शनिवार, 26 मार्च 2011

Rajasthani Songs LOOR HOLI & PHAGUN

थार महोत्सव समापन दे गया अपनापन






थार महोत्सव समापन दे गया अपनापन
थार महोत्सव के समापन पर निकली शोभायात्रा, भगतसिंह सभा स्थल पर हुआ प्रतियोगिताओं का आयोजन
बाड़मेर थार महोत्सव 2011 का समापन समोराह शुक्रवार को उपखंड मुख्यालय बालोतरा पर आयोजित हुआ। समारोह का आगाज शोभायात्रा से किया गया। शोभयात्रा में प्रशासनिक अधिकारियों सहित शहर के सैकड़ों लोगों तथा लोक कलाकारों ने भाग लिया। शोभायात्रा पंचायत समिति से रवाना होकर भगतसिंह सभा स्थल में जाकर विसर्जित हुई। शोभायात्रा का रास्ते में जगह-जगह शहरवासियों ने पुष्पवर्षा से स्वागत किया। इसके बाद भगतसिंह सभा स्थल पर आयोजित हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं में लोगों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। । शोभयात्रा में आगे शहनाईवादक, उसके बाद बालिकाएं व महिलाएं सिर पर कलश रखकर चल रही थी। सजे-धजे ऊंट व घोड़ों पर सवार ध्वज पताका लिए चल रहे थे। इस दौरान कीटनोद व स्थानीय गेर दल के कलाकार गेर नृत्य करते हुए शोभायात्रा में चल रहे थे। शोभायात्रा में गुजरात के लोक कलाकार, कालबेलिया नृतक व स्थानीय कलाकारों ने नाचते-गाते हुए शहर का भ्रमण किया।
देर रात तक चलती रही मीठी राग और सधे कदमों की ताल
बाड़मेर थार महोत्सव के समापन समारोह में बालोतरा के भगतसिंह सभा स्थल पर देर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रम का रंगारंग आयोजन शुरू हुआ। कार्यक्रम के दौरान लोक कलाकारों ने दर्शकों व अतिथियों का मन मोह लिया। कालबेलिया बालाओं के नृत्य पर दर्शक भी झूमने लगे। वहीं गुजरात से आए कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुतियां देकर खूब तालियां बटोरी। लंगा गायकों ने कार्यक्रम में समां बांध दिया। वहीं अन्य कलाकारों ने देर रात तक लोगों को बांधे रखा।
46 सुरों में भीग नृत्य पर झूमते रहे दर्शक

बालोतरा औद्योगिक नगरी के भगतसिंह सभा स्थल पर शुक्रवार को थार महोत्सव का रंगारंग समापन हुआ। दर्शक देर रात तक टकटकी लगाए लोक संगीत व लोक कला से रूबरू हुए। कलाकारों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया। शुक्रवार देर शाम शुरू हुईसांस्कृतिक संध्या का आगाज गफूरखां झांपली के केसरिया बालम से हुआ। इसके बाद धोधेखां व खीमाराम ने अलगोजे पर पणिहारी की प्रस्तुति से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। वहीं पाली की धर्मीबाई एंड पार्टीकी तेरह ताली व कालूखां जोधपुर का ढोल-थाली अग्नि नृत्य भी दर्शकों को खूब भाया। इसके बाद बडऩांवा के मिट्ठूखां लंगा एंड पार्टी ने गोरबंद की मनमोहक प्रस्तुति देकर दर्शकों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। अलवर के बन्नेसिंह ने रिम भवाईकी आकर्षक प्रस्तुति दी। रमेश चौहान एंड पार्टी, मेहबूबअली व जमालखां की हिचकी व गौतम परमार के चरी नृत्य पर दर्शक झूम उठे। इसके बाद गौतम परमार ने भपंग वादन प्रस्तुत किया। बच्चूभाईव साथियों ने होली नृत्य, स्वरूप पंवार ने धरती धोरां री पर नृत्य तथा पुष्कर प्रदीप व जानकी गोस्वामी के भवाईनृत्य ने अतिथियों को भी तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। इसके अलावा अनु सोलंकी व उदाराम के घुटना चकरी व अग्नि तराजू नृत्य तथा पारसनाथ जोगी एंड पार्टीकी ओर से प्रस्तुत कालबेलिया नृत्य ने दर्शकों को देर रात तक बैठे रहने पर मजबूर कर दिया। सांस्कृतिक समारोह का मनमोहक संचालन हिंदी में जफरखां सिंधी व अंग्रेजी में दुर्गा आर्य ने किया। कार्यक्रम में जिले के प्रभारी सचिव मनोहर कांत, विधायक मदन प्रजापत, पूर्वगृह राज्य मंत्री अमराराम चौधरी, जिला एवं सेशन न्यायाधीश के अलावा सैकड़ों लोग उपस्थित थे।




कनाना गेर गेर दलों ने गेर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियों से समां बाधा



 कनाना गेर


गेर दलों ने गेर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियों से समां बाधा
जिले के कनाना गांव में शुक्रवार को शीतला सप्तमी के उपलक्ष्य में मेले का आयोजन किया गया। विश्व भर में विख्यात इस मेले में गेर दलों ने गेर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियों से समां बाधा। इस मौके पर जिले के जनप्रतिनिधियों सहित जिले के प्रभारी सचिव व पूरा प्रशासनिक लवाजमा मौजूद था। वहीं सैकड़ों भक्तों ने मेला स्थल पहुंच शीतला माता की पूजा-अर्चना की तथा खुशहाली की कामना की। इसके अलावा मेला स्थल पर सजी हाट बाजार में लोगों ने जमकर खरीददारी की। वहीं बच्चों ने झूलों का जमकर लुत्फ उठाया। इस मेले में कनाना के अलावा पारलू, मेली, कीटनोद, मघावास, आसोतरा, भिंडाकुंआ, कुंपावास, मांगला, कमों का वाड़ा, पचपदरा आदि गांवों से गेर दल प्रदर्शन के लिए पहुंचे। बच्चों की गेर ने तो सभी को रोमांचित कर दिया। जिले के प्रभारी सचिव सहित जिला कलेक्टर, विधायक आदि ने मेले का भ्रमण कर गेर नृत्य देखा। इनमें दस आंगी गेर दल, 10 डांडिया गेर दल व एक जत्था गेर दल ने भाग लिया। समारोह के दौरान सभी आंगी गेर दलों को 1500-1500 रुपए, डांडिया गेर दलों को 1000-1000 रुपए व जत्था गेर दल को 500 रुपए प्रोत्साहन राशि देकर पुरस्कृत किया गया। कनाना गांव में आयोजित शीतला सप्तमी के मेले में शुक्रवार को आस्था का ज्वार उमड़ पड़ा। हजारों की संख्या में आए ग्रामीणों ने शीतला माता के मंदिर में पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की। वहीं इस विश्व प्रसिद्ध गेर मेले में आस-पड़ोस से आए गेर दलों ने आगंतुकों का मन मोह लिया। मेला परिसर में आयोजित समारोह में जिला प्रमुख मदनकौर, जिले के प्रभारी सचिव मनोहरकांत, पचपदरा विधायक मदन प्रजापत, कलेक्टर गौरव गोयल, पूर्वगृह राज्यमंत्री अमराराम चौधरी सहित अधिकारियों-जनप्रतिनिधियों ने शिरकत कर ग्रामीणों को मनोबल बढ़ाया। कनाना में शुक्रवार अल सवेरे से ही ग्रामीणों का आना शुरू हो गया। मेले में लगे हाट बाजार में जहां ग्रामीण युवक-युवतियों ने जमकर खरीदारी की, वहीं बच्चों ने झूलों का आनंद उठाया। प्रशासन व कनाना ग्राम पंचायत की ओर से मेले में सुचारू व्यवस्थाएं की गईथी। 

कलेक्टर ने कहा, मेले की विश्व में पहचान बनाएंगे
 

समारोह के दौरान कलेक्टर गौरव गोयल ने कहा कि इस गेर मेले को थार महोत्सव से जोड़ा गया है। मेले के विजुअल इंटरनेट पर डाले जाएंगे, जिससे देशी व विदेशी पर्यटक आकर्षित हो सके। प्रशासन कोशिश करेगा कि इतने उम्दा मेले में विदेशी मेहमान भी पहुंचे। इससे पर्यटन विकास को बल मिलेगा। जिला प्रमुख मदन कौर ने कहा कि मेलों से आपसी भाईचारा व सामंजस्य बढ़ता है। पचपदरा विधायक मदन प्रजापत ने सरकार के विकास कार्यों का बखान करते हुए उपलब्धियां गिनाई। विधायक ने मेला मैदान पर विधायक कोष से स्वीकृत पांच लाख रुपए से बनने वाले शेड का शिलान्यस भी किया। साथ ही उन्होंने देवासी समाज भवन के लिए विधायक कोष से राशि देने की बात कही। कार्यक्रम को पूर्व गृह राज्य मंत्री अमराराम चौधरी ने भी संबोधित किया

शुक्रवार, 25 मार्च 2011

CHAMATKAR...CHAMATKAR..NANDI DOODH PEE RAHE HAI JI

AAP MANE YA NA MANE MAGAR YEH SOLAH AANE SUCH HAI KI BARMER KE SHIV MANDIRO MAI NANDI DOODH PEE RAHE HAI...NANDI GHAR KE MANDIR KE HO YA BAHAR KE SAB JAGAH DOODH PEE RAHE HAI...AASTHA AUR VISHVAS HILORE MAR RAHA HAI...MERE APANE GHAR PAR SMT JI NE CHAMMACH SE NANDI KO DOODH PILAYA.....HAMNE MANDIR MAI NANDI KE DOODH PEETE KI COVREGE BHI KI....CHAMATKAR KAHO YA ANDHVISHVAS YA AASTHA KA JWAR...HAR HAR MAHADEV

जानलेवा हमले के अभियुक्त को दस साल के कारावास की सजा सुनायी गई


जानलेवा हमले के अभियुक्त को दस साल के कारावास की सजा सुनायी गई
       जैसलमेर, 25 मार्च/जैसलमेर के माननीय जिला एवं सैशन न्यायाधीश जमनादास थानवी ने जिले की बीरमाणी में 13 मार्च 2010 को बकरिया चरा रहे खंगारसिंह पर जानलेवा हमले के मामले में निर्णय सुनाते हुए अभियुक्त कोजराजसिंह राजपूत निवासी बीरमाणी (पुलिस थाना झिनझियाली) अलग-अलग धाराओें में दो वर्ष का कठोर कारावास तथा दो सौ रुपया अर्थदण्ड के साथ ही आठ वर्ष छह माह सात दिन का के कारावास और 2200 रुपए अर्थ दण्ड की सजाएं सुनायी हैं। ये सभी मूल सजाएं साथ-साथ चलेंगी। निर्णय में कहा गया है कि अभियुक्त द्वारा इस प्रकरण में पुलिस व न्यायिक अभिरक्षा में बितायी गई अवधि को उक्त कारावास अवधि से मुजरा कर दी जाए।
       जिला एवं सैशन न्यायाधीश के दण्डादेश के अनुसार सैशन प्रकरण संख्या 49/2010 में ये सजाएं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 452, 341, 324, 326 एवं 307 में सुनायी गई हैं। इस मामले में राज्य की ओर से लोक अभियोजक महेन्द्रकुमार चौधरी तथा अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता किशनसिंह भाटी ने पैरवी की।

जानलेवा हमले के अभियुक्त को दस साल के कारावास की सजा सुनायी गई


जानलेवा हमले के अभियुक्त को दस साल के कारावास की सजा सुनायी गई
       जैसलमेर, 25 मार्च/जैसलमेर के माननीय जिला एवं सैशन न्यायाधीश जमनादास थानवी ने जिले की बीरमाणी में 13 मार्च 2010 को बकरिया चरा रहे खंगारसिंह पर जानलेवा हमले के मामले में निर्णय सुनाते हुए अभियुक्त कोजराजसिंह राजपूत निवासी बीरमाणी (पुलिस थाना झिनझियाली) अलग-अलग धाराओें में दो वर्ष का कठोर कारावास तथा दो सौ रुपया अर्थदण्ड के साथ ही आठ वर्ष छह माह सात दिन का के कारावास और 2200 रुपए अर्थ दण्ड की सजाएं सुनायी हैं। ये सभी मूल सजाएं साथ-साथ चलेंगी। निर्णय में कहा गया है कि अभियुक्त द्वारा इस प्रकरण में पुलिस व न्यायिक अभिरक्षा में बितायी गई अवधि को उक्त कारावास अवधि से मुजरा कर दी जाए।
       जिला एवं सैशन न्यायाधीश के दण्डादेश के अनुसार सैशन प्रकरण संख्या 49/2010 में ये सजाएं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 452, 341, 324, 326 एवं 307 में सुनायी गई हैं। इस मामले में राज्य की ओर से लोक अभियोजक महेन्द्रकुमार चौधरी तथा अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता किशनसिंह भाटी ने पैरवी की।

सरहद पर शिक्षा सुविधाओं का प्रसार तालीम के मंदिरों को मिली जमीन


सरहद पर शिक्षा सुविधाओं का प्रसार
तालीम के मंदिरों को मिली जमीन

     जैसलमेर, 25 मार्च/हिन्दुस्तान के सीमावर्ती जिले के जैसलमेर में तालीम से तरक्की का सफर तय करने में मददगार बने विद्यालयों के लिए जिला प्रशासन की पहल भावी पीढ़ियों के लिए वरदान सिद्ध हुई है।
     जिले में कई भूमिहीन विद्यालयों के लिए न खुद का भवन था, न खेल का मैदान। इस बारे में जिले में चलाए गए प्रशासन गांवों के संग अभियान के अन्तर्गत हुए शिविरों में इस तरह की समस्याओं के निपटारे को प्राथमिकता देते हुए निस्तारण कर दिया लेकिन कुछ मामले प्रक्रियाधीन होने की वजह से तत्काल निस्तारित नहीं हो पाए थे जिन्हें जिला प्रशासन ने गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ लिया और समस्या से मुक्ति दिला दी।
     प्रशासन गांवों के संग अभियान के शिविरों में जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक के विद्यालयों के पास खुद का भवन व खेल मैदान नहीं होने की स्थिति में भूमि मुहैया कराने के बारे में संबंधित स्कूलों की ओर से प्रार्थना पत्र प्राप्त हुए थे।
     जैसलमेर क्षेत्र के शिविर प्रभारी, उपखण्ड अधिकारी रमेशचन्द्र अग्रवाल ने इस मामले में संवेदनशीलता के साथ त्वरित कार्यवाही को अंजाम दिया और तहसीलदार के माध्यम से विद्यालयों को नियमानुसार आवंटन योग्य भूमि के प्रस्ताव तैयार करवाकर इन स्कूलों की समस्या को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
     जैसलमेर के जिला कलेक्टर गिरिराज सिंह कुषवाहने क्षेत्र के सात भूमिहीन विद्यालयों को पांच-पांच बीघा भूमि का आवंटन कर दिया गया है। इनमें नीम्ब की ढाणी एवं रातड़िया की ढाणी (खुहड़ी), हरचंदराम की ढाणी सेलत(खींवसर), करमवाला, झण्डाखारा, हरनाउ, डूंगरराम की ढाणी तथा झण्डाखारा  के राजकीय प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं।
     इन सभी को 5-5 बीघा भूमि का आवंटन किया गया है। यह भूमि विद्यालयों के भवन तथा खेल मैदानों के लिए इन स्कूलों को आवंटित की गई है।
     इससे पूर्व अभियान की अवधि में ही विभिन्न राजकीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए भवन और खेल मैदान तथा भूमि आवश्यकता के कई मामलों का निस्तारण कर इन स्कूलों की समस्याओं का काफी हद तक समाधान किया जा चुका है।
     इन सभी स्कूलों के लिए उनके अपने गांव में लगे प्रशासन गांवों के संग शिविर शिक्षा के विस्तार और विकास के साथ ही नई पीढ़ी के भविष्य निर्माण के महानुष्ठान साबित हुए हैं।

हसन ने शाम को हसीन बना दिया अंदाज अपने आइने देखते हैं.. म्होरा पिया घर आया..


हसन ने शाम को हसीन बना दिया
अंदाज अपने आइने देखते हैं.. म्होरा पिया घर आया..

बाड़मेर  थार महोत्सव के दूसरे दिन आदर्श स्टेडियम में हसन ने शाम को हसीन बना दिया। दूधिया रोशनी के बीच मधुर सूर में ‘अंदाज अपने आइने देखते हैं.. म्होरा पिया घर आया.. की प्रस्तुति पर बच्चे, युवा व युवतियां ने जमकर डांस किया। देर रात सूरों की महफिल जमी रही। प्रभा साधुवानी ने केसरिया बालम आओ नी..व गजरा मोहब्बत वाला.. गीत प्रस्तुत खूब तालियां बटोरी। आदर्श स्टेडियम में गुरुवार शाम आयोजित राजा हसन नाइट में फिल्मी गीत व गजलों पर जनता झूम उठी। सैकड़ों श्रोताओं की मौजूदगी में जब राजा हसन ने ‘टूटा टूटा एक परिंदा..फिर न उड़ पाया’ पेश किया तो तालियां की गडगड़़ाहट से स्टेडियम परिसर गूंज उठा। इसके बाद ख्वाबों में भी बादल ही थे.. अल्हा के बंदे हंस ले सुनाया। इस दौरान हसन गुनगुनाते हुए श्रोताओं के बीच पहुंचे तो हर कोई हसन के साथ ठुमके लगाने को आतुर हो गया। हसन के आह्वान पर बच्चे व युवतियां मंच पर आ गए। जहां हसन के सुरों की धुन पर नाचने लगे। जोश का जुनून इतना जबरदस्त था कि कुछ ही पलों में बड़ी तादाद में युवा मंच पर नाचने को पहुंच गए। हसन ने तेरे बिन नहीं लगता मन.., होगा हमसे प्यारा कौन.., कैसे बताएं तुमको चाहे..,की शानदार प्रस्तुति देकर झूमने को मजबूर कर दिया। इस तरह एक से बढ़कर एक शानदार प्रस्तुतियां ने श्रोताओं का मन मोह लिया। यह सिलसिला यही नहीं थमा, देर रात तक सुरों के सरताज को सुनने के लिए श्रोता जमे रहे। हसन ने लोक देवता बाबा रामदेव को याद करते हुए बाबा थांसू आस लगी है. पेश कर माहौल को भक्तिमय बना दिया। इस मौके पर जिला कलेक्टर गौरव गोयल, जिला पुलिस अधीक्षक संतोष चालके,जिला प्रमुख मदनकौर, नगरपालिका अध्यक्ष उषा जैन समेत तमाम आला अधिकारी, जनप्रतिनिधि व बाड़मेर के नागरिक मौजूद थे। गूंज उठे राजा के जयकारें.हसन नाइट में राजा का जादू सिर चढ़कर बोला। कलाकारों की जुगलबंदी का अद्भुत करिश्मा देखने को मिला। हसन के प्रत्येक गीत की गूंज पर जयकारें गूंज उठे

शीतला सप्तमी


शीतला सप्तमी
शीतला सप्तमी या अष्टमी का व्रत केवल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होता है और यही तिथि मुख्य मानी गई है। किंतु स्कन्द पुराण के अनुसार इस व्रत को चार महीनों में करने का विधान है। इसमें पूर्वविद्धा अष्टमी (व्रतमात्रेऽष्टमी कृष्णा पूर्वा शुक्लाष्टमी परा) ली जाती है। चूँकि इस व्रत पर एक दिन पूर्व बनाया हुआ भोजन किया जाता है अतः इस व्रत को बसौड़ा, लसौड़ा या बसियौरा भी कहते हैं। शीतला को चेचक नाम से भी जाना जाता है।

यह व्रत कैसे करे

व्रती को इस दिन प्रातःकालीन कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करना चाहिए।

स्नान के पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लेना चाहिए-

मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये


संकल्प के पश्चात विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें।

इसके पश्चात एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाद्य पदार्थों, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाएँ।

यदि आप चतुर्मासी व्रत कर रहे हों तो भोग में माह के अनुसार भोग लगाएँ। जैसे- चैत्र में शीतल पदार्थ, वैशाख में घी और शर्करा से युक्त सत्तू, ज्येष्ठ में एक दिन पूर्व बनाए गए पूए तथा आषाढ़ में घी और शक्कर मिली हुई खीर।

तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ करें और यदि यह उपलब्ध न हो तो शीतला अष्टमी की कथा सुनें।

रात्रि में जगराता करें और दीपमालाएँ प्रज्वलित करें।

विशेष : इस दिन व्रती को चाहिए कि वह स्वयं तथा परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी प्रकार के गरम पदार्थ का भक्षण या उपयोग न करे।


गुरुवार, 24 मार्च 2011

विख्यात डांडिया गेर नृत्य लाखेटा मेला



विख्यात डांडिया गेर नृत्य लाखेटा मेला

बाड़मेर अंबों का बाड़ा गांव स्थित संतोष भारती महाराज के समाघि स्थल पर मंगलवार को प्रसिद्ध वार्षिक डांडिया गेर नृत्य लाखेटा मेला आयोजित हुआ। समाघि स्थल की पूजा अर्चना करने  क्षेत्र के  हजारों ग्रामीणों ने पारम्परिक वस्त्र पहन मेले में भाग लिया। विख्यात डांडिया गेर नृत्य लाखेटा मेला में भाग लेने को लेकर क्षेत्र भर मेंउत्साह देखने को नजर आया।
सूर्योदय के साथ ही ग्रामीण पुरूष तो महिलाएं पारम्परिक वस्त्रों से सजधज कर मेले को जाने वाले मार्गो पर पैदल जाते नजर आए। दिन चढ़ने के साथ निजी बसों, वाहनों से बड़ी संख्या में पहुंचे मेलार्थियों पर मेला खचाखच भर गया। मेलार्थियों ने संतोष भारती के समाघि स्थल पर विघि विधान से पूजा अर्चना कर प्रसाद चढ़ा परिवार में खुशहाली की कामना की। इसके बाद उन्होंने मेले  में लगी दुकानों से दैनिक जरूरत के सामान, खेल खिलौनों, गुब्बारों, चरकी, बाजे आदि  की  बढ़चढ़ कर खरीदारी की। वहीं मिठाईयों, नमकीन, चाट पकौड़ी, आईसक्रीम, गन्ना रस आदि का जमकर लुफ्त उठाया। मौत का कुआ सभी मेलार्थियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। दोपहर दो बजे तक मेला पूरे यौवन पर था।
गेर नर्तकों ने मोहा मन
मेले में क्षेत्र के गांवों से भाग लेने वाले तेरह दलों के गेरियों ने ढोल की ढंकार, थाली की टंकार, चंग की थाप के साथ बजते फागुणी गीतों पर मनमोहक प्रस्तुतियां दी।
यह रहे परिणाम 
डंाडिया गेर नृत्य में प्रथम कम्मो का बाड़ा, द्वितीय सेवाली, तृतीय लालिया, जत्था गेर में प्रथम मजल, द्वितीय लाखेटा, तृतीय स्थान लालिया ने प्राप्त किया। ढोल वादन में अमिताभ मेली, द्वितीय खेताराम लालिया व तृतीय स्थान घेवरराम कम्मों का बाड़ा ने प्राप्त किया। इसके अलावा मेले में मेली बांध, कोटड़ी, लाखेटा द्वितीय, बुर्ड, मियों का बाड़ा, ढीढ़स, करमवास आदि गांवों के गेर दलों ने भाग लेकर नृत्य की प्रस्तुतियां दी। विजेताओं को ग्राम पंचायत कोटड़ी की ओर से विधायक सिवाना कानसिंह कोटड़ी, उपखंड अघिकारी एन.के.जैन, बीसूका जिला उपाध्यक्ष गोपाराम मेघवाल ने पुरस्कृत किया।
मेले लोक संस्कृति के प्रतीक
बीसूका जिला उपाध्यक्ष गोपाराम मेघवाल ने लाखेटा मेले में मुख्य अतिथि पद से संबोघित करते हुए कहा कि मेले हमारी लोक संस्कृति के प्रतीक है। उम्मेद सागर-खंडप जनपरियोजना का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। शीघ्र ही समदड़ी को मीठा पानी मिलेगा। मेला कमेटी के अध्यक्ष व विधायक सिवाना कानसिंह कोटड़ी ने कहा कि क्षेत्र में पेयजल की भारी किल्लत है। पेयजल योजना को शीघ्र पूरा करने, बिजली, सड़क की समस्या, बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा दिलवाने की मांग उन्होंने विधानसभा में रखी है।
  भाजपा जिला महामंत्री बाबूसिंह राजगुरू ने उम्मेदसागर जलपरियोजना का पानी क्षेत्र के गांवों को उपलब्ध करवाने व बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा दिलाने की मांग की। उपखंड अघिकारी नरेन्द्र कुमार जैन ने कहा कि मेले आपस में जोड़ने का कार्य करते हंै। कोटड़ी सरपंच सुकीदेवी ने आभार ज्ञापित व संचालन प्रदीप व्यास ने किया।


थार महोत्सव कला व संस्कृति का अनूठा संगम







पावणा पधारो म्हारे देस 
सात समंदर पार से आने वाले विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद यहां की कला व संस्कृति है। स्वर्णनगरी पर्यटकों की पहली पसंद बन चुका है। यहां आने वाले सैलानियों को धोरों पर घूमना व झूपों में रहना रास आ रहा है। थार महोत्सव के माध्यम से संदेश दिया गया कि बाढ़ाणा में पर्यटन की विपुल संभावनाएं है। यहां भी कला व संस्कृति का अनूठा संगम है।

थार महोत्सव के तहत बुधवार शाम 4 बजे महाबार के धोरों पर ऊंट, घोड़ा दौड़ प्रतियोगिता आयोजित हुई। इसमें ग्रामीणों ने उत्साह दिखाया। इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए दूर दराज गांवों से ग्रामीण सजधज कर पहुंचे। पारंपरिक वेशभूषा में आए ग्रामीण ऊंट, घोड़ों पर सवार होकर रेस में शामिल हुए। दौड़ शुरू होने पर दर्शकों ने तालियां बजाकर हौसला अफजाई की। इस कड़े मुकाबले में हर कोई आगे निकलने के लिए आतुर नजर आया। इस मौके पर बीएसएफ के जवान भी ऊंट लेकर मैदान में पहुंचे। जहां जवानों ने ऊंटों पर हैरतअंगेज करतब दिखाकर खूब तालियां बटोरी। इस मौके पर जिला कलेक्टर गौरव गोयल, स्वामी प्रतापपुरी सहित कई अधिकारी व जनप्रतिनिधि मौजूद थे। विजेताओं को नकद पुरस्कार प्रदान किया गया।

थार महोत्सव के आगाज के बाद स्थानीय आदर्श स्टेडियम में रंगारंग कार्यक्रम के साथ विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रतिभागियों ने उत्साह से भाग लिया। आंगी गेर दलों ने ढोल की थाप व थाली की टंकार पर गेर नृत्य प्रस्तुत किया। इस दौरान ढोल वादन, ऊंट श्रृंगार, रंगोली, मेहंदी, साफा बांध, दादा पोता दौड़, मूंछ समेत कई प्रतियोगिताएं आयोजित हुई। जिला कलेक्टर गौरव गोयल व जिला प्रमुख मदनकौर ने ढोल बजाकर कार्यक्रम का विधिवत रूप से शुभारंभ किया। इसके बाद प्रतियोगिताओं का दौर शुरू हुआ। दादा पोता दौड़, रस्सा कस्सी, मटका दौड़ व थार श्री व थार सुंदरी प्रतियोगिताएं आकर्षण का केंद्र रही।
 


रेत के समंदर में हिलोरे मारती विकास की उम्मीदें और वक्त की रफ्तार के साथ बढ़ते कदमों ने विश्व पटल पर बाड़मेर की अमिट छाप छोड़ी है। थार की परंपराओं को फिर से जीवंत करने का साझा प्रयास थार महोत्सव में देखने को मिला। पुरखों ने दशकों तक परंपराओं का निर्वहन बखूबी से करते हुए इन्हें जिंदा रखा ताकि युवा पीढ़ी का मोह जुड़ा रहे। यहां के गेर, कालबेलिया नृत्य लुप्त होने के कगार पर है। वहीं होली, दीपावली पर होने वाली ऊंट, घुड़ दौड़ प्रतियोगिताएं भी बीते जमाने की बात हो गई। महोत्सव में कला व संस्कृति फिर से जीवंत हो गई। कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा में शानदार प्रस्तुतियां के माध्यम से जागरूकता का संदेश दिया।

बारिश ने भी किया स्वागत : महाबार धोरों में आयोजित कैमल व हॉर्स सफारी प्रतियोगिता के दौरान मौसम पलटी खा जाने से अचानक बारिश शुरू हो गई।



धोरों पर बही सूर सरिता, आतिशबाजी के नजारों ने मनमोहा 

महाबार में बुधवार रात को सांस्कृतिक संध्या में लोक कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियां से समा बांध दिया। सुरमयी सांझ में लोक गीतों की धून ने वातावरण में मिठास घोल दी। कलाकारों ने आपसी जुगलबंदी पर हैरतअंगेज करतब दिखाए। गुजरात के कलाकारों की टीम ने विभिन्न मुद्राओं में नृत्य पेश कर खूब तालियां बटोरी। लोक कलाकार अनवर खां ने निंबूड़ा निंबूड़ा.. लोक गीत प्रस्तुत किया। पुष्कर प्रदीप एण्ड पार्टी ने जंवाई जी पावणा.. गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया। अंतरराष्ट्रीय कलाकार स्वरूप पंवार ने भवाई नृत्य पेश कर संतुलन का अद्भूत करिश्मा दिखाया। अलगोजा वादक धोधे खां ने अलगोजा पर रूमाल गीत प्रस्तुत कर खूब तालिया बटोरी। जैसलमेर के कलाकार उदाराम ने अग्नि नृत्य पेश किया। अलवर के कलाकारों ने कालबेलिया नृत्य कालियो कूद पडय़ो मेला..प्रस्तुत किया। ठिठक गए चांद सितारे: महाबार में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद आतिशबाजी के नजारे मनमोहक थे। पटाखों की गूंज के साथ रंग बिरंग रोशनी कभी जमीं तो कभी आसमान पर नजर आई। आकर्षक आतिशबाजी का लोगों ने धोरों पर बैठकर लुत्फ उठाया। करीब आधे घंटे तक चली आतिशबाजी के बाद कार्यक्रम के समापन की घोषणा की गई।

बुधवार, 23 मार्च 2011

whole photo grafs of thar festival barmer 1 day event program


























चन्दा थार सुन्दरी व रामसिंह थार श्री
भव्य शोभा यात्रा के साथ तीन
दिवसीय थार महोत्सव का आगाज
बाडमेर, 23 मार्च। बाडमेर जिले की लोक कला, संस्कृति, इतिहास, पर्यटन एवं हस्तिल्प को उजागर करने के लिए जिला प्रासन द्वारा आयोजित किए जाने वाले तीन दिवसीय थार महोत्सव 2011 का आगाज बुधवार को भव्य भाोभायात्रा के साथ हुआ।
गांधी चौक से प्रातः 8.30 बजे जिला कलेक्टर गौरव गोयल तथा जिला प्रमुख श्रीमती मदन कौर ने भाोभायात्रा को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया। इस मौके पर, नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती उशा जैन सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी, पाशर्द, पूर्व पाशर्द तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।भाोभायात्रा में सबसे आगे थार महोत्सव के बैनर के साथ दो कलाकार तथा उनके पीछे सजे धजे ऊॅट, ोल थाली एवं नगाडे बजाते कलाकार, रंग बिरंगी पौाकों में सिर पर मंगल कला लिये महिलाएं चल रही थी। इसी प्रकार घोडों व ऊॅठों पर सवार थार श्री के प्रतिभागी, सनावडा की आंगी गैर ऊॅठ गाडों पर सवार लोक कलाकार गाते बजाते चल रहे थे। जिला कलेक्टर गौरव गोयल घोडे पर सवार होकर भाोभा यात्रा में भामिल हुए।
भाोभा यात्रा गांधी चौक, अंहिसा सर्किल, नेहरू नगर होते हुए सवेरे 10 बजे आदार स्टेडियम पहुंची। नगर के विभिन्न मौहल्लों, चौराहों पर नागरिकों ने भाोभा यात्रा में भामिल जिला कलेक्टर एवं जन प्रतिनिधियों का जगह जगह फूल बरसा कर स्वागत किया। भाोभयात्रा को देखने के लिए गली चौराहों पर बडी तादाद में महिलाएं, पुरूश एवं बच्चे इन्तजार मे थे।
आदार स्टेडियम पर जिला कलेक्टर गौरव गोयल तथा जिला प्रमुख श्रीमती मदन कौर ने थार महोत्सव के कार्यक्रमों का विधिवत भाुभारम्भ ोल बजाकर किया। इसके बाद आंगी गैर दलों ने गैर नृत्यों को प्रदार्न किया। इसके बाद रोचक एवं रोमांचकारी लोक प्रतियोगिताओं का सिलसिला भाुरू हुआ। सर्व प्रथम ोल वाहन प्रतियोगिता हुई जिसमें ईवर भाई प्रथम, रजाक खां द्वितीय तथा भूरा खां तृतीय स्थान पर रहें। इसी प्रकार ऊॅठ श्रंृगार प्रतियोगिता में अखाराम के ऊॅठ को प्रथम, थानाराम के ऊॅठ को द्वितीय तथा रमजान खां के ऊॅठ को तृतीय स्थान मिला। रंगोली प्रतियोगिता में रेखा प्रथम, प्रियंका सोनी द्वितीय व अल्पना तृतीय स्थान पर रही। वहीं मेहन्दी प्रतियोगिता में हेमलता प्रथम, सन्तोश भार्मा द्वितीय तथा प्रियंका व दुर्गावती तृतीय स्थान पर रही। साफा बांध प्रतियोगिता में छगनलाल प्रथम, माधोसिंह व विरधीचन्द द्वितीय तथा रजाक खा व भैरूसिंह तृतीय स्थान पर रहें। इसी प्रकार मूंछ प्रतियोगिता में सुभाश पुरोहित व रामसिंह राजपुरोहित प्रथम, चान्दमल व मदनसिंह द्वितीय तथा गुलाबाराम व खेतसिंह तृतीय स्थान पर रहें।
संयुक्त परिवार के प्रतिक दादा पोता दौड प्रतियोगिता भैराराम व उनका पोता प्रका प्रथम स्थान, ईाराराम व प्रदीप द्वितीय स्थान तथा राजूराम व उनका पोता मोती तृतीय स्थान पर रहें। घोडी नृत्य प्रतियोगिता में साले खां की घोडी काजल को प्रथम, हबीबदूुल्ला की घोडी को द्वितीय व जमाल खां की घोडी को तृतीय स्थान मिला।
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इन्ही प्रतियोगिताओं के सिलसिले में मटका दौड प्रतियोगिता काफी रोचक रही। इस प्रतियोगिता में सिर पर पानी से भरा मटका रखकर दौडते कदमों से अपनी मंजिल पर सबसे पहले पहुंचने वाली भांति देवी को प्रथम पुरस्कार दिया गया जबकि इस प्रतियोगिता मे मधु को द्वितीय व सन्तोश खत्री को तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। दम्पति दौड में जयराम व उनकी धर्मपत्नि श्रीमती भाोभा को प्रथम, मोहनलाल व उनकी धर्मपत्नि श्रीमती भांति देवी को द्वितीय तथा भगाराम व उनकी धर्मपत्नि हीरा तृतीय स्थान पर रहें।
महिलाओं एवं पुरूशों के बीच अलगअलग वर्गो में हुई रस्सा कसी प्रतियोगिता बेहद रोमांचकारी रही। प्रथम वर्ग में भारतीय बनाम विदोी टीम के मध्य रस्सा कस्सी प्रतियोगिता में विदोी टीम प्रथम स्थान पर रहीं। वहीं महिलाओं के वर्ग में कडी स्पर्धा के बीच घरेलू महिलाओं ने प्रथम स्थान प्राप्त किया जबकि कामकाजी महिलाएं दूसरे स्थान पर ही। इसी कडी में पुलिस बनाम पत्रकारों के बीच आयोजित रस्सा कस्सी प्रतियोगिता में पुलिस की टीम को प्रथम तथा पत्रकारों की टीम को द्वितीय स्थान हासिल हुआ।
प्रतियोगिताओं की कडी में सर्वाधिक लोकप्रिय थार श्री एवं थार सुन्दरी के प्रति दार्कों का काफी रूझान रहा। थार सुन्दरी प्रतियोगिता में दो दर्जन से अधिक महिलाओं ने हिस्सा लिया तथा थार श्री प्रतियोगिता में 8 प्रतिभागीयों ने अपना भाग्य आजमाया। इस वशर का थार सुन्दरी का खिताब चन्दा के नाम रहा जबकि रामसिंह राजपुरोहित इस वशर के थार श्री चुने गये। स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर की ओर से थार श्री एवं थार सुन्दरी को 5100/, 5100/, रस्सा कस्सी में विजेता टीमों को 2100/, 2100/ तथा अन्य प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को 1100/, द्वितीय स्थान प्राप्त करने वालो को 700/ तथा तृतीय स्थान पर रहे प्रतिभागीयों को 500/ रूपये के नकद पुरस्कार जिला कलेक्टर गौरव गोयल, जिला प्रमुख श्रीमती मदन कौर एवं नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती उशा जैन द्वारा प्रदान किए गए। कार्यक्रम का संचालन जफर खान सिन्धी ने किया।
इसी दिन के थार महोत्सव के कार्यक्रमों में सायं 4 बजे से महाबार में आकशर्क घुड दौड व ऊॅठ दौड प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। ऊॅठ दौड प्रतियोगिता में सांगसिंह प्रथम स्थान पर रहे जबकि सुमार खां द्वितीय तथा हनवंतसिंह तृतीय स्थान पर रहें। इसी प्रकार घुड दौड प्रतियोगिता में लखा खान प्रथम, रामाराम द्वितीय व निजाम खां तृतीय स्थान पर रहें। इसके पचात सहायक कमाण्डेन्ट संदीप गवी के नेतृत्व में बीएसएफ के जवानों ने आकशर्क केमल टेटू भाौ का प्रदार्न किया।
आज के कार्यक्रम
थार महोत्सव के दूसरे दिन के कार्यक्रमों में गुरूवार को किराडू मुख्य आकशर्ण का केन्द्र रहेगा। इस दिन यहां प्रातः 9 से 12 बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएगे, जिसमें थार की परम्परागत लोक कला को प्रस्तुत किया जाएगा। इसी दिन सायं काल में आदार स्टेडियम में सायं सात बजे से राजा हसन की नाईट के अन्तर्गत राजा हसन आकशर्क प्रस्तुतियां देंगे।
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SHAHEED..BHAGAT SINGH....MERA RANG DAI BASANTI CHOLA ,

Ek hasrat thi ke aanchal ka mujhe pyar mile (Mukesh).flv

मंगलवार, 22 मार्च 2011

थार महोत्सव’’थाने उडीके बाड़मेर’’




थार महोत्सव’’थाने उडीके बाड़मेर’’
बाड़मेर जिला लोक संस्कृति से परिपूर्ण हैं। गांव ढाणी पगपग पर लोक कला बिखरी पडी हैं। लोक कला को समेटने का प्रयास बाड़मेर थार महोत्सव के जरिए किया गया। यह महोत्सव आगे जकार थार महोत्सव बना।
थार की थली में तीन दिवसीय थार महोत्सव का आगाज 11वीं तथा 12 शताब्दी के ऐतिहासिक प्रस्त नगरी किराडू में होता हैं। शास्त्रीय संगीत से शाम सजती हैं। गजल गायकी के साथसाथ भजन की स्वर लहरियां इन प्राचीन भग्नावेशों में गुंजायमान होती हैं। विश्व पर्यटन मानचित्र में पहचान कायम करने का प्रयास जिला प्रशासन द्वारा थार महोत्सव के जरिए किया जा रहा हैं। देशी विदेशी शैलानियों को थार की थली की तरफ आकर्षिक करने के लिये इस महोत्सव में नए, रोचक एवं दिलचस्प कार्यक्रमों का समावेश किया गया। लोक संस्कृति से रूबरू कराते ख्यातनाम देशी कलाकारों को आमंत्रित किया जाता हैं।
इस महोत्सव में हस्त शिल्प मेले का आयोजन किया जाता हैं। जिसमें स्थानीय हस्तशिल्पकारों के हाथों से तैयार काष्ठ कला के फर्नीचर, कांच कशीदाकारी के वस्त्र, खादी वस्त्र, कम्बलें, पट्टु जैसे उत्पादन मेले की शोभा ब़ाते हैं। शोभा यात्रा का दिलकश नजारा सजेधजे युवकयुवतियां, पारम्परिक वेशभूषा पहने बालाएं जो सिरों पर कलश लेकर शोभा यात्रा की अगुवाई करती हैं। इसी संस्कृति से रूबरू कराती हैं। यह शोभायात्रा आदर्श स्टेडियम जाकार समाप्त होती हैं। इसके साथ ही थार की संस्कृति से रूबरू कराती विभिन्न प्रतियोगिताओं का दौर आरम्भ होता हैं। सर्वाधिक लोकप्रिय प्रतियोगिता थारश्री तथा थार सुन्दरी के प्रति दर्शको का जबदस्त रूझान हैं। थारश्री प्रतियोगिता में सुन्दर, छैल, छबीले नौजवान तथा थार सुन्दरी प्रतियोगिता में मृगनयनी अनुपम सौन्दर्य प्रतीक नव युवतियां चाव से भाग लेती हैं।
युवको की बडीबडी नशीली आंखे, रोबदार चेहरा, बी हुई दा़ी व रोबीली मूंछे थार संस्कृति का पहनावा कुर्ता, धोती एवं साफा पहना वीर लगते हैं। गले में परम्परागत आभूषण इनके चेहरे की सुन्दरता ब़ाते हैं।
परम्परागत मारवाड़ी वेशभूषा में सजी धजी युवतियां शीरी, लैला, भारमली मूमल, जूलिएट के अनुपम सौन्दर्य की याद ताजा कर देती हैं। इस दिन पगडी बांधो प्रतियोगिता, दादा पोता दौड, भागता बाराती, छीना झपटी, रस्सा कस्सी जैसी प्रतियोगिताओं के साथ ऊंट श्रंृगार प्रतियोगिता दर्शको में रोमांच भरती हैं। वहीं परम्परागत ोल वादन प्रतियोगिता में ोल वादक दर्शको को थिरकने पर मजबूर कर देते हैं। दूसरे दिन महाबार थार की थली में लोक संस्कृति से सजी धजी गीत संगीत की सुरमई शाम का आनन्द लेते हैं। स्थानीय लोक संस्कृति लोकगीत, लोक गायकों द्वारा अविस्मरणीय प्रस्तुतियां दी जाती हैं। दमादम मस्त कलन्दर, निम्बुडा, होलियों में उड़े रे गुलाल, जवांई जी पावणा, जैसी प्रस्तुतियां लोक कलाकारों द्वारा रेतीले धोरो के मध्य चान्दनी रात में दी जाती हैं, जो दर्शको को झूमने पर मजबूर करती हैं। तीसरे व अंतिम दिन वीर दुर्गादास की कर्मस्थली कनाना में शीतला सप्तमी का विशाल मेला लगता हैं। जहां गैर नृतक सूर्योदय की पहली किरण के साथ माटी की सोंधी महक में अपनी स्वर लहरियां बिखेरते हैं। श्रेष्ठ गैर नृतक दलों को पुरस्कृत किया जाता हैं।

विदेशी पर्यटकों को अधिकाधिक जोड़ने के लिए इन्टरनेट पर थार महोत्सव के नाम से एक बेबवाईट भी डाली गई हैं। जिसके लिए विभिन्न पर्यटन एजेन्सियों से सम्पर्क साध अधिकाधिक विदेशी सैलानियों को जोड़ने का प्रयास किया। वहीं मनीष सोलंकी द्वारा निर्मित प्रतीक चिन्ह को चयन किया। थार के रेतीले धोरे, रेगिस्तान का जहाज ऊंट, उमंग भरे नृत्य इतिहास के साक्षी किराडू मन्दिर तथा रंगाई छपाई को दर्शाते इस प्रतीक में थार संस्कृति समाहित हैं। मनीष सोलंकी ने इसका शीर्षक ’’थाने उडीके बाड़मेर’’ दिया।