शुक्रवार, 20 जुलाई 2012

मरूधरा का महान संत कवि इसरा परमेश्वरा


कवि संत ईसरदास बारहठ की 554 वें जन्मोत्सव पर विशोश आलेख 


मरूधरा का महान संत कवि इसरा परमेश्वरा 

चन्दनसिह भाटी 


बाडमेर जिले में भक्ति रस कें कवि संत ईसरदास की मान्यता राजस्थान एवं गुजरात में रही संत रोहडिया भाखा के चारण कवि ईसरदास का जन्म बाडमेर के भादरेस में विक्रम संवत 1595 में हुआ था।इनके जन्म संवत की पुश्टि करने वाला यह दोहा बडा प्रसिद्ध हैं 
पनरासौ पिचयाणवै ,जन्मो ईसरदास। 
चारण वरण चकोर में ,इण दिन हुवौ उजास॥ 
चारण जाति में कवि ईसरदास का नाम के प्रति बडी श्रद्घा और आस्था हैं।उनके जन्म स्थल भादरेस में भव्य मन्दिर इसका प्रमाण हैं। जहॉ प्रति वशर बडा मेला लगता हैं। 
ईसरदास प्रणीत भक्ति रचनाओं में हरिरस,बाल लीला ,छोटा हरिरस,गुण भागवतहंस,देवियाण,रास कैला,सभा पर्व,गरूड पुराण,गुण आगम,दाण लीला आदि लोक.प्रसिद्ध.रचनाऐं हैं। 
हरिरस ग्रन्थ को अनूठे रसायन की संज्ञा दी गई हैं। 
सरब रसायन में सरस,हरिरस सभी ना कोई। 
हेक घडी घर में रहे,सह घर कंचन होस॥ 
हरिरस ग्रन्थ को सब रसों का सिरमौर बताया बताया गया हैं। 
हरिरस हरिरस हैक हैं,अनरस अनरस आंण। 
विण हरिरस हरि भगति विण,जनम वृथा कर जाण॥ 
हरिरस एकोपासना का दिव्य आदार प्रस्तुत करने वाला ग्रन्थ हैं जिसमें सगुण और निर्गुण भक्ति का समन्वय का भक्ति के क्षैत्र में उत्पन्न वैशम्य को मिटानें का स्तुल्य प्रयास किया गया हैं। 
हरि हरि करंता हरख कर,अरे जीव अणबूझ। 
पारय लाधो ओ प्रगट,तन मानव में तूझ॥ 
नारायण ना विसरिये,नित प्रत लीजै नांम। 
जे साधो मिनखां जनम,करियै उत्तम काम॥ 
ईसरदास के मध्य कालीन साहित्य में वीर ,भक्ति टौर श्रृंगार रस की ि़त्रवेणी 
का अपूर्वयसंगम हुआ हैं।इनके साहित्य में वीर रस के साथ साथ भक्ति की भी उच्च कोटि की रचनाऐं प्रस्तुत की हैं।भक्ति कवि ईसरदास का हरिरस भक्ति की महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं तो तो उनकी रचना हाळा झाळा री कुण्डळियॉ वीर रस की सर्वश्रैश्ठ कृतियों में गिनी जाती हैं। यह छोटी पचना होते हुऐ भी डिंगळ का वीर रसात्मक काव्य कृतियों में सर्वश्रैश्ठ मानी जाती हैं।काव्य कला की दृश्टि यें इनके द्घारा रचे गये गीत भी साधारण महत्व कें नही हैं।उनकें उपलब्ध गीतों के नाम इस प्रकार हेैं गीत सरवहिया बीजा दूदावत रा ,बीत करण बीजावत रा,गीत जाम रावळ लाखावत रा,आदि। ईसरदास उन गीत रचियताओं में से हैं ,जो अपने भावों को विद्धतापूर्ण ंग से प्रकट करतें हुऐं भी व्यर्थ के भाब्द जंजाल तथा पांडिल्य प्रदार्न से दूर रहे हैं। ईसरदास का रचनाकाल 16 वीं भाताब्दी का प्रथम चरण हैं।इस समय में पुरानी पिचती राजस्थान ने अपना रूवतंत्र रूप निर्माण कर लिया था।अत; भाशा के अध्ययन की स्फूट गीत रचनाऐंब डा महत्व रखती हैं। ईसरदास मुख्यत; भक्तकवि हैं।इसलिए उन्होने अपनी वीर ेरसात्मक रचनाओं में किसी प्रकार के अर्थ लाभ का व्यवहारिक लगाव न रखते हुऐ सर्वथा स्वतंत्र और सच्ची अभिव्यक्ति प्रदान की हैं। 
नक्र तीह निवाण निबळ दाय नावै,सदा बसे तटि जिके समंद। 
मन वीजै ठाकुरै न मानै,रावळ ओळगिये राजिंद॥ 
भेट्यो जैह धणी भाद्रेसर,चक्रवत अवर चै नह चीत। 
वस विळास मळेतर वासी,परिमळ बीजै करै न प्रीत ॥ 
सेवग ताहरा लखा समोभ्रम,अधिपति बीजा थया अनूप। 
श्रइ कि करै अवर नदि रावळ,रेखा नदी तणा गज रूप॥ 
क्वि तो राता धमळ कळोधर,भवठि भंजण लीळ भुवाळ। 
लुहवै सरै बसंता लाजै,माण्सरोवर तणा मुणाल॥ 

घणा टाबर, घणो दुःख’’

घणा टाबर, घणो दुःख’’
जनसंख्या पखवाड़े के तहत एमबीसी गल्र्स कॉलेज में रौचक स्पर्द्धाएं, प्रश्नोत्तरी में चार गु्रप रहे विजेता

बाडमेर। विश्व जनसंख्या पखवाड़े के तहत स्कूलकॉलेजों में आयोजित किए जा रहे जागरूकता कार्यक्रमों की फेहरिस्त में शुक्रवार को आखिर कार्यक्रम आयोजित हुआ। शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग के आईईसी अनुभाग और एमबीसी गल्र्स कॉलेज के राष्ट्रीय सेवा योजना अनुभाग की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में कॉलेज की छात्राओं ने ब़चढ़ कर भाग लिया। प्रश्नोत्तरी स्पर्द्धा में दस गु्रप सहित कॉलेज की सभी छात्राओं ने हिस्सा लिया, जिनमें गु्रप सी व एफ संयुक्त रूप से प्रथम, गुप्र बी द्वितीय तथा गु्रप ए तृतीय स्थान पर रहा। पोस्टर एवं निबंध स्पर्द्धा में भी छात्राओं ने जनसंख्या वृद्धि को लेकर गंभीरता पूर्वक चिंता जाहिर की। छात्राओं ने ॔॔घणा टाबर, घणो दुःख’’ की थीम पर अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी।

सीएमएचओ डॉ. हेमराज सोनी ने बताया कि मुलतानमल भीखचंद छाजेड़ राजकीय कन्या महाविद्यालय में आयोजित स्पर्द्धा में अतिथि के तौर पर एनएसएस के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. हुकमाराम सुथार, व्याख्याता उदयसिंह, जिला आईईसी समन्वयक विनोद बिश्नोई व आशा समन्वयक मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन आयुष अधिकारी डॉ. अनिल झा ने किया। सीएमएचओ डॉ. सोनी ने बताया कि छात्राओं ने जनसंख्या वृद्धि पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वे इस राष्ट्रीय समस्या को लेकर गंभीरता दिखाएंगी और हर संभव प्रयास कर इस सामाजिक समस्या के बारे में आमजन को जागरूक करेंगी। आईईसी समन्वयक विनोद बिश्नोई के मुताबिक प्रश्नोत्तरी में नेहा, रवीना, पंकज, कृतिका, नीशा अशोक, दिव्या, पवनी व नीशा विजेता रही। वहीं निबंध में चंद्रा कंवर, दिव्या चौधरी, भावना, रविना बागड़ी, कंचन राठौड़ व अन्य तथा पोस्टर स्पर्द्धा में अनेक छात्राओं ने बेहतरीन अभिव्यक्ति दी। सोमवार से शुक्रवार तक हुई उक्त सभी प्रतियोगिताओं के विजेताओं को 24 जुलाई को पखवाड़े के समापन समारोह पर जिला स्वास्थ्य भवन में पुरस्कृत किया जाएगा।

अमरनाथ यात्रा: शिविर के बाथरूम में बने महिलाओं के MMS!

श्रीनगर. अमरनाथ यात्रा पर जा रही महिला श्रद्धालुओं का अश्लील एमएमएस बनाए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जालंधर की रहने वाली एक महिला की एफआईआर के बाद श्रीनगर पुलिस ने सेवा शिविर के दो सेवादारों को हिरासत में ले लिया है।  

एफआईआर दर्ज कराने वाली महिला 11 जुलाई को बालटाल में हेलीपैड के नजदीक बने एक लंगर शिविर में गई थी। यह लंगर जालंधर की ही श्री अमरनाथ (बी) ट्रस्ट ने लगवाया था। महिला जब नहाने के लिए गई तो उसे टीन के पीछे कुछ हलचल महसूस हुई। उसने देखा टीन में बने छेद से युवक झांक रहे थे और उनके हाथ में मोबाइल भी थे। महिला के शोर मचाने पर युवक भाग गए।
पीड़ित महिला ने घटना की पुलिस में शिकायत की तो पुलिस ने दो सेवादारों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। गांदरबल के एसपी शाहिद मेहराज ने कहा, 'मोबाइल से महिला का वीडियो बनाया जा रहा था। दोनों मोबाइल सीज कर लिए गए। प्रारंभिक जांच में क्लिपिंग नहीं मिली हैं। अब मोबाइल को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा। हिरासत में लिए गए दोनों युवकों को 5 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है। पहले उन्हें 6 दिन की रिमांड पर भेजा गया था।'
पुलिस फिलहाल मामले की जांच कर रही है जबकि पीड़ित महिला का कहना है कि उस पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है। लेकिन इस घटना ने धर्म के नाम पर चल रहे इन शिविरों से श्रद्धालुओं का विश्वास तोड़ दिया है। तीर्थयात्रा पर जा रहे यात्रियों को अब शिविरों में भी पूरी सावधानी बरतने की जरूरत है।

मायके आने के दूसरे दिन ही युवती को ले भागा, फिर बनाया हवस का शिकार!

जोधपुर.रायपुर थाना क्षेत्र के झूठा गांव से भगाई युवती पुलिस को हरियाणा के रेवाड़ी जिले में मिली है, जिसे लेकर बुधवार को टीम रायपुर पहुंच गई। युवती ने आरोपी अली उर्फ मोहम्मद हुसैन पर अपहरण कर ले जाने तथा दुष्कर्म करने का आरोप लगाया है। पीडि़ता ने किसी तरह आरोपी के चंगुल से निकल कर उसने परिजनों से संपर्क किया, जबकि आरोपी की तलाश की जा रही है।
 
ज्ञात रहे कि झूठा गांव की एक युवती की दो माह पहले ही गौना हुआ था। जैतारण से 9 जुलाई को युवती अपने पीहर झूठा गांव में आई थी। 10 जुलाई को सुबह अचानक युवती लापता हो गई तो परिजनों ने खोजबीन शुरू की। तब उनको पता लगा कि युवती को गांव का ही अली उर्फ हुसैन पुत्र कमरुदीन अपहरण कर कहीं ले गया, जिसको लेकर पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया गया। इस घटना को लेकर ग्रामीणों ने आरोपी की रिश्तेदार की दुकान में आग लगा दी थी।

मंगलवार की रात को पीडि़ता ने परिजनों को फोन कर बताया कि वह हरियाणा के रेवाड़ी जिले में गढ़ी बोलनी गांव में एक मंदिर में शरण लिए हुए है। इस सूचना पर एएसआई राजेश मीणा के नेतृत्व में टीम को हरियाणा भेजा गया, जो युवती को लेकर बुधवार को रायपुर पहुंच गई। पुलिस ने पीडि़ता का मेडिकल करा परिजनों को सौंप दिया है। पुलिस ने दुष्कर्म के आरोपी युवक की तलाश तेज की है

डेरा सच्चा सौदा: 'दर्शन' का लालच देकर 400 साधुओं को बनाया नपुंसक?

चंडीगढ़. सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा में 400 साधुओं को नपुंसक बनाने के आरोपों की सीबीआई जांच की मांग की गई है। इस संबंध में दाखिल याचिका पर वीरवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार, सिरसा व फतेहाबाद के एसपी व सीबीआई को 10 अक्तूबर के लिए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
 
फतेहाबाद निवासी हंस राज चौहान की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया कि डेरे में रहने वाले साधुओं को सब्जबाग दिखाए गए कि नपुंसक बनने वाले साधुओं को डेरामुखी गुरमीत राम रहीम सिंह ईश्वर के दर्शन करवाएंगे।
उनके झांसे में आकर डेरे में रहने वाले लगभग 400 साधुओं ने अपना आपरेशन करवा लिया। याची ने कहा कि वह भी इन साधुओं में से एक है। उनका जीवन नर्क बन गया है। याची ने कहा कि वर्ष 1990 से वह डेरे से जुड़ा हुआ है। वर्ष 2000 में ईश्वर के दर्शन करवाने के नाम पर उसके साथ करीब 20 साधुओं को नपुंसक बना दिया गया। इससे उनके शरीर में हारमोनल बदलाव आ गए हैं। लोग उन्हें नपुंसक कहकर छेड़ते हैं।
साधु ने कर ली थी आत्महत्या
याचिका में विनोद कुमार नामक साधु का उदाहरण देकर कहा गया कि विनोद ने सिरसा कोर्ट कांप्लेक्स में आत्महत्या कर ली थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया था कि वह नपुंसक है। याचिका में दावा किया गया है कि इस तरह 400 साधु डेरे में हैं। याचिका पर प्राथमिक सुनवाई के बाद जस्टिस महेश ग्रोवर ने हरियाणा सरकार, सिरसा व फतेहाबाद के एसपी व सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
गलत प्रचार:
डेरा के प्रवक्ता पवन इंसां और डा. आदित्य इंसां ने बताया कि डेरा विरोधी कुछ लोग डेरा के खिलाफ गलत प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हंसराज चौहान उर्फ हकीकी हंस डेरा का साधु रहा है। पांच वर्षो से वह डेरा छोड़ कर जा चुका है। याचिका के बारे में कुछ भी मालूम नहीं है। लेकिन इसमें जो आरोप लगाए गए हैं वे निराधार हैं।

हरिद्वार में आचार्य बालकृष्ण और भोपाल में दिग्विजय सिंह गिरफ्तार

देहरादून.बाबा रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण को गिरफ्तार कर लिया गया है। देहरादून की एक अदालत द्वारा उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किए जाने के बाद यह कार्रवाई हुई। उधर, भोपाल में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के एक प्रदर्शन के दौरान पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह की भी गिरफ्तारी हुई है।
आचार्य बालकृष्ण को फर्जी पासपोर्ट मामले में कोर्ट में हाजिर होना था। लेकिन वह पेश नहीं हुए। तब अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिया। इसके फौरन बाद सीबीआई की टीम पतंजलि योगपीठ स्थित बालकृष्‍ण के दफ्तर पहुंच गई।
 

सीबीआई की टीम बालकृष्ण को गिरफ्तार करके देहरादून की ओर लेग गई। आचार्य बालकृष्ण के समर्थकों ने उनकी गिरफ्तारी की काफी विरोध भी किया।(तस्वीर में देखें) पतंजलि योगपीठ स्थित उनके दफ्तर से गाड़ी तक ले जाने में ही सीबीआई को आधा घंटा लग गया।
यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब बाबा रामदेव 9 अगस्‍त से विदेश में जमा काला धन भारत मंगवाने के लिए सरकार पर दबाव डालने के मकसद से बड़ा आंदोलन करने की तैयारी कर रहे हैं।
आरोप है कि फर्जी दस्तावेज देकर आचार्य बालकृष्ण ने पासपोर्ट हासिल किया है। सीबीआई इसकी जांच कर रही है। बालकृष्ण के पास वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से मध्यमा (इंटरमीडिएट के समकक्ष) और शास्त्री (बीए के समकक्ष) की डिग्रियां हैं। इन डिग्रियों की भी जांच चल रही है।
उनके खिलाफ इस बात की भी जांच हो रही है कि वह शादीशुदा हैं या नहीं। उनकी वैवाहि‍क स्‍थि‍ति‍ को लेकर कुछ वि‍वादास्‍पद जानकारी मि‍ल रही है। इसके तार उत्तराखंड से नेपाल तक जुड़े बताए जा रहे हैं। इस जानकारी के आधार पर जांच की जा रही है। हालांकि‍ अभी इस बात की कोई आधि‍कारि‍क पुष्‍टि‍ नहीं हुई है।
आचार्य बालकृष्ण रामदेव के नेतृत्‍व में चलने वाले ट्रस्‍ट की 34 पंजीकृत कंपनियों के निदेशक हैं। इन 34 कंपनियों का कुल कारोबार 265.94 करोड़ रुपए है। इन कंपनियों में 23 उत्तराखंड में, पांच उत्तर प्रदेश में,चार दिल्ली में तथा एक एक पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में है। दिल्ली की चार कंपनियों का कुल कारोबार 163.06 करोड़ रूपए,उत्तराखंड की कंपनियों का 94.84 करोड़ रूपए तथा पश्चिम बंगाल की कंपनी का कारोबार आठ करोड़ रुपए है।
करीब साल भर पहले तक पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट, भारत स्वाभिमान ट्रस्ट और उससे जुड़े संस्थानों के लिए संगठन की कमान बाबा रामदेव संभाले हुए थे और प्रशासन व पैसे से जुड़ा सारा कामकाज बालकृष्ण देखते थे। लेकिन रामदेव ने मुक्तानंद को साइनिंग अथारिटी दे दिया था। उस समय भी बालकृष्‍ण की गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर ही ऐसा किया गया था, लेकिन तब वह अदालत से गिरफ्तारी के खिलाफ स्‍टे ले आए थे। यह बात पिछले साल अगस्‍त की है।

चिंकारा शिकार मामले में 5 सैनिक दोषी, 3 अफसरों को क्लीन चिट

चिंकारा शिकार मामले में 5 सैनिक दोषी, 3 अफसरों को क्लीन चिट

बाड़मेर पश्चिमी सीमा पर थलसेना के युद्धाभ्यास ‘सुदर्शन शक्ति’ के दौरान बाड़मेर जिले के निबंला गांव में गत वर्ष 25 नवंबर को चिंकारा शिकार मामले की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी कुछ गवाहों व साक्ष्यों के बिना ही पूरी हो गई।
सेना ने 1 जेसीओ व 4 जवानों को सिर्फ मांस खरीदने का ही दोषी माना, जबकि झांसी से आई सेना की 88 वर्कशॉप यूनिट के तीन जिम्मेदार अफसरों को क्लीन चिट दे दी गई। सेना ने भले ही जांच पूरी कर ली है, लेकिन वन विभाग की ओर से अधीनस्थ अदालत में पेश किए गए इस्तगासे के मामले में 31 अगस्त को आरोपी सैन्यकर्मियों को बुलाया गया है।
इनकी नहीं हुई गवाही
प्रकरण में गवाह बाड़मेर जिले में नागदड़ा (शिव) निवासी सुखसिंह पुत्र हड़मतसिंह, डीएफओ बीआर भादू और जांच अधिकारी महेश चौधरी को तीन बार समन भेजकर गवाही के लिए बुलाया गया था। सुखसिंह से सैन्यकर्मियों के मांस व चिंकारा के सिर खरीदने की बात सामने आई थी, इसके चलते उसकी गवाही अहम थी। सेना को उसे सौंपने के लिए अदालत ने बाड़मेर पुलिस को निर्देश दिए थे, जबकि सुखसिंह अभी तक सेना व वन विभाग के हाथ नहीं लगा है। बगैर गवाही के ही जांच पूरी कर दी गई।
सात महीने लग गए जांच में
चिंकारा शिकार प्रकरण से सेना की काफी बदनामी हुई थी। युद्धाभ्यास में गत वर्ष 5 दिसंबर को राष्ट्रपति की यात्रा दौरान सेना की दक्षिण कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एके सिंह ने मीडिया से कहा था कि प्रकरण की एक माह में जांच पूरी कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, लेकिन झांसी में चली कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी सात महीने बाद गत सप्ताह ही पूरी हुई है।
इन पर गाज
सेना ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में इस यूनिट के सूबेदार गोपीलाल, हवलदार बीआर नाथ, नायक एन. सरकार, लांस नायक आर. परदेसी व सिपाही डीआर नायडू को मांस खरीदने का दोषी माना।
इन्हें क्लीन चिट
कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में 621 ईएमई यूनिट के कर्नल अतुल्य बामजई, ले.कर्नल बीएस चंदेल और यूनिट के ऑफिसर कमांडिंग मेजर एके धारवाल को क्लीन चिट मिली है।
अब आगे क्या
प्रकरण में आगे सेना के पास दो ही विकल्प है। या तो अपनी छवि बचाने के लिए दोषी कार्मिकों व अफसरों के खिलाफ कोर्ट मार्शल शुरू करे और वन विभाग की ओर से दायर इस्तगासा इसमें ट्रांसफर कराए, या फिर आरोपियों को सिविल कोर्ट में पेश करे। विशेषज्ञों का तो यह भी मानना है कि सुखसिंह की गवाही के बिना कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया शुरू ही नहीं हो सकती।
सेना व वन विभाग आमने-सामने
मजबूरी में पूरी की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी
शिकार प्रकरण में गवाही के लिए डीएफओ सहित तीन जनों को बुलाने के भरसक प्रयास किए गए, लेकिन वे नहीं आए। मजबूरन उनकी गवाही के बिना ही कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी पूरी करनी पड़ी।
कर्नल एसडी गोस्वामी, सेना प्रवक्ता
हमारे पास पर्याप्त सबूत
'वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में जाने व साक्ष्य देने की बाध्यता नहीं है। हमारे पास इस प्रकरण के पर्याप्त सबूत हैं। एफएसएल की रिपोर्ट भी मिल चुकी है। कोर्ट मार्शल होने पर साक्ष्य दे सकते हैं।’

बीआर भादू, डीएफओ, बाड़मेर

जसवंत की जीत के लिए सरहद पर उठे हज़ारो हाथ दुआओं के लिए

जसवंत की जीत के लिए सरहद पर उठे हज़ारो हाथ दुआओं के लिए



बाड़मेर उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ रहे जसवंत सिंह के गृह जिले में अल्पसंख्यक समुदाय में जबरदस्त उत्साह हें ,जिले के सरहदी गाँवों के अल्पसंख्यक वर्ग के हज़ारो लोगो ने उनकी जीत की दुआ की .आज रामसर में आयोजित अल्पसंख्यक समुदाय के ख़ास कार्यक्रम में जसवंत सिंह के पुत्र एव बाड़मेर जैसल्म्वेर के पूर्व सांसद मानवेन्द्र सिंह की उपस्थिति में सरहदी इलाको के हज़ारो मुसलमानों ने सेलाऊ पीर और धर्मगुरु के नेतृत्व में जसवंत सिंह की जीन की दुआए की ,पीर साहब ने बताया की जसवंत सिंह राजस्थान और अल्पसंख्यक समुदाय के गौरव हें .भार्म्निर्पेक्ष छवि के सिंह की जीत की राष्ट्र को शख्त जरूरत हें उन्होंने बताया की जसवंत के जीत को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय निश्चिन्त हें आज उनकी जीत के लिए हज़ारो की तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोग एकत्रित हुए तथा उनकी दुआए की .ग्रामीणों ने बताया की वित् मंत्री रहते हुए जसवंत सिंह ने अल्पसंख्यक समुदाय विशेषकर सरहदी क्षेत्रो में रहवासी लोगो के विकास के लिए बेहतरीन कार्य किये .अल्पसंख्यक समुदाय जसवंत सिंह के मुरीद हें

पचास लाख की अवैध श राब बरामद तीन आरोपी गिरफतार


पचास लाख की अवैध श राब बरामद तीन आरोपी गिरफतार

जैसलमेर जैसलमेर पुलिस द्घारा अवैध शराब ओर माफियों के खिलाफ चलाऐ जा रह अभियान को फिर जोरदार सफलता मिली ।इस बार जिले की नोख पुलिस ने गुरूवार देर रात्री को अवैध भाराब से भरा ट्रक बरामद कर तीन जनो को हिरासत में लिया गया।पुलिस अधीक्षक ममता विनोई ने बताया कि नोख थाना क्षैत्र के चिन्नू गांव के पास नाकाबन्दी की गई।इस दौरान बीकमपुर से ऐक ट्रक को आते देख रूकवा कर पूछताछ की गई।पूछताछ के दौरान इसमें ईंटे भरी होना बताया गया।चालक द्घारा ईंटों को जैसलमेर ले जाना बताया गया। पुलिस ने चालक को तलाी के लिऐ कहा तो उसने ट्रक को भगा दिया।पुलिस नें ग्रामीणों को इसकी सूचना दी।जिस पर ग्रामीणें ने चिन्नू के पास ट्रक का रास्ता जाम कर रूकवा दिया ।पुलिस दल नें चार किलोमीटर पीछा कर ट्रक को पकड लिया तथा उसकी तलाी ली।तलाी के दौरान ट्रक में रखी आठ सौ कार्टन अवैध शराब बरामद की जिसकी बाजार कीमत पचास लाख रूप्ये आंकी गई।गत सप्ताह जैसतमेर पुलिस नें पिचहतर लाख की अवेध शराब बरामद की थी। े ं
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सुपारी किलर गिरफतार मुम्बई से आया था हत्या के इरादे से


आरोपी केथोलिक विद्यालय के पूर्व फादर  की तलाश

सुपारी किलर गिरफतार मुम्बई से आया था हत्या के इरादे से

बाडमेर अवैध सम्बन्धें के चलते एक युवक की हत्या करने मुम्बई से सुपारी किलर बाडमेर आया मगर वारदात को अंजाम देने से पूर्व ही बाडमेर पुलिस की तत्परता के चलते धरा गया।इस किलर को सो तीन लाख रूप्ये की सुपारी दी गई थी।जिला पुलिस अधीक्षक राहूल बारहट ने बताया कि विजुमेन चेरियन निवासी बाडमेर ने सदर थानें में मामला दर्ज कराया कि बीते िक्षा सत्र में भाहर के एक निजि विद्यालय में कार्यरत प्रिंसिपल सेबेस्टिसन डेमेलों और वाईस प्रिंसिपल के बीच अवेध सम्बन्धों के बारे में उसे पता चल गया था।जिसके चलते उसने प्रिसिपल को विद्यालय परियर में इस तरि के अनैतिक कार्य करने के लिऐ मना किया तो प्रिंसिपल नें उसे चुप रहने की हिदायत दी।ऐसा नही करने पर जान से मारने की धमकी दी गई।इस बीच प्रिसिपल का फालना तबादला हो गया।उसे लगा कि उसका तबादला विजुमेन के कारण हुआ हैं।दन्हाकनक बताया किडेमेलो का भाई मुम्बई में रेलवे में नौकरी करता हैं।जिसनें कवजुमैन को निपटाने के लिऐं सुपारी किलर वाहिद भोख निवासी मुम्बई से सम्पर्क साधा।दोनो के बीच सो तीन साख में विजुमैन की हत्या की डील तय हुई।जिसके बाद वाहीद जमीन का ग्राहक बन कर बाडमेर आया तथा एक होटल मे ठहर गया।वाहिद नें विजुमैन को मुम्बई से फोन कर कहा था कि वह उसकी हत्या करने आ रहा हैं।इससे पहले वाहिद सात जुलाई को जमीन का ग्राहक बन का उसे मिला था।पन्द्रह जुलाई को फालना से डेमोलो का थेन विजुमैन के पास आया तथा उसे बताया कि तेरी वजह से मेरा स्थानान्तरण हुआ हैं मैं तेरा मर्डर करवा दूंगा।अगले दिन वाहिद का फोन उसके पास आया । वाहिद ने उसे बताया कि दो चार दिन ऐा कर ले फिर उसकी हत्या कर दी जाऐगी।इस धमकी की सूचना उसने स्थानिय पुलिस को दी।जिस पर त्वरित कार्यवाही कर पुलिस नें बुधवार को बाडमेर की एक होटल से वाहिद को उठा लिया।गुरूवार देर रात तक वाहिउ से पुलिस अधीक्षक सहित पुलिस अधिकारीयों नें कडी पूछताछ की।देर रात को वाहिद ने ंसच उगला।पुलिस अधीक्षक राहूल बारहट ने बताया कि वाहिद को गिरफतार कर लिया।इस ाडयंत्र में भातिल लोगों की गिरफतारी के लिऐ तीन दलों को अलग अलग स्थानों पर भेज दिया हैं।

गुरुवार, 19 जुलाई 2012

क्योँ जीतेंगे जसवंत सिंह ..देखे खास रिपोर्ट

क्योँ जीतेंगे जसवंत सिंह ..देखे खास रिपोर्ट 
उपराष्ट्रपति चुनाव को कम न आंकें
राष्ट्रपति चुनाव में अंतिम समय तक अनिर्णय ओर असमंजस में रहने का परिणाम भाजपा ने अपने नेतृत्व वाले राजग के अंदर संप्रग के उम्मीदवर प्रणब मुखर्जी को लेकर विभाजन के रूप में भुगता और कटु आलोचनाएं झेलीं. यकीनन पार्टी ने इससे सबक लिया और उपराष्ट्रपति के नाम पर सर्वसम्मति से जसवंत सिंह की उम्मीदवारी की घोषणा के साथ राष्ट्रपति चुनाव की अनेकता एकता में बदल गई.

इस प्रकार तत्काल यह मानने में हर्ज नहीं है कि उपराष्ट्रपति चुनावद्वारा अगले लोकसभा चुनाव की दृष्टि से राजग ने एकजुटता का संदेश दिया है और राष्ट्रपति चुनाव में अलग-अलग मतदान से निकले संदेश पर पूर्णविराम लगा है. इस नाते यह उपराष्ट्रपति चुनाव भारत के राजनीतिक इतिहास का पहला ऐसा चुनाव होता दिख रहा है जिससे भविष्य की राजनीति की दिशा का संकेत मिल सकता है.

निर्वाचक मंडल के रूप में दोनों सदनों की सदस्य संख्या देखते हुए जसवंत सिंह और वर्तमान उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बीच मुकाबले के परिणाम को लेकर इस समय किसी को संदेह नहीं है. निर्वाचन नियमानुसार मतदान करने वाले सांसदों के आधे से एक अधिक जिसके पक्ष में मतदान करेंगे उसकी विजय हो जाएगी.

कुल 790 के निर्वाचक मंडल में यदि मतदान बिल्कुल राजनीतिक समीकरण के अनुरूप हुआ तो हामिद अंसारी के पक्ष में बहुमत आ जाएगा. किंतु मुकाबले का राजनीतिक महत्व है. आखिर संप्रग ने अंसारी को दोबारा मैदान में उतारकर इतिहास रचा है. केवल डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति रहे हैं जिन्हें दोबारा उपराष्ट्रपति बनाया गया था.

वह भी इसलिए, क्योंकि जवाहरलाल नेहरू की अनिच्छा के बावजूद कांग्रेस पार्टी का बहुमत डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को राष्ट्रपति के रूप में दूसरा कार्यकाल देना चाहता था. प. नेहरू राधाकृष्णन को राष्ट्रपति बनाना चाहते थे, इसलिए उन्हें दूसरा कार्यकाल देना मुनासिब समझा गया. हालांकि राधाकृष्णन ने आरंभ में इंकार किया, लेकिन अंतत: मान गए.

हामिद अंसारी निश्चय ही इस समय स्वयं को महान शिक्षाविद् एवं भारतीय सभ्यता-संस्कृति के प्रकांड विद्वान डॉ. राधाकृष्णन की पंक्ति में खड़ा पाकर गौरवबोध से भरे होंगे. उपराष्ट्रपति बनने के बाद उनके लिए अगली बार राष्ट्रपति पद तक पहुंचने की उम्मीद फिर कायम हो सकती है.

किंतु वे न भूलें कि संप्रग ने उन्हें मजबूरी में दोबारा कार्यकाल दिया है. अगले लोकसभा चुनाव में अल्पसंख्यक खासकर मुसलमान मतों को अपने पक्ष में लाने के लिए कांग्रेस ने हामिद अंसारी को बनाए रखने का निर्णय लिया है.कांग्रेस के पास यह संदेश देने का आधार होगा कि अगर राष्ट्रपति नहीं बनाया तो उपराष्ट्रपति बनाए रखा.

सच यह है कि हामिद अंसारी का कार्यकाल अन्य पूर्व उपराष्ट्रपतियों की तुलना में प्रशंसनीय नहीं रहा है. राज्यसभा में मार्शल का प्रयोग एवं 2011 के अंत में लोकपाल विधेयक पर बहस के दौरान सदन की कार्यवाही अनिश्चित काल तक स्थगित करने के निर्णय ने उन्हें विवादास्पद बना दिया. इसके पहले के रिकॉर्ड में उपराष्ट्रपति के विवादित होने का प्रसंग शायद ही मिलेगा.

व्यक्तित्व के तौर पर तुलना करें तो जसवंत का एक वरिष्ठ राजनेता के रूप में बेहतर रिकॉर्ड है और कंधार में सरकार के निर्णय के अनुसार हवाई जहाज पर बंधकों को लाने के लिए तीन आतंकवादियों को साथ लेकर जाने की भूमिका के अलावा सामान्य राजनीति की दृष्टि से कोई नकारात्मक बिन्दु उनके राजनीतिक करियर का नहीं है. भाजपा में होते हुए भी उन्हें पुराने जनसंघी श्रेणी की विचारधारा से आबद्ध नहीं माना जाता है.

संविधान के प्रावधान एवं व्यवहार को देखते हुए सामान्यत: उपराष्ट्रपति की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण नहीं लगती कि उस पद के लिए ऐसी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की कल्पना की जाए. किंतु यह सच नहीं है. तीन ऐसे पहलू हैं जिनके आधार पर उपराष्ट्रपति पद के महत्व का प्रतिपादन होता है.

पहला, राज्यसभा के पदेन सभापति होने के कारण उपराष्ट्रपति की मुख्य भूमिका सदन के संचालन की है. विखंडित राजनीति के दौर में सरकार के लिए राज्यसभा के सभापति की भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है. हालांकि एक बार सभापति के पद पर बैठने के बाद दल और विचार की सीमा से ऊपर उठकर आचरण की उम्मीद की जाती है और ज्यादातर सभापति इस कसौटी पर खरे उतरे हैं.

बावजूद इसके यह सामान्य धारणा है कि अगर सभापति अपने अनुकूल हों तो सरकार के लिए विधेयकों को पारित कराना थोड़ा आसान हो जाता है और बहस के दौरान उभरी प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने में भी सुविधा होती है. हालांकि यह सोच दुर्भाग्यपूर्ण है, पर वर्तमान राजनीति की सोच का यही कटु सच है. ऐसा न हो तो फिर सर्वसम्मति से कोई उपराष्ट्रपति चुन लिया जाए, क्योंकि सभापति की कुर्सी पर बैठने के बाद भूमिका निष्पक्ष होगी. जाहिर है, भारतीय राजनीति के पतन ने इस आम धारणा के विपरीत संदेह का मनोविज्ञान निर्मित किया है.

दूसरा, आजादी के बाद सामान्यत: उपराष्ट्रपति को अगले राष्ट्रपति के रूप में देखा जाता रहा है. आरंभ के तीनों उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन और वराह गिरि वेंकट गिरि उपराष्ट्रपति के बाद राष्ट्रपति बने. हालांकि यह परंपरा टूटी और गोपाल स्वरूप पाठक, बासप्पा दानप्पा जत्ती व मो. हिदायतुल्ला को राष्ट्रपति बनने का सौभाग्य नहीं मिला किंतु इसका कारण तत्कालीन राजनीति थी.

गोपाल स्वरूप पाठक को इंदिरा गांधी तत्कालीन कांग्रेस की सिंडिकेट राजनीति के कारण पसंद नहीं करतीं थीं. 1977 में जनता पार्टी की सरकार के समय जत्ती कार्यवाहक राष्ट्रपति थे. जनता पार्टी उन्हें उम्मीदवार नहीं बना सकती थी. हिदायतुल्ला जनता पार्टी द्वारा निर्वाचित थे, इसलिए कांग्रेस उन्हें मौका नहीं दे सकती थी. बाद में फिर आर. वेंकटरमण, शंकर दयाल शर्मा एवं के. आर. नारायण राष्ट्रपति पद तक पहुंचे.

कृष्णकांत से यह परंपरा फिर टूटी और उनके बाद भैरोसिंह शेखावत और अब हामिद अंसारी को लगातार यह अवसर नहीं मिला. इन तीनों को भी विखंडिज राजनीति की विवशता के कारण ही मौका नहीं मिला. किंतु कौन जानता है, आगे फिर उस परंपरा का पालन हो. इसलिए आज भी उपराष्ट्रपति पद को राष्ट्रपति भवन तक पहुंचने की पहली सीढ़ी के रूप में देखा जाना अस्वाभाविक नहीं है.

उप राष्ट्रपति की महत्ता का तीसरा पहलू है राष्ट्रपति के निधन, हटाए जाने या इस्तीफे के कारण कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका निभाना. भारत के इतिहास में ऐसा तीन बार हुआ है.

1969 में डॉ. जाकिर हुसैन के आकस्मिक निधन के बाद बी. बी. गिरि कार्यवाहक राष्ट्रपति बने और 1976 में फखरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु के बाद बासप्पा दानप्पा जत्ती. वह आजादी के बाद भारतीय राजनीति का अत्यंत महत्वपूर्ण या युगांतकारी चरण था.

आपातकाल का अंत उनके कार्यकाल में हुआ और 1977 के आम चुनाव के बाद केन्द्र में पहली बार गैर कांग्रेसी जनता पार्टी की सरकार अस्तित्व में आई. यहां तक उनकी भूमिका खास नहीं थी, किंतु जब जनता पार्टी सरकार ने नौ राज्यों की कांग्रेस सरकारों को भंग करने का फैसला किया तो उस पर राष्ट्रपति की मुहर आवश्यक थी. जत्ती ने ऐसा करने से इन्कार किया और पहली बार मंत्रिमंडल का प्रस्ताव वापस हो गया.

यह अलग बात है कि बाद में उन्हें ऐसा करना पड़ा, क्योंकि संविधान के अनुसार सरकार के दोबारा निर्णय के बाद उनके पास कोई चारा नहीं था. वैसे मो. हिदायतुल्ला को भी 1982 में 25 दिनों तक राष्ट्रपति बनने का अवसर मिला, लेकिन उस दौरान कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हुआ.

तो यह नहीं माना जा सकता है कि उप राष्ट्रपति का पद महत्वपूर्ण भूमिकाओं से रहित है. जत्ती को तो कल्पना भी नहीं रही होगी कि उन्हें आपातकाल के अंत के निर्णय पर मुहर लगानी होगी और बाद में जनता पार्टी की सरकार के साथ तनाव मोल लेना होगा. किंतु ऐसा हुआ.

देश के लिए ऐसा क्षण कभी भी आ सकता है जब उपराष्ट्रपति को ऐतिहासिक भूमिका निभानी पड़ सकती है. सदन के संचालन में वित्त विधेयक को छोड़कर सारे विधेयकों को कानून बनने से पहले राज्यसभा में पारित होना अनिवार्य है. कई बार तो विधेयक लोकसभा से पहले राज्यसभा में ही पेश कर दिया जाता है और वहां जो कुछ होता है उसकी प्रतिध्वनि लोकसभा में गूंजती है.

इसलिए हमारी कामना यही होगी उपराष्ट्रपति के रूप में हमेशा ऐसे सक्षम, समझबूझ वाले ईमानदार और साहसी व्यक्ति का निर्वाचन हो जो कठिन परिस्थितियों में सदन के संचालन से लेकर अनायास मिलने वाली भूमिकाओं का इस तरह निर्वहन करे कि देश में आदर्श भावना का संचार हो. अंसारी जीतें या जसवंत, ये इस कसौटी पर खरा उतरें, यही अपेक्षा हर भारतीय की होगी.

अथः रक्षम भ्रष्ट बाबू की कारस्तानी सवा साल से लावारिस घूम रहा हैं भरतपुर कलेक्टर का चैक


अथः रक्षम 

सवा साल से लावारिस घूम रहा हैं भरतपुर कलेक्टर का चैक 
बाड़मेर 






प्रिय पाठका आपके अपने लोक प्रिय ई समाचार पत्र बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक अपने नये कॉलम अथ रक्षम के माध्यम से प्रत्येक सोमवार को आपके समक्ष बाडमेर जिले की वो अनकही बातें आपके सामने रखेगा जिसके बारे में आपको जानना जरूरी हैं।इस कॉलम के माध्यम से आप तक बाडमेर के इतिहास,लोक.कला ,संस्कृति,परम्पराऐं,विकास,सरकारी योजनाओ ,भ्रश्टाचार,लोक जीवन ,राजनीति हलचल,सहित खास मुद्धों पर आधरित सच्चाई आपके सामने रखी जाऐगी।ं 


आज आपको ऐक जिला कलेक्टर के चैक की कहानी बताते हैं कि एक भ्रष्ट बाबू की कारस्तानी के कारण एक कनेक्टर का चैक सवा साल से कैसे लावारिसों की तरह चोखटें पार कर रहा हैं। 
बाडमेर के जिला कलेक्टर रहे और वर्तमान में भरतपुर कलेक्टर गौरव गोयल को शायद आप अभी भूले नहीं होंगे।जनाब जब कलेक्टर थे तो सरकारी कारिन्दें किस तरह उनकी हाजरी बजाते थे किसी को बताने की शायद जरूरत नही।गौरव गोयल का ऐक चैक जो स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एण्ड जयपुर की मुख्य ब्रांच से दिनांक इक्कतीस मार्च दौ हजार ग्यारह को बैंकर चैक नम्बर 435455 जारी हुआ था।कायऐ से यह बैंकर चेक रजिर्स्टड डाक से गौरव गोयल को भेजा जाता।तगर ऐया नही हुआ।यह चेक आज भी लावारिसों की तरह चोखटें चूम रहा हे।आखिर एक कलैक्टर रैंक के व्यक्ति का बारह हजार आठ सौ छियानवे रूप्ये को बैकर चैक लावारिस किसकी कारस्तानी से हैं।किसने इस चैक को गौरव गोयल तक पहुॅचने नही दिया।बात चैक की नहीं जिला कलैक्टर कार्यालय की व्यवस्थओं की हैं।यह चैक मेरे हाथ लगा हैं इस चैक को खुर्द बुर्द करने का काम लेखा भाखा के एक लिपिक द्घारा किऐ जाने की जानकारी मिली हैं।उक्त लिपिक पर पूर्व में भी भ्रश्टाचार के आरोप लग चूके हैं।इतना ही नही कुछ रोत पूर्व लिपिक महोदय पराई स्त्री के याथ गुलछर्रे उडाने पवित्र स्थान हरिद्घार भी गये थे बाद में कववाहिता के रितेदारों कासे जानकारी होने पर जमकर इनकी धुलाई भी की गई।इस बाबू की दादागिरी देखिऐ लेखा भाखा को अपनी बपोती समझ कर मनमानी करता हैं,जिला कलैक्टर की फटकार के बाद भी कोई सुधार नही।इस लिपिक के खिलाफ मुख्यमुत्री काया्रलय से भी जॉच आ रखी हैं साथ ही जिला कलेक्टर ने भी कोशाधिकारी को जॉच दे रखी हैं।कोशाधिकारी दुविधा में हैं।जॉच में वे स्वयं और अतिरिक्त जिला कलेक्टर भी फंस रहे हैं।बहरहाल तत्कालीन जिला कलेक्टर गौरव गोयल का भुगतान उक्त लिपिक सीधे उनके खाते में भी कर सकता था मगर इसने एंसा नही कर बैंकर चैक बनाया ताकि दनकों भुगतान ना मिले ऐसा ही हुआ।वर्तमान में भरतपुर जिला कलेकटर गौरव गोयल नें बताया कि बात पैसे की नही हैं ।मगर जिस तरह लेखा भाखा द्घारा लापरवाही बरती गई हैं वो चौंकाने वाली हेैं,लेखा शाखा को भुगतान सीधे मेरे खातें में जमा करना चाहिऐ थौ।सौलह माह के बाद भी मुझे बैंकर चैक नही मिला।लेखाशाखा के लापरवाह कार्मिकों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिऐं। 
लेखाशाखा के इस भ्रश्ट लिपिक के खिलाफ कार्यवाही करने का साहस कोई अधिकारी जुटा नही पा रहा जिसका कारण हैं कि सभी के सुविधा खर्चे एडजस्ट करने का जिम्मा इसके पास हैं। े

पाकिस्तान में वीना मलिक पर बवाल

पाकिस्तान में वीना मलिक पर बवालइस्लामाबाद। पाकिस्तान के टीवी चैनलों ने रमजान के महीने में दिखाए जानेवाले विशेष कार्यक्रमों के लिए लोकप्रिय एंकर और शख्सियतों की सेवा ली है जिसे लेकर विवाद पैदा हो गया है। एक्सप्रेस ग्रुप के एक चैनल हीरो टीवी ने एक ऎसे कार्यक्रम की योजना बनाई है जिसमें पाकिस्तानी मूल की बॉलीवुड कलाकार वीना मलिक अपने कथित पाप के लिए ईश्वर से माफी मांगेंगी। इन कथित गुनाहों में वीना मलिक की वो तस्वीर भी शामिल है जिसमें उन्हें एक भारतीय मैगजीन के मुखपृष्ठ पर नग्न दिखाया गया है और उनके हाथ पर आईएसआई चित्रित किया गया है।


माफी का कार्यक्रम
मुसलमानों के पवित्र महीने रमजान को हल्के ढंग से लेने के लिए चैनल की निंदा की जा रही है और एक ऑनलाइन याचिका भी जारी की गई है ताकि लोग इसके पक्ष या विपक्ष में अपनी राय जाहिर कर सकें। हीरो टीवी के इस कार्यक्रम "अश्टागफार" का एक 39 सेकेंड का प्रोमो भी तैयार किया गया है जिसे यू ट्यूब पर 16 जुलाई को अपलोड किया गया है।

राजेश खन्ना के फैंस को लाठियों से पीटा

राजेश खन्ना के फैंस को लाठियों से पीटा
मुंबई। बॉलीवुड के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना के अंतिम संस्कार के वक्त भगदड़ मच गई। राजेश खन्ना के प्रशंसकों को खदेड़ने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। विले पार्ले के श्मशान घाट के बाहर भारी संख्या में लोग एकत्रित हो गए थेे।

ये लोग अपने स्टार की एक झलक पाने के लिए श्मशान घाट में घुसने की कोशिश कर रहे थे। आम लोगों और मीडिया को श्मशान घाट में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। ऎसे में पुलिस को स्थिति नियंत्रण में लेने के लिए लाठियां भांजनी पड़ी।

राजेश खन्ना का गुरूवार सुबह 11.30 बजे अंतिम संस्कार किया गया। अक्षय कुमार के बेटे आरव ने अपने नाना की पार्थिक देह को मुखाग्नि दी। आरव बहुत छोटा है इसलिए पिता अक्षय कुमार ने इसमें मदद की। करीबी मित्र विजय झावेरी ने यह जानकारी दी। अंतिम संस्कार के वक्त अलग रह रही पत्नी डिंपल कपाडिया,बेटी रिंकी सहित अन्य रिश्तेदार मौजूद थे। गर्भवती होने के कारण टि्वंंकल अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुई। अंतिम पलों की वीडियोग्राफी कराई गई ताकि टि्वंकल अपने पिता के आखिरी पलों को देख सके।

अमिताभ को पैदल चलना पड़ा
अंतिम संस्कार में बॉलीवुड की नामी गिरामी हस्तियां शामिल हुई। काका को अंतिम विदाई देने के लिए सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और उनके बेटे अभिषेक बच्चन भी पहुंचे लेकिन उनको पैदल चलकर श्मशान घाट तक जाना पड़ा क्योंकि भीड़ में उनकी गाड़ी फंस गई थी।

सार्वजनिक स्थानों पर तेज आवाज में टेप बजाते दो जने गिरफतार

सार्वजनिक स्थानों पर तेज आवाज में टेप बजाते दो जने गिरफतार
जैसलमेर पुलिस थाना जैसलमेर एवं पोकरण के हल्खा क्षैत्र में सार्वजनिक स्थानों पर तेज आवाज में टेप बजाने वालो के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए पुलिस थाना जैसलमेर के हल्खा क्षैत्र में नगर परिषद के पास प्रेम उर्फ लीलाराम पुत्र नखताराम भील निवासी डाबला को चिमनाराम उनि मय जाब्ता द्वारा गिरफतार किया गया दूसरी तरफ पुलिस थाना पोकरण के हल्खा क्षैत्र में गंगाराम उनि मय जाब्ता द्वारा व्यास चौराहा से शकुरखॉ पुत्र हाजीखॉ मुसलमान नि0 पोकरण को तेज आवाज से टेप बजाते हुए गिरफतार किया।