गुरुवार, 8 नवंबर 2012

सोनिया बनी "स्टाइल गुरू"

सोनिया बनी "स्टाइल गुरू"

राय बरेली (उत्तरप्रदेश)। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी का मानना है कि भारत में फैशन के नाम पर हर चीज में जरूरत से ज्यादा की जाती है। राय बरेली में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलजी (निफ्ट) के समारोह में सोनिया ने कहा,जरूरत से ज्यादा कर देने की कोशिश में कपड़े पहनने वाला ही छिप जाता है,जिससे ड्रेस असुखद हो जाती है और उसकी सुंदरता भी कम हो जाती है।


सोनिया ने फैशन के बारे में अपनी पसंद भी बताई। सोनिया ने कहा,उनके मुताबिक फैशन सादगी,कम कीमत और सुंदरता से आता है। हाल के दिनों में मैंने देखा है कि भारतीय फैशन ट्रेंड में कपड़ों को जरूरत से ज्यादा ही सजाया जाता है। कभी-कभी तो एक ही ड्रेस पर जरदोजी,मोती,लहरें और क्रिस्टल सब लगा दिया जाता है। मेरे ख्याल से यह सजावट व अधिकता फैशन नहीं है।


अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को सादगी का संदेश देतेे हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कपड़ों पर जरूरत से ज्यादा चीजें लगा देना है तो आसान लेकिन यह उन्हें फेशनेबल नहीं बनाता। हमारे देश के लिए फैशन कोई नई चीज नहीं है। भारतीयों का सौंदर्यबोध बहुत मजबूत है और हमारी ग्रामीण महिलाओं की साडियों,लहंगों और पुरूषों की पगडियों में देखा जा सकता है।


सोनिया ने कहा,सुंदरता के लिहाज से भारतीय फैशन का कोई मुकाबला नहीं है। यह समृद्ध और विविध है। उन्होंने अपनी सास इंदिरा गांधी को याद करते हुए कहा कि सादी सी साडियां पहनने वालीं इंदिरा गांधी को फैशन की गहरी समझ थी और उनकी सादगी की प्रशंसा दुनियाभर में होती थी।


यूपीए अध्यक्ष ने निफ्ट से पास होने वाले छात्रों को सीख दी कि रंग,कटाव और मिश्रण का सही अनुपात में इस्तेमाल करें ताकि कपड़े आरामदायर हों।

राजस्थान में वाड्रा की 10,000 बीघा जमीन

राजस्थान में वाड्रा की 10,000 बीघा जमीन
बीकानेर। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव किरीट सौमेया ने आरोप लगाया है कि बीकानेर से जैसलमेर तक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ड वाड्रा की 10 हजार बीघा जमीन है। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि वह जनता को बताए कि यह जमीन कब खरीदी और किस कंपनी के नाम है। सौमेया बुधवार को मीडिया से बात कर रहे थे।


उन्होंने बताया कि सांसद अर्जुनराम मेघवाल के सहयोग से पार्टी एक माह में वाड्रा की जमीनों को लेकर ब्लैक पेपर प्रकाशित करेगी। उन्होंने मेघवाल के साथ बीकानेर जिले की श्रीकोलायत तहसील के गांवों में जाकर वाड्रा की कथित कम्पनियों की जमीनों की खरीद फरोख्त की जानकारी ली। उनका आरोप है, वाड्रा ने 35 हजार रूपए बीघा में जमीनें खरीदी तथा 3 लाख 50 हजार रूपए बीघा में बेची।


सौमेया ने सबूत के तौर पर नार्थ इंडिया आईटी पार्क प्रा.लि. का पंजीयन प्रमाण पत्र, 2007 से 2012 के बीच बनी वाड्रा की 12 कंपनियों की 900 बीघा जमीन की सूची दी। उन्होंने आरोप लगाया कि वाड्रा की श्रीकोलायत तहसील में कोटड़ा फांटा, गजनेर, खारी, मोडिया माणकसर, गोलरी, चानी, टेचरी, डेह, चक मुलाजमान, गंगापुरा, चक गुरूजंट सिंह, कोटड़ी, खिदरत और खींचन में जमीन है।

झूठ के पुलिंदे जुटाते हैं किरीट- गहलोत


जयपुर. रोबर्ट वाड्रा के बीकानेर में जमीन खरीदने और भाजपा नेता किरीट सौमेया के बीकानेर दौरे से जुड़े सवाल पर गहलोत ने कहा कि सोमैया को तो भाजपा ने झूंठ के पुलिन्दे एकत्र करने की जिम्मेदारी सौंप रखी है।

गड़करी को क्लीनचिट पर सवाल

नितिन गड़करी को पार्टी की क्लीन चिट पर गहलोत ने जानना चाहा कि आखिर किस आधार पर क्लीन चिट दी गई, यह जनता के सामने आना चाहिए। कम्पनियों के लोगों को बुलाकर उन्हें क्लीन चिट देने के लिए कहा गया।

गुजरात में योगगुरू से घबराई कांग्रेस

गुजरात में योगगुरू से घबराई कांग्रेस

गांधीनगर। गुजरात कांग्रेस ने बाबा रामदेव का नाम लिए बगैर योग शिविरों के जरिए चुनाव प्रचार करके आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में योग गुरू के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज की है। प्रदेश कांग्रेस ने चुनाव आयोग में मंगलवार को शिकायत दर्ज करते हुए कहा है कि कुछ बाबा और साधु राज्य में चुनाव के दौरान योग शिविर और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करके लोगों से एक दल विशेष के पक्ष में मतदान करने का अनुरोध करते हैं।

शिकायत में कहा गया है कि इन शिविरों के जरिए मतदाताओं को भ्रमित करके सीधे तौर पर पार्टी विशेष को वोट देने की अपील की जाती है। पार्टी ने कहा है कि बाबा योग शिविरों के आयोजनों में एक पार्टी विशेष के उम्मीदवारों को वोट देने की मतदाताओं से सीधे अपील कर रहे हैं। यह बाबा पर्दे के पीछे रहकर काम कर रहा है और आचार संहिता का उल्लंघन कर रहा है।

कांग्रेस ने कहा है कि चुनाव आयोग से इस तरह के आयोजनों पर आयोग से कई बार शिकायत की गई है लेकिन आयोग ने उसकी शिकायत पर कोई गौर नहीं किया। योग शिविर तथा धार्मिक आयोजनों के जरिए बाबा लोगों को प्रभावित कर रहे हैं। पार्टी ने आयोग से बाबा के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की है।

दीपावली पर्व तक मुख्य सड़क पर रहेगा वन-वे



दीपावली पर्व तक मुख्य सड़क पर रहेगा वन-वे


एसपी के निर्देशानुसार किए बदलाव, बीच सड़क पर खड़े वाहन होंगे सीज

बाड़मेर  दीपावली पर्व के चलते मुख्य बाजार सहित अन्य सड़कों पर बढ़ रहे ट्रेफिक दबाव को देखते हुए पुलिस ने यातायात को लेकर नई व्यवस्था बनाई है। इसके तहत अब अहिंसा सर्किल से जवाहर चौक तक किसी भी प्रकार के फोर व्हीलर वाहन नहीं जा सकेंगे, वहीं तिपहिया वाहनों को भी केवल कोतवाली से अहिंसा सर्किल की तरफ जाने की इजाजत दी गई है। एसपी राहुल बारहट ने पुलिस अधिकारियों की बैठक लेकर दीपावली पर्व को लेकर शहर की यातायात व्यवस्था में सुधार पर चर्चा की। एसपी ने स्टेशन रोड सहित अन्य बाजारों में विशेष यातायात व्यवस्था लागू करने के साथ ही त्योहार तक वन-वे तथा नो-एंट्री की सख्ती से पालना करने के निर्देश दिए। बैठक में एएसपी नरेंद्र मीणा, डिप्टी नाजिम अली सहित ट्रेफिक इंचार्ज, कोतवाल व सदर थाना प्रभारी उपस्थित थे।

सीएलजी बैठक: शाम 6 बजे कोतवाली में सीएलजी सदस्यों व व्यापारियों के साथ डिप्टी नाजिम अली ने बैठक कर दीपावली के अवसर पर व्यवस्थाओं में सहयोग की अपील की। इस दौरान अपराध नियंत्रण पर भी चर्चा की गई। बैठक में किसी भी संदिग्ध मामले में तुरंत पुलिस को सूचित करने के निर्देश दिए गए। इस दौरान कोतवाल देवाराम, सीएलजी सदस्य ममता मंगल, रणवीर भादू, लजपत जांगिड़ व अमृतलाल खत्री सहित अन्य सदस्य व पुलिस कर्मी उपस्थित थे।


व्यापारियों से की समझाइश

नगर परिषद अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद बाजार में दुकानदारों की ओर से बाहर रखे जाने वाले सामान की जगह को भी निर्धारित किया गया । व्यापारियों से बनीं सहमति के बाद स्टेशन रोड पर ढाई फीट व सदर गांधी चौक से जवाहर चौक तक जाने वाले मार्ग पर डेढ़ फीट आगे तक जगह तय की गई । इसको लेकर बुधवार शाम पुलिस अधिकारियों ने यातायात पुलिस व अन्य जाब्ते के साथ दौरा कर निर्धारित जगह से आगे सामान नहीं रखने की समझाइश की। साथ ही इसकी पालना नहीं करने पर सामान जब्त करने की कार्रवाई करने की हिदायत दी गई।
ऐसे रहेगी व्यवस्था

सदर बाजार स्थित वीर बालाजी हनुमान मंदिर से जवाहर चौक की ओर जाने वाले मार्ग पर केवल टू-व्हीलर ही आ-जा सकेंगे। कोतवाली से अहिंसा सर्किल की ओर जाने वाले मार्ग पर तिपहिया वाहन केवल सवारी को लेकर जा सकेंगे, वापिस नहीं आ सकेंगे। वहीं इस रोड पर दुपहिया वाहनों को आने-जाने की अनुमति होगी। ऐसे में अब अहिंसा सर्किल से जवाहर चौक तक किसी भी प्रकार के फोर-व्हीलर वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी रहेगी।

अस्थाई पार्किंग व्यवस्था

पुलिस ने एक पिक अप वाहन की भी व्यवस्था की है। इस वाहन की मदद से सड़क के बीच व बेतरतीब खड़े दुपहिया वाहनों को सीज कर यातायात चौकी पहुंचाया जाएगा। जहां बाद में आवश्यक कार्रवाई के बाद वाहन छुड़वाना होगा। हाई स्कूल मैदान में फोर व्हीलर के लिए अस्थाई पार्किंग व्यवस्था की गई है। ऐसी व्यवस्था बाड़मेर में पहली बार की गई है। दीपावली को लेकर विशेष व्यवस्था के तहत कोतवाली के 70, सदर थाने के 50 व ट्रेफिक पुलिस के 40 जवान बाजार सहित मुख्य मार्गों में तैनात रहेंगे।

स्काउट गाइड झंडा दिवस मनाया

स्काउट गाइड झंडा दिवस मनाया

बाड़मेर


बाड़मेर. स्काउट गाइड झंडा दिवस पर झंडा स्टीकर का विमोचन करते कलेक्टर व अन्य।  


राज्य भारत स्काउट व गाइड जिला मुख्यालय के सहयोग से कलेक्ट्रेट में स्काउट गाइड झंडा दिवस मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि कलेक्टर भानू प्रकाश एटूरू ने फ्लैग स्टीकर का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि स्काउट गाइड संगठन एक सेवाभावी एवं बालक-बालिकाओं को देश निर्माण का संस्कार देने वाली विश्वव्यापी संस्थान है। उन्होंने संस्थाओं के सदस्यों से इस संस्था को सहयोग करने की अपील करते हुए कहा कि आर्थिक संबल देने के लिए जिले के स्काउट गाइड के माध्यम से जन सामान्य को झंडा लगाकर आर्थिक सहयोग करें। डीईओ माध्यमिक गोरधन लाल पंजाबी एवं डीईओ प्रारंभिक पृथ्वीराज दवे ने सभी स्काउट, गाइड को सहयोग करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह संस्था सेवाभावी संस्था है जिसके द्वारा बालक-बालिकाओं, युवक युवतियों में स्वावलंबन, चरित्र निर्माण, देश निर्माण के संस्कार देते हैं। सीओ स्काउट मनमोहन स्वर्णकार ने बताया कि राष्ट्रीय मुख्यालय नई दिल्ली की ओर से 7 नवंबर को झंडा बिक्री अभियान चला कर एकत्र धनराशि अंतरराष्ट्रीय स्तर के संगठन तक आरक्षित कोष में जमा की जाएगी। इस आयोजन के तहत जिला प्रशिक्षण आयुक्त मनोहरलाल शर्मा ने तहसीलदार बद्रीनारायण को स्काउट गाइड झंडा स्टीकर लगाकर संगठन के लिए आर्थिक सहयोग प्राप्त किया।संघ अध्यक्ष जेठमल जैन, रोवर मुलिस्टर कड़ेला सहित कई स्काउट गाइड संस्था से जुड़े नागरिक उपस्थित थे।


बुधवार, 7 नवंबर 2012

लोक गायकी संगीत की आत्मा बुन्दू खां लंगा

लोक गायकी संगीत की आत्मा बुन्दू खां लंगा

बाड़मेर बाड़मेर की मरुधरा ने लोक गायिकी के नायब सितारे दुनिया को दिए हें .लोक गीत संगीत के क्षेत्र में बाड़मेर जिले के लंगा और मांगनियार कलाकारों ने विश्व पटल पर अपनी ख़ास पहचान बने हें ,बाड़मेर जिले के बालोतरा उप खंड के नवातला निवासी लंगा बुन्दू खां ने राजस्थानी लोक गायिकी में अपनी खास पहचान बनाई हें ,बुंडू खान की गायिकी का मई खुद दीवाना रहा हूँ ,उनकी एक केस्सित को बीस साल तक सहेज कर रखा था .आखिरकार गम हो गई .बुन्दुखान की गायिकी में वो जादू हें जो श्रोताओ को झुमने पर मजबूर कर देता हें ,क्या कहते हें बुंडू खान
है शास्त्रीय गायकी लोक संगीत का दर्पण। यह शादी समारोह के साथ लोक परंपराओं, तीज त्यौहारों का संवाहक रहा है। यह विशुद्ध हमारी परंपराओं से जुड़ा हुआ है। यह जिगर की आवाज है जो आज के पाश्चात्य और कानफोड़ संगीत में नहीं है। यह कहना है राजस्थानी लोक गायकी के पुरोधा उस्ताद बुन्दू खा लंगा का है।
बुन्दू खां ने बताया कि लोक गायकी उन्हें विरासत में मिली है। उनकी कई पीढिय़ां लोक गायकी की परम्परा को जीवित रखे चली आ रही है। इस कला गायकी के नाम भी खूब दिलाया। लेकिन इस गायकी राजस्थानी लोक कलाकारों को सरकार से प्रोत्साहन न मिलने से सदियों पुरानी गायकी के स्वर कुछ फीके पड़ते जा रहे है। साजो समान और माहौल की कमी ने लोक के आगे रोजी रोटी का संकट खड़ा कर दिया है। उन्होंने बताया कि लोक गायकी में देशी साज प्राण डाल देते है। सारंगी, विशुद्ध रूप से राजस्थानी वाद्य मंत्र है। ढोलक, मोरचंग, अलगोजा, खड़ताल, ढोलक और हरमोनियम सभी देशी वाद्य यंत्रों में स्वरों की जो मिठास व अपना पन है वह इलेक्ट्रॉनिक्स वाद्य यंत्रों में नहीं है।ंराजस्थानी लोक गायकी के सरताज बुंदूखान लंगा और उनके साथियों ने जब मांड गायकी में केसरिया बालम आवो नी पधारो म्हारे देस... गाते हें तो तो श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते हें । बुंदूखान देश-विदेश सहित लंदन के अल्बर्ट हाल में 13 बार प्रस्तुति दे चुके है। बुन्दू खान और उनके साथियों ने ऊंची तान और घुमावदार मुर्कियों के बीच सारंगी और खड़ताल से ऐसा समां बांधा की कि श्रोता लोक गायकी की सरिता में आकंठ डूब गए। करीब घंटे भर चले कार्यक्रम में बुन्दू खान और उनके साथियों ने एक के बाद दीगरे शानदार प्रस्तुतियां दीं। शुरुआत गणेश वंदना से हुई। गणेश वंदना के बोल थे महाराज गजानन आवो रे, मोरी सभा में रंग बरसावों रे...। बाद में बुन्दू खान ने म्हारो हैलो सूनो जी रामा पीर...सुनाया तो माहौल भक्तिमय हो गया था । उन्होंने मशहूर लोकगीत नीबूड़ा-नीबूड़ा लाय दो रे... सुनाया तो लोग रोमांचित हो उठे। गीत में स्वर के इतने उतार-चढ़ाव और खनक थी कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठे। इस दौरान खड़ताल और सारंगी ने बेजोड़ संगत की, जिससे गीत और रसीला हो गया। लोकगायक बुन्दू खान ने सूफी संगीत से रचे लोकगीत छाप तिलक सब छीनी रे..., लड़ी लुबा-लुबा रे..., दमादम मस्त कलंदर... बिंटी म्हारी सोने ऋ ....रुमाल ....जैसे लोक गीतों पर तो उनकी गायकी सिर्फ और सर सुनने से मतलब रखती हें

रेल मंत्री ने दिये यात्री किराया बढ़ाने के संकेत



रायबरेली : रेल मंत्री पवन कुमार बंसल ने आज रेल किराये में बढ़ोतरी के संकेत देते हुए कहा कि ऐसा किये बगैर रेलवे को चलाना मुश्किल होगा।
 
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली के लालगंज में स्थित रेल कोच फैक्ट्री में उत्पादित डिब्बों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किए जाने के मौके पर मौजूद बंसल ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘रेल किराया भाड़ा बढ़ाना हमारा लक्ष्य नहीं है। हमारा मकसद यात्रियों को सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा उपलब्ध कराना है। इसके लिए क्या करना चाहिए, इस पर विचार किया जा रहा है। नि:संदेह किसी समय हमें कोई कदम (किराये में वृद्धि) उठाना पड़ेगा, क्योंकि वैसा किये बगैर रेलवे को चलाना मुश्किल होगा।’


उन्होंने कहा, ‘जब भी लोग मुझसे मिलते हैं तो कहते हैं कि सुविधाओं को सुधारिये, भले ही किराया थोड़ा ज्यादा ले लीजिये।’ यह पूछे जाने पर कि क्या रेल किराया अगले साल मार्च से बढ़ सकता है, रेल मंत्री ने कहा कि अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। इस बारे में कोई भी फैसला समुचित विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाएगा।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र रायबरेली में रेल कोच फैक्ट्री लगाने के लिए ‘जमीन के बदले’ नौकरी देने के फार्मूले की रेल राज्यमंत्री अधीर रंजन चौधरी द्वारा आलोचना किए जाने के बारे में पूछने पर बंसल ने कहा कि फिलहाल इस तरह की कोई नीति निर्धारित नहीं है। रेल मंत्री ने कहा कि लालगंज में रेल कोच फैक्ट्री के मामले में प्रभावित लोगों को नौकरी इसलिए दी गई क्योंकि हम ऐसा कर सकते थे। जम्मू-कश्मीर में जमीन के बदले जमीन दी जाती है।


गौरतलब है कि रायबरेली स्थित लालगंज में रेल कोच फैक्ट्री की स्थापना के लिए जमीन देने वाले परिवारों के कुल 1400 लोगों को सरकारी नौकरी दी गयी है। बंसल ने कहा कि संसद में अगर भूमि अधिग्रहण विधेयक पेश किया गया और जमीन अधिग्रहण से प्रभावित लोगों को नौकरी देने की नीति निर्धारित की गयी तो रेलवे भी अपनी योजना को उसके अनुसार बदलेगी।


रेलमंत्री के रूप में प्राथमिकता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उनका खास जोर रेल यात्रियों को सुविधाजनक यात्रा उपलब्ध कराने पर है। बंसल ने कहा कि रेल हादसों में कमी लाने के लिये ओवरब्रिज बनवाए जा रहे हैं, लेकिन जब तक वे बन नहीं जाते तब तक सभी फाटकरहित रेल क्रासिंग पर एक कर्मी तैनात किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कुल 32000 क्रासिंग में से 13500 फाटकरहित हैं।

पेशावर में आत्मघाती हमला, 8 की मौत, 32 घायल



इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर में स्थित पेशावर शहर में एक और आत्मघाती हमला हुआ है। इस हमले में आठ लोग मारे गए जबकि 32 घायल हो गए।
पेशावर में आत्मघाती हमला, 8 की मौत, 32 घायल  
यह हमला एक पुलिस अधीक्षक को निशाना बनाकर किया गया था। हमलावर ने किस्सा खवानी बाजार के निकट स्थित एक पुलिस थाने के पास खुद को विस्फोट से उड़ा लिया।हमले में पुलिस अधिकारी और दो सुरक्षाकर्मियों की भी मौत हो गई।
बम निरोधी दस्ते के अधिकारियों के मुताबिक विस्फोट का निशाना पुलिस अधीक्षक हिलाला हैदर का वाहन था। विस्फोट में छह से सात किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था। विस्फोट से वाहन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया।







फकीराना गायकी और दीवानगी गायकी की जादूगरनी - आबिदा परवीन

सूफी संगीत के क्षेत्र में आबिदा परवीन एक जाना पहचाना नाम है। पाकिस्तान के ख्यात शास्त्रीय गायक उस्ताद ग़ुलाम हैदर की पुत्री आबिदा इस मायने में भाग्यशाली रहीं कि उन्हें उनके पिता ने तमाम रिवायतों को दरकिनार कर बाकायदा संगीत की शिक्षा दी और वे उन्हें तमाम महफिलों में भी ले जाया करते थे। बाद में उस्ताद सलामत अली खान साहेब ने उनके टेलेन्ट को निखारा। आज दुनिया में उनका परचम लहरा रहा है।  
दर असल सूफी संगीत पैदा और पनपा था सिंध प्रदेश की सूफी दरगाहों में। रात रात भर, कई कई कलाकार सूफी संगीत पेश करते थे, जिन्हें सिंधी भी भगत कहते थे। ऐसे ही सूफी संगीत की महारत हासिल है बहुत ही मशहूर गायिका आबिदा परवीन को। आबिदा आपा किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। सूफी गायिकी में इनका विशेष स्थान है। आबिदा जी का गायन खालिस सूफियाना अलमस्त अन्दाज का है।
आइडिया सफल
साठ के दशक में एक सूफी संगीत के एक मशहूर फनकार हुआ करते थे, नाम था हैदर शाह जी, अक्सर सक्खर और लारकाना के सूफी दरगाहों पर पाए जाते थे। इनका सूफी संगीत बहुत पापुलर था। लोग इनको दूर-दूर से सुनने आया करते थे। इनके साथ इनका साथ देती थी, इनकी आठ साल की छोटी बच्ची जिसे आज हम आबिदा परवीन के नाम से जानते हैं। धीरे-धीरे बच्ची की आवाज लोगों को भा गई। इनकी आवाज सुनकर हैदराबाद सिंध के एक प्रोड्यूसर शेख गुलाम हुसैन को इनसे सूफी अंदाज में कलाम रिकार्ड करवाने का विचार आया। आइडिया बहुत अच्छा था, और इसके साथ ही आबिदा आपा का पहला एलबम शाह जो रिसालो दुनिया के सामने आया। उसके बाद से आबिदा ने फिर कभी पीछे पलट कर नहीं देखा। सूफी संगीत थोड़ा अलग किस्म का होता है, इसको समझने के लिए हल्का सा अलग टेस्ट चाहिए होता है। अमीर खुसरो, बुल्ले शाह, सचल सरमस्त, कबीर, वारिस शाह के लिखे सूफी कलामों को आबिदा आपा की आवाज में सुनने का अलग ही लुत्$फ आता है। यदि आपने कभी भी आबिदा को नहीं सुना है तो मेरी गुजारिश है कि आप जरूर सुनिए, शुरुआत के लिए आप कुछ आसान से कलामों को सुन सकते हैं। धीरे- धीरे जैसे-जैसे आप इस रस में डूबने लगेंगे तो हर तरह के गीत आपको पसंद आने लगेंगे। ऐसा नहीं है कि आबिदा ने सि$र्फ सू$फी कलाम गाए हैं, ग•ालों और न•ामों को भी उतना ही खूबसूरती से गाया है। ग•ालों पर भी उनके काफी सारे एलबम मिल जाएंगे। यदि आपको आबिदा जी के लाइव प्रोग्राम की सीडी मिल जाए तो जरुर सुनिएगा। मन प्रफुल्लित हो जाएगा।
जगाया गायकी का जादू
1960 के दशक में जब पाकिस्तान में $फरीदा $खानम और इकबाल बानो $ग•ालों के जूड़ों में चमेली के माफिक गुंथ चुकी थीं, सिंध की दरगाहों पर लरकाना के मुहल्ले अली गौहराबाद के हैदर शाह लोक तानें लगाकर सू$िफयाना गायकी का जादू जगा रहे थे।

ऑडिशन में सफल
हैदर शाह के साथ उसकी आठ-नौ वर्ष की बच्ची भी होती थी, जो चुपचाप एक ओर बैठी, अपने पिता की कला के प्रदर्शन को देखती और दर्शकों के अभिवादन को दिल ही दिल में नापती तौलती रहती थी।
यह उस समय की बात है जब रेडियो पर आवाज के ऑडिशन में सफल होना उतना ही महत्वपूर्ण समझा जाता था जितना कि यूरोप और अमेरिका में किसी नवयुवक को ड्राइविंग लाइसेंस मिलना। हैदर शाह की बेटी भी एक दिन रेडियो पाकिस्तान के ऑडिशन में सफल हो गई और उससे समय-समय पर शाह अब्दुल लतीफ भटाई का कलाम गवाया जाता रहा। हैदराबाद स्टेशन पर शैख़ गुलाम हुसैन म्युजिक प्रोड्यूसर हुआ करते थे। यह उनकी नौकरी नहीं बल्कि उनका जुनून था जो उन्हें सदैव नए प्रयोग के लिए बाध्य करता रहता था।
मील का पत्थर साबित
हैदर शाह की बेटी की आवाज सुनकर शै$ख ग़ुलाम हुसैन को विचार आया कि क्यों न $ग•ाल और लोक गायकी के बीच की जो दूरी है उसे समाप्त किया जाए और $ग•ाल को दरबारी रंग से निकालकर उस पर दरगाह वाला रंग चढ़ाया जाए। यह प्रयोग दोनों के लिए मील का पत्थर साबित हुई। 'शाहजु रेसालूÓ गाने वाली हैदर शाह की बेटी का आबिदा परवीन के नाम से प्रसंशा और लोकप्रियता के पथ पर पहला $कदम था, जिसमें उसे शे$ख गुलाम हुसैन के रूप में एक ऐसे गीतकार पति का साथ मिल गया जो 24 घंटे का शिक्षक और मार्गदर्शक भी था।
बैठने का अंदाज निराला
सू$िफयाना रंग में $ग•ाल और कविता गाने वाली स्त्रियों का माइक के सामने बैठने का ढंग इस प्रकार हुआ करता था जैसे स्टेज पर नमा•ा के समय बैठा जाता है, एक हथेली $फर्श पर और दूसरा हाथ शब्दों और सुरों के उतार-चढ़ाव के साथ लगातार सक्रिय। बैठने का यह अंदा•ा सैकड़ों वर्षों के दरबारी परंपरा का नतीजा है।

चिर कड़ा साईयां दा...
आबिदा की पृष्ठभूमि दरबारी न होकर दरगाह वाली गायकी से थी, इसलिए उसने उठने और बैठने का भी वही ढ़ंग अपनाया जैसे कोई ध्यान की अवस्था में किसी म•ाार के सामने आलती-पालती मारकर बैठे। अपने आप से बे$खबर दोनों हाथ हरकत के लिए आ•ााद और सर का हिलना धमाली रचाने के अंदा•ा में। और इस अदा के साथ जब आबिदा ने झूम 'चिर कड़ा साईयां दा, तेरी कत्तन वाली जीवेÓ या 'इक नुक्ते विच गल मकदी एÓ की तान छेड़ी तो पाकिस्तान के कोने-कोने में यह अलाप संगीत के रसियाओं को मुड़ मुड़ कर देखने पर विवश करती चली गई। आबिदा की गायकी में हर एक के लिए कुछ न कुछ है, जो सीधे सरल श्रोता हैं उन के लिए 'जब से तूने मुझे दीवाना बना रखा है, संग हर शखूश ने हाथों में उठा रखा हैÓ जैसा कलाम ही सिर धुनने के लिए काफी है।

सीमा पार आबिदा
1984 में आबिदा परवीन हैदराबाद से स्थाई रूप से कराची चली गईं। यह वह समय है जब पाकिस्तान ने

बाकी दुनिया को नुसरत $फतेह अली $खान के हवाले कर दिया और कुछ ही समय में संगीत के एक दलाल पीटर गैबरियल द्वारा नुसरत की आवा•ा के शेयर संगीत के स्टॉक एक्सचेंज में तेजी से बिकने लगे। नुसरत के बाद आबिदा परवीन ऐसी दूसरी आवा•ा है जिसने सरकारी इलेक्ट्रानिक मीडिया और व्यवासायिक कैसेट मंडी के घेरे को तोड़ते हुए उत्तरी अमेरिका से सुदूर पूरब तक अपना जादू जगाया।

कोई बीस वर्ष पूर्व तक भारत में तीन पाकिस्तानी नाम संगीत के दूत के रूप में जाने जाते थे—नूरजहां, मेंहदी हसन और गुलाम अली। मगर नुसरत $फतेह अली और आबिदा परवीन ने भारत में वही किया जो लता मंगेशकर और मोहम्मद र$फी की आवा•ा ने पाकिस्तान में किया, अथवा हाईवे•ा पर चलने वाली बसों और ट्रकों, शहरों में एक दूसरे से रेस लगाती गाडिय़ों, ड्रॉईंग रूम और गली-मोहल्ले के चाय$खानों पर कब्जा कर लिया। यह वह दोतरफ संगीत कूटनीति है जिसने उस समय से लोगों के दिलों पर जमी बर्फ को पिघलाने का काम प्रारंभ किया, जब क्रिकेट कटनीति और पर्दे के पीछे की कूटनीति जैसी शब्दावली से कोई परचित नहीं था। हालांकि मोहनजोदड़ो की नृत्य करती हुई कन्या दिल्ली के अजायबघर में है लेकिन मोहनजोदड़ो की आवा•ा आबिदा परवीन के रूप में इस्लामाबाद में रहती है।
ढ़ूंढोगे हमें मुल्कों-मुल्कों, मिलने के नहीं नायाब हैं हम..।

होली और आबिदा

पाकिस्तान की महशहूर सूफी गायिका और भारत में लोकप्रिय आबिदा परवीन, होली का जिक्र छेडऩे पर जैसे किसी और ही दुनिया में खो जाती हैं। होली से जुड़ी पाकी•ाा यादें हैं, यह खुशी जो है वो महबूब के आमद की ख़ुशी है, जो दोनों मुल्कों में एक जैसी ही है। बचपन से मुझे याद है कि हर म•ाहब के लोग इसमें शामिल होते थे।
आबिदा परवीन कहती हैं, होली से जुड़ी पाकी•ाा यादें हैं, यह ख़ुशी जो है वो महबूब के आमद की ख़ुशी है जो दोनों मुल्कों में एक जैसी ही है। बचपन से मुझे याद है कि हर म•ाहब के लोग इसमें शामिल होते थे। वे कहती हैं कि होली के दिन रंगों में रंग जाना और हंगामा मचा देना, ये ख़ूबसूरत यादें हैं। जी चाहता है एक बार फिर सब इक्ठ्ठा हों। अब भी वही मोहब्बत है, वही प्यार है। वही समां फिर से बना लें तो क्या रंग जमेगा सचमुच। आबिदा परवीन ने कहा कि होली के रंग जो हैं वो रब के रंग हैं इसका असल मुकाम तो दुनिया को मोहब्बत और अपनेपन के एक ही धागे में बांधना है।

फकीराना गायकी और दीवानगी

कहते हैं कि, संगीत को किसी सरहद में नहीं बांधा जा सकता। जो लोग इस बात में यकीन नहीं करते वे जरा सूफी संगीत के साथ अपना नाता जोड़ लें, सारी हकीकत आइने की तरह साफ हो जाएगी। सीधे और सच्चे लफ्•ा, दिल की गहराइयों में उतरने वाली रिद्म और दीवाना बना देने वाली फकीराना गायकी नामुमकिन है कि कोई भी जज्बाती शख्स इस आलम से खुद को बचा ले जाए।
सदियों से सूफी संत मुहब्बत और प्यार का पैगाम लोगों को दे रहे हैं और यही कारण है कि बदलते वक्त में भी सूफी संतों के कलाम उसी शिद्दत के साथ गाए-गुनगुनाए जाते हैं। जैसे वे पहले-पहल गाए गए होंगे। सूफी संगीत में छुपे मुहब्बत और रूहानियत के पैगाम को युवा संगीत प्रेमी भी बखूबी समझते हंै। यही कारण है कि हाल के दौर में अनेक सूफियाना गीतों ने लोकप्रियता की नई इबारत लिखी है। सुर और ताल की दुनिया में इधर सूफी संगीत को लेकर दीवानगी का आलम है। किसी फिल्म में अगर सूफी संगीत से सजा कोई गीत है तो वह तुरंत हिट हो जाता है, भले ही फिल्म चले या नहीं चले। ऐसे गीत लंबे समय तक संगीत प्रेमियों की जुबान पर भी रहते हैं। जाहिर है कि हिंदी फिल्म उद्योग के संगीतकार अपने गीतों में सूफी संगीत की मधुरता बुन रहे हैं।
और बात जब सूफी संगीत की हो तो आबिदा परवीन के जिक्र के बिना अधूरी ही मानी जाएगी। जानेमाने शायर-गीतकार गुलजार कहते हैं कि, नशा इकहरा ही अच्छा होता है, लेकिन तब क्या किया जाए जब कबीर की रचनाओं के साथ आबिदा परवीन की फकीराना गायकी हो! जाहिर है कि दोनों का अपना नशा है जो सुनने वाले के सिर चढ़कर बोलता है। और न सिर्फ कबीर बल्कि अमीर खुसरो, हजरत वारिस शाह, बाबा बुल्ले शाह और हजरत सचल सरमस्त के लिखे सूफी कलामों को आबिदा की आवाज में सुनने का अलग ही लुत्फ आता है।
आबिदा की गायकी में हर एक के लिए कुछ न कुछ है। जो सीधे, सरल श्रोता हैं उनके लिए 'जब से तूने मुझे दीवाना बना रखा है/ संग हर शख्स ने हाथों में उठा रखा हैÓ जैसा कलाम ही सिर धुनने के लिए काफी है। या फिर 'मन लागो यार फकीरी मेंÓ सुन लीजिए। जितनी बार सुनेंगे, डूबते चले जाएंगे। 'ढूंढ़ोगे हमें मुल्कों मुल्कों/ मिलने के नहीं नायाब हैं हमÓ-कुछ इसी अंदाज में आबिदा परवीन ने सरदहों के घेरों को पार करते हुए अपनी गायकी से हर संगीत प्रेमी को दीवाना बनाया है। उनका एलबम 'सूफी क्वीन-द बेस्ट ऑफ आबिदा परवीनÓ इसी सच्चाई से एक बार फिर हमें रूबरू कराता है। चार सीडी के इस एलबम में कुल जमा सत्ताइस बंदिशें हैं जो आबिदा की आवाज में यूं खिल उठती हैं जैसे बसंत के आने पर बगीचे में फूल खिलते हैं। गुलजार इस एलबम के सूत्रधार हैं जो आबिदा की गायकी को कुछ इस तरह बयां करते हैं कि हर बंदिश को सुनने से पहले ही आप उसकी गिरफ्त में आ जाते हैं। 'कबीर बाई आबिदाÓ- यह है पहली सीडी का टाइटल। जाहिर है कि इसमें आबिदा ने कबीर की रचनाओं को अपने खास अंदाज में पेश किया है। 'मन लागो यार फकीरी मेंÓ, 'सोऊं तो सपने मिलें,जागूं तो मन माहींÓ, 'साहिब मेरा एक हैÓ और 'भला हुआ मेरी मटकी फूटी रेÓ जैसी बंदिशों को एक बार फिर सुनिए, आप इनके असर से शायद ही बच पाएं। कुछ ऐसा ही हाल तब होता है जब आप आबिदा की गायकी में बाबा बुल्लेशाह के कलाम सुनते हैं। 'अब लगन लागीÓ और 'बुल्ले नू समझावन आयाÓ जैसे छह कलाम जिस सीडी में संजोए गए हैं उसे टाइटल दिया गया है- 'आबिदा-बाबा बुल्ले शाहÓ। तीसरी सीडी का शीर्षक है- 'आबिदा-मेरे दिल सेÓ। इसमें हजरत वारिस शाह, हजरत सचल सरमस्त, हजरत जहीन शाह, हजरत ख्वाजा गुलाम अली और हजरत शाह अब्दुल लतीफ के कलाम हैं। 'जिस दिन के साजन बिछड़े हैंÓ, 'अजब नैन तेरेÓ, 'हैरान हुआÓ और 'तूने दीवाना बनाया तो मैं दीवाना हुआÓ जैसे कलाम आप बार-बार सुनना चाहेंगे। एलबम की चौथी सीडी का टाइटल है- 'हीर बाई आबिदाÓ। हीर के जितने भी वर्शन हैं, वे इस एलबम में आबिदा की आवाज में जीवंत हो उठते हैं। सूफी संगीत पसंद करने वाले संगीत प्रेमियों के लिए एक अनुपम एलबम।

लोकप्रिय संगीत
- 'चिर कड़ा साईयां दा, तेरी कत्तन वाली जीवेÓ
- 'इक नुक्ते विच गल मकदी एÓ
'जब से तूने मुझे दीवाना बना रखा है, संग हर शखूश ने हाथों में उठा रखा हैÓ
- ढ़ूंढोगे हमें मुल्कों-मुल्कों, मिलने के नहीं नायाब हैं हम..
- 'जिस दिन के साजन बिछड़े हैंÓ
- 'अजब नैन तेरेÓ
- 'तूने दीवाना बनाया तो मैं दीवाना हुआÓ।


आबिदा के एलबम
1. 'कबीर बाई आबिदाÓ
2. 'आबिदा-बाबा बुल्ले शाहÓ
3. 'आबिदा-मेरे दिल सेÓ
4. 'हीर बाई आबिदाÓ
पाकिस्तान की 56 साल की आबिदा परवीन एशिया और एशिया से बाहर सूफी गायकी के लिए जानी जाती हैं। सूफी गायन के क्षेत्र में उन्हें नुसरत फतेह अली खान का उत्तराधिकारी भी कहा जाता है। लरकाना के मुहल्ले अली गौहराबाद के हैदर शाह की बेटी आबिदा ने 9 साल की उम्र से ही गाना शुरू किया, जो अभी तक जारी है। उनके पहले अलबम शाह जो रिसालो के बाद से उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती गई। उनके पति शैख ग़ुलाम हुसैन भी रेडियो प्रोड्यूसर और गीतकार हैं।

मोहब्बत एक तड़प है : आबिदा
मकबूल पाकिस्तानी सूफी गायिका आबिदा परवीन की राय में संगीत खुदा का पैगाम है, जो किसी भी सूरत में शरीयत के खिलाफ नहीं है। सुर किसी इंसान ने नहीं बनाए हैं बल्कि इसमें पूरी कायनात की आवा•ा है। मुझे ऐसा लगता है कि शरीयत के पहले सुर वजूद में आ गए थे। शरीयत में कहा गया है कि अ•ाान भी सुरीले तरीके से पढ़ें और सुर तो शरीयत से पहले से हैं। अल्लाह कभी मोहब्बत की मुखालफत नहीं करता और इबादत दरअसल मोहब्बत ही है। जिसे हम आलाप कहते हैं वह दरअसल अल्ला आप हैं। मैं तो समझती हूं दोनों मुल्कों के बीच अमन का पुल बनाने का काम संगीत ही कर सकता है और दोनों मुल्कों की जनता के बीच रिश्ते बेहद अच्छे हैं। शायद हमारे रहनुमा भी इससे वाकिफ हैं, तभी तो हमें हिन्दुस्तान आने का वीजा देते हैं।
आबिदा परवीन ने कहा कि आतंकवाद कोई नई ची•ा नहीं है। यह सब तो काफी वक्त से चला आ रहा है, लेकिन मोहब्बत से बड़ा कोई हथियार नहीं है। इसके बल पर पूरी दुनिया को फतह किया जा सकता है। सूफी संगीत को व्यावसायिक नहीं करेंगे तो इसे पूरे जहां तक किस तरह पहुंचाया जाएगा और फिर कलाकार को भी तो अपना घर चलाना है। मेरी तो ख्वाहिश है कि यह सभी के पास तक पहुंचे। अल्लाह के साथ हर वक्त संबंध रखना चाहिए। यह आपकी नीयत पर निर्भर करता है कि आप खुदा को रूह में किस तरह महसूस करते हैं। सुरों से जुड़ाव की जुस्तजू की कोशिश हर वक्त जारी रहनी चाहिए। लोगों को उस रास्ते पर जाना चाहिए, जहां अल्लाह की करम नवाजिश हो। संगीत को खुदा का पैगाम बताते हुए आबिदा परवीन ने कहा कि परवरदिगार ही इस जहां का असली शहंशाह है। किसी मजलिस में जाने से पहले मौला के आगे दुआ मांगकर बैठती हूं और उसी मौला का करम होता है तो मुझे सुनने वालों की इतनी मोहब्बत मिलती है। हमारे सिंध में कलाम को जिस तरह से पढ़ा जाता है, वह पूरी दुनिया से एकदम अलग है। मैं हर गायक से मुतासिर होती हूं और इसे किसी भी तरह धन से नहीं नापा जा सकता। इससे भी मोहब्बत का लेनदेन होता है। अपने पसंदीदा फनकारों के बारे में उन्होंने कहा कि मुझे किशोरी अमोनकर, परवीना सुल्ताना, उस्ताद अमजद अली खान, बड़े गुलाम अली खान साहब और अमीर खान साहब को सुनना बेहद पसंद है और इनके रिकॉर्ड मैं घंटों सुनती रहती हूं। उन्होंने कहा कि फन का कैनवास बहुत बड़ा है। लायक लोग गलतियां नहीं निकालेंगे तो फनकार में सुधार कैसे होगा। मैं खुदा की बहुत शुक्रगुजार हूं कि मुझे ऐसे लोगों की सरपरस्ती मिली जिन्होंने मौसिकी के लिए पूरी जिंदगी लगा दी।
उनके पसंदीदा कलाम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कलाम सभी अच्छे होते हैं सूफी संगीत तड़प का नाम है। सूफी शायरी इंसानियत की जड़ों को म•ाबूत करता है, जो दिल नहीं तड़पता, वह दिल नहीं है। दिल को सुरों में ढाला जाना चाहिए, जिसमें पाकिजगी होगी, वहीं से सच्चाई की बात शुरू होती है। मोहब्बत भी एक तड़प ही है। खुदा तो लोगों के दिलों में है, बस उसे बाहर लाने वाला हो।

मधुर संगीत सुनाने वाले गायक वृक्ष

विचित्र किंतु सत्य

(जीवन में जहां कहां दृष्टि जाती है विचित्रिताएं दिखाई देती हैं। इनमें से कितनी ही हमारी निगाह में आ जाती हैं और वे समाचार के रूप में प्रकाशित भी हो जाती हैं। ऐसी ही विचित्र किंतु सत्य घटनाओं और समचारों का संकलन यहां आपके लिए प्रस्तुत है।)

सीटी देने वाले वृक्ष
 
मनुष्य की सभी इच्छाएं पूरी करने वाला कल्पतरु अस्तित्व में रहा हो या नहीं, पर मनचाहा संगीत सुनाने वाले वृक्षों की कमी नहीं हो रही है।

वेस्टइंडीज में पर्वत की उपत्यकाओं में इस प्रकार के अनेक वृक्ष हैं। इन्हें गायक वृक्ष कहा जाता है। जिस समय घाटी में तेज हवा चलती है, इस वृक्ष की विशेष प्रकार की पत्तियों में से सुरीला स्वर निकलकर वायुमंडल को संगीतमय बना देता है।

सूड़ान में एक वृक्ष है, जिसे सीटी देने वाल वृक्ष कहा जाता है। उसकी शाखाओं में प्रायः कीड़े लग जाते हैं, जिसके कारण वे फुटबॉल की तरह फूल जाते हैं। कीड़ा एक छेद बनकर बाहर निकलता है।

जब तेज हवा चलती है, तब वह उस छेद से फूले हुए अंग में घुसकर तेज सीटी की आवाज पैदा करता है। यह आवाज बांसुरी के स्वर की भांति ताल और लयबद्ध होती है और बहुत प्यारी लगती है।

अनूठी है कौड़ी कला की हस्तशिल्प विरासत

अनूठी है कौड़ी कला की हस्तशिल्प विरासत
चंदन भाटी
बाड़मेर: एक जमाने में मुद्रा के रूप में उपयोग की जाने वाली कौड़ियों को वर्तमान में बहुत उपयोगी नहीं माना जाता। आज ‘कौड़ियों के भाव’ मुहावरे का अर्थ किसी चीज को बहुत सस्ते में खरीदना या बेचना माना जाता हैं। कभी मूल्यवान रहीं ये कौड़ियां धीरे-धीरे घर-परिवारों से लुप्त होती जा रही हैं, लेकिन राजस्थातन के बाड़मेर जिले के हस्तशिल्पियों ने अपनी सृजनात्मक ऊर्जा के बल पर कौड़ियों को साज-सज्जा के एक अद्भुत साधन का रूप प्रदान करने का सफल प्रयास किया है।  

बाड़मेर जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर स्थित देरासर गांव की रामदियों की बस्ती की हस्तशिल्पी श्रीमती भाणी, मिश्री खां व उनके साथियों ने कौड़ियों का नया संसार रच डाला है। कौड़ियों को रंग-बिरंगे धागों, झालरों को बारीक कसीदे और गोटों से खूबसूरती से गूंथकर पशुओं के श्रृंगार तथा घरेलू सौन्दर्य को बढ़ाने के लिए इस्ते माल किया जाता रहा है। लेकिन, आधुनिक जरूरतों को देखते हुए हस्तशिल्प को विस्तांर देने और उसके लिए बाजार बनाने का प्रयास हो रहा है।


इस गांव के ज्यादातर हस्तशिल्पी मुसलमान (रामदिया) हैं तथा पशुपालन व विक्रय धंधा करते हैं। 95 घरों वाले इस गांव में पच्चीस घर रामदिया मुसलमानों के हैं, जो गुजरात और महाराष्ट्र के विभिन्न पशु मेलों में शरीक होकर पशु क्रय-विक्रय का धंधा करते हैं। ऐसे ही एक मेले में मिश्री खां अपनी पत्नी भाणी के साथ गुजरात गए, जहां ऊंट और घोड़ों के श्रृंगार को देखकर बेहद प्रभावित हुए। बैलों के श्रृंगार के लिए कौड़ियों की बनी मोर कलिया, गेठिये, घोडी के श्रृंगार के लिए मृणी लगाम, गोडिए, त्रिशाला और ऊंटो के लिए बने पऊछी गोरबन्ध मुहार, मोर आदि कौड़ी कला को देखकर आधुनिक नमूने तैयार करने के विषय में पूछताछ कर यहीं से इस दम्पति ने नई जिन्दगी की शुरूआत की।


भाणी का पुश्तैनी कार्य कांच-कसीदाकारी का तो था ही, साथ ही भाणी ने इसी दौरान कौड़ी काम भी सीख लिया। पशु श्रृंगार की सामग्री के साथ-साथ भाणी ने गुडाल तथा अन्य झोपडों के लिए तोरण-तोरणिएं तथा अपाण के पलों पर कडों कौड़ी, खीलण कांच और भरत का कार्य करने में भी महारत हासिल कर ली। मुसलमान, मेघवाल आदि जातियों की शादियों पर कौड़ियों वाले मोर पर तो आज भी गांव वाले मोहित हैं। भाणी ने परम्परागत कौड़ी कला कार्य इण्डाणी गोरबन्ध के साथ-साथ इसी कला के थैले, पर्स बनाने आरम्भ कर दिए।


हस्तशिल्पी बताते हैं कि कौड़ी कला युक्त इण्डाणियों की मांग शहर में बहुत हैं। शहर वाले परम्परागत इण्डानियों को देखकर मोहित हो जाते हैं। भाणी झालर वाली, बिना झालर वाली और बिना फुन्दी वाली इण्डाणी बनाती हैं। झालर वाली इण्डाणी बीस इंच लम्बी होती हैं, जिसके कारण शिल्पकार को इसे तैयार करने में तीन दिन लग जाते हैं। इस इण्डाणी में आधा किलो कौड़ी और लगभग डेढ़ सौ ग्राम ऊन लग जाता है। बिना झालर व फुन्दे वाली इण्डाणी एक ही दिन में तैयार हो जाती हैं। इसमें 100-125 ग्राम कौड़ी का उपयोग होता हैं। बिना झालर व फुन्दी वाली इण्डानी बनाने में एक दिन का समय लगता हैं।


झालर वाली इण्डाणी में मूंजवाली रस्सी को गोलकर कपड़े से सिलाई कर दी जाती है और कौड़ी में बंद करके उसे कपड़े पर सील दिया जाता है। कौड़ी कला के कद्रदान आज कम बचे हैं। सरकारी स्तर पर इन हस्तशिल्पियों को सरंक्षण नहीं मिलने के कारण ये फाकाकशी में दिन गुजार रहे हैं। कौड़ी कला के हस्तशिल्पी देश भर में कम ही बचे हैं। मिश्री खान को दाद तो खूब मिलती है, मगर दो जून की रोटी का जुगाड़ करने में कोई मदद नहीं करता।

खतरे में सिन्धु सभ्यता

खतरे में सिन्धु सभ्यता


भारत विभाजन के बाद प्राचीनतम सिन्धु घाटी सभ्यता की मुख्य धरोहर पाकिस्तान में चली गयी। अब तक सिन्धु सभ्यता के लगभग 350 से भी अधिक स्थल प्रकाश में आ चुके हैं, जिनमें से सात मोहनजोदड़ो, हडप्पा, चान्हूदाड़ो, कालीबंगा, लोथल, सुरकोतदा और वनवाली को ही नगर माना जाता है।
 


हड़प्पा और मोहनजोदड़ो आज पाकिस्तान में हैं। हड़प्पा पाकिस्तान के मान्टुगुमरी जिले में स्थित है, जहां उत्खनन में एक टीले के परकोटे के नीचे तल्ले के 20 फीट गहरे निक्षेप से टीकरे उपलब्ध हुए तथा यहां पर निर्मित दुर्ग समानान्तर चतुर्भुज आकार के हैं। इसकी भीतरी इमारत भूमितल से 25 फीट ऊपर कच्ची मिट्टी के ईंटों पर निर्मित है, जिसके चारों ओर रक्षात्मक किलेबन्दी की गयी है। इसमें कालान्तर में बुर्ज व पुश्ते भी जोड़े गए थे और उत्तर-पश्चिम में प्रवेशद्वार बने हुए हैं।
 
हडप्पा में पाए गए दो खण्ड वाला अन्नागार सबसे महत्वपूर्ण भवन है, जो 23 फीट चौड़े मार्ग के दोनों ओर बना है। इसके प्रत्येक खंड़ में छह कक्ष हैं, जिनमें वायु परिवहन के लिए अनेक नलिकांए बनी हैं। दूसरा महत्वपूर्ण नगर मोहनजोदड़ो है। यह पाकिस्तान के सिन्ध प्रांत में पड़ता है और हड़प्पा की ही तरह एक टीला है। यहां उत्खनन में एक दुर्ग और नगर मिला है। दुर्ग का चबूतरा 43 फीट चौड़े कच्ची ईंटों के बांध से बंधा हुआ है। चबूतरे के तल के साथ एक पक्की ईंटों की बड़ी नाली बनाया गयी थी।
   
निर्माण विधि तथा नगर नियोजन की विधि से यह पता चलता है कि यहां पर बाढ़ आने का खतरा रहता था तथा यहां के निवासी बाढ़ से बचने का उपाय करते थे। मोहनजोदड़ो में एक विशाल अन्नागार और अन्नागार से उत्तर-पश्चिम में स्थित तक लंबी एक विशाल इमारत पायी गयी है। प्रसिद्ध इतिहासकार इश्वरी प्रसाद ने मोहनजोदड़ो के नगर निर्माण की स्पष्ट उल्लेख करते हुए कहते हैं ‘मुख्य मार्गों का जाल, शहर के भवनों के छह या सात खंड़ों में विभाजित करता है। मकानों के दरवाजे मुख्य मार्ग की अपेक्षा गलियों में खुलते थे। मकानों में प्रायः एक आंगन, कुंआ, स्नानागार और शौचगृह पाया गया है तथा पानी के निकास के लिए नालियों की सुनियोजित व्यवस्था थी। एक विशाल साफ-सुथरे फर्श वाला भवन भी मिला है।’ मोहनजोदड़ो से प्राप्त अन्य साम्रगियों में ताम्र व कांसे के भाले, चाकू, छोटी तलवारें, बाणग्र, कुल्हाड़ी उस्तरे आदि हैं।

यूनेस्को ने मोहनजोदड़ो को विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किया है। मगर मोहनजोदड़ो आज पाकिस्तान में है और हालिया स्थिति यह है कि यह सिन्ध सरकार के जिम्मे है। सिन्ध इलाके का भूजल खारा है और वहां पानी में नमक ज्यादा होने के कारण मोहनजोदड़ो के बचे अवशेष की नींव धीरे-धीरे कमजोर हो रही है, जो अततः देखरेख के अभाव में इसके वजूद को खत्म कर देगा।

पाकिस्तान की सबसे बड़ी समस्या उसकी इतिहास के प्रति उपेक्षापूर्ण रवैया है। पाकिस्तान अपने वजूद के इतिहास को ही मानता है। भारत के साथ पाकिस्तान का साझा इतिहास बहुत गौरवशाली होने के बावजूद वह उसकी अवहेलना ही करता रहा है। नतीजतन मोहनजोदड़ो व हडप्पा जैसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहरों की देखरेख पाकिस्तान नहीं कर रहा है।

कुछ दिन पहले एक अखबार के संपादक ने अपने संपादकीय ‘पुरखों की धरोहर’ लिखा था जिसमें उन्होने लिखा था कि पाकिस्तान में कुछ लोग तो यह कहने लगे हैं कि इन्हें बचाने के लिए इन्हें फिर से मिट्टी से ढ़क देना चाहिए। पाकिस्तान सरकार और वहां के लोगों को यह समझना होगा कि उनके लिए अपने इतिहास को स्वीकार करना जरूरी है। सोचने की बात यह है कि जिसे खुदाई कर निकाला गया है उसे पुनः मिट्टी से ढ़क देना वेबकूफी नहीं तो और क्या कहलाएगा।

गौरतलब है कि सिन्धु लिपि की जानकारी सर्वप्रथम 1953 ई. में हो गयी थी और लिपि की खोज 1923 ई. में पूरी हो गयी। मगर अभी तक यह पढ़ी नहीं जा सकी है। लिपि के नहीं पढ़े जाने तक खुदाई से प्राप्त साम्रगियों को ही हम सिन्धु सभ्यता के श्रोतों की तरह प्रयोग में लाते हुए लिपि को पढ़ने में मदद लेते रहे हैं, इसलिए भी इन धरोहरों को बचाना जरूरी है। पाकिस्तान संग्रहालय में पुरातात्विक महत्व की वस्तुएं गायब हो चुकी हैं और ऐतिहासिक दृष्टिटकोण से पाकिस्तान का संग्रहालय एक खाली अलमारी की भांति है।

मोहनजोदड़ो के अवशेष तृतीय सहस्राब्दी के उत्तरार्ध की एक सुविकसित नागरीय सभ्यता का परिचय देते हैं। यहां ताम्रपाषाणिक युग की सभ्यता के प्रचुर अवशेष प्राप्त हुए हैं। अभी तक उत्खनित सिन्धु घाटी के प्रागैतिहासिक स्मारकों का यद्यपि अध्ययन सतर्कतापूर्वक विभिन्न दृष्टिकोण से किया जा चुका है, परंतु अभी तक की शोधों का सर्वाधिक अद्भुत अंश सिन्धु सभ्यता के अभिलेखों को पढ़ना अभी शेष है।

प्राचीन भारत के इतिहास के दो महत्वपूर्ण स्रोतों में एक साहित्यिक व दूसरा पुरातात्विक है। पुरातात्विक स्रोत का प्रयोग इतिहास के रूपरेखा तथा ऐतिहासिक तथ्यों के निर्धारण के लिए दो प्रकार यथा प्रतिपादक रूप में व समर्थक रूप में से किया जाता है। पुरातत्व वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित होने के कारण बहुत ही महत्वपूर्ण स्रोत है। उत्खनन के बाद सिन्धु घाटी के जो सात महत्वपूर्ण नगर प्रकाश में आए हैं उनमें मोहनजोदड़ो व हडप्पा आज पाकिस्तान में स्थित है और बदहाली का दंश झेल रहा है।

‘इतिहास गवाह है कि हम इतिहास से नहीं सीखते।’ कभी विस्टन चर्चिल ने कहा था। उल्लेखनीय है कि 1915 ई. में पहली बार शुलतुन के जंगल में माया सभ्यता का एक महत्वपूर्ण शहर का पता चला था जो 16 वर्ग मील में फैला हुआ था जिसे खुदाई के द्वारा बाहर निकालने में अगले दो दशकों का समय भी कम है। लगभग 250 से 900 ईसा पूर्व माया नाम की एक प्राचीन सभ्यता का उदय ग्वाटेनमा, मैक्सिको, होडुरास और यूकाटन प्रायद्वीप में हुआ था।

माया सभ्यता का उल्लेख करने का तात्पर्य यह है कि माया सभ्यता पर अगर अब तक गंभीरता से कार्य किया गया होता तो आज हम लोगों को कई महत्वपूर्ण जानकारियां होतीं, जिसका लाभ उठाते हुए हम अपने वर्तमान और भवि”य को सुनहरा बना सकते थे। इसी तरह भारत की सिन्धु घाटी सभ्यता के लिपि के अब तक नहीं पढ़े जाने के कारण अभी सिन्धु सभ्यता के कई रहस्यों जैसे सिन्धु घाटी का उदय व पतन कैसे हुआ, से पर्दा उठना बाकी है।

पाकिस्तान जिस तरह के राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक मुश्किलातों से गुजर रहा है कि ऐसी स्थिति में पाकिस्तानी सरकार से यह उम्मीद करना बेमानी है कि वे ऐतिहासिक धरोहर मोहनजोदड़ो व हड़प्पा के बारे में सोचे। अतः भारत को भी चाहिए कि पाकिस्तान को हडप्पा व मोनजोदड़ो जैसे ऐतिहासिक धरोहरों को बचाए रखने के लिए प्रेरित करे। वैसे इतिहास के प्रति उदासीन रवैया पाकिस्तान में वर्तमान अस्थिरता की जड़ में है।

बाड़मेर सरकारी समाचार कलेक्ट्रेट परिसर से


मुख्यमंत्री ब्याज मुक्त फसली ऋण योजना का शुभारम्भ


सरकार किसानों के लाभ को कृत संकल्प चौधरी

बाडमेर, 7 नवम्बर। जिले के प्रभारी मंत्री दिलीप चौधरी ने कहा है कि राज्य सरकार किसानों के लाभ के लिए कृत संकल्प है तथा सहकारिता के माध्यम से किसानों को कृशि की बेहतर सुविधाओं के साथ साथ पूंजी संबंधी समस्याओं का भी समाधान कर रही है। वह सिवाना उपखण्ड के पादरू कस्बे में बुधवार को राज्य सरकार के फलेगिप कार्यक्रम मुख्यमंत्री बयाज मुक्त फसली ऋण योजना का भाुभारम कर रहे थे।

इस अवसर पर चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री आोक गहलोत द्वारा फलेगिप का दायरा बाते हुए मुख्यमंत्री ब्याज मुक्त फसली ऋण योजना की घोशणा की गई है, जिसके तहत दी बाडमेर सैन्ट्रल कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड द्वारा जिले में विोश रबी ऋण वितरण अभियान 7 नवम्बर से 10 नवम्बर तक चलाया जाएगा। उन्होने बताया कि मुख्यमंत्री किसानों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे है तथा सहकारिता के माध्यम से उन्हें बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध करवा कर साहुकारों के चगुल से मुक्ति दिलाई जा रही है।

चौधरी ने बताया कि इस विोश फसली ऋण वितरण अभियान के अन्तर्गत जिले के कातकारों को जिले की सहकारी समितियों एवं बैंक की भाखाओं के माध्यम से रबी फसल हेतु ऋण वितरण किया जाएगा। उन्होने बताया कि मुख्यमंत्री फसली ऋण योजना के तहत रबी ऋण वितरण अभियान का आज से भाुभारम्भ किया जा रहा है तथा स्वयं मुख्यमंत्री जयपुर से जिलों के प्रभारी मंत्री जिला मुख्यालय से ऋण वितरण योजना का भाुभारम्भ कर रहे है।

इस अवसर पर जिला प्रमुख श्रीमती मदन कौर ने कहा कि खेती में किसानों को खाद बीज के साथ धन की कमी का भी सामना करना पड रहा है, ऐसे में राज्य सरकार इस अभियान से किसानों को संजीवनी मुहैया हो सकेगी। उन्होने किसानों को ऋण लेने के बाद अपने दायित्वों से अवगत कराते हुए समय पर इसका चुकारा करने को कहा।

इससे पूर्व जिला कलेक्टर भानु प्रकाश एटूरू ने मुख्यमंत्री ब्याज मुक्त फसली ऋण योजना से अवगत कराते हुए किसानों को इसका लाभ उठाने का आहवान किया तथा समय पर ऋण अदायगी का भी अनुरोध किया। उन्होने बताया कि जिले में अधिक से अधिक किसानों को सहकारिता के दायरे में लाने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड से वंचित कृशकों के लिए विोश अभियान चलाया जाएगा। अभियान से पूर्व राजस्व विभाग द्वारा किसान क्रेडिट कार्डो से वंचित कृशकों को चिन्हित किया जाएगा।

कार्यक्रम के दौरान पादरू क्षेत्र की सहकारी समितियों के कृशक सदस्यों को लगभग 3 करोड रूपये का रबी ऋण वितरण चैक के माध्यम से किया गया। बीसीसी के अध्यक्ष डूंगराराम चौधरी तथा प्रबन्ध निदेशक राजेन्द्र चौधरी ने योजना की विस्तृत जानकारी दी तथा अन्त में आभार व्यक्त किया। इससे पूर्व प्रभारी मंत्री ने पादरू में नव निर्मित राजीव गांधी सेवा केन्द्र का फीता काटकर उद्घाटन किया।

निशोधाज्ञा लागू दीपावली पर कानून


व्यवस्था के पुख्ता प्रबन्ध
बाडमेर, 7 नवम्बर। जिला मजिस्ट्रेट भानु प्रकाश एटूरू ने जिले में दीपावली का पर्व भांति पूर्वक रूप से मनाने तथा कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए दण्ड प्रकिया संहिता की धारा 144 के तहत निशोधाज्ञा जारी की है।

जिला मजिस्ट्रेट एटूरू ने बताया कि दीपावली पर्व के मद्दे नजर असामाजिक तत्वों से जिले में एलपीजी गोदाम, पेट्रोल पम्प, भूमिगत केरोसीन डिपों तथा अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर आगजनी की आांका को समाप्त करने के लिए जन सामान्य द्वारा अग्निवाहक पटाके, बारूद का प्रयोग एवं आतिबाजी पर प्रतिबन्ध रहेगा।

आदो के तहत दीपावली पर जिले में सायं 6.00 बजे से रात्रि 10.00 बजे तक ही आतिबाजी की जा सकेगी एवं रात्रि 10 बजे के पचात प्रातः 6 बजे तक पटाखे नहीं छोडे जाएगे एवं अन्य आतिबाजी भी नहीं की जा सकेगी। जिले में कोई भी व्यक्ति अस्त्र भास्त्र, तेज धार वाले भास्त्र, लाठी, स्टीक इत्यादि साथ लेकर सार्वजनिक स्थानों पर विचरण नहीं करेगा, न ही ऐसे अस्त्र भास्त्र, तेज धार वाले भास्त्रों का किसी प्रकार से प्रदार्न करेगा, लेकिन यह प्रतिबन्ध भास्त्र अनुज्ञाधारियों अथवा नवीनीकरण संबंधी एवं थाने में जमा कराने हेतु विचरण करने वाले अनुज्ञाधारियों पर लागू नहीं होगा। सिक्ख समुदाय के व्यक्तियों को धार्मिक परम्परा के अनुसार नियमानुसार निर्धारित कृपाण रखने की छूट होगी। यह प्रतिबन्ध सीमा सुरक्षा बल, राजस्थान भास्त्र पुलिस, सिविल पुलिस, होमगार्ड, सेना एवं उन राज्य एवं केन्द्र कर्मचारियों पर जो कि कानून व भांति व्यवस्था के संबंध में अपने पास हथियार रखने को अधिकृत किये गये है, उन पर लागू नहीं होगा।

आदोानुसार कोई भी व्यक्ति इस दौरान किसी भी प्रकार के घातक रसायनिक पदार्थ, विस्फोटक पदार्थ एवं घातक तरल पदार्थ बोतल मे लेकर विचरण नहीं करेगा। जिले में कोई भी व्यक्ति इस दौरान ध्वनि विस्तारक यन्त्रों का उपयोग बिना संबंधित उपखण्ड मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति के नहीं करेगा। इसी प्रकार अग्निवाहक पटाके यथा राकेट, चिडिया, हवाई जहाज, हवाई पटाके, सिटी पटाके एवं सूतली बम्ब का प्रयोग सार्वजनिक स्थलों तथा घास डिपो, बस स्टेण्ड, सिनेमा, रेल्वे स्टोन, विद्यालयों, पेट्रोल पम्पों, गैस गोदामों, अस्पतालों, पोस्ट ऑफिस एवं औद्योगिक क्षेत्र के 500 मीटर की परिधि में नहीं किया जाएगा। यह आदो 18 नवम्बर को सायं 6 बजे तक अथवा अन्य आदो होने तक जो भी पूर्व हो, प्रभावाील रहेगा। आदो की अवहेलना करने पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 एवं अन्य विधिक प्रावधानों के अन्तर्गत कार्यवाही की जाएगी।

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राज. अनुसूचित जाति आयोग अध्यक्ष

गोपाराम मेघवाल आज समदडी आएगें


बाडमेर, 7 नवम्बर। राजस्थान अनुसूचित जाति आयोग अध्यक्ष गोपाराम मेघवाल आज समदडी आएगें।

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार राज. अनुसूचित जाति आयोग अध्यक्ष मेघवाल 8 नवम्बर को प्रातः 9.00 बजे जोधपुर से प्रस्थान कर प्रातः 11.00 बजे समदडी पहुंचेगे। वे 9 से 13 नवम्बर तक बाडमेर जिले में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेगे एवं अभाव अभियोगों की सुनवाई करेंगे। मेघवाल 14 नवम्बर को दोपहर 2.00 बजे समदडी से प्रस्थान कर रामदेवरा जाएगें तथा 15 नवम्बर को दोपहर 12.00 बजे पुनः समदडी पहुंचेगे। इसके पचात वे 16 नवम्बर को समदडी से प्रातः 9.00 बजे जयपुर के लिए प्रस्थान कर जाएगें।


राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी कल बाडमेर आएगें


बाडमेर, 7 नवम्बर। राजस्व, उप निवोन एवं जल संसाधन मंत्री हेमाराम चौधरी भाुक्रवार सायं बाडमेर आएगें।

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार राजस्व मंत्री चौधरी 9 नवम्बर को दोपहर 2.00 बजे रामदेवरा से प्रस्थान कर सायं 6.00 बजे बाडमेर पहुंचेगे। वे 10 से 17 नवम्बर तक बाडमेर जिले तथा विधानसभा क्षेत्र का दौरा कर लोगों के अभाव अभियोग सुनेंगे तथा स्थानीय कार्यक्रमों में भाग लेंगे।

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बीस सूत्री समीक्षा बैठक 10 को

बाडमेर, 7 नवम्बर। बीस सूत्री आर्थिक कार्यक्रम वर्ष 201213 के लिये आवंटित लक्ष्यों के विरूद्ध माह अक्टूबर तक अर्जित उपलब्धियों की समीक्षा हेतु 20 सूत्री कार्यक्रम के सन्दर्भ में गठित जिला द्वितीय स्तरीय मासिक समीक्षा बैठक जिला कलेक्टर भानु प्रकाश एटूरू की अध्यक्षता में 8 नवम्बर को प्रातः 10.00 बजे कांफ्रेन्स हॉल में आयोजित की जाएगी।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी एल.आर. गुगरवाल ने संबंधित अधिकारियों को माह अक्टूबर, 2012 तक अर्जित उपलब्धियों की सूचना सहित निर्धारित समय पर बैठक में उपस्थित होने के निर्देश दिए है।

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जैसलमेर विभिन्न मामलो में चार गिरफ्तार ..अवेध शराब बरामद

अवैध हथकडी शराब बेचते 01 गिरफतार

जैसलमेर पुलिस अधीक्षक जिला जैसलमेर ममता राहुल के निर्देशानुसार शराब तस्करों के विरूद्ध चलाये जा रहे अभियान के तहत मंगलवार को देवीसिंह स.उ.नि. मय जाब्ता द्वारा मुखबीर ईतला पर सरहद सेउवा से महेन्द्रसिंह पुत्र करतारसिंह जाति बावरी हाल नि0 सादा को अवैध हथकडी शराब बेचते गिरफतार किया गया।


सार्वजनिक स्थान टेप चलाना महंगा पडा, 01 गिरफतार

जैसलमेर पुलिस थाना रामग के हल्खा क्षैत्र में दौराने हल्खा गश्त देवीसिंह सउनि मय जाब्ता द्वारा सरहद रायमला से सतनाम पुत्र सुखदेव बावरी हाल जैसलमेर को सार्वजनिक स्थान पर ट्रेक्टर पर तेजगति से टेप बजाकर ध्वनि प्रदूषण करते हुए पाया जाने पर गिरफतार किया गया।




जैसलमेर  गुबाखाई करते 02 गिरफतार

जैसलमेर पुलिस थाना जैसलमेर के हल्खा क्षैत्र में अलगअलग जगह पर पर्चियॉ काटकर गुबाखाई करते हुए पाया जाने पर दो  को गिरफतार किया गया।

पुलिस थाना जैसलमेर के हल्खा क्षैत्र में कल दिनांक 06.11.2012 को डामराराम सउनि मय जाब्ता द्वारा गडीसर प्रोल के पास पर्चियॉ काटकर जुआ खेलते हुए पाया जाने पर संतोषपुरी पुत्र चन्दनपुरी को गिरफतार किया गया। इसी प्रकार पुलिस थाना जैसलमेर के ही हल्खा क्षैत्र में आम्बाराम सउनि मय जाब्ता द्वारा सत्यदेव पार्क में कैलाश पुत्र भोजराज माली निवासी ब्बि पाडा जैसलमेर को पर्चियॉ काटकर जुआ खेलते हुए पाया जाने पर गिरफतार किया।

जैसलमेर बुधवार आज के सरकारी समाचार




जैसलमेर में मुख्यमंत्री ब्याज मुक्त फसली ऋण योजना
रबी ऋण वितरण अभियान व इफको संचार सेवा का शुभारम्भ हुआ चाँधन से
जिलाप्रमुख ने किसानों के लिए बताया वरदान
जैसलमेर, 7 नवम्बर/ राज्य सरकार की भावना के अनुसार रबी फसली ऋण वितरण में अधिक से अधिक काश्तकारों को लाभान्वित करने के लिए जैसलमेर जिले में जैसलमेर केन्द्रीय सहकारी बैंक की ग्राम सेवा सहकारी समिति मुख्यालयों पर राशि बीस करोड़ के ऋण वितरण कार्यक्रम का शुभारंभ बुधवार को चाँधन से हुआ जहां चांधन ग्राम सेवा सहकारी समिति मुख्यालय पर जिला प्रमुख अब्दुला फकीर एवं बैंक अध्यक्ष देवीसिंह भाटी ने किसानों को ऋण वितरण कर किया।   इस योजना के अन्तर्गत 10 नवम्बर तक जिले में ऋण वितरण का कार्यक्रम अभियान के तौर पर चलाया जाएगा।
ऋण वितरण समारोह के मुख्य अतिथि जिला प्रमुख  अब्दुल्ला फकीर ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि जनप्रिय मुख्यमंत्री ने राज्य की जनता के लिए एक से बढ़कर एक योजनाएं प्रारम्भ कर आमजन को अधिकाधिक लाभ पहुंचाया है।
जिला प्रमुख ने कहा कि पहले काश्तकारों को खेती के लिए सेठसाहूकारों से ऊँची ब्याज दर पर गहने गिरवी रखने की विवशता थी और इस वजह से किसानों के आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता था।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा ब्याज अनुदान योजनाओं से काश्तकारों को बहुत बडी राहत मिली है। समय पर ऋण जमा कराने वालों काश्तकारों को राहत से काश्तकारों में खुशी की लहर दौड़ गई है। इस ऋण वितरण अभियान में अनुसूचित जातिअनुसूचित जनजातिअल्पसंख्यकों,लघु व सीमांत कृषकों को प्राथमिकता दी जा रही है। जिला प्रमुख ने इन योजनाओं का पूरा लाभ लेने का आह्वान किसानों से किया।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए जैसलमेर सैण्ट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष  देवीसिंह भाटी ने बताया कि रबी ऋण वितरण अभियान में ग्राम सेवा सहकारी समिति मुख्यालयों पर आयोजित शिविरों में बैंक द्वारा 20 करोड़ रुपये ऋण वितरण करने के लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं।
भाटी नेे काश्तकारों से आह्वान किया कि इस योजना का अधिकाधिक फायदा लेने के लिए सहकारी समितियों से ज्यादा से ज्यादा जुडें़ और सहकारी समितियों से लिये गये ऋण का समय पर समितियों को वापिस जमा कराएं।  इसके साथ ही सहकारी समितियों के मिनी बैंक एवं सहकारी बैंक में अपनी-अपनी छोटी बचत राशि को अमानतों में जमा कराएं जिससे उनको व्यावसायिक बैंकों की तुलना में अधिक ब्याज भी मिल सके। इससे बैंक में जमा अमानतों का जिले के किसानों के विकास के लिए ऋण रूप से वितरित होगा।
बैंक अध्यक्ष ने आश्वस्त किया कि बैंक द्वारा चांधन में बैंक की नई शाखा खोलने की कार्यवाही चल रही है। विभाग से स्वीकृति प्राप्त होने पर अतिशीघ्र बैंक शाखा आरम्भ कर दी जाएगी।
इस अवसर पर पर जिला प्रमुख अब्दुल्ला फकीर एवं बैंक अध्यक्ष देवीसिंह भाटी द्वारा मौके पर ही चांधन ग्राम सेवा सहकारी समिति के 70 काश्तकारों को राशि रुपये 26.53 लाख अल्पकालीन रबी ऋण के चैक वितरित किये गये।
इनमें अल्पसंख्यक वर्ग के 21 सदस्यों को राशि रुपये 8.76 लाखअनुसूचित जाति के 8सदस्यों को राशि रुपये 3.16 लाखअनुसूचित जनजाति के सदस्यों को राशि रुपये 0.93 लाख व अन्य वर्ग के 39 सदस्यों को राशि रुपये 13.68 लाख के ऋण वितरण किये गये।
उपस्थित काश्तकारों को चांधन ग्राम सेवा सहकारी समिति के भूतपूर्व उपाध्यक्ष अजीम खां एवं चांधन ग्राम सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष हरिसिंह ने भी सम्बोधित किया।
प्रदेश के 26 लाख किसान होंगे लाभान्वित
जैसलमेर केन्द्रीय सहकारी बैंक के प्रबन्ध निदेशक बी. एल. मीणा ने बताया कि मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री फ्लेगशीप योजना का दायरा बढते हुए मुख्यमंत्री ब्याज मुक्त फसली ऋण योजना की घोषणा कर प्रदेश के 26 लाख काश्तकारों को राशि रुपये 9731.00 करोड़ के ब्याज मुक्त अल्पकालीन फसली सहकारी ऋण वितरण की घोषणा की है।
बैंक के प्रबन्ध निदेशक बी. एल.  मीणा ने भी काश्तकारों को समय पर ऋण चुका कर शून्य प्रतिशत ब्याज योजना का लाभ उठाने की जानकारी दी। समारोह में बैंक एवं सहकारिता से सम्बद्ध विभिन्न अधिकारीगण उपस्थित थे।
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जिला यातायात प्रबन्धन समिति की बैठक गुरुवार को
       जैसलमेर, 7 नवम्बर/ जिला यातायात प्रबन्धन समिति की बैठक 8 नवम्बर,गुरुवार को प्रातः 11 बजे जिला कलक्टर जैसलमेर श्रीमती शुचि त्यागी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में रखी गयी है। बैठक में जिले की परिवहन व्यवस्था को ओर अधिक सुविधाजनक,पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने के लिये विविध पहलुओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया जाएगा। यह जानकारी सदस्य सचिव एवं जिला परिवहन अधिकारी जैसलमेर अनिल पण्ड्या ने दी।       
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बीस सूत्री कार्यक्रम ,द्वितीय स्तरीय समिति की समीक्षा बैठक शुक्रवार को
      जैसलमेर 7 नवम्बर/ जिले में बीस सूत्री कार्यक्रम के सफल आयोजन ,क्रियान्वयन एवं समन्वय बनाए रखने के लिए जिला स्तर पर गठित द्वितीय स्तरीय समिति की समीक्षा बैठक 9 नवम्बर शुक्रवार को दोपहर एक बजे  जिला कलक्टर शुचि त्यागी की अध्यक्षता में कलेक्टे्रट सभागार में रखी गई है। बैठक में बीस सूत्री कार्यक्रम की माह अक्टूबर, 2012 तक की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। यह जानकारी प्रभारी अधिकारी बीस सूत्री कार्यक्रम,जैसलमेर ने दी।
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संयुक्त जांच अभियान में 120 वाहनों का चालान, 2 लाख 54 हजार रुपए वसूली
जैसलमेर, 7 नवम्बर/ जिले में परिवहन एवं पुलिस विभाग के संयुक्त तत्वावधान में चलाए गए जांच अभियान के दौरान कुल 120 वाहनों का चालान किया गया जिसमें बस, 2मिनी बस, 25 टैक्सी, 14 कार-जीप, 37 ट्रक , 10 ऑटोरिक्शा एवं 24 अन्य वाहनों का चालान किया जाकर लाख 54 हजार 400 रुपए की राजस्व वसूली की गई।
जिला परिवहन अधिकारी अनिल पण्ड्या ने यह जानकारी देते हुए बताया कि जांच अभियान के दौरान बिना पंजीयन के 9 ,बिना फिटनेस के 18, बिना परमिट के 9, प्रदूषण शर्तो के उल्लंघन के 8 , बकाया टैक्स के 24, ओवरलोडिंग के 18, ओवरक्राउडिंग के 31 वाहनों का चालान किया गया वहीं 33 वाहन सीज किए गये।
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पोकरण में औद्योगिक प्रोत्साहन शिविर शुक्रवार को
जैसलमेर, 7 नवम्बर/ जिला उद्योग केन्द्र के तत्वावधान में पंचायत समिति सांकड़ा मुख्यालय पोकरण में एक दिवसीय औद्योगिक प्रोत्साहन शिविर का आयोजन शुक्रवार, 9 सितम्बर को रखा गया है।
महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र ने विकास अधिकारी पंचायत समिति सांकड़ासहायक क्षेत्रीय प्रबंधक रीकोसहायक प्रबंधक राजस्थान वित्त निगमलीड बैंक अधिकारी ,जिलाधिकारी खादी एवं शाखा प्रबंधक एस.बी.बी.जे.एस बी.आईथार ग्रामीण बैंकबैंक ऑफ बड़ौदा पोकरण को  एक पत्र प्रेषित कर  आग्रह किया कि वे इस औद्योगिक प्रोत्साहन शिविर में भाग लेकर उद्यमियों एवं दस्तकारों का मार्गदर्शन करें एवं विभागीय योजनाओं से लाभान्वित करें।
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जल प्रबन्धन के बारे में गांवों में होंगे जागरुकता कार्यक्रम
जिला कलक्टर त्यागी दिखाएंगी टीम को हरी झण्डी
जैसलमेर, 7 नवम्बर/ जिले में  राज्य जल संसाधन विभाग द्वारा राज्य सरकार एवं युरोपियन युनियन के वित्तीय सहयोग से एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन कार्यक्रम के संबंध में आमजन में जल प्रबंधन की जागरुकता निर्माण करने के लिए सूचना शिक्षा एवं संचार कार्यक्रम गतिविधियों के तहत गांवों में नुक्कड़ नाटककठपुतली प्रदर्शन नारा लेखन एवं अन्य कार्यक्रम कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किए जाएगें।
जिला समन्वयक रामदयालसिंह राजपुरोहित ने बताया कि इस जागरुकता कार्यक्रम का  जिला कलक्टर शुचि त्यागी गुरुवार, 8 नवम्बर को दोपहर बजे कलेक्ट्रेट परिसर से कला जत्था को हरी झण्डी दिखा कर शुभारम्भ करेगी। इस अवसर पर संसथान के संभाग समन्वयक मुकेश द्विवेदी सह समन्वयक तथा संचार कार्यक्रम विशेषज्ञ अपनी टीम सहित मौजूद रहेगें।
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जिला स्तरीय पायका खेलकूद प्रतियोगिता शुक्रवार से
जैसलमेर, 7 नवम्बर/ भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय तथा राज्य क्रीड़ा परिषद के सौजन्य से जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने के लिये जिला स्तरीय पायका खेलकूद प्रतियोगिता शुक्रवार, 9 नवम्बर से इंदिरा इण्डोर स्टेडियम जैसलमेर में प्रारंभ होगी।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद बलदेवसिंह उज्जवल ने बताया कि इस खेलकूद प्रतियोगिता के लिये सभी तैयारियां पूर्ण कर दी गयी है। इस प्रतियोगिता में एथेलेटिक्सबॉलीबाल,कब्बड्डीखो-खो एवं कुश्ती के खेल आयोजित होगें।
उन्होंने बताया कि नवम्बर को प्रातः बजे से सायं बजे तक इंडौर स्टेडियम जैसलमेर में एथेलेटिक्स की प्रतियोगिता आयोजित होगी। इसी प्रकार 10 नवम्बर को बॉलीबाल, 18नवम्बर को कब्बड्डी, 19 नवम्बर को खो-खो तथा 20 नवम्बर को कुश्ती की प्रतियोगिताएँ आयोजित होगी।