रविवार, 2 फ़रवरी 2014

कुषल वाटिका प्रथम वर्षगांठ सम्पन्न



कुषल वाटिका प्रथम वर्षगांठ सम्पन्न

सैकड़ों श्रद्धालु उमड़े, मुनिसुव्रत स्वामी महापूजन सम्पन्न

बाड़मेर, 2 फरवरी। राष्ट्रीय राज मार्ग-15 पर सिथत प्रवर्तिनी प्रमोद श्रीजी म.सा की स्मृति में बनी कुषल वाटिका प्रांगण में मुनिसुव्रत स्वामी, दादावाड़ी, नवग्रह मनिदर, देवी-देव, गुरू मनिदरों की प्रथम ध्वजारोहण प.पू. पल्लीवाल रत्न मुनिराज मणिरत्न सागर जी म.सा. व कुषल वाटिका प्रेरणादात्री प.पू. गुरूवर्या डा. विधुतप्रभा श्रीजी म.सा. आदि की पावन निश्रा में कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

कुषल वाटिका ट्रस्ट के महामंत्री मांगीलाल मालू व प्रचार मंत्री केवलचन्द छाजेड़ ने बताया कि सर्वप्रथम श्री मुनिसुव्रत स्वामी मनिदर में सतरह भेदी पूजा का आयोजन कर सभी 9 मनिदरों के लाभार्थी परिवारों द्वारा परिवारजन के सहित शुभ मुहर्ूत 9.45 बजे गाजे-बाजे, सुप्रसिद्ध बैण्ड, ढोल नगाड़ा व पुण्यायाम-पुण्यायाम, प्रियन्तम-प्रियन्तम के जय घोष के साथ गुरूभक्तों द्वारा मन्त्रोचार व वासक्षेप देकर ध्वाजारोहण किया गया।

कुषल वाटिका के कोषाध्यक्ष बाबुलाल टी बोथरा ने बताया कि ध्वाजारोहण के कार्यक्रम के बाद कांतिमणी प्रवचन पण्डाल में मणिरत्न सागर म.सा. के मांगलिक के साथ धर्मसभा का अयोजन किया गया। जिसमें गुरूभंगवतों के प्रवचन व कार्यक्रम के लाभार्थी परिवारों का ट्रस्ट मण्डल द्वारा बहुमान किया गया। इस प्रवचन पण्डाल में बीसवें तीर्थंकर मुनिसुव्रत स्वामी महापूजन का अयोजन अहमदाबाद के सुप्रसिद्ध विधिकारक दिलीप भार्इ व धानेराव के संगीतकार द्वारा 108 आराधकों के साथ विधि-विधान सहित सभी को यंत्र भेंट कर करवाया गया। मुख्य यंत्र के लाभार्थी सम्पतराज प्रकाषचन्द लूणिया, बाड़मेर व यंत्र भेंट करने के लाभार्थी रतनलाल चिंतामणदास पारख परिवार, चौहटन ने लाभ लिया। इस कार्यक्रम में वार्षिक पूजाओं के चढ़ावे बोले गये। जिसमें श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। स्वामी वात्सल्य का आयोजन मांगीलाल आसूलाल मालू परिवार, चौहटन वालों ने किया। कार्यक्रम में अहमदाबाद, सूरत, पाली, जोधपुर, बालोतरा, सांचोर, धोरीमन्ना, चौहटन व आस-पास के सैकड़ों लोगों सहित ट्रस्ट अध्यक्ष भंवरलाल छाजेड, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संघवी तेजराज गुलेच्छा, हरि विहार ट्रस्ट के महामंत्री बाबूलाल लूणिया, ट्रस्टी जगदीष भंसाली, सम्पतराज बोथरा, सुरेष लूणिया, बाबूलाल संखलेचा, रतनलाल हालावाला, सम्पतराज धारीवाल, बाबूलाल मालू, उदयराज गांधी, शंकरलाल धारीवाल, रतनलाल संखलेचा, बाबूलाल सेठिया, चम्पालाल छाजेड़, खेतमल बोथरा, शांतिलाल छाजेड़, बंषीधर बोथरा, सजनराज मेहता, कैलाष कोटडि़या, नाकोड़ा ट्रस्टी वीरचन्द वडेरा, राणमल संखलेचा, पारसमल गोठी, सम्पतराज अवतारी, हस्तीमल बोथरा, धनराज भंसाली, रायचन्द दायमा, भैरचन्द लूणिया, रणजीतमल मालू, विनोदकुमार हालावाला, पुखराज लूणिया, गौतम मालू, खेतमल तातेड़ सहित कर्इ गणमान्य लोग उपसिथत थे।

रूचि के अनुसार विधार्थियों को मिले अवसर : मानवेन्द्र

रूचि के अनुसार विधार्थियों को मिले अवसर : मानवेन्द्र

बाड़मेंर।  मालानी मानव सेवा एवं अनुसंधान संस्थान बाड़मेर द्वारा आयोजित विष्व की प्रथम भारतीय महिला अंतरिक्ष या™ाी कल्पना चावला की 11वी पुण्यतिथि के अवसर पर स्थानीय स्टेषन रोड़ हार्इस्कुल में आयोजित विज्ञान प्रदर्षनी के समापन एवं पारितोषिक वितरण समारोह में बोलते हुए षिव विधायक एवं पूर्व सांसद कर्नल मानवेन्द्रसिह ने कहा कि विधार्थियों को रूचि के अनुरूप षिक्षा के अवसर प्राप्त होने चाहिए। मानवेन्द्रसिह ने कहा कि हमारे यहां प्रतिभाओं की कमी नही है परन्तु अवसर नही प्राप्त होने के कारण प्रतिभाऐं आगे नही आ पा रही है। संस्थान का यह एक सफल प्रयास है कि बाड़मेर जैसे पिछड़े क्षेत्रों में नन्हे-मुन्हे वैज्ञानिकों ने प्रदर्षनी में बढ़-चढ़कर भाग लिया एवं अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। वास्तव में इन नन्हे वैज्ञानिको का प्रयास काबिल-ए-तारीफ है। कल्पना चावला को श्रद्धांजली देते हुए मानवेन्द्रसिह ने कहा कि विष्व में चावला ने भारत का नाम रोषन किया है। अभिभावको को बालिकाओं को रूचि के अनुसार उच्च षिक्षा के अवसर प्रदान करवाने चाहिए।

कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे भारतीय वन सेवा के अधिकारी उपवन संरक्षक लक्ष्मणलाल ने कहा कि हमें जो कार्य करने चाहिए़़ वह कार्य इस संस्घ्थान के माध्यम से इन नन्हे-मुनने वैज्ञानिको ने कर दिया है। पर्यावरण से सम्बंधित माडलस के माध्यम से इन बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण का संदेष दिया है।

कार्यक्रम के विषिषिट अतिथि रामसिंह बोथिया ने कहा कि संस्था हमेषा षिक्षा से संबंधित सराहनीय कार्य कर रही है। भाजपा नगर अध्यक्ष केलाष मेहता ने कहा कि संस्था सदस्यों का कार्य अन्य संस्थाओं से अलग है जो समाज में अच्छा संदेष है। संस्था का हमेषा हमारा सहयोग रहेगा।

कार्यक्रम के शुरूआत में संस्था निदेषक एडवोकेट रमेष कुमार गौड़ ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि भविष्य में भी विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं द्वारा हमे सहयोग दिया जाता रहा तो हम सेवा में पिछे नही रहेगें। भविष्य में इस प्रकार के आयोजन करते रहेगें।










कार्यक्रम संयोजक तरूण पारीक ने प्रतिवेदन पेष करते हुए कहा कि पांच दिन तक चली प्रदर्षनी में विज्ञान माडल प्रतियोगिता, पोस्टर प्रतियोगिता एवं निबंध लेखन प्रतियोगिता में जिले भर के वि़धालयों ने भाग लिया ।

माडल प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान रमेष कुमार बेनिवाल, द्वितीस स्थान पर महावीर, हर्षित कार्तिक एवं तृतीय स्थान पर योगेष व कार्तिक रहे। पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर उषा, द्वितीय जसराज लेगा एवं तृतीय स्थान पर छगनलाल रहे। निबंध लेखन में प्रथम स्थान पर केसर कडेला द्वितीय स्थान पर पल्लवी जोषी एवं तृतीय स्थान पर लाखाराम रहें।

प्रतियोगिता में प्रथम द्वितीय, तृतीय रहने वाले प्रतिभागियों को क्रमष: 2100 रूपये, 1100 रूपये और 500 रूपये नकद एवं प्रमाण-पत्र दिये गयें। सभी प्रतिभागियों एवं प्रतिभागी विधालयों को सहभागिता प्रमाण-पत्र दिये गये।

कार्यक्रम के दौरान हार्इ स्कुल के प्रधानाचार्य मल्लाराम एवं अन्य स्टाफ के साथ संस्था सदस्य एडवोकेट विजय कुमार, मनोज पारीक, महेन्द्रसिह तारातरा, हरीसिह राजपुरोहित, विक्रमसिह, हितेष सिंधी, सुरेन्द्र बेनिवाल, रमेषसिह र्इन्दा, भरत शर्मा, जयप्रकाष गौड़, श्रवण कुमार, मुकेष कुमार, जोगेन्द्र जैन, हरीष सोनी, मुराद खां, अनिल गौड़, जीया खां, बच्चु खां, सहित सैकड़ो की तादाद में अभिभावक एवं छात्र-छात्राऐं मौजूद थे। मंच का संचालन हेमराज खत्री ने किया । कार्यक्रम के अंत में उपसिथत जनों से कल्पना चावला को पुष्प अर्पित कर श्रद्धाजंलि देते हुए दौ मिनट का मौन रखा।

मोदी का सोनिया पर पलटवार,कांग्रेस बोती है जहर के बीज



मेरठ। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पहली बार पश्चिमी यूपी में नरेन्द्र मोदी ने शंखनाद रैली को संबोधित किया, मोदी ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को कठघरे में खड़ा करते हुए 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को कई बार याद किया।मोदी का सोनिया पर पलटवार,कांग्रेस बोती है जहर के बीज
मोदी ने सोनिया के जहर की खेती वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि सबसे ज्यादा राज करने वाली कांग्रेस के पेट में सबसे ज्यादा जहर भरा हुआ है, ये लोग ही जहर की खेती को बढ़ावा दे रहे हैं।

सपा प्रुमुख मुलायम यादव पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि अपने आपको लोहियावादी इन लोगों ने यूपी में गुंड़ागर्दी को बढ़ावा दिया है, इनके राज में बहन बेटियां सुरक्षित नहीं हैं।

बीजेपी की शंखनाद रैली में मंच पर मोदी के अलावा भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह, प्रदेशाध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह सहित कई नेता मौजूद थे।


केसरिया रंग की चादर

राजनाथ सिंह के बाद रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने संबोधन की शुरूआत में मेरठ की जनता को बलिदानी और साहसी कहा, मोदी ने कहा कि जब मैं हेलिकॉप्टर से आ रहा था, तो ऎसा लग रहा था जैसे कोई केसरिया रंग की चादर मेरठ में बिछ चुकी है।


कमल की जरूरत है

1857 के स्वतंत्रता संग्राम को याद करते हुए मोदी ने कहा कि 150 साल से अधिक का समय हो जाने के बाद भी केन्द्र सरकार ने इस संग्राम के इतिहास को देश को बताने के लिए कुछ नहीं किया।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दूसरों के बलिदान को भुलाकर सिर्फ अपने बलिदान को दिखाती रहती है, 1857 के संग्राम को भुलाकर कांग्रेस ने शहीदों का अपमान किया है।


दयानंद सरस्वती ने इस इलाको को अपनी कर्मभूमि बनाया , इस गुजरात के सपूत की मेरठ के लोगों के दिलों में आज भी जगह बरकरार है, मोदी ने कहा कि गुजरात के नौजवान ने यूपी को अपनी कर्मभूमि बनाकर काम किया, ऎसे सपूत को मैं नमन करता हूं।


आबादी बढ़ रही है, विकास नहीं

मोदी ने कहा कि पश्चिी उत्तरप्रदेश में आबादी बढ़ रही है, लेकिन विकास के लिए कोई काम नहीं हो रहा है, उन्होंने कहा कि विकास के मामले में यूपी वहुत पिछड़ा हुआ है।

बिजली के मुद्दे पर यूपी सरकार को घेरते हुए मोदी ने कहा कि इस प्रदेश में बिजली जाना खबर नहीं, बिजली जब कभी आती है, तो ही खबर बनती है। उन्होंने कहा कि पढ़ाई, उद्योगों और घरेलू काम के लिए बिजली नहीं मिलना लोगों के साथ धोखा है।

विकास के मुद्दे पर मोदी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने मेरठ को विकास के नाम पर कुछ नहीं दिया है, रेल सड़क, बिजली और रोजगार के मामले में यह इलाका पिछड़ा हुआ है।

चरण सिंह और टिकैत होते...

किसानों पर बोलेते हुए मोदी ने कहा कि यूपी में 60 लाख से अधिक गन्ने के किसानों के पास खाने के इंतजाम करने के लाले पड़ रहे हैं, किसानों को उनकी चीनी के दाम समय पर नहीं मिल रहे हैं, मोदी ने कहा कि चौधरी चरण सिंह और महेन्द्र सिंह टिकैत आज होते तो आज किसानों के बुरे हालात नहीं होते।

मोदी ने कहा कि गुजरात में गन्ने की फसल तैयार होते ही, मिलें चालू हो जाती है, फसलों का समय पर दाम मिलता है और जब किसान की फसल बड़ी हो जाती है, तो उस दौरान ही किसान तय कर लेता है कि किस मिल मालिक को फसल बेचनी है।


समाज विरोधी पार्टी

अखिलेश सरकार पर हमला बोलते हुए मोदी ने कहा कि समाजवादी पार्टी नहीं है, समाज विरोधी पार्टी है, यूपी की कानून व्यवस्था चरमरा गई है, बहन-बेटियां, महिलाएं यहां सुरक्षित नहीं हैं, मोदी ने अखिलेश का नाम लेकर कहा कि मुझसे मुकाबला करने के लिए यूपी को विकास के रास्ते पर लेकर जाओ, रैलियां करने से मेरा मुकाबला करना छोड़ो।

यूपी सपा सरकार बनने के बाद 1.5 लाख महिला उत्पीड़न के मामले दर्ज हुए हैं, ऎसे प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा स्थिति बुरी है।


बोलो नेताजी...

मोदी ने सपा प्रमुख मुलायम यादव से लोक बजट को लेकर कहा कि बोलो नेताजी बजट कहां जा रहा है, लोक कल्याण बजट का पैसे का पूरा हिसाब दो जनता को नेताजी।


नहीं पड़ने दूंगा पंजा

मोदी ने कहा कि मैं जब दिल्ली की कमान संभालूंगा, तो आपको विश्वास दिलाता हूं, कि तिजोरी पर कोई पंजा नहीं पड़ने दूंगा, देश को विकास के रास्ते पर लेकर जाऊंगा।


अरूणाचल जाइए कभी...

दिल्ली में अरूणाचल के बेटे को मौत के घाट उतार दिया जाता है, सोनिया मैडम कुछ कर नहीं रही हैं, बड़े शर्म की बात है कि पूर्वी भारत के बच्चों के साथ गलत व्यवहार किया जाता है। मणिपुर और अरूणाचल की बहिन- बेटियों के साथ दिल्ली में कई बार गलत व्यवहार की घटनाएं सामने आती हैं, मोदी ने कहा कि आप पूर्वी भारत जाइए कभी, अच्छा सम्मान मिलता है, उन्होंने कहा कि हम आपस में नमस्कार बोलते हैं, यहां के लोग जय हिन्द कहते दिखाई देते हैं।

मोदी ने कहा कि पूरा देश एक है, सारे देश के बच्चे हमारे अपने हैं, फिर क्यों एक-दूसरे के साथ गलत व्यहार करते हैं, उन्होंने कहा कि हमें राष्ट्रीय एकता के जज्बे के साथ रहना चाहिए।


किसान आत्महत्या क्यों कर रहा है

मोदी ने कहा कि सोनिया जी से जब पूछा गया कि किसान क्यों मर रहे हैं,तो उन्होंने कहा कि जहर की खेती करने से किसान हत्या कर रहे हैं।

राहुल ने अपनी म्मी से कांग्रेस के जयपुर अधिवेशन में कहा कि मां सत्ता जहर है, तो आप बताइए सबसे ज्यादा राज करने वाली कांग्रेस के पेट में सबसे ज्यादा जहर भरा हुआ है, ये लोग ही एक- दूसरे को जाति और धर्म के नाम पर लड़ाते हैं और कांग्रेस ही सबसे ज्यादा जहर के बीज बोती है।

अटल ने बनाए 3 राज्य

नए राज्यों के गठन को लेकर मोदी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने 3 राज्य बनाए थे, तो उस समय शांति का संदेश दे गया, मिठाईयां बंटी, लेकिन कांग्रेस राज में तेलंगाना गठन की घोषणा के बाद आंध्रप्रदेश में आग फैली, अशांति का माहौल बना।


निगाहें पैनी हैं

70 विधानसभा, 14 लोकसभा सीटों वाले पश्चिमी उत्तरप्रदेश में मजबूती के लिए भाजपा रैली के जरिए आगामी लोकसभा चुनाव से पहले माहौल खुद के पक्ष में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती, पार्टी सूत्रों के मुताबिक लखनऊ, गोरखपुर, बनारस की रैलियों के बाद मोदी की इस रैली में जबरदस्त भीड़ जुटी, मैदान खचाखच भरने के बाद बाद भी लोगों ने मैदान के बाहर मोदी को सुना।

सड़क हादसे में 6 की मौत, 24 घायल

अजमेर। किशनगढ़-हनुमानगढ़ मेगा हाइवे स्थित रूपनगढ़ के निकट रविवार सुबह सवारियों से भरी स्लीपर कोच बस की सामने से आ रहे ट्रक से भिडंत हो गई। हादसे में बस सवार पांच यात्रियों सहित ट्रक के खलासी की मौत हो गई।
दुर्घटना में 24 जनों के घायल होने की सूचना है। इनमें से कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है। अजमेर के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में 22 घायलों का इलाज चल रहा है। स्लीपर कोच में सवार अधिकांश यात्री नागौर, सीकर जिले के हैं।

मृतकों में थांवला कोड की ढाणी निवासी हनुमान पुत्र हंसराज की पहचान हो सकी है। पुलिस शेष मृतकों की शिनाख्त में जुटी है।

नासिक से नवलगढ़ (सीकर) जा रही स्लीपर कोच की रविवार सुबह 8 बजे कोहरे के चलते मानपुरा गांव के निकट सामने से आ रहे ट्रक से टक्कर हो गई। हादसे के बाद बस में सवार यात्रियों की चीख-पुकार सुनकर कुछ ग्रामीण मौके पर पहुंचे।

सूचना पर परबतसर और रूपनगढ़ थाना पुलिस मौके पर पहुंची। ग्रामीणों की मदद से घायलों को बस से बाहर निकाला गया। उन्हें पास ही स्थित परबतसर के स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया जहां प्राथमिक उपचार के बाद अजमेर के लिए रैफर कर दिया गया। जेएलएन चिकित्सालय में घायलों का उपचार किया जा रहा है।

आरसीए उपाध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह की मौत

पाली। राजस्थान में पाली शहर के औद्योगिक नगर थाना क्षेत्र में रविवार को ट्रक और कार के बीच हुई भिड़न्त में राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) के उपाध्यक्ष मानवेन्द्र सिंह तथा कार चालक की मौके पर ही मौत हो गई।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि औद्योगिक थाना क्षेत्र में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय के पास अपराह्न करीब एक बजे अनियंत्रित ट्रक ने कार को टक्कर मार दी। इस हादसे में मानवेन्द्र सिंह तथा कार चालक की मौके पर ही मौत हो गई।

उन्होंने बताया कि इत्तिला मिलने पर पुलिस ने मौके पर पहुंच कर बुरी तरह क्षतिग्रस्त कार में फंसे सिंह तथा चालक के शव को बाहर निकलवाया। उन्होंने बताया कि ट्रक चालक मौके से वाहन सहित फरार हो गया जिसकी तलाश की जा रही है। सिंह के शव को उनके पैतृक गांव रोहट ले जाया गया है।

कर्मचारियों को मिलेगा 100 फीसदी महंगाई भत्ता!

नई दिल्ली। केन्द्र कर्मचारियों को जल्द ही बड़ी खुशखबरी मिलने वाली है। केन्द्र सरकार अगले महीने अपने कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की घोषणा कर सकती है। कर्मचारियों को मिलेगा 100 फीसदी महंगाई भत्ता!
अगर ऎसा हुआ तो कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़कर 100 फीसदी हो जाएगा। केन्द्र के इस फैसले से 50 लाख कर्मचारी और 30 लाख पेंशनधार लाभान्वित होंगे। इससे पहले पिछले साल सितंबर में महंगाई भत्ते में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। उस वक्त डीए में 10 फीसदी की बढ़ोतरी से महंगाई भत्ता 90 फीसदी हो गया था।

बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता एक जुलाई 2013 से लागू हुआ था। एक आधिकारिक सूत्र के मुताबिक प्रारंभिक आंकलन से पता चला है कि महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी 10 फीसदी से कम नहीं होगी। यह एक जनवरी से लागू होगा।

बाड़मेर बजरी से भरे ट्रक ने ली एक कि जान


बाड़मेर बजरी से भरे ट्रक ने ली एक कि जान


बाड़मेर सरहदी बाड़मेर जिला मुख्यालय पर स्थित सिणधरी चौराहे पर रविवार को बजरी से भरे ट्रक ने एक जने को बुरी तरह कुचल दिया ,गम्भीर रूप से इस युवक ने राजकीय अस्पताल उपचार के लिए ले जाते वक्त रस्ते में ही दम तोड़ दिया। सूत्रानुसार सिणधरी चौराहे पर आज सुबह भरी भीड़ के बीच बजरी से भरे ट्रक ने लापरवाही से वाहन चला वहा खड़े एक युवक के ऊपर चढ़ा दिया जिसे युवक कि अंतड़िया तक बाहर आ गयी। बुरी तरह घयः हुए इस युवक को असपताल ले जाया गया बीच रस्ते उसने दम तोड़ दिया। घटना से आक्रोशित लोगो ने घटना का विरोध किया

क्रांतिकारियों की दास्तां बयां करती है यह जगह



जीवन की आपाधापी में लोगों को हमेशा ऐसे जगहों की तलाश रहती है जहां उन्हें शहरों के शोर-शराबे की दुनिया से अलग प्राकृतिक वातावरण से रूबरू होने का मौका मिले। जहां वह कुछ समय के लिए अपने आप को मनमोहक प्राकृतिक सौंदर्य से जुड़ा पा सकें। वहां की आसपास की वादियां उसके मन की सारी पीड़ा दूर कर सकें। यदि आप प्राकृतिक सौंदर्य के हर एक पल को अपने दिलों में बसाना चाहते हैं तो आप भारतीय इतिहास में 'काला पानी' के नाम से प्रसिद्घ अंडमान द्वीप को चुन सकते हैं। यहां की लुभावनी हसीन वादियां और तटों से टकराती सागर की लहरें इस द्वीप की जान हैं। प्रकृति ने इस जगह के पहाड़ों, नदियों और जंगलों के सौंदर्य को पूरी तरह से भरा-पूरा बनाया है।

लगभग 300 छोटे-बड़े द्वीपों से मिलकर बना अंडमान और निकोबार द्वीप समूह भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है। यह द्वीप बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में हिन्द महासागर में स्थित है। यहां की राजधानी पोर्ट ब्लेयर है। 2001 में की गई जनगणना के अनुसार यहां की जनसंख्या 356152 है। पूरे क्षेत्र का कुल भूमि क्षेत्र लगभग 6496 किमी या 2508 वर्ग मील है।

पर्यटन स्थल

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह छुट्टियों का आनंद उठाने के लिए एक बेहतरीन सैरगाह है। यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थानों में से एक सेलुलर जेल है। ब्रिटिश शासकों ने सेल्यूालर जेल की नींव 1897 में रखी थी। इसके अंदर कुल 694 कोठरियां हैं। सेल्यूललर जेल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्त्रांतिकारियों को कैद में रखने के लिए बनाई गई थी। इसका आकार कोठरी जैसा है जिन्हें इस तरह बनाया गया था, ताकि सेनानियों का आपस में मेलमिलाप न हो पाए। ऑक्टोपस की तरह कई शाखाओं का फैलाव लिए इस विशालकाय कारागार के अब केवल तीन अंश बचे हैं।

सेलुलर जेल भारतीय स्वाधीनता सेनानियों पर किए गए अंग्रेजी सरकार के अत्याचारों का मूक गवाह है। इस कारागार की दीवारों पर उन शहीदों के नाम खुदे हुए हैं, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी थी। अगर जेल के बारे में और अधिक जानकरी लेनी है तो जेल के निकट ही एक संग्रहालय है जो उस समय की दास्तां को बयां करता है।

पोर्ट ब्लेयर

कभी काले पानी की सजा की संज्ञा से पहचाने जाने वाला आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित पोर्ट ब्लेयर अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूहों की राजधानी है। पोर्ट ब्लेयर कोलकाता से 1,255 किलोमीटर तथा चेन्नई से 1,191 किलोमीटर दूर स्थित है। अंडमान में यह जगह सैलानियों के घूमने के लिए प्रमुख जगह है। पर्यटकों की सुविधाओं और उनके मनोरंजन के कई इंतजाम किए गए हैं। यहां जलक्त्रीड़ा की भी व्यवस्था है, जो एक अतिरिक्त आकर्षण का केंद्र है। पोर्ट ब्लेयर से 35 किलोमीटर दक्षिण में स्थित चिरिया टापू अपने मनमोहक समुद्री तटों के लिए प्रसिद्ध है। यहां कोरबिन कोव, माउंट हेरिट, रोस टापू, मधुबन तट तथा काला पत्थर पोर्ट ब्लेयर के समीप स्थित अन्य लोकप्रिय स्थल हैं। पोर्ट ब्लेयर में ही ऐसे कई होटल हैं जहां आप ठहरकर अपनी यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं

और कहां जा सकते हैं

कार्बिन कोव्स बीच, मैरीन अजायबघर, नृशास्त्र संग्रहालय, रॉस आइलैंड, रेडस्किन आइलैंड, लघु अंडमान, काबिन की छोटी खाडी, समुद्र तट हंफ्री आदि यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। इसके अतिरिक्त आप तरणताल, फूड प्लाजा, गांधी पार्क, वाइपर द्वीप, नील द्वीप, रंगत मायाबुंकर और दिगलीपुर आदि दर्शनीय स्थल का भी लुत्फ उठा सकते हैं।

वैसे तो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह अपने बीचेस, डाइविंग, नौकायन, के लिए विश्वभर में विख्यात है। लेकिन अगर आप वहां की चीजों की खरीदारी करना चाहते हैं तो राजधानी पोर्ट ब्लेयर से सबसे अच्छी जगह कोई हो ही नहीं सकती। वहां के अबरदीन बाजार को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का मुख्य व्यावसायिक केंद्र माना जाता है। सरकार की स्वीकृति से वहां कॉटेज इंडस्ट्रीज इम्पोरियम और खादी तथा ग्राम उद्योग की कई सारी दुकानें हैं।

कब जाना चाहिए

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का तापमान 23 से 31 डिग्री के बीच रहता है जिसकी वजह से पूरे साल यहां सैलानियों का जमघट देखने को मिलता है लेकिन अकसर सलाह दी जाती है कि आप दक्षिण-पश्चिम मानसून और उत्तर-पूर्व मानसून (नवंबर से दिसंबर) में यात्रा न करें। आपके लिए यात्रा का सही समय अक्टूबर और अप्रैल का महीना रहेगा।

कैसे जाना चाहिए

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर पोर्ट ब्लेयर चेन्नई, विशाखापटनम या कोलकाता से जहाज के जरिए जा सकते हैं। आप समुद्री रास्ते से द्वीप पर पहुंच सकते हैं। चेन्नई से 1200 किमी की हवाई यात्रा में दो घंटे लगते हैं। पानी के जहाज से सफर 50 से 60 घंटे के बीच हो जाता है।

श्री हरिगोबिंद साहिब: मीरी-पीरी के मालिक



सिखों के छठे गुरु एवं अकाल तख्त के संस्थापक श्री हरिगोबिंद साहिब का संदेश था कि आध्यात्मिक मूल्यों (पीरी) के साथ राजनीतिक शक्ति (मीरी) भी प्राप्त करनी चाहिए। गुरु जी के प्रकाश-पर्व (5 जुलाई) पर विशेष..

पांचवें गुरु और पिता के बलिदान के बाद मात्र ग्यारह वर्ष की आयु में गुरु हरिगोबिंद साहिब ने सिखों का नेतृत्व संभाला। अत्याचारियों से संघर्ष करने के लिए गुरु जी ने सिखों को शस्त्रधारी बनाने का कार्य आरंभ किया। गुरु-गद्दी पर विराजमान होते समय छठम गुरु ने दो तलवारें धारण कीं। एक 'मीरी' अर्थात राजनीतिक शक्ति की और दूसरी 'पीरी' अर्थात अध्यात्मिक शक्ति की। गुरु जी ने सिखों को संदेश दिया कि उच्च आध्यात्मिक मूल्य धारण करने के साथ-साथ शारीरिक और राजनीतिक शक्ति भी प्राप्त करें।

गुरु जी के आदेशानुसार सिखों को घुड़सवारी, तलवारबाजी, तीरंदाजी, नेजेबाजी (भाले से युद्ध कला) आदि का अभ्यास करा सैनिक प्रशिक्षण दिया जाने लगा। शारीरिक शक्ति बढ़ाने के लिए 'मल्ल अखाड़े' करवाए जाने लगे। कवि और ढाडी वीर रस की कविताओं और 'वारों' (साहसिक कथाओं) द्वारा सिखों के मन में उत्साह जगाने लगे।

इस तरह बहुत ही कम समय में एक बड़ी सिख सेना तैयार हो गई। गुरु जी ने अमृतसर में लौहगढ़ नाम का एक किला भी बनवाया। गुरु जी ने 2 जुलाई 1609 ई. को हरिमंदिर साहिब के सामने 'अकाल बुंगे' का निर्माण शुरू करवाया। बादशाह के तख्त के मुकाबले इसे 'अकाल तख्त' कहा गया।

सिखों की सैनिक तैयारियों ने जहांगीर को चिंतित कर दिया। उसने गुरु साहिब को गिरफ्तार करके ग्वालियर के किले में भेज दिया। वहां पहले से ही 52 राजा बगावत के आरोप में कैद थे। गुरु जी ने जेल का भोजन लेने से इंकार कर दिया। वे एक घसियारे सिख हरिदास द्वारा परिश्रम से जुटाया गया भोजन ग्रहण करते रहे। गुरु जी की कैद ने सिखों को आक्रोशित कर दिया। सिख बाबा बुढ्डा जी एवं भाई गुरदास के नेतृत्व में जत्थे बनाकर ग्वालियर जाते और किले की दीवारों को चूमते, परिक्रमा करते और लौट आते। सिखों के शांतिपूर्ण आंदोलन और न्यायप्रिय सलाहकारों के समझाने पर जहांगीर गुरु जी को रिहा करने के लिए तैयार हो गया।

गुरु जी ने कहा कि वे सिर्फ तभी रिहा होंगे, जब 52 राजाओं को भी रिहा किया जाएगा। यहां जहांगीर ने एक चाल चली। उसने कहा कि जितने राजा गुरु जी का चोला पकड़कर बाहर आ जाएंगे, उन्हें रिहा कर दिया जाएगा। भाई हरिदास ने गुरु जी के लिए ऐसा चोला तैयार करवाया जिसमें 52 कलियां थीं। हर राजा ने एक-एक कली पकड़ी और किले से बाहर आकर मुक्त हो गए। तब से गुरु जी 'बंदी छोड़ दाता' के नाम से प्रसिद्ध हो गए।

गुरु जी और मुगलों में चार युद्ध पिपली साहिब, अमृतसर का युद्ध (1629), हरगोबिंदपुर का युद्ध (1630), नथाणा का युद्ध (1631) एवं करतारपुर का युद्ध (1634) लड़े गए और इन चारों में गुरु हरिगोबिंद साहिब विजयी रहे।

गुरु जी ने इतने सारे महत्वपूर्ण कार्य मात्र 49 वर्ष की छोटी सी आयु में किये। गुरु परंपरा के अनुसार, छठे गुरु ने ज्योति जोत समाने से पांच दिन पूर्व अपने पौत्र गुरु हरिराय जी को गुरुगद्दी सौंप दी।

कामना लिंग द्वादश ज्योतिर्लिग में सर्वश्रेष्ठ



देवघर। साकार व निराकार शक्ति की पूजा करना हिंदू धर्म की प्राचीन अवधारणा रही है। दुनिया में सर्वश्रेष्ठ व सर्व प्राचीन ग्रंथ तो ऋग्वेद ही कसौटी पर है। ऋग्वेद के सूक्तों में शक्ति के विविध रूपों की व्याख्या की गयी है। यह वैदिक वांमय की धरोहर को अक्षुण्ण रखने वाला ग्रंथ है।

उपनिषद् पुन: उत्तरोत्तर ग्रंथ ब्राह्मण व पुराण है। भारतीय हिंदू कालीन अध्याय में रुद्र का शिव के रूप में स्थापित कर पूजा की गयी है। शिव पुराण के 38 वें अध्याय में रुद्र को शिव के रूप में स्थापित कर पूजा की गयी है। कहने का तात्पर्य है कि ऋग्वेदिक देवता रूद्र को पुराणों में शिव, महादेव, बैद्यनाथ, भवानी, शंकर, जटाधारी, त्रिशूलपाणि आदि नामों से संबोधित कर अर्चना की गयी है। शिव पुराण में आख्यान है - बैद्यनाथं चिताभूमो एवं परल्यां बैद्यनाथ

पहले तो बैद्यनाथ महादेव को कुछ मनीषी परलिग्राम परल्यां बैद्यनाथ च स्वीकारते रहे। लेकिन बाद में वाराणसी संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति सूरति नारायण त्रिपाठी व पंडित विष्णुकांत झा द्वारा लिखित पुस्तक बैद्यनाथ शिव प्रशस्ति में स्पष्ट कर दिया गया है कि बाबा बैद्यनाथधाम का महादेव ही द्वादश ज्योतिर्लिगों में श्रेष्ठ है।

श्री बैद्यनाथ सुप्रसिद्धेषु द्वादश च्योतिर्लिग गण्यते।

तन्माहात्म्यत्रय प्राय: पुराणोषु विस्तारेण समुपलभ्यते॥

इन महान देव महादेव की नगरी बाबाधाम/बैद्यनाथधाम की महत्ता आदि काल से रही है। आदि शंकराचार्य ने शिव पुराण में कहा है। पूर्वोत्तर प्रच्जवलिकां निधाने सदा वसंत गिरिजा समेतम

सुरा सुरा अराधित पादपद्यं श्री बैद्यनाथ तमहं नमामि॥

कहने का तात्पर्य है कि देवघर का ही महादेव वैद्यों के नाथ हैं। विश्व के तीर्थो में अग्रणी है बैद्यनाथधाम तीर्थ, जो झारखंड की सांस्कृतिक राजधानी देवघर में पड़ता है। जसीडीह जंक्शन से सात किलोमीटर की दूरी पर पूवरेत्तर दिशा में बाबा नगरी है। आख्यानों के मुताबिक डेढ़-दो शताब्दी पूर्व बैद्यनाथधाम (देवघर) में घोर अरण्य था। पन्द्रहवीं सदी पूर्व यह हरितकी के वृक्षों से परिपूर्ण था। पुराणों में इसे हरितकी वन की संज्ञा दी गयी है। पद्मपुराण का पाताल खंड देखा जाए तो इसके पहले अध्याय में पूर्व सागर गमिन्या, गंगाया दक्षिणो तटे। हरितकी वने दिव्ये दु:संचारे भयावहे। आधापि वर्तते चंडित बैद्यनाथे महेश्वर:॥ आनंद रामायण में भी श्री राम भगवान जब महर्षि यज्ञ वल्षय ऋषि से शांति के लिए जिज्ञासा करते हैं तो रावण: नर्थितो देव: कामदो हृदयेश्वर:, हरितकी वने..का जिक्त्र किया है। कालातंर में यही हरितकी वन प्रदेश हरिला क्षेत्र या हरिलाजोरी कह कर विख्यात है। यहां र्हे के पौधों की अधिकता थी। जो विभिन्न औषधियों के रूप में प्रयुक्त होता है। शिव पुराण में एक और प्रसंग आया है।

च्योतिर्लिगस्य रूपेण चिता भूमो प्रतिष्ठित-बैद्यनाथधाम चिता भूमि पर अवस्थित है। कहा गया है कि एक बार महान देव शिव के ससुर दक्ष ने शिवजी को यज्ञ में निमंत्रण नहीं दिया था। सती वहां पहुंची और पिता से मिली। पिता ने अपमान किया जिसे बर्दाश्त नहीं कर सकी और आहुति दे दी। महान आराध्य देव ने अपने रौद्र रूप धारण किया और सती को कंधे पर लिए उन्मत हो गये। पूरा विश्व थर्रा उठा। भगवान विष्णु जो विश्व के पालन करने वाले हें। उनके दरबार में देवताओं ने आवाज दी। अपने सुदर्शन चक्त्र को चला कर सती के अंग अंग को खंड-खंड कर डाला। सती का अंग विभिन्न स्थानों पर गिरा और तत्पश्चात इस वसुधा पर 51 शक्ति पीठ की स्थापना हुई। द्वादश च्योतिर्लिग की महत्ता आदि काल से चली आ रही है। ग्रंथों में आया है- झारखंडे बैद्यनाथ, झारखंड में बैद्यनाथ है। बाबा भोलेनाथ को बैद्यनाथ के नाम से संबोधित किया जाता है। शिव पुराण में कई ऐसे आख्यान हैं जो बताते हैं कि वैद्यों के नाथ हैं। कहा गया है कि शिव ने रौद्र रूप धारण कर अपने ससुर दक्ष का सिर त्रिशुल से अलग कर दिया। बाद में जब काफी विनती हुई तो बाबा बैद्यनाथ ने तीनों लोकों में खोजा पर वह मुंड नहीं मिला। इसके बाद एक बकरे का सिर काट कर दक्ष के धड़ पर प्रत्यारोपित कर दिया। इसी के चलते बकरे की ध्वनि - ब.ब.ब. के उच्चरण से महादेव की पूजा करते हैं। इसे गाल बजा कर उक्त ध्वनि को श्रद्धालु बाबा को खुश करते हैं। पौराणिक कथा है कि कैलाश से लाकर भगवान शंकर को पंडित रावण ने स्थापित किया है। इसी के चलते इसे रावणोश्वर बैद्यनाथ कहा जाता है। यहां के दरबार की कथा काफी निराली है।

गुजरात में होगा सबसे बड़ा 'सिद्धिविनायक' मंदिर,

अहमदाबाद। यूं तो गुजरात में सोमनाथ, अंबाजी, पावागढ़, अक्षरधाम जैसे दर्जनों विशाल मंदिर हैं। लेकिन अब यहां एक और विशाल मंदिर आकार लेने जा रहा है। इस गणेश मंदिर की विशेषता यह है कि इसका नाम ‘सिद्धिविनायक’ होगा। मंदिर का निर्माण अहमदाबाद के पास स्थित महेमदाबाद में वात्रक नदी किनारे हो रहा है। मंदिर का शिलान्यास 7 मार्च 2011 को हुआ था।Exclusive: गुजरात में होगा सबसे बड़ा 'सिद्धिविनायक' मंदिर, देखें तस्वीरें...
मंदिर के संचालक नरेंद्र भाई पुरोहित ने बातचीत में बताया कि सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 6 लाख स्क्वायर फीट में हो रहा है। मंदिर जमीन से 20 फीट ऊंचाई पर है। जिसमें भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना जमीन से 56 फीट की ऊंचाई पर की गई है। 3-5 फरवरी के बीच मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर से लाई गई ज्योत की स्थापना इस मंदिर में की जाएगी़ जिसके बाद इसे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा।

मंदिर एक नजर में:
निर्माण स्थल : 6 लाख स्क्वायर फीट
लंबाई : 120 फीट
ऊंचाई : 71 फीट
चौड़ाई : 80 फीट

ये व्यवस्थाएं भी:
- सीढ़ियों के साथ लिफ्ट की भी व्यवस्था।
- विशाल पार्किग एरिया, जिसमें 50 बसें, 500 कारें और 2 हजार से ज्यादा टू-व्हीलर पार्क हो सकेंगे।
- विशाल पार्क और खूबसूरत झरने।
- मंदिर के बीच फूलों के बगीचे स्वास्तिक आकार में।

शनिवार, 1 फ़रवरी 2014

जैसलमेर में नवयुवक ने की आत्महत्या



जैसलमेर के कोतवाली थाना इलाके में स्थित गडसीसर तालाब में शनिवार को एक युवक ने डूबकर आत्महत्या कर ली.

पुलिस के अनुसार अनिल (20) गडसीसर तालाब में कूद गया और डूब गया.

पुलिस को जानकारी मिलते ही तैराकों कि मदद से उसे निकाल कर अस्पताल पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

पुलिस के अनुसार मृतक मानसिक रोगी था. पुलिस ने अनिल का पोस्टमार्टम करवाने के बाद शव परिजनों को अन्तिम संस्कार के लिए सौंप दिया.

पुलिस मामले की जांच कर रही है.

भाजपा विधायक के घर तोड़फोड़, पथराव

जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक के घर जीप में भरकर आए युवकों ने जमकर उत्पात मचाया। जब तक विधायक युवकों के खिलाफ कोई कार्रवाई कर पाते सभी वहां से फरार हो गए।
विधायक के घर यह हमला राजस्थान के भीलवाड़ा में हुआ। विधायक का नाम विठ्ठल शंकर अवस्थी है, जिन्होंने शनिवार को हमलावरों के खिलाफ थाने में मामला दर्ज कराया है।

जानकारी के अनुसार आरोपी युवक एक दिन पूर्व शहर के सरकार कॉलेज के छात्रसंघ शपथ ग्रहण समारोह में हुए हंगामे का बदला लेने पहुंचे थे। युवकों को नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया से जुड़ा बताया जा रहा है। हालांकि, विधायक ने हमलावरों का अज्ञात बताया है।

शहर के सुभाष नगर पुलिस थाने से मिली जानकारी के अनुसार बोलेरो गाड़ी में कुछ युवक रात्रि में विधायक के निवास गए थे जहां उन्होंने उनके किराए के मकान के बाहर का कांच का हिस्सा तोड़ दिया तथा नारे बाजी की। विधायक और मकान मालिक के बाहर आने पर उपद्रवी वहां से भाग निकले।

अध्यक्ष की हुई थी पीटाई

गौरतलब है कि एनएसयूआई के छात्र शुक्रवार को कॉलेज में आयोजित वार्षिक उत्सवमें छात्रसंघ अध्यक्ष आशीष चौधरी की पिटाई से नाराज थे। अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने एनएसयूआई के अध्यक्ष के मुताबिक वार्षिक उत्सव भी आयोजित नहीं करने दिया था, जबकि अध्यक्ष ने उत्सव में सभी कांग्रेस नेताओं को आमंत्रित किया था। कॉलेज चुनाव में अध्यक्ष पद को छोड़कर सभी पदों पर परिषद के कार्यकर्ता विजयी रहे थे। लिहाजा वे अपने अनरूप उत्सव आयोजित कराना चाहते थे जिससे दोनों संगठनों में विवाद हो गया।

रामदेवरा "मोदी" कई बार गिरते-गिरते बचे।

रामदेवरा। राजस्थान के रामदेवरा में प्रशंसकों के घिरे "मोदी" कई बार गिरते-गिरते बचे। हालांकि, जब भिड़े उनके करीब पहुंची तो मोदी की पोल खुलकर सामने आई।
दरअसल, ये गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी नहीं उनके हमशक्ल थे।

जानकारी के अनुसार शनिवार को जैसलमेर के करीब रामदेवरा स्थान पर मोदी के पहुंचने की खबर सुन सैकड़ों लोगा वहां इकट्ठा हो गए। उन्हें देखने और उनके साथ फोटो खिंचवाने की होड़ मच गई। लेकिन बाद में पता चला वे मोदी के हमशक्ल है। ये हमशक्कल बाबा की समाधि के दर्शन के लिए रामदेवरा पहुंचे। उनके यहां पहुंचते ही भीड़ लग गई।

कौन है ये "मोदी"?

नरेन्द्र मोदी के ये हमशक्ल कोई ओर नहीं हनुमानगढ़ जिले के भादरा निवासी कन्हैयालाल पुत्र कालूराम हैं। शक्ल, कद काठी व कपड़ों से हू-ब-हू मोदी लगने वाले कन्हैयालाल ने बताया कि उसका चेहरा व कद काठी मोदी से मिलता जुलता है तथा अब उन्होंने पहनावा व चश्मा भी मोदी की तरह कर लगा लिया है।

विधानसभा चुनावों में भी भौचक्के

कन्हैयालाल ने बताया कि गत विधानसभा चुनाव में पीलीबंगा में मोदी के आगमन से पहले वहां पहुंचे, तो सुरक्षाकर्मी व प्रशासनिक अधिकारी भी भौंचक्के रह गए। उन्होंने बताया कि मोदी ने भी उन्हें गुजरात आकर मुलाकात के लिए निमंत्रण भेजा है।

राजस्थान की आत्मा में बसा है माँगणियार लोक-संगीत


- राजस्थान की आत्मा में बसा है माँगणियार लोक-संगीत

- राजस्थान का माँगणियार लोक-संगीत

https://www.youtube.com/watch?v=fg45aNVDkvY


लोकगीतों में धरती गाती है, पर्वत गाते हैं, नदियाँ गाती हैं, फसलें गाती हैं। उत्सव, मेले और अन्य अवसरों पर मधुर कंठों में लोक समूह लोकगीत गाते हैं। वैदिक ॠचाओं की तरह लोक-संगीत या लोकगीत अत्यंत प्राचीन एवं मानवीय संवेदनाओं के सहजतम स्त्रोत हैं।

 सुर-संगम की इस कड़ी में आप सबका अभिनंदन! आज से हम सुर-संगम में एक नया स्तंभ जोड़ रहे हैं - वह है 'लोक-संगीत'। इसके अंतर्गत हम आपको भारत के विभिन्न प्रांतों के लोक-संगीत का स्वाद चखवाएँगे। आशा करते हैं कि इस स्तंभ के प्रभाव से सुर-संगम का यह मंच एक 'आनंद-मेला' बन उठे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था,"लोकगीतों में धरती गाती है, पर्वत गाते हैं, नदियाँ गाती हैं, फसलें गाती हैं। उत्सव, मेले और अन्य अवसरों पर मधुर कंठों में लोक समूह लोकगीत गाते हैं। वैदिक ॠचाओं की तरह लोक-संगीत या लोकगीत अत्यंत प्राचीन एवं मानवीय संवेदनाओं के सहजतम स्त्रोत हैं।" भारत में लोक-संगीत एक बहुमूल्य धरोहर रहा है। विभिन्न प्रांतों की सांस्कृतिक विविधता असीम लोक कलाओं व लोक संगीतों को जन्म देती हैं। प्रत्येक प्रांत की अपनी अलग शैली, अलग तरीका है अपनी कलात्मक विविधता को व्यक्त करने का। आज हम जिस प्रांत के लोक-संगीत की चर्चा करने जा रहे हैं, वह प्रांत अपनी इसी कलात्मक विविधता, रचनात्मक शैलियों तथा रंगारग व पारंपरिक लोक-कलाओं के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है - आप समझ ही गए होंगे कि मैं बात कर रहा हूँ सांस्कृतिक व ऐतिहासिक धरोहरों से परिपूर्ण - राजस्थान की। एक ऐसा प्रदेश जिसका नाम ज़हन में आते ही आँखों के आगे छा जाते हैं ऐतिहासिक किलों, राजा-महाराजाओं, रंग-बिरंगे कपड़ों, व्यंजनो तथा लोक-कलाओं के मनमोहक चित्र।

राजस्थान की उर्वर लोक-कला व संगीत कई परंपरागत शलियों का मिश्रण है। एक ओर जहाँ घरेलु काम-काज जैसे कुएँ से पानी भर लाने, संबंधों, धार्मिक प्रथाओं, त्योहारों, मेलों, घरेलु व सामाजिक अनुष्ठानों और राजाओं-महाराजाओं को समर्पित लोक-गीत हैं, वहीं ईश्वर को समर्पित मीराबाई और कबीर के गीत भी हैं। राजस्थान के लोग परिश्रम से भरे और रेगिस्तान की कठोर धूप में बीती दिनचर्या के बाद फ़ुरसत मिलते ही स्वयं को प्रसन्न चित्त करने के लिए लोक-संगीतों, नृत्यों व नाट्यों का सहारा लेते हैं। वहाँ के हर समुदाय, हर प्रांत का लोक-संगीत विविध है, यहाँ तक कि इनके द्वारा प्रयोग किये जाने वाले वाद्‍य भी भिन्न हैं। जहाँ सामुदायिक लोक-संगीत की बात आती है वहाँ पर राजस्थान के लाँघा, माँगणियार, मिरासी, भाट व भांड आदि समुदायों का उल्लेख करना अनिवार्य बन जाता है। माँगणियार और लाँघा मुस्लिम समुदाय हैं जो राजस्थान में भारत-पाकिस्तान सीमा से सटे बाड़मेर और जैसलमेर के रेगिस्तानों में पाए जाते हैं। इनकी एक महत्त्वपूर्ण संख्या पाकिस्तान के सिंध प्रांत के थापरकर व सांघार ज़िलों में भी आबाद हैं। ये वंशानुगत पेशेवर संगीतकारों का समूह है जिनका संगीत अमीर ज़मींदारों और अभिजातों द्वारा पीढ़ियों से प्रोत्साहित किया जाता रहा है। आइए इस वीडियो द्वारा माँगणियार लोक कलाकारों की इस प्रस्तुति का आनंद लें जो इन्होंने दी थी ' द माँगणियार सिडक्शन' नामक एक कार्यक्रम में जिसे विश्व भर के अनेक देशों में प्रस्तुत किया गया और बेहद सराहा भी गया।

द माँगणियार सिडक्शन


लाँघा व माँगणियार समुदाय के लोक कलाकार मूलतः मुस्लिम होते हुए भी अपने अधिकतम गीतों में हिंदु देवी-देवताओं की तथा हिंदु त्योहारों की बढ़ाई करते हैं और 'खमाचा' अथवा 'कमयाचा' नामक एक खास वाद्‍य के प्रयोग करते हैं जो सारंगी का ही एक प्रतिरूप है। इसे घोड़े के बालों से बने गज को इसके तारों पर फ़ेरकर बजाया जाता है। माँगणियार समुदाय में कई विख्यात कलाकार हुए हैं जिनमें से ३ विशिष्ट गायकों को 'संगीत नाटक अकादमी' पुरस्कार से सम्मनित किया गया है, वे हैं - सिद्दीक़ माँगणियार, सकर खाँ माँगणियार और लाखा खाँ माँगणियार,अनवर खान । अब चूँकि ८ मार्च को 'विश्व महिला दिवस' मनाया गया, एक महत्त्वपूर्ण बात का मैं अवश्य उल्लेख करना चाहुँगा। वह ये कि माँगणियार समुदाय की रुकमा देवी माँगणियार अपने समुदाय की एकमात्र महिला कलाकार हैं और इन्हें वर्ष २००४ में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 'देवी अहिल्या सम्मान' से पुरस्कृत किया जा चुका है। माँगणियार व लाँघा लोक कलाकार मुख्यतः जिन शैलियों को प्रस्तुत करते हैं उनमें 'माँड' सबसे ज़्याद प्रसिद्ध है। इस लोक-संगीत का प्रचलन शतकों पहले राजस्थान के ऐतिहासिक राज-दरबारों से हुआ माना जाता है। उस समय के लोक कलाकार राजा तेजाजी, गोगाजी तथा राजा रामदेवजी की गौरव गाथा का बख़ान करते हुए 'माँड' गाया करते थे। इस शैली का एक लोकगीत जो अत्यधिक लोकप्रिय हुआ वह है - 'केसरिया बालम आवो सा, पधारो मारे देस'। इसकी लोकप्रियता इतनी हुई कि आज यह गीत राजस्थान का प्रतीक बन गया है। यहाँ तक कि कई हिंदी फ़िल्मों में भी इसका खूब प्रयोग हुआ। तो चलिए सुनते हैं भुट्टे खाँ और भुंगेर खाँ माँगणियार द्वारा प्रस्तुत माँड - 'केसरिया बालम आवो सा, पधारो मारे देस'।