बुधवार, 31 जुलाई 2013

यातायात व्यवस्था को सुदृढ बनाने हेतु 60 पुलिस एक्ट के तहत 10 गिरफतार

यातायात व्यवस्था को सुदृढ बनाने हेतु 60 पुलिस एक्ट के तहत 10 गिरफतार


जैसलमेर पुलिस अधीक्षक जिला जैसलमेर पंकज चौधरी द्वारा कस्बा जैसलमेर में यातायात व्यवस्था को सुदृढ बनाने के निर्देशो के अनुसार प्रभारी यातायात शाखा जैसलमेर माणकलाल उनि के नेतृत्व में हैड कानि0 निश्चल केवलिया द्वारा अमरसागर गेट, जैसलमेर के पास ठेलो को बेतर्तीब खडे करने वाले जितेन्द्र कुमार पुत्र सुरजाराम माली नि0 अमरसागर, मोहनजी पुत्र शंकरलाल सिधी नि0 मैनपुरा जैसलमेर एवं दीनाराम पुत्र नारायणराम माली अमरसागर को एवं गोधाराम सउनि द्वारा हनुमान चौराहा के पास ठेलो को बेतर्तीब खडे करने वाले सुरेन्द्र पुत्र नेनसुख माली नि0 अमरसागर को तथा डावराराम सउनि द्वारा शहर के विभिन्न जगहों से ठेलो को बेतर्तीब खडे करने वाले कंवरसिंह पुत्र रामसीया राजावत निवासी ग्वालियर हाल जैसलमेर, बलवीरसिंह पुत्र रामसीया जाट नि0 गफूर भटटा जैसलमेर, राजू पुत्र दाउवतसिंह रिनू राजपुत नि0 उडीसा हाल तालरिया पाडा जैसलमेर, पुखराज पुत्र रेवंतराम भील नि0 फलोदी, सोहनंिसंह पुत्र सवार्इसिंह राजुपत नि0 गफूर भटटा जैसलमेर, शांतिलाल पुत्र देवीलाल जाट नि0 गंगापुर सिटी भीलवाडा हाल जैसलमेर कुल 06 ठेलेवालों को 60 पुलिस एक्ट के तहत गिरफतार कर न्यायालय में पेश किया जाकर जमानत पर रिहा किया गया।


तेजगति से वाहन चलाने वाले के विरूद्ध एम.वी. एक्ट के तहत कार्यवाही

जैसलमेर जिला में बढ़ती दुर्घटनों को देखते हुए तेजगति से वाहन चलाने वालों के विरूद्ध कानून कार्यवाही के निर्देशानुसार कल दिनांक 30.07.2013 को विजय स्तम्भ चौराहा, जैसलमेर पर तेजगति से बोलेरो गाडी को चलाने वाले मुबारखखा पुत्र मतरेखा निवासी बासनपीर का हैड कानि0 निश्चल केवलिय द्वारा एम.वी. एक्ट के तहत चालान काटकर कार्यवाही की गर्इ ।

लपकों के विरूद्ध आपरेशन वेलकम एवं स्पेशल टीम की कार्यवाही जारी

लपकों के विरूद्ध आपरेशन वेलकम एवं स्पेशल टीम की कार्यवाही जारी


सैलानियों की गाड़ी का पिछाकर परेशान करते 01 लपका गिरफतार, मोटर सार्इकिल जब्त


जैसलमेर में सीजन की दस्तक को देखते हुए, शैलानियों की सुरक्षा हेतु पुलिस अधीक्षक जैसलमेर पंकज चौधरी द्वारा ''आपरेशन वेलकम'' एवं स्पेशल टीम को सकि्रय रहते हुए लगातार लपको के विरूद्ध अधिक से अधिक कार्यवाही करने के निर्देश दिये। उक्त निर्देशों की पालना में अजर्ूनसिंह सउनि प्रभारी आपरेशन वेलकम एवं स्पेशल टीम मय टीम सदस्य कानि0 भीमसिंह, महेन्द्र कुमार, कमालखा, दूर्गाराम, राजाराम एवं पुखराज द्वारा लगातार सकि्रयता दिखाते हुए कल दिनांक 30.07.2013 को जोधपुर-जैसलमेर हार्इवे रोड़ पर मोटरसार्इकिल लपका पठानखा पुत्र मुबारखखा निवासी फलेड़ी हाल होटल रार्इका पैलेस जैसलमेर को सैलानियों की गाडी का पीछा कर परेशान करते हुए पाया जाना पर टीम द्वारा पीछाकर जोधपुर रोड नाका से पर्यटक अधिनियम के तहत गिरफतार कर उसके कब्जा से मोटर सार्इकिल संख्या आरजे 15 एस.बी. 5623 एम.वी. एक्ट के तहत जब्त की गर्इ। लपका हाल में रार्इका पैलेस होटल के लिए कार्य करता है तथा वह सैलानियों की गाडि़यों का पीछाकर उनको अपनी होटल का ब्रोशन देने की कोशिश करता है।

हिस्ट्रीशीटों एवं अपराधिक तत्वों के विरूद्ध कार्यवाही एवं विशेष निगरानी के निर्देश

हिस्ट्रीशीटों एवं अपराधिक तत्वों के विरूद्ध कार्यवाही एवं विशेष निगरानी के निर्देश


जैसलमेर जैसलमेर पुलिस ने जिले के पुराने हिस्ट्रीशीटरों की पत्रावलिया जांचने का काम शुरू कर दिया हें . उल्लेखनीय हें की जैसलमेर पुलिस में हाल ही में बहुचर्चित मुस्लिम धर्म गुरु गाजी फ़क़ीर की हिस्ट्रीशीट पुनः खोल जिले की राजनितिक में हडकंप मच दिया था अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस,(अपराध शाखा) राजस्थान, जयपुर के आदेश दिनांक 14.06.2013 की पालना में जैसलमेर जिले के समस्त हिस्ट्रीशीटरों की पत्रावलियों को चैक की जा रही है। जाच के उपरांत आवश्यक कार्यवाही सुनिशिचत की जावेगी। इसके साथ-साथ जिले में स्थार्इ वारंटियों, भगौडों, मफरूर एवं अन्य अपराधिक गतिविधियों में लिप्त लोगों की सघनता से जाच एवं धड़पकड़ की जावेगीा। इसी कड़ी में जिले के समस्त थानाधिकारियों एवं सर्किल आफीसर को विशेष कार्यवाही हेतु निर्देशित किया गया है।

मारपीट और चोरी के मामले

मारपीट और चोरी के मामले


बाड़मेर घमड़ाराम पुत्र रिड़मलराम मेगवाल नि. नोखड़ा ने मुलजिम मांगीलाल पुत्र हरखाराम मेगवाल नि. नोखड़ा वगेरा 2 के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमान द्वारा मुस्तगीस के खेत में प्रवेष कर मुस्तगीस के साथ मारपीट करना वगेरा पर मुलजिमान के विरूद्व पुलिस थाना गुड़ामालानी पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है। इसी तरह अषोक कुमार पुत्र चूनीलाल जैन नि. गुड़ामालानी ने मुलजिम किसनाराम पुत्र ठाकराराम विष्नोर्इ नि. बाण्ड वगेरा 6 के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमान द्वारा एक राय होकर मुस्तगीस को रोककर मारपीट करना व गाली गलोच कर पत्थर फैकना वगेरा पर मुलजिमान के विरूद्व पुलिस थाना गुड़ामालानी पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।इधर पुखराज पुत्र मंगलाराम प्रजापत नि. पाटोदी ने मुलजिम लाखेखां पुत्र सुभानखां मुसलमान नि. गंगाला के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिम द्वारा जीप नम्बर आरजे 21 यू 0116 को तेजगति व लापरवाही से चलाकर मोटर सार्इकल के टक्कर मारना जिससे मुस्तगीस के भार्इ पारसमल के चोटे आना व मोटर सार्इकल की डिकी में रखे रूपये चुराकर ले जाना वगेरा पर मुलजिम के विरूद्व पुलिस थाना कल्याणपुर पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।

अवैध डोडा पोस्त से भरा ट्रक जब्त

अवैध डोडा पोस्त से भरा ट्रक जब्त


बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर की पुलिस ने साढ़े चार क्विंटल अवेध डोडा पोस्ट बरामद किया हें . पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट, जिला पुलिस अधीक्षक बाड़मेर द्वारा जिले में अवैध मादक पदार्थो की रोकथाम हेतु दिये गये निर्देषानुसार श्री देवाराम नि.पु. थानाधिकारी पुलिस थाना गुड़ामालानी मय पुलिस पार्टी द्वारा सरहद डाबली में नेषनल हार्इवे नम्बर 15 पर ट्रक नम्बर एमपी 13 जीए 3049 को दस्तयाब कर ट्रक में 218 कटटो में भरा अवैध व बिना लार्इसेन्स का डोडा पोस्त 4251 किलोग्राम जब्त कर मुलजिम अज्ञात के विरूद्व पुलिस थाना गुड़ामालानी पर एनडीपीएस एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।

फुलवारिया राजस्थानी छात्र परिषद् के अध्यक्ष मनोनित

फुलवारिया राजस्थानी छात्र परिषद् के अध्यक्ष मनोनित


बाड़मेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर के घटक राजस्थानी छात्र परिषद् के जिला अध्यक्ष पद पर प्रदेश महामंत्री राजेंद्र सिंह बारहट और संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी के निर्देशानुसार जिला पाटवी रिड़मल सिंह दांता ने जीतेन्द्र फुलवारिया को मनोनित किया हें . समिति के जिला प[रावक्ता रमेश सिंह इन्दा ने बताया की जीतेन्द्र फुलवारिया लम्बे समय से राजस्थानी भाषा के अभियान से सक्रीय रूप से जुड़े हुए हें ऽअगमि माह में राजस्थानी भाषा को संवेधानिक मान्यता के लिए चलाये जाने वाले पोस्ट कार्ड अभियान में स्कूली छात्र छात्राओं की सक्रीय भागीदारी के उदेश्य से राजस्थानी छात्र परिषद् स्कूल का गठन कर जीतेन्द्र फुलवारिया को जिला अध्यक्ष मनोनित किया .साथ उन्हें सात दिवस में परिषद् की कार्यकारिणी गठित करने के निर्देश दिए गए ,

कोलेज के छात्रों के आकाश टेबलेट के करोडो रूपए खा गई सरकार /

अ भा वि प ने जड़ा कोलेज में ताला और किया जमकर हगामा,टायर जलाकर किया प्रदशन

 छात्रों के आकाश टेबलेट के करोडो रूपए खा गई सरकार /
बाड़मेर एक तरफ तो सरकार चुनावो को देखते हुए फ्री में पुरे राजस्थान में सरकारी स्कूलों में लैपटॉप और टेबलेट लोलीपोप की तरह बाट रही है वही दूसरी तरफ इस सरकार ने दो साल पहले राजस्थान के हजारो छात्रो ने आकाश टेबलेट के लिए 1148 रुपये कोलेज में जमा कराए थे लेकिन इस तरह राजस्थान में छात्रों के करोड़ो रूपए दो सालो बीत जाने के बाद भी न तो आकाश टेबलेट दे रही और न ही 1148 रुपये वापस इससे गुसाए छात्रों ने राजस्थान के बाड़मेर में गुसाए अ भा वि प कार्यकर्ताओ ने जमकर हगामा किया राजकीय महाविधालय में आज कोलेज अ भा वि प सेकड़ो छात्रों ने जमकर हगामा किया पहले तो इन छात्रों ने कोलेज प्रोफसरो के साथ पिंसिपल को कोलेज से बाहर निकालकर फिर सभी छात्रों को बाहर निकालकर कोलेज गेट पर ताला जड़ दिया और उसके बाद जमकर हगामा करते हुए सडको पर टायर जलाकर सडक मार्ग को बंद कर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की आखिर में पुलिस बल ने इन छात्रो को सडको से करीब दो घंटे बाद हटाकर सडक और कोलेज के गेट को खुलवाया
राजकीय महाविद्यालय मे छात्र संगठन एबीवीपी के छात्रो द्वारा कुछ दिन पहले ही कोलेज के बाहर अर्धनग्न होकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया छात्रो ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा की कोलेज के सभी छात्रो के साथ सरकार ने धोखा किया है सरकार ने छात्रो से लाखो रुपये हड़प कर लिए अब तक उन पैसो का कोई हिसाब किताब नही है आखिर सरकार हमारे साथ इस तरह के भेदभाव क्यों कर रही है उसके बाद पुलिस ने आकर मामले को शांत करवाया लेकिन छात्रों का आरोप है पुलिस उनको धमका रही है

इस पुरे मामले पिंसिपल एम् आर गढ़वीर का कहना है कि ये सरकार के स्थर की बात हमने अपनी और पूरी कारवाही कर रखी है छात्रों ने कोलेज बंद कर ताला जड़ दिया है अब हम लोग बाहर खड़े है इस बारे में हमने बार जिला कलेक्टर को अवगत भी कराया है आज हमने प्र्दशन को देखते हुए पुलिस फ़ोर्स और प्रशाशन के अधिकारयो को बुलाया है
राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव है लिहाजा कांग्रेस गाव से लेकर राजधानी तक फ्री में लैपटॉप और टेबलेट बाट रही है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि सरकार इन छात्रों को आखिर क्यों नहीं आकाश टेबलेट नहीं दे रही है जबकि सरकार ने इन से आकश टेबलेट के नाम पर पेसे तोले लिए है आखिर ऐसे दोहरे मापदंड क्यों अब अ भा वि प ने चेतावनी देते हुए कहा की अगर जल्द ही आकाश टेबलेट वितरित नही किए तो संगठन द्वारा उग्र प्रदर्शन व आन्दोलन किया जायेगा



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मुंशी प्रेमचंद की कहानी कफ़न आपके लिए

 मुंशी प्रेमचंद की कहानी कफ़न  आपके लिए 

हिन्दी कहानियों के सम्राट मुंशी प्रेमचंद के कहानियों और उपन्यासों की प्रसांगिकता आज भी कायम है। उनके उपन्यास और कहानियों में किसानों, मजदूरी और वर्ग में बंटे हुए समाज का दर्द उभरता है.उनके जन्मदिन पर आपके लिए उनकी ख्यातिप्राप्त कहानी कफ़न 




कफ़न

झोपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के और अन्दर बेटे कि जवान बीवी बुधिया प्रसव-वेदना से पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। जाड़े की रात थी, प्रकृति सन्नाटे में डूबी हुई, सारा गाँव अन्धकार में लय हो गया था।


घीसू ने कहा – मालूम होता है, बचेगी नहीं। सारा दिन दौड़ते ही गया, ज़रा देख तो आ।


माधव चिढ़कर बोला – मरना ही है तो जल्दी मर क्यों नही जाती ? देखकर क्या करूं?


‘तू बड़ा बेदर्द है बे ! साल-भर जिसके साथ सुख-चैन से रहा, उसी के साथ इतनी बेवफाई!’ ‘तो मुझसे तो उसका तड़पना और हाथ-पाँव पटकना नहीं देखा जाता।’


चमारों का कुनबा था और सारे गाँव में बदनाम। घीसू एक दिन काम करता तो तीन दिन आराम करता। माधव इतना कामचोर था कि आधे घंटे काम करता तो घंटे भर चिलम पीता। इसीलिये उन्हें कहीँ मज़दूरी नहीं मिलती थी। घर में मुट्ठी भर अनाज भी मौजूद हो, तो उनके लिए काम करने कि कसम थी। जब दो-चार फाके हो जाते तो घीसू पेड़ पर चढ़कर लकड़ियां तोड़ लाता और माधव बाज़ार में बेच आता। जब तक वह पैसे रहते, दोनों इधर उधर मारे-मारे फिरते। गाँव में काम कि कमी ना थी। किसानों का गाँव था, मेहनती आदमी के लिए पचास काम थे। मगर इन दोनों को उस वक़्त बुलाते, जब दो आदमियों से एक का काम पाकर भी संतोष कर लेने के सिवा और कोई चारा ना होता। अगर दोनों साधू होते, तो उन्हें सुन्तोष और धैर्य के लिए, संयम और नियम की बिल्कुल ज़रूरत न होती। यह तो इनकी प्रकृति थी। विचित्र जीवन था इनका! घर में मिट्टी के दो-चार बर्तन के सिवा और कोई सम्पत्ति नही थी। फटे चीथ्डों से अपनी नग्नता को ढांके हुए जीये जाते थे। संसार की चिंताओं से मुक्त! कर्ज़ से लदे हुए। गालियाँ भी खाते, मार भी खाते, मगर कोई गम नहीं। दीं इतने की वसूली की बिल्कुल आशा ना रहने पर भी लोग इन्हें कुछ न कुछ कर्ज़ दे देते थे। मटर, आलू कि फसल में दूसरों के खेतों से मटर या आलू उखाड़ लाते और भून-भूनकर खा लेते या दुस-पांच ईखें उखाड़ लाते और रात को चूसते। घीसू ने इसी आकाश-वृति से साठ साल कि उम्र काट दी और माधव भी सपूत बेटे कि तरह बाप ही के पद चिन्हों पर चल रहा था, बल्कि उसका नाम और भी उजागर कर रहा था। इस वक़्त भी दोनो अलाव के सामने बैठकर आलू भून रहे थे, जो कि किसी खेत से खोद लाए थे। घीसू की स्त्री का तो बहुत दिन हुए देहांत हो गया था। माधव का ब्याह पिछले साल हुआ था। जबसे यह औरत आयी थी, उसने इस खानदान में व्यवस्था की नींव डाली थी और इन दोनो बे-गैरतों का दोजख भारती रहती थी। जब से वोह आयी, यह दोनो और भी आराम तलब हो गए थे। बल्कि कुछ अकडने भी लगे थे। कोई कार्य करने को बुलाता, तो निर्बयाज भाव से दुगनी मजदूरी माँगते। वही औरत आज प्रसव-वेदना से मर रही थी, और यह दोनों शायद इसी इंतज़ार में थे कि वोह मर जाये, तो आराम से सोयें।


घीसू ने आलू छीलते हुए कहा- जाकर देख तो, क्या दशा है उसकी? चुड़ैल का फिसाद होगा, और क्या! यहाँ तो ओझा भी एक रुपया माँगता है!


माधव तो भय था कि वोह कोठरी में गया, तो घीसू आलू का एक बड़ा भाग साफ कर देगा। बोला- मुझे वहाँ जाते डर लगता है।


‘डर किस बात का है, मैं तो यहाँ हूँ ही।’ ‘तो तुम्ही जाकर देखो ना।’


‘मेरी औरत जब मरी थी, तो मैं तीन दिन तक उसके पास से हिला तक नही; और फिर मुझसे लजायेगा कि नहीं? जिसका कभी मुँह नही देखा; आज उसका उधडा हुआ बदन देखूं। उसे तन कि सुध भी तो ना होगी। मुझे देख लेगी तो खुलकर हाथ-पाँव भी ना पटक सकेगी!’


‘मैं सोचता हूँ, कोई बाल बच्चा हुआ, तो क्या होगा? सोंठ, गुड, तेल, कुछ भी तो नही है घर में!’


‘सब कुछ आ जाएगा। भगवान् दे तो! जो लोग अभी एक पैसा नहीं दे रहे हैं, वो ही कल बुलाकर रुपये देंगे। मेरे नौ लड़के हुए, घर में कभी कुछ ना था, भगवान् ने किसी ना किसी तरह बेडा पार ही लगाया।’


जिस समाज में रात-दिन म्हणत करने वालों कि हालात उनकी हालात से कुछ अच्छी ना थी, और किसानों के मुकाबले में वो लोग, जो किसानों कि दुर्बलताओं से लाभ उठाना जानते थे, कहीँ ज़्यादा सम्पन्न थे, वहाँ इस तरह की मनोवृति का पैदा हो जान कोई अचरज की बात नहीं थी। हम तो कहेंगे, घीसू किसानों से कहीँ ज़्यादा विचारवान था और किसानों के विचार-शुन्य समूह में शामिल होने के बदले बैठक बाजों की कुत्सित मंडळी में जा मिलता था। हाँ, उसमें यह शक्ति ना थी कि बैठक बाजों के नियम और निति का पालन कर्ता। इसलिये जहाँ उसकी मंडळी के और लोग गाव के सरगना और मुखिया बने हुए थे, उस पर सारा गाव ऊँगली उठाता था। फिर भी उसे यह तस्कीन तो थी ही, कि अगर वोह फटेहाल हैं तो उसे किसानों की-सी जी-तोड़ म्हणत तो नही करनी पड़ती, और उसकी सरलता और निरीहता से दुसरे लोग बेजा फायदा तो नही उठाते। दोनो आलू निकल-निकलकर जलते-जलते खाने लगे। कल से कुछ नही खाया था। इतना सब्र ना था कि उन्हें ठण्डा हो जाने दे। कई बार दोनों की ज़बान जल गयी। चिल जाने पर आलू का बहरी हिस्सा बहुत ज़्यादा गरम ना मालूम होता, लेकिन दोनों दांतों के तले पड़ते ही अन्दर का हिस्सा ज़बान, तलक और तालू जला देता था, और उस अंगारे को मुँह में रखेने से ज़्यादा खैरियत तो इसी में थी कि वो अन्दर पहुंच जाये। वहाँ उसे ठण्डा करने के लिए काफी समान था। इसलिये दोनों जल्द-जल्द निगल जाते । हालांकि इस कोशिश में उन्ही आंखों से आँसू निकल आते ।


घीसू को उस वक़्त ठाकुर कि बरात याद आयी, जिसमें बीस साल पहले वोह गया था। उस दावत में उसे जो तृप्ति मिली थी, वो उसके जीवन में एक याद रखने लायक बात थी, और आज भी उसकी याद ताज़ा थी।


बोला- वह भोज नही भूलता। तबसे फिर उस तरह का खाना और भर पेट नही मिला। लड्किवालों ने सबको भरपेट पूड़ीयां खिलायी थी, सबको!


छोटे-बडे सबने पूडीयां खायी और असली घी कि! चटनी, रीता, तीन तरह के सूखे साग, एक रसेदार तरकारी, दही, चटनी, मिठाई, अब क्या बताऊँ कि उस भोग में क्या स्वाद मिल, कोई रोक-टोक नहीं थी, जो चीज़ चाहो, मांगो, जितना चाहो खाओ। लोगों ने ऐसा खाया, ऐसा खाया, कि किसी से पानी न पीया गया। मगर परोसने वाले हैं कि पत्तल में गरम-गरम गोल-गोल सुवासित कचौद्दीयां डाल देते हैं। मन करते हैं कि नहीं चाहिऐ, पत्तल को हाथ से रोके हुए हैं, मगर वह हैं कि दिए जाते हैं और जब सबने मुँह धो लिया, तो पान एलैची भी मिली। मगर मुझे पान लेने की कहाँ सुध थी! खङा हुआ ना जाता था। झटपट अपने कम्बल पर जाकर लेट गया। ऐसा दिल दरियाव था वह ठाकुर!


माधव नें पदार्थों का मन ही मन मज़ा लेते हुए कहा- अब हमें कोई ऐसा भोजन नही खिलाता। ‘अब कोई क्या खिलायेगा। वह ज़माना दूसरा था। अब तो सबको किफायत सूझती है। शादी-ब्याह में मत खर्च करो। क्रिया-कर्म में मत खर्च करो। पूछों, गरीबों का माल बटोर-बटोर कर कहाँ रखोगे? बटोरने में तो कामं नही है। हाँ , खर्च में किफायती सूझती है। ‘


‘तुमने बीस-एक पूड़ीयां खायी होंगी?’


‘बीस से ज़्यादा खायी थी!’


‘मैं पचास खा जाता!’


‘पचास से कम मैंने भी ना खायी होगी। अच्छा पट्ठा था । तू तो मेरा आधा भी नही है ।’


आलू खाकर दोनों ने पानी पिया और वहीँ अलाव के सामने अपनी धोतियाँ ओढ़्कर पाँव पेट पर डाले सो रहे। जैसे दो बडे-बडे अजगर गेदुलियाँ मारे पडे हो।


और बुधिया अभी तक कराह रही थी।


2.


सबेरे माधव ने कोठरी में जाकर देखा, तो उसकी स्त्री ठण्डी हो गयी थी। उसके मुँह पर मक्खियां भिनक रही थी। पथ्रायी हुई आँखें ऊपर टंगी हुई थी । साड़ी देह धुल से लथपथ हो रही थी थी। उसके पेट में बच्चा मर गया था।


माधव भागा हुआ घीसू के पास आया। फिर दोनों ज़ोर-ज़ोर से है-है करने और छाती पीटने लगे। पडोस्वालों ने यह रोना धोना सुना, तो दौड हुए आये और पुरानी मर्यादा के अनुसार इन अभागों को समझाने लगे।


मगर ज़्यादा रोने-पीटने का अवसर ना था। कफ़न और लकड़ी की फिक्र करनी थी। घर में तो पैसा इस तरह गायब था, जैसे चील के घोसले में मॉस!


बाप-बेटे रोते हुए गाव के ज़मिन्दार के पास गए। वह इन दोनों की सूरत से नफरत करते थे। कयी बार इन्हें अपने हाथों से पीट चुके थे। चोरी करने के लिए, वाडे पर काम पर न आने के लिए। पूछा- क्या है बे घिसुआ, रोता क्यों है? अब तो तू कहीँ दिखलायी भी नहीं देता! मालूम होता है, इस गाव में रहना नहीं चाहता।


घीसू ने ज़मीन पर सिर रखकर आंखों से आँसू भरे हुए कहा – सरकार! बड़ी विपत्ति में हूँ। माधव कि घर-वाली गुज़र गयी। रात-भर तड़पती रही सरकार! हम दोनों उसके सिरहाने बैठे रहे। दवा दारु जो कुछ हो सका, सब कुछ किया, पर वोह हमें दगा दे गयी। अब कोई एक रोटी देने वाला भी न रह मालिक! तबाह हो गए । घर उजाड़ गया। आपका घुलाम हूँ, अब आपके सिवा कौन उसकी मिटटी पार लगायेगा। हमारे हाथ में जो कुछ था, वोह सब तो दवा दारु में उठ गया…सरकार कि ही दया होगी तो उसकी मिटटी उठेगी। आपके सिवा किसके द्वार पर जाऊं!


ज़मीन्दार साहब दयालु थे। मगर घीसू पर दया करना काले कम्बल पर रंग चढाना था। जीं में तो आया, कह दे, चल, दूर हो यहाँ से। यों तोबुलाने से भी नही आता, आज जब गरज पढी तो आकर खुशामद कर रह है। हरामखोर कहीँ का, बदमाश! लेकिन यह क्रोध या दण्ड का अवसर न था। जीं में कूदते हुए दो रुपये निकालकर फ़ेंक दिए। मगर सांत्वना का एक शब्द भी मुँह से न निकला। उसकी तरफ ताका तक नहीं। जैसे सिर के बोझ उतारा हो। जब ज़मींदर साहब ने दो रुपये दिए, तो गाव के बनिए-महाजनों को इनकार का सहस कैसे होता? घीसू ज़मीन्दार का ढिंढोरा भी पीटना जानता था। किसी ने दो आने दिए, किसी ने चार आने। एक घंटे में घीसू और माधव बाज़ार से कफ़न लाने चले। इधर लोग बांस-वांस काटने लगे।


गाव की नर्म दिल स्त्रियां आ-आकर लाश देखती थी, और उसकी बेबसी पर दो बूँद आँसू गिराकर चली जाती थी।


3.


बाज़ार में पहुंचकर, घीसू बोला – लकड़ी तो उसे जलाने भर कि मिल गयी है, क्यों माधव! माधव बोला – हाँ, लकड़ी तो बहुत है, अब कफ़न चाहिऐ।


‘तो चलो कोई हल्का-सा कफ़न ले लें।


‘हाँ, और क्या! लाश उठते उठते रात हो जायेगी। रात को कफ़न कौन देखता है!’


‘कैसा बुरा रिवाज है कि जिसे जीते-जीं तन धांकने को चीथ्डा भी न मिले, उसे मरने पर नया कफ़न चाहिऐ।’


‘कफ़न लाश के साथ जल ही तो जाता है।’


‘क्या रखा रहता है! यहीं पांच रुपये पहले मिलते, तो कुछ दवा-दारु कर लेते।


दोनों एक दुसरे के मॅन कि बात ताड़ रहे थे। बाज़ार में इधर-उधर घुमते रहे। कभी इस बजाज कि दुकान पर गए, कभी उस दुकान पर! तरह-तरह के कपडे, रेशमी और सूती देखे, मगर कुछ जंचा नहीं. यहाँ तक कि शाम हो गयी. तब दोनों न-जाने किस दयवी प्रेरणा से एक मधुशाला के सामने जा पहुंचे और जैसे पूर्व-निश्चित व्यवस्था से अन्दर चले गए. वहाँ ज़रा देर तक दोनों असमंजस में खडे रहे. फिर घीसू ने गड्डी के सामने जाकर कहा- साहूजी, एक बोतल हमें भी देना। उसके बाद कुछ चिखौना आया, तली हुई मछ्ली आयी, और बरामदे में बैठकर शांतिपूर्वक पीने लगे। कई कुज्जियां ताबड़्तोड़ पीने के बाद सुरूर में आ गए. घीसू बोला – कफ़न लगाने से क्या मिलता? आख़िर जल ही तो जाता. कुछ बहु के साथ तो न जाता. माधव आसमान कि तरफ देखकर बोला, मानो देवताओं को अपनी निश्पाप्ता का साक्षी बाना रह हो – दुनिया का दस्तूर है, नहीं लोग बाम्नों को हज़ारों रुपये क्यों दे देते हैं? कौन देखता है, परलोक में मिलता है या नहीं!


‘बडे आदमियों के पास धन है,फूंके. हमारे पास फूंकने को क्या है!’


‘लेकिन लोगों को जवाब क्या दोगे? लोग पूछेंगे नहीं, कफ़न कहाँ है?’


घीसू हसा – अबे, कह देंगे कि रुपये कंमर से खिसक गए। बहुत ढूंदा, मिले नहीं. लोगों को विश्वास नहीं आएगा, लेकिन फिर वही रुपये देंगे। माधव भी हंसा – इन अनपेक्षित सौभाग्य पर. बोला – बड़ी अच्छी थी बेचारी! मरी तो ख़ूब खिला पिला कर!


आधी बोतल से ज़्यादा उड़ गयी। घीसू ने दो सेर पूड़ियाँ मंगायी. चटनी, आचार, कलेजियां. शराबखाने के सामने ही दुकान थी. माधव लपककर दो पत्तलों में सारे सामान ले आया. पूरा डेड रुपया खर्च हो गया. सिर्फ थोड़े से पैसे बच रहे. दोनो इस वक़्त इस शान से बैठे पूड़ियाँ खा रहे थे जैसे जंगल में कोई शेर अपना शिकार उड़ रह हो. न जवाबदेही का खौफ था, न बदनामी का फिक्र. इन सब भावनाओं को उन्होने बहुत पहले ही जीत लिया था.


घीसू दार्शनिक भाव से बोला – हमारी आत्म प्रसन्न हो रही है तो क्या उसे पुन्न न होगा? माधव ने श्रध्दा से सिर झुकाकर तस्दीख कि – ज़रूर से ज़रूर होगा. भगवान्, तुम अंतर्यामी हो. उसे बय्कुंथ ले जान. हम दोनो हृदय से आशीर्वाद दे रहे हैं. आज जो भोजन मिल वोह कहीँ उम्र-भर न मिल था. एक क्षण के बाद मॅन में एक शंका जागी. बोला – क्यों दादा, हम लोग भी एक न एक दिन वहाँ जायेंगे ही? घीसू ने इस भोले-भाले सवाल का कुछ उत्तर न दिया. वोह परलोक कि बाते सोचकर इस आनंद में बाधा न डालना चाहता था।


‘जो वहाँ हम लोगों से पूछे कि तुमने हमें कफ़न क्यों नही दिया तो क्या कहेंगे?’


‘कहेंगे तुम्हारा सिर!’


‘पूछेगी तो ज़रूर!’


‘तू कैसे जानता है कि उसे कफ़न न मिलेगा? तू मुझेईसा गधा समझता है? साठ साल क्या दुनिया में घास खोदता रह हूँ? उसको कफ़न मिलेगा और बहुत अच्छा मिलेगा!’ माधव को विश्वास न आया। बोला – कौन देगा? रुपये तो तुमने चाट कर दिए। वह तो मुझसे पूछेगी। उसकी माँग में तो सिन्दूर मैंने डाला था।


घीसू गरम होकर बोला – मैं कहता हूँ, उसे कफ़न मिलेगा, तू मानता क्यों नहीं?


‘कौन देगा, बताते क्यों नहीं?’ ‘वही लोग देंगे, जिन्होंने अबकी दिया । हाँ, अबकी रुपये हमारे हाथ न आएंगे। ‘


ज्यों-ज्यों अँधेरा बढता था और सितारों की चमक तेज़ होती थी, मधुशाला, की रोनक भी बढती जाती थी। कोई गाता था, दींग मारता था, कोई अपने संगी के गले लिपट जाता था। कोई अपने दोस्त के मुँह में कुल्हड़ लगाए देता था। वहाँ के वातावरण में सुरूर था, हवा में नशा। कितने तो यहाँ आकर एक चुल्लू में मस्त हो जाते थे। शराब से ज़्यादा यहाँ की हवा उन पर नशा करती थी। जीवन की बाधाये यहाँ खीच लाती थी और कुछ देर के लिए यह भूल जाते थे कि वे जीते हैं कि मरते हैं। या न जीते हैं, न मरते हैं। और यह दोनो बाप बेटे अब भी मज़े ले-लेकर चुस्स्कियां ले रहे थे। सबकी निगाहें इनकी और जमी हुई थी। दोनों कितने भाग्य के बलि हैं! पूरी बोतल बीच में है।


भरपेट खाकर माधव ने बची हुई पूडियों का पत्तल उठाकर एक भिखारी को दे दिया, जो खडा इनकी और भूखी आंखों से देख रह था। और देने के गौरव, आनंद, और उल्लास का अपने जीवन में पहली बार अनुभव किया।


घीसू ने कहा – ले जा, ख़ूब खा और आर्शीवाद दे। बीवी कि कमायी है, वह तो मर गयी। मगर तेरा आर्शीवाद उसे ज़रूर पहुंचेगा। रोएँ-रोएँ से आर्शीवाद दो, बड़ी गाडी कमायी के पैसे हैं!














माधव ने फिर आसमान की तरफ देखकर कहा – वह बैकुंठ में जायेगी दादा, बैकुंठ की रानी बनेगी।


घीसू खड़ा हो गया और उल्लास की लहरों में तैरता हुआ बोला – हाँ बीटा, बैकुंठ में जायेगी। किसी को सताया नहीं, किसी को दबाया नहीं। मरते-मरते हमारी जिन्दगी की सबसे बड़ी लालसा पूरी कर गयी। वह न बैकुंठ जायेगी तो क्या मोटे-मोटे लोग जायेंगे, जो गरीबों को दोनों हाथों से लूटते हैं, और अपने पाप को धोने के लिए गंगा में नहाते हैं और मंदिरों में जल चडाते हैं?


श्रद्धालुता का यह रंग तुरंत ही बदल गया। अस्थिरता नशे की खासियत है। दु:ख और निराशा का दौरा हुआ। माधव बोला – मगर दादा, बेचारी ने जिन्दगी में बड़ा दु:ख भोगा। कितना दु:ख झेलकर मरी!


वह आंखों पर हाथ रखकर रोने लगा, चीखें मार-मारकर।


घीसू ने समझाया – क्यों रोता हैं बेटा, खुश हो कि वह माया-जाल से मुक्त हो गई, जंजाल से छूट गयी। बड़ी भाग्यवान थी, इतनी जल्द माया-मोह के बन्धन तोड़ दिए।


और दोनों खडे होकर गाने लगे – ”ठगिनी क्यों नैना झाम्कावे! ठगिनी …!”


पियाक्क्ड्डों की आँखें इनकी और लगी हुई थी और वे दोनो अपने दिल में मस्त गाये जाते थे। फिर दोनों नाचने लगे। उछले भी, कूदे भी। गिरे भी, मटके भी। भाव भी बनाए, अभिनय भी किये, और आख़िर नशे से मदमस्त होकर वहीँ गिर पडे।




तेलंगाना का साइड इफेक्ट:आए इस्तीफे

तेलंगाना का साइड इफेक्ट:आए इस्तीफे

हैदराबाद। अलग तेलंगाना राज्य के गठन के निर्णय से नाराज कांग्रेस के एक सांसद व तीन विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है।


गुंटूर से सांसद रायपति संबाशिव राव ने पार्टी व लोकसभा दोनों से इस्तीफा दे दिया हे। राव अभी अमरीका में हैं। उन्होंने वहीं से अपना इस्तीफा लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार को फैक्स किया। पूर्वी गोदावरी जिले की मुम्मीदीवरम विधाससभा सीट से कांग्रेस विधायक पी सतीश कुमार व पूर्वी गोदावरी जिले की ही रामचंद्रपुरम विधानसभा सीट से विधायक थोटा त्रिमूरथुलु ने अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष एन मनोहर को भेज दिया।


अनंतपुर से तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) के विधायक पीअब्दुल गनी ने भी अपने इस्तीफ की घोषणा की है। सबसे पहले इस्तीफा 20 सूत्री कार्यक्रम समिति के अध्यक्ष तुलसी रेड्डी ने दिया था। कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा लिए गए तेलंगाना बनाने के निर्णय की घोषणा होने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफे की घोषणा की थी। उन्होंने अपना इस्तीफा राज्य कांग्रेस प्रमुख बी सत्यनारायण को सौंप दिया था।

गोरखालैंड के समर्थन में आत्मदाह

गोरखालैंड के समर्थन में आत्मदाह

दार्जिलिंग। अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के 72 घंटे के बंद के दूसरे दिन मंगलवार को यहां एक व्यक्ति ने पेट्रोल डालकर आत्मदाह की कोशिश की। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने किसी तरह आग बुझाई और उसे अस्पताल पहुंचाया।
90 फीसदी जले कलिम्पोंग निवासी 45 वर्षीय मंगल सिंह राजपूत को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दार्जिलिंग में बंद से दूसरे दिन भी जनजीवन प्रभावित रहा। किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।
कलिम्पोंग और कुर्सेयोंग में सभी सरकारी दफ्तर बंद रहे। जीजेएम अध्यक्ष बिमल गुरूंग ने सोमवार को धमकी दी थी कि बंद को अनिश्चित काल के लिए बढ़ाय भी जा सकता है।

फेसबुक ने 11 साल बाद भाईयों को मिलाया

फेसबुक ने 11 साल बाद भाईयों को मिलाया

पुणे। इनकी कहानी अनूठी हिंदी मूवी जैसी है। जिसमें दो भाई बचपन में जुदा हो जाते हैं और 11 साल बाद मिलते हैं। 22 साल के संतोष डोमाले और 24 साल के अंकुश डोमाले की जिंदगी में कोई विलेन नहीं था।

संतोष मॉर्डन कॉलेज में बी कॉम का स्टूडेंट है। अंकुश उस समय घर से चला गया था जब वह 13 साल का था। संतोष ज्यादातर वक्त फेसबुक पर बिताता था। इस कारण उसे मां की डांट भी खानी पड़ती है। एक रात 1 बजे उसके सेलफोन ने बिप किया। उसकी फेसबुक प्रोफाइल पर मराठी में मैसेज था। मैसेज में लिखा था मैं तुम्हारा भाई हूं। मुझे कॉल करो। संतोष ने फोन किया तो सामने उसका भाई अंकुश था।

संतोष ने बताया कि जब मैंने फेसबुक प्रोफाइल पर फोटो देखा तो पहचान नहीं पाया क्योंकि उसके सिर पर पगड़ी थी। वह सरदार की तरह लग रहा था। मैंने अपनी मां को उठाया और उन्हें फोटो दिखाया। मैंने पूछा कि क्या आप इसको पहचान सकती हैं। उन्होंने बताया कि यह तो तुम्हारा भाई अंकुश है। मां हेमलता ने आंखों की पुतलियों के पास और गाल पर चोट के निशान देखकर अंकुश को पहचाना।

कोई मां अपने पहले बच्चे को कैसे नहीं पहचान सकती। जब अंकुश 11 साल का और संतोष नौ साल का था तब उनके पिता का देहांत हो गया था। बकौल अंकुश पिता के देहांत के बाद मैं गलत संगत में पड़ गया था। मैं दोस्तों के साथ रात-रात भूर घूमता रहता था। मैं घर से ज्यादा से ज्यादा वक्त तक दूर रहना चाहता था। जब वह 13 साल का था तो उसने अपने चाचा की बाइक उठाई और उसे दूसरे वाहन से भिड़ा दिया। इससे बाइक क्षतिग्रस्त हो गई। बकौल अंकुश जब मैं घर लौटा तो चाचा ने बहुत पीटा और मां को शिकायत कर दी।

उन्होंने भी मुझे बुरी तरह डांटा और पीटा। गुस्से में मां ने मेरे मुंह पर 50 रूपए का नोट फेंका और कहा कि घर छोड़कर चला जा। मैं घर छोड़कर चला गया। 50 रूपए में मैंने वड़ा पाव खाया। मैंने एक सिख ट्रक ड्राइवर को अपनी कहानी सुनाई। वह मुंबई से नांदेड़ माल पहुंचाता था। ड्राइवर ने मुझे अपने साथ चलने को कहा। मैंने उसके साथ पंजाब जाने से मना कर दिया। उसने मुझे नांदेड़ में एक गुरूद्वारे में छोड़ दिया। अंकुश गुरूद्वारे के लंगर में सेवा करने लगा। इस दौरान वह एक बाबा के संपर्क में आया।

6 महीने में मैंने बाबा से सारा काम सीख लिया। 2013 में लुधियाना के गुरूद्वारे से आए एक अन्य बाबा मेजर सिंह ने मुझे काम करते हुए देखा। बाबा मेरे काम से प्रभावित हो गया और वह मुझे लुधियाना ले गया। मैं सिख बन गया और अपना नाम गुरूबाज सिंह रख लिया। अंकुश लोगों की ओर से दान में दिए जाने वाले गेंहूं को गुरूद्वारे लाता। बाबा ने अंकुश को ड्राइविंग सिखाई और लाइसेंस भी बनवा दिया।

21 जुलाई की रात उसका एक साथी से झगड़ा हो गया। उस वक्त अंकुश को अपने भाई संतोष की याद आई जिससे वह हमेशा लड़ा करता था। मैंने उसे फेसबुक पर ढूंढा और वह मिल भी गया। मैंने संतोष को अपने फोन नंबर मैसेज किए। इसके बाद उसने मुझे फोन किया। दोनों भाईयों ने करीब दो घंटे तक बात की। बाबा ने झेलम एक्सप्रेस में अंकुश का टिकट करवाया और वह 28 जुलाई को पुणे के रेलवे स्टेशन पहुंचा।

जयपुर में युवती को जिंदा जलाया

जयपुर में युवती को जिंदा जलाया

जयपुर। शिप्रापथ थाना इलाके में मंगलवार देर रात अज्ञात युवक ने एक युवती पर केरोसिन डालकर जिंदा जला दिया। पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे व एफएसएल टीम को बुलाकर साक्ष्य जुटाए हैं। देर रात तक मृतका की शिनाख्त नहीं हो पाई थी।

पुलिस ने बताया कि देर रात सूचना मिली थी कि बी-टू पाईपास पर रेलवे पुलिया के पास एक युवती की जली हुई लाश पड़ी है। मौके पर पहुंचकर देखा तो करीब 20-25 वर्षीय एक युवती की अध जली लाश पड़ी हुई थी और केरोसिन तेल की बदबू आ रही थी। मृतका का चेहरा पहचान में आ रहा था। युवती का शरीर व हाथ ही जले थे। उसने नीले रंग की जींस पहन रखी थी, जबकि टी-शर्ट व टॉपर जल चुका था। युवती ने बाटा लिखी हुई प्लास्टिक की जूतियां जैसी चप्पल पहन रखी थी।

मिले संघर्ष के निशान
मौके पर संषर्घ के कुछ निशान मिले हैं। हालांकि पुलिस ने खुदकुशी की आशंका से भी इंकार नहीं किया है, लेकिन मौके पर केरोसिन की पीपी या कुछ अन्य सामान नहीं मिलने से पुलिस खुदकुशी का मामला कम मान रही है।

संकट के साए में ऎतिहासिक विरासत

संकट के साए में ऎतिहासिक विरासत

जालोर। ऎतिहासिक वैभव को समेटे स्वर्णगिरी दुर्ग को फतह करने में अल्लाउद्दीन खिलजी की सेना को भले ही लम्बा इंतजार करना पड़ा हो, लेकिन आज इस दुर्ग पर स्थित मानसिंह महल की दीवारें दरकने लगी हैं। इस महल पर बारिश से नुकसान का खतरा मंडरा रहा है।

दुर्ग पर मानसिंह का महल वास्तुकला एवं प्राचीन स्थापत्य कला का एक नायाब नमूना है। सुरम्य प्राकृतिक छटा वाले इस दुर्ग का एक-एक पत्थर सौन्दर्य की झलक बिखेर रहा है, लेकिन उदासीनता का दंश इसके सौन्दर्य पर ग्रहण लगा रहा है। ऎतिहासिक महत्व को संजोकर रखने वाले स्वर्णगिरी दुर्ग व महलों की दीवारें क्षतिग्रस्त हो रही हैं। गत दिनों यहां पर मरम्मत कार्य व रंग रोगन भी करवाया गया था।

लेकिन महल में जाते समय दांई ओर की सुरक्षा दीवार पर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया। ऎसे में गत दिनों हुई तेज बारिश से यह सुरक्षा दीवार ढह गई है। दीवार ढहने से मानसिंह महल पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस बार और तेज बारिश हुई तो महल की नींव को जोड़कर बनाई गई सुरक्षा दीवार के पत्थर निकलने से महल का एक भाग गिर सकता है।

परकोटा भी क्षतिग्रस्त
दुर्ग का परकोटा भी जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है। भारतीय इतिहास में व्यवस्थित बसावट व समृद्धशाली नगरों में गिना जाने वाला जालोर ऎतिहासिक वैभव की चमक खो रहा है। ऎसे में तेज बारिश से परकोटे को भी नुकसान हो सकता है।

दीवार ढही
मैं दुर्ग स्थित शिव मंदिर में सोमवार को दर्शन के लिए गया था। वहां मानसिंह महल के एक तरफ की दीवार ढह गई है। अधिक बारिश से महल का एक भाग गिर सकता है।
-प्रवीणसिंह राजपुरोहित, शहरवासी

करवाएंगे ठीक
दुर्ग के जीर्णाेद्धार के लिए बजट के बारे में पुरातत्व विभाग अधिकारियों से बात हुई है। दीवार ढही है तो पुरातत्व विभाग को अवगत करवाकर ठीक करवाएंगे।
-राजन विशाल, जिला कलक्टर, जालोर

जैसलमेर का स्थापना दिवस 18 अगस्त को


जैसलमेर का स्थापना दिवस 18 अगस्त को

पुरस्कारों के लिए आवेदन जमा करवाने की अंतिम तिथि १० अगस्त 


जैसलमेर जैसलमेर का 858वां स्थापना दिवस 18 अगस्त को मनाया जाएगा। जैसलमेर फोर्ट पैलेस एंड म्यूजियम के वरिष्ठ प्रबंधक डॉ. रघुवीरसिंह भाटी ने बताया कि हर वर्ष की भांति सावण शुक्ला द्वादशी स्थापना दिवस पर दिए जाने वाले विशेष सम्मान एवं पुरस्कारों के लिए प्रविष्ठियां आमंत्रित की गई है। जिले के मूल निवासी सेना, बीएसएफ, पुलिस व अन्य क्षेत्रों में अदम्य साहस का परिचय देने वालों को महारावल घड़सी वीरता पुरस्कार, साहित्य शिक्षा एवं काव्य के क्षेत्र में शोध एवं अनुसंधान के लिए महारावल हरिराज साहित्य पुरस्कार, शिल्प व कला के क्षेत्र में महारावल अमरसिंह पुरस्कार, इतिहास लेखन एवं शोध कार्य के लिए महारावल जैसलम पुरस्कार, पर्यटन में सहयोग देने पर जैसलमेर पर्यटन पुरस्कार, समाज सेवा के क्षेत्र में महारावल जवाहिर सिंह पुरस्कार, महिला विकास के कार्यों में योगदान के लिए राजकुमारी रत्नावती पुरस्कार, रम्मत कला में योगदान देने पर कवि तेज रम्मत कला पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। प्रविष्ठियां भिजवाने वाले अपने कार्य, जन्म तिथि एवं अन्य आवश्यक जानकारियां फोर्ट पैलेस म्यूजियम में जमा करवा सकते है। साथ ही जिले में प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान करने वाले विद्यार्थी को प्रतिभा पुरस्कार के लिए अपने विद्यालय व जिला शिक्षा अधिकारी एवं कॉलेज प्राचार्य के माध्यम से प्रविष्ठियां भेजे। प्रविष्ठियां जमा करवाने की अंतिम तिथि 10 अगस्त है।

अधर में हेमाराम का इस्तीफा

अधर में हेमाराम का इस्तीफा
बाड़मेर। रिफाइनरी विवाद को लेकर दिया गया राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी का मुख्यमंत्री का भेजा गया इस्तीफा एक हफ्ते से अधर में है। मुख्यमंत्री की ओर से इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया है। इधर, हेमाराम चौधरी भी जयपुर जाने की बजाय बाड़मेर बैठे है।

24 जुलाई को हेमाराम ने राजस्व मंत्री पद से इस्तीफा दिया। इसके दूसरे ही दिन उनको मनाने के लिए कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डॉ. चंद्रभान, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के फोन आए। साथी मंत्रियों, प्रभारी मंत्री, सांसद और विधायकों ने भी समझाइश की। हेमाराम इसके बाद बाड़मेर स्थित अपने घर में ही है और दो दिन गुड़ामालानी क्षेत्र का दौरा किया। मंगलवार को वे बाड़मेर में ही रहे।

असमंजस की स्थिति : प्रदेश के केबिनेट मंत्री के इस्तीफे के बावजूद मामूली प्रयास करके बात को ढीली छोड़ने ने असमंजस की स्थिति ला दी है। उनको मनाने के लिए कोई प्रदेश स्तर का नेता पहुंचा है और न ही समझाइश के विशेष प्रयास हुए है।

इधर कर्नल को जिम्मेवारी: रिफाइनरी को लेकर हेमाराम का विवाद बायतु विधायक कर्नल सोनाराम से हुआ। उन्होंने रिफाइनरी पर भी राज्य सरकार के विरूद्ध बयानबाजी की। बावजूद इसके कर्नल को चुनाव समिति में शामिल किया गया। इसमें हेमाराम चौधरी का नाम नहीं है।

अभी जयपुर जाने का मानस नहीं
अभी जयपुर जाने का मानस नहीं है। मैं अपना इस्तीफा दे चुका हूं। आज घर पर ही था। स्थानीय लोग आए उनसे मुलाकात की।
हेमाराम चौधरी, राजस्व मंत्री