लंदन। यह आपको सुनकर हैरानी होगी इंलैंड का रहने वाला विक्टर नाम का यह पोस्टमेन ब्लाउज के चक्कर में ही जेल गया था और अब ब्लाउज ने ही उसको रिहा करवाया है।
दरअसल मामला ये है कि विक्टर नियनल नाम के इस पोस्टमेन को 1997 में एक 22 वर्षीय किशोरी से रेप करने के जुर्म में 17 साल जेल की सजा मिल, लेकिन अब वह बाहर निकला गया है।
जब विक्टर पर बलात्कार आरोप लगा तो उनके पास बचने का कोई ठोस नहीं था और ना ही उस वक्त उनके वकील उन्हें सजा से बचाने में कामयाब हो पाए। इसलिए सजा कम पाने के लिए विक्टर ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था।
विक्टर के केस में जांच कर रही टीम के हाथ एक ऎसा सबूत लगा है जिसने उन्हें बेगुनाह साबित कर दिया। ये सबूत कोई नहीं बल्कि उस महिला का ही ब्लाउज था जिसने उन पर रेप का आरोप लगाया था।
जब पीडित महिला के ब्लाउज की जांच की गई तो सामने आया कि उसेमें मौजूद डीएनए विक्टर के नहीं बल्कि किसी और के हैं और इसी सबूत के चलते उन्हें दिसम्बर 2013 में बाइज्जत रिहा कर दिया गया।
लेकिन विक्टर को अफसोस है कि उनकी जिंदगी के महत्वपूर्ण साल जेल में फालतू में ही बर्बाद हो गए। इसी के चलते अब वो पुलिस पर उल्टा केस ठोंकने की तैयारी में हैं। लेकिन फिलहाल वो अपनी आजादी को लेकर बहुत खुश हैं और इसका जश्न मना रहे हैं।
दरअसल मामला ये है कि विक्टर नियनल नाम के इस पोस्टमेन को 1997 में एक 22 वर्षीय किशोरी से रेप करने के जुर्म में 17 साल जेल की सजा मिल, लेकिन अब वह बाहर निकला गया है।
जब विक्टर पर बलात्कार आरोप लगा तो उनके पास बचने का कोई ठोस नहीं था और ना ही उस वक्त उनके वकील उन्हें सजा से बचाने में कामयाब हो पाए। इसलिए सजा कम पाने के लिए विक्टर ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था।
विक्टर के केस में जांच कर रही टीम के हाथ एक ऎसा सबूत लगा है जिसने उन्हें बेगुनाह साबित कर दिया। ये सबूत कोई नहीं बल्कि उस महिला का ही ब्लाउज था जिसने उन पर रेप का आरोप लगाया था।
जब पीडित महिला के ब्लाउज की जांच की गई तो सामने आया कि उसेमें मौजूद डीएनए विक्टर के नहीं बल्कि किसी और के हैं और इसी सबूत के चलते उन्हें दिसम्बर 2013 में बाइज्जत रिहा कर दिया गया।
लेकिन विक्टर को अफसोस है कि उनकी जिंदगी के महत्वपूर्ण साल जेल में फालतू में ही बर्बाद हो गए। इसी के चलते अब वो पुलिस पर उल्टा केस ठोंकने की तैयारी में हैं। लेकिन फिलहाल वो अपनी आजादी को लेकर बहुत खुश हैं और इसका जश्न मना रहे हैं।