आत्मदाह के प्रयास में मां झुलसी, मासूम की मौत
सास व पति पर प्रताडऩा का लगाया आरोप, पुलिस ने सास को लिया हिरासत में
सायला थाना क्षेत्र के वालेरा गांव में सोमवार सवेरे एक विवाहिता ने अपने एक वर्षीय पुत्र के साथ आत्महत्या का प्रयास किया। अधिक झुलसने के कारण मासूम की मौत हो गई। वहीं विवाहिता को प्राथमिक उपचार के बाद जालोर रेफर किया गया है। पुलिस ने पीडि़ता के बयानों के आधार पर सास व पति के विरुद्ध प्रताडऩा का मामला दर्ज कर जांच शुरू की। इस मामले में पुलिस ने आरोपी सास को हिरासत में लिया है।
पुलिस के अनुसार वालेरा निवासी सणगारी देवी पत्नी हिरालाल प्रजापत ने सवेरे अपने ससुराल में एक वर्षीय पुत्र विशाल के साथ शरीर पर केरोसिन डालकर आग लगा ली। जिससे वह और उसका पुत्र बुरी तरह झुलस गए। ग्रामीणों की सूचना पर थाना प्रभारी सुमेरङ्क्षसह राठौड़ मय जाब्ता मौके पर पहुंचे तथा एम्बुलेंस की सहायता से सणगारीदेवी व विशाल को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सायला उपचार के लिए लाया गया। इलाज के दौरान विशाल की मौत हो गई।
इलाज के दौरान एसडीएम धिरजमल ढिंढोर के समक्ष पीडि़ता के बयान दर्ज किए गए। उसने अपने बयान में बताया कि सास मणीदेवी पत्नी मांगीलाल प्रजापत व पति हीरालाल पुत्र मांगीलाल निवासी वालेरा द्वारा परेशान किया जाता था। इससे परेशान होकर उसने आत्महत्या का प्रयास किया है। प्राथमिक उपचार के बाद विवाहिता को जालोर रेफर किया गया। वहीं विशाल के शव का पोस्टमार्टम कर उसे परिजनों को सुपुर्द किया गया।
जीरे की अच्छी पैदावार की ओर सांचौर
मौसम अच्छा रहने से किसानों को जीरे से जगी उम्मीद, किसानों के अनुसार इस साल मौसम ने साथ दिया, ऐसे में जीरे की पैदावार भी होगी अच्छी
सांचौर जीरे की पैदावार में अग्रणी सांचौर क्षेत्र में इस बार सियाळो सीजन के तहत 45 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में जीरे की बुवाई की गई है। अगर जीरे की फसल के लिए मौसम ठीक ठाक रहा तो उम्मीद है कि इस बार आशा के अनुरूप रिकॉर्ड पैदावार होगी। अक्टूबर-नवंबर महीने में की गई जीरे की बुवाई के बाद अब जीरे की फसल पर फूल आने शुरू हो गए हैं और फसल को तीसरी पाण भी दी जा चुकी है। इसके बाद क्षेत्र के किसान आशानुरूप फसल लेने की संभावना जता रहे हैं। किसान हरचंदराम चौधरी ने बताया कि जनवरी-फरवरी में अक्सर होने वाली मावठ और धुंध के बाद मौसम खराब हो जाता है, जिससे जीरे के फसल में चिरमा रोग की आंशका रहती है। जिससे फसल के उत्पादन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, लेकिन इस बार ऐसी कोई स्थिति नहीं होने से किसानों को अच्छी पैदावार की उम्मीद है। वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग ने भी इस बार सियाळो सीजन में जीरे की अच्छी पैदावार की संभावना जताई है। कृषि अधिकारियों ने बताया कि जीरे की फसल को कीट के प्रकोप से बचाने के लिए किसान मेंकोजेब, गदरफ, थायोमेस्सम का स्प्रे कर सकते हैं।
वरदान बना नर्मदा का पानी
क्षेत्र में नर्मदा नहर आने से पूर्व जीरे की बुवाई 19 हजार हेक्टेयर के लगभग की जाती थी, लेकिन नर्मदा के आने के बाद 2011-12 में यही बुवाई 45 हजार हेक्टेयर से भी पार हो गई। इसके अलावा नर्मदा का मीठा पानी फसल उत्पादन में महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। खास बात तो यह है कि नर्मदा नहर से सिंचित होने वाले क्षेत्र के दायरे में आने वाला आधे से अधिक क्षेत्र नर्मदा के पानी से अभी भी वंचित है। अगर यह भी इसमें शामिल हो जाए तो जीरे की बुवाई और भी अधिक की जा सकती है।
सांचौर. क्षेत्र के एक खेत में लगी जीरे की फसल। फोटोत्नभास्कर
गुजरात की मंडियों में बिकता है जीरा
क्षेत्र में जीरे की बम्पर पैदावार के बाद यहां के किसान इसे गुजरात की मंडियों में बेचना पहली पंसद मानते हैं। कारण कि क्षेत्र में कृषि मंडी होने के बावजूद किसानों को यहां जीरे की फसल के अच्छे भाव नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में किसानों को अच्छी कीमत और बाजार के लिए गुजरात के ऊंझा सहित अन्य मंडियों में जाना पड़ता है। इसके अलावा क्षेत्र में तैयार जीरे की फसल के लिए अब विदेशी कंपनियां भी सीधे खलिहानों से जीरा ले जाने के लिए भी सर्वे करती है। जापान व जर्मन के अलावा अन्य कई देशों की कंपनियां फसल के अनुपात में उसका मूल्य देकर कटाई के बाद खलिहानों से फसल खरीद लेती है। इससे किसानों को भी फायदा मिलने की संभावना रहती है।
हो सकती है बंपर पैदावार
॥फिलहाल क्षेत्र के खेतों में खड़ी जीरे की फसल के लिए मौसम बिल्कुल अनुकूल है। इससे अंदेशा लगाया जा सकता है कि इस बार जीरे की अच्छी पैदावार होगी। वहीं मौसम अनुकूल नहीं रहने पर फसल को कीट के प्रकोप से बचाने के लिए किसान मेंकोजेब, गदरफ व थायोमेस्सम का स्प्रे कर सकते हैं। कजोड़मल कुमावत, कृषि अधिकारी, सांचौर
|