पेट की आग से झुलस रहे हैं
बाड़मेर। कुड़ी गांव के पप्पाराम ने जान की बाजी लगाकर अपनी तीन मासूम संतानों को मौत के आगोश से उस वक्त बचा लिया था जब आग ने उन्हें बुरी तरह घेर लिया था। जलती आग में कूदकर यह बाप अपनी औलाद को बचा तो लाया, लेकिन खुद इतना झुलसा गया कि अब उसके लिए काम करना मुश्किल हो रहा है। छह सदस्यीय परिवार के सामने फांकाकशी की नौबत आ गई है। झोंपे की आग से बचा यह पूरा परिवार अब पेट की आग से झुलस रहा है। नियमानुसार मिलने वाली सरकारी मदद की दरख्वास्त फाइलों में इधर उधर घूम रही है।
कुड़ी गांव के पप्पाराम पुत्र सूजाराम की रहवासी ढाणी में 3 नवंबर 2011 को आग लग गई थी। उस वक्त उसके तीन मासूम बच्चे ढाणी में थे। पप्पाराम जलती लपटों में घुस गया। पहले दोनों बेटों को आग से बाहर ले आया और जैसे ही उसे ख्याल आया कि तीन माह की मासूम बेटी भी अंदर ही है तो यह बाप जान की परवाह किए बगैर फिर लपटों में कूद गया। इस दौरान वह बुरी तरह झुलस गया, लेकिन बेटी को बचा लाया।
इसे बेहोशी की हालत में बालोतरा और बालोतरा से जोधपुर उपचार के लिए रेफर किया गया। पंद्रह दिन में उसको होश आया। आग की इस घटना की जानकारी प्रशासन को मिलने पर उपखण्ड अधिकारी मौके पर पहुंचे और अपनी जेब से मानवता के नाते पांच हजार रूपए दिए।
इस मामूली रकम से इस बीपीएल परिवार के सदस्यों का दो तीन दिन का उपचार का खर्चा भी नहीं निकला। करीब एक महीना तक पप्पाराम जोधपुर में दाखिल रहा। आग ने उसका सब कुछ स्वाहा कर दिया था और इसके बाद कर्जे पर ही उपचार संभव हो पाया। महीने भर बाद वह घर लौटा तो उसके लिए सिर छिपाने को आसरा नहीं था, गनीमत रही कि गांव में एक आवास में उसको छत नसीब हो गई। इसके बाद वह फांकाकशी काट रहा है।
आग से झुलस जाने के कारण अब उसके लिए मजदूरी करना भी फिलहाल मुमकिन नहीं हो रहा है। इधर आग के बाद नियमानुसार उसको बारह हजार रूपए आपदा राहत के तहत मिलने थे, लेकिन वह राशि नहीं मिली है। पटवारी, ग्राम पंचायत की रिपोर्ट जाने के बावजूद उसकी सहायता की दरख्वास्त फाइलों में ही है। ऎसी हालत में यह छह सदस्यीय परिवार दो जून रोटी का मोहताज हो गया है।
परिवार की फिक्र
जिन बच्चों को मैने आग से बचाया अब वे पेट की आग के कारण मेरा मुंह ताक रहे है। मैं मजदूरी नहीं कर सकता हूं। मदद मिल नहीं रही है। हम सब जिंदा बच गए इसका शुक्रिया अदा करूं या भगवान से शिकायत की जिंदा क्यों रखा..?
पपाराम भील पीडित बीपीएल चयनित
हमने प्रकरण भेज दिया
पप्पाराम का प्रकरण सहायता के लिए उपखण्ड अधिकारी के मार्फत जिला मुख्यालय भेज दिया गया है।
शैतानसिंह राजपुरोहित,तहसीलदार, पचपदरा
मदद का तरीका बदले : अग्नि पीडित परिवारों की मदद में हो रही देरी से ये परिवार परेशान हो रहे हैं। मदद तत्काल मिले ऎसा प्रबंध होना चाहिए।महावीरसिंह चूली, अध्यक्ष, भाजपा ग्रामीण मंडल
बाड़मेर। कुड़ी गांव के पप्पाराम ने जान की बाजी लगाकर अपनी तीन मासूम संतानों को मौत के आगोश से उस वक्त बचा लिया था जब आग ने उन्हें बुरी तरह घेर लिया था। जलती आग में कूदकर यह बाप अपनी औलाद को बचा तो लाया, लेकिन खुद इतना झुलसा गया कि अब उसके लिए काम करना मुश्किल हो रहा है। छह सदस्यीय परिवार के सामने फांकाकशी की नौबत आ गई है। झोंपे की आग से बचा यह पूरा परिवार अब पेट की आग से झुलस रहा है। नियमानुसार मिलने वाली सरकारी मदद की दरख्वास्त फाइलों में इधर उधर घूम रही है।
कुड़ी गांव के पप्पाराम पुत्र सूजाराम की रहवासी ढाणी में 3 नवंबर 2011 को आग लग गई थी। उस वक्त उसके तीन मासूम बच्चे ढाणी में थे। पप्पाराम जलती लपटों में घुस गया। पहले दोनों बेटों को आग से बाहर ले आया और जैसे ही उसे ख्याल आया कि तीन माह की मासूम बेटी भी अंदर ही है तो यह बाप जान की परवाह किए बगैर फिर लपटों में कूद गया। इस दौरान वह बुरी तरह झुलस गया, लेकिन बेटी को बचा लाया।
इसे बेहोशी की हालत में बालोतरा और बालोतरा से जोधपुर उपचार के लिए रेफर किया गया। पंद्रह दिन में उसको होश आया। आग की इस घटना की जानकारी प्रशासन को मिलने पर उपखण्ड अधिकारी मौके पर पहुंचे और अपनी जेब से मानवता के नाते पांच हजार रूपए दिए।
इस मामूली रकम से इस बीपीएल परिवार के सदस्यों का दो तीन दिन का उपचार का खर्चा भी नहीं निकला। करीब एक महीना तक पप्पाराम जोधपुर में दाखिल रहा। आग ने उसका सब कुछ स्वाहा कर दिया था और इसके बाद कर्जे पर ही उपचार संभव हो पाया। महीने भर बाद वह घर लौटा तो उसके लिए सिर छिपाने को आसरा नहीं था, गनीमत रही कि गांव में एक आवास में उसको छत नसीब हो गई। इसके बाद वह फांकाकशी काट रहा है।
आग से झुलस जाने के कारण अब उसके लिए मजदूरी करना भी फिलहाल मुमकिन नहीं हो रहा है। इधर आग के बाद नियमानुसार उसको बारह हजार रूपए आपदा राहत के तहत मिलने थे, लेकिन वह राशि नहीं मिली है। पटवारी, ग्राम पंचायत की रिपोर्ट जाने के बावजूद उसकी सहायता की दरख्वास्त फाइलों में ही है। ऎसी हालत में यह छह सदस्यीय परिवार दो जून रोटी का मोहताज हो गया है।
परिवार की फिक्र
जिन बच्चों को मैने आग से बचाया अब वे पेट की आग के कारण मेरा मुंह ताक रहे है। मैं मजदूरी नहीं कर सकता हूं। मदद मिल नहीं रही है। हम सब जिंदा बच गए इसका शुक्रिया अदा करूं या भगवान से शिकायत की जिंदा क्यों रखा..?
पपाराम भील पीडित बीपीएल चयनित
हमने प्रकरण भेज दिया
पप्पाराम का प्रकरण सहायता के लिए उपखण्ड अधिकारी के मार्फत जिला मुख्यालय भेज दिया गया है।
शैतानसिंह राजपुरोहित,तहसीलदार, पचपदरा
मदद का तरीका बदले : अग्नि पीडित परिवारों की मदद में हो रही देरी से ये परिवार परेशान हो रहे हैं। मदद तत्काल मिले ऎसा प्रबंध होना चाहिए।महावीरसिंह चूली, अध्यक्ष, भाजपा ग्रामीण मंडल
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