गहलोत को मुख्यमंत्री रहने का हक नहीं
जोधपुर. नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे ने शनिवार को राज्य सरकार के खिलाफ जोधपुर से प्रदेशव्यापी जनजागरण अभियान का आगाज करते हुए कहा कि अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री रहने का हक ही नहीं है। वे तो अपने घर की बहनों को भी नहीं बचा पाए, प्रदेश की हालत क्या बयां करें।
भरी सभा में प्रसूताओं को श्रद्धांजलि देते हुए राजे ने कहा उन माताओं की कसम है जिन्होंने दम तोड़ा है, हम हर मौत का जवाब लेकर रहेंगे। वसुंधरा ने कड़ी से कड़ी जोड़ने के जुमले पर चुटकी लेते हुए लोगों से पूछा कि अब तो खुश हो? चुनाव में बड़े-बड़े वादे किए गए थे कि कड़ी से कड़ी जोड़ दो, मालामाल हो जाओगे, मजा आ जाएगा। मगर इन्हीं कड़ियों में बंधी जनता अब दुखी हो रही है। किसानों को खाद-पानी और बिजली नहीं मिल रही है। अपराध बढ़ गए हैं। थानों के सामने सिर काट कर फेंक दिए गए।
प्रदेश के डीजीपी पिट गए। जोधपुर जेल में जेलर की हत्या हो गई। गृहमंत्री के जिले के थाने में महिला से दुष्कर्म कर उसे मार दिया गया। हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए एक नौजवान को आत्मदाह करना पड़ा, गुस्साए लोगों ने एसएचओ को जिंदा जला दिया, फिर भी गहलोत कहते हैं कि प्रदेश में शांति है। जोधपुर में 26 प्रसूताओं की मौत हो गई, मगर मुख्यमंत्री को अपने घर की बहनों को संभालने में 14 दिन लग गए।
फिर आए तो पांच लाख रुपए में मौत की कीमत लगा कर चले गए, उन परिवारों का दर्द नहीं देखा। जहरीली शराब से कई लोग मर गए। किसी का बेटा गया तो किसी के सिर से पिता का साया हट गया और कई बच्चे बेसहारा हो गए। जो मुख्यमंत्री अपने घर के लोगों को नहीं बचा सकते, उन्हें एक पल भी कुर्सी पर रहने का हक नहीं है।
राहुल को भी दी नसीहत: वसुंधरा ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन्हें भी नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा कि एक नेता है जो किसी भी गरीब के घर चले जाते हैं। वहां खाना खाते हैं। पानी पीते हैं। वहीं सो भी जाते हैं। मीडिया में बड़े-बड़े फोटो छप जाते हैं कि देखो इतना बड़ा नेता गरीब के घर सो रहा है। मगर ये नेता भी समझ ले कि गरीब के घर सोने से ही गरीबी नहीं मिटती। वे गरीब जनता को गुमराह करते हैं। उन्हें वही वादे करने चाहिए जो वे पूरा कर सकें।
भरी सभा में प्रसूताओं को श्रद्धांजलि देते हुए राजे ने कहा उन माताओं की कसम है जिन्होंने दम तोड़ा है, हम हर मौत का जवाब लेकर रहेंगे। वसुंधरा ने कड़ी से कड़ी जोड़ने के जुमले पर चुटकी लेते हुए लोगों से पूछा कि अब तो खुश हो? चुनाव में बड़े-बड़े वादे किए गए थे कि कड़ी से कड़ी जोड़ दो, मालामाल हो जाओगे, मजा आ जाएगा। मगर इन्हीं कड़ियों में बंधी जनता अब दुखी हो रही है। किसानों को खाद-पानी और बिजली नहीं मिल रही है। अपराध बढ़ गए हैं। थानों के सामने सिर काट कर फेंक दिए गए।
प्रदेश के डीजीपी पिट गए। जोधपुर जेल में जेलर की हत्या हो गई। गृहमंत्री के जिले के थाने में महिला से दुष्कर्म कर उसे मार दिया गया। हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए एक नौजवान को आत्मदाह करना पड़ा, गुस्साए लोगों ने एसएचओ को जिंदा जला दिया, फिर भी गहलोत कहते हैं कि प्रदेश में शांति है। जोधपुर में 26 प्रसूताओं की मौत हो गई, मगर मुख्यमंत्री को अपने घर की बहनों को संभालने में 14 दिन लग गए।
फिर आए तो पांच लाख रुपए में मौत की कीमत लगा कर चले गए, उन परिवारों का दर्द नहीं देखा। जहरीली शराब से कई लोग मर गए। किसी का बेटा गया तो किसी के सिर से पिता का साया हट गया और कई बच्चे बेसहारा हो गए। जो मुख्यमंत्री अपने घर के लोगों को नहीं बचा सकते, उन्हें एक पल भी कुर्सी पर रहने का हक नहीं है।
राहुल को भी दी नसीहत: वसुंधरा ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन्हें भी नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा कि एक नेता है जो किसी भी गरीब के घर चले जाते हैं। वहां खाना खाते हैं। पानी पीते हैं। वहीं सो भी जाते हैं। मीडिया में बड़े-बड़े फोटो छप जाते हैं कि देखो इतना बड़ा नेता गरीब के घर सो रहा है। मगर ये नेता भी समझ ले कि गरीब के घर सोने से ही गरीबी नहीं मिटती। वे गरीब जनता को गुमराह करते हैं। उन्हें वही वादे करने चाहिए जो वे पूरा कर सकें।