बुधवार, 28 मार्च 2012

दोस्‍तों ने कपड़े फाड़ नंगा किया, फिर 40 जगह चाकू गोद कर ले ली जान


 
बेंगलौर. यहां एक लड़के की उसके ही चार दोस्‍तों ने बेरहमी से हत्‍या कर दी। इस सनसनीखेज वारदात को अंजाम देने वालों ने हत्‍या के बाद लाश को एक चर्च के समीप फेंक दिया और फरार हो गए। आठवीं में पढ़ने वाला यह लड़का जब स्‍कूल से घर नहीं लौटा तो उसके परिवार वालों ने उसकी तलाश शुरू की।

क्‍यों हुई हत्‍या?
पुलिस का दावा है कि 12 साल के अभिषेक की उसके चार दोस्‍तों ने ही हत्‍या की है। कुछ दिन पहले अभिषेक ने अपने दोस्‍तों से पानी मांगा तो वो गंदा पानी ले जाए। इस पर अभिषेक ने उनकी जमकर पिटाई कर दी। इससे पहले भी अभिषेक उनकी कई बार पिटाई कर चुका था। उसके दोस्‍त इस अपमान का बदला लेना चाहते थे।

राहगीर ने दी पुलिस को खबर
इत्‍तामदु इलाके में कुवेम्‍पू कॉलोनी में रहने वाला ई. अभिषेक स्‍थानीय सरकारी स्‍कूल में आठवीं का स्‍टूडेंट था। सोमवार को शाम साढ़े चार बजे वह स्‍कूल से घर के लिए निकला। देर शाम तक घर नहीं पहुंचने पर घर वालों ने थोड़ी बहुत तलाश की फिर यह सोचा कि किसी रिश्‍तेदार या दोस्‍त के घर चला गया होगा और सुबह तक घर लौट आएगा। हालांकि मंगलवार को सुबह एक राहगीर ने अभिषेक के घर से डेढ़ किलोमीटर दूर येसु बेट्टा चर्च के पास उसकी लाश देखी और पुलिस को खबर दी।

स्‍थानीय लोगों का कहना है कि अभिषेक अकसर अपने दोस्‍तों के साथ झगड़ता रहता था। हालांकि एक चश्‍मदीद ने कहा, ‘अभिषेक सोमवार की शाम अपने चार दोस्‍तों के साथ लड़ता दिखाई दिया था। वह अपने दोस्‍तों को पास के झील में नहाने से मना कर रहा था लेकिन उसके दोस्‍त ऐसा करने के लिए मजबूर करने लगे तो अभिषेक ने अपने दोस्‍तों की छड़ी से पिटाई कर दी।



उस वक्‍त अभिषेक के दोस्‍तों ने कुछ नहीं कहा। उन्‍होंने झील जाने का प्‍लान कैंसिल कर दिया और पास की एक दुकान से सॉफ्ट ड्रिंक की दो बोतलें खरीदी और इसे पी लिया। इसके बाद वो अभिषेक को हनुमागिरी बेट्टा की तरफ ले गए। वहां उसने अभिषेक के कपड़े फाड़े और चाकुओं से कई वार किए।


एसीपी एच वीरभद्र गौड़ा के मुताबिक मारपीट और हत्‍या के आरोपी लड़कों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

जमीन मामलाः हाईकोर्ट में रिट करेगी सरकार

बाड़मेर में पाकिस्तान के सीमावर्ती प्रतिबंधित क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जमीन की खरीद-फरोख्त व नामांतरण के मामले में राजस्व मंडल से मिली नाकामी के बाद अब राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में रिट दायर करने का फैसला किया है।


राज्य के राजस्व महकमे ने मंगलवार को बाड़मेर जिला प्रशासन को पत्र भेजकर इस मामले में हाईकोर्ट में रिट दायर करने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले राजस्व मंडल की एकलपीठ के सदस्य बीएल नवल ने राज्य सरकार के खिलाफ दायर निगरानी व अपीलें मंजूर करते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों की जमीनों के नामांतरण कुछ लोगों के पक्ष में किए जाने को सही ठहराया था।


इस फैसले के खिलाफ सरकार ने विशेष अपील पेश करने बाबत अनुमति दिए जाने के लिए सदस्य बीएल नवल के समक्ष अर्जियां पेश की, इन्हें भी उन्होंने खारिज कर दिया और सरकार को विशेष अपील की अनुमति नहीं मिली। राजस्व मंडल से प्रकरण में राहत नहीं मिलने व संवेदनशील मामला होने की वजह से सरकार ने अब हाईकोर्ट में रिट दायर करने का निर्णय किया है।


मंडल से रिकार्ड भेजना शुरू


राजस्व मंडल के राजकीय अधिवक्ता कार्यालय ने इस प्रकरण से जुड़ा रिकार्ड बाड़मेर भिजवाना शुरू कर दिया है। राजस्व मंडल में प्रकरण की सुनवाई के समय मामलों से जुड़ी पत्रावली व रिकार्ड यहां आ गया था। कलेक्टर बाड़मेर ने रिकार्ड वापस मंगवाने के लिए निर्देश जारी किए थे।


बॉर्डर बेचान का फ्लैश बैक


सीमावर्ती जिले बाड़मेर में वर्ष करीब छह साल पहले प्रतिबंधित क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जमीनों की खरीद फरोख्त हुई थी। कई हजार बीघा जमीन की खरीद फरोख्त में वास्तविक खरीदारों के बजाय एक कंपनी द्वारा भुगतान के तथ्य उजागर हुए थे। केंद्र सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्र को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया हुआ है और इसके लिए गजट नोटिफिकेशन भी जारी हुआ था।


प्रतिबंधित क्षेत्र में हुई खरीद-फरोख्त को तब विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बनाकर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बताते हुए कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद तत्कालीन कई उप पंजीयकों को चार्जशीट भी दी गई थी। कई फौजदारी मुकदमे भी दर्ज हुए थे। सरकार की ओर से विवादित बेचाननामों को निरस्त कराने के लिए सिविल कोर्ट में दायर किए गए वाद अब भी लंबित हैं।


इधर जिन लोगों के नाम जमीन खरीदी गई थी उन्होंने अपने नाम नामांतरण खुलवाने के लिए संबंधित तहसीलदारों के समक्ष आवेदन कर दिए। कुछ नामांतरण खोल दिए गए व अधिकांश इस आधार पर खारिज कर दिए गए थे कि प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश पर पाबंदी है और इसलिए कोई अन्य व्यक्ति यहां जमीन का कब्जा नहीं ले सकता है। नामांतरण को लेकर मुकदमेबाजी शुरू हुई व निचली राजस्व अदालतों से सभी नामांतरण निरस्त हो गए।


इसके खिलाफ राजस्व मंडल में 334 प्रकरण दायर हुए जिसमें निगरानी याचिका व अपीलें शामिल है। एकलपीठ के सदस्य बीएल नवल ने सरकार के खिलाफ पिछले साल 14 अक्टूबर व इसके बाद दो फैसले दिए और नामांतरणों को वैध ठहराया। सरकार ने एकलपीठ के इस फैसले के खिलाफ राजस्व मंडल में ही विशेष अपील दायर की और इसकी अनुमति के लिए राजस्थान भू राजस्व कानून की धारा 10 के तहत सदस्य बीएल नवल से अनुमति दिए जाने की प्रार्थना की गई। लेकिन सदस्य बीएल नवल ने इस साल 25 जनवरी को सरकार की अर्जियां नामंजूर करते हुए विशेष अपील की अनुमति नहीं दी। अनुमति नहीं दिए जाने के पीछे मुख्य वजह अपील को निर्धारित समयावधि से कुछ देरी से पेश करना माना गया।

इश्क में तोड़ दी रिश्ते की दीवार, भाई-बहन ने रचाया ब्याह!

हिसार.शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर धमाना गांव में एक ही कुनबे के दो चचेरे-भाई बहनों ने शादी कर ली। घर से भागकर दिल्ली के आर्य समाज मंदिर में शादी की गई। इन दो भाइयों की नाते में ही दो बहनों के साथ शादी की खबर फैलते ही गांव में हंगामा हो गया। रविवार को गांव के स्कूल में धानक समाज के लोगों की पंचायत हुई।
 
इसमें जिन भाई-बहनों ने शादी की उनके पूरे कुनबे का सामाजिक बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया गया। इसके साथ पंचायत ने उन्हें 15 दिन का अल्टीमेटम दिया वे कि गलती सुधार लें। उन्होंने ऐसा नहीं किया तो सामाजिक बहिष्कार ताउम्र रहेगा। अब गांव के अन्य समुदायों के लोग भी इसी मसले में पंचायत करने की तैयारी में हैं।


इधर, शादी करने वाले दोनों जोड़ों को पुलिस सुरक्षा प्रदान कर दी गई है। उन्होंने जिला प्रोटेक्शन अधिकारी से सुरक्षा मांगी थी। दोनों जोड़ों को कुछ दिन प्रोटेक्शन हाउस में रखा गया। चारों के घरवाले भी शादी के विरोध में हैं। उनका कहना है कि शादी करने के लिए चारों ने अपने रिश्ते के सच को छुपा रखा था।

दिल्ली में की थी शादी


नरेश और संतोष ने घर से भाग कर 21 नवंबर 2011 को दिल्ली के जमुना बाजार स्थित आर्य समाज वैदिक मैरिज मंडल में शादी की थी। इसी दौरान श्रीनिवास और नरेश की बहन पूनम ने शादी की थी। ढाई महीने घर से बाहर रहने के बाद उन्होंने हिसार आकर सुरक्षा की गुहार लगाई थी।


ऐसे है रिश्ता

सुरतलाल के दो बेटे छपार गांव से आकर धमाना गांव में बसे हैं। रामप्रसाद और प्यारेलाल। धनाना में दोनों की ससुराल है। दोनों की पत्नियां बहनें हैं। रामप्रसाद का बेटा है राजकुमार। प्यारेलाल के दो बेटे जगदीश और जगमोहन। राजकुमार के बेटे नरेश ने जगमोहन की बेटी संतोष के साथ विवाह किया। जबकि जगदीश के बेटे श्रीनिवास ने राजकुमार की बेटी पूनम के साथ विवाह किया है। नरेश और श्रीनिवास दोनों ट्रक चालक हैं। संतोष आठवीं पास है और पूनम नौवीं पास।





घटना को निंदनीय बताया





गांव में जो घटना हुई है वह निंदनीय है। इससे भाई बहन के रिश्ते की मर्यादा तार तार हुई है। इस मामले को लेकर रविवार को धानक समाज की बैठक भी हुई थी। बैठक में युवक युवतियों के परिवार वालों का सामाजिक बहिष्कार किया गया है।





-मनोज यादव, सरपंच प्रतिनिधि, धमाना।

कायम है विश्वास घंटियाली देवी मां के चमत्कार का

कायम है विश्वास  घंटियाली देवी मां के चमत्कार का

जैसलमेर। स्वर्णनगरी का सोनार दुर्ग बारीक नक्काशी व कलात्मक स्थापत्य कला के लिए जितना प्रसिद्ध है, उतना ही देवी-देवताओं के मंदिरों के लिए विख्यात है। दुर्ग स्थित देवी मंदिरोे में से एक घंटियाली देवी का मंदिर भी जन-जन की आस्था का केन्द्र है। दुर्ग के दशहरा चौक में स्थित इस मंदिर के प्रति दुर्गवासियों में प्रगाढ़ आस्था है। नवरात्रा के दिनों में तो लोगों की भक्ति व आस्था का सैलाब उमड़ता है।

शक्ति स्वरूप मां घंटियाली के प्रति लोगों की इतनी निष्ठा है कि वे दुर्ग से रवाना होते समय या किसी शुभ काम के लिए जाने से पूर्व देवी के दर्शन करना नहीं भूलते। इसके अलावा दुर्ग में बाबा रामदेव मंदिर व लक्ष्मीनाथ मंदिर के दर्शन करने आने वाले भक्त भी घंटियाली देवी के दर्शन अवश्य करते हैं। हालांकि मंदिर में न तो कोई अत्याधुनिक सुविधाएं हैं और न ही वृहद स्वरूप, बावजूद इसके देवी के चमत्कारों पर लोगों का इतना विश्वास है कि वे यहां काफी देर तक बैठ कर पूजा-अर्चना करते हैं। लोगोे को विश्वास है कि विपत्ति या परेशानियों के समय घंटियाली माता की कृपा से सारे दु:ख दूर हो जाते हंै और परिवार की रक्षा होती है।

भक्तों को इस देवी मां पर विश्वास है कि सच्चे मन से उसकी आराधना की जाए तो मां चमत्कारिक रूप से उनके दुख-दर्द और संकटों का समाधान कर देती है। दशहरा चौक में खड़े होकर राजप्रासाद को निहारने के दौरान मंदिर में बजने वाली घंटियों से अचानक ही सैलानियों का ध्यान बंट जाता है।

वे संबंधित गाइड से मंदिर के बारे में जानकारी लेते हैं तथा देवी के प्रति लोगों की आस्था के बारे में सुनकर देवी को नमन करना नहीं भूलते। चैत्र नवरात्रा के दौरान इन दिनों मंदिर में श्रद्धालुओं की रेलमपेल दिन भर बनी रहती है। हालांकि गत कुछ समय से यहां धार्मिक आयोजन नहीं हो पा रहे हैं, बावजूद इसके माता के नियमित दर्शन करने वृद्ध महिलाओं, युवाओं व बच्चों की रेलमपेल दिन भर बनी रहती है।

जहर खाया था बारां की तीनों छात्राओं ने

जहर खाया था बारां की तीनों छात्राओं ने

कोटा। बारां में पिछले साल सामूहिक आत्महत्या करने वाली केन्द्रीय विद्यालय की तीनों छात्राओं ने जहर खाया था। विधि विज्ञान प्रयोगशाला [एफएसएल] कोटा की जांच में यह खुलासा हुआ है। एफएसएल के सोनोटोक्सोलोजी विभाग ने हाल ही जांच कर रिपोर्ट बारां पुलिस को सौंप दी। 14 नवम्बर, 2011 को बारां केन्द्रीय विद्यालय की छात्रा अक्षिता, ईशा व गार्गी ने विषाक्त पदार्थ खाकर खुदकशी कर ली थी। पुलिस जांच में आत्महत्या का कारण पढ़ाई का बोझ बताया था।

मामले में पुलिस ने तीनों छात्राओं के विसरा व उल्टियां जांच के लिए एफएसएल भेजी थी। प्रकरण में एफएसएल जांच रिपोर्ट जल्दी देने के लिए बारां एसपी ने एफएसएल को अर्द्धशासकीय पत्र भी लिखा था। एक तकनीकी कर्मचारी नहीं होने से करीब तीन माह से यह मामला एफएसएल में अटका था। हाल ही जयपुर से यह कार्मिक लगाने के बाद जांच शुरू हुई और तत्काल रिपोर्ट तैयार कर दी गई।

पुरूष के कान चबाने वाली को जेल

पुरूष के कान चबाने वाली को जेल

लंदन। ब्रिटेन में पुरूष के कान चबाने वाली एक महिला को 15 माह जेल की सजा सुनाई गई है। महिला बैंक प्रबंधक के पद पर कार्यरत है। अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि उसने पुरूष के कान क्यों चबाए?

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सामंथा विलियम्स (28) नामक महिला ने गेरी बेडलर (39) पर एक होटल के बाहर हमला कर दिया, जहां वह अपने तीन पुरूष मित्रों के साथ पुरूषों के लिए ही आयोजित पार्टी में शराब पी रहे थे। उन्होंने मैनकिनी (पुरूषों का स्विम सूट) पहन रखी थी।

विलियम्स का एक मित्र पार्टी में मौजूद लोगों से बातचीत कर रहा था। इसी बीच विलियम्स ने बेडलर पर हमला कर दिया और उनकी बाई कान चबा गई। बेडलर को अस्पताल ले जाया गया। लेकिन डॉक्टर शरीर से अलग हो चुके उनके कान नहीं जोड़ सके। विलियम्स को बाद में पुलिस ने ढूंढ़ निकाला और गिरफ्तार कर लिया। बॉर्नमाउथ क्राउन कोर्ट ने उसे इस मामले में 15 माह की सजा सुनाई है।

राजस्थान दिवस प्रदर्शनी का उद्घाटन




राजस्थान दिवस प्रदर्शनी का उद्घाटन



जिला प्रमुख एवं कलेक्टर ने किया विकास प्रदर्शनी का अवलोकन



जैसलमेर  राजस्थान दिवस के उपलक्ष में जैसलमेर सूचना केन्द्र में सप्ताह भर की राजस्थान विकास प्रदर्शनी मंगलवार से आरंभ हुई। जिला प्रमुख अब्दुला फकीर एवं कलेक्टर एम.पी.स्वामी ने फीता काट कर तथा सरस्वती की तस्वीर के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर सप्ताह भर तक चलने वाली इस प्रदर्शनी का विधिवत् उद्घाटन किया।

इस अवसर पर जिला पुलिस अधीक्षक ममता विश्नोई, नगर विकास न्यास के अध्यक्ष उम्मेद सिंह तंवर, पंचायत समिति जैसलमेर के प्रधान मूलाराम चौधरी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद जे.एन.मथूरिया, अतिरिक्त कलेक्टर परशुराम धानका, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गणपत लाल, वरिष्ठ साहित्यकार दीनदयाल ओझा, वरिष्ठ इतिहासकार नंद किशोर शर्मा के साथ ही समाजसेवी राणसिंह चौधरी, गाजीखां कंधारी, सरस्वती छंगाणी, प्रेमलता चौहान, रामकंवर देवड़ा, देवकी राठौड़, दीनदयाल तंवर, चौधरी हरिराम कड़वासरा, जैसलमेर विकास समिति के सचिव चन्द्र प्रकाश व्यास सहित विभिन्न गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

जिला प्रमुख अब्दुला फकीर एवं कलेक्टर एम.पी.स्वामी ने प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद कहा कि इस प्रदर्शनी में वर्तमान सरकार की तीन वर्ष की उपलब्धियोंं के साथ ही राजस्थान के इतिहास, लोकसंस्कृति एवं महापुरुषों एवं स्वतंत्रता सैनानियों के जो रंगीन छायाचित्र प्रदर्शित किए गए हैं जो युवा पीढ़ी के लिए बहुत ही ज्ञानवद्र्घक हैं। उन्होंने इन दुर्लभ चित्रों को संभाल कर रखने की आवश्यकता जताई।

जिला पुलिस अधीक्षक ममता विश्नोई ने कहा कि यह प्रदर्शनी आज की पीढ़ी को राजस्थान के गौरव की स्वर्णिम गाथा बताने में सक्षम है। उन्होंने इस प्रदर्शनी की सराहना की एवं कहा कि इस प्रदर्शनी को महाविद्यालय एवं विद्यालय के छात्र-छात्राओं को अवलोकन करवाएं।

इस प्रदर्शनी में राजस्थान के इतिहास, लोक संस्कृति,महापुरूषों ,स्वतंत्रता सैनानियों, बुनियादी विकास की गतिविधियों ,वर्तमान सरकार द्वारा प्रारंभ किए गए एतिहासिक जन कल्याणकारी कार्यक्रमों ,सरकार की उपलब्धियों पर केन्द्रित फोटोग्राफ्स एवं चार्ट्स आदि के प्रदर्शन के साथ ही जैसलमेर के स्वतंत्रता सैनानियों ,इतिहास पुरुषों ,मुख्यमंत्री की जैसलमेर यात्रा से संबंधित रंगीन छायाचित्र प्रदर्शित किए गए हैं। इस प्रदर्शनी में जैसलमेर जिले में प्रभारी मंत्री के साथ ही विभिन्न मंत्रियों द्वारा किए गए विकास कार्यो के उद्घाटन एवं शिलान्यास समारोह से संबंधित रंगीन छायाचित्र एवं जैसलमेर जिले में हुए विकास कार्यो से संबंधित छायाचित्र प्रदर्शित किए गए हैं।

प्रदर्शनी उद्घाटन समारोह के अवसर पर क्षेत्रीय उपनिदेशक महिला एवं बाल विकास कमला शर्मा, जिला साक्षरता एवं सत्त शिक्षाधिकारी मोहनलाल बारुपाल, आसूचना विज्ञान अधिकारी नवीन माथुर, उपवन संरक्षक विश्व खा़द्य कार्यक्रम आर.के.जैन, सहायक वन संरक्षक रेवंत सिंह गोदारा, उपवन संरक्षक करणसिंह आदि उपस्थित थे।

सूचना एवं जन संपर्क विभाग के ईश्वरदान कविया ने अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रदर्शनी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विभााग की ओर से शिवलाल शर्मा ,ओम प्रकाश पंवार ने प्रदर्शनी के सफल आयोजन में सहयोग प्रदान किया एवं अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। सूचना केन्द्र में लगी यह प्रदर्शनी आगामी 2 अप्रैल तक सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक आमजन के अवलोकन के लिए खुली रहेगी।

आठवीं अनुसूची के लिए राजस्थानी समेत तीन दर्जन भाषाओं के प्रस्ताव

जयपुर/नई दिल्ली .देश के अलग-अलग हिस्सों में बोली जाने वाली करीब 3 दर्जन से अधिक ऐसी भाषाएं हैं, जिन्हें संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव-अनुरोध सरकार को विभिन्न राज्यों व प्रतिनिधिमंडलों की ओर से हासिल हुआ है। लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह जवाब दिया है।

इसमें कहा गया है कि इनमें से छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से छत्तीसगढ़ी, हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से भोटी और राजस्थान सरकार की ओर से राजस्थानी भाषा को शामिल करने का अनुरोध हासिल हुआ है। अपने जवाब में मंत्रालय ने यह भी कहा है कि इन्हें अनुसूची में शामिल करने की कोई समय सीमा निश्चित नहीं है।


मंत्रालय ने कहा है कि अंगिका, बंजारा, बजिका, भोजपुरी, भोटी, भोटिया, बुंदेलखंडी, छत्तीसगढ़ी, धात्की, अंग्रेजी, गढ़वाली, गोंदी, गुज्जर-गुज्जरी, हो, कच्चाची, कामतापुरी, कारबी, खासी, कोडवा (कूरज), कोक बराक, कुमांउनी, कुरक, कुरमाली, लेपचा, लिंबू, मिजो (लुसाई), मगही, मुंदरी, नागपुरी, निकोबरसी, पहाड़ी हिमाचली, पाली, राजस्थानी, संबलपुरी-कोसाली, शौरेसनी (प्राकृत), सिराइकी, तेनयीदी और तुलु भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव राज्य सरकार या फिर इन भाषाओं के समर्थकों व अन्य प्रतिनिधिमंडलों से हासिल हुआ है।

समय सीमा

अपने जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि संविधान में आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए कोई मानदंड नहीं बताए गए हैं। जवाब में कहा गया है कि इन्हें अनुसूची में शामिल करने की कोई समय सीमा नहीं बताई जा सकती है।

राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिली तो करेंगे आंदोलन: भंडारी


राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिली तो करेंगे आंदोलन: भंडारी

बालोतरा अखिल भारतीय राजस्थानी मान्यता संघर्ष समिति के अंतर्राष्ट्रीय संयोजक प्रेम भंडारी ने कहा कि राजस्थानी भाषा की मांग 1944 में जयनारायण व्यास ने उठाई थी। पदम श्री कन्हैयालाल सेठिया ने भी लूंठा प्रयास किया। बीकानेर के तत्कालीन महाराजा ने भी राजस्थानी भाषा के लिए प्रयास किया। 25 अगस्त 2003 को राजस्थानी भाषा के लिए प्रस्ताव पारित किया गया। संविधान की 8 वीं अनुसूची में पात्रता के लिए राजस्थानी भाषा व भोजपुरी के लिए बजट सत्र में भी प्रावधान की उम्मीद है। भंडारी स्थानीय रेस्ट हाउस में पत्रकारों से बात कर रहे थे। भंडारी ने बताया कि बीकानेर सांसद अर्जुन मेघवाल, अमेरिका के राजदूत ए पीटर, पाली सांसद बद्रीराम जांखड़ आदि राजस्थानी को मान्यता दिलाने के लिए सहयोग कर रहे हैं। भंडारी ने कहा कि राजस्थानी 10 हजार वर्ष पुरानी समृद्ध भाषा है। राजस्थान सहित अन्य प्रांतों के करीब 10 करोड़ लोग राजस्थानी को समझते हैं। राजस्थानी को जब तक मान्यता नहीं मिलेगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि राजस्थानी भाषा को 8 वीं अनुसूची में सम्मिलित नहीं किया गया तो विदेशी धरती पर भी आंदोलन किया जाएगा।

प्रेस वार्ता से पूर्व भंडारी का डाक बंगले में पुरस्कृत शिक्षक फोरम के जिलाध्यक्ष सालगराम परिहार, जिला संयोजक राणीदान रावल, सचिव हीरालाल प्रजापत प्रजापत आदि ने स्वागत किया।

31 को न्यूयार्क रवाना : प्रेम भंडारी 31 मार्च को न्यूयार्क के लिए रवाना होंगे। इससे पूर्व भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (जयपुर फुट) के कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। इसके अलावा 30 मार्च को राजस्थानी दिवस को लेकर आयोजित कार्यक्रम में भी भाग लेंगे।