गुरुवार, 2 मई 2013

सरहदी गांवों में मनरेगा बेमानी, रोजगार को मोहताज ग्रामीण


सरहदी गांवों में मनरेगा बेमानी, रोजगार को मोहताज ग्रामीण 

गडरारोड



मनरेगा से जरूरतमंद लोगों को रोजगार मुहैया करवाने के दावे सरहदी गांवों में बेमानी साबित हो रहे हैं। करीब एक दर्जन अकालग्रस्त गांवों में मनरेगा से एक भी कार्य स्वीकृत नहीं है। इसके चलते ग्रामीणों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। ताज्जुब की बात यह है कि जॉबकार्ड धारकों ने रोजगार की डिमांड कर रखी है, मगर प्रशासन की लापरवाही के चलते जरूरतमंद लोगों को रोजगार के लिए तरसना पड़ रहा है। अकाल के चलते लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। तहसील क्षेत्र के करीम का पार, लालासर, द्राभा, पूंजराज का पार, समद का पार, डोकर, सरगुवाला समेत एक दर्जन गांवों के लोगों के लिए मनरेगा योजना दूर की कौड़ी साबित हो रही है। अकाल की मार झेल रहे ग्रामीणों के सामने सबसे बड़ी चुनौती रोजगार की है। नजदीक क्षेत्र में रोजगार नहीं मिलने से ग्रामीण मजबूरन दूर दराज के गांवों में दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर है। जबकि मनरेगा योजना के तहत प्रत्येक पंचायत में डिमांड के अनुसार करोड़ों रुपए का बजट आवंटित किया जा रहा है। सरहदी गांवों के लोगों की पीड़ा को प्रशासन समझ नहीं पा रहा है। नतीजतन लोगों को रोजगार के लाले पड़ रहे हैं। द्राभा गांव के ग्रामीण बताते हैं कि गांव में एक भी मनरेगा से कार्य स्वीकृत नहीं है। नजदीक के गांव व ढाणियों में भी कार्य मंजूर नहीं होने पर रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। डोकर गांव के खेतसिंह सोढ़ा ने बताया कि प्रशासन की अनदेखी के चलते मनरेगा कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। इस संबंध में ग्राम सेवक व सरपंच को कई बार अवगत करवाने के बावजूद कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। बीपीएल परिवारों को भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस स्थिति में पलायन की नौबत आ गई है।

फिर जाएं तो जाएं कहां: सरहदी गांवों में सरकारी योजनाओं के तहत कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं। जबकि अन्य पंचायतों के प्रत्येक राजस्व गांव में कार्य स्वीकृत किए जा रहे हैं। ग्राम पंचायत खानियानी के पूर्व सरपंच जबल खां ने बताया कि करीम का पार, लालासर में बीते कई सालों से मनरेगा के कार्य बंद है। जॉबकार्ड धारक ग्राम सेवक के पीछे चक्कर काटते काटते थक चुके हैं। अकाल की घड़ी में लोगों के लिए दो जून की रोजी रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है। प्रशासन की अनदेखी का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।

मशीनों से कार्य, जॉबकार्ड ठेके पर: कई ग्राम पंचायतों में तो मनरेगा से स्वीकृत कार्य मशीनों से करवाए जा रहे हैं। जॉब कार्ड पंचायत के कार्मिकों ने ठेके पर ले रखे है। मस्टररोल में फर्जी नाम अंकित कर भुगतान उठाया जा रहा है। ग्राम पंचायत खानियानी, खबडाला में लंबे अर्से से श्रमिकों के जॉबकार्ड के आधार पर कार्य मशीनों से करवाया जा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि सरपंच व ग्रामसेवक अपने ही स्तर पर कार्य करवा रहे हैं।

अकाल त्रासदी 



एक दर्जन गांवों में एक भी कार्य स्वीकृत नहीं, फिर कैसे मिलेगा रोजगार, प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे है बेकसूर
॥सरहदी गांवों में सरकारी योजनाएं विफल साबित हो रहे हैं। अकाल पीडि़तों को रोजगार के लिए तरसना पड़ रहा है। प्रशासन ग्रामीणों को रोजगार मुहैया करवाने को तैयार ही नहीं है। डिमांड देने के बावजूद भी कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं।  उगमसिंह, सोढ़ा द्राभा 

॥रोजगार मुहैया करवाने की सरकार की मंशा के बावजूद प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। अगर समय रहते अकालग्रस्त गांवों में मनरेगा से कार्य स्वीकृत नहीं किए गए तो आंदोलन किया जाएगा।
दशरथ मेघवाल, पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष भाजपा शिव
॥डिमांड पर रोजगार मुहैया करवाना अनिवार्य है। इस संबंध में रिपोर्ट मंगवाई जाएगी। ग्रामीणों की ओर से डिमांड दी गई है तो संबंधित ग्राम सेवकों को निर्देश दिए जाएंगे।
 एल.आर. गुगरवाल, सीईओ जिप

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