बाड़मेर, लोकसभा चुनाव की हलचल धीरे-धीरे बढ़ रही है। सरकारी मशीनरी दुरुस्त हो रही है। वहीं चुनाव मैदान में उतरे सभी पार्टियों के प्रत्याशी मतदाताओं को रिझा रहे हैं। अक्सर यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला होता है लेकिन, इस बार भाजपा से बगावत कर निर्दलीय नामांकन भरने के बाद, भाजपा से निष्कासित वरिष्ठ राजनीतिज्ञ जसवंतसिंह जसोल के मैदान में डटे रहने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया हैं।
उल्लेख है कि बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र से 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
उल्लेख है कि बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र से 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
यहां 17 अप्रैल को मतदान होना है। मात्र सत्रह दिन प्रत्याशियों के पास प्रचार-प्रसार के लिये बचे हैं। अभी तक जो माहौल सामने आ रहा है। उसमें भाजपा के कर्नल सोनाराम चौधरी, कांग्रेस के हरीश चौधरी और निर्दलीय जसवंतसिंह जसोल के बीच त्रिकोणीय टक्कर है।भाजपा में कमजोर पड़ा उत्साह भाजपा जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का उत्साह भी कमजोर पड़ता दिखाई दे रहा है। प्रत्याशी घोषणा के बाद से ही पार्टी में विरोध के स्वर उभर आए है जिसका असर प्रचार-प्रसार में दिख रहा है। चुनाव कार्य की जिम्मेदारी संभाल रहे पदाधिकारी इस बात को लेकर निश्चिंत है कार्यकर्ता भले ही असंतुष्ट हो, लेकिन मतदाता भाजपा का साथ देगा ही यह विश्वास अभी कायम है।
त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस को फ़ायदा
त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस को फ़ायदा
हर स्तर पर प्रचार करने निकले कांग्रेस के कार्यकर्ता अति उत्साहित है। उनकी गणित के हिसाब से भाजपा द्वारा जसवंतसिंह सरीखे कद्दावर नेता को किनारे करने का दण्ड जरूर मिलेगा। उनकी ही पार्टी द्वारा विरोध किये जाने को लेकर कांग्रेस खेमे में उत्साह का माहौल है। है। जैसलमेर-बाड़मेर की जनता इस अपमान के बदले भाजपा को वोट नहीं देगी और दल-बदलुओं की राजनीति हमेशा के लिए ख़त्म कर देगी एवं फिर से कांग्रेस में विश्वास जतायेगी। कांग्रेस धुरंधर निश्चित मान बैठे हैं कि सीधा फ़ायदा कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार हरीश को ही होगा।
जसवंत समर्थकों को जीत की उम्मीद
भाजपा के भीतरी अंतर्कलह के कारण भाजपा से बगावत के बाद पार्टी से निष्कासित जसवंतसिंह के निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में डटे रहने से बाड़मेर सीट पर मुकाबला रौचक हो गया है। इस बीच जसवंतसिंह समर्थकों का कहना है पार्टी ने एक दलबदलू को टिकट देकर भाजपा में सिद्धांतों की बली दी है। एक वरिष्ठ, अनुभवी तथा पूर्व विदेश मंत्री एवं जनता की पसंद के उम्मीदवार को टिकट नहीं देकर पहले अपमानित किया और अब पार्टी से निकालने को लेकर जनता में आक्रोश है। यही आक्रोश जसवंत लहर में सामने आ रहा है। जसवंतसिंह निर्दलीय चुनाव जीतकर यह जता देंगे कि टिकट का फैसला जनता की मर्जी से होना चाहिए।