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रविवार, 7 अप्रैल 2013

पानी के लिए मचा हां हां कर कानोड़ गाँव रहा बंद








पानी के लिए मचा हां हां कर कानोड़ गाँव रहा बंद 



  बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है रेगिस्तान 


बाड़मेर महाराष्‍ट्र में पानी के हाहाकार के बाद अब राजस्थान के रेगिस्तान में पानी को लेकर हाहाकार मच गया है रेगिस्तान के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस ते नजर आ रहे है शनिवार को बाड़मेर जिले के कानोड़ कस्बे में सकडो लोगो ने पानी किल्लत लेकर गावो को बंद करके सडको पर जमकर प्रदशन कर मटकियो को फोड़ कर जलदाय विभाग के खिलाफ धरना प्रदशन शरू कर दिया इन इलाको अब यह हालात पैदा हो गए है कि पीने के पानी के घड़ेके लिए महिलाओ को पाच से दस किलोमीटर तक सफर तय करना पड़ रहा है आज आखिरइन दर्जनों भर गाव को लोगो को घुसा फुट कर सडको पर आ गया अब रेगिस्तान केलोगो को इस बात कि चिंता सता रही है कि अब यहं हाल तो मई और जून महीने में तपती गर्मी में इंसानों के साथ जानवरों को पानी की बूंद के लिए कितना तरसना पड़ेगा

राज्य की अशोक गहलोत सरकार का दावा है कि बाड़मेर जिले में पानी के लिए सैकड़ो करोडो रूपए खर्च किए है ताकि रेगिस्तान के दूर दराज केगावो में रहने वाले लोगो को पानी के लिए तरसना न पड़े लेकिन आज हम आपको इन योजनाओ और नेताओ के वादों की हकीकत बताते है बाड़मेर जिले के बायतु कस्बेके कानोड़ सहित दर्जनों गावो में पीने के लिए पानी लेने के लिए यह के लोगोको कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है अब पारा 40 के पार पहुंचाते ही ग्रामीण लोगो का आक्रोश सडको पर फुट पड़ा हें ग्रमीण तेजराम जाजरा के अनुसार हमारेयह तीन साले से पानी का भयंकर सकट है हम लोगो ने इस बारे में कई बारजलदाय विभाग के अधिकारियो को इस बार में बताया लेकिन कोई भी हमारी नहींसुनता है इसलिए आज यह के दर्जनों भर गावो के सेकड़ो लोगो ने गाव बंद करसडको पर उतर कर प्रदशन कर रहे है इंसानों के लिए पीने के लिए पानी नहींतो आप सोच सकते हो कि जानवरो तो मरने की कगार पर है अब अगर पीने के पानीका बंदोबस्त सरकार ने नहीं किया तो हालात बेकाबू हो सकते है

. सतर साल की पपू देवी के अनुसार अब हालात इतने बिगड़ गए हैकि पानी के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है पानी के हौज खाली हो गए हैअब पानी के एक टेंकर की कीमार बारह सौ रुपये अदा करने की हैसियत हमारी नहीं हें , पेट पर गाँठ देकर हमें मजबूरन टेंकर डलवाने पड़ते हें वही केसराराम के अनुसारनेता वोट लेने के बाद एक बार भी नजर नहीं आए अब यह हालात है तो आप सोचसकते हो कि आने वाले दिनों में पानी की बूंद के लिए भी हमें तरसना पड़ेगा

पानी की समस्या को लेकर जलदाय विभाग के अधिशासी अभियंता आर.सी .मिश्रा का कहना हैकि इन इलाके में पानी की भयंकर समस्या है अब हमने इन इलाके में पानी केटेंकर से सप्लाई शरू करगे और जल्द ही इन इलाको में पानी के लिए चलने वालीपाइप लाइन को शरू करगे

राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने बाड़मेर जिले में पानी कीयोजनाओ के नाम पर लाखो नहीं करोडो नहीं अरबो रूपए फुक दिए है लेकिन इसकी जमीनी हकीकत यह है कि रेगिस्तान में आज भी पानी के लिए त्राहि त्राहि मचीहुई है लोगो अब पानी की किल्लत को लेकर सडको पर उतर गए है और हालात बद से बदतर होते नजर आ रहे है सबसे बड़ा सवाल यह है कि अभी तो गर्मी की शरुआत हुईहै और इतना हाहाकार गया है तो मई और जून महीने में क्या हाल होगे रेगिस्तान के लोगो के-- 


मंगलवार, 26 मार्च 2013

foto...राजस्थान के बाड़मेर का विश्व प्रसिद्ध गैर डांडिया नृत्य








राजस्थान के बाड़मेर का विश्व प्रसिद्ध गैर डांडिया नृत्य


बाड़मेर, राजस्थानः पश्चिमी राजस्थान का सीमान्त जिला बाड़मेर अपनी लोक संस्कृति, सभ्यता व परम्पराओं का लोक खजाना हैं।जिले में धार्मिक सहिष्णुता का सागर लहराता हें। इस समुद्र में भाईचारे की लहरें ही नहीं उठती अपितु निष्ठा, आनन्द, मानवता, करूणा, लोकगीतसंगीत, संस्कृति व परम्परोओं के रत्न भी मिलते हैं। बाड़मेर की जनता अपनी समृद्ध कला चेतना निभा रही हैं। यह प्रसन्नता की बात हैं। जिले को गौरव प्रदान करने में गैर नृतकों ने अहम भूमिका निभाई हैं।

मालाणी पट्टी में गैर नृत्यों की होली के दिन से धूम रहती हैं। यह धूम कनाना, लाखेटा, सिलोर, सनावड़ा सहित अने क्षेत्रों में समान रूप से रहती हैं। यही गैर नृत्य बाड़मेर की समृद्ध परम्परा व लोक संस्कृति का प्रतीक हैं। प्रतिवर्ष चैत्र मास में अनेक गैर नृत्य मेले लगते हैं। इन मेलों का धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृति महत्व समान हैं। लाखेटा में किसानों का यह रंगीला मेला प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता हैं। पिछले चार सौ वर्षो से लोगो का प्रमुख धार्मिक आस्था स्थल लाखेटा हैं। जहां बाबा संतोष भारती की समाधि हैं। गैर नर्तको के सतर से अधिक दल इस मेले में भाग लेते हैं। सूय की पहली किरण के साथ गैर नृत्यों का दौर आरम्भ होता हैं। माटी की सोंधी महक, घुंघरूओं की झनक से मदमस्त कर देती हैं। किसानों का प्रमुख गैर नृत्य मेला जिसमें बाड़मेर, जोधपुर, पाली, जालोर जिलो से भी गैर नृतक शरीक होकर इस गैर नृत्य मेले को नई ऊंचाईयां प्रदान करते हैं।

गांवो से युवाबुजुर्गो के जत्थे हर्षोल्लास के साथ रंग बिरंगी वेशभूषा और लोक वाद्य यंत्रों के साथ भाग लेते हैं। मेले में युवा ग्रामीण गोलाकरअर्द्ध गोलाकार घेरे में विभिन्न मुद्राओं में ोल की ंकार, थाल टंकार पर नृत्य करते और हाथों में रखी एक मीटर की डण्डी आजू बाजू के गैरियों की डण्डियों से टकराते हैं और घेरे में घूमते हुए नृत्य करते हैं। गैरिये चालीस मीटर के घाघरे पहन हाथों में डाण्डियें, पांवो में आठआठ किलो वजनी घुंघरू पहन जब नृत्य करते हैं तो पूरा वातावरण कानो में रस घोलने लगता हैं। ढोल की टंकार और थाली की टंकार पर आंगीबांगी नांगी जत्था गैर, डाण्डिया गौरों की नृत्य शैली निहारने के लिये मजबूर कर देती हैं। शौर्य तथा लोकगीतों के साथ बारीबारी से गैर दलों द्वारा नृत्य का सिलसिला सूर्यास्त तक जारी रहता हैं।

1520 समूह गैरियों के रूप में भाग लेते हैं गैर दलों की वेशभूषा के अनुरूप ही विभिन्न नृत्य शैलियां होती हैं। सफेद आंगी जो 4040 मीटर कपडे की बनी होती हैं। उस पर लाल कपडा कलंगी लगाकर जब नृत्य करते हैं तो मेले की रंगीनियां तथा मांटी की सोंधी महक श्रद्घालुओं को झूमने पर मजबूर कर देती हैं। सम्पूर्ण मेला स्थल गीतों, फागो और लोकवाद्य-यंत्रों की झंकारों, टंकारो व ंकारो से गुंजायमान हो उठता हैं। लोक संस्कृति को संरक्षण देने वाले लाखेटा, कनाना, कोटडी, सरवडी, कम्मो का वाडा, भलरों का बाडा, मिया का बाडा, खुराणी सहित आप पास के क्षेत्रों में गैर दल चंग की थाप पर गातेनाचते हैं।

वहीं इसी क्षेत्र की आंगी बांगी की रंगीन वेशभूषा वाली डाण्डिया गैर नृत्य दल समां बांधने में सफल ही नहीं रहते अपितु मेले को नई ऊंचाईयां प्रदान करते हैं। वीर दुर्गादास की कर्मस्थली कनाना का मेला जो शीतलासप्तमी को लगता हैं, अपने अपन में अनूठा गैर नृत्यमेला होता हैं जो सिर्फ देखने से ताल्लुक रखता हैं। हजारों श्रद्घालु मेले में भाग लेते हैं। सनावड़ा में भी होली के दूसरे दिन का गैरियों का गैर नृत्य वातावरण को रंगीन बना देता हैं। पूरा आयोजनस्थल दिल को शुकून प्रदान करता हैं।

मंगलवार, 19 जून 2012

राजस्थान बाड़मेर में लगेगी रिफायनरी


सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम राजस्थान में ऑयल रिफायनरी लगाने की तैयारी कर रही है। कंपनी ओएनजीसी के साथ मिलकर बाड़मेर में 90 लाख टन क्षमता की इकाई लगाएगी। बाड़मेर में तेल के बड़े भंडार खोजे जा चुके हैं। रिफायनरी लगने से जहां राजस्थान के राजस्व में बढ़ोतरी होगी, वहीं यहां के लोगों को रोजगार भी मिलेगा। एचपीसीएल के पास फिलहाल मुंबई और आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में रिफायनरी हैं। पंजाब के भठिंडा की रिफायनरी में भी उसकी हिस्सेदारी है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्रों ने बताया कि केयर्न के बाड़मेर तेल क्षेत्र में 30 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली ओएनजीसी ने 2005 में वहां एक रिफायनरी लगाने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में उस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया। सूत्रों के मुताबिक अब एचपीसीएल ने इस प्रोजेक्ट में 51 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ जुड़ने की इच्छा जताई है। ओएनजीसी इस प्रोजेक्ट में 26 फीसदी हिस्सेदारी रखेगी। बाड़मेर ऑयल फील्ड में 70 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली केयर्न इंडिया फिलहाल यहां 1.75 लाख बैरल प्रतिदिन उत्पादन करती है। यहां उत्पादन को तीन लाख बैरल प्रतिदिन तक ले जाने की क्षमता है। सूत्रों का कहना है कि एचपीसीएल-ओएनजीसी रिफायनरी के लिए करीब 926 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण का काम राजस्थान सरकार ने शुरू कर दिया है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम लि. का कहना है कि राज्य सरकार इसके अलावा उसे समुचित मात्रा में ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध करवाए, जिसका भुगतान कम से कम 15 वर्ष बाद आरम्भ किया जाय। रिफायनरी प्रोजेक्ट के लिए बनी बीसी त्रिपाठी कमेटी की रिपोर्ट को राज्य सरकार के स्वीकार करने के बाद इसके लिए ओएनजीसी और इंजीनियर्स इंडिया लि. ने भी इक्विटी हिस्सेदारी लेने का मानस बनाया है। इधर वेदांता ग्रुप ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाना शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है कि वेदांता ग्रुप ने हाल ही में केयर्न इंडिया का अधिग्रहण कर लिया था, जिसकी बाड़मेर के मंगला क्षेत्र से कच्चा तेल निकालने के बारे में ओएनजीसी के साथ भागीदारी थी।

मंगलवार, 31 मई 2011

आज की ताजा खबर राजस्थान


माल्हण शक्ति मंदिर में गंूज रहे हैं वेद मंत्र
बाड़मेर
हरसाणी के रोहिड़ाला माल्हण शक्ति मंदिर में विश्व कल्याण की कामना को लेकर गायत्री महापुरश्चरण यज्ञ में भाग ले रहे 40 गांवों के भक्त 24 लाख गायत्री मंत्र का जाप कर रहे हैं। यज्ञ में भाग लेने वाले भक्तों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है।

सोमवार को रामसर गुरुद्वारा के संत दयाल सिंह ने प्रवचनों के दौरान कहा क्षत्रिय अपने धर्म और कर्तव्य का समाज व राष्ट्रहित में पालन करें। चौहटन मठ के नींबपुरी महाराज ने उपस्थित भक्तों से गौ रक्षा के लिए आगे आने का आग्रह किया। भाडख़ा के महंत भूपत नाथ ने अपनी आय से कुछ हिस्सा दान कर अपने धन का शुद्धिकरण करने का आह्वान किया। चौहटन मठ के सरस्वती महाराज ने भजन की प्रस्तुति देकर गाय की महिमा बताई। माल्हण शक्ति पीठ के कैप्टन कंवराज सिंह गोरडिय़ा ने गिरते संस्कारों पर चिंता जताते हुए युवा पीढ़ी से आह्वान किया कि वे अपनी शक्ति को राष्ट्रहित में लगाएं। पुजारी अभय सिंह ने श्रद्धालुओं से बुराइयों को त्यागने का संदेश दिया। भोपजी भगवानाराम प्रजापत ने भक्तों से सद्कार्य में लगने का आह्वान किया। पतंजलि भारत स्वाभिमान यात्रा के पदाधिकारी खेमाराम आर्य ने यज्ञ का महत्व बताते हुए पर्यावरण को शुद्ध करने का आह्वान किया। योग पीठ के हनुमानाराम ने कहा यज्ञ में मातृ शक्ति उत्साह से भाग ले रही हैं। धर्म सभा को पूज्य धन भारती, चेतन नाथ, तखत सिंह व मोहन सिंह हरसाणी ने भी संबोधित किया।
 

जागरण का आयोजन
 

रविवार रात आयोजित भजन संध्या में झणकली के भंवरदान, हुकमदान पार्टी के कलाकारों ने भजन संध्या की सरिता बहाई जिसे सुनने के लिए श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ा।
 
 बोलियों में लिया उत्साह से भाग
 
 गणपत सिंह भाटी ने बताया कि बोलियां लगाने का क्रम जारी है। ध्वजा, छत्र, मुकुट, मुख्यद्वार, प्याऊ, कबूतर के लिए चबूतरा निर्माण सहित विभिन्न बोलियों को लेकर भक्तों में उत्साह है। रमेश खत्री ने बताया कि हरसाणी से रोहिड़ाला जाने के लिए जय भवानी बस सर्विस की ओर से निशुल्क बसों की व्यवस्था की जाएगी।
तारीख पेशी से फरार मुलजिम को पुलिस ने पकड़ा
जैसलमेर
वर्ष 2010 के आबकारी से संबंधित प्रकरण में जमानत पर रिहा मुलजिम वापिस पेशी पर न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ था। जिस पर अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पोकरण की ओर से पुलिस थाना सांकड़ा में 3 मार्च 2011 को 229ए के तहत मुलजिम बाबूसिंह पुत्र मगसिंह सोढा राजपूत निवासी ढेम्बा, पुलिस थाना सेडवा जिला बाड़मेर के विरुद्ध पेशी से फरार होने का मुकदमा पंजीबद्व करवाया गया। 

एसपी ममता बिश्नोई ने बताया कि उक्त प्रकरण पंजीबद्ध होने के बाद से ही पुलिस थाना सांकडा को मुलजिम की तलाश थी। सोमवार को उक्त शख्स के बाड़मेर में होने की सूचना मिलने पर मुख्य आरक्षक खुशालचंद के नेतृत्व में पुलिस टीम को भेजा गया। मुख्य आरक्षक ने बाड़मेर शहर से मुलजिम को गिरफ्तार कर लिया तथा बाद में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जैसलमेर के समक्ष न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया।



पादर गाम पंचायत में जलदाय विभाग के 10 में से 7 हैंडपंप खराब, ग्रामीणों ने जलदाय विभाग के खिलाफ जताया रोष
मंडार क्षेत्र की ग्राम पंचायत पादर में जलदाय विभाग की ओर से जलापूर्ति लडखड़़ा जाने से सोमवार को ग्रामीणों ने बर्तन लेकर गांव के चौराहे पर विभाग के खिलाफ प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने बताया कि विभाग की लापरवाही की वजह से गांव में 7 हैंडपंप खराब पड़े हैं। गर्मी के दिनों में चहुंओर पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। कहीं हैंडपंप खराब हैं, तो कहीं टंकी सूखी पड़ी है। इसको लेकर ग्रामीण प्रदर्शन कर पानी की मांग कर रहे हैं, लेकिन विभाग के पास कर्मचारियों की कमी का रोड़ा गर्मी में पेयजल व्यवस्था को बिगाड़ रहा है। विभाग के अधिकारियों के मुताबिक हैंडपंप को ठीक करने के लिए पर्याप्त मिस्त्री नहीं हैं। जहां मिस्त्री हैं, वहां संसाधनों का टोटा है। ग्रामीणों को दूर-दराज के कृषि कुओं से पानी का जुगाड़ करना पड़ रहा है।
हत्या के 11 अभियुक्तों को आजीवन कारावास
सवाई माधोपुर 

अपर सेशन न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक) मुकेश त्यागी ने सोमवार को हत्या के 11 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सजा सुनाए जाने के बाद आरोपियों को जेल भेज दिया गया।

अपर लोक अभियोजक (फास्ट ट्रैक) सुरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने बताया कि उलियाणा निवासी धारासिंह ने 31 मई 2007 में कोतवाली थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि 30 मई को शाम आरोपी आशाराम, मौजीराम व हनुमान मीणा आदि उसके खेत में पेड़ को काट रहे थे। धारासिंह के पेड़ काटने से मना करने पर तीनों मुलजिम उसे मारने के लिए पीछे भागे लेकिन वह पकड़ में नहीं आया। कुछ देर बाद जब उसके पिताजी सूरजमल खाना खाने के लिए घर जा रहे थे तो गांव के नाले के पास पहले से घात लगाकर बैठे तीनों मुलजिमों ने उसके पिता को लाठियों से पीटा। तीनों मुलजिमों ने खेत पर आकर धारासिंह, श्याम लाल, हरिराम, मुनीम लाल, रामसिंह व राम भरोसी से मारपीट की जिससे हरिराम की मृत्यु हो गई जबकि मुनीम लाल, राम भरोसी तथा सूरजमल के गंभीर चोंटें आई थी।
 

न्यायाधीश ने आशाराम, जयराम, मियाराम, हनुमान, नंदा उर्फ नंद किशोर, श्योकरण, मौजीराम, रतन, रामफूल, कमलेश, रामकेश निवासी उलियाणा को आजीवन कारावास की सजा का आदेश पारित किया।
कनपटी पर देसी कट्टा लगाकर मनवाई अवैध संबंधों की बात

 सवाई माधोपुर
कोतवाली थाना पुलिस में शहर निवासी हरीश चंद ने मारपीट का मामला दर्ज कराया है। हरीश चंद ने पुलिस को दी रिपोर्ट में कहा कि हाउसिंग बोर्ड निवासी बिज्जू सिंधी, फलौदी फैक्ट्री निवासी सुरेश सैनी एवं रामचरण गुर्जर ने उसे और उनके पिता को जबरदस्ती कमरे में बंद कर दिया तथा मारपीट की। 

पीडि़त ने बताया कि आरोपी एक वकील के मकान से उसके पिता गोपाल लाल का अपहरण कर ले गए।उन्होंने उसके पिता से फोन करवाकर उसे (हरीश) भी बुलवा लिया तथा दोनों की लात घूंसों से मारपीट की।

हरीश ने पुलिस को बताया कि आरोपियों ने देशी कट्टे को कनपटी पर तानकर एक अज्ञात लड़की से अवैध संबंध होने की जबरदस्ती बात स्वीकार करवाकर उसकी बात मोबाइल में रिकॉर्ड कर ली। पीडि़त परिवार के लोगों ने बताया कि इन लोगों से उनका परिवार भयभीत है तथा यहां से पलायन करने को विवश है।
 

हरीश ने बताया कि वे हिंदवाड़ के रहने वाले हैं तथा टाइगर प्रोजेक्ट की योजना के तहत गांव खाली होने के कारण अब शहर में किराए के मकान में रह रहे हैं।

मंगलवार, 10 मई 2011

आज भी कायम पगड़ी की शान राजस्थान में











आज भी कायम पगड़ी की शान राजस्थान में






: राजस्थान की समृद्ध संस्कृति एवं - रीति रिवाज आधुनिकता की इस अंधी दौड़ में खोते जा रहे हैं . आधुनिकता और पाश्चात्य सभ्यता के साथ आये बदलाव ने परम्परागत - रीति रिवाजों को न केवल बदलकर रख दिया , अपितु राजस्थान की समृद्ध संस्कृति अपना आकार खोती जा रही हैं .






रोजमर्रा की भागदौड़ और पहियों पर घूमती वातानुकूलित जिन्दगी के बीच समारोह के दौरान साफा उपलब्ध नहीं होने अथवा इस ओर किसी का ध्यान आकृष्ट नहीं होने पर ऐसे मौके पर इसका प्रबन्ध नहीं हो पाता है . चुनिन्दा स्थानों से साफा लाने की जहमत कोई नहीं करता , लेकिन साफे का स्थान बरकरार है . इस स्थान को बदला नहीं जा सकता . दुनिया के कानून , संविधान तो बदले जा सकते हैं . ' मगर ' का स्थान नहीं बदला जा सकता साफे . इसका महत्व इसी कारण बरकरार हैं . विभिन्न समारोहों में अतिथियों का साफा पहनाकर स्वागत करने की परम्परा है .






' साफा राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और परम्परा का अभिन्न हिस्सा हैं . लेकिन , राजपूती आन - बान - का प्रतीक साफा अब सिरों से सरकता जा रहा है शान . युवा पीढ़ी आधुनिक ' होकर ' का महत्व समझ नहीं पा रही है साफे . इसके विपरीत ग्रामीण क्षेत्रों में आज ' भी पाग - पगड़ी ' साफे को इज्जत और ओहदे का प्रतीक माना जाता है - . साफे को आदमी के ओहदे व खानदान से जोड़कर देखा जाता हैं . साफा पहन कर - बड़े बुजुर्ग अपने आपको सम्पूर्ण व्यक्तित्व का मालिक समझते हैं . ' साफा व्यक्ति के समाज का प्रतीक माना जाता हैं . ग्रामीण क्षेत्रों में - अलग अलग समाज में अलग - अलग तरह के साफे पहने जाते हैं . साफे से व्यक्ति की जाति व समाज का स्वतः पता चल जाता हैं .






' पगड़ी आदमी के व्यक्तित्व की निशानी समझी जाती है . ' की खातिर आदमी स्वयं बरबाद हो जाता है , मगर उस पर आंच नहीं आने देता पगड़ी . ' साफा ग्रामीण क्षेत्रों में सदा ही बांधा जाता है . खुशी और गम के अवसरों पर ' भी ' का रंग व आकार बदल जाता हैं साफे . खुशी के समय रंगीन साफे पहने जाते हैं . जैसे शादी - विवाह , सगाई या अन्य उत्सवों , त्यौहारों पर विभिन्न रंगो के साफे पहने हैं जाते . मगर , गम के अवसर पर खाकी अथवा सफेद रंग के साफे पहने जाते हैं , ये शोक का प्रतीक होते हैं . हालांकि , मुस्लिम समाज ( सिन्धी ) में सफेद साफे शौक से पहने जाते हैं . सिन्धी मुसलमान ' सफेद ' पाग का ही प्रयोग करते हैं .






ग्रामीण क्षेत्रों में आपसी मनमुटाव , लडाई - झगडों का ' निपटारा ' साफा पहनकर किया जाता है . जैसलमेर व बाड़मेर जिलों के कई गांवो में आज भी अनजान व्यक्ति अथवा मेहमानों ' नंगे सिर आने की इजाजत नहीं हैं को . राजपूत बहुल गांवों में साफे का अत्यधिक महत्व है . इन गांवो में सामंतशाहों के आगे अनुसूचित जाति , जनजाति ( मेघवाल , भील आदि ) के लोग साफा नहीं पहनते , अपितु सिर पर तेमल ( लूंगी ) अथवा टवाल बांधते हैं . इनके द्वारा सिर पर पगड़ी न बांधने का मुख्य ' कारण या ' सामन्त के बराबरी न करना है ठाकुरों . विवाह , अथवा अन्य समारोह में साफे के प्रति परम्पराओं में तेजी से गिरावट आई है सगाई . अभिजात्य परिवारों में साफा आज ' भी स्टेटस ' सिम्बल बना हुआ हैं . अभिजात्य वर्ग में साफे के प्रति मोह बढ़ता जा रहा है . शादी विवाह या अन्य समारोह ' में ' साफे के प्रति छोटे - बड़ों का लगाव आसानी से देखा जा सकता है .






हाथों से बांधने ' वाले ' साफे का जवाब नहीं होता . हाथों से साफे को बांधना एक हुनर व कला है . इस कला को जिंदा रखने वाले कुछ लोग ही बचे हैं . आजकल चुनरी के साफों का अधिक प्रचलन है . लहरियां साफा भी प्रचलन में है . मलमल , जरी , तोता , कलर के साफे भी पसन्द किए जा रहे हैं परी . जोधपुरी साफा पहनना युवा पसन्द करते हैं , जबकि बड़े - बुजुर्ग जैसलमेरी साफा , जो गोल होता है , पहनना पसन्द करते हैं . केसरिया रंग का गोल साफा पहनने का प्रचलन अधिका हैं . बहरहाल , साफे का महत्व आज भी कायम हैं .