माइग्रेन सिरदर्द का ऐसा प्रकार है, जिसमें पीड़ित को असहनीय दर्द का सामना करना पड़ता है। यह दर्द केवल सिर को ही नहीं, बल्कि माथे, जबड़ों और साइनस को भी अपनी चपेट में ले लेता है। आइए जानते हैं इसे नियंत्रित करने के कुछ आसान तरीके..
हर्बल टी: इसका सेवन माइग्रेन के लिए बहुत लाभकारी है। इसमें मौजूद नैचुरल तत्व जैसे अदरक, तुलसी, कैमोमाइल और पुदीना चिंता से निजात दिलाने और मांसपेशियों को तनावरहित करने में कारगर है। वहीं, ध्यान रहे कि कैफीन से परहेज करना जरूरी है, क्योंकि इससे रक्तचाप और माइग्रेन की पीड़ा और भी बढ़ सकती है।
कुनकुने पानी से स्नान: माइग्रेन का मुख्य कारण अधिक चिंता या तनाव करना है। ऐसे में पीड़ित को जब भी तेज दर्द होता है, तो उसे कुनकुने पानी से स्नान कर लेना चाहिए। इससे शरीर की सभी इंद्रियों की सक्रियता बढ़ जाती है, वहीं आप तरोताजा महसूस करेंगे और दर्द में भी राहत मिलेगी।
ब्रीदिंग: माइग्रेन की पीड़ा नियंत्रित करने के लिए पीड़ित को शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर मजबूत होना जरूरी है। विशेषज्ञ कहते हैं कि पीड़ित की आंख, गर्दन और कंधों की मांसपेशियां स्ट्रेस्ड होती हैं, इसलिए गर्दन व कंधे की स्ट्रेचिंग करना जरूरी है। वहीं, कम्प्यूटर पर काम करते समय बीच-बीच में ब्रेक लेते रहना जरूरी है। दो-तीन घंटों के अंतर से १५ मिनट गहरी सांस लें, ताकि आप रिलैक्स हो सकें।
बर्फ: दर्द होने की स्थिति में बर्फ के कुछ टुकड़े टॉवल में रखकर सिकाई करने से भी पीड़ित को आराम मिलता है। ध्यान रखें कि सिकाई उतनी ही करें, जितनी ठंडक बर्दाश्त की जा सके।
हर्बल टी: इसका सेवन माइग्रेन के लिए बहुत लाभकारी है। इसमें मौजूद नैचुरल तत्व जैसे अदरक, तुलसी, कैमोमाइल और पुदीना चिंता से निजात दिलाने और मांसपेशियों को तनावरहित करने में कारगर है। वहीं, ध्यान रहे कि कैफीन से परहेज करना जरूरी है, क्योंकि इससे रक्तचाप और माइग्रेन की पीड़ा और भी बढ़ सकती है।
कुनकुने पानी से स्नान: माइग्रेन का मुख्य कारण अधिक चिंता या तनाव करना है। ऐसे में पीड़ित को जब भी तेज दर्द होता है, तो उसे कुनकुने पानी से स्नान कर लेना चाहिए। इससे शरीर की सभी इंद्रियों की सक्रियता बढ़ जाती है, वहीं आप तरोताजा महसूस करेंगे और दर्द में भी राहत मिलेगी।
ब्रीदिंग: माइग्रेन की पीड़ा नियंत्रित करने के लिए पीड़ित को शारीरिक और मानसिक दोनों स्तर पर मजबूत होना जरूरी है। विशेषज्ञ कहते हैं कि पीड़ित की आंख, गर्दन और कंधों की मांसपेशियां स्ट्रेस्ड होती हैं, इसलिए गर्दन व कंधे की स्ट्रेचिंग करना जरूरी है। वहीं, कम्प्यूटर पर काम करते समय बीच-बीच में ब्रेक लेते रहना जरूरी है। दो-तीन घंटों के अंतर से १५ मिनट गहरी सांस लें, ताकि आप रिलैक्स हो सकें।
बर्फ: दर्द होने की स्थिति में बर्फ के कुछ टुकड़े टॉवल में रखकर सिकाई करने से भी पीड़ित को आराम मिलता है। ध्यान रखें कि सिकाई उतनी ही करें, जितनी ठंडक बर्दाश्त की जा सके।
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