रविवार, 29 सितंबर 2013

राजस्थान देश का पहला ई-अभिलेखागार बना



दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अब राजस्थान अभिलेखागार की वेबसाइट पर एक क्लिक कर 35 लाख रियासतकालीन ऐतिहासिक दस्तावेज देखे जा सकते है.
राजस्थान देश का पहला ई-अभिलेखागार बना
राजस्थान राज्य अभिलेखागार के निदेशक डा. महेंद्र खडगावत का दावा है कि इतनी संख्या में रियासतकालीन ऐतिहासिक एवं प्रशासनिक दस्तावेजों को आनलाइन करने वाला राजस्थान देश का पहला ई-अभिलेखागार बन गया है. बल्कि 246 आजादी के परवानों के संस्मरण भी सुने जा सकते हैं.

सूचना एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से इन दस्तावेजों को आनलाइन किया गया है. उन्होंने दावा किया कि स्वतंत्रता सेनानियों के संस्मरणों को ध्वनिबद्ध करने का कार्य सिर्फ राजस्थान राज्य अभिलेखागार ही कर रहा है. आनलाइन किये गये अभिलेखों में बीकानेर रियासत के तीस लाख, अलवर के दो लाख व जोधपुर रियासत के सात लाख पांच हजार दस्तावेज है.

आनलाइन देखे जाने वाले दस्तावेजों में बीकानेर, हनुमानगढ, चूरू व श्रीगंगानगर जिलों के करीब सवा तीन लाख जमीनों व मकानों के पट्टे भी शामिल है.

खडगावत के अनुसार, आनलाइन किए गए अभिलेखों में बीकानेर महकमा खास (सचिवालय की पत्रावलियां), ऐतिहासिक बहियां, रामपुरिया रिकार्ड, परवाना बहियां, कौंसिल के हुकूम की बहियां शामिल है. जयपुर रियासत के लगभग ग्यारह लाख ऐतिहासिक अभिलेख शामिल हैं, जिनमें मुख्यत: स्याह हुजूर वकील रिपोर्ट्स, अखबारात, अर्जदाश्त, तोजी, रूक्के, परवाने, आमेर अभिलेख, दस्तूर कौमवार, मुगलकालीन ऐतिहासिक फरमान, निशान व मन्सूर, विल्स रिपोर्ट, मुगल राजपूत व राजपूत मराठा से संबंधित ऐतिहासिक दस्तावेज शामिल है.

खडगावत ने बताया कि अभिलेखागार की साइट से जोधपुर के महत्वपूर्ण 7.5 लाख राजस्व अभिलेखों में जमीनें व मकानों के पट्टे, अलवर राज्य की महत्वपूर्ण रजिस्ट्री अभिलेख तथा ऐतिहासिक मत्स्य रिकार्ड की पत्रावलियां, सिरोही राज्य के ऐतिहासिक फरमान व अभिलेख तथा माउंट आबू स्थित रजवाडा भवनों के अभिलेख शामिल हैं.

उन्होंने बताया कि राज्य अभिलेखागार में उपलब्ध प्रदेश के स्वतंत्रता आंदोलन, प्रजामण्डल आंदोलन के दस्तावेज और समाचार पत्रों की कतरनें, मुगल बादशाह जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब, नूरजहां, बहादुरशाह द्वारा लिखे गये ऐतिहासिक फरमान, निशान और जयपुर, जोधपुर एवं सिरोही के राजाओं को लिखे पत्र आनलाइन किए गए है.

अभिलेखागार ने मुगलकालीन भारत एवं राजपूत शासक भाग-एक व भाग-दो स्वतंत्रता आंदोलन के साक्षी कुछ संस्मरण जयपुर, जोधपुर, हाडौती, उदयपुर, अजमेर व भरतपुर संभाग की पुस्तकों के भी है.

खडगावत ने कहा कि भूतपूर्व रजवाडों के ऐतिहासिक दस्तावेजों के आनलाइन करने से आमजन पूर्व में महीनों अपनी जमीन व मकानों के पट्टे नहीं ढूंढ पाते थे अब एक मिनट में देख सकते है और जरूरत होने पर उसकी प्रति भी निकाल सकते है.

खडगावत ने बताया कि राजस्थान के गोकुल भाई भट्ट, सिद्धराज ढड्डा, रणछोडदास गट्टाणी, मथुरादास माथुर, हीरालाल शास्त्री समेत 246 स्वतंत्रता सेनानियों के संस्मरणों को ध्वनिबद्ध कर 246 आडियो कैसेट व 303 सीडी बनायी गयी है.

इन सभी संस्मरणों को आनलाइन किया गया है ताकि देश व दुनिया आजादी की कहानी उन्हीं की जुबानी सुन सके.

खडगावत ने बताया कि अक्टूबर 2013 के दूसरे सप्ताह में महरानगढ ट्रस्ट के साथ राजस्थान सरकार की सहमति से समझौता किया जा रहा है, जिसके तहत 40 लाख रियासतकालीन दस्तावेजों को आनलाइन किया जायेगा.

अभिलेखागार की लाइब्रेरी में उपलब्ध पुस्तकों सहित करीब दो सौ से अधिक रियासतों के प्रशासनिक दस्तावेज, मतगणना, 1891 ईस्वी में जाति के आधार पर हुई जनगणना व अकाल की विभिषिका की रिपोर्ट भी शामिल है.

उन्होंने बताया कि जोधपुर रियासत की महत्वपूर्ण ऐतिहासिक बहियां, जैसे हकीकत बही, पट्टा बही व विवाह की बहियां भी इसमें होंगी। अक्टूबर 2013 के दूसरे सप्ताह में महरानगढ ट्रस्ट के साथ राजस्थान सरकार की सहमति से समझौता किया जा रहा है. इसके तहत 40 लाख रियासतकालीन दस्तावेजों को आनलाइन किया जायेगा.

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