गुरुवार, 27 मार्च 2014

किसान नेता गंगाराम चौधरी नहीं रहे

किसान नेता गंगाराम चौधरी नहीं रहे


बाड़मेर बाड़मेर के दिग्गज किसान नेता गंगाराम चौधरी का बुधवार को निधन हो गया ,गंगाराम जी जोधपुर के एक अस्प्ताल में उपचार के लिए भर्ती थे। लम्बे समय से बीमार चल रहे थे। उनका पार्थिव शारीर बाड़मेर लाया गया ,शाम चार बजे अंतिम संस्कार किया जायेगा। उनका पार्थिव शारीर कन्या छात्रावास में दर्शनार्थ रखा जायेगा।

"मूंछ की नहीं,जनता की लड़ाई"

बाड़मेर। कांग्रेस प्रत्याशी हरीश चौधरी के नामांकन के पक्ष में बुधवार के आदर्श स्टेडियम में करीब चार घंटे चली बैठक में कांग्रेस के नेताओं ने कर्नल सोनाराम चौधरी को जमकर कोसा और जसवंतसिंह को लेकर हुए भाजपा में घटनाक्रम पर चटखारे लिए।
सभा में कांग्रेस प्रत्याशी हरीश चौधरी ने कहा कि मेरे सामने चुनाव मैदान में दोनों प्रत्याशी मूंछ की लड़ाई लड़ रहे है, लेकिन मैं जनता की लड़ाई लड़ रहा हूं। वो लोग नामांकन करने को शक्ति प्रदर्शन मानकर बड़े-बडे नेताओं को लाए, यहां आज इस बैठक में सब बाड़मेर जैसलमेर का कांग्रेस का परिवार मौजूद है। विश्वास और विकास की ताकत है।

एमएलए को धमकाती है

पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी ने कहा कि साठ साल केवल कांग्रेस का ही राज नहीं रहा अन्य कई प्रधानमंत्री आए। उनसे तो पांच साल तक शासन भी नहीं संभला। मुख्यमंत्री वसुंधराराजे ने जसवंतसिंह को टिकट देने के बाद अपने विधायकों को बुलाकर धमकाया। जो अपने एमएलए को धमकाती है वो जनता की क्या सुनेगी? उन्होंने कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि हरीश को जिताएं।

गुजरात में मुसलमान डरता है

पूर्व मंत्री अमीनखां ने कहा कि गुजरात में गरीबों और मुसलमानों की हालत खराब है। डरते है इसलिए कुछ नहीं कहते है।मोदी का शासन आया तो देश बर्बाद होगा।जसवंतसिंह का नाम लिए बगैर अमीन ने चुटकी लेते हुए कहा कि इनके तो नाम बड़े और दर्शन छोेटे। शिव की एकमात्र सीट मुसलमानों की थी जहां अपने बेटे को जसवंत ने खड़ा किया।अल्प संख्यक मतों के बूते सांसद बने मानवेन्द्रसिंह ने अपने कार्यकाल में मुस्लिम क्षेत्र में कोई विकास नहीं करवाया। उन्होंने मुसलमान मतदाताओं को बहकावे में नहीं आने की बात कही।कर्नल सोनाराम को घेरते हुए कहा कि उनका काम ही कलह करना है।कांग्रेस में खूब की और अब भाजपा भुगतेगी। वह अपने व्यापार के लिए भाजपा में गए है।

हवा निकल जाएगी

विधायक मेवाराम जैन ने कहा कि भाजपा की प्रदेश में हवा निकल जाएगी। पानी की समस्या का समाधान कांग्रेस की देन है। कर्नल सोनाराम चौधरी कोई काम नहीं किया।कांग्रेस ने उनको खूब पद दिए। उनके जाने से कांग्रेस में कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

कुछ नहीं किया

जिला प्रमुख मदनकौर ने कहा कि जसवंतसिंह ने वित्तमंत्री रहते हुए पानी की समस्या का भी समाधान नहीं दिया।कर्नल सोनाराम चौधरी सम्मान के बावजूद दूसरी पार्टी में गए यह हमारे पर आघात है।

धान-धूड़ एक भाव

पूर्व विधायक मदन प्रजापत ने कहा कि कांग्रेस ने एक रूपए किलोग्राम गेहूं गरीबों को दिया था और भाजपा ने आते ही बजरी के दाम भी बढ़ा दिए है। धान और धूड़ एकभाव कर गरीब की कमर तोड़ी है। रिफाइनरी लगाने की सरकार की मंशा हो न हो पर अब बाड़मेर से रिफाइनरी किसी हालत में जाने नहीं देंगे।

वसुंधरा, मोदी, जसवंत, कर्नल को कोसा

कांग्रेस नेता गोवर्द्धन कल्ला, महंत निर्मलदास, गोपाराम मेघवाल, पूर्व विधायक पदमाराम, शम्माखान, गफूरखां, रूपाराम धनदे, यज्ञदत्त जोशी, महेन्द्र कुमार, अब्दुला फकीर, गोवर्घनसिंह, ठाकराराम, गोविंद थोरी सहित अन्य ने संबोधन में नरेन्द्र मोदी, वसुंधराराजे, जसवंतसिंह और कर्नल सोनाराम को कोसा।

फिर छलका हेमाराम का दर्द

सभा में हेमाराम चौधरी का दर्द फिर छलक उठा।उन्होंने कहा कि मुझे चुनावों से पहले मतदाताओं के रूझान का अंदाज था। इसलिए चुनाव लड़ने से इनकार किया था, लेकिन पार्टी ने दबाव बनाया तो चुनाव लड़ना पड़ा।मालूम था कि आगे गड्ढा है, लेकिन गिरना पड़ा। उन्होंने कहा कि विकास कोई मायने नहीं रखता। आजकल जनता मानती है कि सारे नेता चोर हैं। रूपया कमाने के लिए यहां आते हैं, लेकिन सारे ऎसे नहीं होते।उन्होंने कहा कि अब राजनीति अच्छी नहीं है। करीब आधे घंटे के संबोधन में उन्होंने कहा कि मैने राजनीति में दिलचस्पी लेनी बंद कर दी।तीन महीने जीवन में बड़े आराम से रहा हूं। अब चुनाव है तो पार्टीके लिए दौड़ना पड़ रहा है।

पाकिस्तान से संबंध किसके

अमीनखां ने कहा कि विधानसभा चुनावों में उनका, गाजी फकीर और फतेह मोहम्मद का फोटो सोश्यल मीडिया पर लगाकर पाकिस्तान से संबंध बताए गए, लेकिन एक प्रत्याशी ने पाकिस्तान के एक धर्मगुरू के नाम के पर्चे बांटे। ऎसा हमने कभी नहीं किया। अब आप ही तय करे पाकिस्तान से संबंध किसके है।

भीड़ पर आज भी रही नजर

आदर्श स्टेडियम की यह तीसरी सभा थी।निर्दलीय जसवंतसिंह, भाजपा और कांग्रेस सहित आम लोगों में भी यह जिज्ञासा रही कि भीड़ किसके साथ ज्यादा थी।तीन दिन लगातार बड़ी संख्या में आदर्श स्टेडियम में पहुंचने का यह पहला अवसर रहा है। कांग्रेस के लोग भीड़ को लेकर काफी उत्साहित रहे। जिले के कांग्रेस के नेता एक मंच पर नजर आए। -   

जैसलमेर सुख समृद्धि व लक्ष्मी के लिए दयाड़ो जी को पूजा


जैसलमेर सुख समृद्धि व लक्ष्मी के लिए दयाड़ो जी को पूजा


  जैसलमेर



परंपरा और संस्कृति की नगरी जैसलमेर में दयाड़ो जी का पर्व श्रद्धा एवं लोक आस्था के साथ मनाया गया। महिलाओं का यह त्योहार सुख-समृद्धि और संपन्नता लाने वाला माना गया है। लोक आस्था है कि लक्ष्मी, सुख-संपन्नता व समृद्धि की चाह रखने वाली महिलाओं को दयाड़ो जी का त्योहार मनाना चाहिए। बुधवार को चैत्र वदी दशम के दिन महिलाओं ने ब्रह्मï मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई की और स्नान इत्यादि से निवृत्त होने के बाद नियम-विधान से दयाड़ो जी की पूजा-अर्चना की और महिलाओं ने सामूहिक रूप से कथा वाचन एवं श्रवण किया।

जैसलमेर में महिलाओं के कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं। होली के बाद चैत्र के अंधियारे पक्ष की दशम को यह त्योहार मनाया जाता रहा है। दयाड़ो जी का त्योहार हिंदू महिलाएं विधि-विधान के साथ मनाती है। बुधवार को शहर में महिलाओं को सजे-धजे और मंदिर जाते हुए देखा गया। इस दौरान सोनार किले स्थित लक्ष्मीनाथजी के मंदिर में विशेष भीड़ रही। महिलाओं ने अन्न-धन के प्रतीक लक्ष्मीनाथ बाबे के दर्शन किए और उनसे समृद्धि का आशीर्वाद मांगा।

ऐसे की महिलाओं ने पूजा

महिलाओं ने घर की साफ-सफाई करने के बाद दयाड़ो जी की पूजा की। दीवार पर दयाड़ो जी का विग्रह बनाया गया। पूजा के दौरान दीवार पर आयत बनाया गया। इस आयत में 10 महिलाएं बनाई गई। खेजड़ी के नीचे माई और बाबा बनाया गया। माई से आशय लक्ष्मीमाता से है और बाबे से आशय विष्णु भगवान से है। इस आयत में पालना और पालने में झूलता लड़का बनाया गया। साथ ही सूरज-चांद और साखिया (स्वस्तिक) बनाया गया। विधि-विधान से पूजा की गई और दीवार पर बने दयाड़ो जी के चित्र पर के सामने 10 लड्डुओं का भोग लगाया गया। घर-परिवार की महिलाओं ने समूहगत रूप में दयाड़ो जी की कथा का श्रवण किया।

जसवंत सिंह के बढ़ते कद से परेशां थे राजनाथ मोदी। जसवंत कि पूरी कहानी

जसवंत सिंह के बढ़ते कद से परेशां थे राजनाथ मोदी। जसवंत कि पूरी कहानी 



बाड़मेर। जसवंत सिंह एक बार फिर अकेले हैं, और इस बार भी बीजेपी ने उनको अकेला कर दिया। टिकट नहीं दिया। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भले ही उन्हें पसंद ना करें। संघ परिवार को खुश रखने की कोशिश में बहुत सारे भाजपाई भी भले ही जसवंत सिंह को हमेशा अपने निशाने पर रखे रहें। और बीजेपी भले ही उनका टिकट काटकर उनकी इज्जत का मटियामेट करने की कोशिश कर ले। लेकिन समूचे देश को अपने जिन नेताओं पर गर्व होना चाहिए, उन इने-गिने सबसे बड़े नामों में जसवंत सिंह का नाम भी सबसे ऊंचे शिखर पर लिखा हुआ हैं। फिर भी बीजेपी ने उनका लोकसभा का टिकट काट दिया है। इस तथ्य और ब्रह्मसत्य के बावजूद कि बाड़मेर में जसवंत सिंह अपनी छवि की वजह से अजेय उम्मीदवार हैं। और देश के किसी भी संसदीय क्षेत्र में दो-सवा दो लाख मुसलमान एकमुश्त किसी भाजपाई के साथ हैं, तो वह अकेले जसवंत सिंह ही हैं। बाडमेर का सबसे बड़ा दर्द यह है कि जसवंत सिंह का टिकट उन कांग्रेसी कर्नल सोनाराम के लिए काटा गया, जिनका इस पूरे जनम में बीजेपी से नाता ही सिर्फ अटलजी से लेकर आडवाणी और नरेंद्र मोदी तक को गालियां देने का रहा। वसुंधरा राजे चुनाव से चार दिन पहले सोनाराम को कांग्रेस से बीजेपी में लाईं और लोकसभा के लिए लड़ने भेज दिया। वसुंधरा के इस अदभुत अंदाज से राजनीति अवाक है। लोग हत्तप्रभ, और बाड़मेर बेबस।
बीजेपी ने सबसे पहले मुरली मनोहर जोशी को बनारस से बेदखल किया। फिर भोपाल से लड़ने की लालकृष्ण आडवाणी की इच्छा पर उनकी इज्जत उछाली। और अब जसवंत सिंह को जोर का झटका बहुत जोर से दिया। यह नए जमाने की नई बीजेपी का नया रिवाज है। कभी संस्कारों वाली पार्टी होने का दावा करने वाली बीजेपी का यह नया चेहरा है। माना कि राजनीति में चेहरे बदलते देर नहीं लगती। लेकिन बीजेपी जैसी बेहतर पार्टी में बुजुर्ग चेहरों को बहुत बेरहमी से बदरंग करके उनसे बदला लिया जाएगा, यह किसी को नहीं सुहा रहा है। बीजेपी के बुजुर्ग अपने जीवन के आखरी दिनों में आज सम्मान की खातिर खाक छानते दिख रहे हैं। और बाहर से आए दलबदलुओं का दिल खोलकर स्वागत किया जा रहा है। बीजेपी में बुजुर्गों के अपमान पर उसकी सबसे पुरानी सहयोगी पार्टी शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे तक को कहना पड़ा कि आडवाणी, जिन्होंने पार्टी को बनाया और उसे प्रतिष्ठा दिलाई, वे भी अपने टिकट के लिए इंतजार करते रहे। यह आडवाणी का अपमान नहीं तो और क्या है।

वैसे तो राजनीति में कोई भी नहीं भूलता। लेकिन पिछली बार 2004 में, शिमला बैठक में जसवंत सिंह को बुलाने, फिर बीच रास्ते में ही रोककर पार्टी से निकाल देने का फरमान सुनाकर बीजेपी ने उनका जो अपमान किया था, उसे जसवंत सिंह शायद भूल गए होंगे। क्योंकि वे बड़े दिलवाले आदमकद के आदमी हैं। कारण था, जसवंत ने अपनी किताब में जिन्ना की तारीफ की थी। लेकिन देश जब-जब चिंतन करेगा, तो जिन्ना के मामले में ज्यादा बड़ा पाप तो लाल कृष्ण आडवाणी का था। क्योंकि जसवंत सिंह ने तो लिखा भर था। आडवाणी तो जिन्ना के देश पाकिस्तान जाकर उनकी मजार पर माथा टेकने के बाद फूल चढ़ाकर यह भी कह आए थे कि जिन्ना महान थे। फिर देर सबेर बीजेपी संघ परिवार की भी अकल ठिकाने आ ही गई। उसे भी मानना पड़ा कि आडवाणी के अपराध के मुकाबले जसवंत के जिन्ना पर विचार अपेक्षाकृत कम नुकसान देह थे। लेकिन ताजा संदर्भ में तो जसवंत सिंह सिर्फ और सिर्फ वसुंधरा राजे की त्रिया हठ वाली राज हठ के शिकार हैं।

राष्ट्रीय परिपेक्ष्य को छोड़कर बात अगर सिर्फ प्रदेश की दीवारों के दाय़रे की करें, तो राजस्थान की राजनीति में अब तक के सबसे बड़े नेताओं के रूप में मोहनलाल सुखाडिय़ा और भैरोंसिंह शेखावत अब इस दुनिया में न होने और खुद के सीएम रहते हुए कांग्रेस का सफाया हो जाने के बावजूद कांग्रेस में सबसे विराट हो जाने वाले अशोक गहलोत आज भी लोगों के दिलों पर छाए हुए हैं। उसी तरह, सबसे बड़े राजनयिक और राजनीतिक के रूप में जसवंत सिंह देश के सामने हैं। लेकिन इस बात का क्या किया जाए कि बीजेपी और व्यक्तिगत रूप से वसुंधरा राजे उनके इस कद का ही कबाड़ा करने पर उतारू हैं। वैसे, अपना मानना है कि जसवंत सिंह राजस्थान के नहीं, पूरे देश में आदमकद के आदमी हैं। और अपना तो यहां तक मानना है कि जसवंत सिंह जैसे नेता को, जीवन के इस अत्यंत ऊंचे और आखरी मोड़ पर आकर बीजेपी से जुड़े भी रहना चाहिए कि नहीं, यह चिंतन का विषय है।

राजस्थान में जिस तरह से वसुंधरा राजे के नेतृत्व में बीजेपी सत्ता में आई, उसी तरह से इस चुनाव के बाद देश में भी सरकार बन गई और अगर बन पाए, तो नरेंद्र मोदी का पीएम बनना उनका निजी पराक्रम होगा। लेकिन वसुंधरा राजे और राजनाथ सिंह के बारे में देश को सिर्फ यह जरूर याद रहेगा कि उंचे कद के आला नेताओं की गरिमा को इन दोनों के काल में जितनी ठेस पहुंची और बीजेपी का संगठन के स्तर पर जितना कबाड़ा हुआ, उतना पार्टी के चौंतीस सालों के इतिहास में कभी नहीं हुआ। वसुंधरा राजे ने भी बड़े नेताओं के मानमर्दन का कोई मौका नहीं छोड़ा। स्वर्गीय भैरोंसिंह शेखावत से लेकर, ललित किशोर चतुर्वेदी, हरिशंकर भाभड़ा, भंवरलाल शर्मा, रघुवीर सिंह कौशल जैसों को सार्वजनिक रूप से खंडहर कहने का वसुंधरा राजे ने जो राजनीतिक पाप किया था, उसका हिसाब अभी बाकी है। और यह तो गुलाबचंद कटारिया और घनश्याम तिवारी सहित ओमप्रकाश माथुर की किस्मत बहुत बुलंद है, लेकिन फिर उनको ठिकाने लगाने की वसुंधरा की कोशिशें तो अब भी जारी हैं ही। पार्टी का टिकट कटवाने और न देने का हक हासिल होने के बावजूद देश की राजनीति में आज भी वसुंधरा राजे और राजनाथ सिंह, जसवंत सिंह से बड़े नेता नहीं हैं। और अपना तो यहां तक मानना है कि राजनीति में जसवंत सिंह जैसी विश्व स्तरीय गरिमा प्राप्त करने के लिए इन दोनों को शायद कुछ जनम और लेने पड़ सकते हैं। राजनाथ सिंह ने भी कह दिया है कि बाड़मेर से उम्मीदवार को बदलना अब संभव नहीं है। लेकिन कोई भी इसका असली कारण नहीं बताता कि आखिर जसवंत सिंह को उम्मीदवारी से आउट क्यों किया गया। क्या सचमुच बीजेपी ने अपने बुजुर्गों का सम्मान करना बंद कर दिया है?

भले ही वह समूचे मंत्रिमंडल का फैसला था, फिर भी कुछ लोगों को हक है, तो वे कंधार के कसूर को हमारी विदेश नीति में नीहित कूटनीतिक मजबूरी न मानकर सिर्फ जसवंत सिंह की निजी गलती मानकर उनको कघटरे में खड़ा कर सकते हैं। लेकिन यह तो आपको भी मानना ही पड़ेगा कि उस कटघरे में खड़े होने के बावजूद जसवंत सिंह का कद उनका न्याय करनेवाले किसी भी जज से ज्यादा बड़ा है। जसवंत सिंह प्रभावशाली हैं, शक्तिशाली भी और समर्थ भी। राजनीतिक कद के मामले में उनको विराट व्यक्तित्व का राजनेता कहा जा सकता है। व्यक्तितव अगर विराट नहीं होता, तो दार्जीलिंग के जिन पहाड़ों से उनका जीवन में कभी कोई नाता नहीं रहा, वहां से भी लोगों ने निर्दलीय जिताकर उन्हें संसद में भेजकर अपने पहाड़ों से भी बड़ी उंचाई बख्श दी।

दरअसल, पूरे विश्व के राजनयिक क्षेत्रों में जसवंत सिंह को एक धुरंधर कूटनीतिज्ञ के रूप में देखा जाता है। विदेशी सरकारों के सामने जसवंत सिंह की जो हैसियत है वह एसएम कृष्णा से कई लाख गुना और नटवर सिंह, प्रणव मुखर्जी आदि के मुकाबले कई गुना ज्यादा बड़ी है। भाजपा में तो क्या देश की किसी भी पार्टी में विदेश के मामलों में उनकी टक्कर का कूटनीतिक जानकार नहीं है, यह कांग्रेस भी जानती है, आप भी और हम भी। और राजनीतिक कद नापा जाए, तो वसुंधरा राजे तो खैर उनके सामने कहीं नहीं टिकतीं, राजनाथ सिंह तक राष्ट्रीय अध्यक्ष होने का बावजूद जसवंत सिंह के मुकाबले बहुत बौने हैं। लेकिन राजनीति का भी अपना अलग मायाजाल होता है। यह बीजेपी का सनातन दुर्भाग्य है या बड़े नेताओं की किस्मत का दुर्योग कि जो लोग कभी उनके दरवाजे की तरफ देखते हुए भी डरते थे, वे आज उन्हें आंख दिखा रहे हैं। लेकिन यह तो बीजेपी की किस्मत की कमजोरी का कमाल ही कहा जा सकता है कि जसवंत सिंह जैसा बहुत बड़ा नेता आज अलग थलग होकर निर्दलीय लड़ने को मजबूर हैं और उनके मुकाबले बहुत बौने लोग बहुत बड़े पदों पर बिराजमान होकर जसवंत सिंह जैसों की किस्मत लिखने के मजे ले रहे हैं। राजनीति भले ही इसी का नाम है। लेकिन इस सवाल का जवाब किसी के पास है कि आखिर जसवंत सिंह का कसूर क्या है?

बुधवार, 26 मार्च 2014

जैसलमेर एक्सप्रेस में चोरियों की जांच शुरू

लखनऊ
हावड़ा-जैसलमेर एक्सप्रेस में सोमवार रात दो डिब्बों से कई यात्रियों का सामान गायब होने के मामले में डीआरएम ने जांच शुरू करा दी है। चोरी के साथ ही यात्रियों के हंगामे के दौरान करीब दो घंटे ट्रेन लेट होने के मामले को भी जांच में शामिल किया गया है।

बुधवार को जांच अधिकारियों ने कई कर्मचारियों के बयान लिए। जैसलमेर एक्सप्रेस के एस-5 व एस-6 कोच से कई यात्रियों का सामान चोरी हो गया था। ट्रेन के लखनऊ पहुंचने पर सोमवार रात डेढ़ बजे कई यात्रियों ने हंगामा किया था। इस मामले में डीआरएम जगदीप राय ने स्टेशन प्रबंधक एके दोहरे व आरपीएफ के सहायक सुरक्षा आयुक्त एसआर त्रिपाठी को जांच कमिटी में शामिल किया था।

कुछ यात्रियों का आरोप था कि वह जब खाने-पीने का सामान लेने के लिए चारबाग स्टेशन के प्लेटफार्म पर उतरे तो उस दौरान सामान चोरी हुआ था। जबकि जीआरपी व आरपीएफ के लोगों का मानना है कि ट्रेन के लखनऊ पहुंचने से पहले ही यात्रियों का सामान चोरी हो चुका था। रेलवे सुरक्षा बल ने सभी प्लेटफार्मों पर सीसीटीवी कैमरे लगा रखे हैं।जांच से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि फुटेज देखने के बाद पता चलेगा कि कौन-कौन से लोग उस प्लेटफार्म पर सामान सहित उतरे थे और उनमें से हंगामा करने वाले यात्री कौन थे। आरपीएफ कंट्रोल में एक हफ्ते तक सीसीटीवी फुटेज आसानी से मिल सकते हैं।

बाड़मेर में जसवंत v/s बीजेपी


बाड़मेर   टिकट बंटवारे से नाराज जसवंत सिंह जहां निर्दलीय मैदान में उतरने की तैयारी कर चुके हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस का दामन छोड़कर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार बने कर्नल सोनाराम ने बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र से मंगलवार को अपना नामांकन पर्चा दाखिल किया। बीजेपी ने जसवंत सिंह को दरकिनार करते हुए इस सीट से सोनाराम को उम्मीदवार बनाया। ऐसे में अब यहां जसवंत बनाम बीजेपी का मुकाबला होना तय हो चुका है क्योंकि जसवंत कह चुके हैं कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे। जसवंत सिंह ने मंगलवार को यहां कहा कि लोकतंत्र के लिए 'व्यक्ति पूजा' सही नहीं है और इससे पार्टी को नुकसान होगा। जसवंत ने कहा, 'पार्टी जिस तरह एक व्यक्ति पर पूरा ध्यान लगा रही है, वह सही नहीं है। लोकतांत्रिक प्रक्रिया में ऐसा नहीं चल सकता।' जसवंत सिंह ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह पर निशाना साधते हुए कहा, 'शायद राजनाथ सिंह ने किसी 'योजना' के तहत मुझे पार्टी से दूर किया है। वहीं, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जसवंत सिंह का नाम लिए बगैर कहा, 'टिकट देने का निर्णय पार्टी का है। पार्टी के निर्णय को सभी को स्वीकार करना चाहिए।'
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टिकटों बंटवारे पर कोई विवाद नहीं : जेटली
विशेष संवाददाता, नई दिल्ली

बीजेपी के सीनियर लीडर अरुण जेटली ने कहा है कि एक दो जगह को छोड़कर बाकी कहीं भी टिकट बंटवारे को लेकर कोई विवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि सिर्फ उन लोगों को ही बीजेपी में टिकट विवाद लगता होगा, जो टीवी देखते हैं। जब रिजल्ट आएंगे तो पता चलेगा कि कहीं कोई विवाद था ही नहीं। पार्टी मुख्यालय में उन्होंने कहा कि अब तक पार्टी 400 से ज्यादा सीटों पर अपने कैंडिडेट घोषित कर चुकी है, लेकिन एकाध जगह को छोड़ दें तो कहीं भी विवाद नहीं है। हालांकि उन्होंने जसवंत सिंह के मामले में कुछ नहीं कहा लेकिन इशारों ही इशारों में यह संकेत जरूर दे दिया कि अब पार्टी शायद उनकी मान मनौव्वल न करे। उन्होंने बताया कि अभी भी एनडीए में कई और दलों के आने की गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि आंध्रप्रदेश में भी दूसरे दलों से बीजेपी की बातचीत चल रही है और इसी वजह से अब तक बीजेपी ने आंध्रप्रदेश के लिए उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है।




वहीं, जसवंत सिंह को लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं देने को 'राजनीतिक मजबूरी' बताया। सिंह ने 'टाइम्स नाउ' को दिए इंटरव्यू में कहा, 'राजनीतिक मजबूरियों के चलते हम इच्छा के बावजूद जसवंत सिंह: टिकट नहीं दे सके। मुझे भी इस बात का दुख है।'

सोनिया के खिलाफ चुनाव में उतर सकती हैं उमा भारती



रायबरेली में कांग्रेस को कड़ी टक्कर देने की कोशिश में भाजपा रायबरेली से सोनिया गांधी के खिलाफ फायरब्रांड हिन्दुत्व नेता उमा भारती को चुनावी मैदान में उतारने पर विचार कर रही है। पार्टी के शीर्ष सूत्रों ने पुष्टि की है कि दल उमा भारती को झांसी के बजाए उत्तर प्रदेश के रायबरेली से चुनाव लड़ाने के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
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भाजपा ने पहले ही उमा भारती के झांसी सीट से लड़ने की घोषणा की है। सूत्रों का कहना है कि भारती के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर कांग्रेस अध्यक्ष को कड़ी चुनौती दी जा सकेगी। कांग्रेस द्वारा वाराणसी सीट से भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के खिलाफ किसी लोकप्रिय हस्ती या मजबूत स्थानीय नेता को उतारने का फैसला किए जाने के बाद भागवा पार्टी बदलाव पर विचार कर रही है।

योगगुरु बाबा रामदेव ने भी रायबरेली से उमा भारती की उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए इस संबंध में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से अनुरोध किया है। उन्होंने ट्वीट किया था, मैं भाजपा से अपील करता हूं कि वह अपनी मजबूत नेता उमा भारती को रायबरेली में सोनिया गांधी के खिलाफ उतारे। पार्टी सूत्रों ने पुष्टि की है कि रामदेव ने उमा भारती की उम्मीदवारी के संबंध में भाजपा के शीर्ष नेताओं से बातचीत की है।

मौलाना की गिरफ्तारी से मुश्किल में पड़े मोदी



अहमदाबाद। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ कथित तौर पर मिलकर 2002 के दंगों का बदला लेने के लिए षड्यंत्र रचने के आरोप में अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच ने हैदराबाद के एक जाने माने उदारवादी मौलाना मोहम्मद अब्दुल कादरी को गिरफ्तार किया है। इस गिरफ्तार के बाद मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के समर्थक मुस्लिम घबरा गए हैं।
मौलाना की गिरफ्तारी से मुश्किल में पड़े मोदी


चुनावी साल मे हुई यह गिरफ्तारी मोदी द्वारा मुसलमानो को अपनी ओर करने की कोशिशों पर नकारात्मक असर डाल सकती है। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार देशभर में मुस्लिम नेताओं से मुलाकात कर उनके डर को दूर कर अपने पक्ष में समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।




मामला 11 साल पुराना है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि पिछले साल जून में मौलाना गुजरात आए थे और प्रदेश के दक्षिण इलाके में यह खुले आम घूमे थे। दभेल स्थित इस्लाम की एक बड़ी संस्था के साथ साथ मिफ्ता उल उलूम तराज मदरसा में भी उन्होंने शांति की बात की थी।




मोदी के एक कट्टर समर्थक और जाने माने मुस्लिम नेता ने कहा कि ऎसा नहीं है कि मौलाना साहब भगोड़ा थे। पिछले साल वह गुजरात आए थे और उन्होंने एक कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया था। इस गिरफ्तारी से समाज में मोदी के खिलाफ संदेश जाएगा।




उन्होंने कहा, यह गिरफ्तारी हैदराबाद के सांसद असादुद्दीन ओवेसी जैसे कट्टरवादी नेताओं को मोदी पर हमला बोलने के लिए राजनैतिक मुद्दा मिल जाएगा। ऎसे नेता मौलाना साहब की तुरंत रिहाई की मांग करते हुए उन मुस्लिम नेताओं पर भी हमला बोलने का मौका मिल जाएगा जो गुजरात के मुख्यमंत्री के समर्थक हैं।




काफी खुले विचारों वाले माने जाने वाले मौलाना कावी हैदराबाद में मदरसा अशरफुल उलूम के संथापक हैं और उनके बड़े मुफ्ती अब्दुल मुघनी हैदराबाद स्थित जमियत ए उलामा के उपाध्यक्ष हैं।

कांग्रेस प्रत्यासी हरीश चौधरी ने नामांकन दाखिल किया

कांग्रेस प्रत्यासी हरीश चौधरी ने नामांकन दाखिल किया

बाड़मेर बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्यासी हरीश चौधरी ने अपना ना मांकन बुधवार को अधिकारी भानु प्रकाश एटूरु के समक्ष पेश किया। इस अवसर पर कांग्रेस विधायक मेवाराम ,जैन पूर्व मंत्री अमिन खान , हेमाराम चौधरी ,रूपाराम धंदे ,शम्मा खान ,उषा जैन सहित कई और कार्यकर्ता उपस्थित थे

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