200 ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस होंगे सुखोई
जोधपुर। देश की हवाई सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए अब लड़ाकू विमान सुखोई (सु-30) को अचूक ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस किया जाएगा। भारत सरकार इसके लिए करीब 200 ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल खरीदने की तैयारी कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक करीब छह हजार करोड़ रूपए की लागत वाली इस खरीद को केन्द्रीय मंत्रिमण्डल की सुरक्षा सम्बन्धी समिति ने हरी झण्डी दे दी है। ब्रह्मोस से लैस होने के बाद सुखोई विमानों की मारक क्षमता में कई गुना बढ़ जाएगी। सूत्रों की मानें तो गत 18 अक्टूबर को हुई सुरक्षा समिति की बैठक में मिसाइल खरीद का फैसला किया गया है। बह्मोस की खरीदारी भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ के संयुक्त उपक्रम "ब्रह्मोस कोर्पोरेशन" से की जाएगी। इसके अलावा ब्रह्मोस को विमान में फिट करने के लिए सुखोई में आवश्यक बदलाव भी होंगे।
ब्रह्मोस की खूबियां
ब्रह्मोस भारत और रूस द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है। यह कम ऊंचाई पर भी तेजी से उड़ान भर सकती है। ऎसे में रडार की नजर में आने से बच जाती है। इस मिसाइल को जमीन, हवा, सबमरीन या जहाज, कहीं से भी दागा जा सकता है। यह "मेनुवरेबल" मिसाइल है। यानी दागे जाने के बाद लक्ष्य तक पहुंचने के दौरान यदि लक्ष्य अपना मार्ग बदल ले तो ब्रह्मोस भी रास्ता बदल कर निशाने पर पहुंच जाती है।
जोधपुर। देश की हवाई सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए अब लड़ाकू विमान सुखोई (सु-30) को अचूक ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस किया जाएगा। भारत सरकार इसके लिए करीब 200 ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल खरीदने की तैयारी कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक करीब छह हजार करोड़ रूपए की लागत वाली इस खरीद को केन्द्रीय मंत्रिमण्डल की सुरक्षा सम्बन्धी समिति ने हरी झण्डी दे दी है। ब्रह्मोस से लैस होने के बाद सुखोई विमानों की मारक क्षमता में कई गुना बढ़ जाएगी। सूत्रों की मानें तो गत 18 अक्टूबर को हुई सुरक्षा समिति की बैठक में मिसाइल खरीद का फैसला किया गया है। बह्मोस की खरीदारी भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ के संयुक्त उपक्रम "ब्रह्मोस कोर्पोरेशन" से की जाएगी। इसके अलावा ब्रह्मोस को विमान में फिट करने के लिए सुखोई में आवश्यक बदलाव भी होंगे।
ब्रह्मोस की खूबियां
ब्रह्मोस भारत और रूस द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है। यह कम ऊंचाई पर भी तेजी से उड़ान भर सकती है। ऎसे में रडार की नजर में आने से बच जाती है। इस मिसाइल को जमीन, हवा, सबमरीन या जहाज, कहीं से भी दागा जा सकता है। यह "मेनुवरेबल" मिसाइल है। यानी दागे जाने के बाद लक्ष्य तक पहुंचने के दौरान यदि लक्ष्य अपना मार्ग बदल ले तो ब्रह्मोस भी रास्ता बदल कर निशाने पर पहुंच जाती है।