बाड़मेर-बालोतरा में मंदी की मार
बाड़मेर। सीमावर्ती जिले में अकस्मात भूमि अवाप्ति व उद्योग लगने की वजह से बढ़े आर्थिक संसाधनों ने जमीन के दाम आसमान पर पहुंचा दिए थे और बाड़मेर शहर में मकानों का किराया हजारों रूपए पहुंच गया था,लेकिन विगत दिनों से चल रही मंदी ने जमीन के और किराया दोनों के दाम घटा दिए है। शहर में बढ़ती महंगाई के दौर में आम आदमी के लिए यह अच्छी खबर है।
जिले में 2003 के बाद निजी कंपिनयों द्वारा ओद्यौगिक प्रयोजनार्थ जमीन अवाप्ति और तेल उत्खनन के कार्य के चलते कई निजी कंपनियों के यहां आने से जमीनों के दाम यकायक बढ़ गए। हजारों रूपए बीघा की जमीनें लाखों के दाम में पहुंच गई और बाड़मेर में जयपुर-मुम्बई की कीमत में जमीनें मिलना मुश्किल हो गया। इस दौर में कई लोग रातों रात मालामाल हो गए। जमीनों के दलालों की पौ बारह हो गई और कृषि जमीन वाले किसान भी लाखों करोड़ोे में जमीन बेचने लगे। यह दौर काफी चला, लेकिन इन दिनोें जमीन खरीद फरोख्त में स्थिरता आ गई है। शहर के आसपास बनी कॉलोनियों, कृçष्ा जमीन और शहर में ही भूखण्डों की खरीद में आई मंदी के चलते दाम बढ़ने की बजाय घटने की नौबत आ गई है। ऎसे में जमीनों का कारोबार करने वाले इन दिनों मंदी की मार झेल रहे हैं।
किराया घटा
बाड़मेर शहर में बाहरी कंपनियों के आने के बाद किराया यकायक बढ़ गया। एक लाख से डेढ़ लाख रूपए मासिक किराया मिलने से लोगों ने अपने मकान किराए पर देकर खुद किराए के मकान में रहना शुरू कर दिया था, लेकिन अब कई कंपनियां लौट गई है। वहीं कइयों ने अपने आवास का प्रबंध कर दिया है। ऎसे में मकान छोड़ दिए है। लिहाजा चार पांच हजार रूपए में मकान किराए पर मिलने की स्थिति फिर से आ गई है। वहीं कई मकान मालिक को अब किराएदारों के लिए तरस रहे हैं।
बालोतरा में भी यही हाल
इधर बाड़मेर में किराए और जमीन के दामों में गिरावट आई है तो उधर बालोतरा में भी कारखानें बंद होने के बाद मंदी छा गई है। भूखण्ड और जमीन खरीदने के लिए लोगों की उतावल खत्म हो चुकी है और अब कॉलोनी काटकर कारोबार करने वाले ग्राहकों को तरस गए है। कारखानें बंद होने के बाद व्यवसायी अन्यत्र पलायन करने लगे हैं। श्रमिकों ने भी अब दूसरे शहर में रोजी रोटी ढूंढ ली है,लिहाजा यहां मंदी ने घेर लिया है।
आम आदमी को राहत
इस दौर में आम आदमी को राहत मिली है। बढ़ते दामों और किराए में आम आदमी के लिए भूखण्ड खरीदना मुश्किल हो रहा था।
अप्रेल में भारी कमी
पिछले समय से रजिस्ट्री को लेकर कमी आई है। विभाग को अप्रेल माह में एक करोड़ पच्चीस लाख रूपए के लक्ष्य के मुकाबले मात्र पांच लाख रूपए की आय हुई है।
बद्री नारायण विश्नोई सब रजिस्ट्रार
बाड़मेर। सीमावर्ती जिले में अकस्मात भूमि अवाप्ति व उद्योग लगने की वजह से बढ़े आर्थिक संसाधनों ने जमीन के दाम आसमान पर पहुंचा दिए थे और बाड़मेर शहर में मकानों का किराया हजारों रूपए पहुंच गया था,लेकिन विगत दिनों से चल रही मंदी ने जमीन के और किराया दोनों के दाम घटा दिए है। शहर में बढ़ती महंगाई के दौर में आम आदमी के लिए यह अच्छी खबर है।
जिले में 2003 के बाद निजी कंपिनयों द्वारा ओद्यौगिक प्रयोजनार्थ जमीन अवाप्ति और तेल उत्खनन के कार्य के चलते कई निजी कंपनियों के यहां आने से जमीनों के दाम यकायक बढ़ गए। हजारों रूपए बीघा की जमीनें लाखों के दाम में पहुंच गई और बाड़मेर में जयपुर-मुम्बई की कीमत में जमीनें मिलना मुश्किल हो गया। इस दौर में कई लोग रातों रात मालामाल हो गए। जमीनों के दलालों की पौ बारह हो गई और कृषि जमीन वाले किसान भी लाखों करोड़ोे में जमीन बेचने लगे। यह दौर काफी चला, लेकिन इन दिनोें जमीन खरीद फरोख्त में स्थिरता आ गई है। शहर के आसपास बनी कॉलोनियों, कृçष्ा जमीन और शहर में ही भूखण्डों की खरीद में आई मंदी के चलते दाम बढ़ने की बजाय घटने की नौबत आ गई है। ऎसे में जमीनों का कारोबार करने वाले इन दिनों मंदी की मार झेल रहे हैं।
किराया घटा
बाड़मेर शहर में बाहरी कंपनियों के आने के बाद किराया यकायक बढ़ गया। एक लाख से डेढ़ लाख रूपए मासिक किराया मिलने से लोगों ने अपने मकान किराए पर देकर खुद किराए के मकान में रहना शुरू कर दिया था, लेकिन अब कई कंपनियां लौट गई है। वहीं कइयों ने अपने आवास का प्रबंध कर दिया है। ऎसे में मकान छोड़ दिए है। लिहाजा चार पांच हजार रूपए में मकान किराए पर मिलने की स्थिति फिर से आ गई है। वहीं कई मकान मालिक को अब किराएदारों के लिए तरस रहे हैं।
बालोतरा में भी यही हाल
इधर बाड़मेर में किराए और जमीन के दामों में गिरावट आई है तो उधर बालोतरा में भी कारखानें बंद होने के बाद मंदी छा गई है। भूखण्ड और जमीन खरीदने के लिए लोगों की उतावल खत्म हो चुकी है और अब कॉलोनी काटकर कारोबार करने वाले ग्राहकों को तरस गए है। कारखानें बंद होने के बाद व्यवसायी अन्यत्र पलायन करने लगे हैं। श्रमिकों ने भी अब दूसरे शहर में रोजी रोटी ढूंढ ली है,लिहाजा यहां मंदी ने घेर लिया है।
आम आदमी को राहत
इस दौर में आम आदमी को राहत मिली है। बढ़ते दामों और किराए में आम आदमी के लिए भूखण्ड खरीदना मुश्किल हो रहा था।
अप्रेल में भारी कमी
पिछले समय से रजिस्ट्री को लेकर कमी आई है। विभाग को अप्रेल माह में एक करोड़ पच्चीस लाख रूपए के लक्ष्य के मुकाबले मात्र पांच लाख रूपए की आय हुई है।
बद्री नारायण विश्नोई सब रजिस्ट्रार
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