सोमवार, 16 दिसंबर 2013

आलमजी के मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण

धोरीमन्ना। यहां पहाड़ में स्थित प्राचीन आलमजी के मंदिर की कृषि भूमि पर एक दर्जन दुकानों के अवैध निर्माण के खिलाफ सोमवार से धरने की घोषणा की गई है। यहां के पुजारियों ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे देव स्थान विभाग, जिला कलक्टर व विधायक लाधूराम विश्नोई को अलग-अलग पत्र भेज अतिक्रमण नहीं रोकने पर सोमवार से तहसील मुख्यालय पर अनिश्चितकालीन धरने की घोषणा की है।

पत्रानुसार एक पखवाड़े पूर्व चुनावो के दौरान यहां एक दर्जन दुकानों का निर्माण किया गया। तब शिकायतें की तो निर्माण रोका गया था अब यहां पर फिर कार्य प्रारम्भ हो गया है। मंदिर के पुजारियों ने तहसीलदार को शिकायतें की तो एक दिन कार्य रोककर फिर से दुकानों की छतें भर दी। रविवार को छुट्टी के दिन बड़ी संख्या में लोगो को लगाकर छते भरने का कार्य चला। इस पर मंदिर के पुजारियों ने धरना देने का निर्णय किया है।

बेशकीमती है भूमि
धोरीमन्ना के मुख्य चौराहे एवं राष्ट्रीय राजमार्ग के दोनो और आई हुई आलमजी के मंदिर की यह भूमि बेशकीमती है।इस भूमि पर पूर्व में भी प्रशासन चार बार अतिक्रमण हटा चुका है।यहां आलमजी के मंदिर की दुकाने बनाकर किराए पर दी जाए तो सालाना लाखों की आय देव स्थान विभाग को हो सकती है।

"हवस" की "हैवानियत"?

बाड़मेर। शहर में घूम रही एक मानसिक विक्षिप्त महिला को सब हिकारत की नजर से देखते हैं। उसके मैले कुचैले कपड़ो को देख कोई नजदीक नहीं आने देता। किसी दुकान की डयोढ़ी चढ़ती है तो पशुवत दुत्कार दिया जाता है।हैवानों ने इसे भी नहीं छोड़ा। यह महिला भी "मां" बनने वाली है। इसकी जानकारी भी तब लगी जब ऎसे मामलों का जिक्र सामने आया।
दरिंदों की गिद्ध दृष्टि
मानसिक विक्षिप्तों को शहर में हिकारत के सिवाय कुछ नहीं मिल रहा। महिला-पुरूष अर्द्ध नग्न हालत में इधर उधर घूमते नजर आते हैं। दिमागी रूप से जिनमें दरिंदगी हद पार कर गईहै ऎसे "वहशी दरिंदे"इन लाचार महिलाओं पर अपनी गंदी नजर रखते हंै।इसी का नतीजा है कि एक सुध बुध खो चुकी महिला मां बन गईहै और दूसरी की कोख में बच्चा है।

सिहर जाते हैं कल्पना से
जिन दो विक्षिप्त महिलाओं के साथ यह घटना हुई वो दोनो न सुख समझती हैं न दु:ख। मां बनने की पीड़ा और गोद में आई ममता की खुशी दोनो से अनजान हैं। उनका खुद का न कोईभविष्य है और न ही उन्हें यह पता है कि उनके साथ क्या हुआ?

सुविधा भी है
राज्य सरकार ने मानसिक विक्षिप्तों के पुनर्वास के लिए जिला मुख्यालय पर केन्द्र प्रारंभ किया है। बड़ा सा बोर्ड लगा हुआ पांच-सात कमरों का आलीशान मकान लिया हुआ है। शहर से एकदम बाहर इस मकान में एक किशोर को रखा हुआ है। इसके अलावा कुछ नहीं। सड़क पर घूम रहे मानसिक विक्षिप्तों को भी यहां रखने का नियम है। विशेषकर महिलाओं को लेकर संवेदना होनी ही चाहिए ताकि समाजकंटक हैवानों से बचाया जा सके लेकिन यहां ऎसा कुछ नहीं है।

चाइल्ड लाइन पर सवाल
जिले में लावारिस और असहाय बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए 1098 की सुविधा है। इस नंबर को डायल करते ही संबंधित संस्थान बच्चों को ले जाने का प्रबंध कर देती है।

दे सकते हैं सूचना
1098 नंबर काम कर रहा है और इसका प्रचार किया जा रहा है। महेश पनपालिया, प्रभारी संबंधित संस्थान
सभी को ले जाएंगे विक्षिप्त पुनर्वास केन्द्र नवंबर माह में ही प्रारंभ किया है। यहां मनोचिकित्सक की जरूरत है। इसके अलावा खाने,रहने और उनकी देखभाल की व्यवस्था रहेगी।

सुश्री लता कच्छवाह, प्रभारी संबंधित संस्थान

हमारी देखरेख में
विक्षिप्त महिला के एक महीने में ही बच्चा होने वाला है।जानकारी मिलने के बाद उसकी देखरेख करने लगे हैं।सवाल यह है कि इन बच्चों का भविष्य क्या होगा? इनकी नियमित देखभाल कैसे संभव होगी?
पुरूषोत्तम सोलंकी, अध्यक्ष मानव सेवा धर्म ट्रस्ट

प्राणहीन व्यक्ति का कृत्य
मानसिक विक्षिप्त महिलाओं के सुधार गृह हैं। उन्हें दवा दी जाए तो ठीक हो जाती है। ऎसी महिलाएं दिखते ही सुधार गृह में भेजा जाए। यहां तो और भी संवेदनशीलता दिखाई जाए ताकि यह घटनाएं दोहराई न जा सके।
रवि गुण्ठे, मनोचिकित्सक

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवों के प्रतिक



त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर महाराष्ट्र के नासिक जिले में है । नासिक से २८ किमी दुरी पर है। यहा के निकटवर्ती ब्रह्मगिरी नामक पर्वत से गोदावरी नदी का उद्गम है। गौतम ऋषि तथा गोदावरी के प्रार्थनानुसार भगवान शिव इस स्थान में वास करने की कृपा की और त्र्यंबकेश्वर नाम से विख्यात हुए। मंदिर के अंदर एक छोटे से गङ्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग है, ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवों के प्रतिक माने जाते हैं। शिवपुराण के ब्रह्मगिरी पर्वत के ऊपर जाने के लिये चौडी-चौड़ी सात सौ सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। इन सीढ़ियों पर चढ़ने के बाद 'रामकुण्ड' और 'लष्मणकुण्ड' मिलते हैं और शिखर के ऊपर पहुँचने पर गोमुख से निकलती हुई भगवती गोदावरी के दर्शन होते हैं।

गोदावरी नदी के किनारे स्थित त्र्यंबकेश्‍वर मंदिर काले पत्‍थरों से बना है। मंदिर का स्‍थापत्‍य अद्भुत है। इस मंदिर में कालसर्प शांति, त्रिपिंडी विधि और नारायण नागबली की पूजा संपन्‍न होती है। जिन्‍हें भक्‍तजन अलग-अलग मुराद पूरी होने के लिए करवाते हैं। इस प्राचीन मंदिर का पुनर्निर्माण तीसरे पेशवा बालाजी अर्थात नानासाहब पेशवा ने करवाया था। इस मंदिर का जीर्णोद्धार १७५५ में शुरू हुआ था और ३१ साल के लंबे समय के बाद १७८६ में जाकर पूरा हुआ। कहा जाता है कि इस भव्य मंदिर के निर्माण में करीब १६ लाख रुपए खर्च किए गए थे, जो उस समय काफी बड़ी रकम मानी जाती थी।

गाँव के अंदर कुछ दूर पैदल चलने के बाद मंदिर का मुख्यद्वार नजर आने लगता है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर की भव्य इमारत सिंधु-आर्य शैली का उत्कृष्ट नमूना है। मंदिर के अंदर गर्भगृह में प्रवेश करने के बाद शिवलिंग की केवल आर्घा दिखाई देती है, लिंग नहीं। गौर से देखने पर आर्घा के अंदर एक-एक इंच के तीन लिंग दिखाई देते हैं। इन लिंगों को त्रिदेव- ब्रह्मा-विष्णु और महेश का अवतार माना जाता है। भोर के समय होने वाली पूजा के बाद इस आर्घा पर चाँदी का पंचमुखी मुकुट चढ़ा दिया जाता है। प्राचीनकाल में त्र्यंबक गौतम ऋषि‍ की तपोभूमि थी। अपने ऊपर लगे गोहत्या के पाप से मुक्ति पाने के लिए गौतम ऋषि ने कठोर तप कर शिव से गंगा को यहाँ अवतरित करने का वरदान माँगा। फलस्वरूप दक्षिण की गंगा अर्थात गोदावरी नदी का उद्गम हुआ।

शिवरात्री और सावन सोमवार के दिन त्र्यंबकेश्वर मंदिर में भक्तों का ताँता लगा रहता है। भक्त भोर के समय स्नान करके अपने आराध्य के दर्शन करते हैं। यहाँ कालसर्प योग और नारायण नागबलि नामक खास पूजा-अर्चना भी होती है, जिसके कारण यहाँ सालभर लोग आते रहते हैं।

रविवार, 15 दिसंबर 2013

विजय दिवस की 44वीं बरसी, 1971 का भारत-पाक युद्ध

थार रेगिस्तान में लोंगेवाला की लड़ाई पांच और छह दिसंबर 1971 को लड़ी गयी थी। इस लड़ाई के दौरान 23 वीं पंजाब रेजीमेन्ट के 120 भारतीय सिपाहियों की एक टोली ने पाकिस्तानी सेना के दो से तीन हज़ार फौजियों के समूह को धूल चटा दी थी । भारतीय वायु सेना ने इस लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी।



1971 की भारत पाकिस्तान लड़ाई का मुख्य-फोकस था सीमा का पूर्वी हिस्सा । पश्चिमी हिस्से की निगरानी सिर्फ इसलिए की जा रही थी ताकि याहया खान के नेतृत्व में लड़ रही पाकिस्तानी सेना इस इलाक़े पर क़ब्ज़ा करके भारत-सरकार को पूर्वी सीमा पर समझौते के लिए मजबूर ना कर दे ।


पाकिस्तान के ब्रिगेडियर तारिक मीर ने अपनी योजना पर विश्वास प्रकट करते हुए कहा था--इंशाअल्लाह हम नाश्ता लोंगेवाला में करेंगे, दोपहर का खाना रामगढ़ में खाएंगे और रात का खाना जैसलमेर में होगा । यानी उनकी नजऱ में सारा खेल एक ही दिन में खत्म हो जाना था। 1971 में नवंबर महीने के आखिरी हफ्ते में भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के सिलहट जिले के अटग्राम में पाकिस्तानी सीमा पोस्टों और संचार-केंद्रों पर जोरदार हमला कर दिया था । मुक्ति वाहिनी ने भी इसी दौरान जेसूर पर हमला कर दिया था। पाकिस्तानी सरकार इन हमलों से घबरा गयी थी, क्योंकि ये तय हो चुका था कि पूर्वी पाकिस्तान अब सुरक्षित नहीं रहा। पाकिस्तान को बंटवारे से बचाने के लिए याहया ख़ान ने मो. अयूब ख़ान की रणनीति को आज़माया जिसके मुताबिक़ पूर्वी पाकिस्तान को बचाने की कुंजी थी पश्चिमी पाकिस्तान । उनकी कोशिश यही थी कि भारत के पश्चिमी हिस्से में ज्यादा से ज्यादा इलाक़े को हड़प लिया जाये ताकि जब समझौते की नौबत आए तो भारत से पाकिस्तान के 'नाज़ुक-पूर्वी-हिस्से' को छुड़ावाया जा सके।


पाकिस्तान ने पंजाब और राजस्थान के इलाक़ों में अपने जासूस फैला रखे थे । उनकी योजना किशनगढ़ और रामगढ़ की ओर से राजस्थान में घुसपैठ करने की थी । पाकिस्तान के ब्रिगेडियर तारिक मीर ने अपनी योजना पर विश्वास प्रकट करते हुए कहा था--इंशाअल्लाह हम नाश्ता लोंगेवाला में करेंगे, दोपहर का खाना रामगढ़ में खाएंगे और रात का खाना जैसलमेर में होगा । यानी उनकी नजऱ में सारा खेल एक ही दिन में खत्म हो जाना था ।

उन दिनों लोंगेवाल पोस्ट पर तेईसवीं पंजाब रेजीमेन्ट तैनात थे जिसके मुखिया थेमेजर के एस चांदपुरी। बाक़ी बटालियन यहां से सत्रह किलोमीटर उत्तर-पूर्व में साधेवाल में तैनात थी। जैसे ही तीन दिसंबर को पाकिस्तानी वायुसेना ने भारत परहमला किया, मेजर चांदपुरी ने लेफ्टीनेन्ट धरम वीर के नेतृत्व में बीस फौजियों की टोली को बाउंड्री पिलर 638 की हिफ़ाज़त के लिए गश्त लगाने भेज दिया । ये पिलर भारत पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर लगा हुआ था । इसी गश्त ने पाकिस्तानी सेना की मौजूदगी को सबसे पहले पहचाना था।
उपकरण नहीं लगे थे इसलिए दिन का उजाला होने तक वायुसेना हमला नहीं कर सकती थी। बहरहाल दोपहर तक भारतीय हवाई हमले ने पाकिस्तानी सेना के चालीस टैंकों और सौ गाडिय़ों को तबाह कर दिया और उसकी कमर तोड़ दी ।

पांच दिसंबर की सुबह लेफ्टिनेन्ट धरमवीर को गश्त के दौरान सीमा पर घरघराहट की आवाज़ें सुनाई दीं । जल्दी ही इस बात की पुष्टि हो गयी कि पाकिस्तानी सेना अपने टैंकों के साथ लोंगेवाला पोस्ट की तरफ बढ़ रही है । फौरन मेजर चांदपुरी ने बटालियन के मुख्यालय से संपर्क करके हथियार और फौजियों की टोली को भेजने का निवेदन किया । इस समय तक लोंगेवाला पोस्ट पर ज्यादा हथियार नहीं थे । मुख्यालय से निर्देश मिला कि जब तक मुमकिन हो भारतीय फौजी डटे रहें, पाकिस्तानी सेना को आगे ना बढऩे दिया जाए । मदद भेजी जा रही है ।

लोंगेवाला पोस्ट पर पहुंचने के बाद पाकिस्तानी टैंकों ने फायरिंग शुरू कर दी और सीमा सुरक्षा बल के पांच ऊंटों को मार गिराया । इस दौरान भारतीय फौजियों ने पाकिस्तान के साठ में से दो टैंकों को उड़ाने में कामयाबी हासिल कर ली । संख्या और हथियारों में पीछे होने के बावजूद भारतीय सिपाहियों ने हिम्मत नहीं हारी । सबेरा हो गया, लेकिन पाकिस्तानी सेना लोंगेवाल पोस्ट पर क़ब्ज़ा नहीं कर सकी । भारतीय वायुसेना के हॉकर हंटर एयरक्राफ्ट में उपकरण नहीं लगे थे इसलिए दिन का उजाला होने तक वायुसेना हमला नहीं कर सकती थी । बहरहाल दोपहर तक भारतीय हवाई हमले ने पाकिस्तानी सेना के चालीस टैंकों और सौ गाडिय़ों को तबाह कर दिया और उसकी कमर तोड़ दी । इस बीच थल-सेना की मदद भी आ पहुंची और पाकिस्?तान को यहां से पीछे हटना पड़ा।

तीन दिसंबर 1971 को जब पाकिस्तानी वायुसेना ने अमृतसर, अवंतीपुर, पठानकोट, उत्तरलई, अंबाला, आगरा, नल और जोधपुर पर हवाई हमले कर दिए थे । पाकिस्तानी सेना का फोकस था लोंगेवाला पोस्ट पर । वो भारतीय सरज़मीं का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा हड़प लेना चाहते थे । पांच दिसंबर की सुबह बेस कमान्डर को एक रेडियो-संदेश आया कि पाकिस्?तानी सेना टैंकों के साथ रामगढ़ की तरफ बढ़ रही है । जितनी जल्दी हो सके छानबीन की जाए । भारतीय वायुसेना के पहले दो हंटर विमानों ने जब उड़ान भरी तो लोंगेवाला पर पाकिस्तानी सेना का हमला जारी था, हालांकि वो बहुत ज्यादा कामयाबी नहीं हासिल कर पाई थी । फ्लाईट लेफ्टिनेन्ट डी.के.दास और फ्लैग ऑफीसर आर.सी.गोसाईं अपने विमान को काफी कम ऊंचाई पर लेकर आए और पाकिस्तान के टैंकों पर निशाना साधा। अब लड़ाई भारतीय वायुसेना और पाकिस्तान तोपख़ाने के बीच थी । हमारे हवाई जांबाज़ पाकिस्तानी टैंकों को ध्वस्त कर रहे थे । पर पाकिस्तानी सेना लोंगेवाल की ओर बढ़ती चली जा रही थी। एक के बाद एक भारतीय वायुसेना के विमान उड़ान भर रहे थे और हमले कर रहे थे । आखिरकार पांच और छह दिसंबर को लगातार हमले करने के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर ही दिया ।

लोंगेवाल की लड़ाई के अनुभव भारतीय वायुसेना के विंग कमान्डर कुक्के सुरेश ने भी लिखी है। कुल मिलाकर रामगढ़ जैसलमेर की यात्रा के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच हुई 1971 की लड़ाई के इस अध्याय की वो रोमांचक कहानियां सुनने मिलीं, जिनके बारे में मुझे ज्यादा नहीं पता था। आपको बता दें कि इस लड़ाई के ठीक एक साल बाद अपन इस दुनिया में आए थे । बहरहाल इन इलाक़ों में जाना और इनके सामरिक महत्व को समझना अपने आप में एक रोमांचक अनुभव रहा।

आमजन की समस्याओं के लिए सदैव तत्पर रहूंगा-कागा

आमजन की समस्याओं के लिए सदैव तत्पर रहूंगा-कागा

बाड़मेर



मेघवाल समाज शैक्षणिक एवं शोध संस्थान बाड़मेर के तत्वाधान में चौहटन के नव निर्वाचित विधायक तरूणराय कागा का अभिनंन समारोह आयोजित किया गया। समारोह को संबोधित करते हुए कागा ने कहा कि आप सबके सहयोग से आमजन की समस्याओं का समाधान करने का प्रयास करूगा। मुझे मेघवाल समाज पर गर्व है आपके सहयोग से मैं विधायक बना हूं। उन्होने भरोसा दिलाया कि आप लोगो ने जो विश्वास जताया उस पर खरा उतरने की कोशिश करूगा और हमेशा समाज के हर कार्य के साथ खड़ा रहुंगा। समाज का कोई भी काम किसी के भरोसे न छोड़कर हम सभी को मिलकर करना होगा। अपनी भावना व्यक्त करते हुए उन्होने कहा कि चौहटन क्षैत्र की समस्या नही बल्कि पुरे बाड़मेर क्षैत्र की समस्याओं का भी समाधान करना होगा। संस्थान के अध्यक्ष डॉ. बीएल मंसूरिया ने कहा कि चौहटन की जनता के साथ साथ पुरे बाड़मेर जिले के दलितो का प्रतिनिधित्व आपको करना है। जनता ने जो आप पर विश्वास जताया है, उस पर खरा उतरने की कोशिश करे। उदाराम मेघवाल ने कहा कि आपके दलितो पर होने वाले अत्याचार के विरूद्ध हमेशा आवाज उठाई और आगे भी उठाते रहेंगे। आदुराम मेघवाल ने कहा कि हमारी सरकार में आमजन की भलाई के कार्य के लिये हमेशा तत्पर रहेंगे। समारोह को जसराज चौहान, हजारीराम, धर्माराम ने भ्ज्ञी संबोधित किया। इस अवसर पर भूरटिया पूर्व सरपंच, तिलाराम, दशरथ मेघवाल, देवजीराम, बाकाराम मेघवाल, खीमराज, रामचन्द्र, ठाकराराम मंसूरिया, सवाईराम, डॉ दिनेश परमार, रूपाराम, सालाराम परिहार, जयराम सहित कई लोग उपस्थित थे।

विजय दिवस कल

विजय दिवस कल
बाड़मेर
अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिशद् बाड़मेर के अध्यक्ष केप्टन हीरसिंह भाटी ने बताया है कि स्वतंत्र भारत के सामरिक इतिहास का सबसे गौरवषाली दिन 16 दिसम्बर 1971 जिस दिन सायं 4.31बजे ढ़ाका (बांग्लादेष) के रेसकोर्स मैदान पर पाकिस्तानी सेना के लेफ्टीनेन्ट जनरल नियाजी ने तिरानवे हजार सैनिको के साथ भारतीय सेना के कमाण्ड़र जनरल अरोड़ा के सामने अपने हथियार डालते हुए आत्मसमर्पण किया था, इसी के साथ इतिहास के एक नए पृश्ठ की रचना हो गई। इस विशय में लेफ्टीनेन्ट जनरल सगतसिंह व जनरल मानेक्षा ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस विजय को प्राप्त करने में भारत के चार हजार रणबांकुरो ने षहादत दी व दस हजार सैनिक घायल हुए, इस षहादत को अक्षुण बनाये रखने के लिये हर वर्श की भांति इस वर्श भी अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिशद् बाड़मेर एवं नगरपरिशद् बाड़मेर के सयुक्त तत्वावधान में विजय दिवस समारोह दिनांक 16 दिसम्बर 2013 को षहीद चैराहा, सिणधरी रोड़ बाड़मेर पर प्रातः 11बजे मनाया जायेगा।
इस समारोह को भव्य बनाने के लिये बैण्ड़ व बिगुलर की धुन पर आर्मी, एयरफोर्स, बीएसएफ व राजस्थान पुलिस के जवानो द्वारा गार्ड आॅफ आनर दिया जायेगा। समारोह में जिला कलक्टर, अतिरिक्त जिला कलक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त जिला पुलिस अधीक्षक, उपखण्ड़ अधिकारी बाड़मेर, वृताधिकारी बाड़मेर, आयुक्त नगरपरिशद् बाड़मेर, श्रीमति मदन कौर जिला प्रमुख, हेमाराम पूर्व राजस्व मंत्री, राज0 सरकार, सोनाराम पूर्व विधायक बायतु, उशा जैन सभापति नगरपरिशद् बाड़मेर, मेवाराम विधायक बाड़मेर, तरुणराय कागा विधायक चैहटन, डाॅ0 जालमसिंह पूर्व विधायक षिव, डाॅ0 प्रियंका चैधरी, एयर कमाण्ड़र ऐयरफोर्स उत्तरलाई, कमाणिड़ंग आफिसर जसाई, स्टेषन कमाण्ड़र जसाई, सेक्टर कमाण्ड़र बीएसएफ, कमाण्ड़िंग आफिसर 99 बीएसएफ, कमाण्ड़िंग आफिसर 107 बीएसएफ, कमाण्डिंग आफिसर जालिपा, भरतराम पूर्व चैयरमैन षिक्षा बोर्ड राजस्थान, वार्ड पार्शद एवं जिला प्रषासन के अधिकारी, कर्मचारी एवं बाड़मेर के आमजन उपस्थित रहेंगे।

देश को एकता के सूत्र मे पिरोने दौडे़ युवा

देश को एकता के सूत्र मे पिरोने दौडे़ युवा


जैसलमेर  राष्ट्र को अखण्डता की डोर में बांधने वाले लौहपुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि पर आयोजित दौड रन फोर युनिटी में जैसलमेर के हजारों यूवाओं ने उत्साह से भाग लिया। जिला संघ सरकार्यवाह तिलोकचन्द खत्री ने हरी झंडी दिखाकर दौड का शुभारंभ किया। इस दौड़ में जैसलमेर के सैंकड़ों धावकों ने भारत माता की जय, सरदार वल्लभ भाई पटेल जिन्दाबाद, वन्देमातरम्, नरेन्द्र मोदी जिन्दाबाद के नारे लगाते हुए दौड़ना प्रारम्भ किया। इस मैराथन में भाग लेने वाले धावकों का जगह-जगह पुष्प वर्षा से स्वागत किया गया। जिला भाजपा प्रवक्ता कंवराजसिंह चैहान ने बताया कि नरेन्द्र मोदी प्रेरित महाअभियान ‘‘दौड़ेगा भारत, जुडे़गा भारत‘‘ के तहत रविवार सुबह से ही गड़ीसर चैराहे पर युवाओं का जमावड़ा लगना शुरू हो गया। सैकडों़ की संख्या में रन फाॅर युनिटी के टीसर्ट व दुपट्टे लगाये युवाओं ने उत्साह से भाग लिया।


जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी एवं पोकरण विधायक शैतानसिंह राठौड़ ने भी मैराथन दौड में युवाओं का हौसला अफजाई किया। इस दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष स्वरूपसिंह हमीरा, जुगलकिषोर व्यास, गोपी किषन मेहरा, मदनसिंह, मुकेष गज्जा, अरूण पुरोहित, जुगल बोहरा, विवेक गोस्वामी समेत कई सामाजिक संगठनों के सैकडों कार्यकर्ता उपस्थित थे।

मानवेन्द्रसिंह दो दिवसीय दौरे पर बाड़मेर में

मानवेन्द्रसिंह दो दिवसीय दौरे पर बाड़मेर में


बाड़मेर। शिव विधायक मानवेन्द्रसिंह विधायक बनने के बाद पहली बार दो दिवसीय दौरे पर बाड़मेर आ रहे है। इस दौरान मानवेन्द्रसिंह विभिन्न धार्मिक स्थलों पर दर्शन करने के बाद कार्यकर्ताओं और आम जनता से मिलकर विधानसभा चुनावों में सहयोग के लिए धन्यवाद अदा करेगें।


विधायक के तय कार्यक्रम के अनुसार शिव विधायक सोमवार को नागाणा गांव में नाग्णेचियां माता मंदिर में देवी के दर्शन कर जसोल होते हुए बाड़मेर पहुंचेगें। बाड़मेर में कार्यकर्ताओं से मुलाकत कर मानवेेन्द्रसिंह विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत की बधाई देने के साथ ही चुनावों में सहयोग करने के लिए कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करेगेें। दौरे के अगले दिन मंगलवार को मानवेन्द्रसिंह चैहटन के जगदीशपुरी मठ, वैरथान, वीरातरा में दर्शन करने के बाद धोक, घोनिया, बीजराड़, जाखड़ों की ढाणी, जाट बस्ती, सेलाउ, गरडि़या, गागरिया, रामसर, भाचभर, देरासर आदि गांवों का दौरा कर आम जनता का धन्यवाद ज्ञापित करेगें।


गौरतलब है कि चुनाव परिणामों के बाद मानवेन्द्रसिंह मुख्यमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए जयपुर चले गए थे।

अज़ब गज़ब कहानी। । परी समझा जिसे निकली वृदा। । आप खोया कि हत्या। ।अब हुआ सलाखों के पीछे

 अज़ब गज़ब कहानी। । परी समझा जिसे निकली वृदा। । आप खोया कि हत्या। ।अब हुआ सलाखों के पीछे 


 बाड़मेर कहते हे कि प्रेम अँधा होता हें। मगर खूबसूरत प्रेमिका कि हसरत पाले प्रेमी के सामने अनचाहा चेहरा आ जाये तो अंजाम क्या होता हें यह बाड़मेर जिले के रावतसर में एक प्रेम हत्या के खुलासे में सामने आया। रावतसर के समीप करना नदी निवासी महेंद्र कुमार का गलती से एक बार फोन एक महिला को लग गया। इस कॉल ने अपना रंग दिखाना शुरू किया ,महिला कॉल के जरिये उससे प्यार कि पींगे बढ़ने लगी। उसे लगा फोन करने वाली खूबसूरत युवती हें। वह उसके प्यार में पागल हो गया। उसने इस कॉल वाली को लेकर कई सपने पाल लिए। एक दिन इसने उसे घर बुला लिया। जब सामने खड़ी महिला को अपनी प्रेमिका के रूप में देखा तो उसका पारा चढ़ गया। उसने उसकी चुपचाप हत्या कर फरार हो गया। इस ब्लाइंड मर्डर में पुलिस ने स्वविवेक से हत्या का मामला दर्ज कर जांच आरम्भ कर आरोपी को आज गिरफ्तार कर अंजाम तक पहुँचाया

बाड़मेर जिले के सदर थाना क्षेत्र के रावतसर गांव मे दो माह पूर्व एक अधेड़ विधवा महिला की मौत का पुलिस ने खुलासा करते हुए एक आरोपी युवक को गिरफ्तार करने मे कामयाबी हासिल की। पुलिस के अनुसार आरोपी की महिला के साथ फोन पर बातचीत होती रहती है। फोन पर बातो का सिलसिला प्यार में तब्दील हो गया। एक दिन महिला ने उसे घर बुला दिया। जब युवक महिला से मिलने के लिए उसके घर पहुंचा और महिला को देखा तो चक्कर खा गया। जिस महिला को खूबसूरती कि परी मान कर दीवाना हुआ था। उसे लगता था की महिला जवान है लेकिन सामने खड़ी महिला तो उम्र दराज निकली युवक अपने आपे से बाहर हो गया और महिला की मौके पर हत्या कर फरार हो गया।


उसने पुलिस से बचने के लिए हर संभव कोशिश की लेकिन कहते है ना की कानून के हाथ बड़े लंबे होते है। महिला के आगे पिछे कोई नही था लेकिन पुलिस ने एक उदाहरण पेश किया। पुलिस ने मौत को संदिग्ध मानते हुए मृग दर्ज कर जांच शुरु की जिस पर मात्र पुलिस मोबाईल कॉल डिटेल के आधार पर पुलिस स्वविवेक से हत्या का मामला दर्ज कर आरोपी युवक को सलाखो के पिछे धकेल दिया। युवक ने हत्या की बात को स्वीकार करते हुए सनसन्नी खेज खुलासा किया। 

वीओ-बाड़मेर जिले के सदर थाना क्षेत्र के रावतसर गांव मे 20 अक्टुम्बर को संदिग्ध अवस्था मे महिला की मौत को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरु की जिस पर दो माह बाद मोबाईल डिटेल के आधार पर आरोपी युवक को गिरफ्तार कर यह जता दिया की पुलिस की जांच पानी का पानी करने वाली होती है। वही इस मामले मे पुलिस के सामने बड़ी चुनौती थी की पुरे मामले मे पुलिस के पास कोई सबूत नही था।


पुलिस ने मोबाईल की डिटेल आधार पर इस अनसुलजी गुत्थी को सुलझाते हुए आरोपी महेद्र कुमार पुत्र देदाराम जाति मेघवाल निवासी करनाणी नाडी सिणधरी को गिरफ्तार करने मे कामयाबी हासिल की। सदर थानाधिकारी ओपी उज्जवल के अनुसार मृतका का मोबाईल गायब होने पर जांच शुरु की जिस पर आरोपी तक पहुंचने के लिए हमारी टीम को काफी मशक्कत करनी पड़ी लेकिन अंत मे आरोपी को गिरफ्तार करने मे कामयाबी मिली। आरोपी ने जुर्म कबुल करते हुए कहा की फोन पर महिला से दोस्ती हुई थी। और महिला के घर पहुंचा पर महिला की उम्र ज्यादा होने के कारण उसे जान से मार दिया। 








चार साल की उम्र और दिमाग आइंस्टीन जैसा



लंदन। ब्रिटेन में चार साल के एक बच्चे का आई क्यू भौतिक शास्त्री अलबर्ट आइंस्टीन, माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स और भौतिक शास्त्री स्टीफन हॉकिंस के बराबर है। बौद्धिकता का परीक्षण करने वाली संस्था मेनसा इंटरनेशनल ने शेरविन साराबी का बौद्धिक स्तर 160 मापा है।

शेरविन ने दो साल की उम्र में ही स्कूल जाना शुरू कर दिया था। उसने अपना पहला शब्द महज दस महीने की उम्र में बोला था, जबकि 20 महीने में वह पूरा वाक्य बोलने लगे थे। तीन साल की उम्र में मेनसा इंटरनेशनल के सदस्य बने शेरविन का बौद्धिक स्तर इस समय अपनी उम्र से दोगुना है। शैक्षिक मनोवैज्ञानिक डॉक्टर पीटर कोंगडोन ने कहा कि मैं बहुत से असाधारण बच्चों से मिला हूं। लेकिन जब मैंने शेरविन से मुलाकात की, तो मुझे लगा कि वह बहुत खास है। ़शेरविन की मां 37 वर्षीय अमेंडा साराबी शिक्षिका रह चुकी हैं।



उन्होंने कहा, वह बहुत सवाल पूछता है और मैं पूरी कोशिश करती हूं कि उसके हर सवाल का जवाब दे सकूं। चार साल के बच्चे की तुलना में शेरविन का सामान्य ज्ञान बहुत अच्छा है। अमेंडा ने बताया कि शेरविन अब तक 940 किताबें पढ़ चुका है और उसकी सबसे पसंदीदा किताब इनसाइक्लोपीडिया है।

11 साल के बच्चे को 50 साल कारावास

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में आतंकवाद निरोधी एक अदालत ने एक 11 वर्षीय बच्चे को 50 वर्ष कारावास की सजा सुनाई और दो लाख रूपए का जुर्माना लगाया है। बच्चे को यह सजा इस वर्ष के प्रारंभ में एक विचाराधीन कैदी की न्यायालय परिसर में हत्या करने के लिए सुनाई गई है।
हाफिज घयास नामक हथकड़ी लगा कैदी जून में एक सुनवाई के बाद न्यायालय से निकल रहा था। उसी दौरान 11 वर्षीय गौहर नवाज ने उसे गोलियों से भून दिया। घयास पर संदेह था कि उसने निजी दुश्मनी के कारण गौहर के पिता की हत्या की थी और इसी कारण उसे गिरफ्तार किया गया था।

गौहर को पुलिस ने तत्काल गिरफ्तार कर लिया और आतंकवाद निवारक अदालत में उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। न्यायाधीश चौधरी इम्तियाज अहमद ने शनिवार को कहा कि उन्होंने बच्चा होने के कारण गौहर नवाज को बहुत ही कम सजा दी है।

गौहर ने कहा कि वह अपने पिता की मौत का बदला लेना चाहता था। उसने बताया कि जिस पिस्तौल से उसने इस हत्या को अंजाम दिया, उसे महज 500 रूपए में खरीदा था। बच्चे ने बताया कि उसने पिस्तौल को महिलाओं के एक बैग में रखा और अदालत के अंदर चला गया। पुलिस ने न्यायालय के द्वार पर बैग की जांच नहीं की।

इंडियन आइडल फेम संदीप आचार्य का निधन

बीकानेर। इंडियन आयडल 2 के विजेता रहे संदीप आचार्य का रविवार सुबह निधन हो गया।
29 साल के संदीप को पीलिया से ग्रस्त होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

बीकानेर निवासी संदीप आचार्य की मौत गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में हुई।

आचार्य के निधन की खबर सुनते ही उनके प्रमियों में शोक की लहर दौड़ गई। सुबह से ही लोग बीकानेर स्थित उनके घर पर जुटना शुरू हो गए हैं।

परिजनों के अनुसार, रविवार देर रात उनका शव बीकानेर लाए जाने की संभावना है। संदीप आचार्य का जन्म 4 फरवरी 1984 को राजस्थान के बीकानेर में हुआ था।

"समलैंगिकता अप्राकृतिक कार्य, नहीं किया जा सकता समर्थन"

नई दिल्ली। समलैंगिकता के खिलाफ आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भले ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी समर्थन में उतर आए हों, लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनात सिंह इसके विरोध में उतर आए हैं। "समलैंगिकता अप्राकृतिक कार्य, नहीं किया जा सकता समर्थन"
राजनाथ ने कहा कि समलैंगिकता एक अप्राकृतिक कार्य है जिसका समर्थन नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी धारा 377 का समर्थन करती है।

धारा 377 समलैंगिकता को अवैध ठहराती है। इसके तहत पकड़े जाने पर उम्र कैद की सजा हो सकती है।

भाजपा प्रमुख ने कहा कि समलैंगिकता एक अप्राकृतिक कार्य है और हम ऎसी किसी चीज का समर्थन नहीं कर सकते जो अस्वाभाविक हो। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा ऎसे कदम का विरोध करेगी जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रद्द करने के लिए उठाया जाएगा।

भाजपा प्रमुख का बयान उन अटकलबाजियों के बीच आया है जिसमें कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिकता के खिलाफ आए फैसले के विरोध में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकती है।

पति ने पत्नी के माथे में ठोकी 5 इंच कील

दिल्ली। दिल्ली के संगम विहार क्षेत्र में एक व्यक्ति ने अवैध संबंध के शक में अपनी पत्नी के माथे में पांच इंच की कील ठोक दी। घटना गुरूवार देर रात की है। कील ठोकने के बाद आरोपी ने पीडिता को रातभर अपने तीन बच्चों के साथ छोड़ दिया। उसे पड़ोसियों ने सुबह पुलिस ने बताया कि ने पीडिता ममता (27) हमले के बाद कोमा में चली गई थी। आरोपी पति को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया गया। पति ने पत्नी के माथे में ठोकी 5 इंच कील
पुलिस ने बताया कि घटना गुरूवार देर रात की है जब पप्पू और ममता घर मे अपने तीन बच्चों के साथ थे। आरोपी को शक था कि ममता का किसी और के साथ अवैध संबंध है।

केद्रीय मंत्री शीश राम ओला का निधन

नई दिल्ली। केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शीश राम ओला का निधन हो गया। राजस्थान के झुंझुनं से सांसद 86 वर्षीय ओला पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। केद्रीय मंत्री शीश राम ओला का निधन
उन्होने गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली।

लोकसभा सांसद शीश राम ओला ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं और पन्द्रहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गये।
जन्म

30 जून, 1927
अभिभावक

पिता- श्री चौधरी मंगलाराम
शिक्षा

मैट्रिक
विवाह

श्रीमती श्योबाई
संतान

दो पुत्र और एक पुत्री
चुनाव क्षेत्र

झुंझुनू, राजस्थान
पार्टी

भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस
सदस्यता
राजस्थान विधान सभा, 1957-1993;
कैबिनेट मंत्री, राजस्थान, दस वर्षों तक (पंचायती राज, ग्रामीण विकास, वन और पर्यावरण, लोक स्वास्थ्य, अभियांत्रिकी विभाग, सिंचाई, परिवहन, सहकारिता, आबकारी शुल्क, भूजल और सैनिक कल्याण आदि के प्रभारी);
केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), (एक) रसायन और उर्वरक, 1996-1997, (दो) जल संसाधन, 1997-1998;
समाज सेवा के लिए 1968 में 'पद्मश्री' से सम्मानित।