शनिवार, 14 दिसंबर 2013

"समलैंगिकता पर बयान दर्शाता है कि सोनिया पूर्णत: भारतीय नहीं"

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री मो. आजम खान ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी द्वारा समलैंगिकता के पक्ष में दिये गये हाल के बयानों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सोनिया गांधी द्वारा दिये गये बयान यह दर्शाते हंै कि सोनिया गांधी पूर्णत. भारतीय नहीं है और पश्चिमी कुकृत्यों को मानवीय स्वतंत्रता के नाम पर भारत में बढ़ावा देना चाहती है और मात्र दो प्रतिशत व्यक्तियों को खुश करने के लिए भारतीय सभ्यता को नष्ट करना चाहती हैं। "समलैंगिकता पर बयान दर्शाता है कि सोनिया पूर्णत: भारतीय नहीं"
आजम खान ने कहा कि समलैंगिकता एक अप्राकृतिक एवं निकृष्ट कार्य है जिसे किसी भी धर्म एवं वर्ग द्वारा मान्यता नहीं दी गयी और ना ही हमारी संस्कृति इसकी छूट देती है। खान ने कहा कि सारे अप्राकृतिक कार्य और संबंध व्यक्ति विशेष और समाज को गर्त की ओर ले जाते हैं और एड्स जैसी लाइलाज भयंकर बीमारियों को जन्म देते हैं। समाज को उस पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण नहीं करना चाहिए जोकि विनाश का कारक है।

खान ने कहा कि सभी पवित्र ग्रन्थ इस कृत्य की भत्र्सना करते हैं और जो व्यक्ति या वर्ग स्वयं को इस कृत्य का समर्थक बताते हैं वह सामाजिक और धार्मिक नहीं हो सकते।
माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यदि इस कृत्य पर रोक ना लगायी जाती तो इसके समर्थक हदें पार करते हुए जानवरों से लैंगिक संबंध बनाने की मांग को स्वीकार्य कराये जाने के लिए प्रयासरत हो जाते।

विभिन्न समाचार पत्रों और समाचार चैनलों द्वारा इस प्रकरण की सुर्खियों को प्राथमिकता देने पर खान ने कहा कि समाज उत्थान और सर्वागीण विकास के तमाम मुद्दे प्राथमिकता पर लाने चाहिए। जिसमें गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, कुरीतियों को समूल नष्ट किया जा सके। उन सभी प्रसिद्ध व्यक्तियों, दलों और वर्गो जिन्होंने उच्चतम न्यायालय द्वारा इस जनउपयोगी निर्णय का स्वागत किया है। वे सभी प्रशंसा के पात्र हैं चाहे उसमें भाजपा के शीर्षस्थ नेता ही क्यों ना हों।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उच्चतम न्यायालय के इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यकत करते हुए कहा था कि मैं समलैंगिकों के अधिकारों पर दिल्ली उच्च न्यायाल के फैसले को पलटने के उच्चतम न्यायालय के फैसले से निराश हूं। संसद इस मुद्दे पर विचार करेगी जबकि भाजपा के सभी नेता इस फैसले पर मौन रहे।

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