शनिवार, 14 दिसंबर 2013

क्रूर अपराध का मासूम चेहरा, प्रदेश में पहली बार दी जाएगी महिला को फांसी

इंदौर. ढाई साल पहले श्रीनगर कॉलोनी (मेन) में लूट के लिए युवती, उसकी मां और नानी की नृशंस हत्या करने के मामले में जिला अदालत ने शुक्रवार को तीनों आरोपियों को फांसी की तिहरी सजा सुनाई। इनमें एक युवती भी शामिल है।

इंदौर ही नहीं प्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी महिला को फांसी की सजा सुनाई गई है। इस साल इंदौर जिला कोर्ट में अब तक तीन अलग-अलग मामलों में सात लोगों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। अदालत ने प्रत्येक आरोपी को तीनों की हत्या में अलग-अलग फांसी की सजा सुनाई। यानी तिहरी सजा सुनाई।

उन पर एक-एक हजार रुपए जुर्माना भी लगाया। हालांकि सजा की ऊपरी अदालत में पुष्टि होने पर फांसी एक बार ही दी जा सकती है।

डीएनए रिपोर्ट बनी आधार- अदालत ने जिन आधारों पर मृत्युदंड की सजा सुनाई, उनमें डीएनए रिपोर्ट सबसे अहम रही। रिपोर्ट के अनुसार आरोपियों के कपड़ों पर खून के जो धब्बे थे, वे मृतकाओं के थे। इसके अलावा फ्रिंगर प्रिंट, गहनों, चाकू, पिस्टल और चाकू की जब्ती भी महत्वपूर्ण रही। प्रकरण के ट्रायल में 36 गवाहों के कथन हुए। इनमें एक गवाह राहगीर राजू सेन थे, जिन्होंने आरोपियों को घटनास्थल से भागते देखा था। इसके अलावा 17 पुलिसकर्मियों, तीन डॉक्टर और शेष अन्य लोगों के कथन हुए।

मेघा की कॉल डिटेल से सुलझी गुत्थी
हत्या के 48 घंटे बाद तक पुलिस को हत्यारों का सुराग नहीं मिल रहा था। मेघा की कॉल डिटेल निकाली तो उसमें नेहा से कई बार बातचीत होने के प्रमाण मिले। पुलिस ने कॉल डिटेल के आधार पर लोगों से पूछताछ शुरू की। नेहा गिरफ्त में आई तो हाव-भाव से ही पुलिस को उस पर शक हो गया था।



यह तो कुदरत का इंसाफ है : निरंजय
तीन परिजन को खोने वाले निरंजय देशपांडे फिलहाल पूना में हैं। उन्होंने ‘भास्कर’ से चर्चा में कहा कि यह तो कुदरत का इंसाफ है। हत्यारों ने जैसा किया, वैसी ही सजा मिली। बकौल निरंजय, उन्हें न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा था। अब हत्यारों को फांसी पर जल्द लटकाना चाहिए। फैसले की जानकारी मिली तो उस भयावह दिन का पूरा घटनाक्रम फिर आंखों के सामने आ गया।


ये हैं हत्यारे- देवेंद्र नगर की नेहा वर्मा (23), घनश्यामदास नगर के राहुल चौधरी (24) और विद्या नगर में रहने वाला मनोज नानूराम अटोदे (32)।

तीन पीढ़ी को खत्म करने वालों को इसके अलावा सजा का कोई विकल्प नहीं था : कोर्ट
विरल से विरलतम
जिला लोक अभियोजक रवींद्रसिंह गौड़ के मुताबिक, कोर्ट ने फैसले में कहा कि जिनकी हत्या की गई, वे बिना किसी अपराध और विद्वेश के जीवन जी रहे थे। ऐसे में तीनों आरोपियों ने चंद रुपयों के लिए बड़े क्रूर तरीके से गोली मारी और चाकुओं से शरीर को क्षत-विक्षत किया। इसलिए ऐसे अपराधी दया के पात्र नहीं हो सकते। कोर्ट ने इसे विरल से विरलतम घटना माना।

यह हुआ था 19 जून 2011 को...

19 जून 2011 को बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी निरंजय देशपांडे (उज्जैन) की पुत्री अश्लेषा (23), पत्नी मेघा (45) और सास रोहिणी फड़के (70) को तीन आरोपियों ने मार डाला था। यह परिवार एक महीने पहले ही श्रीनगर में किराए से रहने आया था।


ऐसे रची थी हत्या की साजिश
आरोपी नेहा की मेघा से मुलाकात ऑर्बिट मॉल में हुई थी। दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई। नेहा मेघा के घर जाने लगी। धीरे-धीरे नेहा को देशपांडे परिवार की आर्थिक स्थिति का अंदाज हो गया। वह अपने प्रेमी राहुल से भी देशपांडे


परिवार के बारे में बात किया करती थी। उसने ही बताया था कि परिवार में ज्यादातर समय महिलाएं ही रहती हैं। उन्हें आसानी से रिवॉल्वर और चाकू की नोंक पर लूटा जा सकता है। नेहा ने राहुल के साथ मिलकर लूट की साजिश बनाई तो राहुल ने अपने दोस्त मनोज को भी साथ मिला लिया। इस तरह तीनों ने मिलकर हत्याकांड को अंजाम दिया।

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