रविवार, 26 दिसंबर 2010

लोक व सुफी गायकी का पर्याय हैं फकीरा खान







लोक व सुफी गायकी का पर्याय हैं फकीरा खान

बाड़मेर: पश्चिमी राजस्थान की धोरा धरती की कोख से ऐसी प्रतिभाएं उभर कर सामने आई हैं, जिन्होंने ‘थार की थळी’ का नाम सात समंदर पार रोशन कर लोक गायिकी को नए शिखर प्रदान किए हैं। इसी कड़ी में एक अहम नाम है-फकीरा खान। लोक गायकी में सुफियाना अन्दाज का मिश्रण कर उसे नई उंचाईयां देने वाले लोक गायक फकीरा खान ने अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अपना एक मुकाम बनाया है।

राजस्‍थान के सीमावर्ती बाड़मेर जिले के छोटे से गांव विशाला में सन 1974 को मांगणियार बसर खान के घर में फकीरा खान का जन्‍म हुआ था। उनके पिता बसर खान शादी-विवाह के अवसर पर गा-बजाकर परिवार का पालन-पोषण करते थे। बसर खान अपने पुत्र को उच्च शिक्षा दिलाकर सरकारी नौकरी में भेजना चाहते थे ताकि परिवार को मुफलिसी से छुटकारा मिले, मगर कुदरत को कुछ और मंजूर था।

आठवीं कक्षा उर्तीण करने तक फकीरा अपने पिता के सानिध्य में थोड़ी-बहुत लोक गायकी सीख गए थे। जल्दी ही फकीरा ने उस्ताद सादिक खान के सानिध्य में लोक गायकी में अपनी खास पहचान बना ली। उस्ताद सादिक खान की असामयिक मृत्यु के बाद फकीरा ने लोक गायकी के नये अवतार अनवर खान बहिया के साथ अपनी जुगलबन्दी बनाई। उसके बाद लोक गीत-संगीत की इस नायाब जोड़ी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्‍होंने लोक संगीत की कला को सात समंदर पार ख्याति दिलाई। फकीरा-अनवर की जोड़ी ने परम्परागत लोक गायकी में सुफियाना अन्दाज का ऐसा मिश्रण किया कि देश-विदेश के संगीत प्रेमी उनके फन के दीवाने हो गए। फकीरा की लाजवाब प्रतिभा को बॉलीवुड़ ने पूरा सम्मान दिया।

फकीरा ने ‘मि. रोमियों’, ‘नायक’, ‘लगान’, ‘लम्हे’ आदि कई फिल्मों में अपनी आवाज का जलवा बिखेरा। फकीरा खान ने अब तक उस्ताद जाकिर हुसैन, भूपेन हजारिका, पं. विश्वमोहन भट्ट, कैलाश खैर, ए.आर. रहमान, आदि ख्यातिनाम गायकों के साथ जुगलबंदियां देकर अमिट छाप छोडी। फकीरा ने 35 साल की अल्प आयु में 40 से अधिक देशों में हजारों कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोक गीत-संगीत को नई उंचाइयां प्रदान की। फकीरा के फन का ही कमाल था कि उन्‍होंने फ्रांस के मशहूर थियेटर जिंगारो में 490 सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर राजस्थान की लोक कला की अमिट छाप छोड़ी।

फकीरा ने अब तक पेरिस, र्जमनी, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, इजरायल, यू.एस.ए बेल्जियम, हांगकांग, स्पेन, पाकिस्तान सहित 40 से अधिक देशों में अपने फन का प्रदर्शन किया। मगर, फकीरा राष्‍ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस पर वर्ष 1992, 93, 94, 2001, 2003 तथा 2004 में नई दिल्‍ली के परेड ग्राउंड में दी गई अपनी प्रस्तुतियों को सबसे यादगार मानते हैं।

फकीरा खान ने राष्‍ट्रीय स्तर के कई समारोहों में शिरकत कर लोक संगीत का मान-सम्मान बढ़ाया है। उन्होंने समस्त आकाशवाणी केन्द्रों, दूरदर्शन केन्द्रों, डिश चैनलों पर अपनी प्रस्तुतियां दी हैं।

फकीरा खान ने सितम्बर 2009 में जॉर्डन के सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘द सुफी फेस्टिवल’ में अपनी लोक गायिकी से धूम मचा दी। उनके द्वारा गाये राजस्थान के पारम्परिक लोक गातों के साथ सुफियाना अन्दाज को बेहद पसंद किया गया।

फकीरा लोक गीत-संगीत की मद्धम पड़ती लौ को जिलाने के लिए मांगणियार जाति के बच्चों को पारम्परिक जांगड़ा शैली के लोक गीतों, भजनों, लोक वाणी और सुफियाना शैली का प्रशिक्षण देकर नई पौध तैयार कर रहे हैं। फकीरा ने हाल में ही ‘वर्ल्‍ड म्यूजिक फैस्टिवल’, शिकागो द्वारा आयोजित 32 देशों के 57 ख्यातिनाम कलाकारों के साथ लोक संगीत की प्रस्तुतियां दे कर परचम लहराया। फकीरा खान को ‘दलित साहित्य अकादमी’ द्वारा सम्मानित किया गया। राज्य स्तर पर कई मर्तबा समानित हो चुके फकीरा खान के अनुसार, लोक संगीत खून में होता है, घर में जब बच्चा जन्म लेता है और रोता है, तो उसके मुंह से स्वर निकलते हैं।

उनके अनुसार, लोक गीत संगीत की जांगड़ा, डोढ के दौरान लोक-कलाकारों के साज बाढ में बह गए थे। फकीरा खान ने खास प्रयास कर लगभग दो हजार लोक कलाकारों को सरकार से निःशुल्क साज दिलाए।

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गुरुवार, 23 दिसंबर 2010

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भूमि अवाप्ति के विरोध में किसानो ने दी गिरफ्तारीया

जालीपा लिग्नाईट परियोजना के लिये



भूमि अवाप्ति के विरोध में किसानो ने दी गिरफ्तारीया दी
बाड़मेर। सीमावर्ती बाड़मेर जिला मुख्यालय पर राज्य सरकार द्वारा जालीपा लिग्नाईट परियोजना के लिये अवाप्त की जा रही 70 हजार बीघा भूमि अवाप्ति के विरोध में आज सैकडों किसानो ने जिला कलक्टर कार्यालय परिसर के आगे महापड़ाव के तीसरे दिन शाम 6 बजे सैकडों किसानों नें गिरफ्तारीया दी ।
किसान नेता राजपालसिंह पूनिया के नेतृत्व मे ंहजारों किसानों ने महापड़द्याव के साथ सैकडों किसानो ने जिला कलक्टर कार्यालय परिसर के आगे महापड़ाव के तीसरे दिन शाम 6 बजे सैकडों किसानों नें गिरफ्तारीया दी ।

किसान नेता राजपालसिह पूनिया ने बताया कि राज्य सरकार किसानों के हितों की अनदेखी कर रही है। किसान जिला मुख्यालय पर गत 23 दिनों से धरने पर बैठे है मगर सरकार किसानों की सुध नही ले रही है ना ही सरकार किसानों की मांगों के प्रति गंभीर है। सरकार की संवेदनहीनता से आहत किसानों ने रेलवे ट्रेक पर कब्जे का निर्णय लिया है। किसान अपनी मांगों के लिये हर तरह की कुर्बानी देने के लिए तैयार है। जिला मुख्यालय पर आज किसान संघ की ओर से किसानों के महापड़ाव का आहवान था मगर किसान संघ द्वारा महापड़ाव की शुरूआत के साथ ही रेलवे ट्रेक पर कब्जा करने के साथ आज शम को किसानों ने महिलाओं के साथ गिरफ्तारीया का आहवान किया तो सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिस बलों के कान खड़े हो गए तथा अफरा तफरी मच गई। किसानों नें भूमि अवाप्ति के विरोध में गिरफ्तारीया दी बाद में उन्हे जमानत पर रिहा कर दिया। किसानों ने एक स्वर में आर.एस.एम.एम. लि. तथा राज्य सरकार द्वारा जालीपा लिग्नाईट परियोजना के लिये अवाप्त की जा रही 70 हजार बीघा भूमि की अवाप्ति का जोरदार विरोध किया। महापड़ाव को राजेन्द्रसिह भीयाड़,मेहराराम राईका उगराराम डूडी, असरफ अली,लक्ष्मण वडेरा चिनेसर खान सहित कई नेताओं ने सम्बोधित किया।

मंगलवार, 21 दिसंबर 2010

जालीपा लिग्नाईट परियोजना के लिये भूमि अवाप्ति के विरोध में किसानो ने रेल्वे ट्रेक पर कब्जा किया




जालीपा लिग्नाईट परियोजना के लिये
भूमि अवाप्ति के विरोध में किसानो ने रेल्वे ट्रेक पर कब्जा किया।

बाड़मेर। सीमावर्ती बाड़मेर जिला मुख्यालय पर राज्य सरकार द्वारा जालीपा लिग्नाईट परियोजना के लिये अवाप्त की जा रही 70 हजार बीघा भूमि अवाप्ति के विरोध में आज हजारों किसानो ने जिला कलक्टर कार्यालय परिसर के आगे महापड़ाव आरम्भ कर कलेक्टर परिसर से महज दो कदम दूर स्थित रेलवे ट्रेक पर कब्जा कर लिया। किसान नेता राजपालसिंह पूनिया के नेतृत्व मे ंहजारों किसानों ने महापड़द्याव की घोषणा के साथ रेलवे ट्रेक फाटक संख्या 325 पर स्थित रेलवे ट्रेक पर कब्जा कर धरना आरम्भ कर दिया।वहीं किसानो नें बाडमेर जोधपुर के बीच चलने वाली रेल को ट्रेक पर रोक दस पर कबजा कर लियाएजिसके कारण रेल अपने निधोरित समय एक बजकर पचपन मिनट पर रवाना होने की बजाए दो बजकर चालीस मिनअ पर रवाना हो सकी।किसान रेल ें इंजन पर च गऐ पथा पूरे िउब्बों पर कब्जा कर लिया।लगभग चालीस मिनअ तक रेल को किसानों नें रोके रखा।बाद में जिला प्रशासन की समझाईस पर रेल से नीचे दतरे।
किसान नेता राजपालसिह पूनिया ने बताया कि राज्य सरकार किसानों के हितों की अनदेखी कर रही है। किसान जिला मुख्यालय पर गत 20 दिनों से धरने पर बैठे है मगर सरकार किसानों की सुध नही ले रही है ना ही सरकार किसानों की मांगों के प्रति गंभीर है। सरकार की संवेदनहीनता से आहत किसानों ने रेलवे ट्रेक पर कब्जे का निर्णय लिया है। किसान अपनी मांगों के लिये हर तरह की कुर्बानी देने के लिए तैयार है। जिला मुख्यालय पर आज किसान संघ की ओर से किसानों के महापड़ाव का आहवान था मगर किसान संघ द्वारा महापड़ाव की शुरूआत के साथ ही रेलवे ट्रेक पर कब्जा करने का आहवान किया तो सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिस बलों के कान खड़े हो गए तथा अफरा तफरी मच गई। समाचार लिखे जाने तक किसानों ने रेलवे ट्रेक पर अधिकार पर महापड़ाव शुरू कर दिया। किसानों ने एक स्वर में आर.एस.एम.एम. लि. तथा राज्य सरकार द्वारा जालीपा लिग्नाईट परियोजना के लिये अवाप्त की जा रही 70 हजार बीघा भूमि की अवाप्ति का जोरदार विरोध किया। महापड़ाव को राजेन्द्रसिह भीयाड़, उगराराम डूडी, असरफ अली,लक्ष्मण वडेरा चिनेसर खान सहित कई नेताओं ने सम्बोधित किया।

पीने के पानी का अधिकार दिया जाए

 कांग्रेस के 83वें महाअधिवेशन में बाड़मेर जैसलमेर के सांसद हरीश चौधरी ने भी संबोधित किया। चौधरी ने अपने संबोधन में युवा विकास, पीने के पानी का अधिकार, सांप्रदायिक सद्भाव पर जोर दिया। सांसद चौधरी ने कहा कि देश के कई बड़े सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आज भी पीने का पानी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। कई शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल नहीं मिल रहा है। जबकि पीने का पानी हर व्यक्ति की मौलिक आवश्यकता है। आज भारत का स्थान दुनिया में बहुत उच्च है। कई विश्व शक्तियां हमें संयुक्त राष्ट्र में स्थाई सदस्यता के लिए समर्थन कर रही है। ऐसे में हमें जाति धर्म से उठकर भारत देश के विकास के लिए कार्य करना चाहिए। चौधरी ने कहा कि हमारे देश में जीडीपी रेट बढ़ गई है। प्रधानमंत्री की आर्थिक नीतियों से देश आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहा है। उन्होंने कहा कि बाड़मेर जिले में नरेगा योजना में पचास हजार से अधिक टांके बने हैं, जो लोगों के लिए पेयजल संचय का महत्त्वपूर्ण स्त्रोत है। चौधरी ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के प्रभावी क्रियान्वयन की बात रखी ताकि लोगों को अधिकाधिक फायदा मिल सके।

रविवार, 19 दिसंबर 2010

happy birth day parul






 aaj meri pyari bitiya PARUL ka janm divas hai,dher sari shubh kamanae...badhai...today is birth day of my lovely daughter PARUL,

शनिवार, 18 दिसंबर 2010

barmernewstrack

अज्ञात व्यक्ति की लाश खेत में दबी मिली

बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर जिले के सदर थाना क्षैत्र के खेतसिंह की प्याउ गांव की सरहद पर एक खेत में आात व्यक्ति की लाश मिलने से क्षैत्र में सनसनी फैल गइ्र हैं।घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस दल सहित पुलिस अधीक्षक मौके पर पहॅच गऐं हैंपुलिस सुत्रों नें बताया कि शनिवार प्रात खेतसिंह की प्याद निवासी भूराराम नें सदर पुलिस को सूचित किया कि दसके क्षेत में एक लाश गडी होने का अन्देशा हैं।खेत के आसपास खून बिखरा पडा हैं।इस सूचना पर पुलिस दल ने मौके पर पहूॅच कर खेत में सें लाया को बाहर निकाला ।लाश एक सिख व्यक्ति की हैं।पुलिस ने ाव बरामद कर जॉच आरम्भ कर दी हैं।सूत्रों ने बताया कि कोई 24 घण्टों पहले ही दक्त व्यक्ति की हत्या कर लाश को जमीन में गाड दिया गया था।पुलिस मामले की जॉच में जुट गइ हेै।बाडमेर जिला मुख्यालय सें राष्ट्रिय राजमार्ग 15 धोरीमन्ना रोड पर 20 किलोमीटर दूर एक खेत में यह घटना हुई।पुलिस को मौके पर कई स्थानों पर खून के निशान मिले हैं।समाचार लिखे जाने तक पुलिस दल मौके पर कार्यवाही में जुटा थ।

बुधवार, 15 दिसंबर 2010

जब सीमावर्ती लोगों ने पाक के इरादे नाकाम किये









भारत पाक के मध्य तृतीय युद्ध 1971 

जब सीमावर्ती लोगों ने  पाक के इरादे नाकाम किये

चन्दन सिंह भाटी 

भारत पाक के मध्य तृतीय युद्ध 1971 में पाक की भीषण गोलाबारी सही हैं। पाक की गोलाबारी व बमबारी का जिस दृ़ता के साथ बाड़मेर से साहसी नागरिकों ने सामना किया था, वह इतिहास बन चुका हैं। सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों ने युद्ध के दौरान विशेष उत्साह दिखाया, वहीं सेना का मार्गदर्शन कर पाक को शिकस्त देने में मदद की।

आज जब भारत पाक सीमा पर तनाव का माहौल हैं। दोनों की सेनाएं अपने अपने शस्त्र संभाल मोर्चे पर तैनात हैं। आज फिर सीमावर्ती गांवो के जवानों की भुजाएं पाक से दो चार हाथ करने को फडफडा रही हैं। सीमावर्ती गांवो के लोगो ने 1971 के युद्ध में अविस्मरणीय यादें आज भी ताजा हैं। गांवो के बुजुर्गो ने बताया कि पाक ने पहली बार एक साथ 19 बम हवाई जवाज से उतरलाई स्टेशन पर गिराए इन बमों के फटने से कोई हानि नहीं हुई। भारतीय सैनिकों ने इसी दिन 3 दिसम्बर 1971 को एंटी एयर क्राफ्ट गनो से शत्रु को भगा दिया। इसके अलावा एक केबिन, प्याऊ व दुकान नष्ट हो गई। अगले दिन 4 दिसम्बर को सायं सवा 5 बजे गडरारोड़ में एक तामलोरलीलमा के मध्य कई बम गिराए पाक ने। इसी बीच पाक ने हवाई हमले तेज कर दिये। 5 दिसम्बर को उतरलाई स्टेशन तथा गडरारोड़ में एकएक बम गिराया गया जो फटे भी मगर क्षति नहीं हुई। इस क्रम को 6 दिसम्बर को जारी रख पचपदरा मण्डली मार्ग पर स्थित मवडी गांव में एक साथ 43 बम गिराए जिसमें 41 फट ग तथा 2 बम बिना फटे ही रह गए। वहीं इसी दिन महाबार में 13 बम गिराए गए जिनमें पांच बम फटे और आठ बम बिना फटे ही रह गए। इन बमों के फटने से जानमाल की क्षति नहीं हुई क्योंकि लोग पहले से ही सुरक्षित स्थानों पर जा चुके थे।

अपनी विफलता पर घबराए पाक ने 7 दिसम्बर को पुनः रात्रि 11 बजे 5 बम गिराए मगर हानि नहीं हुई। बाड़मेर मुख्यालय को पहली बार 8 दिसम्बर को पाक के अब झेलने का अवसर मिला। पाक रात्रि लगभग 1 बजे मालगोदाम पर बम गिरा। मालगोदाम में रखी सामग्री जल गई। वहीं 5 मालगाडी के डिब्बे जलकर राख हो गये। इसी क्रम में उतरलाई हवाई अड्डे पर 1 बजकर 20 मिनिट पर बम गिराया। तत्पश्चात बाड़मेर रेल्वे स्टेशन पर स्थित सवारी रेलगाडी पर बम गिराया इससे चार यात्री डिब्बे में ही जलकर राख हो गये। इसी स्थान पर रखी पेट्रोल व डीजल की टंकियों को नागरिक सुरक्षा के जवानों ने तुरन्त खाली कर क्षति होने से बचाया। मगर पास रखे कोयलों में आग लग चुकी थी। स्वयं सेवको ने निस्वार्थ भावना से कार्य कर मालगोदाम कार्यालय में रखा फर्नीचर, रेकर्ड व अन्य सामग्री सुरक्षित स्थान पर डाली।

इसी रात्रि को लगभग ़ाई बजे पाक हवाई जहाज ने कोयले की ़ेरी में बम डाला मगर झाति नहीं हुई। तत्पश्चात दो बम मालगोदाम पर और गिराए गए जिसमें एक बम फटा मगर नुकसान नहीं हुआ। इसी तरह अगले दिन 9 दिसम्बर को सायं सा़े पांच बजे कोनरा तथा बच्चू का तला में 17 बम गिराए जिसमें 11 बम फटे, 5 बम फटे बिना ही रह गए तथा संदेहास्पद स्थिति में भी उन बमों के फटने से नुकसान हुआ। लखा की ़ाणी जलकर राख हो गई। वहीं लगभग 65 बकरियां जिन्दा जल गई। इसी रात्रि गौर का तला में चार बम गिराए गए जो बिनो फटे रहे। इसी दिन उतरलाई में एक बम गिराया मगर क्षति नहीं हुई।

अगले दिन 10 दिसम्बर को कुड़ला गांव के दीपसिंह की ़ाणी पर दो बम गिराए। दोनो बम फट जाने से कुछ घरों में नुकसान हुआ। अगले दिन 11 दिसम्बर को लगभग सा़े 8 बजे प्रातः रावतसर, कुडला के पास बम गिरे जिससे क्षति नहीं हुई, उधर नौ बजे प्रातः उतरलाई पर 2 बम गिराए जिके फट जाने से एक जीप जल गई तथा एक हवाई जहाज को क्षति पहुंची। रात सवा नौ बजे परबतसिंह की ़ाणी की कोटडी के पास 2 बम गिरे मगर क्षति नहीं हुई। रात्रि ड़े बजे गुलाबसिंह की ़ाणी के पास एक पेट्रोल की टंकी गिराई जिससे अग लगी मगर मामूली क्षति पहुंची। 12 दिसम्बर को जयसिन्धर स्टेशन पर बमबारी की जिससे कुछ नुकसान हुआ।

प्रातः पौने नौ बजे मीठडा खुर्द में दो बम गिराए मगर क्षति नहीं हुई। इसी दिन रात्रि 12 बजे सीमावर्ती नेवराड गांव में पैराशूट से सिलेंडर उतारा गया जो लगभग 8 कि.ग्रा. था। इस रात्रि को सरली गांव में 10 बम गिराए क्षति नहीं हुई मगर 40 गुणा 15 फीट के गड्े पड गए। इसी दिन गरल गांव के समीप रोशनी वाले सिलेंडर पैराशूट से उतारकर भय का वातावरण पैदा करने का असफल प्रयास किया गया।

इस प्रकार सेडवा में एक, बामरला में दो बम गिराए मगर क्षति नहीं हुई। पाकिस्तान ने बमबारी कर बाड़मेर की जनता में भय का वातावरण बनाने का असफल प्रयास किया। पाक को भारतीय सेना ने मुंह तोड जवाब दिया। पाक द्वारा लगभग 10 दिन लगातार बम बरसाने के बावजूद नागरिक शहर में रह कर पाक हमलों का मुकाबला किया। अंत में पाक को हार का सामना करना पड़ा। लोग आज भी अतीत को यादर कर रोमांचित हो उठते हैं। मगर इस सरहदी क्षेत्र के गांवो में 1971 के युद्ध के दौरान भीषण बमबारी की गई थी जिसमें लगभग 60 फीसदी पाक बम बिना फटे रह गए थे।