बुधवार, 28 मार्च 2012

जमीन मामलाः हाईकोर्ट में रिट करेगी सरकार

बाड़मेर में पाकिस्तान के सीमावर्ती प्रतिबंधित क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जमीन की खरीद-फरोख्त व नामांतरण के मामले में राजस्व मंडल से मिली नाकामी के बाद अब राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में रिट दायर करने का फैसला किया है।


राज्य के राजस्व महकमे ने मंगलवार को बाड़मेर जिला प्रशासन को पत्र भेजकर इस मामले में हाईकोर्ट में रिट दायर करने के निर्देश दिए हैं। इससे पहले राजस्व मंडल की एकलपीठ के सदस्य बीएल नवल ने राज्य सरकार के खिलाफ दायर निगरानी व अपीलें मंजूर करते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों की जमीनों के नामांतरण कुछ लोगों के पक्ष में किए जाने को सही ठहराया था।


इस फैसले के खिलाफ सरकार ने विशेष अपील पेश करने बाबत अनुमति दिए जाने के लिए सदस्य बीएल नवल के समक्ष अर्जियां पेश की, इन्हें भी उन्होंने खारिज कर दिया और सरकार को विशेष अपील की अनुमति नहीं मिली। राजस्व मंडल से प्रकरण में राहत नहीं मिलने व संवेदनशील मामला होने की वजह से सरकार ने अब हाईकोर्ट में रिट दायर करने का निर्णय किया है।


मंडल से रिकार्ड भेजना शुरू


राजस्व मंडल के राजकीय अधिवक्ता कार्यालय ने इस प्रकरण से जुड़ा रिकार्ड बाड़मेर भिजवाना शुरू कर दिया है। राजस्व मंडल में प्रकरण की सुनवाई के समय मामलों से जुड़ी पत्रावली व रिकार्ड यहां आ गया था। कलेक्टर बाड़मेर ने रिकार्ड वापस मंगवाने के लिए निर्देश जारी किए थे।


बॉर्डर बेचान का फ्लैश बैक


सीमावर्ती जिले बाड़मेर में वर्ष करीब छह साल पहले प्रतिबंधित क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जमीनों की खरीद फरोख्त हुई थी। कई हजार बीघा जमीन की खरीद फरोख्त में वास्तविक खरीदारों के बजाय एक कंपनी द्वारा भुगतान के तथ्य उजागर हुए थे। केंद्र सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्र को प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित किया हुआ है और इसके लिए गजट नोटिफिकेशन भी जारी हुआ था।


प्रतिबंधित क्षेत्र में हुई खरीद-फरोख्त को तब विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने बड़ा मुद्दा बनाकर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बताते हुए कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद तत्कालीन कई उप पंजीयकों को चार्जशीट भी दी गई थी। कई फौजदारी मुकदमे भी दर्ज हुए थे। सरकार की ओर से विवादित बेचाननामों को निरस्त कराने के लिए सिविल कोर्ट में दायर किए गए वाद अब भी लंबित हैं।


इधर जिन लोगों के नाम जमीन खरीदी गई थी उन्होंने अपने नाम नामांतरण खुलवाने के लिए संबंधित तहसीलदारों के समक्ष आवेदन कर दिए। कुछ नामांतरण खोल दिए गए व अधिकांश इस आधार पर खारिज कर दिए गए थे कि प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश पर पाबंदी है और इसलिए कोई अन्य व्यक्ति यहां जमीन का कब्जा नहीं ले सकता है। नामांतरण को लेकर मुकदमेबाजी शुरू हुई व निचली राजस्व अदालतों से सभी नामांतरण निरस्त हो गए।


इसके खिलाफ राजस्व मंडल में 334 प्रकरण दायर हुए जिसमें निगरानी याचिका व अपीलें शामिल है। एकलपीठ के सदस्य बीएल नवल ने सरकार के खिलाफ पिछले साल 14 अक्टूबर व इसके बाद दो फैसले दिए और नामांतरणों को वैध ठहराया। सरकार ने एकलपीठ के इस फैसले के खिलाफ राजस्व मंडल में ही विशेष अपील दायर की और इसकी अनुमति के लिए राजस्थान भू राजस्व कानून की धारा 10 के तहत सदस्य बीएल नवल से अनुमति दिए जाने की प्रार्थना की गई। लेकिन सदस्य बीएल नवल ने इस साल 25 जनवरी को सरकार की अर्जियां नामंजूर करते हुए विशेष अपील की अनुमति नहीं दी। अनुमति नहीं दिए जाने के पीछे मुख्य वजह अपील को निर्धारित समयावधि से कुछ देरी से पेश करना माना गया।

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