सभी पत्रकार बंधुओ को हार्दिक बधाई शुभकामनाए
प्रेस की स्वतंत्रता के बिना हमारा लोकतांत्रिक समाज लोकतंत्र के उस स्तर को प्राप्त नहीं कर सकता जिसकी कल्पना हमने की है। प्रेस की स्वतंत्रता के लिए आलोचना की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबसे महत्वपूर्ण है।
हर साल 3 मई को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र का महत्वपूर्ण स्तंभ है। प्रेस पर अंकुश और सरकारी नियंत्रण जनता को गुमराह करता है और इसी से बचने के लिए हर साल आज के दिन को अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 1993 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की थी। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, इस दिन प्रेस की स्वतंत्रता के सिद्धांत, प्रेस की स्वतंत्रता का मूल्यांकन, प्रेस की स्वतंत्रता पर बाहरी तत्वों के हमले से बचाव और प्रेस की सेवा करते हुए दिवंगत हुए संवाददाताओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है।
दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों में प्रेस को चौथा खंभा माना जाता है, कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका को जनता से जोड़ने वाला खंभा।
आज हम एक ऐसी दुनिया में जीते हैं जहां अपनी दुनिया से बाहर निकल कर आसपास घटित होने वाली घटनाओं के बारे में जानने ज ज्यादा वक्त नहीं होता। ऐसे में प्रेस और मीडिया हमारे लिए एक खबर वाहक का काम करती हैं जो हर सवेरे हमारी टेबल पर गरमा गर्म खबरें परोसती हैं। यही खबरें हमें दुनिया से जोड़े रखती हैं। आज प्रेस दुनिया में खबरें पहुंचाने का सबसे बेहतरीन माध्यम है। समाचार को लाने का सबसे पुराना और विश्वस्त तरीका भी है। प्रेस की आजादी से किसी भी देश में अभिव्यक्ति की आजादी का पता चलता है। प्रेस समाज का आइना होता है जो समाज में घट रही हच् अच्छी बुरी चीज को जनता के सामने लाता है।
भारत में प्रेस का आजादी है। भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत इस आजादी को व्याख्यायित किया गया है। प्रेस की स्वतंत्रता संविधान केच्अनुच्छेद 19[1][क] के अंतर्गत दी गई वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में अंतर्निहित है कि एक व्यक्ति न केवल अपने विचारों के प्रचार का अधिकार रखता है, बल्कि वह चाहे मौखिक रूप से या लिखित रूप से उनको प्रकाशित, प्रसारित तथा परिचालित करने का अधिकार भी रखता है, लेकिन साथ ही यह भी कहा गया है कि प्रेस की स्वतंत्रता निरंकुश नहीं है। बल्कि उस पर हर प्रकार से उचित प्रतिबंध लगाया जा सकता है। इमरजेंसी जैसे हालातों में भारत में भी प्रेस पर अंकुश लगाया गया था।
हालांकि प्रेस जहां एक तरफ जनता का आइना होता है वहीं दूसरी ओर प्रेस जनता को गुमराह करने में भी सक्षम होता है इसीलिए प्रेस पर नियंत्रण रखने के लिए हर देश में अपने कुछ नियम और संगठन होते हैं जो प्रेस को एक दायरे में रहकर काम करते रहने की याद दिलाते हैं।
हर साल 3 मई को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र का महत्वपूर्ण स्तंभ है। प्रेस पर अंकुश और सरकारी नियंत्रण जनता को गुमराह करता है और इसी से बचने के लिए हर साल आज के दिन को अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 1993 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की घोषणा की थी। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, इस दिन प्रेस की स्वतंत्रता के सिद्धांत, प्रेस की स्वतंत्रता का मूल्यांकन, प्रेस की स्वतंत्रता पर बाहरी तत्वों के हमले से बचाव और प्रेस की सेवा करते हुए दिवंगत हुए संवाददाताओं को श्रद्धांजलि देने का दिन है।
दुनिया भर के लोकतांत्रिक देशों में प्रेस को चौथा खंभा माना जाता है, कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका को जनता से जोड़ने वाला खंभा।
आज हम एक ऐसी दुनिया में जीते हैं जहां अपनी दुनिया से बाहर निकल कर आसपास घटित होने वाली घटनाओं के बारे में जानने ज ज्यादा वक्त नहीं होता। ऐसे में प्रेस और मीडिया हमारे लिए एक खबर वाहक का काम करती हैं जो हर सवेरे हमारी टेबल पर गरमा गर्म खबरें परोसती हैं। यही खबरें हमें दुनिया से जोड़े रखती हैं। आज प्रेस दुनिया में खबरें पहुंचाने का सबसे बेहतरीन माध्यम है। समाचार को लाने का सबसे पुराना और विश्वस्त तरीका भी है। प्रेस की आजादी से किसी भी देश में अभिव्यक्ति की आजादी का पता चलता है। प्रेस समाज का आइना होता है जो समाज में घट रही हच् अच्छी बुरी चीज को जनता के सामने लाता है।
भारत में प्रेस का आजादी है। भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत इस आजादी को व्याख्यायित किया गया है। प्रेस की स्वतंत्रता संविधान केच्अनुच्छेद 19[1][क] के अंतर्गत दी गई वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में अंतर्निहित है कि एक व्यक्ति न केवल अपने विचारों के प्रचार का अधिकार रखता है, बल्कि वह चाहे मौखिक रूप से या लिखित रूप से उनको प्रकाशित, प्रसारित तथा परिचालित करने का अधिकार भी रखता है, लेकिन साथ ही यह भी कहा गया है कि प्रेस की स्वतंत्रता निरंकुश नहीं है। बल्कि उस पर हर प्रकार से उचित प्रतिबंध लगाया जा सकता है। इमरजेंसी जैसे हालातों में भारत में भी प्रेस पर अंकुश लगाया गया था।
हालांकि प्रेस जहां एक तरफ जनता का आइना होता है वहीं दूसरी ओर प्रेस जनता को गुमराह करने में भी सक्षम होता है इसीलिए प्रेस पर नियंत्रण रखने के लिए हर देश में अपने कुछ नियम और संगठन होते हैं जो प्रेस को एक दायरे में रहकर काम करते रहने की याद दिलाते हैं।