रविवार, 29 सितंबर 2013

राजस्थान देश का पहला ई-अभिलेखागार बना



दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अब राजस्थान अभिलेखागार की वेबसाइट पर एक क्लिक कर 35 लाख रियासतकालीन ऐतिहासिक दस्तावेज देखे जा सकते है.
राजस्थान देश का पहला ई-अभिलेखागार बना
राजस्थान राज्य अभिलेखागार के निदेशक डा. महेंद्र खडगावत का दावा है कि इतनी संख्या में रियासतकालीन ऐतिहासिक एवं प्रशासनिक दस्तावेजों को आनलाइन करने वाला राजस्थान देश का पहला ई-अभिलेखागार बन गया है. बल्कि 246 आजादी के परवानों के संस्मरण भी सुने जा सकते हैं.

सूचना एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से इन दस्तावेजों को आनलाइन किया गया है. उन्होंने दावा किया कि स्वतंत्रता सेनानियों के संस्मरणों को ध्वनिबद्ध करने का कार्य सिर्फ राजस्थान राज्य अभिलेखागार ही कर रहा है. आनलाइन किये गये अभिलेखों में बीकानेर रियासत के तीस लाख, अलवर के दो लाख व जोधपुर रियासत के सात लाख पांच हजार दस्तावेज है.

आनलाइन देखे जाने वाले दस्तावेजों में बीकानेर, हनुमानगढ, चूरू व श्रीगंगानगर जिलों के करीब सवा तीन लाख जमीनों व मकानों के पट्टे भी शामिल है.

खडगावत के अनुसार, आनलाइन किए गए अभिलेखों में बीकानेर महकमा खास (सचिवालय की पत्रावलियां), ऐतिहासिक बहियां, रामपुरिया रिकार्ड, परवाना बहियां, कौंसिल के हुकूम की बहियां शामिल है. जयपुर रियासत के लगभग ग्यारह लाख ऐतिहासिक अभिलेख शामिल हैं, जिनमें मुख्यत: स्याह हुजूर वकील रिपोर्ट्स, अखबारात, अर्जदाश्त, तोजी, रूक्के, परवाने, आमेर अभिलेख, दस्तूर कौमवार, मुगलकालीन ऐतिहासिक फरमान, निशान व मन्सूर, विल्स रिपोर्ट, मुगल राजपूत व राजपूत मराठा से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेज शामिल है.

खडगावत ने बताया कि अभिलेखागार की साइट से जोधपुर के महत्वपूर्ण 7.5 लाख राजस्व अभिलेखों में जमीनें व मकानों के पट्टे, अलवर राज्य की महत्वपूर्ण रजिस्ट्री अभिलेख तथा ऐतिहासिक मत्स्य रिकार्ड की पत्रावलियां, सिरोही राज्य के ऐतिहासिक फरमान व अभिलेख तथा माउंट आबू स्थित रजवाडा भवनों के अभिलेख शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि राज्य अभिलेखागार में उपलब्ध प्रदेश के स्वतंत्रता आंदोलन, प्रजामण्डल आंदोलन के दस्तावेज और समाचार पत्रों की कतरनें, मुगल बादशाह जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब, नूरजहां, बहादुरशाह द्वारा लिखे गये ऐतिहासिक फरमान, निशान और जयपुर, जोधपुर एवं सिरोही के राजाओं को लिखे पत्र आनलाइन किए गए है.

अभिलेखागार ने मुगलकालीन भारत एवं राजपूत शासक भाग-एक व भाग-दो स्वतंत्रता आंदोलन के साक्षी कुछ संस्मरण जयपुर, जोधपुर, हाडौती, उदयपुर, अजमेर व भरतपुर संभाग की पुस्तकों के भी है.

खडगावत ने कहा कि भूतपूर्व रजवाडों के ऐतिहासिक दस्तावेजों के आनलाइन करने से आमजन पूर्व में महीनों अपनी जमीन व मकानों के पट्टे नहीं ढूंढ पाते थे अब एक मिनट में देख सकते है और जरूरत होने पर उसकी प्रति भी निकाल सकते है.

खडगावत ने बताया कि राजस्थान के गोकुल भाई भट्ट, सिद्धराज ढड्डा, रणछोडदास गट्टाणी, मथुरादास माथुर, हीरालाल शास्त्री समेत 246 स्वतंत्रता सेनानियों के संस्मरणों को ध्वनिबद्ध कर 246 आडियो कैसेट व 303 सीडी बनायी गयी है.

इन सभी संस्मरणों को आनलाइन किया गया है ताकि देश व दुनिया आजादी की कहानी उन्हीं की जुबानी सुन सके.

खडगावत ने बताया कि अक्टूबर 2013 के दूसरे सप्ताह में महरानगढ ट्रस्ट के साथ राजस्थान सरकार की सहमति से समझौता किया जा रहा है, जिसके तहत 40 लाख रियासतकालीन दस्तावेजों को आनलाइन किया जायेगा.

अभिलेखागार की लाइब्रेरी में उपलब्ध पुस्तकों सहित करीब दो सौ से अधिक रियासतों के प्रशासनिक दस्तावेज, मतगणना, 1891 ईस्वी में जाति के आधार पर हुई जनगणना व अकाल की विभिषिका की रिपोर्ट भी शामिल है.

उन्होंने बताया कि जोधपुर रियासत की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक बहियां, जैसे हकीकत बही, पट्टा बही व विवाह की बहियां भी इसमें होंगी। अक्टूबर 2013 के दूसरे सप्ताह में महरानगढ ट्रस्ट के साथ राजस्थान सरकार की सहमति से समझौता किया जा रहा है. इसके तहत 40 लाख रियासतकालीन दस्तावेजों को आनलाइन किया जायेगा.

बाड़मेर राजनितिक शख्शियत। … बाड़मेर की राजनीती के भीष्म पितामह गंगा राम चौधरी


 बाड़मेर राजनितिक शख्शियत। … बाड़मेर की राजनीती के भीष्म पितामह गंगा राम चौधरी 


बाड़मेर जिले की राजनितिक की दशा और दिशा दोनों गंगाराम तय करते  


गंगाराम चौधरी का जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिले की रामसर तहसील के खडीन) गाँव में 1 मार्च 1922 को मालानी के किसान क्रांति के जनक रामदान चौधरी (डऊकिया) और किस्तुरी देवी भाकर के घर हुआ. रामदान चौधरी (डऊकिया) के पांच पुत्र थे :केसरी मल, लालसिंह हाकम, गंगाराम, फ़तेह सिंह और खंगारमल.

वकालत से जनसेवा

गंगाराम चौधरी ने बी.ए. एल.एल.बी. की डिग्रियां हासिल कर वकालत को अपना पैसा बनाया. इससे पूर्व आपने रेलवे में एल.डी.सी. का कार्य किया. जागीरदारी के समय किसानों पर होने वाले अत्याचारों, चौरी-डकैती, जमीन सम्बन्धी विवादों की न्यायलय में पुरजोर पैरवी की, गरीब किसानों की निशुल्क पैरवी की. सीमान्त क्षेत्र में आत्मरक्षार्थ बन्दूक लाईसेंस दिलवाया. पिताजी रामदान चौधरी के नेतृत्व में किसान सभा एवं किसान जाग्रति हेतु आपने इतने काम करवाए कि आज आप राजस्व के टोडर मल कहे जाते हैं.

राजनीती में.. आदर्श पिता रामदान चौधरी के पुत्र गंगाराम चौधरी एक मात्र विधायक हें जिन्होंने तीन विधानसभा क्षेत्रो का प्रतिनिधित्व किया। राजनीती में प्रधान से लेकर मंत्री तक का सफ़र तय कर गंगा राम चौधरी ने अपने आपको कद्दावर जाट नेता के रूप में स्थापित किया। उन्हें नाथीराम मिर्धा के समकक्ष नेता मानते थे ,बाड़मेर जिले की राजनीती गंगाराम से शुरू हो कर गंगाराम पर ख़त्म हो जाती। उनका राजनितिक कद राजनैतिक पार्टियों पर हमेशा भरी रहा कांग्रेस ,भाजपा ,जनता दल ,, और निर्दलीय चुनाव मैदान में उतारे ,चुनाव जीतते गए ,उनकी राजनितिक क्षमता अकूत थी जिसका यहाँ कोई सानी नहीं ,गंगा राम ,अब्दुल हादी ,श्रीमती मदन कौर लाज़वाब तिकड़ी थी। गंगाराम राज्य सरकारों में मंत्री भी रहे ,राजस्व मंत्री के रूप में वे थे ,उन्होंने किसानो को बड़ी राहत दी। बाड़मेर ,गुडा चौहटन से विधायक रहे ,जिला प्रमुख भी रहे। २००८ चुनावो में उनकी टिकट काटने के बाद राजनीती से मोह भंग हो गया ,

बाद में गंगाराम चौधरी ने राजनीती में आकर राजस्थान के विभिन्न विभागों में मंत्री रहकर जनता की सेवा की.

जनप्रतिनिधि के रूप में आपका पदार्पण धोरीमन्ना पंचायत समिति के प्रधान के रूप में 1959 में हुआ.
1962 में गुढ़ा मालानी से विधायक, 1980 तक लगातार गुढा मालानी व बाड़मेर से विधायक बन विधान सभा में प्रतिनिधित्व किया.
1967 में राजस्व उप-मंत्री बने.
1977 में कांग्रेस छोड़कर चरण सिंह के साथ कांग्रेस (अर्स) में आये.
1985 में बाड़मेर से विधायक चुने गए.
1985 -1990  बाड़मेर से लोकदल के सदस्य रहे
1990 - 1992  बाड़मेर से जनता दल के सदस्य रहे.
शेखावत सरकार में 24 नवम्बर 1990 से 15 दिसंबर 1992 तक राजस्व, भूमि सुधार एवं उपनिवेश विभागों में मंत्री रहे. *1993 में निर्दलीय विधायक चुने गए और शेखावत सरकार में समर्थन देकर राजस्व एवं उपनिवेश विभागों में मंत्री रहे.
31 अगस्त 1998 को 20 वर्ष बाद कांग्रेस में आये तथा बाड़मेर जिला परिषद् के प्रमुख बने.
दिसंबर 2003 में भाजपा में आकर चोहटन विधायक बने.

आपने 30 वर्ष तक राजस्थान विधान सभा में बाड़मेर का प्रनिनिधित्व किया तथा 13 वर्ष मंत्रिमंडल के सदस्य रहे.

मनमोहन सिंह है "देहाती औरत": नवाज शरीफ

नई दिल्ली। वाशिंगटन में कल भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा पाकिस्तान को आंतकवाद की फैक्ट्री बताए जाने के बाद से दोनों पड़ौसी देशों के बीच की तल्खी कड़वाहट में बदलती नजर आ रही है और ये भी उस समय जबकि भारतीय प्रधानमंत्री पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ रविवार को आपसी संबंध सुधारने की दिशा में उपाय तलाशने के लिये बातचीत करने वाले हैं। ये मुलाकात शरीफ के पधानमंत्री चुने जाने के बाद से भारतीय प्रधानमंत्री से पहली मुलाकात होगी।मनमोहन सिंह है "देहाती औरत": नवाज शरीफ
कहा ऑफ द रेकॉर्ड बातचीत में

पाकिस्तानी टीवी चैनल "जियो न्यूज" के मुताबिक एक "ऑफ द रेकॉर्ड" बातचीत में नवाज शरीफ ने मनमोहन सिंह को "देहाती औरत" कह डाला। पाकिस्तानी टीवी सूत्रों के मुताबिक उस समय भारतीय रिपोर्टर बरखा दत्त भी मौजूद थी।

क्यों कहा "देहाती औरत"

शरीफ ने यह बात टीवी चैनल जियो न्यूज पर चल रही एक बहस के दौरान एंकर से कही। चैनल रिपोर्टर हामिद मीर ने मामले का खुलासा करते हुए कहा कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने मुझे और बरखा दत्त को नाश्ते पर बुलाया था। उस समय उनसे हुई बातचीत के दौरान शरीफ ने बरखा दत्त के एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि ऎसे लगता है कि मनमोहन सिंह किसी गांव की देहाती औरत की तरह अमरीकी राष्ट्रपति के पास मेरी शिकायतों का अंबार लेकर गये थे।

आसाराम का बेटा बनाएगा राजनीतिक पार्टी, नाम होगा 'ओजस्वी'



यौन शोषण के आरोपों में जेल की हवा खा रहे आसाराम के बेटे नारायण साई ने शनिवार को कहा है कि वो जल्द ही राजनीतिक पार्टी बनाएंगे. इस पार्टी का नाम 'ओजस्वी' होगा. नारायण साई ने कहा, 'लंबे समय से हमारे साधक मांग कर रहे हैं किहम राजनीतिक पार्टी बनाएं और हम जल्द ही पार्टी लॉन्च करेंगे.'
नारायण साई
आसाराम के बेटे ने इस बात से इनकार किया है कि उनके साधक जोधपुर के डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज को धमकी दे रहे हैं. उन्होंने कहा, 'ये पूरी तरह से निराधार आरोप हैं. जो भी इन आरोपों को सिद्ध करेगा उसे पांच लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा.'

'आसाराम के बेटे नारायण साईं ने मुझे कमरे में बुलाया और मेरे प्राइवेट पार्ट को छुआ'
इंदौर की एक महिला ने नारायण साईं पर जबरन शादी कराने और धमकाने की कोशिश के आरोप लगाए है. ये मामला अदालत पहुंच चुका है और 4 अक्टूबर को इस केस की सुनवाई है.

ये हैं महिला के सनसनीखेज आरोप
इस महिला ने नारायण साईं पर बेहद चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं. आजतक के साथ खास बातचीत में इस महिला ने साईं की सारी अश्लील हरकतों से पर्दा उठाया है. इस महिला ने इल्जाम लगाया है कि साईं ने उसे कमरे में बुलाकर उसके साथ रेप की कोशिश की.

अपना दर्द आज तक के साथ साझा करते हुए महिला ने कहा, 'आसाराम के बेटे नारायण साईं ने मुझे कमरे में बुलाया और मेरे प्राइवेट पार्ट पर हाथ लगाए. मुझे किस किया. मेरे साथ ओरल सेक्स करना चाहा.'

रोक के बावजूद मेरठ में महापंचायत, पुलिस-गांववालों में हिंसक झड़प



बीजेपी विधायक संगीत सोम पर रासुका लगाने के विरोध में जिला मुख्यालय के करीब 30 किलोमीटर दूर खेड़ा गांव में रविवार को आहूत महापंचायत में पुलिस और स्थानीय ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प हो गई. पत्थरबाजी के दौरान 2 लोगों के घायल होने की खबर है.
मेरठ में हिंसक झड़प
इस हिंसक झड़प के बाद लखनऊ में यूपी डीजीपी ने बैठक बुलाई है. इस बैठक में सभी बड़े पुलिस अधिकारी पहुंचे हैं. इससे पहले महापंचायत के दौरान गुस्साए ग्रामीणों ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की गाड़ियों में तोड़फोड़ और आगजनी की.

पंचायत स्थल पर भारी संख्या में मौजूद पुलिस ने हवा में गोलियां चलाईं और आंसू गैस का इस्तेमाल किया. अनाधिकृत सूत्रों के अनुसार पुलिस और भीड़ के बीच टकराव में तीन लोग घायल हुए जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. अभी तक महापंचायत स्थल और आसपास के इलाकों में भीड़ जमा है.

मेरठ के मंडल आयुक्त मंजीत सिंह ने घटना में एक व्यक्ति के घायल होने की पुष्टि करते हुए बताया कि स्थिति अब नियंत्रण में है. पुलिस उपमहानिरीक्षक, जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए.

घटनास्थल से मिली जानकारी के अनुसार महापंचायत के दौरान हालात तब बिगड़े जब पुलिस ने महापंचायत स्थल पर पुलिस के लाठीचार्ज में कुछ महिलाओं के घायल होने की सूचना फैल गई. इस पर वहां मौजूद करीब 20 हजार लोगों की भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया.

इस दौरान हिंसक होती भीड़ ने मौके पर मौजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के वाहनों में भी तोड़फोड़ की और उनमें आग लगा दी. सिंह ने बताया कि इन घटनाओं के सिलसिले में 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है.

संगीत सोम पर रासुका लगने के बाद उनके समर्थकों ने बैठक कर 29 सितम्बर को जनता इंटर कॉलेज खेड़ा के खेल मैदान में चौबीसी की सर्वजातीय महापंचायत का ऐलान किया था. महापंचायत की सूचना पर स्थानीय प्रशासन ने तत्काल धारा 144 लागू कर दी थी. इसके बाद भी महापंचायत के आयोजक इसके आयोजन पर अडिग रहे.

नरेंद्र मोदी गरजे, नवाज शरीफ ने कैसे की हमारे पीएम की 'बेइज्जती'

नई दिल्ली: दिल्ली में चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी की रैली को संबोधित करते हुए के पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कहा कि दिल्ली एक ऐसा प्रदेश है, जो सरकारों के बोझ के नीचे दब गया है। मोदी ने कहा कि दिल्ली में कई सरकारें हैं। मां की सरकार, बेटे की सरकार और दामाद की सरकार और इससे भी आगे गठबंधन की सरकार और गठबंधन में अपने दल...। दिल्ली का हाल यह है कि एक के सामने एक सरकार खड़ी है।नरेंद्र मोदी गरजे,  नवाज शरीफ ने कैसे की हमारे पीएम की 'बेइज्जती'
उन्होंने कहा कि पीएम सरदार हैं, पर असरदार नहीं है। मोदी ने कहा कि गठबंधन की सरकार बनती है, अंकगणित के हिसाब से, लेकिन गठबंधन की सरकारें चलती हैं कैमिस्ट्री के हिसाब से, लेकिन जिनकी कैमिस्ट्री नहीं मिलती, ऐसी सरकारें लोगों का भला नहीं कर पातीं। मोदी ने रैली में जुटी जनता को कहा कि दिल्लीवालों ने आज से पहले इतनी भीड़ नहीं देखी होगी।

दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर हमला
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि यहां पर रिबन काटने का काम होता है। किसी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं है। मोदी ने भ्रष्टाचार की बात कहते हुए कहा कि यह देश के भविष्य़ के साथ खिलवाड़ है। कॉमनवेल्थ खेलों के भ्रष्टाचार की बात करते हुए मोदी ने कहा कि शीला ने सारा दोष समिति पर डाल दिया। इस घोटाले ने विश्व पटल पर हिन्दुस्तान की इज्जत खराब की है। वहीं कोरिया का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि वहां ओलिंपिक खेलों ने देश की तकदीर बदल दी। वहीं उन्होंने कहा कि चीन ने खेल के माध्यम से अपनी ताकत दिखाई और पूरी दुनिया ने उसे माना।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि वहीं भारत ने इस मौके को गंवा दिया। उनका कहना है कि भारत इस वजह से 20 साल पीछे चला गया।

यूपीए के भष्ट्राचार पर हमला
मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के तमाम आदेशों का उल्लेख करते हुए कहा कि कांग्रेस और साथी दलों को भ्रष्टाचार की ऐसी आदत हो गई है कि कितना भी कहो, वह बंद करने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने इस मामले में शराबी का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार में देश की भलाई करने की मंशा नहीं है।

नरेंद्र मोदी ने दिल्ली की सरकार पर भ्रष्टाचार को रोकने में अक्षम करार दिया। उन्होंने कहा कि एनडीए के कार्यकाल में हर क्षेत्र में विकास की नई ऊचाइंया छुई गईं, लेकिन आज की यूपीए सरकार 'गांधी भक्ति' में डूबी हुई है। 'गांधी भक्ति' का मतलब गांधी छाप नोटों के ढेर ले जाना। उन्होंने कहा कि अब भ्रष्टाचार में नोटों की गिनती नहीं, वजन देखना पड़ेगा।

सुशासन और सुराज्य की बात
मोदी ने कहा कि देश सुराज्य के लिए तरस रहा है। उनका कहना है कि सुराज्य हर समस्या का हल है। वहीं उन्होंने कांग्रेस के शासन को कुशासन करार दिया। उन्होंने कहा कि एनडीए ने सुशासन और सुराज्य की व्यवस्था दी। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में हंसी मजाक का केंद्र बन चुका है। पूरी दुनिया के देश आगे बढ़ रहे हैं और भारत पीछे जा रहा है।

बेरोजगारी का मुद्दा
नौजवानों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि नौजवान को रोजगार चाहिए। देश का नौजवान मेहनत करने को तैयार है। मोदी का कहना है कि यूपीए की सरकार लोगों को रोजगार नहीं दे पा रही है। अटल की सरकार ने छह साल में छह करोड़ लोगों को रोजगार दिया। वहीं कांग्रेस की सरकार कुछ लाख ही लोगों को रोजगार दे पाई।

बिजली की समस्या
मोदी ने लोगों से अपील की कि दिल्ली और केंद्र से कांग्रेस की सरकार को उखाड़ फेंको। उन्होंने कहा कि यूपीए की सरकार की आलोचना से काम नहीं चलता। भाजपा समस्या के हल की बात करती है। दिल्ली में बिजली की समस्या है। देश में 20 हजार से ज्यादा बिजली उत्पादन के कारखाने तैयार हैं, लेकिन उत्पादन चालू नहीं हुआ है। उन्होंने पूछा कि आखिर ऐसा क्यों है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन कारखानों को कोयला नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के इऱादे नेक नहीं हैं।

केंद्र की यूपीए सरकार पर हमला
बीजेपी के पीएम पद के उम्मीदवार मोदी ने कहा है कि यूपीए सरकार उन्हीं बातों पर वाहवाही लूट रहे हैं, जो राज्यों के विषय है। उन्होंने कहा कि केंद्र एक विभाग बताए, जो उसके पास है और बढ़िया काम कर रहा है। रेलवे का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि 1980 में देश में रेल लाइन का जाल 61 हजार किलोमीटर था। अब तक मात्र तीन हजार किलोमीटर का इजाफा हुआ। वहीं चीन ने 11 हजार किलोमीटर लाइन डाली है। वहीं चीन की रेलवे जापान से टक्कर ले रही है।

राष्ट्रीय राजमार्ग पर बोलते हुए मोदी ने कहा कि यूपीए ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा कि एनडीए की सरकार के दौरान 24 हजार किलोमीटर की सड़कें बनी लेकिन, यूपीए के नौ साल में नौ हजार किलोमीटर की सड़कें बनीं।

मनमोहन सिंह पर हमला
मोदी ने कहा कि भारतीय पीएम मनमोहन सिंह ने ओबामा से मुलाकात की। मोदी ने कहा कि मनमोहन सिंह ओबामा के सामने बैठकर गिड़गिड़ाते हैं। मेरा देश गरीब है। मोदी ने कहा कि पीएम ने ओबामा के सामने वही किया जो फिल्ममेकर करते हैं। गरीबी दिखाओ और अवॉर्ड लाओ।

पीएम पर बोलते हुए मोदी ने कहा कि आखिर देश गरीब कैसे है। उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि गरीबी क्या स्टेट ऑफ माइंड है। उन्होंने कहा कि पीएम बताएं की देश किस गरीबी से ग्रसित है।

पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की आलोचना
मोदी ने कहा कि नवाज शरीफ ने पत्रकारों से कहा कि हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री देहाती औरत जैसे हैं। उन्होंने कहा कि यह भारत के पीएम का सबसे बड़ा अपमान है। उन्होंने शरीफ से कहा कि यह देश पीएम का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता। उन्होंने पत्रकारों को भी आड़े हाथों लिया, जो यह सब सुन रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसा पत्रकार भी देश की जनता के प्रति जवाबदेह है।

मोदी ने कहा कि देश में हम सारे दल आपस में लड़ेंगे, लेकिन बाहर हम एक हैं। उन्होंने कहा कि शरीफ में ऐसी हिम्मत इसलिए आई क्योंकि उनकी पार्टी ने ही पीएम पद की इज्जत को मिट्टी में मिला दिया है। राहुल पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि पीएम को 'नॉनसेंस' कहना गलत है। मोदी का कहना है कि कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष ने पीएम की इज्जत उछाली है।

मनमोहन-शरीफ मुलाकात पर
मनमोहन सिंह और नवाज शरीफ के बीच होने वाली बैठक के बारे में चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि क्या पीएम पीओके को भारत को दिलाने पर बात कर पाएंगे?आतंकवाद पर बात कर पाएंगे या नहीं। भारतीय सैनिकों की हत्या पर बात होगी या नहीं यह देश जानना चाहता है।

राहुल गांधी पर परोक्ष हमला
मोदी ने कहा कि देश में परिवारशाही अब लोकशाही को दबोचने पर उतारू है। अब देश की जनता को फैसला करना है कि यह देश संविधान के अनुसार चलेगा या शहजादे (राहुल गांधी) की इच्छाओं के अनुसार चलेगा। उन्होंने कहा कि यह परिवारशाही न सिर्फ पीएम की पगड़ी उछाल रहे हैं, बल्कि संविधान का अपमान कर रहे हैं। मोदी ने यूपीए के साथी दलों से सवाल किया कि आप किसके साथ चलना चाहते हो। वह देश के संविधान के अनुसार चलेंगे या फिर शहजादे की इच्छा के अनुसार चलेंगे। देश के लोगों को यह तय करना है कि यह देश संविधान से चलेगा या फिर शहजादे की इच्छा से चलेगा।

उन्होंने कहा कि दागी नेताओं पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पार्टी ने सबसे पहले स्वागत किया। उन्होंने 2014 के आम चुनाव और दिल्ली के चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि 10 साल से देश यूपीए को झेल रहा है। इस देश को ड्रीम टीम चाहिए न कि डर्टी टीम। उन्होंने कहा कि जब देश अपनी आजादी के 75 वर्ष का महोत्सव कैसे मनाना चाहता है। यह देश की जनता को तय करना है।

निजी जीवन का उल्लेख
दिल्ली में अपनी रैली में अपनी बात रखते हुए मोदी ने कहा कि भारत के लोकतंत्र की ताकत देखिए, बचपन में जो आदमी रेलवे के डिब्बे चाय बेचकर अपना गुजारा करता था,... आज वह पार्टी का पीएम पद का उम्मीदवार है। ऐसे गरीब परिवार के बच्चे को जनता ने यहां बिठा दिया। मोदी ने कहा कि मन से मैं कभी न शासक था, न शासक हूं, न शासक बनने के सपने देखता हूं... मैं कल भी सेवक था, आज भी सेवक हूं, कल भी सेवक रहूंगा। उन्होंने कहा कि मेरे काम पर भरोसा कीजिए, न नरेंद्र मोदी न भाजपा, लोगों का भरोसा टूटने नहीं देगी।

नरेंद्र मोदी ने अटल-आडवाणी, ठाकरे आदि वरिष्ठ नेताओं का जिक्र करते हुए कहा कि उनके ही चरित्र लेकर हम सेवा करने आए हैं।

मोदी के भाषण के दौरान बार-बार समर्थक मोदी-मोदी के नारे लगाते रहे। कई बार मोदी को भाषण रोकने की नौबत आ गई। बीजेपी ने मोदी की इस रैली को पार्टी ने विकास रैली का नाम दिया है। दिल्ली की इस रैली से पहले बीजेपी ने 'दिल्ली बदलो देश बदलो' का नारा दिया है।

मोदी के साथ पूर्व पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी, पार्टी नेता विजय गोयल, प्रो विजय कुमार मल्होत्रा और नवजोत सिंह सिद्धू मंच पर थे। मोदी की इस रैली में कई देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

इस रैली से पहले बीजेपी के कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह दिखा। दिल्ली के रोहिणी इलाके के जापानी पार्क में होने वाली इस रैली में शामिल होने दिल्ली के अलावा आस-पास के राज्यों से भी कार्यकर्ता पहुंचे।

आयोजकों द्वारा इस रैली को कामयाब बनाने के लिए जमकर प्रचार किया गया था। पूरे मैदान में लोगों की सहुलियत के लिए एलइडी स्क्रीन्स लगाई गई थी। इसके अलावा और भी कई हाइटेक इंतज़ाम रैली के लिए किए गए थे।

महिला ने पति को रखा नौ साल कैद

महिला ने पति को रखा नौ साल कैद
भोजपुर। 50 साल की एक महिला ने अपने पति को 9 साल तक कैद रखा और रिकॉर्ड में मृत दिखा दिया, ताकि वह विधवा पेंशन हासिल कर सके। घटना बिहार के भोजपुर जिले के एक गांव की है।

पुलिस ने जगत नारायण सिंह को दो दिन पहले मुक्त कराया, जब धनकेसरी देवी का अपने बेटे सुनील से विवाद हो गया और उनके पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। सुनील पिता की नौकरी चाहता था। जगत झारखंड के दुमका में 2004 तक चपरासी थे। दोनों ने पहले उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। फिर मृत्यु प्रमाण पत्र ले लिया। सुनील (18) को तब नाबालिग होने के कारण नौकरी नहीं मिली थी।

बाजीराव-मस्तानी के अमर प्रेम का गवाह





बाजीराव-मस्तानी के अमर प्रेम का गवाह


कमल-कुमुदिनियों से सुशोभित मीलों तक फैली बेलाताल झील के किनारे खडे जैतपुर किले के भग्नावशेष आज भी पेशवा बाजीराव और मस्तानी के प्रेम की कहानी बयां करते हैं। ऋषि जयंत के नाम पर स्थापित जैतपुर ने चंदेलों से लेकर अंग्रेजों तक अनेक उतार-चढाव देखे हैं।

मुगल सुबेदार का आक्रमण
जैतपुर का इतिहास उस समय अचानक मोड लेता है जब इलाहाबाद के मुगल सुबेदार मुहम्मद खां बंगश ने 1728 ई. में जैतपुर पर आक्रमण किया और जगतराज को किले में बंदी बना लिया। राजा छत्रसाल उस समय वृद्ध हो चले थे। मुगल सेना की अपराजेय स्थिति को देखकर उन्होंने एक ओर तो अपने बडे पुत्र हृदयशाह, जो उस समय अपने अनुज जगतराज से नाराज होकर पूरे घटनाक्रम के मूकदर्शक मात्र बने थे, को पत्र लिखा तो दूसरी ओर उन्होंने मराठा पेशवा बाजीराव से सहायता की विनती भी की।

राजा छत्रसाल का पत्र पाते ही पेशवा अपनी घुडसवार सेना के साथ जैतपुर आते हैं और एक रक्तरंजित युद्ध में मुहम्मद खां बंगश पराजित होता है और उसका पुत्र कयूम खान जंग में काम आता है। उसकी कब्र मौदहा में आज भी विद्यमान है।

मस्तानी का युद्ध

जैतपुर के युद्ध में पेशवा ने एक महिला को भी लडते हुए देखा और उसके कद्रदान हो गए। पेशवा ने छत्रसाल से उस महिला योद्धा की मांग की। यह योद्धा मस्तानी थी, जो छत्रसाल की पुत्री थी। डा. गायत्री नाथ पंत के अनुसार छत्रसाल ने मध्य एशिया के जहानत खां की एक दरबारी महिला से विवाह किया था, मस्तानी उसी की पुत्री थी। मस्तानी प्रणामी संप्रदाय की अनुयायी थी, जिसके संस्थापक प्राणनाथ के निर्देश पर इनके अनुयायी कृष्ण और पैगंबर मुहम्मद की पूजा एक साथ करते थे। छत्रसाल ने ड्योढी महल में एक समारोह में पेशवा और मस्तानी का विवाह कराकर उसे पूना विदा किया।

छत्रसाल की पुत्री मस्तानी जब ढेर सारे अरमान लिए पूना पहुंची तो पूना उसको वैसा नहीं मिला, जैसा उसने सोचा था। पेशवा की माता व छोटे भाई ने इस संबंध का पुरजोर विरोध किया। पेशवा ने मस्तानी का नाम नर्मदा रखा किंतु यह मान्य नहीं हुआ। पेशवा और मस्तानी के एक पुत्र हुआ जिसका नामकरण पेशवा ने कृष्ण किया किंतु पारिवारिक सदस्यों के विरोध के कारण कृष्ण का रूपांतरण भामशेर बहादुर किया गया। रघुनाथ राव के यज्ञोपवीत संस्कार और सदाशिवराव के विवाह संस्कार के अवसर पर उच्चकुलीन ब्राह्मणों ने यह स्पष्ट कर दिया कि जिस संस्कार में बाजीराव जैसा दूषित और पथभ्रष्ट व्यक्ति उपस्थित हो वहां वे अपमानित नहीं होना चाहते। इसी प्रकार एक दूसरे अवसर पर जब बाजीराव शाहू जी से भेंट करने के लिए उनके दरबार में गए तो मस्तानी उनके साथ थी, जिसके कारण शाहू जी ने उनसे मिलने से इंकार ही नहीं किया बल्कि मस्तानी की उपस्थिति पर असंतोष भी व्यक्त किया।

बाजीराव-मस्तानी का प्रेम इतिहास

बाजीराव-मस्तानी का प्रेम इतिहास की चर्चित प्रेम कहानियों में है। पेशवा ने विजातीय होते हुए भी मस्तानी को अपनी अन्य पत्नियों की अपेक्षा बेपनाह मुहब्बत दी। पूना में उसके लिए एक अलग महल बनवाया। मस्तानी के लगातार संपर्क में रहने के कारण पेशवा मांस-मदिरा का भी सेवन करने लगे। पेशवा खुद ब्राह्मण थे और उनके दरबार में jज्यादातर सरदार यादव थे, क्योंकि शिवाजी की मां जीजाबाई यदुवंशी थीं और उसी समय से मराठा दरबार में यदुवंशियों की मान्यता स्थापित थी। दोनों जातियों में मांस-मदिरा को घृणा की दृष्टि से देखा जाता था। एक दिन पेशवा के भाई चिमनाजी अप्पा और पुत्र बालाजी ने मस्तानी को भनिवारा महल के एक कमरे में नजरबंद कर दिया, जिसे छुडाने का विफल प्रयास बाजीराव द्वारा किया गया।

मस्तानी की याद पेशवा को इतना परेशान करती कि वो पूना छोडकर पारास में रहने लगे। मस्तानी के वियोग में पेशवा अधिक दिनों तक जीवित न रहे और 1740 में पेशवा मस्तानी की आह लिए चल बसे। पेशवा के मरने पर मस्तानी ने चिता में सती होकर अपने प्रेम का इजहार किया। ढाउ-पाउल में मस्तानी का सती स्मारक है।

बाजीराव-मस्तानी से एक पुत्र भामशेर बहादुर हुए जिन्हें बांदा की रियासत मिली और इनकी संतति नवाब बांदा कहलाई। भामशेर बहादुर सन 1761 में पानीपत के युद्ध में अहमद शाह अब्दाली के विरुद्ध मराठों की ओर से लडते हुए मारे गए। इनकी कब्र भरतपुर में आज भी विद्यमान है जो उस समय जाटों के अफलातून सूरजमल की रियासत थी। भामशेर बहादुर द्वितीय, जुल्फिकार अली बहादुर और अली बहादुर द्वितीय इस वंश के प्रमुख नवाब हुए। भामशेर बहादुर द्वितीय मराठा समाज में पले बढे थे। उन्होंने बांदा में एक रंगमहल बनवाया जो कंकर महल के नाम से जाना जाना जाता है। उन्होंने दूर-दूर से शास्त्रीय गायकी के उस्तादों को बुलाकर बांदा में आबाद किया। उस मुहल्ले का नाम कलावंतपुरा था जो आजकल कलामतपुरा हो गया है।

जुल्फिकार अली बहादुर ने बनवायी बांदा की जामा मस्जिद

बांदा की जामा मस्जिद, जो दिल्ली की जामा मस्जिद की तर्ज पर बनी है, का निर्माण जुल्फिकार अली बहादुर ने कराया। मिर्जा गालिब इसी नवाब को अपना रिश्तेदार बताते हैं। अपनी मुफलिसी के वक्त गालिब बांदा आए और नवाब ने सेठ अमीकरण मेहता से उन्हें 2,000 रुपये कर्ज अपनी जमानत पर दिलवाया। इसी परंपरा में नवाब अली बहादुर द्वितीय हुए जिन्होंने 1857 में अंग्रेजों से भयंकर युद्ध किया। रानी झांसी अली बहादुर को अपना भाई मानती थीं और उनके संदेश पर अली बहादुर उनके साथ लडने कालपी गए। 1857 में अली बहादुर ने बांदा को स्वतंत्र घोषित कर दिया था।

1857 के गदर में बांदा पहली रियासत थी जिसने अपनी आजादी का ऐलान किया। कालांतर में विटलॉक ने यहां कब्जा किया और भूरागढ के किले में लगभग 80 क्रांतिकारियों को फांसी दी गई। नवाब बांदा को इंदौर निर्वासित कर दिया गया। इसके बाद बाजीराव-मस्तानी के वंशज इंदौर में ही रहे। 1849 में बाजीराव-मस्तानी के प्रेम का अमूक गवाह जैतपुर डलहौजी की हडप नीति का शिकार बना।

बेलाताल झील

जैतपुर पर्यटकों और इतिहासकारों के लिए एक खूबसूरत जगह है। बेलाताल नाम की झील बारिश के दिनों में 14 मील तक फैल जाती है। जाडे में रूस से आए साइबेरियाई पक्षी इसी झील में अपना बसेरा बनाते हैं। सरकारी डाकबंगले से इस झील के कमल और पक्षियों को निहारना बेहद सुखद है। जैतपुर से पर्यटक पांडव नगरी पनवाडी और बुंदेलखंड का कश्मीर चरखारी देख सकते हैं जो यहां से कुछ ही दूरी पर है।



इन्हें दहेज में मिलते हैं कुत्ते और गधे

इन्हें दहेज में मिलते हैं कुत्ते और गधे

बाड़मेर। दहेज में कुत्ता एवं गधा देने की बात कही जाए तो शायद हर कोई इसे मजाक समझेगा। लेकिन यह हकीकत है। इतना ही नहीं, दो साल तक संभावित औरत को मांगकर खिलाने की शर्त पूरी करने के बाद गर्भावस्था में सियार का मांस ही उनकी खुशहाल जिन्दगी आधार बनता है। यह अलग बात है कि यह परंपरा महज जोगी जाति के कुछ परिवारों तक ही सिमट गई है।

पश्चिमी राजस्थान में घुमक्कड़ एवं भीख मांगकर गुजारा चलाने वाली जोगी जाति के परिवारों के लिए ऐसी परंपराएं आम बात रही है। भले ही इन पर दूसरे लोग विश्वास करें या नहीं। प्रतापनाथ को आज भी अपनी शादी का वो दिन याद है जब उसे दहेज में कुत्त्ते के साथ गधा मिला था। कुत्ता उसे अस्थाई ठिकाने के रखवाली एवं शिकार में मदद के लिए और गधा इसलिए कि वो आसानी से अपना बोरियां-बिस्तर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सके। यह बात भी महज दस पुरानी है जब उसने शादी के लिए अपनी औरत रूपो को दो साल तक कमाकर खिलाया था। उसके बाद रूपो की रजामंदी से ही तो उसकी शादी हुई थी।

हालांकि उसे अभी भी मलाल है कि वह अपनी औरत को गर्भावस्था के दौरान सियार का मांस नहीं खिला पाया। हालांकि उसने कोशिश तो की थी परंतु सियार उसकी पकड़ में नहीं आया था। प्रतापनाथ के शब्दों में वो रिवाज अब लगभग खत्म होने को है। शादी की बात हो या अन्य कोई काम इनके अपने रिवाज है।

आजादी के 55 साल बाद भी न तो इनके पास जमीन है और न हीं रहने के आशियाने। खुले आसमान में जीवन यापन करने की मजबूरी के साथ ये कई ऐसे दर्द छुपाएं हुए है, जिन्हें वो बताकर अपना दर्द बढ़ाना भी नहीं चाहते। अब तक मांगकर गुजारा करने वाले इन लोगों को अब भीख भी नहीं मिलती। ऐसे में वे परंपरागत काम छोड़कर अन्य काम अपना रहे है। बावजूद इसके इसमें कई दिक्कतें पेश आ रही है। रही सरकारी मदद की बात, वो मिले भी कैसे? कईयों के नाम तो राशनकार्ड में भी दर्ज नहीं है।

कानाता में डेरा डाले एक बुजुर्ग कानाराम बताते है कि राशनकार्ड ऐसे कुछ जोगियों के बनाए गए है जिन्होंने समय-समय पर पटवारियों एवं सरपंचों वगैरह की बेगार निकाली है। इन लोगों को रोजगार एवं जमीन वगैरह की जरूरत तो है। इससे भी अधिक चिन्ता उन्हें इस बात की है कि जिस परंपरा रूपी विरासत को संभाले हुए है, वो खत्म होती जा रही है।

बाड़मेर शहर से दो किमी दूर डेरा डाले कुछ जोगियों ने पेट पालने के लिए पत्थर तोड़ने का काम शुरू कर दिया है। केर के पिछवाड़े में रहने वाले इन लोगों ने यहां बूई एवं बबूल की झाड़ियों से बाड़े बनाए है। जिनकी हालत जानवरों के बाड़े से भी बदत्तर है। वहीं कुछ तो ही खुले आसमान के तले गुजारा कर रहे है। इन्हीं बाड़ों में उनकी दुनिया समाई है इसमें कुत्ते, मुर्गे एवं गधे भी शामिल है।

अपनी बदलती परंपरा पर प्रकाश डालते हुए एक बुजुर्ग जोगी केसराराम ने बताया कि अन्य समाजों के दबाब के कारण कुछ स्थानों पर सगाई के दौरान 400 एवं शादी के अवसर पर 1000 रुपए लड़के द्वारा लड़की के पिता को देने की शुरूआत की गई है। लड़के के पहले दो साल साथ में रहने का रिवाज धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है।
उनके अनुसार अन्य समाजों में शादी के दौरान लड़की के पिता को दहेज देना पड़ता है, परंतु उनके यहां लड़के का पिता लड़की के पिता को दहेज देता है, तभी जाकर उसकी शादी कराई जाती है।

बहरहाल जोगी समाज शुरूआत से चली आ रही अपने रिवाजों को जिन्दा रखने की कोशिश तो कर रहा है, फिर भी यह कोशिश कितनी कारगर साबित हो पाएगी यह आने वाला वक्त ही बता पाएगा।

अभी तक बेआसरे जिन्दगी : इन परिवारों में अधिकांश परिवारों की जिन्दगी अभी भी घुमक्कड़ हैं, ये लोग किस्मत के भरोसे जीवन की गाड़ी को हांकने पर मजबूर हैं। राज्य सरकार हो या केंद्र की सत्तासीन सरकार, किसी के द्वारा अब तक इस घुमक्कड़ जाति को शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और आम जनजीवन से जोड़ने की कोशिश इमानदारी से नहीं की गई। इसकी वजह से ही बाड़मेर समेत पूरे राज्य में जोगी बिरादरी के लोग सरकार की उदासीन नीतियों की वजह से आज भी सभी मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं।