रायपुर/कोंडागांव। उमरगांव जैसी छोटी सी जगह में 35 साल के 12वीं पास किसान गोबरु ने 2 एकड़ में सब्जी उत्पादन की नई इबारत लिखनी शुरू कर दी है। आज वह आसपास के सब्जी उत्पादकों में मिसाल बन गया है।
पांच एकड़ में कभी धान पैदा करने वाले गोबरु को सरकारी टीवी पर आने वाले कृषि दर्शन जैसे कार्यक्रम देख कर इनके टोल फ्री नंबर लगाने के आदत-सी पड़ गई थी। इसी के चलते स्थानीय फसल चक्र से हर बार उसने फूल गोभी की ब्रीड ब्रोकोली और लेट्स की पैदावार शुरू की है।
दोनों का उपयोग सब्जी और सलाह के रूप में किया जाता है। गोबरु के मुताबिक शुरुआती दौर में ग्राहकों ने इस दोनों ब्रोकोली और लेट्स खराब हो चुकी सब्जियां समझा पर जिसने एक बार स्वाद चखा वह दुबारा जरूर आया। नियमित ग्राहक गौतम ललवानी बताते हैं स्वाद देशी फूल गोभी जैसा ही है पर यह पकती जल्दी है और हरापन लुभाता है। ब्रोकोली की वर्तमान प्रति किलो बाजार दर 60 से 70 और लेट्स 50 से 60 रुपए किलो की दर पर बिक रहा है।
कृषि विभाग के मुताबिक संकर प्रजाति के ब्रोकोली और लेट्स का हरापन नैसर्गिक होता है। बस्तर की आबोहवा में यह लाभकारी फसल बन सकती है। किसानों को तमाम जानकारी टोल फ्री नंबर पर विभाग मुहैया कराता है।
दोनों ब्रीडस ठंडी जलवायु वाले यूरोपीय देशों की हैं। भारत के हिमाचंल, बैंगलुरु के आस-पास ग्रीन हाउस में इनका बारहों माह उत्पादन लिया जा रहा है। महानगरों के सितारा होटलों में इनकी खासी मांग सजी और सलाद के लिए होती है।
एनएस तोमर, उपसंचालक, उद्यानिकी विभाग
पांच एकड़ में कभी धान पैदा करने वाले गोबरु को सरकारी टीवी पर आने वाले कृषि दर्शन जैसे कार्यक्रम देख कर इनके टोल फ्री नंबर लगाने के आदत-सी पड़ गई थी। इसी के चलते स्थानीय फसल चक्र से हर बार उसने फूल गोभी की ब्रीड ब्रोकोली और लेट्स की पैदावार शुरू की है।
दोनों का उपयोग सब्जी और सलाह के रूप में किया जाता है। गोबरु के मुताबिक शुरुआती दौर में ग्राहकों ने इस दोनों ब्रोकोली और लेट्स खराब हो चुकी सब्जियां समझा पर जिसने एक बार स्वाद चखा वह दुबारा जरूर आया। नियमित ग्राहक गौतम ललवानी बताते हैं स्वाद देशी फूल गोभी जैसा ही है पर यह पकती जल्दी है और हरापन लुभाता है। ब्रोकोली की वर्तमान प्रति किलो बाजार दर 60 से 70 और लेट्स 50 से 60 रुपए किलो की दर पर बिक रहा है।
कृषि विभाग के मुताबिक संकर प्रजाति के ब्रोकोली और लेट्स का हरापन नैसर्गिक होता है। बस्तर की आबोहवा में यह लाभकारी फसल बन सकती है। किसानों को तमाम जानकारी टोल फ्री नंबर पर विभाग मुहैया कराता है।
दोनों ब्रीडस ठंडी जलवायु वाले यूरोपीय देशों की हैं। भारत के हिमाचंल, बैंगलुरु के आस-पास ग्रीन हाउस में इनका बारहों माह उत्पादन लिया जा रहा है। महानगरों के सितारा होटलों में इनकी खासी मांग सजी और सलाद के लिए होती है।
एनएस तोमर, उपसंचालक, उद्यानिकी विभाग
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