गुरुवार, 2 मई 2013

सरहदी गांवों में मनरेगा बेमानी, रोजगार को मोहताज ग्रामीण


सरहदी गांवों में मनरेगा बेमानी, रोजगार को मोहताज ग्रामीण 

गडरारोड



मनरेगा से जरूरतमंद लोगों को रोजगार मुहैया करवाने के दावे सरहदी गांवों में बेमानी साबित हो रहे हैं। करीब एक दर्जन अकालग्रस्त गांवों में मनरेगा से एक भी कार्य स्वीकृत नहीं है। इसके चलते ग्रामीणों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। ताज्जुब की बात यह है कि जॉबकार्ड धारकों ने रोजगार की डिमांड कर रखी है, मगर प्रशासन की लापरवाही के चलते जरूरतमंद लोगों को रोजगार के लिए तरसना पड़ रहा है। अकाल के चलते लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। तहसील क्षेत्र के करीम का पार, लालासर, द्राभा, पूंजराज का पार, समद का पार, डोकर, सरगुवाला समेत एक दर्जन गांवों के लोगों के लिए मनरेगा योजना दूर की कौड़ी साबित हो रही है। अकाल की मार झेल रहे ग्रामीणों के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोजगार की है। नजदीक क्षेत्र में रोजगार नहीं मिलने से ग्रामीण मजबूरन दूर दराज के गांवों में दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर है। जबकि मनरेगा योजना के तहत प्रत्येक पंचायत में डिमांड के अनुसार करोड़ों रुपए का बजट आवंटित किया जा रहा है। सरहदी गांवों के लोगों की पीड़ा को प्रशासन समझ नहीं पा रहा है। नतीजतन लोगों को रोजगार के लाले पड़ रहे हैं। द्राभा गांव के ग्रामीण बताते हैं कि गांव में एक भी मनरेगा से कार्य स्वीकृत नहीं है। नजदीक के गांव व ढाणियों में भी कार्य मंजूर नहीं होने पर रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। डोकर गांव के खेतसिंह सोढ़ा ने बताया कि प्रशासन की अनदेखी के चलते मनरेगा कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। इस संबंध में ग्राम सेवक व सरपंच को कई बार अवगत करवाने के बावजूद कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। बीपीएल परिवारों को भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस स्थिति में पलायन की नौबत आ गई है।

फिर जाएं तो जाएं कहां: सरहदी गांवों में सरकारी योजनाओं के तहत कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। जबकि अन्य पंचायतों के प्रत्येक राजस्व गांव में कार्य स्वीकृत किए जा रहे हैं। ग्राम पंचायत खानियानी के पूर्व सरपंच जबल खां ने बताया कि करीम का पार, लालासर में बीते कई सालों से मनरेगा के कार्य बंद है। जॉबकार्ड धारक ग्राम सेवक के पीछे चक्कर काटते काटते थक चुके हैं। अकाल की घड़ी में लोगों के लिए दो जून की रोजी रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है। प्रशासन की अनदेखी का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।

मशीनों से कार्य, जॉबकार्ड ठेके पर: कई ग्राम पंचायतों में तो मनरेगा से स्वीकृत कार्य मशीनों से करवाए जा रहे हैं। जॉब कार्ड पंचायत के कार्मिकों ने ठेके पर ले रखे है। मस्टररोल में फर्जी नाम अंकित कर भुगतान उठाया जा रहा है। ग्राम पंचायत खानियानी, खबडाला में लंबे अर्से से श्रमिकों के जॉबकार्ड के आधार पर कार्य मशीनों से करवाया जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच व ग्रामसेवक अपने ही स्तर पर कार्य करवा रहे हैं।

अकाल त्रासदी 



एक दर्जन गांवों में एक भी कार्य स्वीकृत नहीं, फिर कैसे मिलेगा रोजगार, प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे है बेकसूर
॥सरहदी गांवों में सरकारी योजनाएं विफल साबित हो रहे हैं। अकाल पीडि़तों को रोजगार के लिए तरसना पड़ रहा है। प्रशासन ग्रामीणों को रोजगार मुहैया करवाने को तैयार ही नहीं है। डिमांड देने के बावजूद भी कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं।  उगमसिंह, सोढ़ा द्राभा 

॥रोजगार मुहैया करवाने की सरकार की मंशा के बावजूद प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। अगर समय रहते अकालग्रस्त गांवों में मनरेगा से कार्य स्वीकृत नहीं किए गए तो आंदोलन किया जाएगा।
दशरथ मेघवाल, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष भाजपा शिव
॥डिमांड पर रोजगार मुहैया करवाना अनिवार्य है। इस संबंध में रिपोर्ट मंगवाई जाएगी। ग्रामीणों की ओर से डिमांड दी गई है तो संबंधित ग्राम सेवकों को निर्देश दिए जाएंगे।
 एल.आर. गुगरवाल, सीईओ जिप

जवानों को गर्मी से बचाव के लिए 'कूलवेस्ट' : डीजी


जवानों को गर्मी से बचाव के लिए 'कूलवेस्ट' : डीजी 



बीएसएफ डीजी सुभाष जोशी पहुंचे बाड़मेर, सीमा क्षेत्र का लेंगे जायजा


 बाड़मेर  'बीएसएफ के जवान रेगिस्तानी इलाकों में 50 डिग्री तापमान होने के बावजूद देश की सुरक्षा का कार्य कर रहे हैं। जवानों को भीषण गर्मी में किसी प्रकार की तकलीफ ना हो इसके लिए डीआरडीओ को 'कूलवेस्ट' नामक ड्रेस तैयार करने को कहा गया है। कूलवेस्ट से सामान्य तापमान 15 डिग्री तक कम हो जाएगा।' यह बात सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक सुभाष जोशी नेे बुधवार को बाड़मेर में कही। जोशी बीएसएफ के क्षेत्रीय मुख्यालय पर आयोजित संयुक्त सैनिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। जोशी दो दिन तक सीमा क्षेत्र का भ्रमण करने के साथ ही बॉर्डर की सुरक्षा व्यवस्था तथा जवानों के कल्याण के लिए किए जा रहे कार्यों का जायजा लेंगे।



जवानों से हुए रूबरू

बीएसएफ डीजी विशेष विमान से सुबह 10:30 बजे उत्तरलाई वायुसेना स्टेशन पहुंचे। जहां पर उनका गुजरात फ्रंटियर के आईजी ए.के. सिन्हा, डीआईजी माधोसिंह चौहान व यू.के. नियाल सहित अन्य अधिकारियों ने अगवानी कर स्वागत किया। डीजी के साथ स्पेशल डीजी (वेस्ट) राजदीपसिंह तथा डीआईजी हरमिंदरपाल भी विशेष विमान से बाड़मेर पहुंचे। यहां से सभी अधिकारी बीएसएफ के क्षेत्रीय मुख्यालय पहुंचे। यहां पर उन्होंने सैनिकों को संबोधित किया तथा जवानों की समस्याओं से रूबरू होकर उनके निराकरण के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए।


मौजूदा वर्ष 'जवानों का वर्ष' 

डीजी ने सैनिक सम्मेलन में जवानों को संबोधित करते हुए कहा कि यह वर्ष 'जवानों का वर्ष' के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान ही सभी सीमा चौकियों पर भोजनालय, बैरक तथा शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही वे स्वयं सीमांत मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर जवानों के लिए अन्य कल्याणकारी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करेंगे।



सतर्कता घुसपैठ पर लगाम 

उन्होंने कहा कि बाड़मेर सेक्टर में पिछले तीन वर्षों से तस्करी व घुसपैठ की कोई भी घटना सामने नहीं आई है, कभी घुसपैठ की कोशिश भी नहीं हुई। यह सब बीएसएफ के जवानों की चौकसी और सतर्कता के कारण संभव हो पाया है। जवानों ने घुसपैठियों को दबोचा भी है। जवानों से फायरिंग और शारीरिक दृढ़ता के क्षेत्र में अधिक से अधिक दक्षता प्राप्त करने के लिए डीजी ने जवानों को प्रेरित किया। साथ ही उन्होंने जवानों से अपने स्वास्थ्य का भी बराबर ख्याल रखने की बात कही।


केमिकल फैक्ट्री में आग

केमिकल फैक्ट्री में आग

जोधपुर। बासनी द्वितीय फेज बंगाली कॉलोनी के पास बुधवार शाम एक कलर केमिकल फैक्ट्री में आग लग गई। आग से फैक्ट्री में पड़ा लाखों रूपए का माल स्वाह हो गया। निगम की 12 और रीको की दो दमकलों ने डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। फैक्ट्री में आग की ऊंची-ऊंची लपटे देख वहां बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो गए थे।

मुख्य अग्निशमन अधिकारी सुरेश थानवी ने बताया कि यह फैक्ट्री रातानाडा सुनारों की बगेची निवासी अजय चांडक की है। फैक्ट्री में पैकिंग मेटेरियल, चाइना ट्रे, रेगजीन, ड्रम केमिकल और अकाउंट्स से जुड़ा सामान जलकर खाक हो गया। यह आग ग्राउंड व प्रथम मंजिल वाले हिस्से में लगी थी। इसमें करीब 50 से 60 लाख रूपए का माल जलने की पुष्टि हुई है।

थानवी ने बताया कि इस आग पर काबू पाने के लिए नगर निगम अग्निशमन विभाग की 4 शास्त्रीनगर, 4 बासनी, 2 नागौरी गेट, 2 मंडोर और 2 दमकलें रीको से मंगाई गई। विभाग से प्रशांतसिंह चौहान, हेमराज, जितेन्द्रसिंह मनीष पुरोहित, रामचंद्र मोहनलाल और देवेन्द्र सहित कई दमकलकर्मियों ने मौके पर पहुंच आग को नियंत्रण में लिया।

मां-बेटे आग में जिंदा जले

मां-बेटे आग में जिंदा जले

जोधपुर-भोपालगढ़। जिले की भोपालगढ़ तहसील में पालड़ी राणावता ग्राम पंचायत में बुधवार दोपहर रायड़ी के कचरे में आग लगने से मां-बेटे जिंदा जल गए। भोपालगढ़ थाना पुलिस से मिली जानकारी अनुसार हस्तुदेवी (27) पत्नी हुकमाराम व सुनील (9) पुत्र हुकमाराम निवासी बाघोरिया, हाल पालड़ी राणावता अपने कृषि कुएं पर कुछ कार्य कर रहे थे।

इस दौरान रायड़ी के कचरे में अचानक आग लग गई। इसकी चपेट में आकर दोनों मां-बेटे झुलस गए। इलाज के लिए परिजन उन्हें भोपालगढ़ अस्पताल ले आए, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने दोनों का पोस्टमार्टम कर शव परिजनों के सुपुर्द कर दिए। मृतक महिला के देवर ने थाने में मामला दर्ज कराया।

बंदूक की जगह पिस्टल पहली पसंद

बंदूक की जगह पिस्टल पहली पसंद

बाड़मेर। रेगिस्तान मे तेल उत्खनन से आई आर्थिक उन्नति के बाद शौक भी परवान चढ़ने लगे हंै। लग्जरी गाडियो के साथ अब हथियार लाइसेस लेने वालों में "पिस्टल" रखने की चाह बढ़ी है। पहले हथियार के नाम पर अधिकांश लोगों के पास बारह बोर बंदूक ही थी और कुछ के पास रिवाल्वर। बीते आठ साल में बीस से ज्यादा लोगों ने रिवाल्वर और पिस्टल खरीदे हंै।

बंदूकें हजारों में
जिले में बंदूक के लाइसेंस हजारो में है। 1965 व 1971 के युद्ध के दौरान बड़ी संख्या में लाइसेस जारी हुए। इसके बाद भी लगातार बंदूक के लिए लाइसेंस जारी होते रहे हैं।

कीमत डेढ़ से दस लाख तक
रिवाल्वर की कीमत डेढ़ लाख के करीब है लेकिन नए पिस्टल खरीदने वालों ने साढ़े पांच से दस लाख तक के अत्याधुनिक विदेशी पिस्टल खरीदे हैं।

उद्योगपति और नेता भी
रिवाल्वर और पिस्टल खरीदने वालों में उद्योगपति और राजनेता हैं, जिन्होंने नए लाइसेंस लिए हैं और सुरक्षा के तौर पर अत्याधुनिक पिस्टल खरीदे है।

लाइसेंस के बाद कोई भी हथियार
शस्त्र लाइसेंस जारी होने के एक साल के भीतर हथियार खरीदना जरूरी होता है। इस हथियार को लाइसेंस जारीकर्ता यानि जिला कलक्टर के यहां रजिस्टर्ड करवाना पड़ता है। जिसमें हथियार का प्रकार और उनकी अन्य जानकारी दर्ज होती है।

समृद्धि व प्रतिष्ठा वजह
समय बदला है, साथ ही आर्थिक समृद्धि आई है। इस कारण सुरक्षा व सामाजिक प्रतिष्ठा के लिहाज से महंगे हथियार खरीदे जा रहे हैं। पिस्टल की सार-संभाल आसान है।
एडवोकेट किरण मंगल

एक योजना में गरीब, दूसरी में अमीर!

एक योजना में गरीब, दूसरी में अमीर!
बाड़मेर। गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए डिस्कॉम में दोहरे मापदण्ड चल रहे हैं। राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में विद्युतीकृत होने वाले बी पी एल परिवारों को नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन दिए जा रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री विद्युतीकरण योजना सबके लिए में बी पी एल परिवारों से डिमाण्ड राशि वसूली जा रही है। योजनाओं के मकड़जाल में उलझे बी पी एल परिवारों को यह समझ में नहीं आ रहा है कि एक योजना में वह गरीब है तो दूसरी योजना में अमीर कैसे हो गए?

बाड़मेर जिले में करीब एक लाख अठाइस हजार बीपीएल परिवार हैं। इनमें से करीब साठ हजार परिवार राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत विद्युतीकृत हो चुके हैं। इन्हे नि:शुल्क घरेलू विद्युत कनेक्शन दिए गए हैं। इसके अलावा पच्चीस हजार बी पी एल परिवार अन्य योजनाओं में विद्युतीकृत हो चुके हैं। चालीस हजार से अधिक बीपीएल परिवारों का जीवन अभी भी अंधेरे में ही गुजर रहा है। अंधेरे से निकलकर रोशनी में आने का सपना देखने वाले इन बीपीएल परिवारों को बस इतनी-सी जानकारी है कि सरकार उन्हें नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन देती है। विद्युत कनेक्शन के लिए उन्होंने जो आवेदन जमा किए हैं, वह किस योजना में किए हंै, इसकी उन्हें समझ नहीं है।

राजीव गांधी में बजट नहीं
केन्द्र सरकार की राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में फिलहाल बजट ही नहीं है। केन्द्र सरकार से जब बजट आएगा, तब ही यह योजना आगे बढ़ेगी। स्थिति एकदम साफ है कि जब तक केन्द्र से बजट नहीं आता, तब तक बीपीएल परिवारों को नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन दिया जाना संभव नहीं है।

बीपीएल को डिमाण्ड नोटिस
नए वित्तीय वर्ष में मुख्यमंत्री विद्युतीकरण योजना सबके लिए में प्राप्त आवेदनों में डिस्कॉम की ओर से डिमाण्ड नोटिस भिजवाए जा रहे हैं। बीपीएल परिवारों को भी 3700 रूपए का डिमाण्ड नोटिस मिल रहा है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि बीपीएल को नि:शुल्क कनेक्शन दिए जाने का प्रावधान है तो फिर डिमाण्ड नोटिस क्यों दिया जा रहा है? इन हालात में बीपीएल परिवार अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। वे यह नहीं जानते कि सरकार की एक योजना में गरीब तो दूसरी में अमीर हैं।

दोनों अलग-अलग
राजीव गांधी विद्युतीकरण व मुख्यमंत्री विद्युतीकरण दोनों योजनाएं अलग-अलग हैं। मुख्यमंत्री विद्युतीकरण योजना सबके लिए में नि:शुल्क विद्युत कनेक्शन का प्रावधान नहीं है। इसलिए डिमाण्ड नोटिस भिजवाए हैं।
प्रेमजीत धोबी अधीक्षण अभियंता, डिस्कॉम

परिजनों की मांग,शहीद घोषित करो

परिजनों की मांग,शहीद घोषित करो

नई दिल्ली। सरबजीत सिंह की मौत की खबर मिलने के बाद परिजनों को रो-रो कर बुरा हाल है। परिजनों ने सरबजीत का शव सौंपे जाने की मांग की है। साथ ही सरबजीत को शहीद घोषित करने और राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किए जाने की भी मांग की है।

अनुसूचित आयोग के वाइस चेयरमैन राजकुमार वरका ने बताया कि परिजनों ने गृह मंत्री के समक्ष ये मांगे रखी है। उन्होंने बताया कि परिजों ने यह भी मांग की है कि केन्द्र सरकार पूरे परिवार की जिम्मेदारी लें। परिजनों की मांग पर गुरूवार को सरकार ने बैठक बुलाई है।

गौरतलब है कि सरबजीत की पत्नी सुखप्रीत कौर,बहन दलबीर कौर,बेटी स्वप्नदीप और पूनम 15 दिन के आपतकालीन वीजा पर लाहौर गए थे। चारों बुधवार को ही भारत लौट आए थे। वरका ने बताया कि उन्होंने सरबजीत के परिजनों की मांगें गृह मंत्रालय को भेज दी है। वह खुद गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के साथ साथ अन्य कई नेताओं के संपर्क में हैं। सरबजीत का परिवार वरका के नई दिल्ली स्थित आवास पर रूका हुआ है।

पाक की जिद ने ली सरबजीत की जान

पाक की जिद ने ली सरबजीत की जान
लाहौर/नई दिल्ली। भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए। करीब एक हफ्ते से लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती सरबजीत ने देर रात अस्पताल में दम तोड़ दिया।

मेडिकल बोर्ड के महमूद शौकत ने बताया कि उन्हें देर रात करीब एक बजे जिन्ना अस्पताल में डयूटी पर तैनात डॉक्टर ने बताया कि सरबजीत सिंह नहीं रहे। इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने बताया कि जिन्ना अस्पताल के अधिकारियों ने उन्हें सरबजीत की मौत के बारे में जानकारी दी। बताया जा रहा है कि सरबजीत सिंह की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई है।

26 अप्रेल को लाहौर की कोट लखपत जेल में सरबजीत पर कातिलाना हमला हुआ था। हमले में वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनके सिर में गंभीर चोट लगी थी। इस कारण वह नॉन रिवर्सिबल कोमा में चले गए थे।

सरबजीत की तबीयत में जब सुधार नहीं हो रहा था तो परिजन और भारत सरकार लगातार पाकिस्तान से अपील करते रहे कि उसे इलाज के लिए भारत या किसी अन्य देश भेज दिया जाए लेकिन उसने एक नहीं सुनी। पाकिस्तान इस बात पर अड़ा रहा कि इलाज वहीं होगा। पाकिस्तान की इसी जिद ने उनकी जान ले ली।

हमला करने वाले जेल के ही कैदी थी। आरोपी रिजवान और आमिर के खिलाफ हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया गया था। सरबजीत सिंह को 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का दोषी करार दिया गया था। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी।

28 अगस्त 1990 को सरबजीत गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे। पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के आठ दिन बाद पुलिस ने उन पर लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का आरोप लगाया। 1990 से ही वह लाहौर की कोट लखपत जेल में कैद थे। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। कई बार उनकी फांसी टल गई। उनकी ओर से पांच दया याचिकाएं दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरबजीत की फांसी की सजा को बरकरार रखा।

मार्च 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी फांसी की सजा पर पुर्नविचार के लिए दाखिल याचिका खारिज कर दी थी। मामले पर सुनवाई के दौरान उनके वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए इसलिए याचिका खारिज कर दी गई। 3 मार्च 2008 को तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उनकी दया याचिका खारिज कर दी। 26 जून 2012 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने सरबजीत को रिहा करने का फैसला किया लेकिन कुछ घंटे बाद ही अपना फैसला बदल लिया क्योंकि जमात ए इस्लामी और जमात उद दावा ने कड़ा एतराज जताया था। पाकिस्तान की सरकार ने सफाई दी कि सरबजीत नहीं बल्कि सुरजीत सिंह को रिहा किया जा रहा है।

बुधवार, 1 मई 2013

सम्मान के नाम पर पिता ने की बेटी की हत्या

सम्मान के नाम पर पिता ने की बेटी की हत्या

काबुल। अफगानिस्तान के बगढीश प्रांत में प्रेमी के साथ भागी विवाहिता की पंचो के फरमान पर उसके पिता ने तीन सौ से अधिक तमाशबीनों की भीड1 के बीच गोली मारकर हत्या कर दी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को अबकमरी जिले मेंउत्तर पश्चिम में सुदुर अभावग्रस्त कूकचचील गांव में दो बच्चों की मां हलीमा (18) पति के ईरान जाने के बाद अपने चचेरे भाई के साथ भाग गई, लेकिन उसका प्रेमी दस दिन बाद उसे उसके घर कूकचचील गांव में छोड़ गया।

लड़की के पिता ने घर लौटी बेटी के मामले में पंचायत के वरिष्ठ सदस्यों से सलाह ली। मामला गांव के बूढे-बुजुर्गो तक पहुंचा तो लड़की के व्यवहार से गुस्सा गए और तीन बुजुर्ग नेताओं ने लड़की के खिलाफ फतवा जारी करके उसे सार्वजनिक स्थल पर गोली मारने का फरमान सुना दिया। पंचों का कहना है कि युवती ने पति की गैरमौजूदगी में घर से भागकर अपने परिवार की प्रतिष्ठा को कलंकित किया है।

पंचों ने हालीमा के इस अपराध को जघन्य बताया और कहा कि यह युवती के माता पिता तथा ससुराल पक्ष दोनों के लिए अपमानित करने वाली घटना है। इसलिए उसे कड़ी सजा दी जानी चाहिए। सम्मान के लिए अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ अत्याचार की इस तरह की घटनाएं लगातार होती रहती हैं। हाल के वर्षो में देश में हुई इस तरह की कई घटनाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मीडिया की सुर्खियां बनी थीं।

गत वर्ष नवंबर में कुंडुज जिले के इमाम साहिब में एक किशोरी का चाकू से गला रेत दिया गया था। पंद्रह वर्षीय लड़की की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने परिवार के सदस्यों के खिलाफ अपनी मर्जी से विवाह करने का निर्णय लिया था। इसी तरह के एक अन्य मामले में तालिबान आतंककारियों ने पिछले वर्ष जुलाई में एक 22 वर्षीय युवती का सिर कलम कर दिया था। तालिबान आतंककारियों के साथ त्रिकोणीय प्रेम संबंध के कारण उसकी हत्या की गई। इस हत्या का विडियो बनाया गया थाजिसके फुटेज दिखाए गए थे।