जोधपुर.रेलवे के पास थार लिंक एक्सप्रेस की सुरक्षा के लिए बजट नहीं है। दोस्ती की इस रेल पर आतंकी हमलों की आशंका के कारण छह साल पहले भगत की कोठी रेलवे स्टेशन पर बैगेज स्कैनर लगाने का फैसला हुआ था। आरपीएफ ने दो साल पहले स्कैनर की खरीद प्रक्रिया शुरू करते हुए टेंडर भी निकाला, मगर रेलवे जीएम ने बजट नहीं होने के कारण यह मामला रेल मंत्रालय को भेज दिया है, जहां से अब तक स्कैनर खरीद की इजाजत नहीं मिली है।
सुरक्षा एजेंसियां इस बात से चिंतित हैं कि अंतरराष्ट्रीय ट्रेन की सुरक्षा के उपायों के संबंध में की जा रही यह उपेक्षा किसी दिन भारी पड़ सकती है। दूसरी ओर रेलवे ने जोधपुर स्टेशन के लिए दो बैगेज स्कैनर भिजवाए जिनका इंस्टालेशन शुक्रवार से शुरू हो गया है।
4 साल बाद मंजूरी, 2 साल से टेंडर अटका
सुरक्षा एजेंसियों की 2006 में हुई बैठक में जीआरपी को नोडल एजेंसी बनाया गया था। उस वक्त जीआरपी डीजी ने भगत की कोठी स्टेशन पर बैगेज स्कैनर, एक्सप्लोसिव डिटेक्टर, सीसीटीवी कैमरे व डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर आदि उपलब्ध कराने की बात कही थी।
चार साल बाद सितंबर 2010 में रेलवे मुख्यालय ने बैगेज स्कैनर खरीदने की मंजूरी दे दी। उसके बाद डीआरएम ने एस्टीमेट बनाया और आरपीएफ मुख्यालय ने टेंडर निकाल दिया। रेलवे, आरपीएफ और जीआरपी के अफसरों ने मौका देख कर जगह तक तय कर ली, मगर तीस लाख रुपए का यह स्कैनर खरीदने के लिए रेलवे को पैसा नहीं मिला। रेलवे जीएम ने यह मामला रेल मंत्रालय को भेज कर बजट मांगा, वह अब तक नहीं मिला है।
क्यों जरूरी है स्कैनर
भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए पश्चिमी सीमा खोल कर थार लिंक एक्सप्रेस ट्रेन शुरू करने के बाद से ही उस पर आतंकी हमले की आशंका बनी हुई थी। हालांकि बाड़मेर के मुनाबाव स्टेशन पर थार एक्सप्रेस के यात्रियों की तलाशी के लिए स्कैनर लगाया गया और मैन्युअल चैकिंग भी की जा रही है। इसके बावजूद यह खतरा कम नहीं हुआ और नकली नोटों की खेप लगातार आने लगी। इन खतरों से निपटने के लिए ट्रेन की रवानगी भी भगत की कोठी स्टेशन से की जाने लगी और यात्रियों को सुरक्षा इंतजामों के बीच ट्रेन में सवार किया जाने लगा। साथ ही यात्रियों के बैग चैक करने के लिए स्कैनर लगाने की जरूरत महसूस की गई।
स्टेशन को मिले दो स्कैनर
इंटीग्रेटेड सिक्यूरिटी सिस्टम बनाने के लिए रेलवे ने हाल में जयपुर, जोधपुर, बीकानेर व अजमेर स्टेशन पर बैगेज स्कैनर लगाने की प्रक्रिया शुरू की है। इस वर्ष दिसंबर तक चारों स्टेशनों पर स्कैनर लगने हैं। रेलवे ने इस काम के लिए 9 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। जयपुर के अलावा जोधपुर स्टेशन को भी दो बैगेज स्कैनर मिले हैं। शुक्रवार से वीआईपी तथा मुख्य गेट पर स्कैनर इंस्टालेशन का काम शुरू हो गया है। शनिवार से इसका ट्रायल शुरू हो जाएगा।
हर माह लिखते हैं पत्र
'आंतरिक सुरक्षा से संबंधित हर बैठक में स्कैनर लगाने का मुद्दा उठाया है, हर माह रेलवे को पत्र भी लिखते हैं, मगर हर बार आश्वासन ही मिलता है। मंजूरी मिल गई, टेंडर हो गए, परंतु स्कैनर अब तक नहीं लगा। हमने भगत की कोठी स्टेशन पर दो और सीसीटीवी कैमरे लगाने की भी मांग की है।'
पीपी टाक, एसपी, जीआरपी
बजट मिलेगा तो लगेगा
'फिलहाल दो बैग स्कैनर आए हैं। ये दोनों स्कैनर जोधपुर स्टेशन पर लगा रहे हैं। शनिवार से ट्रायल भी शुरू हो रहा है। भगत की कोठी पर स्कैनर रेलवे से बजट मिलने पर ही लगेगा, उसका पैसा नहीं मिल रहा।'
प्रभाकर, असिस्टेंट कमांडेंट, आरपीएफ
सुरक्षा एजेंसियां इस बात से चिंतित हैं कि अंतरराष्ट्रीय ट्रेन की सुरक्षा के उपायों के संबंध में की जा रही यह उपेक्षा किसी दिन भारी पड़ सकती है। दूसरी ओर रेलवे ने जोधपुर स्टेशन के लिए दो बैगेज स्कैनर भिजवाए जिनका इंस्टालेशन शुक्रवार से शुरू हो गया है।
4 साल बाद मंजूरी, 2 साल से टेंडर अटका
सुरक्षा एजेंसियों की 2006 में हुई बैठक में जीआरपी को नोडल एजेंसी बनाया गया था। उस वक्त जीआरपी डीजी ने भगत की कोठी स्टेशन पर बैगेज स्कैनर, एक्सप्लोसिव डिटेक्टर, सीसीटीवी कैमरे व डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर आदि उपलब्ध कराने की बात कही थी।
चार साल बाद सितंबर 2010 में रेलवे मुख्यालय ने बैगेज स्कैनर खरीदने की मंजूरी दे दी। उसके बाद डीआरएम ने एस्टीमेट बनाया और आरपीएफ मुख्यालय ने टेंडर निकाल दिया। रेलवे, आरपीएफ और जीआरपी के अफसरों ने मौका देख कर जगह तक तय कर ली, मगर तीस लाख रुपए का यह स्कैनर खरीदने के लिए रेलवे को पैसा नहीं मिला। रेलवे जीएम ने यह मामला रेल मंत्रालय को भेज कर बजट मांगा, वह अब तक नहीं मिला है।
क्यों जरूरी है स्कैनर
भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए पश्चिमी सीमा खोल कर थार लिंक एक्सप्रेस ट्रेन शुरू करने के बाद से ही उस पर आतंकी हमले की आशंका बनी हुई थी। हालांकि बाड़मेर के मुनाबाव स्टेशन पर थार एक्सप्रेस के यात्रियों की तलाशी के लिए स्कैनर लगाया गया और मैन्युअल चैकिंग भी की जा रही है। इसके बावजूद यह खतरा कम नहीं हुआ और नकली नोटों की खेप लगातार आने लगी। इन खतरों से निपटने के लिए ट्रेन की रवानगी भी भगत की कोठी स्टेशन से की जाने लगी और यात्रियों को सुरक्षा इंतजामों के बीच ट्रेन में सवार किया जाने लगा। साथ ही यात्रियों के बैग चैक करने के लिए स्कैनर लगाने की जरूरत महसूस की गई।
स्टेशन को मिले दो स्कैनर
इंटीग्रेटेड सिक्यूरिटी सिस्टम बनाने के लिए रेलवे ने हाल में जयपुर, जोधपुर, बीकानेर व अजमेर स्टेशन पर बैगेज स्कैनर लगाने की प्रक्रिया शुरू की है। इस वर्ष दिसंबर तक चारों स्टेशनों पर स्कैनर लगने हैं। रेलवे ने इस काम के लिए 9 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। जयपुर के अलावा जोधपुर स्टेशन को भी दो बैगेज स्कैनर मिले हैं। शुक्रवार से वीआईपी तथा मुख्य गेट पर स्कैनर इंस्टालेशन का काम शुरू हो गया है। शनिवार से इसका ट्रायल शुरू हो जाएगा।
हर माह लिखते हैं पत्र
'आंतरिक सुरक्षा से संबंधित हर बैठक में स्कैनर लगाने का मुद्दा उठाया है, हर माह रेलवे को पत्र भी लिखते हैं, मगर हर बार आश्वासन ही मिलता है। मंजूरी मिल गई, टेंडर हो गए, परंतु स्कैनर अब तक नहीं लगा। हमने भगत की कोठी स्टेशन पर दो और सीसीटीवी कैमरे लगाने की भी मांग की है।'
पीपी टाक, एसपी, जीआरपी
बजट मिलेगा तो लगेगा
'फिलहाल दो बैग स्कैनर आए हैं। ये दोनों स्कैनर जोधपुर स्टेशन पर लगा रहे हैं। शनिवार से ट्रायल भी शुरू हो रहा है। भगत की कोठी पर स्कैनर रेलवे से बजट मिलने पर ही लगेगा, उसका पैसा नहीं मिल रहा।'
प्रभाकर, असिस्टेंट कमांडेंट, आरपीएफ