शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

"दलित बस्ती में हनीमून मनाते हैं राहुल"

लखनऊ। योगगुरू बाबा रामदेव ने कांग्रेस पर एक और हमला बोलते हुए शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के दलित गांवों के दौरे "हनीमून और पिकनिक" की शैली में होते हैं। rahul likes foreign girls says baba ramdev
रामदेव ने शुक्रवार को यहां मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि राहुल "देशी" लड़की से विवाह नहीं कर सकते क्योंकि वह "विदेशी" में दिलचस्पी रखते हैं और दलित गांवों का उनका दौरा हनीमून और पिकनिक की शैली में होता है।

उन्होंने कहा कि वह खुद एवं भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी बडे उद्देश्यों के लिए अविवाहित हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि हताश कांग्रेस इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों से छेड़छाड़ कर सकती है क्योंकि वह हारने के कगार पर है।

उन्होंने कहा कि भ्रष्ट कार्यो में लिप्तता के कारण संप्रग सरकार के अधिकांश मंत्रियों को जेल जाना पडेगा। यहां योग दीक्षा कार्यक्रम कराने वाले बाबा रामदेव ने कहा कि राहुल का दिमाग "बचकाना" है और वह अमेठी से इस बार चुनाव नही जीतेंगे।

बाबा ने कहा वह 30 अप्रैल को अमेठी में चुनाव अभियान चलायेंगे और कोशिश करेंगे कि लोग कांग्रेस के खिलाफ सामने आएं जिसने 65 सालों में देश को बर्बाद कर दिया है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीमार होने के कारण वह उनके खिलाफ चुनाव अभियान नहीं चलायेंगे। उन्होंने कहा कि हालांकि आप नेता ने अमेठी में काफी काम किया है लेकिन भाजपा की स्मृति ईरानी राहुल को हराकर फायदे में रहेंगी।

पीएम मनमोहन सिंह के सौतेले भाई बीजेपी में शामिल

अमृतसर। कांग्रेस को शर्मिदा करने की एक चाल के तहत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सौतेले भाई दलजीत सिंह कोहली को नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में भाजपा की सदस्यता दिलाई।manmohan singh brother daljit singh joins bjp
यहां रहने वाले और कारोबार चलाने वाले कोहली ने मोदी के यहां आने के बाद भाजपा की सदस्यता ली और सभा में मोदी व शिरोमणि अकाली दल के नेताओं के साथ मंच भी साझा किया।

मोदी यहां अपनी पार्टी के उम्मीदवार अरूण जेटली के पक्ष में प्रचार करने के लिए आए हुए थे। भाजपा के लिए "सुरक्षित" सीट समझे जाने वाले अमृतसर में जेटली को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्ववर्ती पटियाला रियासत के कैप्टन अमरिंदर सिंह से कड़ी चुनौती मिल रही है।

कोहली का भाजपा में स्वागत करते हुए मोदी ने कहा, आज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भाई दलजीत सिंह भाजपा में शामिल हुए हैं। इससे हमें और मजबूती मिलेगी। हम सदस्यता आधारित पार्टी नहीं हैं। हम खून का रिश्ता बनाते हैं।

कोहली का भाजपा में जेटली ने भी स्वागत किया। वर्ष 2004 में मनमोहन के प्रधानमंत्री बनने और 2009 में फिर से इस पद पर काबिज होने के बाद भी कोहली राजनीति से दूर रहे।

1947 में देश का बंटवारा होने के बाद अमृतसर आ बसने के बाद प्रधानमंत्री ने यहीं रहकर शुरूआती शिक्षा प्राप्त की थी।

बाड़मेर के तेल कुओं ने भरा सरकारी खजाना

जयपुर। बाड़मेर के तेल-गैस कुओं ने वित्त वर्ष 2013-14 के अंत तक राजस्थान के सरकारी खजाने को भर दिया है। Cairn India pays royalty of Rs 24 thousand crore to rajasthan government
देश की अग्रणी तेल-गैस कंपनी केयर्न इंडिया ने दी गई जानकारी के अनुसार कंपनी ने रॉयल्टी के रूप में खजाने में 24 हजार 299 करोड़ रूपए जमा करवाए हैं।

कंपनी ने घोषणा करते हुए कहा कि इस बार कंपनी का राजस्व रिकॉर्ड 18 हजार 762 करोड़ रूपए का हुआ है। गत वित्त वर्ष में कंपनी ने 7 करोड़ 60 लाख बैरल का रिकॉर्ड उत्पादन किया था, जो घरेलू तेल उत्पादन का लगभग 30 प्रतिशत है।

दो लाख बैरल तेल का प्रतिदिन उत्पादन
केयर्न इंडिया के अंतरिम सीईओ पी. इलांगो ने बताया कि बाड़मेर में कंपनी प्रतिदिन दो लाख बैरल तेल का दोहन कर रही है। इससे देश में हुए तेल आयात में कमी आई है।

कंपनी द्वारा खोदे गए 17 कुओं में से 14 में तेल-गैस की उपस्थिति के संकेत मिले हैं। इसके अलावा उनका यह भी कहना था कि वर्ष 2013-14 की आखिरी तिमाही के दौरान अन्वेषण कुओं की जांच की गई और वित्तीय वर्ष के पहले माह में तीन नए तेल कुओं की खोज की गई है।

"मोदी सुनामी" रोकने के लिए कांग्रेस ने चला मजबूत दांव

नई दिल्ली। वाराणसी से भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के पर्चा दाखिले के दौरान उठी "मोदी सुनामी" को रोकने के लिए कांग्रेस ने एक मजबूत दांव चला है। congress promises to muslims for obc quota
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र को विस्तार देते हुए मुस्लिमों के लिए ओबीसी कोटा का प्रावधान करने का चुनावी चाल चली है। कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण के तहत मुस्लिम समुदाय के पिछडे वर्गो को 4.5 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया है।

हालांकि 26 मार्च को जारी हुए कांग्रेस के घोषणा पत्र में पिछडे मुस्लिमों को आरक्षण देने की बात कही गई थी। लेकिन नए पत्र में मनमोहन सरकार के 4.5 फीसदी सब कोटा देने की घोषणा को दोहराया गया है हालांकि इसे कोर्ट में चुनौती दी गई है।

कांग्रेस ने सभी दलित पिछड़ा वर्ग को एससी कोटे के तहत लाने की बात की है, जिसका वे लोग विरोध कर रहे हैं जिनको एससी कोटे के तहत आरक्षण का लाभ मिल रहा है।

एससी कोटे में संशोधन होगा तो दलित मुस्लिम और ईसाई भी इसका लाभ पा सकेंगे। अभी तक यह लाभ हिदुओं और बौद्धों को मिलता रहा है। भाजपा इसका विरोध कर रही है। उसका कहना है कि मुस्लिम और ईसाई समुदाय में जाति आधारित भेदभाव नहीं है।

कांग्रेस को उम्मीद है कि इस दांव से बाकी के तीन चरणों के मतदान में उसे और उसके सहयोगी दलों को लाभ मिल सकता है। कांग्रेस ने चुनाव में सभी पिछड़े समुदायों से समर्थन देने की अपील की है ताकि केंद्र में सत्ता में आने पर वह घोषणा पत्र में पिछडे समुदायों से किए वादे पूरे कर सके।

राहुल महाजन से धोखा: दूसरे से इश्क लड़ा रही है पत्नी -



मुंबई। दिवंगत प्रमोद महाजन के बेटे राहुल महाजन की शादीशुदा जिंदगी में भूचाल आ गया है। डिंपी गांगुली और राहुल महाजन जल्द ही तलाक लेने वाले हैं।

6 मार्च 2010 को दोनों ने एक रियलिटी शो के दौरान शादी की थी। एक समाचार पत्र के मुताबिक डिप्पी का दुबई में रहने वाले एक शख्स से अफेयर चल रहा है। इस व्यक्ति की दुबई में इवेंट मैनेजमेंट कंपनी है। राहुल और डिम्पी के करीबी सूत्र के मुताबिक डिप्पी अपने मौजूदा ब्वॉयफ्रेंड को राहुल महाजन से शादी से पहले से जानती थी।
Rahul and Dimpy Mahajan headed for divorce
राहुल को भी दोनों के अफेयर के बारे में जानकारी थी। राहुल और डिप्पी पिछले एक साल से अलग-अलग रह रहे हैं। डिप्पी को लगा कि अब उसे अपने पति से प्यार नहीं है,इसलिए उसने तलाक का फैसला लिया। छह महीने पहले से डिम्पी दुबई में रह रही है। हालांकि पिछले साल दोनों ने डांस रियलिटी शो में हिस्सा लिया था, लेकिन इसका कोई मतलब नहीं था।

एक अन्य मित्र ने बताया कि राहुल और डिम्पी का तलाक होकर रहेगा। राहुल सिर्फ लोकसभा चुनाव खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। जब दोनों साथ रह रहे थे तब भी अलग अलग बैडरूम में सोते थे। वक्त के साथ-साथ दोनों की शादी में आई दरार लंबी होती गई। इंडस्ट्री में जो राहुल के मित्र हैं उन्हें इस बारे में पूरी जानकारी थी।

ऎसा पहली बार नहीं है जब डिप्पी और राहुल के रिश्त में दरार उत्पन्न हुई है। शादी के चार महीने बाद ही डिम्पी ने राहुल पर मारपीट करने का आरोप लगाया था। हालांकि कुछ वक्त बाद दोनों में समझौता हो गया और डिम्पी महाजन परिवार के घर लौट आई थी। तलाक की खबर पर राहुल ने कहा,मेरे पास ऎसी चीजों पर बात करने के लिए वक्त नहीं है। मैं चुनाव में व्यस्त हूं। डिप्पी की अभी तक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।

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पत्रकारों के लिए फेसबुक ने शुरू किया न्यूजवायर टूल -



नई दिल्ली। पॉपुलर सोशल नेटवर्किग वेबसाइट फेसबुक ने पत्रकारों के लिए एक खास न्यूजवायर टूल पेश किया है। इस फेसबुक न्यूजवायर टूल के मेंबर्स द्वारा शेयर किए गए फेसबुक कंटेट जैसे कि फोटो, लेख तथा वीडियो आदि को एम्बेड करने में मदद मिलेगी।
Facebook launches FB Newswire tool for journalists
फेसबुक अपने इस नए टूल के लिए न्यूज कॉर्प के स्टोरीफुल मीडियो टूल के साथ मिलकर काम कर रही है जिससें कि टि्वटर जैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर न्यूज तथा वीडियो के कॉपीराइट को पहचाना और मैनेज किया सके।

फेसबुक के डायरेक्टर ऑफ न्यूज एंड ग्लोबल मीडिया पार्टनरशिप एंडी मिशेन ने फेसबुक न्यूजवायर टूल की घोषणा करते हुए कहा कि एफबी पर अब न्यूज को किसी भी वक्त से ज्यादा ऑडियंस मिल रहे हैं। अब पत्रकार व ग्लोबल मीडिया ऑर्गेनाइजेशंस भी इसका जरूरी हिस्सा बन चुके हैं।

अपने इस नए टूल के बारे में अवेयर करने के लिए फेसबुक ने टि्वटर पर अपना अकाउंट "एटएफबीन्यूजवायर" भी शुरू कर दिया है।

पट्टा नहीं मिला तो महिला तहसीलदार से छेड़छाड़!



जयपुर। जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) में पट्टा लेने के लिए दो महीने से जेडीए के चक्कर काट रहे एक युवक ने बुधवार को अपना आपा खो दिया। जेडीए अफसरों से फाइल लम्बित होने का जवाब मिलने से झल्लाए युवक ने हल्ला मचाया तो एक महिला तहसीलदार ने उसके खिलाफ राजकार्य में बाधा डालने और झगड़ा व छेड़छाड़ करने का आरोप लगा दिया। इस मामले में गांधी नगर थाना पुलिस ने आरोपी युवक को गिरफ्तार कर गुरूवार को न्यायालय में पेश किया, जहां उसे जमानत पर छोड़ दिया गया।
Man looses temper and eve teased woman SDM  in JDA
गिरफ्तार हष्ाüवर्द्धन सिंह (38) श्याम नगर स्थित विवेक विहार निवासी है। गांधी नगर थाना पुलिस ने बताया, बुधवार दोपहर जेडीए कन्ट्रोल रूम से सूचना मिली कि आरोपी ने महिला तहसीलदार से छेड़छाड़ कर झगड़ा किया और उसे पकड़कर बैठा रखा है। तहसीलदार ने उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। पड़ताल में सामने आया कि गिरफ्तार युवक दो महीने से अपने ताऊ की प्रॉपर्टी का पट्टा लेने के लिए जेडीए के चक्कर काट रहा था। बुधवार को भी वह पट्टे के सम्बंध में जेडीए पहुंचा था। तहसीलदार का कहना है कि फाइल सम्बंधित अफसर को भेज दी थी।

जेडीए अफसरों का आरोप, पैसे देने की कोशिश की
300 वर्गगज जमीन के पट्टे के लिए आवेदन किया गया था। इसमें से 140 वर्गगज का पट्टा पहले ही दे दिया और बाकी 160 वर्गगज जमीन का पट्टा देना था। युवक 160 की जगह 220 वर्गगज जमीन का पट्टे के लिए दबाव बना रहा था। इसके लिए तहसीलदार को पैसे देने की कोशिश भी की गई, लेकिन उन्होंने लेने से इनकार कर दिया।

मोबाइल दे मारा
जेडीए सचिव पवन अरोड़ा ने बताया कि लगातार दबाव बनाने के बाद भी काम नहीं होने से गुस्साए युवक ने तहसीलदार पर मोबाइल तक दे मारा। मोबाइल भी पुलिस को दे दिया गया।

सरकारी स्कूल में दिनदहाड़े अध्यापिका से गैंगरेप



बूंदी। राजस्थान के बूंदी जिले के डबलाना क्षेत्र के रैण गांव में एक अध्यापिका के साथ गैंगरेप का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। चार आरोपियों ने स्कूल के कमरे में ले जाकर अध्यापिका से सामूहिक बलात्कार किया। घटना के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए। पुलिस ने इनमें से तीन को गिरफ्तार कर लिया गया है।
Government teacher gangraped inside school building in Bundi
जानकारी के अनुसार जिले के रैण प्राथमिक विद्यालय में एक महिला अध्यापिका की ड्यूटी है। रोज की तरह ही वह शुक्रवार को भी स्कूल आई थी। सुबह साढ़े नौ बजे के लगभग 4 जने स्कूल में आए। चारों आरोपी उसे उठाकर एक कमरे में ले गए और उसके मुंह में चुन्नी ठूंस दी। इसके बाद उससे बारी-बारी से बलात्कार किया।

इसके बाद आरोपी भाग गए। पीडिता के चिल्लाने पर आस पास के लोग वहां पहुंचे। लोगों ने पुलिस को सूचना दी। इस पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पीडिता के बयान दर्ज किए। इस मामले में 4 में से 3 आरोपियों को पकड़ लिया गया है। वहीं पीडिता को मेडिकल के लिए बूंदी के राजकीय अस्पताल ले जाया गया है।

घटना के दौरान पीडिता स्कूल में अकेली ही थी। गौरतलब है कि अभी स्कूलों में परीक्षाओं की तैयारियों के लिए छुटि्टयां चल रही है।

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हुंकार कि कलंगी। …एक लोक कथा

हुंकार कि कलंगी। …एक लोक कथा 

उदयपुर के महलों में राणा जी ने आपात सभा बुला रखी थी| सभा में बैठे हर सरदार के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ़ नजर आ रही थी, आँखों में गहरे भाव नजर आ रहे थे सबके हाव भाव देखकर ही लग रहा था कि किसी तगड़े दुश्मन के साथ युद्ध की रणनीति पर गंभीर विचार विमर्श हो रहा है| सभा में प्रधान की और देखते हुए राणा जी ने गंभीर होते हुए कहा-
“इन मराठों ने तो आये दिन हमला कर सिर दर्द कर रखा है|”

“सिर दर्द क्या रखा है ? अन्नदाता ! इन मराठों ने तो पूरा मेवाड़ राज्य ही तबाह कर रखा है, गांवों को लूटना और उसके बाद आग लगा देने के अलावा तो ये मराठे कुछ जानते ही नहीं !” पास ही बैठे एक सरदार ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा|

“इन मराठों जैसी दुष्टता और धृष्टता तो बादशाही हमलों के समय मुसलमान भी नहीं करते थे| पर इन मराठों का उत्पात तो मानवता की सारी हदें ही पार कर रहा है| मुसलमान ढंग से लड़ते थे तो उनसे युद्ध करने में भी मजा आता था पर ये मराठे तो लूटपाट और आगजनी कर भाग खड़े होते है|” एक और सरदार ने पहले सरदार की बात को आगे बढाया|

सभा में इसी तरह की बातें सुन राणा जी और गंभीर हो गए, उनकी गंभीरता उनके चेहरे पर स्पष्ट नजर आ रही थी|

मराठों की सेना मेवाड़ पर हमला कर लूटपाट व आगजनी करते हुए आगे बढ़ रही थी मेवाड़ की जनता उनके उत्पात से बहुत आतंकित थी| उन्हीं से मुकाबला करने के लिए आज देर रात तक राणा जी मुकाबला करने के लिए रणनीति बना रहे थे और मराठों के खिलाफ युद्ध की तैयारी में जुटे थे| अपने ख़ास ख़ास सरदारों को बुलाकर उन्हें जिम्मेदारियां समझा रहे थे| तभी प्रधान जी ने पूरी परिस्थिति पर गौर करते हुए कहा-
“खजाना रुपयों से खाली है| मराठों के आतंक से प्रजा आतंकित है| मराठों की लूटपाट व आगजनी के चलते गांव के गांव खाली हो गए और प्रजा पलायन करने में लगी है| राजपूत भी अब पहले जैसे रहे नहीं जो इन उत्पातियों को पलक झपकते मार भगा दे और ऐसे दुष्टों के हमले झेल सके|”

प्रधान के मुंह से ऐसी बात सुन पास ही बैठे एक राजपूत सरदार ने आवेश में आकर बोला –“पहले जैसे राजपूत अब क्यों नहीं है ? कभी किसी संकट में पीछे हटे है तो बताएं ? आजतक हम तो गाजर मुली की तरह सिर कटवाते आये है और आप कह रहें है कि पहले जैसे राजपूत नहीं रहे ! पिछले दो सौ वर्षों से लगातार मेवाड़ पर हमले हो रहे है पहले मुसलमानों के और अब इन मराठों के| रात दिन सतत चलने वाले युद्धों में भाग लेते लेते राजपूतों के घरों की हालत क्या हो गयी है ? कभी देखा है आपने ! कभी राजपूतों के गांवों में जाकर देखो एक एक घर में दस दस शहीदों की विधवाएं बैठी मिलेंगी| फिर भी राजपूत तो अब भी सिर कटवाने के लिए तैयार है| बस एक हुक्म चाहिए राणा जी का! मराठा तो क्या खुद यमराज भी आ जायेंगे तब भी मेवाड़ के राजपूत पीठ नहीं दिखायेंगे|”

ये सुन राणा बोले- “राज पाने व बचाने के लिए गाजर मुली की तरह सिर कटवाने ही पड़ते है, इसीलिए तो कहा जाता है कि राज्य का स्वामी बनना आसान नहीं| स्वराज्य बलिदान मांगता है और हम राजपूतों ने अपने बलिदान के बूते ही यह राज हासिल किया है| धरती उसी की होती है जो इसे खून से सींचने के लिए तैयार रहे| हमारे पूर्वजों ने मेवाड़ भूमि को अपने खून से सींचा है| इसकी स्वतंत्रता के लिए जंगल जंगल ठोकरे खायी है| मातृभूमि की रक्षा के लिए घास की रोटियां खाई है, और अब ये लुटरे इसकी अस्मत लुटने आ गए तो क्या हम आसानी से इसे लुट जाने दे ? अपने पूर्वजों के बलिदान को यूँ ही जाया करें? इसलिए बैठकर बहस करना छोड़े और मराठों को माकूल जबाब देने की तैयारी करें|”

राणा की बात सुनकर सभा में चारों और चुप्पी छा गयी| सबकी नजरों के आगे सामने आई युद्ध की विपत्ति का दृश्य घूम रहा था| मराठों से मुकाबले के लिए इतनी तोपें कहाँ से आएगी? खजाना खाली है फिर सेना के लिए खर्च का बंदोबस्त कैसे होगा? सेना कैसे संगठित की जाय? सेना का सेनापति कौन होगा? साथ ही इन्हीं बिन्दुओं पर चर्चा भी होने लगी|

आखिर चर्चा पूरी होने के बाद राणा जी ने अपने सभी सरदारों व जागीरदारों के नाम एक पत्र लिख कर उसकी प्रतियाँ अलग-अलग घुड़सवारों को देकर तुरंत दौड़ाने का आदेश दिया|

पत्र में लिखा था-“मेवाड़ राज्य पर उत्पाती मराठों ने आक्रमण किया है उनका मुकाबला करने व उन्हें मार भगाने के लिए सभी सरदार व जागीरदार यह पत्र पहुँचते ही अपने सभी सैनिकों व अस्त्र-शस्त्रों के साथ मेवाड़ की फ़ौज में शामिल होने के लिए बिना कोई देरी किये जल्द से जल्द हाजिर हों|”

पत्र में राणा जी के दस्तखत के पास ही राणा द्वारा लिखा था- “जो जागीरदार इस संकट की घडी में हाजिर नहीं होगा उसकी जागीर जब्त कर ली जाएगी| इस मामले में किसी भी तरह की कोई रियायत नहीं दी जाएगी और इस हुक्म की तामिल ना करना देशद्रोह व हरामखोरी माना जायेगा|”

राणा का एक सवार राणा का पत्र लेकर मेवाड़ की एक जागीर कोसीथल पहुंचा और जागीर के प्रधान के हाथ में पत्र दिया| प्रधान ने पत्र पढ़ा तो उसके चेहरे की हवाइयां उड़ गयी| कोसीथल चुंडावत राजपूतों के वंश की एक छोटीसी जागीर थी और उस वक्त सबसे बुरी बात यह थी कि उस वक्त उस जागीर का वारिस एक छोटा बच्चा था| कोई दो वर्ष पहले ही उस जागीर के जागीरदार ठाकुर एक युद्ध में शहीद हो गए थे और उनका छोटा सा इकलौता बेटा उस वक्त जागीर की गद्दी पर था| इसलिए जागीर के प्रधान की हवाइयां उड़ रही थी| राणा जी का बुलावा आया है और गद्दी पर एक बालक है वो कैसे युद्ध में जायेगा? प्रधान के आगे एक बहुत बड़ा संकट आ गया| सोचने लगा-“क्या इन मराठों को भी अभी हमला करना था| कहीं ईश्वर उनकी परीक्षा तो नहीं ले रहा?”

प्रधान राणा का सन्देश लेकर जनाना महल के द्वार पर पहुंचा और दासी की मार्फ़त माजी साहब (जागीरदार बच्चे की विधवा माँ) को आपात मुलाकात करने की अर्ज की|

दासी के मुंह से प्रधान द्वारा आपात मुलाकात की बात सुनते ही माजी साहब के दिल की धडकनें बढ़ गयी-“पता नहीं अचानक कोई मुसीबत तो नहीं आ गयी?”

खैर.. माजी साहब ने तुरंत प्रधान को बुलाया और परदे के पीछे खड़े होकर प्रधान का अभिवादन स्वीकार करते हुए पत्र प्राप्त किया| पत्र पढ़ते ही माजी साहब के मुंह से सिर्फ एक छोटा सा वाक्य ही निकला-“हे ईश्वर ! अब क्या होगा?” और वे प्रधान से बोली-“अब क्या करें ? आप ही कोई सलाह दे! जागीर के ठाकुर साहब तो आज सिर्फ दो ही वर्ष के बच्चे है उन्हें राणा जी की चाकरी में युद्ध के लिए कैसे ले जाया जाय ?

तभी माजी के बेटे ने आकर माजी साहब की अंगुली पकड़ी| माजी ने बेटे का मासूम चेहरा देखा तो उनके हृदय ममता से भर गया| मासूम बेटे की नजर से नजर मिलते ही माजी के हृदय में उसके लिए उसकी जागीर के लिए दुःख उमड़ पड़ा| राणा जी द्वारा पत्र में लिखे आखिरी वाक्य माजी साहब के नजरों के आगे घुमने लगे-“हुक्म की तामिल नहीं की गयी तो जागीर जब्त कर ली जाएगी| देशद्रोह व हरामखोरी समझा जायेगा आदि आदि|”

पत्र के आखिरी वाक्यों ने माजी सा के मन में ढेरों विचारों का सैलाब उठा दिया-“जागीर जब्त हो जाएगी ! देशद्रोह व हरामखोरी समझा जायेगा! मेरा बेटा अपने पूर्वजों के राज्य से बाहर बेदखल हो जायेगा और ऐसा हुआ तो उनकी समाज में कौन इज्जत करेगा? पर उसका आज बाप जिन्दा नहीं है तो क्या हुआ ? मैं माँ तो जिन्दा हूँ! यदि मेरे जीते जी मेरे बेटे का अधिकार छिना जाए तो मेरा जीना बेकार है ऐसे जीवन पर धिक्कार| और फिर मैं ऐसी तो नहीं जो अपने पूर्वजों के वंश पर कायरता का दाग लगने दूँ, उस वंश पर जिसनें कई पीढ़ियों से बलिदान देकर इस भूमि को पाया है मैं उनकी इस बलिदानी भूमि को ऐसे आसानी से कैसे जाने दूँ ?

ऐसे विचार करते हुए माजी सा की आँखों वे दृश्य घुमने लगे जो युद्ध में नहीं जाने के बाद हो सकते थे- “कि उनका जवान बेटा एक और खड़ा है और उसके सगे-संबंधी और गांव वाले बातें कर रहें है कि इन्हें देखिये ये युद्ध में नहीं गए थे तो राणा जी ने इनकी जागीर जब्त कर ली थी| वैसे इन चुंडावतों को अपनी बहादुरी और वीरता पर बड़ा नाज है हरावल में भी यही रहते है|” और ऐसे व्यंग्य शब्द सुन उनका बेटा नजरें झुकाये दांत पीस कर जाता है| ऐसे ही दृश्यों के बारे में सोचते सोचते माजी सा का सिर चकराने लगा वे सोचने लगे यदि ऐसा हुआ तो बेटा बड़ा होकर मुझ माँ को भी धिक्कारेगा|




ऐसे विचारों के बीच ही माजी सा को अपने पिता के मुंह से सुनी उन राजपूत वीरांगनाओं की कहानियां याद आ गयी जिन्होंने युद्ध में तलवार हाथ में ले घोड़े पर सवार हो दुश्मन सेना को गाजर मुली की तरह काटते हुए खलबली मचा अपनी वीरता का परिचय दिया था| दुसरे उदाहरण क्यों उनके ही खानदान में पत्ताजी चुंडावत की ठकुरानी उन्हें याद आ गयी जिसनें अकबर की सेना से युद्ध किया और अकबर की सेना पर गोलियों की बौछार कर दी थी| जब इसी खानदान की वह ठकुरानी युद्ध में जा सकती थी तो मैं क्यों नहीं ? क्या मैं वीर नहीं ? क्या मैंने भी एक राजपूतानी का दूध नहीं पिया ? बेटा नाबालिग है तो क्या हुआ ? मैं तो हूँ ! मैं खुद अपनी सैन्य टुकड़ी का युद्ध में नेतृत्व करुँगी और जब तक शरीर में जान है दुश्मन से टक्कर लुंगी| और ऐसे वीरता से भरे विचार आते ही माजी सा का मन स्थिर हो गया उनकी आँखों में चमक आ गयी, चेहरे पर तेज झलकने लगा और उन्होंने बड़े ही आत्मविश्वास के साथ प्रधान जी को हुक्म दिया कि-
“राणा जी हुक्म सिर माथे ! आप युद्ध की तैयारी के लिए अपनी सैन्य टुकड़ी को तैयार कीजिये हम अपने स्वामी के लिए युद्ध करेंगे और उसमें जान की बाजी लगा देंगे|”

प्रधान जी ने ये सुन कहा- “माजी सा ! वो तो सब ठीक है पर बिना स्वामी के केसी फ़ौज ?

माजी सा बोली- “हम है ना ! अपनी फ़ौज का हम खुद नेतृत्व करेंगे|”

प्रधान ने विस्मय पूर्वक माजी सा की और देखा| यह देख माजी सा बोली-
“क्या आजतक महिलाएं कभी युद्ध में नहीं गयी ? क्या आपने उन महिलाओं की कभी कोई कहानी नहीं सुनी जिन्होंने युद्धों में वीरता दिखाई थी ? क्या इसी खानदान में पत्ताजी की ठकुरानी सा ने अकबर के खिलाफ युद्ध में भाग ले वीरगति नहीं प्राप्त की थी ? मैं भी उसी खानदान की बहु हूँ तो मैं उनका अनुसरण करते हुए युद्ध में क्यों नहीं भाग ले सकती ?

बस फिर क्या था| प्रधान जी ने कोसीथल की सेना को तैयार कर सेना के कूच का नंगारा बजा दिया| माजी सा शरीर पर जिरह बख्तर पहने, सिर पर टोप, हाथ में तलवार और गोद में अपने बालक को बिठा घोड़े पर सवार हो युद्ध में कूच के लिए पड़े|

कोसीथल की फ़ौज के आगे आगे माजी सा जिरह वस्त्र पहने हाथ में भाला लिए कमर पर तलवार लटकाये उदयपुर पहुँच हाजिरी लगवाई कि-“कोसीथल की फ़ौज हाजिर है|




अगले दिन मेवाड़ की फ़ौज ने मराठा फ़ौज पर हमला किया| हरावल (अग्रिम पंक्ति) में चुंडावतों की फ़ौज थी जिसमें माजी सा की सैन्य टुकड़ी भी थी| चुंडावतों के पाटवी सलूम्बर के राव जी थे उन्होंने फ़ौज को हमला करने का आदेश के पहले संबोधित किया- “वीर मर्द राजपूतो ! मर जाना पर पीठ मत दिखाना| हमारी वीरता के बल पर ही हमारे चुंडावत वंश को हरावल में रहने का अधिकार मिला है जिसे हमारे पूर्वजों ने सिर कटवाकर कायम रखा है| हरावल में रहने की जिम्मेदारी हर किसी को नहीं मिल सकती इसलिए आपको पूरी जिम्मेदारी निभानी है मातृभूमि के लिए मरने वाले अमर हो जाते है अत: मरने से किसी को डरने की कोई जरुरत नहीं! अब खेंचो अपने घोड़ों की लगाम और चढ़ा दो मराठा सेना पर|”




माजी सा ने भी अन्य वीरों की तरह एक हाथ से तलवार उठाई और दुसरे हाथ से घोड़े की लगाम खेंच घोड़े को ऐड़ लगादी| युद्ध शुरू हुआ, तलवारें टकराने लगी, खच्च खच्च कर सैनिक कट कट कर गिरने लगे, तोपों, बंदूकों की आवाजें गूंजने लगी| हर हर महादेव केनारों से युद्ध भूमि गूंज उठी| माजी सा भी बड़ी फुर्ती से पूरी तन्मयता के साथ तलवार चला दुश्मन के सैनिकों को काटते हुए उनकी संख्या कम कर रही थी कि तभी किसी दुश्मन ने पीछे से उन पर भाले का एक वार किया जो उनकी पसलियाँ चीरता हुआ निकल गया और तभी माजी सा के हाथ से घोड़े की लगाम छुट गयी और वे नीचे धम्म से नीचे गिर गए| साँझ हुई तो युद्ध बंद हुआ और साथी सैनिकों ने उन्हें अन्य घायल सैनिकों के साथ उठाकर वैध जी के शिविर में इलाज के लिए पहुँचाया| वैध जी घायल माजी सा की मरहम पट्टी करने ही लगे थे कि उनके सिर पर पहने लोहे के टोपे से निकल रहे लंबे केश दिखाई दिए| वैध जी देखते ही समझ गए कि यह तो कोई औरत है| बात राणा जी तक पहुंची-
“घायलों में एक औरत ! पर कौन ? कोई नहीं जानता| पूछने पर अपना नाम व परिचय भी नहीं बता रही|”

सुनकर राणा जी खुद चिकित्सा शिविर में पहुंचे उन्होंने देखा एक औरत जिरह वस्त्र पहने खून से लथपथ पड़ी| पुछा –
“कृपया बिना कुछ छिपाये सच सच बतायें ! आप यदि दुश्मन खेमें से भी होगी तब भी मैं आपका अपनी बहन के समान आदर करूँगा| अत: बिना किसी डर और संकोच के सच सच बतायें|”

घायल माजी सा ने जबाब- “कोसीथल ठाकुर साहब की माँ हूँ अन्नदाता !”

सुनकर राणा जी आश्चर्यचकित हो गए| पुछा- “आप युद्ध में क्यों आ गई?”

“अन्नदाता का हुक्म था कि सभी जागीरदारों को युद्ध में शामिल होना है और जो नहीं होगा उसकी जागीर जब्त करली जाएगी| कोसीथल जागीर का ठाकुर मेरा बेटा अभी मात्र दो वर्ष का है अत: वह अपनी फ़ौज का नेतृत्व करने में सक्षम नहीं सो अपनी फ़ौज का नेतृत्व करने के लिए मैं युद्ध में शामिल हुई| यदि अपनी फ़ौज के साथ मैं हाजिर नहीं होती तो मेरे बेटे पर देशद्रोह व हरामखोरी का आरोप लगता और उसकी जागीर भी जब्त होती|”

माजी सा के वचन सुनकर राणा जी के मन में उठे करुणा व अपने ऐसे सामंतों पर गर्व के लिए आँखों में आंसू छलक आये| ख़ुशी से गद-गद हो राणा बोले-

“धन्य है आप जैसी मातृशक्ति ! मेवाड़ की आज वर्षों से जो आन बान बची हुई है वह आप जैसी देवियों के प्रताप से ही बची हुई है| आप जैसी देवियों ने ही मेवाड़ का सिर ऊँचा रखा हुआ है| जब तक आप जैसी देवी माताएं इस मेवाड़ भूमि पर रहेगी तब तक कोई माई का लाल मेवाड़ का सिर नहीं झुका सकता| मैं आपकी वीरता, साहस और देशभक्ति को नमन करते हुए इसे इज्जत देने के लिए अपनी और से कुछ पारितोषिक देना चाहता हूँ यदि आपकी इजाजत हो तो, सो अपनी इच्छा बतायें कि आपको ऐसा क्या दिया जाय ? जो आपकी इस वीरता के लायक हो|”

माजी सा सोच में पड़ गयी आखिर मांगे तो भी क्या मांगे|

आखिर वे बोली- “अन्नदाता ! यदि कुछ देना ही है तो कुछ ऐसा दें जिससे मेरे बेटे कहीं बैठे तो सिर ऊँचा कर बैठे|”

राणा जी बोले- “आपको हुंकार की कलंगी बख्सी जाती है जिसे आपका बेटा ही नहीं उसकी पीढियां भी उस कलंगी को पहन अपना सिर ऊँचा कर आपकी वीरता को याद रखेंगे|”


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