सोमवार, 2 मई 2011

foto feature....Jain Temples of jaisalmer,rajasthan



Jain Temples of Jaisalmer













Location: In the Jaisalmer Fort

How to reach: Take a rickshaw or share an auto rickshaw

Attraction: Dilwara style paintings, Architecture

Timings: Early morning till 12 noon




Jain Temples situated in the Jaisalmer Fort are a must visit site in Jaisalmer, Rajasthan. You will find these temples to be very old and high pilgrimage as well as archeological value attached to them. These are a group of Jain temples dating back 12th and 15th centuries and are dedicated to various Jain Tirthankars (Hermits). On the walls of the temples, you can find animal & human figures, carved in famous Dilwara style.




These temples are built in the Dilwara style that is famous all over the world for its architecture. The style got its name from the famous 'Dilwara Temples' situated on Mount Abu, a famous Hill station and pilgrimage destination in Rajasthan. The Jain temples in the Jaisalmer Fort are dedicated to Rikhabdevji and Shambhavdev Ji, the famous Jain hermits known as 'Tirthankars'. Like all other structures in Jaisalmer, these temples are craved of yellow sandstones. The beautifully carves decorations on the wall will give you divine peace. The Astapadhi Temples that are situated in the same complex are a must visit too.




The temple complex is open through out the morning till 12noon, for the visitors. So try to get up a bit early or you might miss this splendor. The campus also contain Gyan Bhandar library. Well if you are a student of comparative archeology or otherwise, the library will prove to be a good place to prowl as it contains some of the rare manuscripts available in India.

रविवार, 1 मई 2011

चंद मिनटों में हुआ बरसों की समस्या का समाधान मुख्य सचिव की सोनू में जन सुनवाई ने बांटा राहत का सोना हाथो-हाथ समाधान पाकर पुलकित हो उठे ग्रामीण





चंद मिनटों में हुआ बरसों की समस्या का समाधान
मुख्य सचिव की सोनू में जन सुनवाई ने बांटा राहत का सोना
हाथो-हाथ समाधान पाकर पुलकित हो उठे ग्रामीण
      जैसलमेर, एक मई/जैसलमेर जिले के सोनू गांव के लोगों के लिये रविवार का दिन लोक मंगल के किसी उत्सव से कम नहीं था। मौका था राजस्थान के मुख्य सचिव एस. अहमद द्वारा इस गांव में जन सुनवाई का।
      इसमें मुख्य सचिव ने ग्रामीणों की चौपाल लगाकर समस्याएं सुनी और एक-एक कर सभी समस्याओं का देखते ही देखते समाधान कर दिया।
      बरसों पुरानी मांगों और समस्याओं से चंद मिनटों में मुक्ति पाकर सोनू ग्रामवासी फूले नहीं समाये और उन्होेने मुख्य सचिव के प्रति दिल से कृतज्ञता दर्शायी।
      मुख्य सचिव ने जिला कलक्टर गिरिराज सिंह कुशवाहा तथा जिले के सभी प्रमुख अधिकारियों की मौजूदगी में सोनू के ग्रामीणों की समस्याओं को सुना तथा इनके बारे में विभिन्न विभागों के राज्य स्तरीय उच्चाधिकारियों से अपने मोबाइल पर बातचीत कर सारी समस्याओं का मौके पर ही निदान कर दिया। हाथों हाथ समाधान की ऐसी पहली और प्रभावी कार्यवाही ने ग्रामीणजनों को इतना खुश कर दिया कि चौपाल में रह-रह कर करतल ध्वनि कर ग्रामीण आभार जताते रहे।
      मुख्य सचिव ने जन सुनवाई के दौरान राज-काज में ढिलाई और संवेदनहीनता दर्शाने वाले कई अधिकारियों को कड़ी फटकार भी लगाई।
      सोनू गांव पहुंचने पर सरपंच पूनमसिंह व ग्रामीण जन प्रतिनिधियों व ग्राम्य स्तरीय राज्य कर्मियों ने मुख्य सचिव का स्वागत किया। मंगल कलश लिए सजी-धजी बालिकाओं के समूह ने ढोल-बाजों के नादों के बीच एस. अहमद की अगवानी की। सरपंच ने ग्राम पंचायत क्षेत्र की ज्वलंत समस्याओं पर जानकारी दी।
      जन सुनवाई में सामने आया कि क्षेत्र में भूमिहीनों के फार्म निरस्त कर दिए गये है व विण्ड पॉवर वालों के जमीने दी जा रही है। इस पर मुख्य सचिव ने भूमिहीनों को पट्टे दिए जाने की कार्यवाही आरंभ करने के निर्देश जिला प्रशासन को दिए व कहा कि इस बारे में तकनीकी अड़चनों को दूर किया जाना चाहिए।
     अब सोनू में घर-घर पहुंचेगा पानी
      सोनू गांव को पाईप्ड जल वितरण योजना से जोड़ कर सभी घरों को नल कनेक्शन देने की मांग पर मुख्य सचिव ने वस्तुस्थिति की जानकारी ली। इसमें यह बात सामने आयी कि योजना के निर्धारित मानदण्डों के मुताबिक सन् 2001 की जनसंख्या के आधार पर ढाई हजार की आबादी वाले गांव को पाईप्ड जल योजना से जोड़ने का प्रावधान है लेकिन सोनू की आबादी 1800 ही होने से काम नहीं हो पा रहा है। इस पर मुख्य सचिव ने जैसलमेर में क्षेत्रफल व जनसंख्या अनुपात की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए मानदण्डों में शिथिलता बरत कर सोनू गांव को जल्द से जल्द पाईप योजना से जोड़ कर ग्रामीणों के घरों तक नल कनेक्शन से पानी मुहैया कराने के निर्देश दिये।
      सोनू गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में अलास्का स्थित अप्रवासी भारतीय शिक्षाप्रेमी के विज्ञान विषय खोले जाने पर शिक्षकों की तनख्वाह व अन्य सारा खर्च देने की पेशकश भरे प्रस्ताव के राज्य सरकार के स्तर पर विचाराधीन होने व अब तक निर्णय नहीं हो पाने की स्कूल प्रबंधन द्वारा जानकारी मिलने पर मुख्य सचिव एस. अहमद ने संबंधित शासन सचिव से मोबाईल पर बात कर तत्काल आवश्यक कार्यवाही कर इसका अनुमोदन करने के निर्देश दिये।
     गड़ढ़ों को भरें वरना कार्यवाही, एक अधिकारी को हटाने के निर्देश
      सोनू व आस-पास लाईम स्टोन से भरे ट्रकों की आवाजाही, खनन के लिए काफी संख्या में खोदे गए गड्ढ़ों की वजह से आने वाली समस्याओं व जनहानि-पशुहानि को रोकने के लिए गड्ढे भरवाने की ग्रामीणों की मांग पर मुख्य सचिव ने इस विषय को काफी गंभीरता से लिया। मुख्य सचिव ने आर.एस.एम.एम के उच्चाधिकारियों व इससे संबंधित राज्य स्तरीय अधिकारियों से ग्रामीणों के समक्ष ही मोेबाईल पर बात की व वस्तुस्थिति की गंभीरता से परिचय कराया व निर्देश दिये कि इन सभी गड्ढों को समयबद्ध ढंग से भरा जाए। इस मामले में संतोषजनक जवाब नहीं देने पर संबंधित कंपनी के डी.जी.एम पुरोहित को तत्काल यहां से हटाने का आदेश आर.एस.एम.एम. चैयरमेन एस. अहमद ने दिया।
      मुख्य सचिव अहमद ने इस मामले में संतोषजनक जवाब नहीं देने पर पुरोहित को जमकर फटकार लगाई तथा स्थानीय सरपंच को निर्देश दिये कि इस स्थिति में सुधार नहीं होने पर संबंधित अधिकारियों व कंपनी के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराएं।
     श्रमिकों का शोषण करने वालों की जांच होगी
      ग्रामीणों नेे आर.एस.एम.एम. से जुड़ी कंपनियों जेसीसी, आरकेसी एवं एनसीसी में श्रमिकों से 12-12 घण्टे से अधिक काम लेकर शोषण करने तथा श्रमिकों की पीएफ राशि जमा नहीं करने की शिकायत मुख्य सचिव से की। इस पर मुख्य सचिव ने इन कंपनियों की जांच करने के निर्देश दिए व श्रम कानूनों के अन्तर्गत सख्त कार्यवाही करने का आदेश दिया।
     लम्बे अर्से से गायब दो डॉक्टरों की नौकरी समाप्त करें
      रामगढ़ के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक डॉक्टर के 2005 से तथा दूसरे डॉक्टर के 2010 से गायब रहने की शिकायत पर मुख्य सचिव ने राज्य अधिकारियों से बात की व दोनों डॉक्टरों को नौकरी से हटा दिये जाने के निर्देश दिए। इसके साथ ही इस अस्पताल में डॉक्टर की नियुक्ति कर दिये जाने का आदेश भी दिया। लाईम स्टोन खनन में सभी कंपनियों द्वारा स्थानीय बेरोजगारों से भेदभाव की शिकायत पर उन्होंने जांच की बात कही।
     पशु चिकित्सक की नियुक्ति होगी
      सोनू के राजकीय पशु चिकित्सालय में पांच साल से डॉक्टर के नहीं होने की बात सामने आने पर उन्होंने शीघ्र नियुक्ति के निर्देश विभागीय निदेशक को दिये व कहा कि पशुओं की स्वास्थ्य रक्षा के लिये शीघ्र ही क्षेत्र में कारगर प्रयास सुनिश्चित करें।
     पूर्व सैनिकों के लिए भूमि आवंटन तत्काल करें
      मुख्य सचिव ने भूतपूर्व सैनिकों के लिये भूमि आवंटन में शिथिलता पर संबंधित अधिकारी को  डाँट पिलायी व उनके काम को असंतोषप्रद बताते हुए सोमवार को इस क्षेत्र से संबंधित सभी आवंटन कर दिए जाने का आदेश जयपुर स्थित राज्य अधिकारी को दिया व कहा कि ऐसे मामले में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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मुख्य सचिव एस. अहमद ने जैसलमेर के पर्यटन स्थलों का अवलोकन किया
मौलिकता बनाए रखते हुए प्रभावी पर्यटन विकास के निर्देश
      जैसलमेर, एक मई/मुख्य सचिव एस. अहमद ने रविवार को जिला कलक्टर गिरिराज सिंह कुशवाहा तथा अन्य अधिकारियों के साथ जैसलमेर जिले के पुरातात्विक व पर्यटन महत्व के स्थलों का दौरा किया।
      मुख्य सचिव ने जैसलमेर के इन दर्शनीय स्थलों को अत्यन्त खूबसूरत बताते हुए इन धरोहरों के समुचित संरक्षण एवं बेहतर रख-रखाव के लिये निर्देश दिए।
      मुख्य सचिव ने इनकी मौलिकता को अक्षुण्ण बनाए रखने के निर्देश देते हुए कहा कि इनके आस-पास की भूमि किसी अन्य वाणिज्यिक प्रयोजन आदि के लिए किसी भी कंपनी को आवंटित नहीं की जानी चाहिए ताकि इन स्थलों की मौलिक सुंदरता और आंचलिक परिवेश सुकूनदायी बना रह सके।
      मुख्य सचिव शाही रेलगाड़ी से रविवार प्रातः जैसलमेर पहंुचे जहां जिला कलक्टर  गिरिराज सिंह कुशवाहा तथा जिला प्रशासन के अन्य अधिकारियों ने उनकी अगवानी करते हुए भावभीना स्वागत किया।
      इसके पश्चात मुख्य सचिव ने जैसलमेर जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों कुलधरा, खाभा, राष्ट्रीय मरु उद्यान, लौद्रवा आदि को देखा। मुख्य सचिव ने सम के लहरदार रेतीले धोरों को भी देखा।
      मुख्य सचिव के दौरे में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद एच.एस.मीना, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामावतार गोठवाल, कार्यवाहक पुलिस अधीक्षक गणपतलाल, कार्यवाहक उपखण्ड अधिकारी नाथूसिंह राठौड़ सहित कई अधिकारीगण साथ थे।
      पालीवालों के परित्यक्त गॉँवों के रूप में मशहूर कुलधरा एवं खाभा के पुरा वैभव, बस्तियों की बसावट, भवन निर्माण कला इत्यादि की झलक पाकर मुख्य सचिव खूब अभिभूत हुए।
      जिला कलक्टर गिरिराजसिंह कुशवाहा व जैसलमेर विकास समिति के सचिव चन्द्र प्रकाश व्यास ने कुलधरा व खाभा के पुरा वैभव व ऐतिहासिक तथ्यों के साथ ही इन क्षेत्रों के संरक्षण और विकास के लिये जिला प्रशासन व समिति के स्तर पर की जा रही गतिविधियों व योजनाओं पर विस्तार से जानकारी दी।
      कुलधरा में जैसलमेर विकास समिति के सचिव चन्द्र प्रकाश व्यास ने मुख्य सचिव स. अहमद का शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया तथा समिति की गतिविधियों व पर्यटन विकास पर आधारित बहुरंगी फोल्डर भेंट किया।
      खाभा में मुख्य सचिव ने खाभ फोर्ट तथा खाभा गांव का विहंगम दृश्य देखा। उन्होंने खाभा फोर्ट में सभी हिस्सों का भ्रमण किया और वहां प्रदर्शित पुरातात्विक महत्व की सामग्री, पाषाण, फॉसिल्स तथा अन्य कलात्मक वस्तुओं को बड़ी रुचि के साथ देखा तथा विभिन्न पोस्टर्स के जरिये प्रदर्शित सामग्री के विवरण का अवलोकन किया।
      खाभा फोर्ट के ऐतिहासिक महत्व तथा पालीवालों के गांवों और उनके पलायन के बारे में उत्सुकता के साथ उन्होंने जानकारी प्राप्त की। मुख्य सचिव एस. अहमद ने लौद्रवा के ऐतिहासिक एवं प्राचीन महत्व के जैन मंदिर में विलक्षण शिल्प-स्थापत्य तथा मूर्तियों के कला सौंदर्य को देखा। लौद्रवा मंदिर में उन्होंने पीले पाषाणों पर उकेरी मूर्तियों के शिल्प सौष्ठव, शिलालेखों, कलापूर्ण द्वार आदि को भी देखा तथा बारीकी से जानकारी ली।
      मुख्य सचिव ने जैसलमेर के शिल्प सौन्दर्य और पुरा वैभव की अत्यन्त सराहना की व कहा कि इसके उपयुक्त रख-रखाव के प्रयासों के साथ ही पर्यटकों को इस ओर आकर्षित करने के और अधिक सघन प्रयास होने चाहिएं। इन सभी स्थानों पर क्षेत्रवासियों ने मुख्य सचिव का स्वागत किया।

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      मुख्य सचिव ने राष्ट्रीय मरू उद्यान देखा, गोड़ावण की झलक पायी
      जैसलमेर, एक मई/ मुख्य सचिव एस. अहमद ने रविवार को अपनी जैसलमेर यात्रा के दौरान राष्ट्रीय मरु उद्यान देखा। मुख्य सचिव ने विभागीय अधिकारियों से उद्यान के बारे में जानकारी प्राप्त की।
      मुख्य सचिव ने मरु उद्यान के अंदरूनी हिस्सों का सफर किया तथा प्रसिद्ध गोड़ावण पक्षी की झलक पायी। मुख्य सचिव ने मरु उद्यान क्षेत्र में स्थानीय सरपंच तथा अन्य ग्राम्य जनप्रतिनिधियों व ग्रामीणजनों से चर्चा की तथा क्षेत्रीय वन सम्पदाओं के संरक्षण-संवर्धन का आह्वान किया।
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मुख्य सचिव एस. अहमद ने सीमा क्षेत्र को देखा,
किशनगढ़ फोर्ट का किया अवलोकन
      जैसलमेर, एक मई/ मुख्य सचिव एस. अहमद ने जैसलमेर यात्रा के दौरान रविवार शाम भारत-पाक सीमा क्षेत्र का दौरा किया व बॉर्डर ऑपरेशन पोस्ट को देखा।
      सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों ने मुख्य सचिव का स्वागत किया। मुख्य सचिव ने जिला कलक्टर गिरिराज सिंह कुशवाहा के साथ सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों से सीमा क्षेत्रीय गतिविधियों पर चर्चा की। मुख्य सचिव ने रविवार को प्राचीनतम किशनगढ़ फोर्ट को देखा तथा इसके ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व की जानकारी प्राप्त की।
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टीसी ने चलती ट्रेन में एक महिला यात्री से दुष्कर्म किया


आबूरोड (सिरोही)। अजमेर-दादर एक्सप्रेस टे्रन के एसी कोच में एक टीसी ने चलती ट्रेन में एक महिला यात्री से दुष्कर्म किया। आरोपी को आबूरोड पहुंचने पर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया वहीं रेलवे ने आरोपी टीसी को पहले निलम्बित किया बाद में उसकी सेवाएं समाप्त कर दी। जीआरपी के पुलिस उपअधीक्षक सुरेश कुमार परमार ने बताया कि ट्रेन शुक्रवार रात अजमेर से रवाना हुई थी।
जनरल कोच में सफर कर रही आबूरोड निवासी महिला को टीसी दिनेशदत्त मिश्रा (52) रात 11 बजे ब्यावर स्टेशन पर बहला कर स्लीपर कोच में ले गया। ट्रेन फालना स्टेशन पहुंची तो मिश्रा उक्त महिला को अपने साथ थर्ड एसी कोच बी-2 की 55 नम्बर सीट पर ले गया। महिला का आरोप है कि टे्रन रवाना होने पर टीसी ने उसके साथ दुष्कर्म किया। 
इसी कोच में सवार सूरत निवासी दामोदर पारीक व अन्य यात्रियों ने आरोपी टीसी को पकड़ा और दादर स्टेशन पर फोन किया। सूचना मिलने पर आबूरोड जीआरपी थानाधिकारी ने रात करीब साढ़े बारह बजे आबूरोड स्टेशन पर आरोप की पुष्टि होने पर आरोपी टीसी को गिरफ्तार कर लिया। शनिवार सुबह पीडिता व आरोपी का मेडिकल कराया गया। जीआरपी थानाधिकारी के अनुसार घटना के दौरान आरोपी टीसी ऑफ ड्यूटी था।
आरोपी की सेवाएं समाप्त
रेल प्रशासन ने आरोपी टीसी दिनेशदत्त मिश्रा की सेवाएं समाप्त कर दी है। उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अघिकारी ललित बोहरा ने बताया कि इसके अलावा टीसी अर्जुन सिंह राठौड़ को निलंबित किया गया है।
कुएं में गैस, पांच की मौत 

कोटा। जिले के मोड़क थाना क्षेत्र में ढाबादेह के निकट एक फैक्ट्री परिसर में बने कुएं में जहरीली गैस के असर से पांच जनों की मौत हो गई। पांचों मृतक एक ही परिवार के हैं। कई घंटों की मशक्कत के बाद शवों को बाहर निकाला जा सका। घटना की सूचना पर पुलिस व प्रशासन के तमाम आला अफसर मौके पर पहुंच गए। उन्हें निकालने के प्रयास में उतरा एक एएसआई व चार अन्य लोग भी अचेत हुए हैं, जिन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
पुलिस व प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ढाबादेह से करीब एक किमी दूर झालावाड़ रोड पर ही एक पत्थर घिसाई फैक्ट्री है। फैक्ट्री परिसर में स्थित कुएं में लगे इंजन में तेल डालने के लिए करीब 4.30 बजे हैदर अली (24) पुत्र मोहम्मद अजीम उतरा तो वह बाहर नहीं आया। इसके आबिद उर्फ राजू (25) पुत्र जमील अहमद, बाबू (75) पुत्र अलादीन, रमजान खान (45) पुत्र गुलशेर खान, रशीद  (40) पुत्र बाबू खां कुएं में उतरे, लेकिन देर तक वे भी बाहर नहीं आए। बाद में फारूख, रईस व दौलत तथा ढाबादेह चौकी का एएसआई नेनूराम भी उन्हें निकालने के लिए कुएं में उतरे।
 इनके भी बाहर नहीं आने पर मौके पर काफी भीड़ जमा हो गई। किसी ने फोन कर मोड़क पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने फारूख, रईस, दौलत तथा एएसआई नेनूराम को निकाल मोड़क चिकित्सालय पहुंचाया। जहां से नेनूराम को झालावाड़ अस्पताल रैफर कर दिया। रात करीब साढ़े 9 बजे कोटा से आरएसी, डीएससीएल व नगर निगम के आपदा प्रबंधन दल के सदस्य मौके पर पहुंचे और करीब डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद पांचों के शव एक-एक कर बाहरनिकाले जा सके

 अंतिम छोर के गांवों में जल संकट 

बालोतरा। खत्म होने आए अप्रेल माह के साथ चरम सीमा पर पहुंची गर्मी से इन दिनों हर कहीं पानी को लेकर त्राहि त्राहि मची हुई है। रेतीले इलाकों में बसे गांव व ढाणियों में हालात इतने अघिक खराब है कि रहवासी परिवार बूंद बूंद पानी को तरस गए है। उण्डू-नवातला पेयजल योजना का अंतिम छोर के गांवों में नहीं पहुंचते पानी के साथ क्षेत्र में हैण्डपम्प खुदाई के कछुआ गति के चलते काम से ग्रामीणों के दु:खमय जीवन में परेशानियां और अघिक बढ़ गई है। शीघ्र ही काम को गति देकर हैण्ड पम्पों की खुदाई नहीं की गई तो हालात बूते से बाहर हो जाएंगे।
पंचायत समिति बालोतरा की सीमा से सटी पंचायत समिति बायतु के अंतिम सीमा पर बसे ग्राम पंचायतों में योजना के नहीं पहुंच रहे पानी पर सांसद, विधायक बायतु की अनुशंषा व नियतांश कोष से जलदाय विभाग ने हैण्ड पम्प खुदाई की बड़ी संख्या में स्वीकृतियां जारी की थी ताकि प्रभावित ग्राम पंचायतों के परेशान ग्रामीणों को राहत पहुंचाई जा सके। करीब दो से डेढ़ महिने पहले  इन हैण्डपम्पों की जारी स्वीकृतियां व हुए टेण्डरों पर ग्रामीणों में खुशी छा गई थी, लेकिन खत्म होने आए अप्रेल माह तक प्रभावित ग्राम पंचायतों में कुछ इने गुने ही हैण्ड पम्प खुदने से परेशान ग्रामीण आज भी राहत को तरस गए है।
कार्य की कछुला चाल, ग्रामीण बेहाल
उण्डू-नवातला पेयजल योजना से जुड़ी अंतिम ग्राम पंचायत सणतरा, लापून्दड़ा, खारापार, चीबी, कूम्पलियां आदि में एक बूंद भी योजना के नहीं पहुंच रहे पानी से परेशान ग्रामीणों की मांग पर सांसद, विधायक बायतु ने क्षेत्र के गांवों में हैण्ड पम्प खुदाई की विशेष स्वीकृतियां दिलाई दी।  कार्य की कछुआ चाल पर अभी तक बमुश्किल एक से डेढ़ दर्जन हैण्ड पम्प ही खुद पाए है। ग्राम पंचायत कुम्पलिया में स्वीकृत बारह में से अब तक नाममात्र खुदे चार हैण्ड पम्पों पर इस बात को समझा जा सकता है। इससे पहले से ही परेशान ग्रामीणों की दिक्कतें और अघिक बढ़ गई है।
राहत का सपना चूर-चूर
पंचायत समिति क्षेत्र में स्वीकृत हैण्ड पम्पों की खुदाई का कार्य मानसून शुरू होने तक पूरा हो जाए तो गनीमत है। स्वीकृत करीब डेढ़ सौ में से एक से दो दर्जन हैण्ड पम्पों की ही खुदाई हो पाई है। खुदाई के कार्य में नाममात्र की लगी दो मशीनें दिन में दो ही हैण्डपम्पों की खुदाई करती है। ऎसे में स्वीकृत हैण्ड पम्पों की लंबी सूची पर आधे जून माह तक इनकी खुदाई हो जाए तो बड़ी बात होगी। इसके चलते पेयजल समस्या से निजात मिलने को लेकर ग्रामीणों का सपना चूर चूर हो गया है।
पेयजल के लिए त्राही-त्राही
ग्राम पंचायत कुम्पलिया सहित समीप की ग्राम पंचायतों में उण्डू नवातला योजना का एक बूंद नहीं पहुंच रहे पानी से ग्रामीणों व पशुपालकों की हालत खराब है। धीमी गति से हैण्ड पम्प खुदाई का हो रहा कार्य आग में घी डालने का कार्य कर रहा है। ग्रामीणों को राहत पहुंचाने के लिए कार्य में गति लाएं।
- दौलतराम गोदारा, सदस्य जिला सहायता समिति
कोशिश जारी है
हैण्डपंपों की स्वीकृति व टेण्डर देरी से जारी होने पर काम अभी गति नहीं पकड़ पाया है। इस काम के लिए दो मशीनें लगाई हुई है। 15 मई तक शेष हैण्ड पंपों की खुदाई का कार्य पूरा करने का प्रयास रहेगा।
- भंवरलाल जाटोल, अघिशासी अभियंता, उत्तर खंड जलदाय विभाग

शनिवार, 30 अप्रैल 2011

लोक संगीत का बादशाह अनवर खान बहिया







लोक संगीत का बादशाह अनवर खान बहिया


जब अनवर खान लोक गीत गाते हेैं,तो प्रकृति में शहद घुल जाता हैं।अनवर की गायकी में जादु हैं।थार के लोक गीत संगीत को अन्तराश्टृीय स्तर पर ले जाने में अनवर खान बहिया की गायकी का अहम योगदान हैं।जैसलमेर जिले के छोटे से गांव बहिया में लोक गायक रोजड़ खान के घर जन्में अनवर के दादा भी लोक गायक थे।लोक गीत संगीत अनवर खान को परम्परा में मिला।ंअनवर खान ने बाड़मेर को अपना ठिकाना बना दिया।अनवर लोक गीत संगीत के साधक हैं।चान्दण मुल्तान,सदीक खान जैसे उस्ताद लोक गायकों के शार्गिद अनवर खान ने इनसे लोक गीत सेगीत की बारीकियॉ सीखी।सम्पूर्ण भारत के साथ साथ लगभग 45 देशों में अपनी गायकी का परचम लहरा चुके अनवर खान ने विख्यात संगीतकार ए.आर.रहमान की फिल्मों में भी गा चुके हैं,साथ ही कई हिन्दी फिल्मों में अपनी लोक गायकी का जलवा बिखेर चुके हैं।लोक गायकी के अलावा अनवर खान बेहतरीन सुफी गायक हैं।जब अनवर सुफी ौली में लोक गीत गाते हैं,तो श्रोता मदमस्त हो कर झूम उठते हैंअनवर का अपना दल हैं जिसके माध्यम से देशविदेशों में लोक गीतसेगीत के कार्यक्रम करते हैं।अनवर खान का भाईबाबु खान और भतीज रईस खान भी बेहद अच्छे गायक हैं।बाबु खान लोक वाद्य कमायचा तथा रईस खान सारंगी बजाते हैं।शास्त्रीय संगीत की आत्मा लोक गीतों में बसती हैं यह अनवर का मानना हैं।अनवर रागों में विश्वास नहीं रखते।अनवर का मानना हैं किराग गीतो में होता हैं।लोक गीत प्रकृति की देन हैं,हम प्रकृति अका भरपूर आनन्द उठाते हैं।फिल्मी दुनिया में जाने के अनवर खिलाफ हैंअनवर का कहना हैं कि हम फिल्मों में चले गए तो लोक गीत संगीत की इस परम्परा को जिन्दा कौन रखेगा।अनवर को लोक गायक होने का गर्व हैं।मारवाड़ी,राजस्थानी,हिन्दी,उर्दु,पंजाबी,सिन्धी भाशाओं में गाने वाले अनवर खान लोक गीत संगीत को नई उॅचाईयों पर पहुॅचाना चाहते हैं।अनवर खान की गायिकी का लौहा गजल गायक जगजीत सिंह भी मानते हैं।जगजीत सिेंह की नई एलबम पधारों महारे देश में मुख्य गीत का मुखउा अनवर खान बहिया ने गाया हैं।अनवर राजस्थानी तथा सूफी गायिकी की मिसाल हैं।रेगिस्तान कें इस लाल को सलाम।

Padharo Mhare Des ..jagjit singh with deserts manganiyar folk singer anwar khan bahiya

Padharo Mhare Des .first time .jagjit singh with deserts manganiyar folk singer anwar khan bahiya

शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

Khuri...jaisalmer..sand dunes palace...sea best photo grafs of khuri


















Khuri - Surrounded by huge desert hills, the Khuri village is located just 40 kms in the south west of Jaisalmer. Feel the real romance underneath the starlit night at Khuri. Explore the exotic sand dunes on a camel back to witness the spectacular Sunset behind the Golden desert.

At Khuri Village, experience the hospitality that is so much associated with Rajasthan. The warmth of the people is sure to make you feel at home away from home. It will be the most unique and personal way to experience the cultural tours of Rajasthan. The village carries a unique charm that makes it distinct from the other tourist destinations in Rajasthan. Narrow streets of the villages lined with shops selling local handcrafted items and food is a site to behold. Your stay at Khuri village is sure to be an enriching experience that you will cherish for the rest of your life. Just pack your bags and get ready to have an experience of a lifetime.

धोरों की धरती से गोरों के आसमाँ तक पसरा आवाज का जादू जैसाण के अर्जुन ने साधा लक्ष्य, आवाज की दुनिया में लहराया परचम

धोरों की धरती से गोरों के आसमाँ तक पसरा आवाज का जादू
जैसाण के अर्जुन ने साधा लक्ष्य, आवाज की दुनिया में लहराया परचम


भारतीय कला और संस्कृति की परम्पराओं से दुनिया वालों को रूबरू कराने में स्वर्ण नगरी जैसलमेर के एक शख़्स ने वह करिश्मा कर दिखाया है जिसने आवाज की दुनिया में स्वर्णिम इतिहास बना कर यह साबित कर दिखाया है हुनर के मामले में हम भारतीय किसी से उन्नीस नहीं हैं। जैसलमेर की सरजमीं पर जन्मे श्री अर्जुनसिंह भाटी उन कलाकारों में शुमार हो चले हैं जिनकी साख अन्तर्राष्ट्रीय क्षितिज पर पसरती हुई जैसलमेर को गौरव प्रदान कर रही है।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री अर्जुनसिंह भाटी संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल पब्लिक रेडियो ॔॔रोबिन हुड़ रेडियो’’ से जुड़े हुए ऐसे शख्स हैं जिनके कार्यक्रम दुनिया के लोग सुनते रहे हैं। आगामी नौ फरवरी न सिर्फ श्री भाटी के लिए बल्कि जैसलमेर और मारवाड़ के साथ ही देश के लिए भी गौरव का दिन होगा जब अंग्रेजी भाषा में प्रसारित उनका लाईव शो ॔॔अराउण्ड द वर्ल्ड विथ अर्जुनसिंह भाटी’’ अपना सौवाँ एपीसोड पूरा करेगा। इस रेडियो पर किसी भी भारतीय द्वारा प्रसारित किए जाने वाला यह ऐसा पहला ऐतिहासिक कार्यक्रम होगा जो अपने प्रसारण का यह सफर सफलतापूर्वक पूरा कर रहा है।
रोबिन हुड रेडियो संयुक्त राज्य अमेरिका का नेशनल पब्लिक रेडियो है जिसका मुख्यालय न्यूयार्क से 200 किलोमीटर दूर कनेटीकट प्रान्त के शेरन शहर में है।
रोबिन हुड रेडियो काफी लोकप्रिय प्रसारण सेवा है जिसके द्वारा प्रसारित कार्यक्रम अमेरिका सहित विश्व के 34 देशों में सुने जाते हैं। इस रेडियो पर मनोरंजन, शिक्षा, संस्कृति आदि से संबंधित कार्यक्रम प्रमुखता से प्रसारित होते हैं। सामाजिक और साँस्कृतिक सरोकारों से जुड़ा यह दुनिया का अपनी तरह का पहला प्रसारण है। रेडियो प्रमुख मार्शल माईल्स व प्रमुख उद्घोषक जिल गुडमेन द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की श्रेणी में इस बहुद्देशीय कार्यक्रम की रूपरेखा दो वर्ष पूर्व तैयार की गई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अमेरिका सहित विश्व के अन्य देशों के श्रोताओं को भारत वर्ष की गौरवशाली सँस्कृति, गर्वीली परम्पराओं और मनोहारी रीतिरिवाजों और भारतीय साँस्कृतिक परिवेश की विलक्षणताओं से परिचित कराना था।
ऐसे में विविधताओं से भरे हुए भारतवर्ष से ऐसे किसी वक्ता की तलाश शुरू हुई जो भारत के किसी स्थानीय जिले व प्रान्त के बारे में अच्छी जानकारी रखने के साथ ही सम्पूर्ण भारत की संस्कृति, परम्पराओं व रीतिरिवाजों का वर्णन करने में सक्षम हो। इसके साथ ही रेडियो यू.एस. ए. ऐसे हुनरमंद वक्ता से कार्यक्रम प्रसारित करवाना चाहता था जो कि स्थानीय भारतीय परिवेश और स्थानीय लोक साँस्कृतिक परम्पराओं की जानकारी का अंग्रेजी भाषा में सरल, सहज और प्रभावपूर्ण
अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोतर एवं अंग्रेजी भाषा में लेखन में गहरी रुचि रखने वाले श्री अर्जुनसिंह भाटी पेशे से अध्यापक हैं लेकिन बहुआयामी विधाओं के सृजनात्मक शिल्पी हैं।
उनके द्वारा लिखित आंग्ल कहानी ॔॔माय विडोव्ड आँट’’ हांगकांग की एक प्रतिष्ठित पत्रिका में प्रमुखता से प्रकाशित की गई। अपनी प्रथम रचना के माध्यम से भारतीय समाज में वैधव्य जीवन का मार्मिक प्रस्तुतीकरण किया गया है जिसमें बताया गया है कि भारतीय समाज में व्याप्त अशिक्षा सामाजिक मूल्यों का किस स्थिति तक अवमूल्यन करती है वहीं शिक्षा के द्वारा वैधव्य का दंश झेल रही महिलाओं के आत्म सम्मान की रक्षा एवं उन्हें यथोचित अवलम्ब प्रदान किया जा सकता है।
इसी कहानी को यू.एस. लेखिका सुजन सिडल द्वारा काफी सराहा गया। साथ ही श्री भाटी का नाम यू.एस. रेडियो को भी प्रस्तावित किया गया। इसी क्रम में दो वर्ष पहले 15 मार्च 2009 को 15 मिनट की एक वार्ता इंटरनेट पर यू.एस. रेडियो की प्रमुख उद्घोषक द्वारा टेप की गई।
रेडियो प्रमुख मार्शल माईन्स इस वार्ता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस कार्यक्रम को साप्ताहिक लाईव प्रसारित करने की घोषणा की एवं स्वयं श्री माईल्स भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए। श्री भाटी द्वारा प्रसारित यह कार्यक्रम प्रत्येक मंगलवार भारतीय समयानुसार सांय 6:45 पर प्रसारित किया जाता है। इस कार्यक्रम का नाम पहले दिन से ही ॔॔ अराउण्ड द वर्ल्ड विथ अर्जुनसिंह भाटी’’ रखा।
कार्यक्रम के पंद्रह एपिसोड प्रसारित होने के साथ ही यह कार्यक्रम अमेरीकन रेडियो की रेंकिंग में टॉप पर पहुँच गया। कार्यक्रम की सफलता को देखते हुए यू.एस. रेडियो ने इस कार्यक्रम को अपना ॔मोस्ट पापुलर प्रोग्राम’ घोषित किया।
शेरन के स्थानीय श्रोताओं ने रेडियो प्रमुख से बात कर श्री अर्जुनसिंह भाटी को यू.एस. यात्रा पर आमंत्रित करने की इच्छा जाहिर की। फलस्वरूप यू.एस. रेडियो द्वारा वर्ष 2009 के अगस्त माह में एक महीने की यात्रा के लिए भाटी को आमंत्रित किया गया। चूंकि यू.एस. वीजा की शर्तों के अनुसार श्री भाटी को वीजा स्वीकृति चुनौती प्रतीत हो रही थी, लेकिन रेडियो प्रमुख मार्शल माईल्स के अथक प्रयत्नों से श्री भाटी का आवेदन यू.एस. रेडियो द्वारा स्वीकृत किया गया। हालांकि श्री भाटी ने सिर्फ एक माह वीजा के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनके द्वारा प्रसारित कार्यक्रम की अपूर्व सफलता के मद्देनज़र यू.एस. एम्बेसी ने श्री भाटी को 10 वर्ष का वीजा स्वीकृत किया।
अपने महीने भर के यू.एस. प्रवास के दौरान श्री भाटी ने यू.एस. रेडियो पर दर्जन भर से ज्यादा कार्यक्रम प्रस्तुत किए। श्री भाटी यू.एस. के स्थानीय श्रोताओं से मिले जिन्होंने गर्मजोशी से स्वागत किया तथा उनके कार्यक्रम की प्रशंसा की एवं यू.एस. में स्थानीय मीडिया ने श्री भाटी की यात्रा की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया।

गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

गुडा मेगा हाईवे पर दो वाहनो में लगी आग,दो जिन्दा जले


गुडा मेगा हाईवे पर दो वाहनो में लगी आग,दो जिन्दा जले
बाडमेर बाउमेर जिले के गुडामालानी ळाना क्षैत्र के मेगा हाईवे पर पीपराली गांव के पास एक टैंकर और ट्रक के बीच भिउन्त के बाद दोनो वाहनों में भीशण आग लग जाने से दो जनों की जिन्दा जल जाने से मौत हो गई वही दो जनों को जिन्दा बचाया।पुलिस थानाधिकारी ताराराम बैरवा नें बताया कि जिले के गुडा थाना क्षैत्र के मेगा हाईवे पर स्थित पीपराली गांव के समीप दोपहर बाद भीशण भिडन्त कें बाद आग लग गई जिसके कारण दोनो वाहनों में सवार चार जनों में से दो जने जिन्दा जल गऐ।जबकि ग्रामीणों ने दो को बचा दियां।घायलों को बाडमेर अस्पताल उपचार के लिऐ लाया जा रहा हैं।घटना की जानकारी मिलने पर जिला प्रासन और पूलिस प्रासन घटनास्थल के लिऐ पवाना हुऐ हैं।समाचार लिखे जाने तक कार्यवाही जारी थी।मुतकों की पहचान भाखराराम विनोई निवासी खारा तथा गोगाराम विनोई निवासी कोजा कें रूप में की गई।

जब एक वेश्या टीलों ने बनवाया ऐतिहासिक तालाब गढ़ीसर का प्रवेश द्वार










जब एक वेश्या टीलों ने बनवाया ऐतिहासिक तालाब का प्रवेश द्वार

जैसलमेर’देश के सबसे अंतिम छोर पर बसी ऐतिहासिक स्वर्ण नगरी ‘जैसलमेर’ सारे विश्व में अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। रेत के समंदर में बसे जैसल में तब दूर-दूर तक पानी का नामोनिशान तक न था। राजा और प्रजा बेसब्री से वर्षाकाल का इंतज़ार करते थे। वर्षा के पानी को एकत्र करने के लिए वि. सं. 1391 में जैसलमेर के महारावल राजा जैसल ने किले के निर्माण के दौरान एक विशाल झील का निर्माण करवाया, जिसे बाद में महारावल गढ़सी ने अपने शासनकाल में पूरा करवाकर इसमें पानी की व्यवस्था की। जिस समय महारावल गढ़सी ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था उन्हीं दिनों एक दिन धोखे से कुछ राजपूतों ने ही उनकी हत्या झील के किनारे ही कर दी थी। तब तक यह विशाल तालाब ‘गढ़सीर’ के नाम से विख्यात था जो बाद में ‘गढ़ीसर’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
जैसलमेर शहर के दक्षिण पूर्व में स्थित यह विशाल तालाब अत्यंत ही कलात्मक व पीले पत्थरों से निर्मित है। लबालब भरे तालाब के मध्य पीले पत्थरों से बनी राव जैसल की छतरी पानी में तैरती-सी प्रतीत होती है। गढ़ीसर तालाब 120 वर्ग मील क्षेत्रफल की परिधि में बना हुआ है जिसमें वर्षा के दिनों में चारों तरफ से पानी की आवक होती है। रजवाड़ों के शासनकाल में इसके मीठे पानी का उपयोग आम प्रजा व राजपरिवार किया करते थे। यहां के जल को स्त्रियां बड़े सवेरे सज-धज कर समूहों में लोकगीत गाती हुई अपने सिरों पर देगड़े व चरियां भर कर दुर्ग व तलहटी तक लाती थीं।
एक बार वर्षाकाल में मूसलाधार बारिश होने से गढ़सी तालाब लबालब भर गया और चारों तरफ रेगिस्तान में हरियाली छा गई। इससे राजा व प्रजा इतने रोमांचित हो उठे कि कई दिन तक जैसलमेर में उत्सव-सा माहौल रहा, लेकिन इसी बीच एक दु:खद घटना यह घटी कि अचानक तालाब के एक ओर की पाल ढह गई व पूरे शहर में पानी भर जाने के खतरे से राजा व प्रजा में भय व्याप्त हो गया। सारी उमंग खुशियां काफूर हो गयीं। उन दिनों जैसलमेर के शासक केसरी सिंह थे।
महारावल केसरी सिंह ने यह दु:खद घटना सुनते ही पूरे नगर में ढिंढोरा पिटवाकर पूरी प्रजा को गढ़सी तालाब पर पहुंचने का हुक्म दिया व स्वयं भी हाथी पर सवार हो तालाब पर पहुंच गए। लेकिन इस बीच उन्होंने अपने नगर के समस्त व्यापारियों से अपने-अपने गोदामों से रूई के भरे बोरों को लेकर आने को कहा। रूई से भरी अनेक गाडिय़ां जब वहां पहुंचीं तो राव केसरी ने अपनी सूझ-बूझ से सबसे पहले बढ़ते पानी को रोकने के लिए हाथियों को कतारबद्ध खड़ा कर दिया और प्रजा से धड़ाधड़ रूई से भरी बोरियां डलवाकर उसके ऊपर रेत की तंगारियां डलवाते गए। देखते ही देखते कुछ ही घंटों में तालाब की पाल को फिर से बांध दिया गया तथा नगर को एक बड़े हादसे से बचा लिया गया।
ऐतिहासिक गढ़ीसर तालाब को बड़े हादसे से भले ही बचा लिया गया लेकिन इसे एक बदनामी के सबब से कोई नहीं बचा सका, क्योंकि यह आज भी एक ‘बदनाम झील’ के नाम से जानी जाती है। गढ़ीसर तालाब दिखने में अत्यंत ही कलात्मक है क्योंकि इस तालाब पर स्थापत्य कला के दर्शन होते हैं। तालाब के पत्थरों पर की गई नक्काशी, बेल-बूटों के अलावा उन्नत कारीगरी, बारीक जालीदार झरोखे व तक्षण कला के नमूने हैं।
गढ़ीसर तालाब को और भी भव्यता प्रदान करने के लिए इसके ‘प्रवेश द्वार’ को यहीं की एक रूपगर्विता टीलों नामक वेश्या ने बनवाया था जिससे यह ‘वेश्या का द्वार’ के नाम से पुकारा जाता है। यह द्वार टीलों ने संवत 1909 में निर्मित करवाया था। लावण्य व सौंदर्य की मलिका टीलों वेश्या के पास बेशुमार दौलत थी जिसका उपयोग उसने अपने जीवनकाल में सामाजिक व धार्मिक कार्यों में किया। टीलों की सामाजिक व धार्मिक सहिष्णुता से बड़े-बड़े व्यापारी, सोनार व धनाढ्य वर्ग के लोग भी प्रभावित थे।
वेश्या टीलों द्वारा बनाये जा रहे द्वार को देखकर जब स्थानीय लोगों में यह कानाफूसी होने लगी कि महारावल के होते हुए भला एक वेश्या तालाब का मुख्य द्वार क्यों बनवाये। बड़ी संख्या में नगर के बाशिंदे अपनी फरियाद लेकर उस समय की सत्ता पर काबिज महारावल सैलन सिंह के पास गये। वहां पहुंच कर उन्होंने महारावल के समक्ष रोष प्रकट करते हुए कहा कि महारावल, टीलों गढ़ीसर तालाब का द्वार बनवा रही है और वह पेशे से वेश्या है। आम जनता को उस बदनाम औरत के बनवाये द्वार से गुजर कर ही पानी भरना पड़ेगा, इससे बढ़कर शर्म की बात और क्या होगी? कहा जाता है कि महारावल सैलन सिंह ने प्रजा की बात को गंभीरता से सुनने के बाद अपने मंत्रियों से सलाह-मशविरा कर तुरंत प्रभाव से ‘द्वार’ को गिराने के आदेश जारी कर दिये।
लेकिन उस समय तक ‘मुख्य द्वार’ का निर्माण कार्य अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका था। जैसे ही टीलों को महारावल सैलन सिंह के आदेश की भनक लगी तो उसने भी अपनी सूझबूझ व बड़ी चालाकी से अपने समर्थकों की सहायता से ‘मुख्य द्वार’ के ऊपर भगवान विष्णु का मंदिर हाथों-हाथ बनवा दिया। मंदिर चूंकि हिन्दुओं की भावना व श्रद्धा का प्रतीक साबित हो गया, अत: किसी ने भी मुख्य द्वार को तोडऩे की हिम्मत न जुटायी। अंतत: वेश्या टीलों द्वारा बनाया गया भव्य कलात्मक द्वार बच गया, लेकिन हमेशा-हमेशा के लिए ऐतिहासिक स्वर्ण नगरी जैसलमेर में गढ़ीसर तालाब के मुख्यद्वार के साथ वेश्या ‘टीलों ’ का नाम भी जुड़ गया।
गढ़ीसर तालाब का मुख्य द्वार गढ़ाईदार पीले पत्थरों से निर्मित है लेकिन इसके ऊपर की गई बारीक कारीगरी जहां कला का बेजोड़ नमूना है वहीं कलात्मक अलंकरण व पत्थरों पर की गई खुदाई विशेष रूप से चिताकर्षक है। जैसलमेर आने वाले हज़ारों देशी-विदेशी सैलानी ऐतिहासिक नगरी व रेत के समंदर में पानी से भरी सागर सदृश्य झील को देखकर रोमांचित हो उठते हैं।

बुधवार, 27 अप्रैल 2011

गांव का नाम झाबरा

मान्यता के अनुसार सन् 1530 में खेड से मल्लिनाथ राठौड़ अपने गुरू झबरजी राजपुरोहित के साथ पोकरण आए। मल्लिनाथ ने अपने गुरू को यह गांव भेंट किया था। जिसके चलते झबरजी के नाम से इस गांव का नाम झाबरा पड़ा। प्राचीन समय में यहां पर पेयजल आपूर्ति करने के लिए झबरजी के कुंए का निर्माण किया गया था जो आज भी गांव में पेयजल व्यवस्था को सुचारू करने में सहयोगी है। गांव में मल्लिनाथ का जाल, ठाकुरजी का मंदिर तथा संतोकपुरी जी की 300 वर्ष पुरानी जीवित समाधी है। 

बम मिलने से सनसनी बारूद के ढेर पर सीमा क्षैत्र


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बम मिलने से सनसनी बारूद के ढेर पर सीमा क्षैत्र
बाडमेर भारत पाकिस्तान सरहद पर बसा बाडमेर जिले का सरहदी थाना क्षैत्र गडरा रोड क्षैत्र बारूद के ढेर पर सांस ले रहा हैंभारत पाकिसतान के बीच इस क्षैत्र में हुऐ युद्धों के औरान बिना फटे सैकडौं जिन्दा बम रेतिलें क्षैत्रों में दबे पडे हैं।प्रति साल एक दर्जन से अधिक बिना ुटे बम विभिन्न क्ष्रैत्रों में निकल रहे हैंये बम वो हैं जो युद्ध के दौरान रेगिस्तानी धोरों में अब जाने से फटे नहीं थे।अब धीरे धीरे जहॉ जॅहा खुदाई होती हैं,वॅहा जिन्दा बम निकल रहे हैं।जिसके कारण इस क्षैत्र के लोग दहात में हैं।मंगलवार रात्री आठ बजे गडरा गांव में एक मकान की नींव खुदाई के औरान बम मिलने से सनसनी फैल गई।बम की सूचना मिलने पर पुलिस एवं सुरक्षा एजेंसिया मोैके पर पहुॅची तथा बम को सुरक्षित रखवाया।तथा सेना के बम निरोधक दस्ते को बम नश्कि्रिय करने के लिया बुलाया गया हैं। मगलवार को रात में बाड़मेर जिले के गडरा गाव में एक सक्स अपने घर की खुदाई करावा रहा था इसी दोहरान करीब तीन फुट पर एक बम मिल गया इस पर घर के मालिक जुझार सिंह ने पुलिस  को सुचना दी जिस पर पुलिस ने  सीमा सुरक्षा बल और आर्मी के साथ मोके पर पहुची और मुआना किया गडरा इलाके के  थानाधिकारी लक्ष्मीनारायण के अनुसार यह बम 30 -४० साल पुराना है और इसका वजन करीब 5 किलो के आसपास है हमने अपने अधिकारियो को सूचित कर हमने बम निरोधक दस्ते को निष्क्रिय करने के लिए बुला लिया है  सीमा सुरक्षा बल और आर्मी के जानकारों के अनुसार यह जिंदा भी हो सकता है लिहाजा हमने अपनी एक टीम मोके पर तेनात कर दी है और लोगो से हमने कहा है कि वह इस जगह से दूर रहेने के लिए कहा गया है
लक्ष्मीनारायणथाना प्रभारी
 , गडरा थाना  बम 30 -४० साल पुराना है और इसका वजन करीब 5 किलो के आसपास है हमने अपने अधिकारियो को सूचित कर हमने बम निरोधक दस्ते को निष्क्रिय करने के लिए बुला लिया है सीमा सुरक्षा बल  और आर्मी के जानकारों के अनुसार यह जिंदा भी हो सकता है लिहाजा हमने अपनी एक टीम मोके पर तेनात कर दी है और लोगो से हमने कहा है कि वह इस जगह से दूर रहेने के लिए कहा गया है )
वोइस ओवर 2 बम निकलने से इलाके के लोगो में दहशत फेल गई है  गडरा निवासी  राजू  सिंह के अनुसारर यह तो गनीमत रही कि यह बम फटा नहीं नहीं तो बहुत बड़ा हादसा हो जाता इस इलाके में 1965  और1971 के भारत -पाक युद्ध के समय यह इलाका सेना के पास था और यह बम भी उसी समय का है ........ राजू  सिंह, निवासी,गडरा गाव(यह तो गनीमत रही कि यह बम फटा नहीं नहीं तो बहुत बड़ा हादसा हो जाता इस इलाके में 1965  और1971 के भारत -पाक युद्ध के समय यह इलाका सेना के पास था और यह बम भी उसी समय का है ........ इन इलाके में पिछले दो तीन सालो में कई बार इस तरह के बम मिल चुके है अब इन इलाके के लोग को डर लग रहा है कि कभी कोई बड़ा हादसा न हो जाए क्योकि दो साल पहले ही इस गाव पास ही बम निकला था और दो बच्चे जख्मी हो गए थे

बड़ाबाग़ जैसलमेर









बड़ाबाग़ जैसलमेर
जैसलमेर राजस्थान का सबसे ख़ूबसूरत शहर है और जैसलमेर पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है।बड़ाबाग़ जैसलमेर से 5 किलोमीटर दूर रामगढ़ रोड पर स्थित है।यह जैसलमेर के महारावलों के शमशानों पर बने कलात्मक छतरी स्मारकों के लिए विख्यात है।जैसलमेर के सांस्कृतिक इतिहास में यहाँ के स्थापत्य कला का अलग ही महत्त्व है। किसी भी स्थान विशेष पर पाए जाने वाले स्थापत्य से वहाँ रहने वालों के चिंतन, विचार, विश्वास एवं बौद्धिक कल्पनाशीलता का आभास होता है। जैसलमेर में स्थापत्य कला का क्रम राज्य की स्थापना के साथ दुर्ग निर्माण से आरंभ हुआ, जो निरंतर चलता रहा। यहाँ के स्थापत्य को राजकीय तथा व्यक्तिगत दोनो का सतत प्रश्रय मिलता रहा। इस क्षेत्र के स्थापत्य की अभिव्यक्ति यहाँ के क़िलों, गढियों, राजभवनों, मंदिरों, हवेलियों, जलाशयों, छतरियों व जन-साधारण के प्रयोग में लाये जाने वाले मकानों आदि से होती है। जैसलमेर नगर में हर 20-30 किलोमीटर के फासले पर छोटे-छोटे दुर्ग दृष्टिगोचर होते हैं, ये दुर्ग विगत 1000 वर्षो के इतिहास के मूक गवाह हैं। दुर्ग निर्माण में सुंदरता के स्थान पर मज़बूती तथा सुरक्षा को ध्यान में रखा जाता था। परंतु यहां के दुर्ग मज़बूती के साथ-साथ सुंदरता को भी ध्यान मं रखकर बनाये गये। दुर्गो में एक ही मुख्य द्वार रखने के परंपरा रही है। दुर्ग मुख्यतः पत्थरों द्वारा निर्मित हैं, परंतु किशनगढ़, शाहगढ़ आदि दुर्ग इसके अपवाद हैं। ये दुर्ग पक्की ईंटों के बने हैं। प्रत्येक दुर्ग में चार या इससे अधिक बुर्ज बनाए जाते थे। ये दुर्ग को मज़बूती, सुंदरता व सामरिक महत्त्व प्रदान करते थे।

मंगलवार, 26 अप्रैल 2011

पाकिस्‍तान में उठी बंटवारे की मांग

 पाकिस्‍तान में उठी बंटवारे की मांग के बीच पाकिस्‍तान में आतंकियों ने एक बस में आग लगा कर 15 लोगों को जिंदा जला दिया है। यह घटना मंगलवार तड़के हुई।

इससे पहले पंजाब प्रांत के मुख्‍यमंत्री शाहबाज शरीफ ने मांग की थी कि सिंध प्रांत का बंटवारा कर कराची को अलग प्रांत बनाया जाए। हालांकि सोमवार को वह अपने बयान से मुकर गए। उनके बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। सोमवार को पाकिस्‍तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के दफ्तर पर हुए हमले को भी शरीफ के बयान से ही जोड़ कर देखा जा रहा है। मंगलवार की घटना का संबंध भी इसी बात से जोड़ा जा रहा है। हालांकि इस बारे में अभी कोई पुख्‍ता संकेत नहीं हैं। शरीफ ने अपने दफ्तर में मीडिया के सामने सफाई दी कि वह तो बस यह पूछ रहे थे कि क्‍या कराची को अलग प्रांत बनाया जा सकता है, उन्‍होंने ऐसी कोई मांग नहीं की थी या सुझाव नहीं दिया था।

मंगलवार तड़के पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रांत में सिबी के निकट अज्ञात हमलावरों ने सवारियों से भरी बस में आग लगा दी। इस घटना में महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 15 लोगों की जलकर मौत हो गई।

पुलिस ने कहा कि मरने वाले में सात बच्चे शामिल हैं। इसके अलावा, मरने वाले लोगों में से तीन अल्पसंख्यक हिन्दू समुदाय के हैं। इनकी पहचान कपिल, वरशीन और पूजामल के तौर पर की गई है।

स्‍थानीय अखबार ' द डॉन' ने सिबी के पुलिस उपायुक्त नसीर अहमद नासिर के हवाले से कहा कि क्वेटा से करीब 160 किलोमीटर दूर यह हादसा सिबी शहर में उस वक्त हुआ जब एक बस सिंध प्रांत के जाकोबाबाद से क्वेटा की ओर जा रही थी। रास्ते में यह बस सड़क के किनारे एक रेस्तरां के सामने रूकी हुई थी।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुतातबिक दो मोटरसाइकिलों पर सवार चार हथियारबंद लोग वहां आए। इनमें से दो व्यक्ति बस में घुस गए और पेट्रोल छिड़क कर उसमें आग लगा दी। पुलिस ने बताया कि कई यात्री भीषण आग के चलते बस से बाहर निकल नहीं पाए।

नसीर ने बताया कि बस का चालक और कंडक्टर मौके से फरार हो गए जिनकी तलाश की जा रही है। इसके अलावा, बस में आग लगाने वाले संदिग्ध अपराधियों की धर-पकड़ के लिए पुलिस तलाशी अभियान चला रही है।