन बच्चों की मां को जिम्मेदार ठहराया, जिसने प्रेम-प्रसंग के चक्कर में इन्हें रास्ते हटाने के लिए ऐसा किया. लड़कियों के मुताबिक इनकी मां और मुंहबोले बाप ने इन्‍हें ट्रेन में छोड़ा.

महिला का प्लान था कि इन बच्चियों को रास्ते से हटाकर हमेशा के लिए ही लावारिस बना दिया जाए. पर होनी को कुछ और ही मंजूर था. जिस गंगासागर ट्रेन पर इन बच्चियों को छोड़ा गया, उस ट्रेन में पुलिस की नजर बच्चियों पर पड़ी. तब ये बच्चियां पटना की एक संस्था में पहुंचा दी गईं.

सबसे बड़ी बच्‍ची 8 साल की, दूसरी 5 साल की और तीसरी 3 साल की है. छोटी बहनों को संभाल रही नंदिनी को मालूम है कि उसकी मां ने उनके साथ जान-बूझकर दगा किया. यही वजह है कि पिता को देखने पर उसे न तो खुशी हुई, न ही वो पिता के साथ जाने तैयार हुई.

बिहार के बरौनी स्टेशन पर 27 दिसंबर को दस बजे जीआरपी ने इन बच्चो को गंगासागर एक्सप्रेस से उतारा और 28 तारीख को 'प्रयास भारती' संस्था को सौंप दिया गया. ये बच्चियां आपस में बहन हैं और अपने पिता का नाम राहुल राज बताती है. गांव का नाम गंगापुर बता रही हैं. बड़ी बहन नंदिनी ही कैमरे पर कुछ बता पा रही है, जबकि दोनों छोटी- निधि और रानी कुछ नहीं बोल पा रही है. बच्चों को लेने आया पिता का नाम नंदलाल विश्वकर्मा है, जो अपनी पत्नी और उसके प्रेमी राहुल राज को बच्चों को छोड़ने का आरोप लगा रहा है. पिता के मुताबिक जिस राहुल राज को उसकी बेटियां पिता कह रही हैं, दरअसल वो उसकी पत्नी का प्रेमी है, जिसने उसकी पत्नी के साथ मिलकर इन बच्चों को छोड़ दिया है.

जिस संस्था 'प्रयास भारती' में बच्चियां लाई गई हैं, उसने फिलहाल इन बच्चियों को पिता के हवाले करने से मना कर दिया है, क्योंकि जो अपने बच्चों को नहीं रख पाया, वो आगे कैस रख पाएगा.

फिलहाल पिता को कहा गया है कि वह कैसे इनका पालन-पोषण करेगा, यह बताए. निधि और रानी इतनी छोटी है कि उसे पता ही नहीं है कि उसके साथ क्या हुआ है. लेकिन नंदिनी के चेहरे पर उदासी यह साफ बता रही है कि वह खुद और अपने दोनों बहनो को लेकर कितनी फ्रिक में है. अब 'प्रयास भारती' ही इनका घर बन चुकी है.

ऐसा पहली बार नहीं है, जब लड़कियों के साथ ऐसा हो रहा है. दरअसल, लड़कियों को मार देने, उन्हें लावारिस छोड़ देने, या उन्हें बेच देने की वारदातें अक्‍सर होती रहती हैं. यह तो इन बच्चियों का सौभाग्य है कि वे बिहार में ही पुलिसवालों के नजर में आ गईं, नहीं तो इनका क्या होता, किसी को नहीं मालूम.



यहां औरतें अपना रेप करवाना चाहती हैं

जोहान्सबर्ग। इस जगह को दुनिया की रेप राजधानी का खिताब मिला है। कुछ आंकड़े ही इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त होंगे ...
हर दूसरी औरत का उसकी जिंदगी में कभी न कभी रेप हुआ...

5 लाख रेप हर साल किए गए...

हर 17 सेकण्ड में एक रेप का होना...

सबसे हैरतअंगेज बात तो यह है कि 20 प्रतिशत पुरूष यह कहते हैं कि महिलाए ने खुद ही उनसे अपना रेप करने के लिए कहा ...

एक चौथाए पुरूषों ने यह माना है कि उन्होंने अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार रेप किया ...

तीन चौथाए पुरूषों ने कहा कि उन्होंने 20 साल से कम उम्र की लड़कियों को अपना शिकार बनाया वहीं दसवें हिस्से ने 10 साल से कम उम्र की लड़कियों का रेप किया...

साउथ अफ्रिका में समलैंगिकता वैध है और इसीलिए यहां के पुरूष खुले आम करेक्टिव रेप करने को जायज ठहराते हैं यानि कि महिलाओं को समलैंगिक से विपरीतलैंगिक बनाना।

यहां के पुरूषों का कहना है कि इस से वे महिलाओं को असली औरत बनना सिखा रहे हैं ताकि वे दुबारा ऎसे घटिया काम न कर सके।

एक ऎसे ही घटनाक्रम में एक महिला अधिकार और समलैंगिकता के लिए लड़ने वाली और उसकी महिला दोस्त को एक बार के बाहर कुछ पुरूषों ने घेर लिया और उनका बेरहमी से गैंग रेप व टार्चर किया, उन्हें उनके अंत:वस्त्रों से बांधा और फिर सिर में गोली मार दी।

तंवर को प्रदेश कार्यकरिणी सदस्य बनाया

तंवर को प्रदेश कार्यकरिणी सदस्य बनाया 

पोकरण़ अखिल भारतीय विधार्थी परिषद का 49वां प्रदेश अधिवेशन 3से5 जनवरी को बांरा में समाप्त हुआ। जैसलमेर के सह जिला संयोजक कवराज सिंह तंवर ने बताया कि 49वें प्रदेश अधिवेशन में राणीदान सिंह तंवर को प्रदेश कार्यकरिणी सदस्य बनाया गया। राणीदान सिंह पोकरण़ के रामदेवरा कस्बे के निवासी है तथा पिछले चार वर्षो से एबीवीपी के सकि्रयता कार्यकर्ता है। सह जिला संयोजक कवराज सिंह ने बताया कि राणीदान सिंह तंवर के 6 जनवरी पोकरण नगर के प्रथम आगमन पर स्थानीय कार्यकर्ताओं के द्वारा भव्य स्वागत किया जायेगा।

बाड़मेर के शेर मोहम्मद बने राज्य के मुफ्ती आजम



बाड़मेर के शेर मोहम्मद बने राज्य के मुफ्ती आजम

-इलोलिया गांव में जन्मे है शेर मोहम्मद

-उदर्ू व हिन्दी के तेज वक्ता है

बाड़मेर

बाड़मेर के छोटे से गांव इलोलिया में जन्मे शेर मोहम्मद को राजस्थान राज्य के मुफ्ती आजम के खिताब से नवाजने के बाद बाड़मेर में खुषी की लहर दौड़ पड़ी है। शेर मौहम्मद के बाड़मेर आने पर मुसिलम समुदाय ने उनका गर्मजोषी के साथ स्वागत किया। इलोलिया में बचपन में मवैषी चराने का काम करने वाले शेर मोहम्मद की शुरूआती तालिम मौलाना मुरीद अली की देखरेख में विषाला मदरसें में हुर्इ। 1965 में तत्कालीन मुफित आजम अषफाक हुसैन ने इनके जजबे को देखते हुए इन्हे जोधपुर दारूल उलूम र्इषाकिया दाखिला देकर सिन्धी, उदर्ू और फारसी की तालिम दी और 1968 में महज 16 साल की उम्र में इन्हे मौलाना की पदवी दी। 1968 से अब तक इन्होने हदीस का पाठ और सेखूल हदीस के पाठको आम अवाम के सामने रखा। बीते 15 अक्टूबर को मुफ्ती आजम राजस्थान अषफाक हुसैन के इंतकाल के बाद मुल्क भर के मुफ्तीयों, उलमाओं और धार्मिक गुरूओं ने 17 नवम्बर 2013 को इन्हे राजस्थान का मुफ्ती आजम बना दिया। शेर मोहम्मद का का काम मुसिलम समाज के अगुवार्इकर्ता के रूप में राज्यभर में रहेगा। इस्लामिक कानून के फतवे इन्ही के द्वारा दिये पार्इगें साथ ही राज्य भर में मदरसों और मसिजदों में वर्तमान में कार्य कर रहे मौलाना इनके शार्गिद है साथ ही इनकी छवी राज्य के सबसे तेज तर्रार हिन्दी व उदर्ू वक्ता के तौर पर है। शेर मौहम्मद के बाड़मेर प्रयास पर मुसिलम समुदाय ने स्थानीय जामा मसिजद में इनका इस्तकबाल किया गया इनके इस्तकबाल के लिए आयोजित जलसे में शेरकाजी मौलाना हासम ने कहा कि यह हमारी खुषकिस्मती है बाड़मेर के जन्मे मुफ्ती शेर मौहम्मद ने अपनी मेहनत से मुसिलम कौम के राजस्थान के प्रमुख बने। उन्होने कहा कि जो अल्लाह के मखलुक की खिदमत करता है रब उसे ऊची बुलंदी फरमाता है। इस मौके पर मुफ्ती शेर मौहम्मद ने कहा यह मेरा कमाल नही है यह रब की मेहरबानी और इस माटी ने मुझे ताकत दी जिससे जिससे मै इस बुकाम पर पहुचा मै इस माटी को कभी नही भुलुगा जिसने मुझे इतनी बड़ी र्इज्जत दी। इस मौके पर शहर काजी मौलाना मौहम्मद हासम, पार्षद हादी दीन मौहम्मद हाजी हकीम हाजी गफूर खातेली मुसिलम इंतजामिया कमेटी के पूर्व सदर असरफ अली खिलजी, मौलाना आदम कौनरार्इ, हाजी गुलाम हैदर, हाजी गुलाम नबी, हाजी मुस्ताक, शौकत चड़वा, मौहम्मद उमर, असकर अली, अब्दुल रहमान, अली शेर राठौड़, पीर बक्ष, हाजी फारूक, हाजी नजीर सहित कर्इ गणमान्य लोगो ने षिरकत की।

अधिकारी करेंगे नियमित रूप से आकसिमक निरीक्षण



परिवार कल्याण के लक्ष्य हासिल करने के निर्देष

अधिकारी करेंगे नियमित रूप से आकसिमक निरीक्षण


बाड़मेर। परिवार कल्याण लक्ष्यों को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. फूसाराम बिष्नोर्इ ने सभी स्वास्थ्य कार्मिकों को सख्त निर्देष जारी किए गए हैं। साथ ही आदेषित किया है कि यदि कोर्इ भी परिवार कल्याण कार्यक्रम में लापरवाही बरतेगा तो उसके खिलाफ अनुषासनात्मक कार्रवार्इ की जााएगी। उन्होंने धोरीमन्ना ब्लाक में विषेष बैठक लेकर कार्मिकों को विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से बताया और लक्ष्यों की समीक्षा की। इस दौरान बीसीएमओ डा. चंद्रषेखर गजराज सहित अन्य अधिकारी व कार्मिक मौजूद थे।

सीएमएचओ डा. फूसाराम बिष्नोर्इ ने बताया कि आगामी दिनों में स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न लक्ष्यों को लेकर विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। जिनमें मुख्यत: जिलास्तरीय व ब्लाक स्तरीय अधिकारियों का क्षेत्र में आकसिमक निरीक्षण जारी रहेगा ताकि आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवार्इ जाए। उन्होंने बताया कि यदि निरीक्षण के दौरान अब कोर्इ कार्मिक अनुपसिथत मिलेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवार्इ अमल में लार्इ जाएगी। डा. बिष्नोर्इ ने बताया कि विभागीय गतिविधियों को तेज करने के लिए नियमित रूप से मासिक बैठकों का आयोजन जिलास्तरीय अधिकारियों की मौजूदगी में किया जाएगा ताकि कार्मिकों को विभिन्न गार्इडलाइन आदि के बारे में विस्तार से बताया जा सके। यही नहीं राज्यस्तर से प्राप्त दिषा-निर्देषों को भी निचलेस्तर के कार्मिकों को पहुंचाने के लिए जिलास्तरीय अधिकारी ब्लाक बैठकों में मौजूद रहेंगे। इसी तरह पीएचसी स्तर की बैठकों में ब्लाकस्तरीय अधिकारी मौजूद रहेंगे। सीएमएचओ डा. बिष्नोर्इ ने परिवार कल्याण कार्यक्रम पर जोर देते हुए सभी कार्मिकों को चेतावनी दी कि इस मामले में गंभीरता से कार्य करें अन्यथा लापरवाही पर सख्त कार्रवार्इ होगी। बैठक में मौसमी बीमारियों की तैयारी को लेकर चर्चा की गर्इ और अन्य गतिविधियों की समीक्षा की गर्इ।

"मोटरसाइकिल"के चक्कर में पत्नी की हत्या

मधुबनी। बिहार में मधुबनी जिले के मधेपुर थाना क्षेत्र में रविवार को पति ने पत्नी की जहर खिलाकर हत्या कर दी।
पुलिस सूत्रों ने यहां बताया कि पकटकी गांव निवासी पति नरेशप्रसाद ने दहेज के रूप में मोटरसाइकिल नहीं मिलने के कारण पत्नी रूबी कुमारी (23) को खाने में जहर खिला दिया।

खाना खाते ही रूबी कुमारी की अचानक तबीयत बिगड़ने लगी जिसे देखकर उसके परिजनों ने उसे स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

सूत्रों ने बताया कि रूबी के परिजनों ने पति नरेश कुमार समेत चार लोगों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस ने शव को पोस्टर्माटम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है। इस मामले में अभी तक किसी गिरफ्तारी की सूचना नहीं है।

रुखमा बाई के साथ बाड़मेर के सिद्ध पुरुषो के नाम से होंगे पुरस्कार ,भव्य होगा सम्मान समारोह

राजस्थानी भाषा समिति कि बैठक सम्पन

रुखमा बाई के साथ बाड़मेर के सिद्ध पुरुषो के नाम से होंगे पुरस्कार ,भव्य होगा सम्मान समारोह


बाड़मेर अखिल राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के जिला कार्यकारिणी कि बैठक रविवार को डाक बंगलो में डॉ लक्ष्मी नारायण जोशी के मुख्य आतिथ्य ,प्रदेश उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी कि अध्यक्षता और वरिष्ठ उपाध्यक्ष इन्दर प्रकाश पुरोहित और महामंत्री भंवर के विशिष्ठ आतिथ्य में आयोजित कि गयी। बैठक में समिति द्वारा मांड गायिका स्वर्गीय रुखमा बाई के नाम पर पुरस्कार कि घोषणा पर चर्चा कि गयी। बैठक में निर्णय लिया गया कि बाड़मेर जिले कि विभिन क्षेत्रो कि विभूतियों के नाम से भी कुछ पुरस्कार घोषित किये जाए ,बैठक को सम्बोधित करते हुए इन्दर प्रकाश पुरोहित ने कहा कि समिति का बेहतर प्रयास हें कि विश्व कि एक मात्र मांगणियार महिला मांड गायिका रुखमा बाई के नाम पर पुरस्कार शुरू किये जा रहे हें उन्होंने कहा कि बाड़मेर जिले में कई सिद्ध पुरुष हुए जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रो में उल्लेखनीय कार्य किये उन लोगो के नाम से भी पुरस्कार घोषित होने चाहिए ,भंवर लाल जेलिया ने कहा कि राजस्थानी भाषा कि मान्यता कि मांग के साथ साथ राजस्थानी भाषा के व्यापक प्रचार प्रसार पर भी काम करने कि जरुरत हें ,उन्होंने कहा कि समिति का लक्ष्य निर्धारित हें समिति में वरिष्ठ लोगो कि भागीदारी इसे पूरा करने में सहयोग करेगी। डॉ लक्ष्मीनारायण जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा को प्राथमिक शिक्षा स्तर से लागू करना जरुरी हें ,इसके लिए सतत प[रायसो कि जररत हें। चन्दन सिंह भाटी ने कहा कि नव निर्वाचित जन प्रतिनिधियो को विधानसभा ने राजस्थानी भाषा में शपथ लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा ,राजस्थानी भाषा कि बात विधासभा के सदन तक पहुँचाना जरुरी हें ,दुर्भाग्यपूर्ण स्थति हें कि आज़ादी के पेंसठ साल बाद भी राजस्थान का विधायक राजस्थानी में शपथ नहीं ले सकता ,उन्होंने कहा कि समिति का लक्ष्य हें कि सभी विधायक राजस्थानी भाषा में शपथ लेने कि जिद करे।साहित्यकार गोर्धन सिंह जहरीला ने कहा कि विद्यक्लायो में पारम्परिक राजस्थानी कि शिक्षा को अनदेखी करने के कारन ही हैम अपनी भाषा से पिछड़ते जा रहे हें उन्होंने जोर दिया कि समिति के प्रति आम जन में आस्था बड़ी हें,इस समिति में साहित्यकारो को भी जोड़ने के प्रयास होने चाहिए। डॉ हरपल राव ने कहा कि समिति साहित्यकारो के हस्त लिखित ग्रंथो के प्रकाशन का जिम्मा ले। इस अवसर पर आईदान सिंह इंदा ,अशरफ अली खिलजी ,एडवोकेट रमेश गौड़ जीतेन्द्र छंगाणी ,अनिल सुखानी ,मदन बारुपाल ,भोम सिंह बलाई ने भी विचार रखे , बैठक में नरेश देव सारण ,सुलतान सिंह रेडाणा ,मोटियार परिषद् के जिला पाटवी हिन्दू सिंह तामलोर ,प्रदेश मंत्री रमेश सिंह इंदा ,दिग्विजय सिंह चुली ,बाबू भाई शेख ,बसंत खत्री ,मुबारक खान ,जीतेन्द्र फुलवरिया,आवड सिंह सोढा ,सवाई चावड़ा ,प्रेम सेन ,महावीर सिंह कोलू ,लोकेन्द्र सिंह ढीमा ,पुष्कर शर्मा,मुकेश दैया ,नेतु जायपाल ,सहित सेकड़ो कार्यकर्ता और पदाधिकारी उपस्थित थे ,बैठक में सबसे पहले समिति के राष्ट्रिय प्रचारक ओम पुरोहित कागद कि माताजी के देहवासन पर उन्हें शर्धांजलि अर्पित कि गयी ,बैठक में तय किया गया कि समिति द्वारा जनवरी माह में आयोजित होने वाले सम्मान समारोह का आयोजन भव्य स्तर पर किया जायेगा ,इसके लिए अलग समितिया बनाई जायेगी।

बाप से करा दी बेटी की शादी!

मेरठ। क्या कोई बाप अपनी बेटी से भी शादी कर सकता है, लेकिन यह सच है। बाप द्वारा अपनी ही बेटी को अपनी दुल्हन बनाने की यह घटना हाल ही में मेरठ में हुई है जिसके बारे में सुनने वाला हर शख्स हैरान है।
दरअसल यह घटना मेरठ के थाना लिसाड़ी गेट की है जहां पर बाप ने अपनी बेटी से रेप करके उसें प्रेगनेंट कर दिया था तथा पता चलने पर मौहल्ले वालों ने पंचायत बैठाकर इन दोनों एक दूसरे से शादी करा दी। साथ ही मोहल्ला छोड़कर जाने का आदेश भी दे डाला।

बताया गया है कि अपनी ही बेटी से शादी करने वाले इस शख्स की पत्नी की मौत 3 साल पहले हो गई थी। इसके तीन बच्चे थे जिनमें से पत्नी की मौद के बाद दो बच्चों को तो उनके ननिहाल खुशहाल नगर रहने के लिए भेज दिया, जबकि बड़ी बेटी को अपने साथ ही रख लिया।

इसके बाद यह लड़की घर में ही रहती थी, लेकिन पिता के किसी काम कारण घर से बाहर जाने के बाद यह घर से बाहर निकली तो लोगों ने देखा की यह प्रेगनेंट थी। लोगों ने जब यह देखकर लड़की से पूछा तो उसने अपने पिता की हैवानियत की दास्तां बयां कर दी।

पिता के वापस घर लौटने पर लोगों ने उसकी जमकर पिटाई करके वहां से भगा दिया। लेकिन जब बात लड़की के नाना नानी के पास पहुंची तो उन्होने पंचायत बैठाई जिसमें शरीयत के मुताबिक इन दोनों का बाप-बेटी का रिश्ता खत्म मानते हुए शादी का फरमान सुनाया दिया। इसके अलावा पंचायत ने इन दोनों को मौहल्ला छोड़कर जाने का भी आदेश दे डाला

मायड भाषा समिति सिवाना की बैठक सम्पन्न

भायल संरक्षक, परिहार नगर अध्यक्ष बने

मायड भाषा समिति 
सिवाना की बैठक सम्पन्न
सिवाना। अखिल भारतीय मायड भाषा राजस्थानी मान्यता संघर्ष समिति घटक सिवाना की ब्लॉक स्तरीय बैठक रविवार को मंडल अध्यक्ष जितेन्द्र जांगिड की अध्यक्षता और महामंत्री प्रकाश सोनी के निर्देशन में सम्पन्न हुई। जिसमे सर्वसम्मती से सुरेन्द्रसिंह भायल पादरडी को संगठन का संरक्षक चुना गया। वहीं महेंद्र परिहार को नगर अध्यक्ष मनोनीत किया गया।
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बैठक में वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए जांगिड ने कहा कि मायड भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलवाने के लिए क्षेत्र में निरंतर गतिविधिया संचालित होती रही है। अब आन्दोलन को और तीव्र करने की आवश्यकता है। महामंत्री प्रकाश सोनी ने कहा कि राजस्थानी भाषा हमारी मातृभाषा है और इसे मान्यता न मिलना हर राजस्थानी वासी के लिए शर्म की बात है। हर सतारूढ़ पार्टी द्वारा इस सम्बन्ध में कार्य न करना उनकी उदासीनता को दर्शाता है।

बैठक में ब्लॉक कार्यकारिणी का सर्वसम्मती से पुनर्गठन किया गया है जिसमे सुधीर शर्मा, अशोक चौधरी चिरडिया, शौकत अली और इंद्रजीत सैन को उपाध्यक्ष, मीठालाल मेघवाल को कोषाध्यक्ष, अमित शर्मा को महासचिव, विकाश सोनी को सचिव और विष्णु वैष्णव को प्रवक्ता बनाया गया है।

इसी तरह नगर कार्यकारिणी का भी गठन किया गया जिसमे नवीन शर्मा, ओमप्रकाश प्रजापत और पियूष श्रीमाली को उपाध्यक्ष, मनीष सैन को महामंत्री, सुरेन्द्र वैष्णव को कोषाध्यक्ष, रज्जाक ज़ोया को महासचिव, मोहम्मद खान को संगठन सचिव, नितेश शर्मा और एम् हुसैन पठान को सचिव और देवेन्द्रपाल सिंह को मंत्री मनोनीत किया गया है।
बैठक में उपस्थित सदस्यों ने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलवाने के लिए विशेष अभियान चलाने और आन्दोलन को गति देने का ऐलान किया। वहीं क्षेत्र वासियों को अधिक से अधिक संख्या में संगठन को समर्थन देने का आह्वान किया गया।

लिफ्ट के बहाने विदेशी महिला से रेप


नई दिल्ली। मथुरा से दिल्ली आने के दौरान पोलैंड की महिला से दुष्कर्म का मामला सामने आया है। कार चालक ने लिफ्ट देने के बहाने वारदात को अंजाम दिया। इसके बाद पीडित को निजामुद्दीन इलाके में फेंक दिया। महिला ने पहाड़गंज थाने पहुंचकर पुलिस को आपबीती बताई। पीडिता की शिकायत पर पुलिस ने जीरो एफआईआर दर्ज कर ली है।

पहाड़गंज थाना पुलिस शनिवार सुबह पीडित महिला को लेकर मथुरा के लिए रवाना हो गई है। जहां दिल्ली पुलिस मथुरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को आगे की कार्रवाई के लिए एफआईआर की कॉपी सौंपेगी। पुलिस के अनुसार पोलैंड की रहने वाली 35 वर्षीय महिला ने शुक्रवार रात पहाड़गंज थाने पहुंचकर दुष्कर्म की शिकायत की।

अपनी शिकायत में उसने बताया कि वह मथुरा में तीन साल से किराए के मकान में रहती है। वह भगवान कृष्ण की भक्त है। 2 जनवरी की रात दस बजे वह अपनी दो साल की बेटी के साथ अपने घर से रिक्शा पर सवार होकर हाईवे पर आई।

शीतलहर प्रभावित किसानों को जल्‍द राहत दी जाएगी : मानवेन्‍द्र

शीतलहर प्रभावित किसानों को जल्‍द राहत दी जाएगी : मानवेन्‍द्र

बाड़मेर। बीते एक सप्‍ताह के दौरान शीतलहर से प्रभावित हुए किसानों को जल्‍द से जल्‍द राहत दी जाएगी। शिव विधायक मानवेन्‍द्र सिंह ने बताया कि इस संबध में उनकी मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे से वार्ता हो गयी है और जल्‍द ही शीतलहर प्रभावित इलाकों का सर्वे करवाया जाएगा।



सिंह ने बताया कि मुख्‍यमंत्री से वार्ता के बाद आपदा राहत विभाग के अधिकारियों से भी इस संबध में चर्चा की जा चुकी है और जल्‍द ही सर्वे शुरू होगा। उन्‍होनें कहा कि सर्वे रिपोर्ट आते ही तत्‍काल प्रभाव से प्रभावित किसानों को उनके नुकसान का उचित मुआवजा दिलवाया जाएगा। मानवेन्‍द्र ने कहा कि प्रभावित किसान थोड़ा से धैर्य रखें, सरकार पूरी तरह से किसानों के साथ है और किसी भी प्रभावित व्‍यक्ति को निराश नहीं होने दिया जाएगा।

जॉन की पत्नी शादी से पहले प्रेगनेंट थी

मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता जॉन अब्राहम और अपनी गर्लफेंड प्रिया रूचाल अचानक शादी के बाद अब चौकाने वाली खबर सामने आई है। खुलासा हुआ है कि जॉन अब्राहम की पत्नी प्रिया रूचाल शादी से पहले से प्रेगनेंट थी।
बॉलीवुड न्यूज की एक वेबसाइट के मुताबिक प्रिया रूचाल शादी से पहले प्रेगनेंट थी शायद इसी वजह से ही जॉन अब्राहम को अपनी शादी की घोषणा अचानक करनी पड़ी।

जॉन अब्राहम और प्रिया रूचाल चाहते हैं कि जल्द से जल्द उनके घर नया मेहमान आए। खबरों की माने तो प्रिया रूचाल और जॉन अब्राहम ने 2011 में ही शादी कर ली थी लेकिन तब उन्होंने इसका खुलासा नहीं किया था।

जब प्रिया प्रेगनेंट हो गई तब उसने जॉन पर दबाव डाला कि वह दुनिया को बताएं कि उनकी शादी हो चुकी है। इसके बाद जॉन अब्राहम ने अपने टि्वटर पेज पर पोस्ट किया था कि वह शादीशुदा हैं।

जॉन और प्रिया की मुलाकात 2010 में एक कॉमन फ्रेंड के जरिए हुई थी। इससे पहले जॉन बॉलीवुड एक्ट्रेस बिपाशा बसु को डेट कर रहे थे।