शनिवार, 14 दिसंबर 2013

राष्ट्रधर्म के ओजस्वी कवि दिनकर

अनिता महेचा

मैथिलीशरण गुप्त हिन्दी के प्रथम राष्ट्र कवि थे तो दिनकर उनके सच्चे उत्तराधिकारी थे। गुप्तजी की राष्ट्रीयता में सांस्कृतिक तत्व गहरा था, उसी का एक व्यापक पक्ष हमें दिनकर के काव्य में दृष्टिगत होता है। दिनकर ने प्रारंभ से ही ओजस्विता एवं तेजस्विता से परिपूर्ण कविताएं लिखी। उनकी कविताओं में योद्धा सा गंभीर घोष है, अनल की सी तीव्र उष्मा है और सूर्य का सा प्रखर तेज है। दिनकर ने 14 वर्ष की आयु में अपना पहला गीत लिखा था। आप को राजगुरु धुरेन्द्र शास्त्री से राष्ट्र प्रेम, स्वदेशानुराग एवं राष्ट्र भाषा की चिंगारी प्राप्त हुई थी तथा माखनलाल चतुर्वेदी, मैथिलीशरण गुप्त, बालकृष्ण शर्मा ‘‘नवीन‘‘ आदि तत्कालीन कवियों से ओजस्वी काव्य की प्रेरणा मिली। गुप्तजी के बाद राष्ट्रीयता की सम्यक और प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति दिनकर के काव्य में परिलक्षित होती है।
dinkar ji



प्रगतिशील चेतना के संवाहक, राष्ट्रीय भावनाओं के प्रचारक और क्रांतिदृष्टा दिनकर का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के एक छोटे से गांव सिमरिया नामक स्थान पर सन 1908 में 30 सितम्बर को हुआ। उनके पिता रविनाथ सिंह का देहावसान रामधारी सिंह के जन्म के दो वर्ष के पश्चात् हो गया।


पिता की स्मृति में रखा दिनकर नाम


अपने पिता के नाम को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए रामधारी सिंह ने अपना उपनाम ‘‘ दिनकर‘‘ रखा। पिता का साया शीघ्र ही सिर से उठ जाने के कारण दिनकर का बचपन अधिक सुख से नहीं बीता। साधारण से किसान परिवार में पैदा होकर भी उन्होंने अपनी काव्य प्रतिभा से प्रमाणित कर दिया कि प्रतिभा और विद्वत्ता किसी वर्ग विशेष की विरासत नहीं है। दिनकर की प्रारंभिक शिक्षा संस्कृत से प्रांरभ हुई। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा गांव की पाठशाला में ग्रहण की। तत्पश्चात ‘बारी‘ नामक ग्राम के ‘राष्ट्रीय मिडिल स्कूल‘ से मिडिल,‘ मोकामा घाट‘ के हाई स्कूल से सन् 1928 में मैट्रिक तथा 1932 में पटना कॉलेज से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करके प्रधानाध्यापक के पद पर नियुक्त हुए। सन् 1934 में वे बिहार सरकार के सब-रजिस्ट्रार के पद पर आसीन हुए। सन् 1943 तक वे इसी पद पर कार्यरत रहे। सन् 1943 से 1947 तक वे बिहार सरकार के प्रचार विभाग में उपनिदेशक पद पर आसीन रहे। सन् 1950 में वे मुजफ्फरपुर के एक कॉलेज में हिन्दी विभागाध्यक्ष नियुक्त हुए। लेकिन सन 1962 में राज्यसभा के सदस्य मनोनीत हो जाने के कारण उन्हांने यह पद त्याग दिया। अब वे मुक्त व मुखर होकर कवि, आलोचक और राजनीतिक रूप का प्रभाव दिखाने लगे।


हिन्दी जगत की सेवा को समर्पित

सन् 1964 में वे भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति नियुक्त हुए, बाद में केन्द्रीय सरकार की हिन्दी सलाहकार परिषद् के अध्यक्ष बने और देश में हिन्दी लागू करने के प्रयासों में जुटे रहे। सन् 1959 में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा पद्मभूषण की उपाधि से विभूषित किया गया। उनकी प्रशंसनीय साहित्य-सेवाओं के उपलक्ष्य में भागलपुर विश्वविद्यालय ने उन्हें डी.लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया। उनके ‘ऊर्वशी‘ काव्य ग्रंथ पर उन्हें 1973 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया।


राष्ट्रीय चेतना के सशक्त संवाहक


दिनकर की काव्य यात्रा की कहानी बड़ी विचित्र और अद्भुत रही है। वे मूलतः राष्ट्रीय भावों के संवाहक और मानवतावादी विचारों को अभिव्यक्ति देने वाले प्रतिभाशाली कवि थे। उनका साहित्य परिमाण और गुणों में विपुल और महान् है। उनकी काव्यकृतियों में – ‘बारदोली विजय‘, ‘रेणुका‘, ‘हुंकार‘, ‘रसवन्ती‘, ‘द्वन्द्व गीत‘, ‘सामधेनी‘, ‘बापू‘, ‘इतिहास के आंसू‘, ‘दिल्ली‘, ‘धूप और धुआँ‘, ‘नील कुसम‘, ‘नीम के पत्ते‘, ‘ सीपी और शंख‘, ‘परशुराम की प्रतिज्ञा‘, ‘कोयला और कवित्व‘ आदि विशेष उल्ल्ेाखनीय हैं। ‘प्रणभंग‘, ‘कुरुक्षेत्र‘, ‘रश्मिरथी‘, और ‘ऊर्वशी‘ उनके प्रबंध काव्य हैं। उनकी चुनी हुई कविताएं चक्रवाल में संग्रहीत हैं।




संवेदनशीलता का भरपूर समावेश है सृजन में


‘रेणुका‘, ‘हुंकार‘, ‘रसवन्ती‘ में एक ओर छायावादी रोमानियत, मधुर कल्पना व भावुकता मिलती है तो दूसरी ओर प्रगतिवादी सामाजिक चेतना। ‘रेणुका‘ में अतीत के प्रति गहरा आकर्षण है। ‘हुंकार‘ में कवि दीनता और विपन्नता के प्रति दयाद्र्र हो गया है। ‘रसवन्ती ‘ में कवि सौन्दर्य का प्रेमी बन गया है। ‘द्वन्द्व- गीत‘ में कवि के अन्तर्जगत और बाह्य-जगत का द्वन्द है। ‘सामधेनी‘ में कवि धीरे-धीरे क्रान्ति से शांति की ओर आता दिखाई देता है। कुरुक्षेत्र में कवि का शंकालु मन, समस्यानुकूल और प्रश्नानुकूल हो गया है। ‘रश्मिरथी‘ में कवि की नई विचारधारा यह है कि व्यक्ति की पूजा उसके गुणाें के कारण होनी चाहिए। ‘नील-कमल‘ की कविताओं में प्रयोगशीलता का पुट है। कोयला और कवित्त में कवि ने कला और धर्म के सामंजस्य पर विशेष रूप से बल दिया है।


गद्य और पद्य दोनों में अपूर्व रचनाधर्म

दिनकरजी मुख्य रूप से कवि हैं किन्तु उन्होंने गद्य साहित्य का भी यथेष्ट निर्माण किया है। इस सम्बन्ध में उनकी ‘मिट्टी की ओर‘, ‘अद्र्ध-नारीश्वर‘, ‘काव्य की भूमिका‘, ‘शुद्ध कविता की खोज‘, ‘संस्कृति के चार अध्याय‘, ‘हमारी सांस्कृतिक एकता‘, ‘धर्म-नैतिकता और विज्ञान‘ आदि गद्य रचनाएं अत्यन्त महत्त्व की एवं भाव पूर्ण हैं। इन रचनाओं में उनके गंभीर अध्ययन एवं स्वतंत्र चिन्तन की छाप सर्वत्र दृष्टिगत होती है। इनकी महत्ता और लोकप्रियता का अन्दाजा इस तथ्य से ही लगाया जा सकता है कि उनकी कुछ कृतियों का अनुवाद उड़िया, कन्नड़, तेलगु, अंग्रेजी, स्पेनिश, रूसी आदि कई भाषाओं में हो चुका है।

इतना ही नहीं, सन् 1955 में पोलैन्ड, लन्दन, जिनेवा, पेरिस और काहिरा, 1957 में चीन, हांगकांग, बैंकाक और बर्मा, 1961 में रूस,1967 में मॉरीशस तथा 1968 पश्चिम जर्मनी की यात्रा के समय सांस्कृतिक और साहित्यिक प्रतिनिधित्व किया। इससे राष्ट्र के सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गौरव-गरिमा में वृद्धि हुई, साथ ही उन्हें विदेशों में पर्याप्त प्रतिष्ठा और ख्याति अर्जित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सन् 1974 में 24 अप्रेल को अस्पताल में ही दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।

रचनाओं से झरता है राष्ट्रीय ओज

दिनकर के काव्य में पौरुष और ओज को प्रमुख स्थान प्राप्त है। उनकी राष्ट्रीयता से भरी-पूरी भावना में उत्साह, पौरुष व प्रतिशोध के भाव बहुत गहरे तक समाये हुए हैं। दिनकर ओज व पौरुष के कवि हैं और उनकी रचनाएँ इन भावों की अजस्र सरणियाँ बहाती हैं -


लेना अनल-किरीट भाल पर आशिक होने वाले।

काल कूट पहले पी लेना, सुधा बीज बोने वाले।

राष्ट्रपुरुष के ओज को संकेतित करने वाले दिनकर तलवार की चमक मे पौरुष का प्रतिबिम्ब देखते हैं। वास्तव में दिनकर राष्ट्र धर्म के ओजस्वी कवि रहे हैं। क्रान्ति का स्वर उनकी ‘कस्मे दैवाय…‘ कविता में इन पंक्तियों में सुना जा सकता है -


क्रान्ति धात्रि, कविते जाग उठ, आडमबर में आग लगा के।

पतन, पाप, पाखण्ड जले जग में ऎसी ज्वाला सुलगा दे।


युगों तक गूंजेगी राष्ट्रीयता की चेतना ऋचाएं

दिनकर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे हिन्दी के गद्य और पद्य साहित्य में समान अधिकार से लिखने वाले युग चेता और जनप्रिय रचनाकार के रूप में सदैव अविस्मरणीय बने रहेंगे। वे सच्चे राष्ट्रीय कवि थे। उन्होंने अधिकांश ऎसी कविताओं का सृजन किया है जो जनजीवन को शौर्य, पराक्रम और वीरता से परिपूर्ण कर राष्ट्रीयता का अमर मंत्र फूंकने में सक्षम हैं। दिनकर की कालजयी रचनाएँ युगों तक शौर्य-पराक्रम और स्वतंत्र्य चेतना का उद्घोष करती रहेंगी।

क्रूर अपराध का मासूम चेहरा, प्रदेश में पहली बार दी जाएगी महिला को फांसी

इंदौर. ढाई साल पहले श्रीनगर कॉलोनी (मेन) में लूट के लिए युवती, उसकी मां और नानी की नृशंस हत्या करने के मामले में जिला अदालत ने शुक्रवार को तीनों आरोपियों को फांसी की तिहरी सजा सुनाई। इनमें एक युवती भी शामिल है।

इंदौर ही नहीं प्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी महिला को फांसी की सजा सुनाई गई है। इस साल इंदौर जिला कोर्ट में अब तक तीन अलग-अलग मामलों में सात लोगों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। अदालत ने प्रत्येक आरोपी को तीनों की हत्या में अलग-अलग फांसी की सजा सुनाई। यानी तिहरी सजा सुनाई।

उन पर एक-एक हजार रुपए जुर्माना भी लगाया। हालांकि सजा की ऊपरी अदालत में पुष्टि होने पर फांसी एक बार ही दी जा सकती है।

डीएनए रिपोर्ट बनी आधार- अदालत ने जिन आधारों पर मृत्युदंड की सजा सुनाई, उनमें डीएनए रिपोर्ट सबसे अहम रही। रिपोर्ट के अनुसार आरोपियों के कपड़ों पर खून के जो धब्बे थे, वे मृतकाओं के थे। इसके अलावा फ्रिंगर प्रिंट, गहनों, चाकू, पिस्टल और चाकू की जब्ती भी महत्वपूर्ण रही। प्रकरण के ट्रायल में 36 गवाहों के कथन हुए। इनमें एक गवाह राहगीर राजू सेन थे, जिन्होंने आरोपियों को घटनास्थल से भागते देखा था। इसके अलावा 17 पुलिसकर्मियों, तीन डॉक्टर और शेष अन्य लोगों के कथन हुए।

मेघा की कॉल डिटेल से सुलझी गुत्थी
हत्या के 48 घंटे बाद तक पुलिस को हत्यारों का सुराग नहीं मिल रहा था। मेघा की कॉल डिटेल निकाली तो उसमें नेहा से कई बार बातचीत होने के प्रमाण मिले। पुलिस ने कॉल डिटेल के आधार पर लोगों से पूछताछ शुरू की। नेहा गिरफ्त में आई तो हाव-भाव से ही पुलिस को उस पर शक हो गया था।



यह तो कुदरत का इंसाफ है : निरंजय
तीन परिजन को खोने वाले निरंजय देशपांडे फिलहाल पूना में हैं। उन्होंने ‘भास्कर’ से चर्चा में कहा कि यह तो कुदरत का इंसाफ है। हत्यारों ने जैसा किया, वैसी ही सजा मिली। बकौल निरंजय, उन्हें न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा था। अब हत्यारों को फांसी पर जल्द लटकाना चाहिए। फैसले की जानकारी मिली तो उस भयावह दिन का पूरा घटनाक्रम फिर आंखों के सामने आ गया।


ये हैं हत्यारे- देवेंद्र नगर की नेहा वर्मा (23), घनश्यामदास नगर के राहुल चौधरी (24) और विद्या नगर में रहने वाला मनोज नानूराम अटोदे (32)।

तीन पीढ़ी को खत्म करने वालों को इसके अलावा सजा का कोई विकल्प नहीं था : कोर्ट
विरल से विरलतम
जिला लोक अभियोजक रवींद्रसिंह गौड़ के मुताबिक, कोर्ट ने फैसले में कहा कि जिनकी हत्या की गई, वे बिना किसी अपराध और विद्वेश के जीवन जी रहे थे। ऐसे में तीनों आरोपियों ने चंद रुपयों के लिए बड़े क्रूर तरीके से गोली मारी और चाकुओं से शरीर को क्षत-विक्षत किया। इसलिए ऐसे अपराधी दया के पात्र नहीं हो सकते। कोर्ट ने इसे विरल से विरलतम घटना माना।

यह हुआ था 19 जून 2011 को...

19 जून 2011 को बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी निरंजय देशपांडे (उज्जैन) की पुत्री अश्लेषा (23), पत्नी मेघा (45) और सास रोहिणी फड़के (70) को तीन आरोपियों ने मार डाला था। यह परिवार एक महीने पहले ही श्रीनगर में किराए से रहने आया था।


ऐसे रची थी हत्या की साजिश
आरोपी नेहा की मेघा से मुलाकात ऑर्बिट मॉल में हुई थी। दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई। नेहा मेघा के घर जाने लगी। धीरे-धीरे नेहा को देशपांडे परिवार की आर्थिक स्थिति का अंदाज हो गया। वह अपने प्रेमी राहुल से भी देशपांडे


परिवार के बारे में बात किया करती थी। उसने ही बताया था कि परिवार में ज्यादातर समय महिलाएं ही रहती हैं। उन्हें आसानी से रिवॉल्वर और चाकू की नोंक पर लूटा जा सकता है। नेहा ने राहुल के साथ मिलकर लूट की साजिश बनाई तो राहुल ने अपने दोस्त मनोज को भी साथ मिला लिया। इस तरह तीनों ने मिलकर हत्याकांड को अंजाम दिया।

मुंबई: इमारत में भीषण आग, फिल्‍म फाइनेंसर और उनकी पत्‍नी सहित 7 मरे



मुंबई में एक बहुमंजिली इमारत में लगी आग में सात लोगों की मौत हो गई है। मारे गए लोगों में फिल्‍म फाइनेंसर दिनेश गांधी और उनकी पत्‍नी भी शामिल हैं। हादसा दक्षिण मुंबई के केम्‍पस कॉर्नर इलाके में स्थित मोंट ब्‍लेंक बिल्डिंग में हुआ। शुक्रवार देर शाम लगी इस आग पर काबू पाने की कोशिश कर रहे कुछ दमकलकर्मी भी घायल हो गए हैं।



बताया जा रहा है कि आग 27 मंजिला इमारत की 12वीं मंजिल पर लगी। आग पर काबू पाने के लिए दमकल की 14 गाडियां और सात वाटर टैंकर लगे हैं। अब तक इमारत से 25 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है।

13 साल की बेटी को जुआ में हारने पर की शादी

कोलकाता। एक जुआरी ने पहले अपनी 13 साल की बेटी को जुए में दांव पर लगाया और फिर हारने के बाद पड़ोसी के साथ उसकी शादी कर दी। ये चौंकाने वाली घटना पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में कृष्णापुर-बुरीतला गांव की है। 13 साल की बेटी को जुआ में हारने पर की शादी
मासूम बच्ची के जुआरी पिता ने एक दिसंबर को स्थानीय युवक सुकुमार मंडल के साथ जुआ खेलना शुरू किया। सब कुछ हारने के बाद उसने अपनी बच्ची को दांव पर लगा दिया और हार गया।

इसके बाद दोनों परिवारों ने शादी की तैयारियां शुरू कर दी। शादी की तारीख 22 जनवरी तय की गई जबकि 9 दिसंबर को हुई सगाई में गांव के लोगों और रिश्तेदारों ने हिस्सा लिया।

अपने से दोगुनी उम्र के व्यक्ति से सगाई होने और शादी की तारीख पक्की होने के बाद 8वीं कक्षा की छात्रा और 13 साल की बच्ची ने स्कूल जाना बंद कर दिया। हबीबपुर के बीडीओ अर्नब रॉय ने कहा कि एक टीम बांग्लादेश सीमा पर स्थित कृष्णापुर गांव भेजी गई है। ताकि मामले की तह तक पहुंचा जा सके।

उन्होंने कहा कि कमेटी शुक्रवार को उनसे मिलेगी। बच्चों के लिए काम करने वाली गैरसरकारी संस्था हिल्डलाइन के सदस्य भी बैठक में मौजूद रहेंगे। बीडीओ ने इसके साथ ही सोशल वेलफेयर ऑफिसर को सूचित कर दिया है। बीडीओ ने कहा कि शादी रोकने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

रॉय ने कहा कि घटना के पीछे अशिक्षा एक अहम वजह है। हम कोशिश करेंगे कि दोनों परिवारों को बाल विवाह के बारे में बता सकें। यह समझाने की कोशिश करेंगे कि बाल विवाह एक दंडनीय अपराध है।

शुक्रवार, 13 दिसंबर 2013

पर्यटन विकास स्थाई समिति की बैठक गुरूवार १९ दिसम्बर को

जैसलमेर । स्वर्णनगरी जैसलमेर में आगामी १२ से १४ फरवरी २०१४ तक तीन दिवसीय आयोजित होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मरू समारोह २०१४ के आयोजन एवं व्यवस्थाओं को लेकर प्रारम्भिक तैयारियां के संबंध में १९ दिसम्बर, गुरूवार को अपरान्ह् ३ बजे जिला कलक्टर एन.एल मीना की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभा कक्ष में जैसलमेर जिला पर्यटन विकास स्थायी समिति की बैठक का आयोजन रखा गया है। यह जानकारी सहायक निदेशक पर्यटक स्वागत केन्द्र जैसलमेर ने दी।

सहायक निदेशक पर्यटक स्वागत केन्द्र ने मरू समारोह व्यवस्थाओं से जुडे समस्त संबंधित जिलाधिकारियों, होटल एवं पर्यटन व्यवसाईयों के साथ ही विभिन्न स्वंयसेवी संस्थाओं के पदाधिकारीगण से आग्रह किया है कि वे इस महत्वपूर्ण बैठक में अपने सार्थक सुझावों संहित नियत समय पर आवश्यक रूप से उपस्थित होवें।

मध्यप्रदेश:सिंगरौली में बवाल,कर्फ्यू लगा

सिंगरौली। मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिला मुख्यालय बैढन में शुक्रवार को एक युवक की संदिग्ध स्थितियों में मौत की सूचना के बाद आक्रोशित भीड़ ने प्रदर्शन करते हुए कलेक्टर की कार समेत कम से कम चार सरकारी वाहनों को आग लगा दी। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पूरे नगर में कर्फ्यू लगा दिया है। उग्र भीड़ के पथराव में कम से कम दो दर्जन पुलिस कर्मचारी घायल हुए हैं। प्रशासन ने आसपास के जिलों से पुलिस बल बुलाकर नगर में तैनात कर दिया है।
इस बीच शाम को कर्फ्यू के बावजूद कथित तौर पर पुलिस की गोली लगने से एक युवक की मौत की सूचना के बाद एकत्रित हुई भीड़ ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के एक वाहन में आग लगा दी। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने भीड़ को खदेड़ा। पुलिस सूत्रों ने कहा कि लगभग एक सप्ताह पहले कथित तौर पर पुलिस के साथ गए अखिलेश साहू नाम के युवक की संदिग्ध स्थितियों में मौत की सूचना के बाद उग्र हुए लोगों ने पुलिस बल पर पथराव शुरू कर दिया।

लोगों ने भीड़ को समझाने आए कलेक्टर के वाहन को भी आग के हवाले कर दिया। उपद्रव बढ़ता देख पुलिस ने लाठीचार्ज के बाद आंसू गैस के गोले छोडे और फिर गोलियां भी चलाई। कथित तौर पर पुलिस की गोली से एक युवक की मौत हो गई। दोनों ही युवकों का पोस्टमार्टम शनिवार को किया जाएगा। बताया गया है कि बैढन निवासी अखिलेश (27) नाम का व्यक्ति पास के गांव अमझर में अपने रिश्तेदार के यहां गया था।

वहां पांच दिसंबर की रात्रि में कथित तौर पर पुलिस का एक दल उसे चोरी के सिलसिले में अपने साथ ले गया था। इसके बाद से वह घर नहीं लौटा और न ही उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखी गई। इसके बाद शुक्रवार को गांव के ही एक कुएं में इस युवक का शव मिला। इसकी सूचना मिलते ही बैढन में लोगों को हुजूम थाने के बाहर और अन्य स्थानों पर एकत्रित हो गया।

कौन बनेगा मंत्री, दो दिन बाद खुलेगा पिटारा

जयपुर। राजस्थान में रिकार्ड जीत के साथ सत्ता में वापसी कर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुकीं वसुंधरा राजे के मंत्रिमंडल का गठन दो दिन बाद ही होगा। कौनसे नेता की मुट्ठी में क्या (विभागीय जिम्मेदारी) यह सवाल अब सर्खियों में हैं। सूत्रों ने बताया कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के शनिवार को शपथ लेने के बाद पार्टी आलाकमान छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान के मंत्रिमंडल के बारे में भी विचार विमर्श कर निर्णय लेगा।
भाजपा आलाकमान का मानना है कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तीनों राज्यों का मंत्रिमंडल बनाया जाए ताकि चुनाव में पार्टी को लाभ मिल सके। छत्तीसगढ़ में रमनसिंह के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद राजस्थान में भी राजे ने अकेले ही शपथ ली है। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान भी शनिवार को अकेले ही शपथ लेंगे। इसके बाद तीनों राज्यों के मंत्रियों के बारे में फैसला होगा।

सूत्रों के हवाले से खबर आ रही हैं कि सीएम की कुर्सी पर बैठने जा रही वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री पद के साथ अपने पास 5 महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी रखेंगी। सूत्रों की मानें तो भाजपा विधायक दल की नेता वसुंधरा राजे सीएम पद के साथ वित्त, कार्मिक, सामान्य प्रशासन, बिजली, पर्यटन की जिम्मेदारी संभालेंगी।

एक दर्जन मंत्रियों की सूची तैयार

सूत्रों के अनुसार संघ और भाजपा के केंद्रीय नेताओं से मंथन के बाद राजे ने करीब एक दर्जन मंत्रियों की सूची तैयार कर ली है। इसमें प्रदेश के प्रमुख नेताओं को पहले दौर में मंत्री पद की शपथ दिलाए जाने की तैयारी है। शेषको लोकसभा चुनाव के बाद ही पद पर बैठाने का निर्णय किया गया है। माना जा रहा है कि प्रथम मंत्रिमंडल में राजे सभी जातियों को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास कर रही हैं। तिवाड़ी को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है।

इन नामों, विभागों पर चर्चा
वसुंधरा राजे- सीएम पद के साथ वित्त, कार्मिक, सामान्य प्रशासन, बिजली, पर्यटन की जिम्मेदारी।
गुलाबचंद कटारिया- गृह, नागरिक सुरक्षा
कैलाश मेघवाल- सामाजिक न्याय
नरपतसिंह राजवी- उद्योग या चिकित्सा
अरूण चतुर्वेदी व वासुदेव देवनानी- समस्त शिक्षा
कालूलाल गुर्जर- ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज
नंदलाल मीणा - जनजाति विकास
सांवरलाल जाट- जलदाय
प्रभुलाल सैनी- कृषि मंत्री
प्रतापसिंह सिंघवी- स्वायत्तशासन एवं नगरीय विकास

संसदीय चुनावो कि आहट। ।जसवंत सिंह के साथ रूपाराम ,हरीश और तन सिंह कि उम्मीदवारी के चर्चे

संसदीय चुनावो कि आहट। ।जसवंत सिंह के साथ रूपाराम ,हरीश और तन सिंह कि उम्मीदवारी के चर्चे


बाड़मेर आठ दिसंबर को विधानसभा चुनावो के परिणाम आने के साथ ही थार नगरी में आगामी मई में होने वाले संसदीय चुनावो को लेकर चर्चे आम हो गए। आम जन संसदीय चुनावो में उम्मीदवारो के नामो के कयासों में लगे हें वैसे तो दर्जन भर उम्मीदवारो के नामो के चर्चे हो रहे हें मगर भाजपा से खासतौर से भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह के नाम के चर्चे हें हेंवहि दूसरा बड़ा नाम उभर कर अब तक राजनीती से किनारा कर रहे समाजसेवी तन सिंह चौहान का हें। वाही नाथाराम चौधरीओ ,डॉ प्रियंका चौधरी के नामो को भी हवा दी जा रही हें। विधानसभा चुनावो में कांग्रेस का जातिगत गणित गड़बड़ा जेन के बाद बुरु तरह मात खाये सांसद हरीश चौधरी कि राह बेहद कतरहीं नज़र आने लगी हें चर्चाकारों को। चर्चाकारों का मानना हें जैसलमेर से चुनाव हारे रूपाराम मेघवाल हरीश चौधरी से बेहतर उम्मीदवार हो सकते हें।


विधानसभा चुनावो में जिस प्रकार बाड़मेर जैसलमेर में भाजपा ने परचम लहराया हें उसे भाजपा कि उम्मीदे इस सरहदी जिलो कि सीट पर अपेखये बढ़ गयी हें ,जसवंत सिंह भाजपा के लिए सर्वाधिक उपयुक्त उम्मीदवार माने जा रहे हें ,बाड़मेर विधानसभा चुनावो में भाजपा प्रत्यासी डॉ प्रियंका चौधरी के प्रचार कि कमान सम्भालने वाले तन सिंह चौहान ने राजनीती क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाते हुए ऊँची छलांग लगाई हें मगर राजपूत समाज ने ही उन्हें पूरी तरह स्वीकार नहीं किया यही बात डॉ प्रियंका चौधरी पर लागू होती हें ,प्रियंका चौधरी को अन्य समाजो ने भरपूर समर्थन दिया मगर उनके परंपरागत स्वजातीय मतदाता जाट तीन हिस्सो में बाँट गए जिसकले चलते उन्हें मामूली अंतर से हराना पड़ा ,हालांकि उनकी हार में भाजपा संघठन के बड़े खिलाड़ियो ने अपनी भूमिका निभाई हें ,फिर भी तन सिंह और प्रियंका चौधरी भाजपा के दावेदारी में शामिल हें।


कांग्रेस कि सरहदी जिलो में गत बिगड़ने का श्रेय सांसद हरीश चौधरी को दिया जा रहा हें चाहे वो निर्मलदास कि अप्रत्यासित उम्मीदवारी हो या रूपराम मेघवाल को सामान्य सीट से चुनाव लड़ने कि जिद या कांग्रेस के ड्रीम प्रोजेक्ट रिफायनरी स्थल पचपदरा से मदन प्रजापत को चुनाव लड़ने का निरनय सब बेकार गए ,कांग्रेस बुरी तरह चुनाव हारी ,एक मात्र सीट बाड़मेर कि मेवाराम जैन ने निकली तो व्यक्तिगत और पैसो के दम पर ,हरीश चौधरी कि जीत के समीकरण तहस नहस हो गए ,हरीश चौधरी के लाख प्रयाद्सो के बावजूद अमिन खान को शिव में जाट वोट नहीं दिला पाये। कर्नल सोनाराम कि हर नहीं ताल सके ,हेमाराम चौधरी कि बात अनसुनी कर सिवाना से कलबी को टिकट नहीं देकर उन्हें हार के रस्ते पर डालने हे भी उनकी हार तय हुई।


आम चुनाव मई में होने जा रहे हें। बाड़मेर से नाथाराम चौधरी के नाम कि चर्चा भी आई। तो बीकानेर के दिग्गज राजपूत नेता देवी सिंह भाटी कि सम्भावना को नक्कारा नहीं जा सकता। कांग्रेस हार से आहात होकर मुस्लिम कार्ड खेलती हें तो चौहटन प्रधान शम्मा खान के नाम पर मोहर भी लगा सकती हें।


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रितिक और सुजैन का होगा तलाक

मुंबई। सुपरस्टार रितिक रोशन अपनी पत्नी सुजैन से अलग हो गए हैं, अलग होने का फैसला सुजैन ने लिया और इसके बारे में मीडिया को रितिक ने एक प्रेस स्टेटमेंट जारी कर जानकारी दी, सुजैन एक्टर संजय खान की बेटी हैं। रितिक और सुजैन का होगा तलाक
बताया जा रहा है कि दोनों पिछले तीन महीने से अलग रह रहे थे, रितिक फिल्म "कृश-3" के रिलीज का इंतजार कर रहे थे और उसके बाद उन्होंने इस पर्सनल मैटर को भी अंजाम पर पहुंचा दिया दोनों के दो बच्चे हैं।

रितिक रोशन ने अपने बयान में कहा कि सुजैन ने मुझसे अलग होने का फैसला किया है, हम दोनों का 17 साल का साथ खत्म हो गया है, ये मेरे और हम दोनों के परिवार के लिए बहुत तकलीफ देह फैसला है, रितिक ने कहा कि मैं अपने फैंस का बहुत शुRगुजार हूंए जो मेरी सेहत की चिंता कर रहे थे रितिक ने यह भी कहा कि मैं मीडिया से अपील करता हूं कि इस वक्त हमारी निजता का सम्मान करें।

ये कैसा विरोध! नेताजी ने संसद में उतार दिए कपड़े



मैक्सिको सिटी। आपने संसद में सदस्यों को एक दूसरे से हाथापाई करते हुए, एक दूसरे पर कुरि्सयां फेंकते हुए, एक दूसरे से गालीगलौच करते हुए, एक दूसरे पर चप्पल-जूते फेंकते हुए देखा होगा। लेकिन मैक्सिकों की संसद में एक नेता ने अजीबो गरीब ही हरकत की। मैक्सिको सिटी में एक नेता ने अपने कपड़े उतारकर संसद में मतदान के लिए पेश हुए बिल का विरोध किया।
ये कैसा विरोध! नेताजी ने संसद में उतार दिए कपड़े



मैक्सिकों में ऑयल इंडस्ट्री में बाहरी कंपनियों के इंवेस्टमेंट से संबंधित बिल पर बहस हो रही थी। देश में 70 साल में पहली बार ऎसा बिल पेश किया जा रहा था। उर्जा निजीकरण बिल का विरोध करते हुए डीआरपी पार्टी के के सदस्य एनटोनिया गारसिया कोनेजो ने अपने सारे कपड़े उतार दिए। इतना ही नहीं इससे पहले मुक्केबाजी और हाथापाई भी सदस्यों की बीच हुई। कोनेजो ने इस बिल को "राष्ट्र की लूट" बताया।
ये कैसा विरोध! नेताजी ने संसद में उतार दिए कपड़े


इससे पहले बिल की बहस को रोकने के लिए हरएक अशोभनिय हरकत की। डीआरपी पार्टी ने मैन चैंबर को बंद कर दिया उसके गेट के आगे कुरि्सयां और टेबल लगा दिए। बिल पर चर्चा के दौरान पार्टी ने "होमलैंड नॉट फॉर सेल" के नारे लगाने शुरू कर दिए। उसी वक्त कोनेजो ने आगे आकर भाषण देने शुरू कर दिए और एक-एक करके अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए।

ताजपोशी के बाद "बदला" प्रशासनिक अमला

जयपुर। राजस्थान की 13वीं मुख्यमंत्री बनी वसुंधरा राजे ने शुक्रवार को शपथ ग्रहण करने बाद प्रदेश के प्रशासनिक अमले में बड़ा फेरबदल कर डाला। राजे की गुड गवर्नेस के लिए इस तत्परता में 2 आईपीएस और 8 आईएएस अधिकारियों की बदली कर दी गई। आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के तबादलों के बाद 8 आरएएस अधिकारियों के भी तबादले कर दिए गए। इसके कुछ देर बाद ही 11 और आरएएस अधिकारियों की ट्रांसफर लिस्ट जारी कर दी गई।
मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार सचिवालय पहुंची वसुंधरा राजे की उपस्थिति पर एक तरफ जहां स्वागत और दुआ-सलाम का दौर चल रहा था,वहीं कार्मिक विभाग की ओर से जारी तबादला सूची से कईयों पर गाज गिर रही थी। दोपहर बाद जारी इन तबादला सूचियों ने देर शाम तक सचिवालय में हड़कंप मचाए रखा। हालांकि, इस बात के पूर्व में ही कयास लगाए जा रहे थे किस अधिकारी को हटाया जा सकता है और कौन-कौन नई सीएम की ब्रिगेड में शामिल हो सकते हैं।

2 पुलिस अधिकारियों के तबादले

प्रशासनिक फेरबदल में सबसे पहले दो आईपीएस अधिकारियों के नाम सामने आए। पुलिस महकमे में बड़ा फेरबदल करते हुए एचसी मीणा को महानिदेशक पुलिस(जेल) राजस्थान बनाया गया। जबकि ओमेन्द्र भारद्वाज को महानिदेशक पुलिस की जिम्मेदारी सौंपी गई।

8 आईएएस अधिकारियों को नई जिम्मेदारी

आठ आईएसएस अधिकारियों के तबादलों में बड़ा नाम पूर्व मुख्य सचिव सीके मैथ्यू का रहा। मैथ्यू को रोडवेज के चेयरमैन के रूप में नई जिम्मेदारी दी गई। तन्मय कुमार को सीएम का सचिव बनाया गया। जबकि फाइनेंस की जिम्मेदारी प्रवीण गुप्ता को दी गई। रजत कुमार मिश्र को लेबर एवं एम्पलाइमेंट का चार्ज सौंपा गया। गुड गवर्नेस के लिए राजे के इस फैसले में डॉ. गोविंद शर्मा को इंदिरा गांधी नहर मंडल, निरंजन कुमार आर्य को रेवेन्यू बोर्ड की जिम्मेदारी मिली। श्रीमत पांडे को ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज का चार्ज सौंपा गया,जबकि सीएस राजन को एसीएस(इंफ्रास्ट्रक्चार) की जिम्मेदारी दी गई।


गहलोत के उप-सचिव को "वन्यजीव"

राज्यपाल की आज्ञा से विशेषाधिकारी इंद्रजीत सिंह की ओर से जारी आदेश में मुख्यमंत्री के उप सचिव पद पर कार्यरत आईएएफएस शारदा प्रताप सिंह का तबादला वन्यजीव(जयपुर) विभाग में उप वन संरक्षक के रूप में कर दिया गया है।

भारद्वाज बने मिडिया सलाहकार,3 विशेषाधिकारी

कार्मिक विभाग की ओर से शुक्रवार को ही जारी आदेश में महेन्द्र भारद्वाज की नियुक्ति मुख्यमंत्री के मिडिया सलाहकार के रूप में की गई है। उधर,ओपी सहारण,धीरेन कमठान और फूल सिंह को तुरंत प्रभाव से मुख्यमंत्री का विशेषाधिकारी नियुक्त किया गया।

19 आरएएस अधिकारियों के तबादले

कार्मिक विभाग की ओर से जारी सूचना के अनुसार राजस्थान प्रशासनिक सेवा के 19 अधिकारियों के तबादले किए गए हैं। इनमें प्रदीप कुमार बोरड, विजय पाल सिंह, अंतर सिंह नेहरा, शाहिन अली खान, ललित कुमार, गौरव बजाड़, दिनेश कुमाश शर्मा, कैलाश चन्द्र यादव, गजानंद शर्मा, नरेन्द्र कुमार गुप्ता, विरेन्द्र सिंह बांकावत, लेखराज तोसावड़ा, रमेश चन्द्र गुप्ता-2, प्रकाश चन्द शर्मा, अजय सिंह राठौड़, जसवंत सिंह, मुकेश कुमार शर्मा, अल्पा चौधरी और डॉ. भागचन्द बधाल शामिल हैं।

40 साल से प्रेगनेंट महिला अब देगी बच्चे को जन्म!

बोगोटा। अगर आपसे पूछा जाए कि सामान्यतया एक औरत का प्रेगनेंसी पीरियड कितने महीनों का होता तो शायद यही कहेगें कि नौ महीने, लेकिन यहां तो गजब तब हो गया जब 40 पहले गर्भवती हुई महिला बच्चे को जन्म अब देने जा रही है।
यह अजीबोगीरब घटना कोलम्बिया की है जहां एक औरत ने 40 साल पहले गर्भधारण किया था लेकिन बच्चे को जन्म अब देने जा रही है। इसमें चौंकाने वाली बात यह भी है कि इस महिला की उम्र अब 82 साल की हो चुकी है।

इस केस के बारे में डॉक्टरों का कहना है कि दुनिया में ऎसे केस सैंकड़ों सालों में एक दो ही देखने को मिलते हैं। लेकिन अभी तो 40 साल से गर्भवती हुई इस महिला की डिलीवरी कराने की तैयारियां की जा रही है।

इसमें एक चौंकाने वाली बात ये भी है कि इस 82 वर्षीय महिला को भी नहीं पता था वो पिछले 40 से गर्भवती है। इसें तब पता चला जब इसके अपने पेट में दर्द होने की शिकायत लेकर यह डॉक्टर के पास गई।

लेकिन जब डॉक्टर में इस का चैकअप करके एक्सरे लिए तो चौंक गए कि भला ऎसा भी हो सकता है क्या? लेकिन जब इसकी सही तरीके से जांच की गई तो पता चला यह इस महिला के पेट में बच्चा तो है लेकिन वो गर्भाशय में नहीं बल्कि दूसरी जगह है।

पेट में गर्भाशय के बाहर पाया गया यह भ्रूण मर कर "स्टोन बेबी" बन चुका है और डॉक्टर इसें ही ऑपरेशन की करके बाहर निकालने की तैयारियां कर रहे हैं।

राजे का पहला दिन,15 दिन की छुट्टी घोषित

जयपुर। राजस्थान की 13वीं मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के वाली वसुंधरा राजे के पदभार संभालने के साथ ही शुक्रवार को राज्य में सार्वजनिक अवकाश की अधिसूचना जारी कर दी गई। राजस्थान सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में आगामी वर्ष 2014 राज्य में कुल 15 सार्वजनिक अवकाश घोषित किए गए हैं।
यह छुटि्टयों का विवरण

सार्वजनिक अवकाश वाली इस अधिसूचना के अनुसार अगले वर्ष धुलण्डी 17 मार्च(सोमवार), वार्षिक बैंक खाता बन्दी एक अपे्रल(मंगलवार), रामनवमी 8 अपे्रल(मंगलवार), डॉ. अम्बेडकर जयन्ती 14 अपे्रल(सोमवार), स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त(शुक्रवार), जन्माष्टमी 18 अगस्त(सोमवार), गांधी जयन्ती 2 अक्टूबर(गुरूवार), विजयादशमी 3 अक्टूबर(शुक्रवार) को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है।

दिवाली 23 अक्टूबर,गोवधर्न की छुट्टी 24 को

अधिकसूचना के अनुसार दिवाली का अवकाश 23 अक्टूबर(गुरूवार), गोवर्घन पूजा 24 अक्टूबर(शुक्रवार), गुरूनानक जयन्ती 6 नवम्बर(गुरूवार), क्रिसमस डे 25 दिसम्बर(गुरूवार) को घोषित किया गया है।

चांद दिखने पर निर्भर होंगी ये छुटि्टयां

इदुलफितर, ईदुलजुहा और मोहर्रम का अवकाश क्रमश: 29 जुलाई, 6 अक्टूबर और 4 नवम्बर को घोषित किया गया है किन्तु इनमें चांद दिखने के आधार पर फेरबदल किया जा सकता है।
रविवार को रहेंगी ये छुटि्टयां

गणतन्त्र दिवस, महावीर जयन्ती और रक्षा बन्धन के अवकाश रविवार को होने के कारण उपरोक्त सूची में शामिल नहीं किए गए हैं।

वसुंधरा राजे बनी राजस्थान की 13वीं मुख्यमंत्री। शुरू हुआ राजे का दूसरा कार्यकाल।

वसुंधरा राजे बनी राजस्थान की 13वीं मुख्यमंत्री। शुरू हुआ राजे का दूसरा कार्यकाल।





जयपुर। भाजपा विधायक दल की नेता वसुंधरा राजे शुक्रवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

राजे को राज्यपाल मार्गरेट आल्वा ने शपथ दिलाई। राजे ने हिंदी में शपथ ली।

शपथ ग्रहण समारोह विधानसभा के मुख्य द्वार पर हो रहा है।

शपथ लेने से पहले वसुंधरा राजे भाजपा कार्यालय पहुंची। यहां पर राजे ने जीत के लिए कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया।शपथ ग्रहण के बाद बजी राष्ट्रगान की धुन। मुख्यमंत्री राजे और राज्यपाल आल्वा सहित उपस्थित आम और खास ने खड़े होकर व्यक्त किया सम्मान।

प्रदेश की नई सरकार का शपथ ग्रहण धार्मिक गुरूओं की मौजूदगी में होगा। इनके बैठने के लिए मुख्य मंच के साथ ही लगता अलग मंच बनाया गया है।

समारोह में शामिल होने के लिए वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह समेत कई दिग्गज नेता पहुंचे।

गहलोत का जोरदार स्वागत
अशोक गहलोत भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं। समारोह में पहुंचने पर गहलोत का वसुंधरा राजे ने जोरदार स्वागत किया और साथ में तस्वीरें भी खिंचवाई।

सुराज संकल्प यात्रा के शुभारम्भ समारोह में भी धार्मिक गुरू मौजूद थे। समारोह में मुख्य मंच के दूसरी तरफ अति विशिष्ट व्यक्तियों के लिए मंच बनाया जाएगा। सार्वजनिक निर्माण विभाग के सूत्रों के अनुसार मुख्य मंच पर बहुत कम लोगों के बैठने की व्यवस्था होगी।

मोदी के गले मिले अशोक गहलोत, राजे ले रही आशीर्वाद





मोदी के गले मिले अशोक गहलोत, राजे ले रही आशीर्वाद

राजस्थान के 13 वे मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे और नरेन्द्र मोदी को जीत के लिए बधाई दी। इससे पहले राजे ने संतों और धर्म गुरूओं से भाी आशीर्वाद लिया। वहीं समारोह में शामिल होने आए नेता मंच पर पहुंच चुके हैं। वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी समारोह में शामिल हुए। इस दौरान गहलोत ने नरेन्द्र मोदी को गले मिलकर बधाई दी। वहीं गहलोत ने राजे को भी मंच पर जीत की बधाई दी।