रविवार, 15 दिसंबर 2013

आज स्पष्ट होगी केबिनेट गठन की तस्वीर!

जयपुर। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के शपथ ग्रहण के बाद अब केबिनेट गठन की कवायद तेज हो गई है। राजे रविवार को दिल्ली जाएंगी और वहां पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में शामिल होंगी। इस बैठक के बाद ही प्रदेश में केबिनेट के गठन की तस्वीर साफ होने के आसार हैं। बताया जाता है कि नामों पर चर्चा के बाद सोमवार अथवा बुधवार को नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि केबिनेट गठन के मामले में यंू तो राजे को फ्री हैण्ड दिया गया है, लेकिन इस बारे में एक बार पार्टी आलाकमान से चर्चा जरूरी है। रविवार को पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक है। इसमें राजे के अलावा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह भी शामिल होंगे। इस बैठक में मुख्य तौर पर दिल्ली के मामले में चर्चा होगी, लेकिन इसके साथ ही तीनों राज्यों की नई केबिनेट के बारे में भी चर्चा हो सकती है। इस चर्चा के बाद ही केबिनेट गठन के बारे में स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

पहले चरण में दस मंत्री!
सूत्रों का कहना है कि पहले चरण में करीब आठ से दस मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है। अधिकतर केबिनेट स्तर के मंत्री होंगे। माना जा रहा है कि रविवार को स्थिति स्पष्ट होने के बाद सोमवार को नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जा सकती है। सोमवार को दोपहर तक चूरू विधानसभा क्षेत्र के परिणाम की स्थिति भी स्पष्ट हो जाएगी। यहां से राजे के नजदीकी माने जाने वाले राजेन्द्र राठौड़ भाजपा प्रत्याशी हैं।

बिहार में बम धमाकों के तार जोधपुर से जुड़े

पोकरण। बिहार के बौद्धगया व पटना में हुए बम धमाकों के तार जोधपुर से जुड़े हो सकते हैं। बम धमाकों के मामले की केन्द्रीय जांच एजेंसी के हत्थे चढ़ने वाले दो आरोपियों से सामने आया है कि ब्लास्ट से पहले आतंकी जोधपुर आए थे। खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि ब्लास्ट की साजिश जोधपुर में रची हो सकती है अथवा आतंकियों को जोधपुर से मदद मिली होगी। ऎसे में जोधपुर सहित पश्चिमी राजस्थान के थानों में वांछित इनामी आतंकियों के पोस्टर चस्पा किए जा रहे हैं।
बिहार के बौद्धगया में जुलाई और राजधानी पटना में भाजपा नेता नरेन्द्र मोदी की रैली के दौरान गत अक्टूबर में सीरियल ब्लास्ट हुए थे। मामले की जांच केन्द्र की नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) कर रही है। इस मामले में इण्डियन मुजाहिद्दीन के यासिन भटकल व अरशदुल्लाह पकड़े जा चुके हैं।

इनसे पूछताछ व जांच में एजेंसी के सामने आया है कि बिहार के समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर थानान्तर्गत मुक्तापुर के मनियारपुर निवासी मोहम्मद तहसील अख्तर उर्फ मोनू (23) पुत्र मोहम्मद वसीम अख्तर, मूलत: पाकिस्तान हाल कर्नाटक में मैंगलोर जैफेर हाईट अपार्टमेंट के पास निवासी वकास उर्फ अहमद (25) तथा बिहार के औरंगाबाद जिले में मदनपुर खारियामा निवासी हैदर अली उर्फ अब्दुल्लाह (25) पुत्र आलम अंसारी ब्लास्ट से पहले जोधपुर आए थे। इन तीनों आतंकियों ने ब्लास्ट से पहले जोधपुर दौरा किया था।

दस-दस लाख रूपए का इनाम घोषित
एनआईए व महाराष्ट्र की एटीएस ने तीनों अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए दस-दस लाख रूपए के इनाम की घोषणा की है। साथ ही इनके चित्र व हुलिए की जानकारी वाले इश्तहार भी छपवाकर राजस्थान विशेषकर पश्चिमी राजस्थान के थानों में चस्पां किए जा रहे हैं।

पश्चिमी राजस्थान में छुपे होने की आशंका
पोकरण के पुलिस उपाधीक्षक विपिन कुमार शर्मा ने बताया कि एटीएस से मिले पोस्टर थानों में वितरित करवाकर मुख्य चौराहों, बस स्टैण्ड, रेलवे स्टेशन व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर चस्पा किए जा रहे हैं।

पहले भी हिट लिस्ट में रहा जोधपुर
लश्कर-ए-तैयबा के कश्मीर घाटी स्थित ठिकाने को नेस्तनाबूत करने के दौरान 2009 में सुरक्षा एजेंसियों को एक कम्प्यूटर हाथ लगा था। जिसमें उन्हें जोधपुर का नक्शा मिला। वहीं, जयपुर में बम धमाकों के मामले में एटीएस वर्ष 2008 में जोधपुर से दो युवकों को पकड़कर ले गई थी। इन पर आतंकियों के लिए चंदा एकत्रित करने का आरोप था। हालांकि बाद में इन दोनों को बरी कर दिया गया था।

ब्लास्ट से पहले आए थे जोधपुर
"एनआईए की जांच में तीन संदिग्धों के ब्लास्ट से पहले जोधपुर आने की जानकारी आई थी। एजेंसी की सूचना पर जांच भी कराई गई, लेकिन फिलहाल कोई जानकारी नहीं मिली है।"
अजयपाल लाम्बा, पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) जोधपुर।

सरदार बल्लभ भाई पटेल, सियासत के वो लौह पुरुष जिनका नाम पूरा देश आदर के साथ लेता है.





सरदार वल्लभ भाई पटेल (अंग्रेज़ी: Sardar Vallabhbhai Patel; जन्म- 31 अक्टूबर, 1875; मृत्यु- 15 दिसंबर, 1950) का उपनाम 'सरदार पटेल' है। सरदार पटेल भारतीय बैरिस्टर और प्रसिद्ध राजनेता थे। भारत के स्वाधीनता संग्राम के दौरान 'भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस' के नेताओं में से वे एक थे। 1947 में भारत की आज़ादी के बाद पहले तीन वर्ष वे उप प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, सूचना मंत्री और राज्य मंत्री रहे थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद करीब पाँच सौ से भी ज्यादा देसी रियासतों का एकीकरण सबसे बड़ी समस्या थी। कुशल कूटनीति और जरूरत पड़ने पर सैन्य हस्तक्षेप के जरिए उन्होंने उन अधिकांश रियासतों को तिरंगे के तले लाने में सफलता प्राप्त की। इसी उपलब्धि के चलते सरदार पटेल को लौह पुरुष या भारत का बिस्मार्क की उपाधि से सम्मानित किया गया। उन्हें मरणोपरांत वर्ष 1991 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' दिया गया।
जीवन परिचय

सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875, नाडियाड गुजरात, भारत में हुआ था। सरदार पटेल का जन्म लेवा पट्टीदार जाति के एक समृद्ध ज़मींदार परिवार में हुआ था। वे झवेरभाई पटेल एवं लाड़बाई की चौथी संतान थे। सोमभाई, नरसीभाई और विट्ठलदास झवेरभाई पटेल उनके अग्रज थे। पारम्परिक हिन्दू माहौल में पले-बढ़े पटेल ने करमसद में प्राथमिक विद्यालय और पेटलाद स्थित उच्च विद्यालय में शिक्षा प्राप्त की, लेकिन उन्होंने अधिकांश ज्ञान स्वाध्याय से अर्जित किया। 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह हो गया, 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की और ज़िला अधिवक्ता की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, जिससे उन्हें वक़ालत करने की अनुमति मिली। 1900 में उन्होंने गोधरा में स्वतंत्र ज़िला अधिवक्ता कार्यालय की स्थापना की और दो साल बाद खेड़ा ज़िले के बोरसद नामक स्थान पर चले गए।

परिवार

सरदार पटेल के पिता झबेरभाई एक धर्म परायण व्यक्ति थे। गुजरात में सन् 1829 में स्वामी सहजानन्द द्वारा स्थापित स्वामी नारयण पंथ के वे परम भक्त थे। 55 वर्ष की अवस्था के उपरान्त उन्होंने अपना जीवन उसी में अर्पित कर दिया था। वल्लभभाई ने स्वयं कहा है : ‘‘मैं तो साधारण कुटुम्ब का था। मेरे पिता मन्दिर में ही जिन्दगी बिताते थे और वहीं उन्होंने पूरी की।’’ वल्लभभाई की माता लाड़बाई अपने पति के समान एक धर्मपरायण महिला थी। वल्लभभाई पाँच भाई व एक बहन थे। भाइयों के नाम क्रमशः सोभाभाई, नरसिंहभाई, विट्ठलभाई, वल्लभभाई और काशीभाई थे। बहन डाबीहा सबसे छोटी थी। इनमें विट्ठलभाई तथा वल्लभभाई ने राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेकर इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान ग्रहण किया। माता-पिता के गुण संयम, साहस, सहिष्णुता, देश-प्रेम का प्रभाव वल्लभभाई के चरित्र पर स्पष्ट था। 

वक़ालत

वकील के रूप में पटेल ने कमज़ोर मुक़दमे को सटीकता से प्रस्तुत करके और पुलिस के गवाहों तथा अग्रेज़ न्यायाधीशों को चुनौती देकर विशेष स्थान अर्जित किया। 1908 में पटेल की पत्नी की मृत्यु हो गई। उस समय उनके एक पुत्र और एक पुत्री थी। इसके बाद उन्होंने विधुर जीवन व्यतीत किया। वक़ालत के पेशे में तरक़्क़ी करने के लिए कृतसंकल्प पटेल ने मिड्ल टेंपल के अध्ययन करने के लिए अगस्त 1910 में लंदन की यात्रा की। वहाँ उन्होंने मनोयोग से अध्ययन किया और अंतिम परीक्षा में उच्च प्रतिष्ठा के साथ उत्तीर्ण हुए।

सरदार वल्लभ भाई पटेल
Sardar Vallabh Bhai Patel

अग्रणी बैरिस्टर

फ़रवरी 1913 में भारत लौटकर वह अहमदाबाद में बस गए और तेज़ी से उन्नति करते हुए अहमदाबाद अधिवक्ता बार में अपराध क़ानून के अग्रणी बैरिस्टर बन गए। गम्भीर और शालीन पटेल अपने उच्चस्तरीय तौर-तरीक़ों और चुस्त, अंग्रेज़ी पहनावे के लिए जाने जाते थे। वह अहमदाबाद के फ़ैशनपरस्त गुजरात क्लब में ब्रिज के चैंपियन होने के कारण भी विख्यात थे। 1917 तक वह भारत की राजनीतिक गतिविधियों के प्रति उदासीन रहे।

सार्वभौमिक रूप

1917 में मोहनदास करमचन्द गांधी से प्रभावित होने के बाद पटेल ने पाया कि उनके जीवन की दिशा बदल गई है। पटेल गांधी के सत्याग्रह (अंहिसा की नीति) के साथ तब तक जुड़े रहे, जब तक वह अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ भारतीयों के संघर्ष में क़ारगर रहा। लेकिन उन्होंने कभी भी खुद को गांधी के नैतिक विश्वासों व आदर्शों के साथ नहीं जोड़ा और उनका मानना था कि उन्हें सार्वभौमिक रूप से लागू करने का गांधी का आग्रह, भारत के तत्कालीन राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक परिप्रेक्ष्य में अप्रासंगिक है। फिर भी गांधी के अनुसरण और समर्थन का संकल्प करने के बाद पटेल ने अपनी शैली और वेशभूषा में परिवर्तन कर लिया। उन्होंने गुजरात क्लब छोड़ दिया, भारतीय किसानों के समान सफ़ेद वस्त्र पहनने लगे और उन्होंने भारतीय खान-पान को अपना लिया।

भारतीय निगम आयुक्त के रूप में

1917 से 1924 तक पटेल ने अहमदनगर के पहले भारतीय निगम आयुक्त के रूप में सेवा प्रदान की और 1924 से 1928 तक वह इसके निर्वाचित नगरपालिका अध्यक्ष रहे।1918 में पटेल ने अपनी पहली छाप छोड़ी, जब भारी वर्षा से फ़सल तबाह होने के बावज़ूद बम्बई सरकार द्वारा पूरा सालाना लगान वसूलने के फ़ैसले के विरुद्ध उन्होंने गुजरात के कैरा ज़िले में किसानों और काश्तकारों के जनांदोलन की रूपरेखा बनाई। 1928 में पटेल ने बढ़े हुए करों के ख़िलाफ़ बारदोली के भूमिपतियों के संघर्ष का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। बारदोली आन्दोलन के कुशल नेतृत्व के कारण उन्हें सरदार की उपाधि मिली और उसके बाद देश भर में राष्ट्रवादी नेता के रूप में उनकी पहचान बन गई। उन्हें व्यावहारिक, निर्णायक और यहाँ तक कि कठोर भी माना जाता था तथा अंग्रेज़ उन्हें एक ख़तरनाक शत्रु मानते थे।
राजनीतिक दर्शन

पटेल क्रान्तिकारी नहीं थे, 1928 से 1931 के बीच इंडियन नेशनल कांग्रेस के उद्देश्यों पर हो रही महत्त्वपूर्ण बहस में पटेल का विचार था (गांधी और मोतीलाल नेहरू के समान, लेकिन जवाहरलाल नेहरू और सुभाषचन्द्र बोस के विपरीत) कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लक्ष्य स्वाधीनता नहीं, बल्कि ब्रिटिश राष्ट्रकुल के भीतर अधिराज्य का दर्जा प्राप्त करने का होना चाहिए। जवाहर लाल नेहरू के विपरीत, जो स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में हिंसा की अनदेखी करने के पक्ष में थे, पटेल नैतिक नहीं, व्यावहारिक आधार पर सशस्त्र आन्दोलन को नकारते थे। पटेल का मानना था कि यह विफल रहेगा और इसका ज़बरदस्त दमन होगा। गांधी की भाँति पटेल भी भविष्य में ब्रिटिश राष्ट्रकुल में स्वतंत्र भारत की भागीदारी में लाभ देखते थे। बशर्ते भारत को एक बराबरी के सदस्य के रूप में शामिल किया जाए। वह भारत में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास क़ायम करने पर ज़ोर देते थे, लेकिन गांधी के विपरीत, वह हिन्दू-मुस्लिम एकता को स्वतंत्रता की पूर्व शर्त नहीं मानते थे।

सामाजिक बदलाव

बलपूर्वक आर्थिक और सामाजिक बदलाव लाने की आवश्यकता के बारे में पटेल जवाहरलाल नेहरू से असहमत थे। पारम्परिक हिन्दू मूल्यों से उपजे रूढ़िवादी पटेल ने भारत की सामाजिक और आर्थिक संरचना में समाजवादी विचारों को अपनाने की उपयोगिता का उपहास किया। वह मुक्त उद्यम में यक़ीन रखते थे। इस प्रकार, उन्हें रूढ़िवादी तत्वों का विश्वास प्राप्त हुआ तथा उनसे प्राप्त धन से ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की गतिविधियाँ संचालित होती रहीं।

जेल

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 1929 के लाहौर अधिवेशन में पटेल, गांधी के बाद अध्यक्ष पद के दूसरे उम्मीदवार थे। गांधी ने स्वाधीनता के प्रस्ताव को स्वीकृत होने से रोकने के प्रयास में अध्यक्ष पद की दावेदारी छोड़ दी और पटेल पर भी नाम वापस लेने के लिए दबाव डाला। इसका प्रमुख कारण मुसलमानों के प्रति पटेल की हठधर्मिता थी। अंतत: जवाहरलाल नेहरू अध्यक्ष बने। 1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान पटेल को तीन महीने की जेल हुई। मार्च 1931 में पटेल ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के करांची अधिवेशन की अध्यक्षता की। जनवरी 1932 में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। जुलाई 1934 में वह रिहा हुए और 1937 के चुनावों में उन्होंने कांग्रेज़ पार्टी के संगठन को व्यवस्थित किया। 1937-38 में वह कांग्रेस के अध्यक्ष पद के प्रमुख दावेदार थे। एक बार फिर गांधी के दबाव में पटेल को अपना नाम वापस लेना पड़ा और जवाहर लाल नेहरू निर्वाचित हुए। अक्टूबर 1940 में कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ पटेल भी गिरफ़्तार हुए और अगस्त 1941 में रिहा हुए। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जब जापानी हमले की आशंका हुई, तो पटेल ने गांधी की अहिंसा की नीति को अव्यावहारिक बताकर ख़ारिज कर दिया। सत्ता के हस्तान्तरण के मुद्दे पर भी पटेल का गांधी से इस बात पर मतभेद था कि उपमहाद्वीप का हिन्दू भारत तथा मुस्लिम पाकिस्तान के रूप में विभाजन अपरिहार्य है। पटेल ने ज़ोर दिया कि पाकिस्तान दे देना भारत के हित में है।
राजनीतिक एकीकरण

1945-1946 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए पटेल एक प्रमुख उम्मीदवार थे। लेकिन गांधी ने एक बार फिर हस्तक्षेप करके नेहरू को अध्यक्ष बनवा दिया। कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नेहरू को ब्रिटिश वाइसरॉय ने अंतरिम सरकार के गठन के लिए आमंत्रित किया। इस प्रकार, यदि घटनाक्रम सामान्य रहता, तो पटेल भारत के पहलेप्रधानमंत्री होते। स्वतंत्र भारत के पहले तीन वर्ष पटेल उप-प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, सूचना मंत्री और राज्य मंत्री रहे। इस सबसे भी बढ़कर उनकी ख्याति भारत के रजवाड़ों को शान्तिपूर्ण तरीक़े से भारतीय संघ में शामिल करने तथा भारत के राजनीतिक एकीकरण के कारण है।
एकीकरण में पटेल की भूमिका

5 जुलाई 1047 को सरदार पटेल ने रियासतों के प्रति नीति को स्पष्ट करते हुए कहा कि 'रियासतों को तीन विषयों - सुरक्षा, विदेश तथा संचार व्यवस्था के आधार पर भारतीय संघ में शामिल किया जाएगा।' धीरे धीरे बहुत सी देसी रियासतों के शासक भोपाल के नवाब से अलग हो गये और इस तरह नवस्थापित रियासती विभाग की योजना को सफलता मिली। भारत के तत्कालीन गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भारतीय संघ में उन रियासतों का विलय किया था जो स्वयं में संप्रभुता प्राप्त थीं। उनका अलग झंडा और अलग शासक था। सरदार पटेल ने आज़ादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही पी.वी. मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था। पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हें स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष सभी राजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 15 अगस्त 1947 तक हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें 'भारत संघ' में सम्मिलित हो गयीं। जूनागढ़ के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ भी भारत में मिल गया। जब हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहाँ सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया।

सरदार पटेल का योगदान

भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने के कारण सरदार पटेल ने राजनीतिक इतिहास में एक गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त किया। वास्तव में वेआधुनिक भारत के शिल्पी थे। उनके कठोर व्यक्तित्व में विस्मार्क  जैसी संगठन कुशलता, कौटिल्य जैसी राजनीति सत्ता तथा राष्ट्रीय एकता के प्रति अब्राहम लिंकन जैसी अटूट निष्ठा थी। जिस अदम्य उत्साह असीम शक्ति से उन्होंने नवजात गणराज्य की प्रारम्भिक कठिनाइयों का समाधान किया, उसके कारण विश्व के राजनीतिक मानचित्र में उन्होंने अमिट स्थान बना लिया। भारत के राजनीतिक इतिहास में सरदार पटेल के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। सरदार पटेल के ऐतिहासिक कार्यों और किये गये राजनीतिक योगदान निम्नवत हैं-

देशी राज्यों के एकीकरण की समस्या को पटेल ने बिना खून-खराबे के बड़ी खूबी से हल किया, देशी राज्यों में राजकोट, जूनागढ़, वहालपुर, बड़ौदा, कश्मीर, हैदराबाद को भारतीय महासंघ में सम्मिलित करना में सरदार को कई पेचीदगियों का सामना करना पड़ा। जब चीन के प्रधानमंत्री चाऊ एन लाई ने नेहरू को पत्र लिखा कि वे तिब्बत को चीन का अंग मान लें तो पटेल ने नेहरू से आग्रह किया कि वे तिब्बत पर चीन का प्रभुत्व क़तई न स्वीकारें अन्यथा चीन भारत के लिए खतरनाक सिद्ध होगा। नेहरू नहीं माने बस इसी भूल के कारण हमें चीन से पिटना पड़ा और चीन ने हमारी सीमा की 40 हजार वर्ग गज भूमि पर कब्जा कर लिया।
सरदार पटेल के ऐतिहासिक कार्यों में सोमनाथ मंदिर का पुनर्निमाण, गांधी स्मारक निधि की स्थापना, कमला नेहरू अस्पताल की रूपरेखा आदि कार्य सदैव स्मरण किए जाते रहेंगे। उनके मन में गोआ को भी भारत में विलय करने की इच्छा कितनी बलवती थी, इसका उद्धहरण ही काफ़ी है 

जब एक बार वे भारतीय युद्धपोत द्वारा बंबई से बाहर यात्रा पर था तो गोआ के निकट पहुंचने पर उन्होंने कमांडिंग अफसरों से पूछा इस युद्धपोत पर तुम्हारे कितने सैनिक हैं जब कप्तान ने उनकी संख्या बताई, तो पटेल ने फिर पूछा क्या वह गोआ पर अधिकार करने के लिए पर्याप्त है। सकारात्मक उत्तर मिलने पर पटेल बोले- अच्छा चलो जब तक हम यहां हैं गोआ पर अधिकार कर लो। किंकर्तव्यविमूढ़ कप्तान ने उनसे लिखित आदेश देने की विनती की तब तक पटेल चौंके फिर कुछ सोचकर बोले-ठीक है चलो हमें वापस लौटना होगा। 
लक्षद्वीप समूह को भारत के साथ मिलाने में भी पटेल की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। इस क्षेत्र के लोग देश की मुख्यधारा से कटे हुए थे और उन्हें भारत की आजादी की जानकारी 15 अगस्त 1947 के बाद मिली। हालांकि यह क्षेत्र पाकिस्तान के नजदीक नहीं था लेकिन पटेल को लगता था कि इस पर पाकिस्तान दावा कर सकता है। इसलिए ऐसी किसी भी स्थिति को टालने के लिए पटेल ने लक्षद्वीप में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए भारतीय नौसेना का एक जहाज भेजा। इसके कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तानी नौसेना के जहाज लक्षद्वीप के पास मंडराते देखे गए लेकिन वहां भारत का झंडा लहराते देख वे वापस कराची चले गए। 
सरदार पटेल, जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गाँधी

महात्मा गाँधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल औरजवाहरलाल नेहरू

सरदार पटेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में वह कई बार जेल के अंदर बाहर हुए, हालांकि जिस चीज के लिए इतिहासकार हमेशा सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में जानने के लिए इच्छुक रहते हैं वह थी उनकी और जवाहरलाल नेहरू की प्रतिस्पर्द्धा। सब जानते हैं 1929 के लाहौर अधिवेशन में सरदार पटेल ही गांधी जी के बाद दूसरे सबसे प्रबल दावेदार थे पर मुसलमानों के प्रति पटेल की हठधर्मिता की वजह से गांधीजी ने उनसे उनका नाम वापस दिलवा दिया। 1945-1946 मेंभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए भी पटेल एक प्रमुख उम्मीदवार थे। लेकिन गांधीजी के नेहरू प्रेम ने उन्हें अध्यक्ष नहीं बनने दिया। कई इतिहासकार यहां तक मानते हैं कि यदि सरदार पटेल को प्रधानमंत्री बनने दिया गया होता तो चीन और पाकिस्तान के युद्ध में भारत को पूर्ण विजय मिलती परंतु गांधी के जगजाहिर नेहरू प्रेम ने उन्हें प्रधानमंत्री बनने से रोक दिया 

गाँधीजी से रिश्ता

महात्मा गाँधी के प्रति सरदार पटेल की अटूट श्रद्धा थी। गाँधीजी की हत्या से कुछ क्षण पहले निजी रूप से गाँधीजी से बात करने वाले पटेल अंतिम व्यक्ति थे। उन्होंने सुरक्षा में चूक को गृह मंत्री होने के नाते अपनी गलती माना। उनकी हत्या के सदमे से वे उबर नहीं पाये। गाँधीजी की मृत्यु के दो महीने के भीतर ही पटेल को दिल का दौरा पड़ा था।नेहरू से नजदीकी

जवाहरलाल नेहरू कश्मीरी ब्राह्मण थे, जबकि सरदार पटेल गुजरात के कृषक समुदाय से ताल्लुक रखते थे। दोनों ही गाँधीजी के निकट थे। नेहरू समाजवादी विचारों से प्रेरित थे। पटेल बिजनेस के प्रति नरम रुख रखने वाले खांटी हिंदू थे। नेहरू से उनके सम्बंध मधुर थे, लेकिन कई मसलों पर दोनों के मध्य मतभेद भी थे। कश्मीर के मसले पर दोनों के विचार भिन्न थे। कश्मीर मसले पर संयुक्त राष्ट्र को मध्यस्थ बनाने के सवाल पर पटेल ने नेहरू का कड़ा विरोध किया था। कश्मीर समस्या को सरदर्द मानते हुए वे भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय आधार पर मामले को निपटाना चाहते थे। इस मसले पर विदेशी हस्तक्षेप के ख़िलाफ़ थे।

संघ से नाता

गाँधीजी की हत्या में हिंदू चरमपंथियों का नाम आने पर सरदार पटेल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को प्रतिबंधित कर दिया और सरसंघचालक एमएस गोलवरकर को जेल में डाल दिया गया। रिहा होने के बाद गोलवरकर ने उनको पत्र लिखे। 11 सितम्बर, 1948 को पटेल ने जवाब देते हुए संघ के प्रति अपना नजरिया स्पष्ट करते हुए लिखा कि संघ के भाषण में जहर होता है... उसी विष का नतीजा है कि देश को गाँधीजी के अमूल्य जीवन का बलिदान सहना पड़ रहा है।
लौह पुरुष

सरदार पटेल को भारत का 'लौह पुरुष' भी कहा जाता है। गृहमंत्री बनने के बाद भारतीय रियासतों के विलय की ज़िम्मेदारी उनको ही सौंपी गई। उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए छह सौ छोटी बड़ी रियासतों का भारत में विलय कराया। देशी रियासतों का विलय स्वतंत्र भारत की पहली उपलब्धि थी और निर्विवाद रूप से पटेल का इसमें विशेष योगदान था। नीतिगत दृढ़ता के लिए 'राष्ट्रपिता' ने उन्हें सरदार और 'लौह पुरुष' की उपाधि दी। बिस्मार्क ने जिस तरह जर्मनी के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई उसी तरह वल्लभ भाई पटेल ने भी आजाद भारत को एक विशाल राष्ट्र बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया। बिस्मार्क को जहां जर्मनी का ‘आयरन चांसलर’ कहा जाता है वहीं पटेल भारत के लौह पुरुष कहलाते हैं 

सम्मान और पुरस्कार

सन 1991 में मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित
अहमदाबाद के हवाई अड्डे का नामकरण सरदार वल्लभभाई पटेल अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डा रखा गया है।
गुजरात के वल्लभ विद्यानगर में सरदार पटेल विश्वविद्यालय है।

निधन

सरदार पटेल जी का निधन 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई महाराष्ट्र में हुआ था।

अन्ना को लोकपाल मंजूर

जन लोकपाल बिल की मांग लेकर पांच दिन से अनशन पर बैठे अन्ना हजारे ने शनिवार को कहा कि वह सरकार द्वारा लाए जा रहे लोकपाल बिल से खुश हैं। बकौल अन्ना जैसे ही लोकपाल कानून बन जाएगा, वह अपना अनशन तोड़ देंगे।


हजारे ने कहा, ‘मैं कुछ और मुद्दे भी बिल में जोड़ना चाहता था, जो छूट गए हैं, लेकिन इससे निराश नहीं हूं। अगर मैं अपनी राय संसद पर थोपने का प्रयास करूंगा, तो यह गलत होगा। संसद का अपना महत्व है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता अगर 2-3 चीजें छूट गई हैं।’

टीम अन्ना ने बिल पर नरमी के संकेत तभी दे दिए थे जब पूर्व सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने कहा था कि अगर किसी के बदन पर कपड़े न हों तो पहले अंतवस्त्र मिलने की बात करनी चाहिए, थ्री-पीस सूट की बात तो बाद में ही हो सकती है।

‘आप’ ने कहा- जोकपाल : ‘आप’ के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे बड़ी हैरानी है कि अन्ना इस ‘जोकपाल’ पर कैसे राजी हो गए। कुछ लोग उन्हें गुमराह कर रहे हैं।

इसलिए मान गए हजारे
1. सीबीआई को तीन महीने में प्राथमिक जांच पूरी करनी होगी, विस्तृत जांच के लिए छह माह मिलेंगे और एक साल के भीतर पूरा मामला निपटाना होगा
2. लोकपाल को जांच के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपी की संपत्ति जब्त करने और अधिकारियों का स्थानांतरण करने का अधिकार मिलेगा
3. मसौदा बिल में राज्य सरकारों के लिए लोकायुक्त नियुक्त करना अनिवार्य किया गया है
4. किसी एनजीओ को विदेश से मिले फंड की जांच लोकपाल के दायरे में होगी

चीन का पहला चंद्र मिशन चंद्रमा पर उतरा

चीन का पहला चंद्र मिशन चेंज-तीन आज सफलतापूर्वक चंद्रमा की सतह पर उतर गया। चीन इसके साथ ही चंद्रमा पर अपने अंतरिक्ष यात्री को उतारने के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के तहत वहां अपना मानव रहित यान उतारने वाली विश्व की तीन प्रमुख शक्तियों में से एक बन गया।


चीन का पहला चंद्र रोवर लेकर गए चेंज-तीन की लैंडिंग गत चार वर्षों में चंद्रमा की धरती पर पहली साफ्ट लैंडिंग है। चेंज तीन की साफ्ट लैंडिंग लांग मार्च-तीन बी रॉकेट के पृथ्वी से रवानगी के 12 दिन बाद हुई। इसके साथ ही अमेरिका और पूर्व सोवियत संघ के बाद चीन उन तीन देशों में शामिल हो गया जिन्होंने चंद्रमा पर अपने यान उतारे हैं। साफ्ट लैंडिंग वह होती है जिसमें अंतरिक्ष यान और उसके साथ गए उपकरण लैंडिंग के दौरान क्षतिग्रस्त नहीं होते हैं।

बीजिंग एरोस्पेस कंट्रोल सेंटर के अनुसार चंद्रयान साइनस इरिडियन या बे आफ रेनबो पर स्थानीय समयानुसार रात नौ बजकर 11 मिनट पर उतरा।



शनिवार, 14 दिसंबर 2013

"रन फॉर यूनिटी" बाड़मेर दौड़ेगा सुबह आठ बजे रविवार को

"रन फॉर यूनिटी" बाड़मेर दौड़ेगा सुबह आठ बजे रविवार को
भारतीय जनता पार्टी ने लौह पुरूष सरदार वल्लभ भाई पटेल की पुण्यतिथि पर थार जिला मुख्यालय पर रविवार को होने वाली "एकता दौड़" के सफल आयोजन के लिए तैयारियां पूरी कर ली है, रविवार सुबह आठ बजे रन फॉर यूनिटी के लिए बाड़मेर अहिंसा चौराहे से चौहटन चुराहे तक दौड़ेगा


भारतीय जनता पार्टी के नगर प्रचार मंत्री रमेश सिंह इंदा ने बताया कि रविवार प्रातः भाजपा जिलाध्यक्ष मेजर पर्वत सिंह रेली को हरी झंडी दिखा कर रवाना करेंगे। इंदा ने भाजपा के समस्त पदाधिकारियो और कार्यकर्ताओ सहित जिले के समस्त नागरिको को इसमे शामिल होने का आह्वान किया हें

मानवेन्द्र सिंह और कैलाश होंगे वसुंधरा राजे के मंत्रिमंडल में शामिल ?

मानवेन्द्र सिंह और कैलाश होंगे वसुंधरा राजे के मंत्रिमंडल में शामिल ?


जयपुर। वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मंत्रिमंडल के गठन की माथापच्ची तेज हो गई है। रिकॉर्ड तोड़ 162 सीटों के दम पर सत्ता में वापसी करने वाली भाजपा के मंत्रियों का चयन उलझन पैदा कर रहा है।

पूर्व में मंत्री रहे चुके व्यक्तियों के अलावा दिग्गजों को हराने वाले नए विधायकों को भी मंत्रीमंडल में शामिल करने का दवाब है। इसके साथ ही प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के फेरबदल की कवायद शुरू हो गई है। गौरतलब है कि शपथ ग्रहण करने के बाद मुख्यमंत्री राजे शुक्रवार को राज्य के प्रशासनिक ढांचे में बड़े फेरबदल किए थे।

मलमास से पहले मंत्रिमंडल
मलमास लगने की चर्चा के चलते रविवार तक मंत्रिमंडल के संबंध में कार्यवाही होने की संभावना है। इसके तहत आधा दर्जन से अधिक मंत्रियों के शपथ लेने की संभावना है। जानकारी के अनुसार, केंद्र से आए निर्देश के कारण मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ इन मंत्रियों को शपथ नहीं दिलाई गई थी। अब राजभवन में नए सिरे से समारोह आयोजित किए जाने की तैयारी है। मंत्रियों में आधा दर्जन को केबिनेट और शेष्ा को राज्य मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है।

पुरानों में ये फिर बनेंगे मंत्री
गुलाबचंद कटारिया
उदयपुर संभाग के कद्दावर नेता है। कई बाद मंत्री रह चुके हैं। 2003 में राज्य के गृह मंत्री थे।

नरपतसिंह राजवी
पूर्व उपराष्ट्रपति और तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे भैंरो सिंह शेखावत के दामाद। वसंुधरा राजे के पिछले कार्यकाल में उद्योग मंत्री रहने के साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय भी संभाल चुके हैं।

कालूलाल गुर्जर
भीलवाड़ा के मांडल से विधायक। भाजपा के पिछले शासन में भी मंत्री थे।

वासुदेव देवनानी
अजमेर उत्तर से विधायक। 2003 में भाजपा के सत्ता में आने पर शिक्षा राज्य मंत्री बनाए गए थे।

यूनुस खां
डीडवाना से विधायक चुने गए हैं। 2003 में यातायात और युवा मंत्रालय संभाला था। 2008 में चुनाव हार गए। इस बार फिर से यातायात मंत्रालय संभाल सकते हैं। राजस्थान भाजपा के अल्पसंख्यक चेहरे का प्रतिनिधित्व करते है।

प्रतापसिंह सिंघवी
छबड़ा से विधायक हैं। पिछले कार्यकाल में भी मंत्री रहे।

नंदलाल मीणा
वरिष्ठ भाजपा नेता और प्रतापगढ़ से विधायक। वरिष्ठता के आधार पर मंत्री पद के प्रमुख दावेदार।

सांवरलाल जाट
भाजपा के 2003 के कार्यकाल में जल संसाधन मंत्री रहे। पिछला चुनाव जीते लेकिन इस बार नसीराबाद सीट से फिर विजय हासिल की।

नए विधायकों में ये मार सकते हैं बाजी
अरूण चतुर्वेदी
राजनीति का लम्बा अनुभव रहा है, लेकिन सिविल लाइंस विस सीट से चुनाव लड़े और पहली बार विधायक बने हैं। उनकी जीत का अन्तरर भी 11 हजार से ज्यादा का रहा है। इन्होंने प्रताप सिंह खाचरियावास को तो हराया ही है, साथ ही संघ खेमा भी चाहता है कि यह मंत्री बनें।

दीया कुमारी
जयपुर के पूर्व राजघराने से सम्बन्ध रखने वाली दीया कुमारी का इस बार राजनीति में प्रवेश हुआ है। उन्हें जयपुर से सवाईमाधोपुर चुनाव लड़ने के लिए भेजा गया। इन्होंने किरोड़ी लाल मीणा को हराकर चुनाव जीता और वो भी साढ़े सात हजार से ज्यादा वोटों से।

संतोष्ा अहलावत
शेखावाटी की राजनीति में जाना पहचाना नाम, लेकिन पहली बार ही जीती हैं। इन्होंने भी शेखावाटी के बड़े नाम कांग्रेसी नेता श्रवण कुमार को सूरजगढ़ (झुंझुनूं) सीट से हराकर 50 हजार से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है।

ओम प्रकाश हुडला
महुआ सीट से चुनाव लड़ा। दबंग छवि के माने जाते हैं। सुराज संकल्प यात्रा में इनको भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने करीब आधे घण्टे तक बोलने का मौका दिया था। इन्होंने सांसद किरोड़ी लाल मीणा की पत्नी और पूर्व मंत्री गोलमा देवी को पन्द्रह हजार से ज्यादा वोटों से हराया है।

कैलाश चौधरी
भारतीय जनता युवा मोर्चा में सक्रिय रहे कैलाश चौधरी ने विधानसभा चुनाव में पहली बार जीत दर्ज की है और कांग्रेस राजनीति में बड़ा नाम और विधायक कर्नल सोनाराम को बायतू विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मेंकरारी शिकस्त दी। सोनाराम को यहां 13 हजार से ज्यादा वोटो से मात मिली।

मानवेन्द्र सिंह
शिव सीट से चुनाव लड़ा। एक बार सांसद भी रह चुके हैं, लेकिन विधायक पहली बार बने हैं। इन्होंने पश्चिमी राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति का स्तम्भ माने जाने वाले अमीन खान को 30 हजार से अधिक वोटों से हराया है। मानवेन्द्र सिंह पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र हैं।

जयपुर और जोधपुर के कमिश्Aर भी बदले जाएंगे
प्रदेश में मुख्य सचिव के लिए राजीव महçष्ाü का नाम सामने आ रहा है। वे फिलहाल केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं, उनके संबंध में आज केंद्र में पत्र भेजे जाने की संभावना है। करीब तीन दर्जन से अधिक आईएएस अधिकारियों की सूची निकाले जाने की तैयारी की जा चुकी है।

इसी प्रकार करीब दो दर्जन से अधिक पुलिस अधिकारियों की सूची तैयार कर ली गई है। जयपुर व जोधपुर के पुलिस कमिश्नर को भी बदला जाएगा। जयपुर में एसपी रहे वीके सिंह और विशाल बंसल का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है

भाटी राजस्थानी भाषा समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त

भाटी राजस्थानी भाषा समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त


बाड़मेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति राजस्थान के प्रदेश महामंत्री राजेंद्र सिंह बारहट ने दफ्तरी हुकम निकल समिति के सम्भाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी को राजस्थानी भाषा कि मान्यता के लिए दिए सराहनीय योगदान को ध्यान में रखते हुए प्रदेश उप पाटवी के पद पर नियुक्ति दी हें। प्रदेश समिति द्वारा जारी आदेश में लिखा हें कि समिति के सम्भाग उप पाटवी पद पर रहते हुए चन्दन सिंह भाटी द्वारा राजस्थानी भसझा कि मान्यता के लिए उच्च स्तरीय और सराहनीय प्रयास हुए ,जिसे देखते हुए भाटी को प्रदेश कि राजस्थान के सभी जिलो में समिति के कार्यकारिणी के विस्तार और राजस्थानी भाषा के समर्थको को जोड़ने कि जिम्मेदारी दी गयी हें। महामंत्री राजेंद्र सिंह बारहठ ने बताया कि राजस्थानी रत्न से समानित चन्दन सिंह भाटी को प्रदेश में राजस्थानी भाषा के अभियान कि अलख जगाने के निर्देश जरी किये हें।

ट्रक ने कार को रौंदा, चार मरे

जोधपुर। जोधपुर जिले के देचू कस्बे में ट्रक और कार की भिड़ंत होने से चार लोगों की मौत हो गई। भिड़ंत की इतनी जोरदार थी कि तीन शव कार में बुरी तरह फंस गए। इन्हें निकालने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। एक शव को बमुश्किल निकालकर अस्पताल ले जाया गया। ट्रक ने कार को रौंदा, चार मरे
जानकारी के अनुसार शनिवार शाम जिले के देचू कस्बे के पास ट्रक ने कार को टक्कर मार दी। इससे कार में सवार चारों लोगों की मौत हो गई। आसपास के लोगों ने तुरंत पहंुचकर मदद की। लेकिन शव निकालने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा क्योंकि शव बुरी तरह कार में फंस गए। सूचना मिलने पर पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। जिले में ये तीसरी बड़ी सड़क दुर्घटना है। इससे पहले ट्रक और सवारी गाड़ी की भिड़ंत में 12 जनों की मौत हो गई। वहीं एक दूसरे हादसे में रोडवेज टैंकर से टकरा गई। इसमें चार जनों की मौत हो गई थी।

"समलैंगिकता पर बयान दर्शाता है कि सोनिया पूर्णत: भारतीय नहीं"

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री मो. आजम खान ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी द्वारा समलैंगिकता के पक्ष में दिये गये हाल के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सोनिया गांधी द्वारा दिये गये बयान यह दर्शाते हंै कि सोनिया गांधी पूर्णत. भारतीय नहीं है और पश्चिमी कुकृत्यों को मानवीय स्वतंत्रता के नाम पर भारत में बढ़ावा देना चाहती है और मात्र दो प्रतिशत व्यक्तियों को खुश करने के लिए भारतीय सभ्यता को नष्ट करना चाहती हैं। "समलैंगिकता पर बयान दर्शाता है कि सोनिया पूर्णत: भारतीय नहीं"
आजम खान ने कहा कि समलैंगिकता एक अप्राकृतिक एवं निकृष्ट कार्य है जिसे किसी भी धर्म एवं वर्ग द्वारा मान्यता नहीं दी गयी और ना ही हमारी संस्कृति इसकी छूट देती है। खान ने कहा कि सारे अप्राकृतिक कार्य और संबंध व्यक्ति विशेष और समाज को गर्त की ओर ले जाते हैं और एड्स जैसी लाइलाज भयंकर बीमारियों को जन्म देते हैं। समाज को उस पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण नहीं करना चाहिए जोकि विनाश का कारक है।

खान ने कहा कि सभी पवित्र ग्रन्थ इस कृत्य की भत्र्सना करते हैं और जो व्यक्ति या वर्ग स्वयं को इस कृत्य का समर्थक बताते हैं वह सामाजिक और धार्मिक नहीं हो सकते।
माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यदि इस कृत्य पर रोक ना लगायी जाती तो इसके समर्थक हदें पार करते हुए जानवरों से लैंगिक संबंध बनाने की मांग को स्वीकार्य कराये जाने के लिए प्रयासरत हो जाते।

विभिन्न समाचार पत्रों और समाचार चैनलों द्वारा इस प्रकरण की सुर्खियों को प्राथमिकता देने पर खान ने कहा कि समाज उत्थान और सर्वागीण विकास के तमाम मुद्दे प्राथमिकता पर लाने चाहिए। जिसमें गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, कुरीतियों को समूल नष्ट किया जा सके। उन सभी प्रसिद्ध व्यक्तियों, दलों और वर्गो जिन्होंने उच्चतम न्यायालय द्वारा इस जनउपयोगी निर्णय का स्वागत किया है। वे सभी प्रशंसा के पात्र हैं चाहे उसमें भाजपा के शीर्षस्थ नेता ही क्यों ना हों।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उच्चतम न्यायालय के इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यकत करते हुए कहा था कि मैं समलैंगिकों के अधिकारों पर दिल्ली उच्च न्यायाल के फैसले को पलटने के उच्चतम न्यायालय के फैसले से निराश हूं। संसद इस मुद्दे पर विचार करेगी जबकि भाजपा के सभी नेता इस फैसले पर मौन रहे।

शादी के चार दिन बाद ही ससुर ने किया बहू का रेप

जबलपुर। बदले वक्त ने रिश्तों को भी तांक पर रख दिया है। कभी बहू और बेटी में फर्क न करने की बात कही जाती है तो कभी बहू और बेटी की आबरू को तार-तार कर अपनी हवस का शिकार बनाया जाता है। ऎसा ही मामला एक बार फिर सामने आया है, जिसमें विवाह के चार दिन बाद ही ससुर ने बहू के साथ दुराचार कर डाला। पति ने भी अपनी जीवनसंगिनी का साथ देने की बजाए उस पर और अत्याचार करना शुरू कर दिये। शादी के चार दिन बाद ही ससुर ने किया बहू का रेप
सिपाही ससुर द्वारा दुष्कर्म किए जाने से नाराज मायके वालों ने शुक्रवार को गोरखपुर थाने में जमकर हंगामा किया। वे आरोपी पर कार्रवाई न किए जाने से नाराज थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधिकारियों ने महिला थाने को जांच के निर्देश दिए हैं।

जानकारी के अनुसार नवविवाहिता का पिता भी पुलिस विभाग में कार्यरत है। इसी साल 18 नवम्बर को उसकी शादी बागवान नगर रामपुर छापर निवासी सिपाही पुत्र के साथ हुई थी। नवविवाहिता ने गोरखपुर थाने में दी गई शिकायत में आरोप लगाए है कि 22 नवम्बर को पति की अनुपस्थिति में उसके सिपाही ससुर ने उसके साथ दुष्कर्म किया। पति से शिकायत की तो उल्टे उसने उसी को बुरी तरह से मारा पीटा। पति व ससुर उसे घर में कैद कर रखे थे। वह किसी तरह दो दिसम्बर को उनके चंगुल से छूट कर भाग निकली। तीन दिन सहेली के घर रूक कर पांच दिसम्बर को पिता के घर पहुंची और आपबीती सुनाई।

मैनेज करने को डाल रहे थे दबाव

शुक्रवार को गोरखपुर थाने में हंगामा कर रहे नवविवाहिता के मायके वालों ने पुलिस पर दबाव देकर मैनेज कराने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि तीन दिन पहले थाने में शिकायत किए जाने के बाद भी पुलिस ने कुछ नहीं किया।

इनका कहना है

दोनों परिवारों के बीच मारपीट का मामला भी थाने पहुंच चुका है। नवविवाहिता ने ससुर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला थाने को जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
-सिद्धार्थ बहुगुणा, एएसपी

भारद्वाज राज्य के नये पुलिस महानिदेषक , कार्यभार सम्भाला

भारद्वाज राज्य के नये पुलिस महानिदेषक
महानिदेषक का कार्यभार सम्भाला

जयपुर, 13 दिसम्बर। भारतीय पुलिस सेवा के 1977 बैच के अधिकारी श्री ओमेन्द्र भारद्वाज ने आज राजस्थान पुलिस के महानिदेषक पद का कार्यभार सम्भाल लिया है। राज्य सरकार ने इस संबंध मंे आज आदेष जारी किये हैं।
श्री भारद्वाज ने राजस्थान एवं केन्द्र सरकार में विभिन्न पदों पर कार्य किया है। श्री भारद्वाज ने महानिदेषक,जेल, गृह रक्षा एवं नागरिक सुरक्षा, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के पदों के साथ ही अतिरिक्त महानिदेषक पुलिस,मुख्यालय, आयोजना एवं कल्याण, आसूचना(एस.एस.बी.), पुनर्गठन एवं तकनीकी के महत्वपूर्ण पदों पर कुषलतापूर्वक कार्य किया है।
उन्होंने महानिरीक्षक पुलिस,आयोजना एवं कल्याण,सीआईडी(अपराध षाखा), भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के पदों के अलावा उप महानिरीक्षक पुलिस रेंज कोटा, अजमेर व जिला पुलिस अधीक्षक भरतपुर,झंुझुनू,चित्तौड़गढ़,सीआईडी(अपराध षाखा), जयपुर,टोंक एवं कमाण्डेंट,आठवीं बटालियन,आर.ए.सी.(आई.आर.) अगरतला पद पर कार्य किया है।
श्री भारद्वाज केन्द्र सरकार में इंटेलीजेंस ब्यूरो,नई दिल्ली में सहायक निदेषक एवं सहायक पुलिस अधीक्षक,उदयपुर तथा राजस्थान पुलिस अकादमी,जयपुर में भी पदस्थापित रहे हैं।
पुलिस मुख्यालय स्थित महानिदेषक कार्यालय के उनके कक्ष में श्री भारद्वाज को अतिरिक्त महानिदेषक पुलिस सर्वश्री पी.के.व्यास,मनोज भट्ट, कपिल गर्ग, मेघ चन्द मीणा,यू.आर.साहू, के.नरसिंहा राव, बी.एल.सोनी निदेषक,राजस्थान पुलिस अकादमी,टी.एल.मीणा,एम.एल.लाठर, महानिरीक्षक पुलिस सर्वश्री राजेष निर्वाण, टी. गुइटे, जयपुर पुलिस आयुक्त श्री भूपेन्द्र कुमार दक,उप महानिरीक्षक पुलिस सर्वश्री हवा सिंह घुमरिया, विषाल बंसल,विपिन कुमार पाण्डे,गुरू चरण राय, आलोक वषिष्ठ,डा. बी.एल.मीणा,अतिरिक्त पुलिस आयुक्त,जयपुर गिर्राज मीणा के अलावा पुलिस अधीक्षक सर्वश्री हिंगलाज दान,औम प्रकाष,अमनदीप,महेन्द्र सिंह,विकास कुमार, मदन मेघवाल,बहादुर सिंह राठौड़ एवं श्रीमती परमज्योति ने महानिदेषक पुलिस पदासीन होने पर हार्दिक बधाईयां दी।
उल्लेखनीय है कि श्री भारद्वाज 29 अक्टूब,2013 से कार्यवाहक पुलिस महानिदेषक के रूप में कार्य कर रहे थे। श्री हरीष मीना, पुलिस महानिदेषक 28 अक्टूबर,2013 से 13 दिसम्बर,2013 तक अवकाष पर थे।

राजे दूसरे दिन पहुंचीं एसएमएस अस्पताल

जयपुर। राजस्थान की 13वीं मुख्यमंत्री बनने के बाद पहले ही दिन सचिवालय पहुंच प्रशासनिक अमले में खलबली मचाने वाली वसुंधरा राजे शनिवार सुबह अस्पताल पहुंची। राजे यहां किसी प्रशासनिक फेरबदल के इरादे से नहीं बल्कि एक हादसे में गंभीर जख्मी रिटार्यड इंजीनियर की कुशलक्षेम में पूछने पहुंची।
दरअसल, इंजीनियर श्याम सुंदर खंडेलवाल राजे के "राजतिलक" समारोह के लिए आम रास्ते पर लगाए गए बैरिकेट्स से शुक्रवार रात घायल हो गए थे। जब इसकी खबर राजे तक पहुंची तो वे शनिवार सुबह सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती रिटार्यड इंजीनियर श्याम सुंदर खंडेलवाल से मिलने पहुंची।

उपचार में जुटे सीटी सर्जरी विभाग के डॉ. राजकुमार यादव ने राजे को बताया कि खंडेलवाल की गर्दन में बांस घुसने के कारण स्वास व भोजन नली पूरी तरह से कट गई है। वहीं दवाइयों से उनका ब्लड प्रेशर को मेनटेन किया जा रहा है, उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया है।

डॉक्टरों ने बताया कि खंडेलवाल की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। मुख्यमंत्री राजे इससे पहले अमर जवान ज्योति गईं, जहां उन्होंने सेना की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। एसएमएस अस्पताल के प्रवक्ता डॉ. अजीत सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने घायल श्याम सुंदर के तत्काल उपचार शुरू करने पर संतोष्ा प्रकट किया और कहा कि संबंधित चिकित्सक बेहतर से बेहतर उपचार करें।

ले.जनरल दलबीर बने उप थलसेनाध्यक्ष

जोधपुर। पूर्वी कमान के आर्मी कमाण्डर जीओसी इन सी लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह को उप थलसेनाध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया है। रक्षा प्रवक्ता एस डी गोस्वामी ने बताया कि दलबीर सिंह सैनिक स्कूल चितौड़गढ़ राजस्थान के विद्यार्थी रहे हैं। उन्होंने जून 1974 में 4/5 गोरखा राइफल्स में कमीशन लिया था।
सेना मुख्यालय में महानिदेशक (सूचना तकनीकी) लेफ्टिनेंट जनरल अरूण कुमार साहनी को दक्षिण पश्चिम कमान जयपुर का आर्मी कमाण्डर (जीओसी इन सी) नियुक्त किया गया है। ले. जनरल साहनी ने वर्ष 1976 में रेजिमेंन्ट ऑफ आर्टिलरी में कमीशन लिया था।

इसी तरह मुख्यालय दक्षिण पश्चिम कमान जयपुर में चीफ ऑफस्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल एमएमएस राय को पूर्वी कमान का आर्मी कमाण्डर (जीओसी इन सी) पद के लिए नियुष्ठत किया गया है। जनरल राय ने वर्ष 1976 में कोर ऑफ इंजीनियर्स में कमीशन प्राप्त किया था। इससे पूर्व उन्होंने जोधपुर स्थित डेजर्ट कोर की कमान की थी।

भंवरी मामला: कोर्ट में सीबीआई ने कहा- हमारी गिरफ्त में नहीं आ रही इंद्रा



जोधपुर। एएनएम भंवरी के अपहरण और हत्या के मामले में लंबे समय से फरार चल रही आरोपी इंद्रा विश्नोई के संबंध में शुक्रवार को सीबीआई ने अदालत में प्रगति रिपोर्ट पेश कर कहा कि सीबीआई इंद्रा को गिरफ्तार करने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन वह गिरफ्त में नहीं आ पा रही है।
भंवरी मामला: कोर्ट में सीबीआई ने कहा- हमारी गिरफ्त में नहीं आ रही इंद्रा
सीबीआई मामलात की अदालत में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ब्रज माधुरी शर्मा ने सीबीआई से इंद्रा की गिरफ्तारी के संबंध में प्रगति रिपोर्ट मांगी थी। इस पर वरिष्ठ लोक अभियोजक ऐजाज खान और अशोक जोशी ने रिपोर्ट पेश कर बताया कि इंद्रा को सीबीआई गिरफ्तार करने का लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन पता नहीं चल पा रहा है

इस मामले में इंद्रा को भगोड़ा घोषित किया जा चुका है। साथ ही 11 जनवरी, 2012 को उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। कोर्ट ने उसे 16 अप्रैल, 2012 को अपराधी भी घोषित कर दिया था। सीबीआई ने इंद्रा विश्नोई पर 5 लाख रुपए के इनाम की घोषणा भी कर रखी है।

सीबीआई के आवेदन पर उसकी संपत्ति की कुर्क की जा चुकी हैं, लेकिन नीलामी के लिए कोई बोली दाता उपलब्ध नहीं हुआ। इस पर सीबीआई ने अदालत में एक आवेदन पेश कर कहा था कि आरोपी की जब्त की गई संपत्ति को सरकारी उपयोग में लिया जाए। इस संबंध में 10 जनवरी, 2014 को बहस मुकर्रर की गई


भंवरी मामले में आरोपियों की निगरानी याचिका पर सुनवाई टली
एएनएम भंवरी हत्याकांड के आरोपियों विशनाराम, कैलाश विश्नोई, अशोक विश्नोई आदि की ओर से हाईकोर्ट में दायर निगरानी याचिका पर सुनवाई शुक्रवार को नहीं हो सकी। न्यायाधीश अतुल कुमार जैन की अदालत में यह सुनवाई अब 16 दिसंबर को होगी।।निगरानी याचिका पर सुनवाई के लिए सीबीआई की ओर से मुंबई से आए विशिष्ट लोक अभियोजक ऐजाज खां व अशोक जोशी अदालत में मौजूद थे, लेकिन याचिकाकर्ता के अधिवक्ता नीलकमल बोहरा के अस्वस्थ होने की वजह से सुनवाई स्थगित करने का आग्रह किया गया। बोहरा इस मामले में ही आरोपी अशोक विश्नोई की ओर से भी पैरवी कर रहे हैं। शुक्रवार को उनके नहीं आने से न्यायाधीश निर्मलजीत कौर की अदालत में अशोक विश्नोई के जमानत आवेदन पर भी सुनवाई नहीं हो सकी।