मंगलवार, 31 जनवरी 2012

: बिना पुलिस सत्यापन के ही हथियार लाइसेंस जारी, आखिर इतने सालो बाद भी कार्यवाही क्यों नहीं


बाड़मेर: बिना पुलिस सत्यापन के ही हथियार लाइसेंस जारी,


आखिर इतने सालो बाद भी कार्यवाही क्यों नहीं

बाड़मेर: पाकिस्‍तान की सीमा से लगे राजस्‍थान के बाड़मेर जिले में वर्ष 2002 और 2003 में जिला प्रशासन द्वारा हथियार अनुज्ञा पत्र (लाइसेंस) जारी करने में ना केवल भारी अनियमितताएं बरती गईं, बल्कि पुलिस विभाग द्वारा सत्यापन तक नहीं कराया गया। संवाददाता द्वारा की गई पड़ताल में सामने आया कि साल 2002 और 2003 में जिला प्रशासन द्वारा छह व्यक्तियों को पुलिस सत्यापन कराए बिना मनमर्जी से अनुज्ञा पत्र जारी कर दिए गए।इस प्रकरण को सामने आये तीन साल गुजर गए मुख्यमंत्री से लेकर जिला कलेक्टर तक ने कार्यवाही ने आदेश जरी किये मगर नतीजा वही धाक के तीन पात .इस प्रकरण के दोषी आज भी आराम से घूम रहे हें वही श्री गंगा नगर में गलत हथ्यार लाईसेन्स जारी करने वाले दो दर्जन से अधिक अधिकारियो और क्रमचारियो के खिलाफ राज्य सरकार ने सख्त कार्यवाही को अंजाम दिया था मगर बाड़मेर के इस गंभीर तथा अति संवेदनशील मुद्दे पर राज्य सरकार और जिला प्रशासन चुप क्यों बेठे हें मजे की बात हे की अतिरिक्त जिला कलेक्टर के पास इस प्रकरण की जांच गत तीन सालो से विचाराधीन पडी हें .


अतिरिक्‍त जिला कलेक्टर द्वारा उपलब्ध कराई गई सुचना के अनुसार जिला प्रशासन द्वारा जोधपुर निवासी राजेन्द्र सिंह, चम्पालाल, गंगाराम, सुजानसिंह, विनोद कुमार तथा बाड़मेर निवासी दिलीप कुमार को पुलिस सत्यापन के बिना हथियार के लाइसेंस जारी किए गए। इनमें से विनोद कुमार तथा दिलीप कुमार शस्‍त्र विक्रेता हैं। श्रीगंगानगर में हथियार अनुज्ञा पत्र प्रकरण की तर्ज पर ही बाड़मेर के जिला प्रशासन द्वारा संदिग्ध लोगों को पुलिस सत्यापन कराए बिना अनुज्ञा पत्र जारी करना, पूरे मामलें को संदेह के घेरे में लाता है।आखिर जिला प्रशासन इस प्रकरण में कार्यवाही को अंजाम क्यों नहीं दे रहा सबसे बड़ा सवाल हें .


जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) संतोष चालके ने बताया कि शस्‍त्र अनुज्ञा पत्र में आवेदनकर्ता का पुलिस सत्यापन कराए जाने का प्रावधान है। इसके बावजूद यह जिला कलेक्टर के विवेक पर निर्भर करता है कि बिना पुलिस सत्यापन के भी अनुज्ञा पत्र जारी कर दें। श्रीगंगानगर में हथियार अनुज्ञा पत्र जारी करने को लेकर मचे बवाल के बावजूद बाड़मेर जिला प्रशासन द्वारा बिना पुलिस सत्यापन के लाइसेंस जारी करने की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिये ताकि इस प्रकरण की सच्चाई सामने आ सके।

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