राजस्थान की जूही ‘बिग बॉस 5’ की विजेता मुंबई. भारतीय टेलीविजन की फेवरिट बहू जूही परमार ने ‘बिग बॉस- 5’ जीत लिया है। 98 दिनों तक अपने परिवार और दोस्तों से दूर रहने वाली जूही ने इसे भारतीय नारी की जीत बताया। अभिनेत्री महक चहल दूसरे स्थान पर रहीं। जूही जयपुर की रहने वाली हैं और टीवी अभिनेता सचिन श्रॉफ की पत्नी हैं। इनामी राशि के इस्तेमाल पर जूही ने कहा कि उन्हें अपनी जीत का भरोसा नहीं था। इसलिए अभी कुछ तय नहीं किया है। जूही ने कहा, ‘सबसे पहले मैं घर जाकर सोऊंगी। सुबह इन पैसों के बारे में सोचूंगी कि इनका क्या करना है।’ वह एक भारतीय नारी हैं और उन्होंने बिग बॉस के घर में भी लोगों को लड़ाने की जगह जोडऩे का प्रयास किया। बकौल जूही, ‘घर के भीतर कई तरह के लोग थे जिनके पास लडऩे के अलावा कोई दूसरा काम नहीं था। लेकिन मैंने हर किसी की लड़ाई में बीच-बचाव कर उन्हें जोड़े रखा।’ सोनी के धारावाहिक ‘शाहीन’ से छोटे पर्दे का रुख करने वाली जूही को स्टार प्लस के धारावाहिक ‘कुमकुम’ के मुख्य चरित्र से लोकप्रियता मिली थी। |
रविवार, 8 जनवरी 2012
राजस्थान की जूही ‘बिग बॉस 5’ की विजेता
प्रवासियों को मताधिकार जल्द
केन्द्रीय मंत्री ने दिए संकेत, मुख्यमंत्री ने की चार सोलर पार्क बनाने की घोषणा, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार सुबह प्रवासीय भारतीय सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन किया।
प्रवासियों को मताधिकार जल्द
जयपुर प्रवासी भारतीयों को भारत में वोट डालने का अधिकार दिए जाने पर जल्द ही फैसला होने की उम्मीद है। प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री वायलार रवि ने शनिवार को जयपुर में ये संकेत दिए। रवि ने सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र में इमिग्रेशन सेंटर का उद्घाटन के बाद कहा कि इस बारे में निर्वाचन आयोग से बात की जा रही है। उन्होंने कहा कि संसद में भी यह मामला चल रहा है। इधर प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के पहले दिन शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में सोलर एनर्जी क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाएं बताते हुए चार नए सोलर पार्क बनाने की घोषणा की। ये पार्क जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर और बाड़मेर में बनाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री के अनुसार जोधपुर का सोलर पार्क जल्दी ही विकसित होगा। इनमें दो-तीन एनआरआई ने निवेश में रुचि दिखाई है। ये निवेशक यहां 10 और 5 मेगावाट के सोलर प्लांट लगाना चाहते हैं। इनमें करीब 200 करोड़ रुपए का निवेश होने की संभावना है। शेष त्न पेज ६
यहां बिडला सभागार परिसर में शुरू हुए सम्मेलन में शामिल होने के लिए प्रसिद्ध उद्योगपति लक्ष्मी निवास मित्तल समेत 1500 से ज्यादा एनआरआई पहुंच चुके हैं। घर लौटे परदेसियों ने अपने लिए पूंजी निवेश की संभावनाएं तलाशीं।
ये हस्तियां पहुंचीं : पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय, न्यू एंड रिन्युएबल एनर्जी मंत्री डॉ. फारुख अब्दुल्ला, स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद, रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेकसिंह आहलूवालिया, ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और विदेश राज्यमंत्री ई. अहमद।
और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विभिन्न सेमिनार में जाकर उद्घाटन सत्र की शुरुआत की। इसके बाद पूंजी निवेश की संभावनाओं पर विचार किया गया। सम्मेलन में पहले दिन पानी, बिजली, स्वास्थ्य, पर्यटन क्षेत्रों पर सेमिनार करके प्रवासियों को इन क्षेत्रों में हुई अब तक की प्रगति और भविष्य की जरूरतों के बारे में बताया गया। उन्हें केन्द्र और राज्य सरकारों की नीतियों की जानकारी भी दी गई।
देश का 9वां इमिग्रेशन सेंटर जयपुर में
केंद्रीय मंत्री वायलार रवि ने सीतापुरा में देश के ९वें इमिग्रेशन सेंटर का उद्घाटन किया। यह कार्यालय 17 नामित देशों में जाने वाले श्रमिकों को वहां रहने की मंजूरी देगा। इसके लिए अब तक उन्हें दिल्ली और चंडीगढ़ जाना पड़ता था। इससे शेखावाटी के लोगों को विशेष लाभ होगा।
पासपोर्ट सेवा केंद्र भी खुला
विदेश राज्य मंत्री ई. अहमद और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को यहां अजमेर रोड पर नए पासपोर्ट सेवा केंद्र का उद्घाटन किया। जोधपुर और सीकर में भी जल्द नए पासपोर्ट सेवा केंद्र खोले जाएंगे। जयपुर में टाटा कंसलटेंसी के साथ पीपीपी के तहत यह केंद्र खोला गया है। इससे आवेदकों के लिए पूरी प्रक्रिया आसान हो जाएगी। पासपोर्ट कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने होंगे।
निवेश नहीं तो सम्मेलन का क्या फायदा : आजाद
जयपुर. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद का कहना है कि जयपुर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन से मैं काफी उत्साहित हूं, लेकिन यदि कोई प्रवासी यहां आकर निवेश की बात नहीं करे या भविष्य में निवेश नहीं करे तो ऐसे सम्मेलन का कोई लाभ नहीं। नबी ने कहा कि केंद्र ने यही सोचकर सम्मेलन आयोजित किया है। उन्होंने स्वीकार किया कि प्रवासी भारतीय मेडिकल-शिक्षा के क्षेत्र में ज्यादा रुचि नहीं ले पा रहे। उन्होंने कहा कि १२वीं योजना के तहत केंद्र ने स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए इस पर होने वाले व्यय को जीडीपी के एक प्रतिशत से बढ़ाकर २.५ प्रतिशत कर दिया है।
प्रवासियों को मताधिकार जल्द
जयपुर प्रवासी भारतीयों को भारत में वोट डालने का अधिकार दिए जाने पर जल्द ही फैसला होने की उम्मीद है। प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्री वायलार रवि ने शनिवार को जयपुर में ये संकेत दिए। रवि ने सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र में इमिग्रेशन सेंटर का उद्घाटन के बाद कहा कि इस बारे में निर्वाचन आयोग से बात की जा रही है। उन्होंने कहा कि संसद में भी यह मामला चल रहा है। इधर प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन के पहले दिन शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में सोलर एनर्जी क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाएं बताते हुए चार नए सोलर पार्क बनाने की घोषणा की। ये पार्क जोधपुर, जैसलमेर, बीकानेर और बाड़मेर में बनाए जाएंगे।
मुख्यमंत्री के अनुसार जोधपुर का सोलर पार्क जल्दी ही विकसित होगा। इनमें दो-तीन एनआरआई ने निवेश में रुचि दिखाई है। ये निवेशक यहां 10 और 5 मेगावाट के सोलर प्लांट लगाना चाहते हैं। इनमें करीब 200 करोड़ रुपए का निवेश होने की संभावना है। शेष त्न पेज ६
यहां बिडला सभागार परिसर में शुरू हुए सम्मेलन में शामिल होने के लिए प्रसिद्ध उद्योगपति लक्ष्मी निवास मित्तल समेत 1500 से ज्यादा एनआरआई पहुंच चुके हैं। घर लौटे परदेसियों ने अपने लिए पूंजी निवेश की संभावनाएं तलाशीं।
ये हस्तियां पहुंचीं : पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय, न्यू एंड रिन्युएबल एनर्जी मंत्री डॉ. फारुख अब्दुल्ला, स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद, रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेकसिंह आहलूवालिया, ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश और विदेश राज्यमंत्री ई. अहमद।
और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विभिन्न सेमिनार में जाकर उद्घाटन सत्र की शुरुआत की। इसके बाद पूंजी निवेश की संभावनाओं पर विचार किया गया। सम्मेलन में पहले दिन पानी, बिजली, स्वास्थ्य, पर्यटन क्षेत्रों पर सेमिनार करके प्रवासियों को इन क्षेत्रों में हुई अब तक की प्रगति और भविष्य की जरूरतों के बारे में बताया गया। उन्हें केन्द्र और राज्य सरकारों की नीतियों की जानकारी भी दी गई।
देश का 9वां इमिग्रेशन सेंटर जयपुर में
केंद्रीय मंत्री वायलार रवि ने सीतापुरा में देश के ९वें इमिग्रेशन सेंटर का उद्घाटन किया। यह कार्यालय 17 नामित देशों में जाने वाले श्रमिकों को वहां रहने की मंजूरी देगा। इसके लिए अब तक उन्हें दिल्ली और चंडीगढ़ जाना पड़ता था। इससे शेखावाटी के लोगों को विशेष लाभ होगा।
पासपोर्ट सेवा केंद्र भी खुला
विदेश राज्य मंत्री ई. अहमद और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को यहां अजमेर रोड पर नए पासपोर्ट सेवा केंद्र का उद्घाटन किया। जोधपुर और सीकर में भी जल्द नए पासपोर्ट सेवा केंद्र खोले जाएंगे। जयपुर में टाटा कंसलटेंसी के साथ पीपीपी के तहत यह केंद्र खोला गया है। इससे आवेदकों के लिए पूरी प्रक्रिया आसान हो जाएगी। पासपोर्ट कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने होंगे।
निवेश नहीं तो सम्मेलन का क्या फायदा : आजाद
जयपुर. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद का कहना है कि जयपुर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन से मैं काफी उत्साहित हूं, लेकिन यदि कोई प्रवासी यहां आकर निवेश की बात नहीं करे या भविष्य में निवेश नहीं करे तो ऐसे सम्मेलन का कोई लाभ नहीं। नबी ने कहा कि केंद्र ने यही सोचकर सम्मेलन आयोजित किया है। उन्होंने स्वीकार किया कि प्रवासी भारतीय मेडिकल-शिक्षा के क्षेत्र में ज्यादा रुचि नहीं ले पा रहे। उन्होंने कहा कि १२वीं योजना के तहत केंद्र ने स्वास्थ्य क्षेत्र को प्राथमिकता देते हुए इस पर होने वाले व्यय को जीडीपी के एक प्रतिशत से बढ़ाकर २.५ प्रतिशत कर दिया है।
राजस्थान की वीर-नारियां ....कृषक कन्या हम्मीर माता :पन्नाधाय
राजस्थान की वीर-नारियां
भारत एक विकासोन्मुखी देश है। यहाँ के निवासी केवल भौतिक ही नहीं अभौतिक अर्थात आध्यात्मिक विकास की ओर भी जागरूक रहते हैं। हम केवल धन की बात नहीं करते, हमारी संस्कृति व परंपरा धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की बात करती है। हमारे यहाँ शरीर ही नहीं आत्मिक शक्ति के विकास पर पर्याप्त दिया जाता है। आत्मा के स्तर पर सभी प्राणियों को एक ही स्तर पर माना जाता है। आत्मा को परमात्मा का अंश माना गया है तथा प्रत्येक व्यक्ति अपनी आत्मा का विकास करके पूर्णता अर्थात परमात्मा तक पहुँचने के प्रयत्न करके अपने आप को परमात्मा से एकाकार कर सकता है। धर्म, संप्रदाय, जाति या लिंग के आधार पर विकास में कोई अन्तर नहीं होता। नर हो या नारी सभी को उनकी प्रकृति के अनुसार विकास के समान अवसर उपलब्ध होते हैं। परमात्मा के साथ संबन्ध स्थापित करने का मार्ग केवल पूजा-पाठ से होकर ही नहीं जाता, हमारी मान्यता है कि व्यक्ति किसी भी मार्ग से परमात्मा के पास पहुँच सकता है। हमारे यहाँ पूजा को ही नहीं, युद्ध को भी स्वर्ग का साधन माना गया है। भारत भूमि को वीर प्रसू कहा जाता है।
केवल संसार से विराग अर्थात संन्यास ही धर्म का मार्ग नहीं है, युद्ध भी धर्म का का मार्ग है। देश व समाज के लिए युद्ध करते हुए प्राण उत्सर्ग करने वाले भी वीरगति को प्राप्त होते हैं। गीता में भी भगवान कृष्ण भक्ति योग, ज्ञान योग व कर्म योग का उपदेश देते हुए अर्जुन को युद्ध के लिए ही तैयार करते हैं। वस्तुत: सम्पूर्ण जीवन ही एक संग्राम है। इस संग्राम को जो देश व समाज के हित में लड़ते हैं वे इस लोक में ही नहीं परलोक में भी श्रेष्ठ स्थान पाते हैं। ऐसा भारतीय दर्शन का मानना है। वीरता भी धर्म का एक आवश्यक अंग है। वीरता के पथ को अंगीकार करने वाले वीर व वीरांगनाओं की भारत में कमी नहीं रही है।
केवल राजपूतों या राज-परिवारों तक ही वीरता सीमित नहीं होती। आवश्यकता पड़ने पर भारत के किसान भी हल को ही औजार बनाकर आगे आते हैं। हाथों को चूढ़ियों से सजाने वाली भारतीय नारी भी वीरता में कभी पीछे नहीं रही हैं। नारियों ने आवश्यकतानुसार घर को सभांलकर जहाँ पुरूष को शक्तिशाली बनाया है, वहीं आवश्यकतानुसार स्वयं आगे बढ़कर भी दुष्टों को धूल चटाई है। अभिमानियों का अभिमान भंग किया है।
यद्यपि संपूर्ण भारत भूमि ही नर-नारियों की वीरता की कहानी कहती है, तथापि राजस्थान की माटी में बहादुरी व साहस कूट-कूट कर भरा है। यहाँ की नारियों की बात करें तो ये भारत की वीरांगनाओं में विशेष स्थान रखती हैं। वैदिक युग से लेकर मुगल काल तक ही नहीं भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी राजस्थान की वीरांगनाओं का योगदान स्तुत्य रहा है। राजस्थान में ऐसी वीरांगनाओं का इतिहास मिलता है जिनके शौर्य और बलिदान की गाथाएँ दन्तकथा बनकर आज भी घर-घर में सुनी जाती हैं। यहाँ माताएं पालने में ही शिशुओं को देशभक्ति की लोरियां सुनाती रही हैं। अपने पति व भाइयों को खुशी-खुशी न केवल लड़ने के लिए युद्ध के लिए टीका लगाकर विदा करती रही हैं वरन् उनके कमजोर पड़ने पर उन्हें धिक्कारा व दुत्कारा भी है। यही नहीं वे युद्धक्षेत्र में उनकी याद करके कमजोर न पड़े इस उद्देश्य से अपना बलिदान भी दिया है। समय-समय पर मातृभूमि की रक्षा के लिए राजस्थान की नारियां बलिदान देने से पीछे नहीं हटी हैं। राजस्थान की नारियों में त्याग व बलिदान की भावना कूट-कूट कर भरी है। अपने परिवार के लिए प्रेम व वात्सल्य की बर्षा करने वाली नारी अपनी व अपने परिवार की आन व शान की रक्षा की खातिर दुर्गा व चण्डी का रूप भी धारण करती है। इस प्रकार के उदाहरणों से इतिहास भरा पड़ा है।
भारत एक विकासोन्मुखी देश है। यहाँ के निवासी केवल भौतिक ही नहीं अभौतिक अर्थात आध्यात्मिक विकास की ओर भी जागरूक रहते हैं। हम केवल धन की बात नहीं करते, हमारी संस्कृति व परंपरा धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की बात करती है। हमारे यहाँ शरीर ही नहीं आत्मिक शक्ति के विकास पर पर्याप्त दिया जाता है। आत्मा के स्तर पर सभी प्राणियों को एक ही स्तर पर माना जाता है। आत्मा को परमात्मा का अंश माना गया है तथा प्रत्येक व्यक्ति अपनी आत्मा का विकास करके पूर्णता अर्थात परमात्मा तक पहुँचने के प्रयत्न करके अपने आप को परमात्मा से एकाकार कर सकता है। धर्म, संप्रदाय, जाति या लिंग के आधार पर विकास में कोई अन्तर नहीं होता। नर हो या नारी सभी को उनकी प्रकृति के अनुसार विकास के समान अवसर उपलब्ध होते हैं। परमात्मा के साथ संबन्ध स्थापित करने का मार्ग केवल पूजा-पाठ से होकर ही नहीं जाता, हमारी मान्यता है कि व्यक्ति किसी भी मार्ग से परमात्मा के पास पहुँच सकता है। हमारे यहाँ पूजा को ही नहीं, युद्ध को भी स्वर्ग का साधन माना गया है। भारत भूमि को वीर प्रसू कहा जाता है।
केवल संसार से विराग अर्थात संन्यास ही धर्म का मार्ग नहीं है, युद्ध भी धर्म का का मार्ग है। देश व समाज के लिए युद्ध करते हुए प्राण उत्सर्ग करने वाले भी वीरगति को प्राप्त होते हैं। गीता में भी भगवान कृष्ण भक्ति योग, ज्ञान योग व कर्म योग का उपदेश देते हुए अर्जुन को युद्ध के लिए ही तैयार करते हैं। वस्तुत: सम्पूर्ण जीवन ही एक संग्राम है। इस संग्राम को जो देश व समाज के हित में लड़ते हैं वे इस लोक में ही नहीं परलोक में भी श्रेष्ठ स्थान पाते हैं। ऐसा भारतीय दर्शन का मानना है। वीरता भी धर्म का एक आवश्यक अंग है। वीरता के पथ को अंगीकार करने वाले वीर व वीरांगनाओं की भारत में कमी नहीं रही है।
केवल राजपूतों या राज-परिवारों तक ही वीरता सीमित नहीं होती। आवश्यकता पड़ने पर भारत के किसान भी हल को ही औजार बनाकर आगे आते हैं। हाथों को चूढ़ियों से सजाने वाली भारतीय नारी भी वीरता में कभी पीछे नहीं रही हैं। नारियों ने आवश्यकतानुसार घर को सभांलकर जहाँ पुरूष को शक्तिशाली बनाया है, वहीं आवश्यकतानुसार स्वयं आगे बढ़कर भी दुष्टों को धूल चटाई है। अभिमानियों का अभिमान भंग किया है।
यद्यपि संपूर्ण भारत भूमि ही नर-नारियों की वीरता की कहानी कहती है, तथापि राजस्थान की माटी में बहादुरी व साहस कूट-कूट कर भरा है। यहाँ की नारियों की बात करें तो ये भारत की वीरांगनाओं में विशेष स्थान रखती हैं। वैदिक युग से लेकर मुगल काल तक ही नहीं भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी राजस्थान की वीरांगनाओं का योगदान स्तुत्य रहा है। राजस्थान में ऐसी वीरांगनाओं का इतिहास मिलता है जिनके शौर्य और बलिदान की गाथाएँ दन्तकथा बनकर आज भी घर-घर में सुनी जाती हैं। यहाँ माताएं पालने में ही शिशुओं को देशभक्ति की लोरियां सुनाती रही हैं। अपने पति व भाइयों को खुशी-खुशी न केवल लड़ने के लिए युद्ध के लिए टीका लगाकर विदा करती रही हैं वरन् उनके कमजोर पड़ने पर उन्हें धिक्कारा व दुत्कारा भी है। यही नहीं वे युद्धक्षेत्र में उनकी याद करके कमजोर न पड़े इस उद्देश्य से अपना बलिदान भी दिया है। समय-समय पर मातृभूमि की रक्षा के लिए राजस्थान की नारियां बलिदान देने से पीछे नहीं हटी हैं। राजस्थान की नारियों में त्याग व बलिदान की भावना कूट-कूट कर भरी है। अपने परिवार के लिए प्रेम व वात्सल्य की बर्षा करने वाली नारी अपनी व अपने परिवार की आन व शान की रक्षा की खातिर दुर्गा व चण्डी का रूप भी धारण करती है। इस प्रकार के उदाहरणों से इतिहास भरा पड़ा है।
राजस्थान की रानी पद्मिनी जहाँ काव्य में सौन्दर्य का प्रतिमान बनकर सामने आती हैं। वही जौहर व्रत के साथ वीरांगना रूप भी देखने को मिलता है। उनके पति युद्ध क्षेत्र में नि:श्चिंत होकर मातृभूमि की रक्षा के लिए युद्ध कर सकें, इस उद्देश्य के लिए जीवित ही चिता की भेंट चढ़ जाना, युद्ध क्षेत्र में वीरगति प्राप्त करने से भी अधिक दुष्कर कार्य है। राजकुमारी रत्नावती ने किस प्रकार किले की रक्षा में शत्रु से लोहा लिया और बन्दी सैनिकों के प्रति भी राजधर्म निभाया वर्तमान में बड़े-बड़े तथाकथित देशभक्तों के लिए दा¡तों तले उंगली दबाने वाली बात हो सकती है। वागदत्ता विद्युल्लता द्वारा अपने होने वाले देशद्रोही पति के स्पर्श से बचने के लिए अपने प्राणों का ही बलिदान दे देना, आज के भोगवादी युग में केवल किवदंती लगता है। कुछ आधुनिकाएं इसे मूर्खता भी कह सकती हैं किन्तु इससे उनके बलिदान का मूल्य कम नहीं हो जाता। राज्य के सम्मान के लिए जहर पीने वाली कृष्णा ही नहीं, महाराणा प्रताप को उनके धर्म पर दृढ़ करने वाली बालिका चम्पा के बलिदान वर्तमान भटकती हुई पीढ़ी के लिए आदर्श होने चाहिए। रानी कर्मवती और हाड़ी रानी जैसी राजपुतानियाँ ही नहीं सामान्य वनवासी बालिका कालीबाई व पन्नाधाय जैसी नारियां भी बलिदान देने से पीछे नहीं रहीं। अपनी वीरता व शक्ति के बल पर ही एक सामान्य कृषक कन्या प्रसिद्ध राणा हम्मीर को जन्म दे सकी।
कृषक कन्या हम्मीर माता :- कृषक कन्या हम्मीर माता जब अपने खेतों की रखवाली पर थी, उसने देखा कि चित्तौड़ के महाराणा लक्ष्मणसिंह के सबसे बड़े कुमार अरिसिंहजी अपने साथियों के साथ घोड़ा दौड़ाये एक जंगली सूअर का पीछा करते हुए चले आ रहे हैं। सूअर डरकर उसी के बाजरे के खेत में घुस गया। कन्या अपने मचान से उतरी और घोड़ों के सामने खड़ी हो गयी। बड़ी ही विनम्रता के साथ बोली, `राजकुमार! आपलोग मेरे खेत में घोड़ों को ले जायेंगे तो मेरी खेती नष्ट हो जायेगी। आप यहाँ रुकें, मैं सूअर को मारकर ला देती हू¡।´
राजकुमार आश्चर्य से देखते रह गये। उन्होंने सोचा यह लड़की नि:शस्त्र सूअर को कैसे मारकर लायेगी? उस लड़की ने बाजरे के एक पेड़ को उखाड़कर तेज किया और खेत में निर्भय होकर घुस गयी। थोड़ी ही देर में उसने सूअर को मारकर राजकुमार के सामने ला पटका। राजकुमार का काफिला लौटकर पड़ाव पर आ गया। जब वे लोग स्नान कर रहे थे, तब एक पत्थर आकर उनके एक घोड़े के पैर में लगा, जिससे घोड़े का पैर टूट गया। वह पत्थर उसी कृषक-कन्या ने अपने मचान से पक्षियों को उड़ाने के लिए फेंका था। राजकुमार के घोड़े की दशा देखकर वह दौड़कर आई और क्षमा मा¡गने लगी।
राजकुमार बोले, `तुम्हारी शक्ति देखकर मैं आश्चर्य मैं पड़ गया हू¡। मुझे दु:ख है कि तुम्हें देने योग्य कोई पुरस्कार इस समय मेरे पास नहीं है।´
कृषक-कन्या ने विनम्रता से कहा, ``अपनी गरीब प्रजा पर कृपा रखें, यही मेरे लिए बहुत बड़ा पुरस्कार है।´´ इतना कहकर वह चली गई। संयोग से जब राजकुमार व उनके साथी सायंकाल घोड़ों पर बैठे जा रहे थे, तब उन्होंने देखा, वही लड़की सिर पर दूध की मटकी रखे दोनों हाथों से दो भैंसों की रस्सियाँ पकड़े जा रही है। राजकुमार के एक साथी ने विनोद में उसकी मटकी गिराने के लिए जैसे ही अपना घोड़ा आगे बढ़ाया। उस लड़की ने उसका इरादा समझ लिया और अपने हाथ में पकड़ी भैंस की रस्सी को इस प्रकार फेंका कि उस रस्सी में उस सवार के घोड़े का पैर उलझ गया और घोड़े सहित वह भूमि पर आ गिरा।
निर्भय बालिका के साहस पर राजकुमार अरिसिंह मोहित हो गये, उन्होंने पता लगा लिया कि यह एक क्षत्रिय कन्या है। स्वयं राजकुमार ने उसके पिता के पास जाकर विवाह की इच्छा प्रकट की और वह साहसी वीर बालिका एक दिन चित्तौड़ की महारानी बनी जिसने प्रसिद्ध राणा हम्मीर को जन्म दिया।
पन्नाधाय :- पन्नाधाय के नाम को कौन नहीं जानता? वे राजपरिवार की सदस्य नहीं थीं। राणा सांगा के पुत्र उदयसिंह को मा¡ के स्थान पर दूध पिलाने के कारण पन्ना धाय मा¡ कहलाई। पन्ना का पुत्र व राजकुमार साथ-साथ बड़े हुए। उदयसिंह को पन्ना ने अपने पुत्र के समान पाला अत: उसे पुत्र ही मानती थी।
दासी पुत्र बनवीर चित्तौड़ का शासक बनना चाहता था। उसने एक-एक कर राणा के वंशजों को मार डाला। एक रात महाराजा विक्रमादित्य की हत्या कर, बनवीर उदयसिंह को मारने के लिए उसके महल की ओर चल पड़ा। एक विश्वस्त सेवक द्वारा पन्ना धाय को इसकी पूर्व सूचना मिल गई।
पन्ना राजवंश के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति सजग थी व उदयसिंह को बचाना चाहती थी। उसने उदयसिंह को एक बांस की टोकरी में सुलाकर उसे झूठी पत्तलों से ढककर एक विश्वास पात्र सेवक के साथ महलों से बाहर भेज दिया। बनवीर को धोखा देने के उद्देश्य से अपने पुत्र को उसके पलंग पर सुला दिया। बनवीर रक्तरंजित तलवार लिए उदयसिंह के कक्ष में आया और उदयसिंह के बारे में पूछा। पन्ना ने उदयसिंह के पलंक की ओर संकेत किया जिस पर उसका पुत्र सोया था। बनवीर ने पन्ना के पुत्र को उदयसिंह समझकर मार डाला।
पन्ना अपनी आंखों के सामने अपने पुत्र के वध को अविचलित रूप से देखती रही। बनवीर को पता न लगे इसलिए वह आंसू भी नहीं बहा पाई। बनवीर के जाने के बाद अपने मृत पुत्र की लाश को चूमकर राजकुमार को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए निकल पड़ी। धन्य है स्वामिभक्त वीरांगना पन्ना! जिसने अपने कर्तव्य-पूर्ति में अपनी आ¡खों के तारे पुत्र का बलिदान देकर मेवाड़ राजवंश को बचाया।
वीरांगना कालीबाई :- वीरांगनाओं के इतिहास में केवल राजपूतनियों के नाम ही पाये जाते हों ऐसा नहीं है। राजस्थान की नारियों की नस-नस में त्याग, बलिदान व वीरता भरी हुई है। यहाँ तक कि आदिवासियों ने भी आवश्यकता पड़ने पर जी-जान से देश की प्रतिष्ठा में चार-चा¡द लगाये हैं। राजस्थान की आदिवासी जन-जातियाँ सदैव से देशभक्त व स्वाभिमानी रहीं हैं। इनकी महिलाओं ने भी समय-समय पर अपना रक्त बहाया है। इन्हीं नामो में से एक नाम है वीर बाला कालीबाई का।
स्वाधीनता आन्दोलन चल रहा था। वनवासी अंचल को गुलामी का अँधेरा अभी भी पूरी तरह ढके हुए था। छोटी-छोटी बातों पर अंग्रेजी राज्य के वफादार सेवक स्थानीय राजा अत्याचार करते थे। प्रजा में जागृति न फैले इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता था। वे भयभीत थे कि अगर वनवासी पढ़-लिख गये तो वे नागरिक अधिकारों की बात करेंगे और उनकी राज्य सत्ता कमजोर होगी।
राजा ने अपने क्षेत्र के वनवासी अंचल में सभी विद्यालय बन्द करने का आदेश दिया। नानाभाई डूंगरपुर जिले के वनवासियों के मध्य शिक्षा के प्रसार के काम में लगे थे। वे गांव-गांव जाकर वनवासियों को शिक्षा का महत्व समझाते व पाठशालायें खोलते। डूंगरपुर के महाराज लक्ष्मण सिंह ने क्षेत्र के 25 वर्ष पुराने छात्रावास को बन्द करवाने के बाद नानाभाई के पास आदेश भिजवाया कि वे अपनी पाठशालायें बन्द करें। लेकिन नानाभाई नहीं माने।
अवज्ञा से क्षुब्ध मजिस्ट्रेट 19 जून 1947 को पाठशाला पहुंचे , जहाँ नानाभाई का घर भी था। उस समय नानाभाई अन्य अध्यापक सेंगाभाई से बातचीत कर रहे थे। मजिस्ट्रेट ने उन्हें बुलाया और धमकाते हुए आज्ञा दी कि पाठशाला बन्द करके चाबी उन्हें दें।
पाठशाला बन्द करना नानाभाई को स्वीकार नहीं था। अत: नानाभाई व उनके साथी अध्यापकों को पीटा जाने लगा। मजिस्ट्रेट उन्हें पीटते हुए अपने शिविर तक ले जाने लगा। इतने में ही एक नन्ही बालिका जो उसी समय घास काट कर लाई थी, चिल्लाते हुए ट्रक के पीछे दौड़ी, ``अरे, तुम लोग मेरे मास्टरजी को क्यों ले जा रहे हो? छाड़ दो! इन्हें छोड़ दो!
हाथ में हंसियां, पाँव में बिजली और मुख से कातर पुकार करती वह बच्ची न बन्दूकों से घबराई और न पुलिस की डरावनी धमकियों से। उसे तो बस अपने मास्टरजी दिखाई दे रहे थे। बालिका को देखकर वनवासी भी उत्साहित हो उठे और पीछे दौड़े। यह देखकर पुलिस अधिकारी ने बौखलाकर बन्दूक तानकर कहा, ``ऐ लड़की, वापस जा, नहीं तो गोली मार दू¡गा।´´
लड़की ने उसकी बात को अनुसुना कर ट्रक के पीछे दौड़ते हुए वह रस्सी काट दी, जिससे बांधकर नानाभाठ व सेंगाभाई को घसीटा जा रहा था। पुलिस की बन्दूक गरजी और बालिका की जान ले ली। कालीबाई के मरते ही वनवासियों ने क्रोधोन्मत्त हो मारू बाजा बजाना शुरु कर दिया और पुलिस की बन्दूकों की परवाह न करते हुए उन्हें मारने के दौड़े। गोलियों से कई अन्य भील महिलायें भी घायल हुईं। अपनी दुर्गति का अन्दाजा लगा, पुलिस व मजिस्ट्रेट जीप में भाग निकले।
घायलों को तीस मील दूर अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया। कालीबाई के साथ घायल हुईं अन्य भील महिलायें नवलीबाई, मोगीबाई, होमलीबाई तथा अध्यापक सेंगाभाई बच गये। वे स्वतंत्रता के बाद भी भीलों के मध्य काम करते रहे, किन्तु नानाभाई को नहीं बचाया जा सका और वीर बाला कालीबाई भी नानाभाई का अनुशरण करते हुए चिर-निद्रा में लीन हो गई। डू¡गरपुर में नानाभाई व कालीबाई की स्मृति में उद्यान बनाया गया है और उनकी मूर्तिया भी स्थापित की गईं हैं।
कृषक कन्या हम्मीर माता :- कृषक कन्या हम्मीर माता जब अपने खेतों की रखवाली पर थी, उसने देखा कि चित्तौड़ के महाराणा लक्ष्मणसिंह के सबसे बड़े कुमार अरिसिंहजी अपने साथियों के साथ घोड़ा दौड़ाये एक जंगली सूअर का पीछा करते हुए चले आ रहे हैं। सूअर डरकर उसी के बाजरे के खेत में घुस गया। कन्या अपने मचान से उतरी और घोड़ों के सामने खड़ी हो गयी। बड़ी ही विनम्रता के साथ बोली, `राजकुमार! आपलोग मेरे खेत में घोड़ों को ले जायेंगे तो मेरी खेती नष्ट हो जायेगी। आप यहाँ रुकें, मैं सूअर को मारकर ला देती हू¡।´
राजकुमार आश्चर्य से देखते रह गये। उन्होंने सोचा यह लड़की नि:शस्त्र सूअर को कैसे मारकर लायेगी? उस लड़की ने बाजरे के एक पेड़ को उखाड़कर तेज किया और खेत में निर्भय होकर घुस गयी। थोड़ी ही देर में उसने सूअर को मारकर राजकुमार के सामने ला पटका। राजकुमार का काफिला लौटकर पड़ाव पर आ गया। जब वे लोग स्नान कर रहे थे, तब एक पत्थर आकर उनके एक घोड़े के पैर में लगा, जिससे घोड़े का पैर टूट गया। वह पत्थर उसी कृषक-कन्या ने अपने मचान से पक्षियों को उड़ाने के लिए फेंका था। राजकुमार के घोड़े की दशा देखकर वह दौड़कर आई और क्षमा मा¡गने लगी।
राजकुमार बोले, `तुम्हारी शक्ति देखकर मैं आश्चर्य मैं पड़ गया हू¡। मुझे दु:ख है कि तुम्हें देने योग्य कोई पुरस्कार इस समय मेरे पास नहीं है।´
कृषक-कन्या ने विनम्रता से कहा, ``अपनी गरीब प्रजा पर कृपा रखें, यही मेरे लिए बहुत बड़ा पुरस्कार है।´´ इतना कहकर वह चली गई। संयोग से जब राजकुमार व उनके साथी सायंकाल घोड़ों पर बैठे जा रहे थे, तब उन्होंने देखा, वही लड़की सिर पर दूध की मटकी रखे दोनों हाथों से दो भैंसों की रस्सियाँ पकड़े जा रही है। राजकुमार के एक साथी ने विनोद में उसकी मटकी गिराने के लिए जैसे ही अपना घोड़ा आगे बढ़ाया। उस लड़की ने उसका इरादा समझ लिया और अपने हाथ में पकड़ी भैंस की रस्सी को इस प्रकार फेंका कि उस रस्सी में उस सवार के घोड़े का पैर उलझ गया और घोड़े सहित वह भूमि पर आ गिरा।
निर्भय बालिका के साहस पर राजकुमार अरिसिंह मोहित हो गये, उन्होंने पता लगा लिया कि यह एक क्षत्रिय कन्या है। स्वयं राजकुमार ने उसके पिता के पास जाकर विवाह की इच्छा प्रकट की और वह साहसी वीर बालिका एक दिन चित्तौड़ की महारानी बनी जिसने प्रसिद्ध राणा हम्मीर को जन्म दिया।
पन्नाधाय :- पन्नाधाय के नाम को कौन नहीं जानता? वे राजपरिवार की सदस्य नहीं थीं। राणा सांगा के पुत्र उदयसिंह को मा¡ के स्थान पर दूध पिलाने के कारण पन्ना धाय मा¡ कहलाई। पन्ना का पुत्र व राजकुमार साथ-साथ बड़े हुए। उदयसिंह को पन्ना ने अपने पुत्र के समान पाला अत: उसे पुत्र ही मानती थी।
दासी पुत्र बनवीर चित्तौड़ का शासक बनना चाहता था। उसने एक-एक कर राणा के वंशजों को मार डाला। एक रात महाराजा विक्रमादित्य की हत्या कर, बनवीर उदयसिंह को मारने के लिए उसके महल की ओर चल पड़ा। एक विश्वस्त सेवक द्वारा पन्ना धाय को इसकी पूर्व सूचना मिल गई।
पन्ना राजवंश के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति सजग थी व उदयसिंह को बचाना चाहती थी। उसने उदयसिंह को एक बांस की टोकरी में सुलाकर उसे झूठी पत्तलों से ढककर एक विश्वास पात्र सेवक के साथ महलों से बाहर भेज दिया। बनवीर को धोखा देने के उद्देश्य से अपने पुत्र को उसके पलंग पर सुला दिया। बनवीर रक्तरंजित तलवार लिए उदयसिंह के कक्ष में आया और उदयसिंह के बारे में पूछा। पन्ना ने उदयसिंह के पलंक की ओर संकेत किया जिस पर उसका पुत्र सोया था। बनवीर ने पन्ना के पुत्र को उदयसिंह समझकर मार डाला।
पन्ना अपनी आंखों के सामने अपने पुत्र के वध को अविचलित रूप से देखती रही। बनवीर को पता न लगे इसलिए वह आंसू भी नहीं बहा पाई। बनवीर के जाने के बाद अपने मृत पुत्र की लाश को चूमकर राजकुमार को सुरक्षित स्थान पर ले जाने के लिए निकल पड़ी। धन्य है स्वामिभक्त वीरांगना पन्ना! जिसने अपने कर्तव्य-पूर्ति में अपनी आ¡खों के तारे पुत्र का बलिदान देकर मेवाड़ राजवंश को बचाया।
वीरांगना कालीबाई :- वीरांगनाओं के इतिहास में केवल राजपूतनियों के नाम ही पाये जाते हों ऐसा नहीं है। राजस्थान की नारियों की नस-नस में त्याग, बलिदान व वीरता भरी हुई है। यहाँ तक कि आदिवासियों ने भी आवश्यकता पड़ने पर जी-जान से देश की प्रतिष्ठा में चार-चा¡द लगाये हैं। राजस्थान की आदिवासी जन-जातियाँ सदैव से देशभक्त व स्वाभिमानी रहीं हैं। इनकी महिलाओं ने भी समय-समय पर अपना रक्त बहाया है। इन्हीं नामो में से एक नाम है वीर बाला कालीबाई का।
स्वाधीनता आन्दोलन चल रहा था। वनवासी अंचल को गुलामी का अँधेरा अभी भी पूरी तरह ढके हुए था। छोटी-छोटी बातों पर अंग्रेजी राज्य के वफादार सेवक स्थानीय राजा अत्याचार करते थे। प्रजा में जागृति न फैले इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता था। वे भयभीत थे कि अगर वनवासी पढ़-लिख गये तो वे नागरिक अधिकारों की बात करेंगे और उनकी राज्य सत्ता कमजोर होगी।
राजा ने अपने क्षेत्र के वनवासी अंचल में सभी विद्यालय बन्द करने का आदेश दिया। नानाभाई डूंगरपुर जिले के वनवासियों के मध्य शिक्षा के प्रसार के काम में लगे थे। वे गांव-गांव जाकर वनवासियों को शिक्षा का महत्व समझाते व पाठशालायें खोलते। डूंगरपुर के महाराज लक्ष्मण सिंह ने क्षेत्र के 25 वर्ष पुराने छात्रावास को बन्द करवाने के बाद नानाभाई के पास आदेश भिजवाया कि वे अपनी पाठशालायें बन्द करें। लेकिन नानाभाई नहीं माने।
अवज्ञा से क्षुब्ध मजिस्ट्रेट 19 जून 1947 को पाठशाला पहुंचे , जहाँ नानाभाई का घर भी था। उस समय नानाभाई अन्य अध्यापक सेंगाभाई से बातचीत कर रहे थे। मजिस्ट्रेट ने उन्हें बुलाया और धमकाते हुए आज्ञा दी कि पाठशाला बन्द करके चाबी उन्हें दें।
पाठशाला बन्द करना नानाभाई को स्वीकार नहीं था। अत: नानाभाई व उनके साथी अध्यापकों को पीटा जाने लगा। मजिस्ट्रेट उन्हें पीटते हुए अपने शिविर तक ले जाने लगा। इतने में ही एक नन्ही बालिका जो उसी समय घास काट कर लाई थी, चिल्लाते हुए ट्रक के पीछे दौड़ी, ``अरे, तुम लोग मेरे मास्टरजी को क्यों ले जा रहे हो? छाड़ दो! इन्हें छोड़ दो!
हाथ में हंसियां, पाँव में बिजली और मुख से कातर पुकार करती वह बच्ची न बन्दूकों से घबराई और न पुलिस की डरावनी धमकियों से। उसे तो बस अपने मास्टरजी दिखाई दे रहे थे। बालिका को देखकर वनवासी भी उत्साहित हो उठे और पीछे दौड़े। यह देखकर पुलिस अधिकारी ने बौखलाकर बन्दूक तानकर कहा, ``ऐ लड़की, वापस जा, नहीं तो गोली मार दू¡गा।´´
लड़की ने उसकी बात को अनुसुना कर ट्रक के पीछे दौड़ते हुए वह रस्सी काट दी, जिससे बांधकर नानाभाठ व सेंगाभाई को घसीटा जा रहा था। पुलिस की बन्दूक गरजी और बालिका की जान ले ली। कालीबाई के मरते ही वनवासियों ने क्रोधोन्मत्त हो मारू बाजा बजाना शुरु कर दिया और पुलिस की बन्दूकों की परवाह न करते हुए उन्हें मारने के दौड़े। गोलियों से कई अन्य भील महिलायें भी घायल हुईं। अपनी दुर्गति का अन्दाजा लगा, पुलिस व मजिस्ट्रेट जीप में भाग निकले।
घायलों को तीस मील दूर अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया। कालीबाई के साथ घायल हुईं अन्य भील महिलायें नवलीबाई, मोगीबाई, होमलीबाई तथा अध्यापक सेंगाभाई बच गये। वे स्वतंत्रता के बाद भी भीलों के मध्य काम करते रहे, किन्तु नानाभाई को नहीं बचाया जा सका और वीर बाला कालीबाई भी नानाभाई का अनुशरण करते हुए चिर-निद्रा में लीन हो गई। डू¡गरपुर में नानाभाई व कालीबाई की स्मृति में उद्यान बनाया गया है और उनकी मूर्तिया भी स्थापित की गईं हैं।
शनिवार, 7 जनवरी 2012
बीएसएफ के लिए इंटरनेट प्रहरी परियोजना शुरू
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान देश में अपनी तैनाती की 237 जगहों पर इंटरनेट के जरिए अपने निजी डाटा तक एक्सेस हासिल कर सकेंगे। गृह मंत्री पी चिदंबरम ने इंटरनेट प्रहरी परियोजना की शुरुआत की।चिदंबरम ने कहा कि इस परियोजना से बीएसएफ जवानों को तेजी से फैसले करने में मदद मिलेगी। इस परियोजना की लागत 229 करोड़ रुपये है। इसके तहत बटालियन स्तर तक नेटवर्क कनेक्टिविटी प्रदान की जाएगी। बीएसएफ के लिए 237 तैनाती स्थलों पर अत्याधुनिक डाटा सेंटर बनाये गये हैं। साइबर सुरक्षा के भी पर्याप्त उपाय किये गये हैं ताकि डाटा नुकसान या चोरी होने से बचाया जा सके।
उन्होंने कहा कि इस परियोजना से परिचालनगत विश्लेषण, प्रभावशाली योजना, वित्त और मानव शक्ति प्रबंधन में मदद मिलेगी। इस परियोजना के सफल कार्यान्वयन के लिए व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है। लगभग 150 अधिकारियों को उन्नत आईटी प्रशिक्षण दिया गया है।
करीब 20 हजार कर्मियों को कंप्यूटर की मूलभूत जानकारी दी गयी है और इस परियोजना के तहत विकसित सॉफ्टवेयर से भी अवगत कराया गया है। गृह मंत्रालय ने इंटरनेट प्रहरी परियोजना को 25 फरवरी 2010 को मंजूरी दी थी।
सीमा से पकड़े हथियार
फिरोजपुर सीमा सुरक्षा बल के अमरकोट इलाके के बीओपी वान से शुक्रवार को भारी मात्रा में हथियार बरामद किए हैं। इसमें चार पिस्टल, दो रिवाल्वर एक गन आठ मैगजीन और तीस कारतूस शामिल हैं। यह जानकारी सीमा सुरक्षा बल के फिरोजपुर सेक्टर के डीआईजी राकेश गुप्ता ने दी।
उन्होंने बताया कि सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों को सूचना मिली की वीरवार रात को पाकिस्तान से कुछ हथियार अमरकोट की बीओपी वान पर आने वाले हैं। इसके बाद वहां तैनात सभी जवानों को सतर्क रहने के लिए कह दिया गया। सुबह जब इस इलाके की तलाशी ली गई तो वहां से हथियार बरामद हुए। उन्होंने बताया कि इस मामले में कोई व्यक्ति गिरफ्तार नहीं हुआ है। वीरवार को पुलिस ने पांच किलो हेरोइन सहित दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था। जानकार बताते हैं कि तस्कर धुंध और ठंड का फायदा उठाने में लगे हुए हैं। फिलहाल, सीमा सुरक्षा बल से लेकर सुरक्षा एजेंसी और पुलिस पूरी तरह से सक्रिय है।
उन्होंने बताया कि सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों को सूचना मिली की वीरवार रात को पाकिस्तान से कुछ हथियार अमरकोट की बीओपी वान पर आने वाले हैं। इसके बाद वहां तैनात सभी जवानों को सतर्क रहने के लिए कह दिया गया। सुबह जब इस इलाके की तलाशी ली गई तो वहां से हथियार बरामद हुए। उन्होंने बताया कि इस मामले में कोई व्यक्ति गिरफ्तार नहीं हुआ है। वीरवार को पुलिस ने पांच किलो हेरोइन सहित दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया था। जानकार बताते हैं कि तस्कर धुंध और ठंड का फायदा उठाने में लगे हुए हैं। फिलहाल, सीमा सुरक्षा बल से लेकर सुरक्षा एजेंसी और पुलिस पूरी तरह से सक्रिय है।
प्रवासी भारतीय दिवस ......जयपुर की तरक्की देख खिल उठे
जयपुर की तरक्की देख खिल उठे
जयपुर। प्रवासी भारतीय दिवस में हिस्सा लेने पहुंचे अनिवासी भारतीय बहुत उत्साहित हैं। ज्यादातर शुक्रवार को ही जयपुर पहुंचे। होटल पहुंचने से पहले इन लोगों ने शहर का चक्कर लगाया। ये लोग जयपुर के विकास को देखकर अचम्भित थे।
न्यूजीलैंड से पहुंचे बालाजी चंद्रमोहन ने कहा कि वह जयपुर पहुंचकर रोमांचित हूं। पीबीडी जैसे आयोजन उन जैसे लोगों को दुनियाभर के ऎसे ही अन्य लोगों से मिलने व अपने मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मंच उपलब्ध कराते हैं। मलेशिया से पहुंचे व्यवसायी इब्राहिम शाह ने कहा कि जयपुर ने इतनी आधुनिकता के बावजूद अपनी संस्कृति को जीवित रख सका है।
न्यूयार्क से आए होटल व्यवसायी के.के. मेहता ने कहा कि हवाई अड्डे पर जिस तरह स्वागत हुआ उसे वह कभी भूल नहीं सकते। अमरीका से आई कंचन बनर्जी ने कहा कि यहां का आतिथ्य अद्भुत है।
पीबीडी ने हमें अपनी जड़ों की ओर लौटने, अपने दोस्तों से मिलने और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर उपलब्ध कराया है। नविका ग्रुप के अध्यक्ष नवीन सी. शाह ने कहा कि जयपुर बदल गया है लेकिन इसकी विरासत अब भी दुनियाभर के लोगों को इसकी ओर खींचती है। नवीन "राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका" (आरएएनए) के छह संस्थापक सदस्यों में से हैं।
मेडिकल सेक्टर में प्रवासी दें सहयोग"
जयपुर। केन्द्र सरकार विदेशों में मेडिकल डिग्री लेने वाले चिकित्सकों को देश में प्रैक्टिस करने और पढ़ाने की अनुमति देने पर विचार कर रही है। सरकार जल्द ही इस संबंध में कानून में संशोधन करेगी। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने प्रवासी भारतीय सम्मेलन में ब्रेन गेन नीति की चर्चा करते हुए यह बात कही। आजाद ने कहा कि अभी यह सुविधा ब्रिटेन, अमरीका, कनाडा,ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड में डिग्री लेने वाले चिकित्सकों को ही है लेकिन अब किसी भी देश से स्नातकोत्तर डिग्री लेने वाले चिकित्सक इसका फायदा उठा सकेंगे।
आजाद ने प्रवासी भारतीयों से मेडिकल सेक्टर में सहयोग की अपील करते हुए कहा कि भारत में अच्छे चिकित्सकों के प्रशिक्षण मेंं खूब संभावनाएं है। प्रवासी भारतीयोंं को अस्पताल खोलने के लिए विदेशी पूंजी निवेश प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। बारहवीं पंचवर्षीय योजना में निजी सहभागिता पर विशेष जोर दिया जाएगा। बारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं का बुनियादी ढांचा खड़ा करने का लक्ष्य है। इसी तरह इंडियन पब्लिक स्टेण्डर्ड के अनुरूप प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को क्रमोन्नत करने, जिला एवं ब्लॉक स्तर पर निदान केन्द्र,मेडिकल स्टोरेज,वेयर हाउसिंग, मेडिकल कचरा प्रबंधन आदि पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
आजाद ने बताया कि भारत में 2600 लाख यू एस डॉलर का चिकित्सा बाजार है तथा इसमें 33 प्रतिशत की बढोतरी का अनुमान लगाया गया है। अमरीका में वैकल्पिक चिकित्सा पर जोर दिया जा रहा है तथा 60 प्रतिशत मेडिकल स्कूल वैकल्पिक चिकित्सा की पढाई पर जोर दे रहे है। उन्होंने प्रवासी भारतीयों का आह्वान किया कि भारतीय संस्थाओं में देशी चिकित्सा पद्धतियों की पढ़ाई के लिए विदेशी छात्रों को आगे लाएं।
12वीं पंचवर्षीय योजना में वैकल्पिक चिकित्सा के अच्छे प्रशिक्षण की व्यवस्था पर भी जोर दिया जाएगा। आजाद ने आशा व्यक्त की कि भारत मेडिकल तथा देशी चिकित्सा की पढाई का बड़ा केन्द्र बनेगा। विदेशोंं में चिकित्सा के क्षेत्र में भारतीय प्रवासियों द्वारा अच्छा काम करने की प्रशंसा करते हुए बताया कि तीन लाख भारतीय चिकित्सक विदेशों में अपनी सेवाएं दे रहे है जिनमें 40 हजार चिकित्सक ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कार्यरत है।
राजस्थानी पवेलियन देख गहलोत हुए अभिभूत
जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को बिड़ला सभागार में लगाए गए राजस्थानी पवेलियन का उद्घाटन किया। इस मौके पर पर्यटन मंत्री बीना काक और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। राजस्थान के पवेलियन को हेरिटेज लुक दिया गया है।
इसके लिए पर्यटन मंत्रालय ने काफी मेहनत की थी। राजस्थान के पवेलियन में स्लाइडर के माध्यम से प्रदेश की संस्कृति, विरासत और तरक्की की तस्वीर दिखाई गई। गहलोत इसे देख अभिभूत हो गए।
प्रवासी भारतीय सम्मेलन में शिरकत करने गुलाबी नगरी पधारे पावणों को राजस्थान की कल्चर काफी लुभा रही है। राजस्थान के पवेलियन में प्रवासियों की भारी भीड़ उमड़ी। वैसे यहां मध्य प्रदेश, केरल, बिहार और झारखण्ड के भी पवेलियन बनाए गए हैं लेकिन वहां पर उतनी भीड़ नहीं देखी गई।
12वीं पास किसान गोबरु बना सबके लिए मिसाल, जानते हैं क्यों.
रायपुर/कोंडागांव। उमरगांव जैसी छोटी सी जगह में 35 साल के 12वीं पास किसान गोबरु ने 2 एकड़ में सब्जी उत्पादन की नई इबारत लिखनी शुरू कर दी है। आज वह आसपास के सब्जी उत्पादकों में मिसाल बन गया है।
पांच एकड़ में कभी धान पैदा करने वाले गोबरु को सरकारी टीवी पर आने वाले कृषि दर्शन जैसे कार्यक्रम देख कर इनके टोल फ्री नंबर लगाने के आदत-सी पड़ गई थी। इसी के चलते स्थानीय फसल चक्र से हर बार उसने फूल गोभी की ब्रीड ब्रोकोली और लेट्स की पैदावार शुरू की है।
दोनों का उपयोग सब्जी और सलाह के रूप में किया जाता है। गोबरु के मुताबिक शुरुआती दौर में ग्राहकों ने इस दोनों ब्रोकोली और लेट्स खराब हो चुकी सब्जियां समझा पर जिसने एक बार स्वाद चखा वह दुबारा जरूर आया। नियमित ग्राहक गौतम ललवानी बताते हैं स्वाद देशी फूल गोभी जैसा ही है पर यह पकती जल्दी है और हरापन लुभाता है। ब्रोकोली की वर्तमान प्रति किलो बाजार दर 60 से 70 और लेट्स 50 से 60 रुपए किलो की दर पर बिक रहा है।
कृषि विभाग के मुताबिक संकर प्रजाति के ब्रोकोली और लेट्स का हरापन नैसर्गिक होता है। बस्तर की आबोहवा में यह लाभकारी फसल बन सकती है। किसानों को तमाम जानकारी टोल फ्री नंबर पर विभाग मुहैया कराता है।
दोनों ब्रीडस ठंडी जलवायु वाले यूरोपीय देशों की हैं। भारत के हिमाचंल, बैंगलुरु के आस-पास ग्रीन हाउस में इनका बारहों माह उत्पादन लिया जा रहा है। महानगरों के सितारा होटलों में इनकी खासी मांग सजी और सलाद के लिए होती है।
एनएस तोमर, उपसंचालक, उद्यानिकी विभाग
पांच एकड़ में कभी धान पैदा करने वाले गोबरु को सरकारी टीवी पर आने वाले कृषि दर्शन जैसे कार्यक्रम देख कर इनके टोल फ्री नंबर लगाने के आदत-सी पड़ गई थी। इसी के चलते स्थानीय फसल चक्र से हर बार उसने फूल गोभी की ब्रीड ब्रोकोली और लेट्स की पैदावार शुरू की है।
दोनों का उपयोग सब्जी और सलाह के रूप में किया जाता है। गोबरु के मुताबिक शुरुआती दौर में ग्राहकों ने इस दोनों ब्रोकोली और लेट्स खराब हो चुकी सब्जियां समझा पर जिसने एक बार स्वाद चखा वह दुबारा जरूर आया। नियमित ग्राहक गौतम ललवानी बताते हैं स्वाद देशी फूल गोभी जैसा ही है पर यह पकती जल्दी है और हरापन लुभाता है। ब्रोकोली की वर्तमान प्रति किलो बाजार दर 60 से 70 और लेट्स 50 से 60 रुपए किलो की दर पर बिक रहा है।
कृषि विभाग के मुताबिक संकर प्रजाति के ब्रोकोली और लेट्स का हरापन नैसर्गिक होता है। बस्तर की आबोहवा में यह लाभकारी फसल बन सकती है। किसानों को तमाम जानकारी टोल फ्री नंबर पर विभाग मुहैया कराता है।
दोनों ब्रीडस ठंडी जलवायु वाले यूरोपीय देशों की हैं। भारत के हिमाचंल, बैंगलुरु के आस-पास ग्रीन हाउस में इनका बारहों माह उत्पादन लिया जा रहा है। महानगरों के सितारा होटलों में इनकी खासी मांग सजी और सलाद के लिए होती है।
एनएस तोमर, उपसंचालक, उद्यानिकी विभाग
मिला भंवरी का दांत, घड़ी, लॉकेट और कानों की बाली!
जोधपुर.जालोड़ा गांव के पास बहने वाली राजीव गांधी लिफ्ट नहर ने भंवरी की मौत के रहस्य से पर्दा उठा दिया है। शनिवार को इस नहर से गोताखोरों ने एक हाथ घड़ी, पैरों की बिछिया, कानों के लौंग (बाली), मंगलसूत्र का लॉकेट, कुछ जली हड्डियां और एक दांत भी बरामद किया है।
दांत और हड्डियों के अलावा अन्य वस्तुओं को भंवरी के परिवार वालों को दिखाकर पहचान कराई जाएगी ताकि यह साफ हो सके ये सामान भंवरी देवी के थे या नहीं। मौके पर मौजूद सीबीआई के डीआईजी अशोक तिवारी, रेंज आईजी उमेश मिश्रा और ग्रामीण एसपी नवज्योति गोगोई ने इन वस्तुओं को देख कर सीलबंद करवा दिया है।
सीबीआई पिछले तीन दिन से नहर की छानबीन कर रही है। हालांकि उस खड्डे से भी साक्ष्य जुटाने का प्रयास किया जहां भंवरी को जलाया गया था। शुक्रवार को तैराकों ने बेस बॉल का बल्ला, छुरा, कट्टे और हड्डियों के टुकड़े निकाले थे। हड्डियों को सीएफएएसएल की टीम जांच के लिए दिल्ली ले गई। शनिवार को यह सिलसिला जारी रहा तो नहर ने भंवरी की मौत के और सबूत उगल दिए।
दांत और हड्डियों के अलावा अन्य वस्तुओं को भंवरी के परिवार वालों को दिखाकर पहचान कराई जाएगी ताकि यह साफ हो सके ये सामान भंवरी देवी के थे या नहीं। मौके पर मौजूद सीबीआई के डीआईजी अशोक तिवारी, रेंज आईजी उमेश मिश्रा और ग्रामीण एसपी नवज्योति गोगोई ने इन वस्तुओं को देख कर सीलबंद करवा दिया है।
सीबीआई पिछले तीन दिन से नहर की छानबीन कर रही है। हालांकि उस खड्डे से भी साक्ष्य जुटाने का प्रयास किया जहां भंवरी को जलाया गया था। शुक्रवार को तैराकों ने बेस बॉल का बल्ला, छुरा, कट्टे और हड्डियों के टुकड़े निकाले थे। हड्डियों को सीएफएएसएल की टीम जांच के लिए दिल्ली ले गई। शनिवार को यह सिलसिला जारी रहा तो नहर ने भंवरी की मौत के और सबूत उगल दिए।
जैसलमेर...पुलिस आज की ताजा खबर. 8 जनवरी 2012
45 लाख रुपये मुल्य की अवैध अंग्रेजी शराब बरामद एक गिरफ्तार
जैसलमेर जिला पुलिस द्वारा शराब तस्करो पर नकेल कसने के लिए चलाये जा रहे अभियान के तहत पिछले सप्ताह जिला पुलिस द्वारा कि गई कार्यवाही के क्रम में आज फिर उससे भी बडी कार्यवाही करते हुऐ, पुलिस थाना नाचना क्षेत्र में पुलिस को अवैध अंग्रेजी शराब से भरे हुए एक भारी वाहन को पकडने में सफलता मिली हैं ।पुलिस अधीक्षक ममता विश्नोई ने बताया की शुक्रवार शनिवार को रात्री में एक ट्रक से 45 लाख रुपये मुल्य की अवैध अंग्रेजी शराब बरामद की गई हैं। जरिये मुखबिन सुचना के जिला पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में वृताधिकारी पोकरण श्री विपिन शर्मा के नेतृत्व में गौतम डोटासरा थानाधिकारी नाचना जैफाराम सउनि, सांगसिंह हैड कानि. ,अर्जूनराम कानि. 635 ,श्री श्रवणकुमार कानि. 488 ,श्री फरसाराम कानि. 679 जरिये सरकारी जीप आरजे 15 यूए 0270 चालक माणकराम कानि. 442 द्वारा पुलिस थाना नाचना के हल्खा क्षैत्र में आसकन्द्रा चौराहा पर दौराने नाकांबदी 12.30 पीएम पर पोकरण की तरफ से एक स्वीफ्ट कार व उसके पिछे एक ट्रक आता दिखाई दिया । नजदीक आने पर स्वीफ्ट कार को घेर कर रूकवाई । कार में एक व्यक्ति चलाता हुआ पाया । जिसका नाम पूछा तो घमण्डाराम पुत्र श्री जालाराम विश्नोई पंवार निवासी मालवाड़ा पुलिस थाना चितलवाना जिला जालौर होना बताया । कार के नम्बर आरजे 27 सीए 7541 पाये गये । कार को चैक करने पर कार में बीस कॉर्टून रॉयल स्टेज अग्रेजी शराब के पाये गये । तथा पिछे आई ट्रक को भी घेरकर रूकवाकर चैक की गई तो ट्रक में ड्राईवर श्यामलाल पुत्र. शेराराम जाति विश्नोई निवासी खोखरिया पुथा पिपाड जिला जोधपुर होना व ट्रक नम्बर आरजे 19 जीए 9297 को तिरफाल हटाकर चैक करने पर ट्रक की बॉडी में विभिन्न बा्रन्ड की अग्रेजी शराब के 950 कॉटून भरे हुवे पाये गये । पुछताछ करने पर उक्त अवैध अग्रेजी शराब पंजाब से लाना बताया हैं । जो उक्त अवैध अग्रेजी शराब मय स्वीफ्ट कार व ट्रक के जब्त किया व शराब तस्कर घमण्डाराम पुत्र जालाराम जाति विश्नोई थाना चितवाना जालोर व श्यामलाल को धारा 19/54 ,57 आबकारी अधिनियम तकत गिरफतार कर मुकदमा दर्ज किया गया । अनुसंधान जारी है।
अवैध रूप से शराब रखने व उसका परिवहन करने वाला गिरफतार
जैसलमेर रामगढ़ पुलिस ने अवेध शराब के परिवहन के जुर्म में एक जाने को गिरफ्तार किया हें पुलिस अधीक्षक ममता विश्नोई ने बताया की पुलिस थाना रामगढ़ के हल्खा क्षेत्र मेंजगदीशराम विश्नोई उ0नि0 थानाधिकारी पुलिस थाना रामग को मिली मुखबिर इत्तला अनुसार मन एसएचओ मय जाब्ता द्वारा कस्बा रामग़ से श्रीमति नाथी बेवा नेणूनाथ जाति जोगी निवासी रामग़ के रहवासी घर से अवैध अंग्रेजी शराब की 23 बोतलें बरामद कर अभियुक्ता को धारा 19/54 आबकारी अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया जाकर मुकदमा दर्ज किया। अभिुयक्ता श्रीमति नाथी को बाद अनुसंधान पेश न्यायालय की गया।
’
तालाबों में खोदा जाएगा इंजेक्शन वेल
तालाबों में खोदा जाएगा इंजेक्शन वेल
बाड़मेर 7 जनवरी। घटे भूमिगत जल स्तर से जहा हर तरफ पानी के लिए फसाद बढ़ रहे है वही पानी की इस समस्या से जनता को निजात दिलाने को लेकर बेहद गंभीर सरकार अब जल्द ही एक नई योजना को धरातल पर उतरने जा रही है रेतीले जिलों में भू जलस्तर बढ़ाने के लिए अब तालाबों में Þरीचार्ज वेलÞ खोदने का फै सला लिया जा रहा है। इसके अलावा तालाबों की साज सज्जा पर भी विशेष जोर दिया गया है। सभी तालाबों में एक पक्का घाट तथा बोर्ड लगाने के काम को भी धरातल पर उतरा जायेगा निर्देश दिए गए हैं। राजस्थान जल एवं स्वछता मिशन और राष्ट्रीय पेयजल गुणवत्ता मिशन के तहत इस यात्रा को धरातल पर इस ख़ास योजना को उतारा जायेगा। सीसीडीयू के आई ई सी कं सल्टेंट अशोक सिंह ने बताया कि तालाबों में रीचार्ज वेल खोदने के पीछे मंशा है कि इससे जहंा एक ओर नरेगा में कामगारों को और अधिक दिनों तक काम मिलेगा तो वहीं दूसरी ओर तेजी से गिर रहे भू जलस्तर को कन्ट्रोल में किया जा सकेगा। बारिश के दौरान तालाबों में पानी भर जाएगा और इस तरह से खोदे गए रीचार्ज वेल के सहारे पानी अधिक मात्रा में सोखेगा। इससे काफी हद तक वॉटर लेवल में बढ़ोतरी होगी। उल्लेखनीय है कि गर्मी के दिनों में प्रदेश के कई जनपदों में पानी के लिए हाहाकार मचता है जबकि भू जलस्तर में हो रही कमी को देखते हुए बाड़मेर के कई ब्लाक डार्क जोन घोषित किया जा चुका है। जानकारी के मुताबित रीचार्ज वेल तालाब के ठीक बीचों बीच खोदा जाएगा। इससे वॉटर रीचार्जिग को बढ़ावा मिलेगा। तालाबों के रख रखाव पर भी जोर दिया जाएगा। खासकर जल निकासी के लिए नाली बनायी जाएगी जिससे बारिश के दिनों में तालाब का शेप बिगडऩे की संभावना को खत्म किया जा सके।
क्या है Þइंजेक्शन वेल Þ:- जमीं में भूजल को बढ़ावा देने की यह तकनीक है। Þरिचार्ज वेलÞ दो प्रकार के हो सकते हैं (क) इंजेक्शन कुंआ- जिसमें पानी को पुनर्भरण के लिए अंदर डाला जाता है और (ख) रिचार्ज कुंआ जिसमें पानी गुरुत्व के प्रवाह बहता है। इंजेक्शन कुएं ट्यूबवेल के समान है। यह तकनीक परिष्कृ त सतही जल को गहरे एक्वाफर में डालकर भूमिगत जल भंडारण के लिए उपयुक्त है। इन कुओं को गर्मियों के दौरान पम्पिंग कु ओं के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस विधि से एक या कई एक्वाफर का पुनर्भरण किया जा सकता है। इस तकनीक से पुनर्भरण करना अपेक्षाकृत महंगा है और ट्यूबवेल के निर्माण और रखरखाव के लिए विशेष तकनीक की आवश्यकता है। बेहतर तो यह है कि एक बेकार ट्यूबवेल को रिचार्ज कुंआ के रूप में प्रयोग किया जाए। 50 मी, तक के उथले एक्वाफर के लिए रिचार्ज कुंआ सस्ता पड़ता है, क्योंकि इसमें प्रवाह पुनर्भरण गुरुत्व के कारण होता है। ये कु एं दो प्रकार के हो सकते हैं। एक सूखा और दूसरा गीला। शुष्क कुओं की तली जलस्तर के ऊपर होती है।
नौखड़ा में निकाली स्वास्थय जागरूकता रैली
नौखड़ा में निकाली स्वास्थय जागरूकता रैली
बाड़मेर, 07 जनवरी, 2012 भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय की क्षेत्रीय प्रचार ईकाई बाड़मेर की ओर से स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण पर विशेष जागरूकता अभियान के अंतर्गत बाड़मेर जिले के सिणधरी ब्लांक के नौखड़ा गांव में आज राजकीय सीनियर माध्यमिक विघालय परिसर से प्राथमिक स्वास्थय केन्द नौखड़ा तक जागरूकता रैली का आयोजन किया गया।
रैली को बाड़मेर जिले के सिणधरी ब्लांक के नौखड़ा ग्राम पंचायत के संरपच बागाराम, पूव उप प्रधान देवारामचौधरी, महिला एवं बाल विकास अधिकारी उम्मेदसिह,प्राचार्यर रामलाल ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया । रैली में स्कूल के छात्र छात्राओं द्घारा स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण पर 'जन जन का यही ही है नारा, स्वस्थ्य रहे परिवार हमारा', 'शिक्षा है अनमोल रतन पनें का तुम करों जतन' इत्यादि नारे लगाते हुए ग्राम नौखड़ा के विभिन्न मौहल्लों में होकर रैली प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र नौखड़ा के परिसर में पंहुची। रैली में भाग लेने वाले 130 छात्रछात्राओं व ग्रामीणों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय की बाड़मेर ईकाई द्घारा निशुल्क टी शर्ट वितरित की गई।
चिकित्सा सेवाओं का अधिकाधिक लाभ उठाऐंउम्मेदसिह
बाड़मेर, 07 जनवरी,2012 गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं के लिए जननी शिशु सुरक्षा योजना ग्रामीण क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना में अब जननी के साथ साथ शिशुओं के जन्म की तीस दिनों तक सरकार द्घारा निशुल्क सेवाए दी जा रही है। ग्रामीणों को चिकित्सा सेंवाओं का अधिकाधिक फायदा उठाना चाहिऐं । यह बात भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय के क्षेत्रीय प्रचार कार्यालय बाड़मेर द्घारा स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण विशेष प्रचार अभियान के दौरान बाड़मेर के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र नौखड़ा में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए महिला एवं बाल विकास अधिकारी उम्मेदसिह ने कही।
सिंह ने कहा सरकार द्घारा 2 अक्टुबर 2011से सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निशुल्क जांच एंव दवाईया वितरित की जा रही है। उन्होने इसका लाभ सबको लेने की अपील की।
इस अवसर पर नौखड़ा प्राथमिक स्वास्थय केन्द के प्रभारी राजो गुजर ने कहा कि सरकार द्वारा स्वास्थय केन्दो पर कई तरह की सुविधाऐं उपलब्ध करवाई जा रहीं हैं । मुख्यमंत्री नि:ाुल्क दवा योजना के तहत नि:ाुल्क इलाज के साथ दवाईउपलब्ध करवाई जा रही हैं इसको लेकर किसी तरह की भा्रन्ति से ग्रामीणो को सावचेंत रहना चाहिऐं।यह जैनरिक दवाईयां हर रोग के इलाज के प्रभावीहैं । उन्होने इस दौरान संस्थागत प्रसव मातृ एवं िु मृत्युदर के साथ परिवार कल्याण से जुड़ी योजनाओं की ानकारी दी उन्होने बेटाबेटी में फरक नही समझने एवंम कन्या भ्रुण तथा बालविवाह रोकने की बात कही।
इस अवसर पर पूर्व उपप्रधान एवंम सहकारी समिति के अध्यक्ष देवाराम चौधरी एवं
संरपच वागाराम ने ग्रामीणों से नो से दूर रहने की अपील की उन्होने कहा कि
ग्रामीणों को िक्षा के साथ जुड़कर सरकारी योजनाओं का फायदा लेना चाहिऐं।
कार्यक्रम में क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी बाडमेर के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी नरेन्द्र कुमार ने स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण प्रचार अभियान एंव क्षेत्रीय प्रचार निदेशालय की गतिविधियो एंव कार्यओं की जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम में प्रधानाध्यापक रामलाल चौधरी ,ारिरिक िक्षक हबीब खांन, अध्यापक पूुनमाराम, पे्रमकुमार,अनिल कुमार, हाकमसिह, विरधाराम,खेराजराम के साथ आगंनवाडी कार्यकर्ता दरियादेवी,आा टीमोदेवी,हरितादेवी,गैरोदेवी एवं कन्हैयालाल उपस्थित थे।
डीएफपी बाड़मेर द्घारा स्वास्थ्य एंव परिवार कल्याण पर मोखिक प्रश्नोत्तरी एवंम स्वस्थता एवं सफाई प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें ग्रामीण महिला पुरूषों एंव विघालय के छात्र छात्राओं ने बचढ कर हिस्सा लेते हुए प्रश्नों का जबाब दिया। बावन विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कृत कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम स्थल पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र नौखड़ा द्घारा निशुल्क जांच शिविर आयोजित किया गया। इसमें मैल नर्स सताराम चौधरी एवं त्रिलोक थौरी ने सेवाऐं दी।
जयपुर में प्रवासियों का मेला शुरू
जयपुर में प्रवासियों का मेला शुरू
जयपुर। जयपुर में शनिवार से प्रवासी भारतीयों का मेला शुरू हो गया। दसवें प्रवासी भारतीय सम्मेलन में 54 देशों के प्रवासी शिरकत करेंगे। "ग्लोबल इंडियन-इन्क्लूसिव ग्रोथ" विषय पर हो रहे सम्मेलन में 1350 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। केन्द्र, राज्य सरकार व सीआईआई की साझेदारी में हो रहे सम्मेलन के लिए पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए हैं। सम्मेलन के सभी 24 सत्र बिड़ला सभागार में होंगे। सम्मेलन में शिरकत के लिए प्रवासियों के आने का सिलसिला जारी है। अभी तक करीब एक हजार प्रवासी भारतीय जयपुर पहुंच चुके हैं।
स्टील किंग सहित कई हस्तियां होंगी शामिल
सम्मेलन में स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल, वेदांता समूह के मालिक अनिल अग्रवाल, एशिया की सबसे ताकतवर सौ महिलाओं में शामिल वेंचर केपिटलिस्ट लक्ष्मी प्रतूरी, लंदन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष लॉर्ड करण बिलमोरिया, यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन की 13वीं अध्यक्ष रेणू खटोर, पीएम सलाहकार सैम पित्रोदा, सांसद शशि थरूर, सीताराम येचुरी, निर्देशक प्रियदर्शन सहित कई हस्तियां शामिल होंगी।
सौर ऊर्जा पर सम्मेलन
बिड़ला ऑडिटोरियम में शनिवार को "भविष्य के लिए पानी प्रबंधन", "सौर ऊर्जा- निवेश एवं ग्रामीण विकास" एवं "स्वास्थ्य " विषय पर तीन सेमीनार होंगे। "पर्यटन" विषय पर भी एक सत्र और राज्य सरकार की ओर से "युवाओं पर एक विशेष परिचर्चा" होगी। रात्रि में जयपुर के सिटी पैलेस में पीबीडी प्रतिनिधियों के लिये एक सांस्कृतिक संध्या का कार्यक्रम होगा और प्रतिनिधियों के सम्मान में केंद्रीय विदेशमंत्री रात्रि भोज देंगे।
प्रधानमंत्री करेंगे औपचारिक उद्घाटन
सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन रविवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह करेंगे। इस मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं केंद्रीय प्रवासी भारतीय मामलात मंत्री वायलर रवि, केन्द्रीय प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय के सचिव परवेज दीवान और सीआईआई के अध्यक्ष बी.मथ्थूरमन संबोधित करेंगे। उद्घाटन सत्र के बाद बिडला ऑडिटोरियम में तीन प्लेनरी सेशनों का आयोजन होगा, जिसमें केंद्रीय वित मंत्री प्रणव मुखर्जी एवं केंद्रीय भूतल राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री डॉ सीपी जोशी और केंन्द्रीय पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन के उद्बोधन होंगे।
दूसरे सत्र में केंद्रीय मंत्री वी. मोइली, सिंगापुर में भारतीय राजदूत जीएन पिल्ले, मलेशिया के डीएसएससामी वेलू , सांसद डॉ. शशि थरूर, सीताराम येचूरी और अनंत कुमार के साथ ही राजीव गांधी इंस्टीटयूट फॅार कांटेम्परेरी के निदेशक प्रो. जीमोहन गोपाल, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक ए. कृष्णाकुमार, सीआईआई के महाप्रबंधक चंद्रजीत बनर्जी का संबोधन होगा।
इसी प्रकार तीसरे सत्र में राज्यपाल शिवराज पाटील, प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा, मारीशस के कला एवं संस्कृति मंत्री एम.चोनी एवं कनाडा के मंत्री हरिन्दर ठाकर के संबोधन होंगे। इसके अलावा पीबीडी. ओरिशन सीरिज सत्र में सिंगापुर नेशनल यूर्निवसिटी के डीन एवं प्रो. किशोर महबूबानी मुख्य वक्ता होंगे। रात्रि में जयपुर के निकट सिसोदिया रानी के बाग में राजस्थानी कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रम देंगे और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से प्रतिनिधियों के सम्मान में रात्रि भोज होगा।
आएंगे विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री
प्रवासी भारतीय दिवस के अन्तिम दिन सोमवार बिडला ऑडिटोरियम में प्लेनरी सेशन के साथ ही विभिन्न राज्यों जिनमें बिहार, गुजरात, गोवा, हरियाणा, झारखंड, केरल और मध्यप्रदेश शामिल हैं, के "ग्लोबल इंडियन" स्टेट इंनिशिऎटिव एण्ड अपोरिचनीटिज" विषय पर विशेष परिचर्चा सत्रों का आयोजन होगा। जिनमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं दिगंबर कॉमथ, नरेंद्र मोदी, अर्जुन मुंडा, ओमान चांडी, शिवराज सिंह चौहान, पृथ्वीराज चव्हाण के भाग लेने की संभावना है।
इन सत्रों में केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मुकुल वासनिक, केंद्रीय सूचना एवं प्रोद्योगिकी संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट, केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री ई. अहमद, सांसद मोहम्मद अजहरूदीन, डॉ. गिरजा व्यास, राज्य की पर्यटन मंत्री बीना काक सहित विभिन्न गणमान्य व्यक्ति भाग लेंगे। अंतिम दिन होगा सम्मान सोमवार शाम को राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटील करेंगी। इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट सेवा करने वाले को सम्मानित किया जाएगा।
प्रवासी सम्मेलन पर एक नजर
* 10वां प्रवासी भारतीय सम्मेलन
* 03 दिन, 24 सत्र
* 54 देशों के प्रवासी
* 15 सौ प्रवासी ले सकते हैं हिस्सा
* 06 राज्यों के सीएम व 10 केंद्रीय मंत्री भी पहुंचेंगे
जयपुर। जयपुर में शनिवार से प्रवासी भारतीयों का मेला शुरू हो गया। दसवें प्रवासी भारतीय सम्मेलन में 54 देशों के प्रवासी शिरकत करेंगे। "ग्लोबल इंडियन-इन्क्लूसिव ग्रोथ" विषय पर हो रहे सम्मेलन में 1350 रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। केन्द्र, राज्य सरकार व सीआईआई की साझेदारी में हो रहे सम्मेलन के लिए पुख्ता सुरक्षा इंतजाम किए हैं। सम्मेलन के सभी 24 सत्र बिड़ला सभागार में होंगे। सम्मेलन में शिरकत के लिए प्रवासियों के आने का सिलसिला जारी है। अभी तक करीब एक हजार प्रवासी भारतीय जयपुर पहुंच चुके हैं।
स्टील किंग सहित कई हस्तियां होंगी शामिल
सम्मेलन में स्टील किंग लक्ष्मी निवास मित्तल, वेदांता समूह के मालिक अनिल अग्रवाल, एशिया की सबसे ताकतवर सौ महिलाओं में शामिल वेंचर केपिटलिस्ट लक्ष्मी प्रतूरी, लंदन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष लॉर्ड करण बिलमोरिया, यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन की 13वीं अध्यक्ष रेणू खटोर, पीएम सलाहकार सैम पित्रोदा, सांसद शशि थरूर, सीताराम येचुरी, निर्देशक प्रियदर्शन सहित कई हस्तियां शामिल होंगी।
सौर ऊर्जा पर सम्मेलन
बिड़ला ऑडिटोरियम में शनिवार को "भविष्य के लिए पानी प्रबंधन", "सौर ऊर्जा- निवेश एवं ग्रामीण विकास" एवं "स्वास्थ्य " विषय पर तीन सेमीनार होंगे। "पर्यटन" विषय पर भी एक सत्र और राज्य सरकार की ओर से "युवाओं पर एक विशेष परिचर्चा" होगी। रात्रि में जयपुर के सिटी पैलेस में पीबीडी प्रतिनिधियों के लिये एक सांस्कृतिक संध्या का कार्यक्रम होगा और प्रतिनिधियों के सम्मान में केंद्रीय विदेशमंत्री रात्रि भोज देंगे।
प्रधानमंत्री करेंगे औपचारिक उद्घाटन
सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन रविवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह करेंगे। इस मौके पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं केंद्रीय प्रवासी भारतीय मामलात मंत्री वायलर रवि, केन्द्रीय प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय के सचिव परवेज दीवान और सीआईआई के अध्यक्ष बी.मथ्थूरमन संबोधित करेंगे। उद्घाटन सत्र के बाद बिडला ऑडिटोरियम में तीन प्लेनरी सेशनों का आयोजन होगा, जिसमें केंद्रीय वित मंत्री प्रणव मुखर्जी एवं केंद्रीय भूतल राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री डॉ सीपी जोशी और केंन्द्रीय पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन के उद्बोधन होंगे।
दूसरे सत्र में केंद्रीय मंत्री वी. मोइली, सिंगापुर में भारतीय राजदूत जीएन पिल्ले, मलेशिया के डीएसएससामी वेलू , सांसद डॉ. शशि थरूर, सीताराम येचूरी और अनंत कुमार के साथ ही राजीव गांधी इंस्टीटयूट फॅार कांटेम्परेरी के निदेशक प्रो. जीमोहन गोपाल, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक ए. कृष्णाकुमार, सीआईआई के महाप्रबंधक चंद्रजीत बनर्जी का संबोधन होगा।
इसी प्रकार तीसरे सत्र में राज्यपाल शिवराज पाटील, प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा, मारीशस के कला एवं संस्कृति मंत्री एम.चोनी एवं कनाडा के मंत्री हरिन्दर ठाकर के संबोधन होंगे। इसके अलावा पीबीडी. ओरिशन सीरिज सत्र में सिंगापुर नेशनल यूर्निवसिटी के डीन एवं प्रो. किशोर महबूबानी मुख्य वक्ता होंगे। रात्रि में जयपुर के निकट सिसोदिया रानी के बाग में राजस्थानी कलाकार सांस्कृतिक कार्यक्रम देंगे और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से प्रतिनिधियों के सम्मान में रात्रि भोज होगा।
आएंगे विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री
प्रवासी भारतीय दिवस के अन्तिम दिन सोमवार बिडला ऑडिटोरियम में प्लेनरी सेशन के साथ ही विभिन्न राज्यों जिनमें बिहार, गुजरात, गोवा, हरियाणा, झारखंड, केरल और मध्यप्रदेश शामिल हैं, के "ग्लोबल इंडियन" स्टेट इंनिशिऎटिव एण्ड अपोरिचनीटिज" विषय पर विशेष परिचर्चा सत्रों का आयोजन होगा। जिनमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं दिगंबर कॉमथ, नरेंद्र मोदी, अर्जुन मुंडा, ओमान चांडी, शिवराज सिंह चौहान, पृथ्वीराज चव्हाण के भाग लेने की संभावना है।
इन सत्रों में केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मुकुल वासनिक, केंद्रीय सूचना एवं प्रोद्योगिकी संचार राज्य मंत्री सचिन पायलट, केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री ई. अहमद, सांसद मोहम्मद अजहरूदीन, डॉ. गिरजा व्यास, राज्य की पर्यटन मंत्री बीना काक सहित विभिन्न गणमान्य व्यक्ति भाग लेंगे। अंतिम दिन होगा सम्मान सोमवार शाम को राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटील करेंगी। इस मौके पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट सेवा करने वाले को सम्मानित किया जाएगा।
प्रवासी सम्मेलन पर एक नजर
* 10वां प्रवासी भारतीय सम्मेलन
* 03 दिन, 24 सत्र
* 54 देशों के प्रवासी
* 15 सौ प्रवासी ले सकते हैं हिस्सा
* 06 राज्यों के सीएम व 10 केंद्रीय मंत्री भी पहुंचेंगे
राजस्थान विश्वविद्यालय में राजस्थानी भाषा की हुंकार .
राजस्थान विश्वविद्यालय में राजस्थानी भाषा की हुंकार .
हस्ताक्षर अभियान का आगाज़
जयपुर राजस्थानी भाषा को संवेधानिक मान्यता दिलाने के लिए जयपुर ने हुंकार भरी .राजस्थानी भाषा महिला परिषद् की प्रदेश अध्यक्षा प्रभा चौधरी के नेतृत्व में जयपुर वासियों ने हस्ताक्षर अभियान के जरिये राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए उमड़ पडा ,प्रभा चौधरी ने बताया की राजस्थानी भाषा को संवेधानिक मान्यता दिलाने के प्रयासों के तहत जयपुर में राजस्थान विश्व विद्यालय केम्पस में राजस्थानी भाषा हस्ताक्षर अभियान का आगाज़ किया ,पहले दिन हज़ारो जयपुर वासियों ने हस्ताक्षर कर मायड़ भाषा के प्रति अपना समर्पण व्यक्त कर अपना समर्थन दिया ,विश्व विद्यालय केम्पस में तीन दिनों तक हस्ताक्षर अभियान चलेगा ,
Shobha gurtu - choti si umar
छोटी सी उमर परणाई
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
इतरा दिनां तो म्हाने लाड लड़ाया
अब क्यूँ करो सा म्हाने दूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
थारे पिपलिये री, भोळी म्हें चिडकली
थे चावो तो उड़ जाऊं सा
म्हें तो बबासा सा थारे खूंटे री गावडली
टोरो उठे ही टूर जाऊं सा
भेजो तो भेजो सा मरजी है थारी
सावण में बुलईजो जरूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
थां घर जन्मी, थां घर खेली
अब घर भेजो दूजे
आगे बढ़ू तो पग पाछा पड़े
म्हारो काळजियो थर थर धूजे
मुड़े सुं कई बोलू म्हारा आंसूडा बोले
हिवड़ो भर्यो है भरपूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
संग की सहेल्यां आओ, आप गले मिलल्यां
फिर कदं मिलणो होवे सा
भाई भाभी मावडली सुं जाऊं मैं बिछडके
आँखडल्याँ म्हारी रोवै सा
काईं करूँ म्हाने तो निभाणो पडेगो
दुनिया को यो दस्तूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
इतरा दिनां तो म्हाने लाड लड़ाया
अब क्यूँ करो सा म्हाने दूर
काईं थारो करयो मैं कसूर
इतरा दिनां तो म्हाने लाड लड़ाया
अब क्यूँ करो सा म्हाने दूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
थारे पिपलिये री, भोळी म्हें चिडकली
थे चावो तो उड़ जाऊं सा
म्हें तो बबासा सा थारे खूंटे री गावडली
टोरो उठे ही टूर जाऊं सा
भेजो तो भेजो सा मरजी है थारी
सावण में बुलईजो जरूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
थां घर जन्मी, थां घर खेली
अब घर भेजो दूजे
आगे बढ़ू तो पग पाछा पड़े
म्हारो काळजियो थर थर धूजे
मुड़े सुं कई बोलू म्हारा आंसूडा बोले
हिवड़ो भर्यो है भरपूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
संग की सहेल्यां आओ, आप गले मिलल्यां
फिर कदं मिलणो होवे सा
भाई भाभी मावडली सुं जाऊं मैं बिछडके
आँखडल्याँ म्हारी रोवै सा
काईं करूँ म्हाने तो निभाणो पडेगो
दुनिया को यो दस्तूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
इतरा दिनां तो म्हाने लाड लड़ाया
अब क्यूँ करो सा म्हाने दूर
Shobha gurtu - choti si umar
छोटी सी उमर परणाई
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
इतरा दिनां तो म्हाने लाड लड़ाया
अब क्यूँ करो सा म्हाने दूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
थारे पिपलिये री, भोळी म्हें चिडकली
थे चावो तो उड़ जाऊं सा
म्हें तो बबासा सा थारे खूंटे री गावडली
टोरो उठे ही टूर जाऊं सा
भेजो तो भेजो सा मरजी है थारी
सावण में बुलईजो जरूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
थां घर जन्मी, थां घर खेली
अब घर भेजो दूजे
आगे बढ़ू तो पग पाछा पड़े
म्हारो काळजियो थर थर धूजे
मुड़े सुं कई बोलू म्हारा आंसूडा बोले
हिवड़ो भर्यो है भरपूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
संग की सहेल्यां आओ, आप गले मिलल्यां
फिर कदं मिलणो होवे सा
भाई भाभी मावडली सुं जाऊं मैं बिछडके
आँखडल्याँ म्हारी रोवै सा
काईं करूँ म्हाने तो निभाणो पडेगो
दुनिया को यो दस्तूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
इतरा दिनां तो म्हाने लाड लड़ाया
अब क्यूँ करो सा म्हाने दूर
काईं थारो करयो मैं कसूर
इतरा दिनां तो म्हाने लाड लड़ाया
अब क्यूँ करो सा म्हाने दूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
थारे पिपलिये री, भोळी म्हें चिडकली
थे चावो तो उड़ जाऊं सा
म्हें तो बबासा सा थारे खूंटे री गावडली
टोरो उठे ही टूर जाऊं सा
भेजो तो भेजो सा मरजी है थारी
सावण में बुलईजो जरूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
थां घर जन्मी, थां घर खेली
अब घर भेजो दूजे
आगे बढ़ू तो पग पाछा पड़े
म्हारो काळजियो थर थर धूजे
मुड़े सुं कई बोलू म्हारा आंसूडा बोले
हिवड़ो भर्यो है भरपूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
संग की सहेल्यां आओ, आप गले मिलल्यां
फिर कदं मिलणो होवे सा
भाई भाभी मावडली सुं जाऊं मैं बिछडके
आँखडल्याँ म्हारी रोवै सा
काईं करूँ म्हाने तो निभाणो पडेगो
दुनिया को यो दस्तूर
छोटी सी उमर परणाई ओ बाबासा
काईं थारो करयो मैं कसूर
इतरा दिनां तो म्हाने लाड लड़ाया
अब क्यूँ करो सा म्हाने दूर
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