पाक की जिद ने ली सरबजीत की जान
लाहौर/नई दिल्ली। भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए। करीब एक हफ्ते से लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती सरबजीत ने देर रात अस्पताल में दम तोड़ दिया।
मेडिकल बोर्ड के महमूद शौकत ने बताया कि उन्हें देर रात करीब एक बजे जिन्ना अस्पताल में डयूटी पर तैनात डॉक्टर ने बताया कि सरबजीत सिंह नहीं रहे। इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने बताया कि जिन्ना अस्पताल के अधिकारियों ने उन्हें सरबजीत की मौत के बारे में जानकारी दी। बताया जा रहा है कि सरबजीत सिंह की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई है।
26 अप्रेल को लाहौर की कोट लखपत जेल में सरबजीत पर कातिलाना हमला हुआ था। हमले में वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनके सिर में गंभीर चोट लगी थी। इस कारण वह नॉन रिवर्सिबल कोमा में चले गए थे।
सरबजीत की तबीयत में जब सुधार नहीं हो रहा था तो परिजन और भारत सरकार लगातार पाकिस्तान से अपील करते रहे कि उसे इलाज के लिए भारत या किसी अन्य देश भेज दिया जाए लेकिन उसने एक नहीं सुनी। पाकिस्तान इस बात पर अड़ा रहा कि इलाज वहीं होगा। पाकिस्तान की इसी जिद ने उनकी जान ले ली।
हमला करने वाले जेल के ही कैदी थी। आरोपी रिजवान और आमिर के खिलाफ हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया गया था। सरबजीत सिंह को 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का दोषी करार दिया गया था। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी।
28 अगस्त 1990 को सरबजीत गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे। पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के आठ दिन बाद पुलिस ने उन पर लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का आरोप लगाया। 1990 से ही वह लाहौर की कोट लखपत जेल में कैद थे। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। कई बार उनकी फांसी टल गई। उनकी ओर से पांच दया याचिकाएं दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरबजीत की फांसी की सजा को बरकरार रखा।
मार्च 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी फांसी की सजा पर पुर्नविचार के लिए दाखिल याचिका खारिज कर दी थी। मामले पर सुनवाई के दौरान उनके वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए इसलिए याचिका खारिज कर दी गई। 3 मार्च 2008 को तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उनकी दया याचिका खारिज कर दी। 26 जून 2012 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने सरबजीत को रिहा करने का फैसला किया लेकिन कुछ घंटे बाद ही अपना फैसला बदल लिया क्योंकि जमात ए इस्लामी और जमात उद दावा ने कड़ा एतराज जताया था। पाकिस्तान की सरकार ने सफाई दी कि सरबजीत नहीं बल्कि सुरजीत सिंह को रिहा किया जा रहा है।
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