मिलेगी प्रोत्साहन राशि प्रचार- प्रसार किया जाएगा
लगेंगे बेरियर व केमरें गोडावन पर होगी रिसर्च नए कलोजर बनेंगे
जैसलमेर
राज्य पक्षी गोडावन (ग्रेड इंडियन बस्टर्ड) की घटती संख्या को देखते हुए गोडावन परियोजना के तहत इसके संरक्षण के लिए प्रयास तेज कर दिए गए है। सरकार की ओर से इस परियोजना के लिए इस वर्ष में 4.5 करोड रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। जिसके द्वारा गोडावन के सरंक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रयास किए जाएंगे। गौरतलब है कि राजस्थान के राज्यपक्षी गोडावन की संख्या लगातार कम होती जा रही है तथा इसका क्षेत्र भी सिमटता जा रहा है। लेकिन इनकी संख्या जैसलमेर के राष्ट्रीय रु उद्यान में ही है। जानकारी के अनुसार जैसलमेर के अलावा कहीं पर भी ये संरक्षित प्राणी नहीं बचा है।
इसी को देखते हुए सरकार द्वारा ग्रेड इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण व संवर्धन के लिए प्रयास तेज कर दिए गए है। इसके लिए गोडावन परियोजना बनाई गई है तथा विभिन्न चरणों में प्रयास किए जाएंगे। जानकारी के अनुसार जैसलमेर क्षेत्र में गोडावन की संख्या 40 ही रह गई है।
॥गोडावन परियोजना के तहत 4.5 करोड रुपए से नए कार्य करवाएं जाएंगे ताकि राज्यपक्षी गोडावन का जिले में संरक्षण व संवर्धन हो सके। अधिकांश कार्य शुरू हो चुके है। डीके भारद्वाज, डीएफओ, डीएनपी
राज्य पक्षी के संरक्षण व संवर्धन के प्रति अधिक से अधिक लोगों को जाग्रत करने के लिए प्रचार-प्रसार किया जाएगा। जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टर लगाए जांएगे तथा स्कूली छात्र- छात्राओं को इनकी रक्षा के प्रति जागरुक किया जाएगा। अभियान के तहत पोस्टर छपवाए जा चुके है तथा गोडावन के चित्र के पोस्टकार्ड भी छपवाए गए है। ताकि अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा जा सके।
गोडावन के प्रति आमजन को जोडऩे के लिए प्रोत्साहन राशि की भी व्यवस्था की गई है। जिसके तहत अगर किसी को गोडावन दिखाई दिया जाता है तो उसे डीएनपी विभाग द्वारा प्रोत्साहन स्वरुप नगद पुरस्कार दिया जाएगा। साथ ही इसके शिकार की सूचना देने पर भी प्रोत्साहन राशि मिलेगी। साथ ही सूचना देने वाले की सारी जानकारी गुप्त रखी जाएगी। इसका वन विभाग के अधिकारी इसकी पुष्टी करेंगे उसके पश्चात ही प्रोत्साहन राशि मिलेगी।
गोडावन के मूवमेंट, डीएनपी क्षेत्र में बार- बार जगह बदलने एवं इनकी हर हरकत पर नजर रखने के लिए देहरादून से आए विशेषज्ञों द्वारा रिसर्च की जाएगी। रिसर्च टीम द्वारा इसके प्रशय स्थलों, इनकी हरकतों एवं गोडावन के संवर्धन पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जिससे इनके अस्तित्व को बचाने में सहयोग मिलेगा।
गोडावन बाहुल्य क्षेत्र में इनके विचरण व शिकार की घटनाओं पर नजर बनाए रखने के लिए वाच टावरों का निर्माण होगा। करीब 50 फीट के ये वाच टावर जैसलमर के रामदेवरा व सम में बनाए जाएंगे। जिनके माध्यम से इन पर नजर रखी जाएगी। इसके साथ ही बरना, सम व जामड़ा गांव में वन विभाग द्वारा बेरियर लगाए जाएंगे। जिन पर सीसीटीवी केमरों से निगरानी रखी जाएगी। बेरियर पार करने वाले वाहनों की भी जांच की जाएगी।
जैसलमेर व बाडमेर के राष्ट्रीय मरु उद्यान क्षेत्र में गोडावन के विचरण के लिए नए कलोजरों का निर्माण किया जाएगा। योजना के तहत सुदासरी में 100 हेक्टर के दो, गांगा गांव में 100 हेक्टर का एक, रामदेवरा में 150 व 200 हेक्टर तथा मोडरडी गांव के गुड्डी में 100-100 हेक्टर के दो कलोजर बनाए जाएंगे। कलोजर की फेंसिंग की जाएगी। साथ ही सेवणघास लगाई जाकर गोडावन के पेयजल की व्यवस्था के लिए टांके बनाए जाएंगे। ताकि गोडावन के समक्ष खाने व पानी की कोई समस्या न आए। साथ ही पूर्व में बने कलोजरों की मरम्मत भी करवाई जाएगी।
लगेंगे बेरियर व केमरें गोडावन पर होगी रिसर्च नए कलोजर बनेंगे
जैसलमेर
राज्य पक्षी गोडावन (ग्रेड इंडियन बस्टर्ड) की घटती संख्या को देखते हुए गोडावन परियोजना के तहत इसके संरक्षण के लिए प्रयास तेज कर दिए गए है। सरकार की ओर से इस परियोजना के लिए इस वर्ष में 4.5 करोड रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। जिसके द्वारा गोडावन के सरंक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रयास किए जाएंगे। गौरतलब है कि राजस्थान के राज्यपक्षी गोडावन की संख्या लगातार कम होती जा रही है तथा इसका क्षेत्र भी सिमटता जा रहा है। लेकिन इनकी संख्या जैसलमेर के राष्ट्रीय रु उद्यान में ही है। जानकारी के अनुसार जैसलमेर के अलावा कहीं पर भी ये संरक्षित प्राणी नहीं बचा है।
इसी को देखते हुए सरकार द्वारा ग्रेड इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण व संवर्धन के लिए प्रयास तेज कर दिए गए है। इसके लिए गोडावन परियोजना बनाई गई है तथा विभिन्न चरणों में प्रयास किए जाएंगे। जानकारी के अनुसार जैसलमेर क्षेत्र में गोडावन की संख्या 40 ही रह गई है।
॥गोडावन परियोजना के तहत 4.5 करोड रुपए से नए कार्य करवाएं जाएंगे ताकि राज्यपक्षी गोडावन का जिले में संरक्षण व संवर्धन हो सके। अधिकांश कार्य शुरू हो चुके है। डीके भारद्वाज, डीएफओ, डीएनपी
राज्य पक्षी के संरक्षण व संवर्धन के प्रति अधिक से अधिक लोगों को जाग्रत करने के लिए प्रचार-प्रसार किया जाएगा। जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टर लगाए जांएगे तथा स्कूली छात्र- छात्राओं को इनकी रक्षा के प्रति जागरुक किया जाएगा। अभियान के तहत पोस्टर छपवाए जा चुके है तथा गोडावन के चित्र के पोस्टकार्ड भी छपवाए गए है। ताकि अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा जा सके।
गोडावन के प्रति आमजन को जोडऩे के लिए प्रोत्साहन राशि की भी व्यवस्था की गई है। जिसके तहत अगर किसी को गोडावन दिखाई दिया जाता है तो उसे डीएनपी विभाग द्वारा प्रोत्साहन स्वरुप नगद पुरस्कार दिया जाएगा। साथ ही इसके शिकार की सूचना देने पर भी प्रोत्साहन राशि मिलेगी। साथ ही सूचना देने वाले की सारी जानकारी गुप्त रखी जाएगी। इसका वन विभाग के अधिकारी इसकी पुष्टी करेंगे उसके पश्चात ही प्रोत्साहन राशि मिलेगी।
गोडावन के मूवमेंट, डीएनपी क्षेत्र में बार- बार जगह बदलने एवं इनकी हर हरकत पर नजर रखने के लिए देहरादून से आए विशेषज्ञों द्वारा रिसर्च की जाएगी। रिसर्च टीम द्वारा इसके प्रशय स्थलों, इनकी हरकतों एवं गोडावन के संवर्धन पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जिससे इनके अस्तित्व को बचाने में सहयोग मिलेगा।
गोडावन बाहुल्य क्षेत्र में इनके विचरण व शिकार की घटनाओं पर नजर बनाए रखने के लिए वाच टावरों का निर्माण होगा। करीब 50 फीट के ये वाच टावर जैसलमर के रामदेवरा व सम में बनाए जाएंगे। जिनके माध्यम से इन पर नजर रखी जाएगी। इसके साथ ही बरना, सम व जामड़ा गांव में वन विभाग द्वारा बेरियर लगाए जाएंगे। जिन पर सीसीटीवी केमरों से निगरानी रखी जाएगी। बेरियर पार करने वाले वाहनों की भी जांच की जाएगी।
जैसलमेर व बाडमेर के राष्ट्रीय मरु उद्यान क्षेत्र में गोडावन के विचरण के लिए नए कलोजरों का निर्माण किया जाएगा। योजना के तहत सुदासरी में 100 हेक्टर के दो, गांगा गांव में 100 हेक्टर का एक, रामदेवरा में 150 व 200 हेक्टर तथा मोडरडी गांव के गुड्डी में 100-100 हेक्टर के दो कलोजर बनाए जाएंगे। कलोजर की फेंसिंग की जाएगी। साथ ही सेवणघास लगाई जाकर गोडावन के पेयजल की व्यवस्था के लिए टांके बनाए जाएंगे। ताकि गोडावन के समक्ष खाने व पानी की कोई समस्या न आए। साथ ही पूर्व में बने कलोजरों की मरम्मत भी करवाई जाएगी।
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