सोमवार, 8 जून 2015

कोटा। पढ़ाई का तनाव उम्मीदों का बोझ-कोटा में चार दिनों में 4 कोचिंग छात्रों ने लगाया मौत को गले

कोटा। पढ़ाई का तनाव उम्मीदों का बोझ-कोटा में चार दिनों में 4 कोचिंग छात्रों ने लगाया मौत को गले


कोटा। राजस्थान का कोटा शहर सपने बेचता है सपना आईआईटी का और दुसरे इंजनियरगि काॅलेजों का ,एक ग्लेमरस लाइफ और सुनहरें केरियर का जो लाखो की पंसद है करोडों की दिवानगी, कोटा में करीब एक लाख बच्चें देशभर से मां बाप की उम्मीद का बोझ लिए इस शहर में आते है , लेकिन कभी कभी उम्मीदों का बोझ इतना होता है कि कुछ बच्चे टूट भी जाते है ।

four-coaching-students-embrace-to-death-in-four-days-51127

प्रतिवर्ष 3 लाख आते है पढ़ने, उनमें से एक दर्जन कर लेते हैं खुदकुशी
कोटा में इंजनियरिंग और मेडिकल की प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी के लिए आने वाले एक दर्जन से ज्यादा छात्र छात्राएं हर साल पढ़ाई के तनाव के चलते खुदकुशी कर रहे है।

आईआईटी में करीब देशभर से साढ़े तीन लाख बच्चे अपनी किस्मत अजमाते है उसमें से कामयाब होते है सिर्फ दस हजार , और कोटा में कोचिंग में लिए करीब पच्चीस हजार बच्चें इस परिक्षा में अपनी दावेदारी पेश करते है लेकिन कामयाबी सिर्फ तीन हजार को मिलती है बाकि उन 22 हजार का क्या जिनके हाथ सफलता नहीं लगती है । दिमाग को प्रेशर कूकर बना देने वाला दबाव के नतीजें भी खतरनाक साबित होते है खुदखुशी,इसमें हैरानी नहीं होगी , बच्चे कोचिंग में जरा पिछड़े कि उम्मीदों के बोझ से टूट जाते है और मौत को गले लगा लेते है । शिक्षानगरी में बीते चार दिनों में चार आत्महत्याओं ने एक बार फिर शिक्षानगरी में छात्र छात्राओ के तनाव को साबित कर दिया है।

कोचिंग लेने वाले 70 फीसदी छात्र डिप्रेशन का शिकार
कोटा में कोचिंग करने वाले बच्चों में से 70 फीसदी डिपेंशन का शिकार है ऐसा मनौचिकित्सको का मानना है , एक चुहा दौड में बच्चें दौड रहे है एक मायावी दुश्मन के पीछे तलवार भांजे, जिन्दगी के सबसे नाजूक दौर में जिनकी उम्र 14 से 21 साल के बीच होती है, घर परिवार से दुर अकेले , जो हालात के साथ बदले वो चल गए बाकि टूट के बिखर गए । मनौचिकित्सक इसके लिए कोटा के कोचिंग संस्थाओ के माहौल को भी जिम्मेदार ठहरा रहे है साथ ही उन माॅ बाप जो अपनी उम्मीदो को बच्चों पर थोप रहे है।





जिला प्रशासन भी हैरान
कोटा में हो रही लगातार आत्महत्याओ की घटनाओ ने अब कोटा जिला प्रशासन और पुलिस को भी हैरान कर दिया है लेकिन बीते चार दिनों में जिन परिवारो के सपने चकनाचूर हुए और जिन्हौने अपनो को खोया उनके लिए शिक्षानगरी के शिक्षा के माहौल की क्या तस्वीर जिंदगी भर के लिए खींच गई है। सवाल यह भी अब खडे होने लगे है कि क्या शिक्षानगरी का शिक्षा का माहौल कही बेअसर तो नही होने लगा है।

hope institute helping students to mentally get strong

कोटा को आर्थिक रूप से खड़ा करने वाली कोचिंग इंडस्ट्री में खुद को अव्वल रखने की होड़ और जिला प्रशासन का इन बच्चों के प्रति रूखा रवैया कहीं न कहीं तनाव से ग्रसित हुए इन बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि कोचिंग संस्थान और जिला प्रशासन ऐसी पहल करे कि जो बच्चें परीक्षा की दौड़ में पिछड़ रहे है उनको मौत के मूंह में जाने से रोकने के लिए सार्थक प्रयास हो ताकि किसी के घर चिराग न बुझे।

धौलपुर। सीएमएचओ फिर विवादों में,आॅडियो टेप हुआ वायरल

धौलपुर। सीएमएचओ फिर विवादों में,आॅडियो टेप हुआ वायरल


धौलपुर। जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ राजेश मित्तल से जुड़े ऑडियो वायरल के मामले थमने का नाम नही ले रहे है। लगातार विवादों से घिरे सीएमएचओ से जुड़ा एक और ऑडियो सोशल मिडिया पर वायरल हुआ है जिसमे अबकी बार सीएमएचओ साहब नही मिसेज़ सीएमएचओ ग्रामीण क्षेत्र में कार्य कर रही एएनएम को डिलेवरी शिफ्ट करने की कह रही है।

dholpur-city-cmho-again-in-controversy-audio-tape-goes-viral-42202

एएनएम को लगातार दे रहे धमकी
दरअसल जब मिसेज सीएमएचओ द्वारा डिलीवरी को सरकारी अस्पताल में दर्शाने की बात कही गई तो एएनएम द्वारा मामला नियम विरुद्ध होने और शहरी क्षेत्र की डिलेवरी ग्रामीण क्षेत्र में दर्शाने पर मना कर दिया। अब सीएमएचओ साहब एएनएम शकीला बानो को पाठ पढ़ाने पर तुले हुए है और रोज किसी न किसी बहाने से परेशान कर रहे है।



10 साल की नौकरी का ये सिला
धौलपुर के बॉडी ब्लाक के बिजौली सब सेंटर पर तैनात एएनएम शकीला बानो पिछले दस साल से इस सेंटर पर तैनात है और ग्रामीणों की सेवा कर रही है। इस सेंटर की साफ-सफाई और अच्छे काम के लिए तीन बार सम्मान भी मिल चूका है। कुछ दिन पहले एएनएम शकीला बानो को फोन आता है कि 'मैं मिसेज सीएमएचओ बोल रही हूं तुम अपने सेंटर पर बाड़ी की एक डिलेवरी को शिफ्ट कर लो जो मेरे घर पर हुई है' शकीला द्वारा नियम विरुद्ध होने पर मना कर दिया गया। अब सीएमएचओ डॉ राजेश मित्तल शकीला को कोई न कोई बहाना बनाकर परेशान कर रहे है। शनिवार को हुई मीटिंग में तो सीएमएचओ ने जिले भर की एएनएम और कर्मचारियों के सामने एएनएम को न केवल लताड़ लगाई बल्कि उसे एपीओ करने के लिए भी ब्लॉक सीएमएचओ को आदेश दिये है। हालाँकि बीसीएमओ शकीला को सही मान रहे है लेकिन अधिकारियों के आदेश की पालना करने पर मजबूर है।



मामले को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह आमजन को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओ को पलीता लग रहा है और अगर कोई भी इसका विरोध करता है तो अधिकारीयों के कोप का भाजन भी होना पड़ रहा है। अब देखना है कि सीएमएचओ से जुड़े अन्य मामलों की तरह यह मामला भी रफा-दफा हो जाता है या जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कोई कार्यवाही करता है।

जयपुर| कहां है सीपी जोशी? पीसीसी गलियारों औऱ कांग्रेस नेताओं की जुबां पर यही चर्चाएं

जयपुर| कहां है सीपी जोशी? पीसीसी गलियारों औऱ कांग्रेस नेताओं की जुबां पर यही चर्चाएं


जयपुर| कांग्रेस के कद्दावर नेता सीपी जोशी आजकल कहां है....आखिर क्यों उन्होंने राजस्थान से पार्टी की राजनीति से दूरी बना रखी है....ये सवाल पीसीसी गलियारों और कांग्रेस नेताओं की जुबां पर है| दरअसल जब से पीसीसी चीफ सचिन पायलट को प्रदेश कांग्रेस की कमान क्या सौंपी गई है.. तब से राजस्थान की सक्रीय सियासत से सीपी ने खुद को दूर कर लिया| 
cp joshi के लिए चित्र परिणाम
जानकारों की माने तो अशोक गहलोत के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव में करारी हार मिलने के बाद सीपी को पूरी उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें एक बार फिर से सूबे की कमान सौंपेगी, लेकिन आलाकमान ने पायलट को पीसीसी चीफ बना दिया| ऐसे में खफा सीपी ने दिल्ली में डेरा डालते हुए प्रभारी राज्यों के काम में खुद को मशगूल कर दिया है|पायलट के पीसीसी चीफ बनने के बाद अभी तक एक बार भी सीपी पीसीसी दफ्तर में नहीं आए हैं और ना ही पार्टी की किसी गतिविधियों में हिस्सा ले रहे हैं| हालांकि अपने नेताओं से सीपी जोशी फोन पर बराबर सम्पर्क बनाए हुए ऱखते हैं, लेकिन अनुभवी और कद्दावर नेता की प्रदेश कांग्रेस से बेरुखी अपने आप में बहुत कुछ बयां कर जाती है| अब देखना है कि सीपी जोशी का राजस्थान कांग्रेस बना हुआ मोहभंग कब दूर होता है, लेकिन इतना जरुर है कि बड़े नेता की दूरी से बतौर विपक्ष पार्टी को बहुत नुकसान हो रहा है|

जयपुर| कमेटी की रिपोर्ट का इन्तजार, डॉक्टरों की लापरवाही से गई मासूम की आँखों की रोशनी

जयपुर| कमेटी की रिपोर्ट का इन्तजार, डॉक्टरों की लापरवाही से गई मासूम की आँखों की रोशनी


जयपुर| राजस्थान के बड़े अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही के चलते एक 9 साल की मासूम की आँखों की रोशनी चली गयी| डॉक्टरों की लापरवाही सामने आने के बाद शहर में लोग भी लामबंद हो गए| वहीं जेके लोन प्रशासन की बनाई कमेटी की रिपोर्ट का इन्तजार है| जांच के बाद ही बच्ची को न्याय मिलेगा|

innocent-girl-lost-her-eyes-due-to-doctors-negligence-in-j-k-loan-hospital-jaipur

गौरतलब है कि भरतपुर के नगला हिरदास की 9 साल की रोशनी को बुखार आने पर... 21 अप्रेल को जे.के. लोन अस्पताल में डॉ सीतारमण की यूनिट में भर्ती किया गया था| दूसरे दिन रात में बच्ची को बुखार 105 डिग्री हुआ तो यूनिट में डॉ अनुज गुप्ता ने... ड्रिप लगा दी.. लेकिन बुखार नहीं उतारा|



सुबह जब बच्ची ने परिजनों को बताया कि उसे कुछ नहीं दिख रहा तो परिजन फिर से डॉक्टर के पास गए, लेकिन डॉक्टरों ने फिर से ये कह दिया की बुखार में ऐसा हो जाता है रोशनी आ जायेगी....लेकिन एक महीने से ज्यादा वक्त भर्ती रहने के बाद भी रोशनी की आँखों की रोशनी नही आई और डॉक्टरों ने बच्ची को डिस्चार्ज कर दिया|

झुंझूनूं। जेल में पहुंचाया जा रहा था बंदी के लिए गांजा

झुंझूनूं। जेल में पहुंचाया जा रहा था बंदी के लिए गांजा


झुंझूनूं। प्रदेश की जेलों की हाल सभी को मालूम हैं। धड़ल्ले से शराब, गांजा, अफीम बंदियों के लिए भेजा जाता हैं। लेकिन झुंझुनूं में आरएसी की सतर्कता से बंदी को की जाने वाले गांजे की तस्करी का प्लान फेल हो गया।

hash-was-being-transported-to-jail-for-prisoners-62884

दरअसल जिला जेल में एक बंदी को उसके दो परिचित मिलने और सामान देने के लिए आए थे। आरएसी के जवान हेतमसिंह को रविप्रकाश और अनिल नाम के युवकों ने कपड़े धोने की साबुन दी और कहा कि यह बंदी विजय को दे दें। लेकिन हेतमसिंह को शक हुआ और उसने साबुन का पैकेट खोलकर देखा तो हक्का बक्का रहा गया। साबुन में छोटा गड्ढा बनाकर उसमें गांजे की पुडिय़ां छुपाकर रखी गई थी। जिस पर उसने दोनों आरोपियों को कोतवाली पुलिस के हवाले कर दिया और मादक पदार्थ की तस्करी का मामला दर्ज करा दिया हैं। इस मामले में कोतवाली पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी हैं।

भरतपुर। केवलादेव पहुंचे मानसून के दूत

भरतपुर। केवलादेव पहुंचे मानसून के दूत



भरतपुर। मानसून के दूत समझे जाने वाले ओपन विल स्टॉर्क ने भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में दस्तक दे दी है और ये मानसून के समय प्रजनन करते है । इनके आने से यह अनुमान लगाया जाता है कि जल्द ही बारिश दस्तक देगी।

monsoon-messenger-arrived-at-keoladev-national-park-64256

कहां से आते हैं यह पक्षी
बारिश के समय में 15 प्रजाति के परिंदे प्रजनन करते है जिसमें ओपन विल स्टॉर्क,पेंटेड स्टॉर्क और स्पूनविल आदि है । ओपन विल स्टॉर्क मानसून की बारिश से पूर्व ही दस्तक दे देते है इसलिए ये जून के प्रथम सप्ताह में ही घना में पहुंच जाते है।

Keoladev national park images by first india news channel

ओपन विल स्टॉर्क दक्षिण भारत से आते है और घना में ब्रीडिंग करते है व नवम्बर,दिसंबर तक इनके बच्चे बड़े हो जाते है व इसके साथ ही इनकी रवानगी शुरू हो जाती है। मौसम विभाग के अनुमान के मुताविक इस बार कम बरसात की उम्मीद जताई जा रही है लेकिन ओपन विल स्टॉर्क के आने के बाद जानकारों को लगता है कि इस बार बारिश समय से आएगी और खूब होगी ।

खेतड़ी। विद्यार्थी मित्र ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छामृत्यु

खेतड़ी। विद्यार्थी मित्र ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छामृत्यु


खेतड़ी। शिमला गाँव के सात वर्षों तक अल्प वेतन में विद्यार्थी मित्र का काम करने के बाद घर बैठे बेरोजगार ने आर्थिक तंगी के चलते राष्ट्रपति से मांगी इच्छामृत्यु। विद्यार्थी मित्र अनिल और उनके साथियों ने मजबूरी के चलते उठाया यह कदम। खेतड़ी के विद्यार्थी मित्रों की इस रणनीति से चिंतित है विद्यार्थी मित्रों के परिजन।

vidhyarthi-mitra-sought-euthanasia-to-president-74142

प्रदेश के 24192 विद्यार्थी मित्रों से सात साल तक अल्प वेतन में स्कुलों में काम करवाके 30 अप्रेल 2014 को सरकार ने उन्हे घर बैठने के आदेश जारी कर दिए। अब हाथ पर हाथ धरे बैठे विद्यार्थी मित्रों के घर पर फांके की नौबत आ रही है जिसके चलते उनके बच्चे व घरवाले भी परेशान हो रहे हैं।



खेतड़ी जिले के शिमला गांव के विद्यार्थी मित्र अनिल शर्मा ने परेशान होकर महामहिम राष्ट्रपति महोदय से इच्छामृत्यु मांगी है। अनिल शर्मा का कहना है कि काम कर रहे थे तो घर पर दाल रोटी का जुगाड़ चल रहा था। लेकिन अब तो परिवार की माली हालत देखी नही जा रही है। इसीलिए हारकर मैने ऐसा कदम उठाया है।



अनिल के इस कदम पर उसके घरवाले व गांववाले भी चिंतित है उनका कहना है कि कहीं अनिल कोई ऐसा कदम ना उठा ले, जिससे उसे हानि हो। अनिल की इस बात को सुनकर ग्रामीणों का उसके घर पर तांता लगा हुआ है।



गौरतलब है की सरकार के इस कदम से परेशान होकर प्रदेश के तीन विद्यार्थी मित्र पहले भी अपनी जिंदगी दांव पर लगा चुके हैं। पाली के त्रिलोक सिंह, जयपुर के सुशील कुमार व दौसा के सुनिल व उसकी पत्नि भी परिवार की माली हालत के चलते आत्महत्या करने पर मजबूर हो गए थे। खेतड़ी व बुहाना क्षेत्र में कई महिला व पुरूष विद्यार्थी मित्रों के घर की माली हालात अच्छी नही होने के कारण सभी पशोपेश की स्थिति में हैं। उनका कहना है कि विद्यार्थी मित्रों को प्राईवेट स्कुलों वाले भी काम पर नही रख रहे हैं। इसलिए मजबुर होकर ऐसा कदम उठाना पड़ रहा है।

कैदी के पास मिला राष्ट्रपति भवन का नक्शा, प्रशासन के उड़े होश

कैदी के पास मिला राष्ट्रपति भवन का नक्शा, प्रशासन के उड़े होश

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले की जेल में बंद एक कैदी के पास राष्ट्रपति भवन और बीएसएफ चौकियों के नक्शे मिलने से स्थानीय प्रशासन के होश उड़ गए।

दरअसल जिला प्रशासन की ओर से रविवार को जेल में छापा मारा गया था। छापे के दौरान जेल के अस्पताल में कैदी सद्दीक के बैग से राष्ट्रपति भवन और बंगाल के दीमापुर स्थित बीएसएफ चौकियों के नक्शे, पेन ड्राइव मिली तो वहां मौजूदा अधिकारियों के होश उड़ गए।

प्रशासन को कैदी के पास से तीन डायरियां भी मिलीं हैं। इनमें चीनी व बांग्ला भाषा में लिखा हुआ है। सद्दीक चार साल से जिला जेल में बंद है। वह सम्भल जिले की एक मीट फैक्ट्री में मजदूरी करता था।

हत्या के एक मामले में सजा केे बाद उसे 10 मई 2011 को जिला लाया गया था। यहां अच्छे व्यवहार के कारण उसे अस्पताल में डॉक्टर के साथ काम पर लगा दिया गया था।

अस्पताल में काम करने के दौरान सद्दीक को कंम्प्यूटर प्रशिक्षण दिया गया था। वह मुरादाबाद में अस्पताल का डाटा फीड करता था और इसी दौरान इंटरनेट का भी प्रयोग करता था।

वहीं सद्दीक के पास संदिग्ध सामग्री मिलने पर स्थानीय प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं।